Manmarjiyan Season 3 – 53
Manmarjiyan Season 3 – 53

घाट की सीढ़ियों पर बैठे अमन और वेदी सामने खड़े फूफा को हैरानी से देख रहे थे। अमन वेदी के लिए चुडिया लेकर आया था और अपने हाथो से उन्हें वेदी को पहना रहा था लेकिन फूफा इस वेज बिरयानी में इलायची बनकर उनके सामने खड़े थे।
“का वेदिया ? हमहू हुआ नाश्ते का इंतजार कर रहे और हिया तुमहू प्रेम पकवान खाय रही हो”,फूफा ने बेशर्मी भरे स्वर में कहा
“जबान सम्हाल कर बात कीजिये फूफा , हम यहाँ कोई प्रेम,,,,,,,,ऐसी नीच बातें करते शर्म नाही आती ?”,वेदी ने उठकर कहा
“लयो तुमहू सरेआम करो तो शर्म नाही आयी और हमहू ज़रा कुछो कह दिए तो जबान कैसे कैंची जैसे चल रही तुम्हायी ?”,फूफा ने भी वेदी को घूरकर कहा
आस-पास खड़े लोग उन्हें देखने लगे तो अमन ने वेदी से कहा,”शांत हो जाओ वेदी , वो तुमसे बड़े है उनसे ऐसे बात मत करो”
“अरे बड़े है तो का कुछ भी कहेंगे ?”,वेदी ने फूफा को घूरते हुए कहा
“अभी जाकर तुम्हाये बाप को बता दे कि हिया बैठकर का गुल खिलाय रही हो तो जे मुँह पे ताला लग जाही है”,फूफा ने भी वेदी को आँखे दिखाकर कहा
मिश्रा जी का ख्याल आते ही वेदी मन ही मन घबरा गयी। अमन और उसके बारे में सिर्फ गुड्डू और शगुन को पता था मिश्रा जी और मिश्राइन को नहीं , मिश्रा जी अम्मा के जाने से पहले ही इतना दुखी थे वेदी नहीं चाहती थी फूफा उन्हें ये सब बताकर और परेशान करे इसलिए थोड़ा शांत स्वर में कहा,”फूफा ! आप जैसा सोच रहे है वैसा कुछो नाही है,,,,,,!!”
“हमको जो देखना था उह्ह हमहू देख चुके , चलो नीचे जाओ अपनी अम्मा के पास जे की मदद हमहू कर देही है”,फूफा ने कठोरता से कहा
वेदी चुपचाप सर झूककर्स वहा से चली गयी और फूफा अमन के बगल में आये और कहा,”का चल रहा है ?”
“क कुछ भी नहीं,,,,,,!!”,अमन ने घबराहटभरे स्वर में कहा
“बबुआ ! ले जाओ तुम्हारा आर्डर तैयार है”,दुकान वाले ने ऊँचे स्वर में कहा तो अमन फूफा से जान छुड़ाकर दुकान की तरफ गया और नाश्ता लेकर फूफा के पास चला आया। थोड़ा सामान फूफा ने ले लिया और अमन के साथ नीचे चले आये।
अमन ने सबको नाश्ता दिया और खुद अपना नाश्ता लेकर बाकि सब से थोड़ा दूर बैठ गया। फूफा वेदी के ठीक सामने ही बैठे थे और जब भी उनकी नजरे वेदी से मिलती वेदी घबराकर अपनी नजरे झुका लेती। फूफा ने ऊपर जो देखा उसका जिक्र मिश्रा जी और मिश्राइन से नहीं किया। नाश्ता करने के बाद मिश्रा जी कुछ देर वहा रुके और फिर उन्होंने गुप्ता जी और विनोद से जाने की इजाजत मांगी।
“हम लोग आपको स्टेशन तक छोड़ने चलते है”,विनोद ने कहा
“विनोद जी ! काहे इतना परेशान हो रहे है आप ? ऐसा तो है नाही कि पहली बार बनारस आये है अरे हिया की गली गली जानते है पहुचं जायेंगे”,मिश्रा जी ने कहा लेकिन गुप्ता जी और विनोद कहा मानने वाले थे।
“ठीक है फिर हम अमन को भेज देते है”,गुप्ता जी ने कहा
“अमन को भी काहे परेशान करना और सुनिए गुप्ता जी हमहू जल्दी ही वापस बनारस आएंगे अमन को लेकर आप सबसे कुछो जरुरी बात करनी है। अभी हम निकलते है और अम्मा की तेहरवी पर आप सभी जरूर पधारे,,,,,,,अमन बबुआ तुमहू भी आना”,मिश्रा जी ने गुप्ता जी और विनोद से कहा और फिर अमन की तरफ पलटे।
अमन ने मुस्कुराते हुए हामी में सर हिला दिया। सभी घाट से बाहर चले आये। अमन ने ऑटो रुकवाकर मिश्रा जी का सामान उसमे रखवा दिया। मिश्रा जी मिश्राइन फूफा और वेदी ऑटो में आ बैठे और ऑटो आगे बढ़ गया।
अमन ने वेदी को जाते देखकर अपना हाथ हिला दिया तो वेदी ने भी जवाब में अपना हाथ हिलाया लेकिन बगल में बैठे फूफा ने अगले ही पल वेदी का हाथ नीचे कर दिया। वेदी को याद आया कि फूफा अब उसके और अमन के बारे में जानते है इसलिए वह दुबककर बैठ गयी।
मिश्रा जी सबके साथ स्टेशन पहुंचे। ट्रेन आने में अभी वक्त था मिश्रा जी ने फूफा की तरफ कुछ पैसे बढाकर कहा,”आदर्श बाबू ! हमहू अंदर जाकर टिकट कन्फर्म कर लेते है तब तक आप खाना पैक करवा लीजिये”
“का कहे ? हमहू खाना पैक करवाने जाए आपका,,,,,,,,,,,,!!”,फूफा ने घमंड भरे स्वर में इतना ही कहा कि मिश्रा जी ने ख़ामोशी से बिना भाव के उन्हें देखा और अगले ही पल ट्रेन वाला हादसा याद आ गया और उन्होंने अपनी बात सम्हालते हुए कहा,”हमहू तो आपका ही इंतजार कर रहे थे , हमहू ही जायेंगे खाना पैक करवाने,,,,,,,,,,जायेंगे का अभी चले जाते है,,,,,,,,आप टिकट कन्फर्म करवाईये”
फूफा वहा से चले मिश्राइन और वेदी हैरानी से फूफा को जाते हुए देखती रही। मिश्रा जी ने देखा तो कहा,”का हुआ ? अंदर चलो”
“जे आदर्श बाबू को का हुआ ? एक ही रात मा इत्ता परिवर्तन कैसे आ गवा जे मा ?”,मिश्राइन ने हैरानी से कहा
“अम्मा हो सकता है गंगा जी में नहाकर फूफा को थोड़ी बुद्धि आ गयी हो,,,,,,,!!”,वेदी ने हँसते हुए कहा
मिश्रा जी ने वेदी की तरफ कठोर भाव से देखा तो वेदी तुरंत चुप हो गयी और नजरे झुकाकर कहा,”सॉरी पिताजी,,,,,,!!”
“बड़ो के लिए कैसा मजाक करना चाहिए कैसा नाही , का इत्ती भी समझ नाही है तुम वेदी बिटिया ?”,मिश्रा जी ने उसी कठोरता के साथ कहा
मिश्रा जी की बात सुनकर वेदी की आँखों में लगभग आँसू आ चुके थे , मिश्राइन ने सुना तो कहा,”जाने दीजिये ना बच्ची है,,,,,,,आईये चलते है”
मिश्रा जी ने एक नजर वेदी को देखा और फिर टिकटघर की तरफ बढ़ गए। मिश्रा जी ने टिकट कन्फर्म की और बेंच पर आ बैठे , फूफा भी तब तक खाना लेकर आ चुके थे और सभी बैठकर ट्रेन के आने का इंतजार करने लगे। कुछ वक्त बाद ट्रेन आयी और सभी अपनी अपनी सीटों पर आ बैठे और कानपूर के लिए निकल गए। इस बार सीट के लिए कोई लड़ाई नहीं थी क्योकि तीन लोअर बर्थ मिली थी और एक अपर जहा वेदी ने पहले ही अपनी जगह बना ली।
मिश्रा जी का घर , कानपूर
लवली और शगुन को ऊपर कमरे में छोड़कर गोलू गुड्डू के हमशकल को धरने नीचे अकेला चला आया। गोलू ने देखा गुड्डू का हमशक्ल जो कि असल में गुड्डू ही था वह मिश्रा जी के तख्ते पर बैठकर चाय पी रहा था। गोलू ने बड़े ध्यान से उसे देखा और बड़बड़ाया,”साला देखने मा तो जे सेम गुड्डू भैया जइसन लग रहे है और देखो कित्ता कम्फर्टेबल होकर हिया बैठे चाय भी पी रहे है ,
पर इह घर मा जे तुम्हायी आखरी चाय है गुड्डू भैया के हमशक्ल , का है कि जे के बाद हमहू तुमको चाय तो का पानी पीने लायक नाही छोड़ेंगे,,,,,,,,पर हमहू एकदम से जाकर अटेक किये और इह भाग गए तो , हमको पहिले इनको बांधना होगा,,,,,,,,,लेकिन हिया रस्सी कहा से आयेगी ?”
बड़बड़ाते हुए गोलू ने इधर उधर देखा तो वही अम्मा की बैठक के बगल में टेबल पर पड़ा कपड़ा दिखा , गोलू अम्मा की तस्वीर की तरफ गया और गुड्डू की तरफ देखते हुए जैसे ही कपड़ा उठाकर आगे बढ़ा अम्मा की तस्वीर धड़ाम से नीचे आ गिरी क्योकि गुड्डू के हमशक्ल पर नजर रखने के चक्कर में गोलू ने साइड वाले कपडे को ना उठाकर उस चद्दर को उठाया जिस पर अम्मा की तस्वीर थी।
तस्वीर गिरने के साथ ही गोलू चौंका और तुरंत खम्बे के पीछे छिपकर बोला,”मियाऊ,,,,,,,,,,,,!!”
“अरे का हुआ गुडडुआ ? हमहू कुछो गिरने की आवाज सुने,,,,,,,,,आरी मोरी मैया जे किसने किया ? हमायी अम्मा की तस्वीर नीचे गिराय दी जे तो बहुते बड़ा अपशकुन है गुडडुआ , लगता है जे घर पर कोनो बड़ी मुसीबत आन वाली है,,,,,,,,!!|”,भुआ ने रोते हुए कहा
“चुप हो जाओ भुआ , कुछो नाही हुआ है बिल्ली गिराय देइ रही अम्मा की फोटू तुमहू काहे इत्ता गलत सोचती हो ?”,गुड्डू ने कहा
“अरे बिल्ली हिया कहा से आयी ?”,भुआ ने कहा
भुआ को कही शक ना हो जाये सोचकर गोलू फिर बिल्ली की आवाज निकालते हुए बोला,”मियाऊ,,,,,,,,,हैओ”
बेचारे गोलू की खराब किस्मत मियाऊ तो उसने बोला ही लेकिन साथ ही उसकी अपनी डकार भी निकल गयी तो भुआ ने कहा,”ए गुड्डू जे कैसी बिल्ली है जो डकार भी ले रही है ? हमका तो जे बिल्ली नाही कोनो कुत्ता लाग रहो,,,,,,,,!!”
गोलू ने सुना तो खम्बे के पीछे से निकलकर आया और कहा,”का कुत्ता उह्ह जब बोल रहे है कि बिल्ली है तो मानती काहे नाही ? और डकार तो हमहू लिए है , उह्ह बिल्ली ही थी जोन अम्मा की फोटू गिराकर भगा गयी”
“तुमहू सुबह सुबह हिया का कर रहे हो ?”,भुआ जी ने गोलू से सवाल किया
गोलू ने देखा गुड्डू अपने फोन में बिजी है तो ये देखकर गोलू ने आँख मारते हुए भुआ से साइड में आने का इशारा किया। अब बेचारी भुआ सीधी साधी वो क्या तिकड़मबाज गोलू का इशारा समझती , उलटा उसने गोलू को आँख मारते देखा तो दो तीन चांटे उसके गाल पर जड़ दिए और कहा,”मोहल्ला मा लड़किया कम पड़ गयी जो अब हमको छेड़ने लगे हो,,,,,,,,,,आँख का मार रहे हो , अभी फोड़ देही है तुम्हायी जे मेंढक जइसन आँखे,,,,,,!!”
गुड्डू ने सुना तो कहा,”का हुआ भुआ ?”
“अरे कुछो नाही गुड्डू भैया , भुआ पूछ रही है नाश्ते मा का खाओगे ? हमहू भुआ की मदद करके आते है,,,,,,,,,चलो भुआ”,गोलू ने भुआ के बोलने से पहले ही गुड्डू से कहा और भुआ को धकियाते हुए वहा से ले गया।
“जे सुबह सुबह गोलुआ को दौरे पड़ने लगे है का ? एक तो जे शोरूम का हिसाब नाही मिल रहा ऊपर से पिताजी भी हिया नाही है”,गुड्डू बड़बड़ाया और वापस
अपने फोन में बिजी हो गया
गोलू भुआ को लेकर किचन की तरफ आया और कहा,”का भुआ ? जे घर मा साला हमहू तुमको समझदार समझे रहे और तुमहू पगलेती कर दी,,,,,,,,अरे हमहू तुमको छेड़ने के लिए आँख नाही मारे थे”
“मतलब ?”,भुआ ने असमझ की स्तिथि में कहा
गोलू ने झांककर गुड्डू को देखा और फिर भुआ से दबी आवाज में कहा,”अरे हमाओ मतलब जे है कि उह्ह जो तख्ते पर बैठे है ना उह्ह गुड्डू भैया नाही है , ओह्ह के हमशकल है,,,,,,,,कल रात तुमहू सही कह रही थी भुआ कि तुमहू दूध के गिलास गुड्डू भैया को देकर गयी थी लेकिन उह्ह गुड्डू भैया नाही ओह्ह के हमशक्ल थे,,,,,,,,असली गुड्डू भैया तो ऊपर अपने कमरा मा है शगुन भाभी के साथ,,,,,,,,,!!
गोलू की बाते भुआ के सर के ऊपर से गयी और उन्होंने कहा,”का कह रहे हो तुमहू ? इह गुड्डू है , उह्ह गुड्डू का हमशक्ल है का ? हमको कुछो समझ नाही आ रहा गोलू ?”
“अब हमहू कैसे समझाए ? एक ठो काम करते है हमहू जाकर उह्ह धोखेबाज को धरते है तुमहू एक थो बढ़िया सी रस्सी लेकर आओ”,गोलू ने कहा
“तुमहू अपने ही दोस्त को धोखेबाज कह रहे हो गोलुआ ?”,भुआ ने कहा
“भुआ असल जिंदगी मा सबसे बड़ा धोखेबाज हमेशा सबसे अच्छा दोस्त ही निकलता है , तुमहू जाओ यार रस्सी लेकर आओ हमहू सब कहानी बाद मा सुनाएंगे”,कहते हुए गोलू गुड्डू की तरफ बढ़ गया
गोलू गुड्डू के बगल में आया और उसकी गर्दन को अपनी बांह में दबोचकर कहा,”कौन हो तुमहू ?”
“गोलू जे का कर रहे हो ? अरे छोडो हमका हमहू गुड्डू है तुम्हाये दोस्त,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने मिमियाते हुए कहा क्योकि गोलू गुड्डू की गर्दन दबोचे उसके ऊपर आ बैठा था और गुड्डू उसके चंगुल से निकलने की नाकाम कोशिश
“अच्छा तुमहू गुड्डू हो ना तो हमहू शाहरुख़ खान है,,,,,,,एएएएएए गुड्डू भैया , ह्म्म्मम्म”,गोलू ने शाहरुख़ खान की बहुत ही गन्दी एक्टिंग करते हुए कहा
“अबे गोलू पगला गए हो का ? का बकवास कर रहे हो छोडो हमे हमारा गला खिंच रहा है”,गुड्डू ने कहा लेकिन गोलू तो उसके हाथो को भी अपने नीचे दबाकर बैठा था , गुड्डू चाहकर भी गोलू से खुद को छुड़ा नहीं सकता था
“गला अरे हमहू तुम्हरी सांसे खींच लेंगे ,
साले गुड्डू भैया के हमशकल। तुमको का लगा तुमहू गुड्डू भैया के जइसन कपडे पहिने हो ओह्ह के जैसे बाल चिलवाय ल्यो तो हमहू तुमको पहचानेंगे नाहे ? अरे चील की नजर है हमायी , एक आँख से देखकर बता देते है लौंडे ने शर्ट के अंदर बनियान पहनी है कि नाही”,गोलू ने हवा में फेंकते हुए कहा
“हमको नाही पता था गोलू तुमहू जे शौक भी रखते हो”,गुड्डू ने गुस्से से दाँत पीसते हुए कहा
अब गोलू के हिसाब से ये बेइज्जती उसके गुड्डू भैया ने की होती तो गोलू बर्दास्त कर लेता पर गुड्डू का हमशक्ल उसे ऐसी बात कहे और गोलू चुपचाप सुन ले ये भला कैसे हो सकता है ? गुड्डू की पीठ पर बैठे बैठे गोलू ने गुड्डू के गालों पर दो तीन चाँटे लगा दिए और फिर टकले पर मारकर कहा,”बाप से होशियारी करोगे , है इत्ते बड़े हो गए तुमहू , अरे गोलू गुप्ता नाम है हमाओ कानपूर के गुंडे काँपते है हमाये नाम से , साला हमसे मसखरी करोगे तुमहू”
“अबे का फूंक के आये हो तुमहू सुबह सुबह , अरे हमायी बात का विश्वास करो हमहू गुड्डू है यार गोलू छोडो हमको,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
गुड्डू गोलू से खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रहा था कि तभी भुआ हाथ में जूट का एक हाथ जितना लंबा धागा लेकर आयी और मासूमियत से कहा,”गोलू रस्सी तो नाही मिली जे चल जाही है ?”
गोलू ने भुआ के हाथो में जूट का धागा देखा और गुस्से से कहा,”इह का हमहू का करे ? हमहू का हिया गुड्डू भैया का आई ब्रो बनाने बैठे है , अरे बड़ी रस्सी लेकर आओ बड़ी अपने जैसी,,,,,,,,,,!”
“बड़ी रस्सी तो कहा मिली है ?”,भुआ ने मायूसी से कहा
“एक ठो काम करो हिया आओ जे दुष्ट आदमी को सम्हालो हमहू लेकर आते है,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
भुआ ने गोलू की बात सुनी और गुड्डू पर आ बैठी , अब भुआ जैसी भारी भरकम औरत किसी पर बैठे तो आप समझ ही सकते है क्या होगा ? गुड्डू का भी बचा खुचा दम निकल गया अब तो उसने छूटने की कोशिश करनी भी बंद कर दी
गोलू यहाँ वहा रस्सी के लिए भाग रहा था लेकिन उसे कही रस्सी नहीं मिली तभी उसके कानो में केशव पंडित की आवाज पड़ी,”हर हर महादेव ! मिश्रा जी घर पर है का ?”
गोलू पलटा वह केशव पंडित के सामने आया और एकदम से उनके पैरो में गिर गया और कहा,”हर हर महादेव पंडित जी , आशीर्वाद देओ”
केशव पंडित को तो हार्ट अटैक आते आते बचा गोलू और उनके पैर छू रहा है जैसे ही उन्होंने आशीर्वाद देने के लिए अपने दोनों हाथो को उठाया गोलू की नजर उनके पाजामे के नाड़े पर गयी और रस्सी का ख्याल आते ही गोलू ने उसे खींचा और भुआ की तरफ चला आया।
“अरे गोलू जे तो बता दो मिश्रा जी कहा है ? इधर से गुजर रहे थे सोचा जाते जाते सम्हाल ले ओह्ह का,,,,,,,,!!”,केशव पंडित ने अंदर आते हुए कहा
गोलू ने नाड़े को गुड्डू के दोनों हाथो पर लपेटा और कहा,”मिश्रा जी बाद में सम्हालना पहिले अपना पजामा तो सम्हाल लयो,,,,,,,,,,,,,,राम राम राम सुबह सुबह का का देखना पड़ रहा है,,,,,,,,,,उह्ह भी जे नीली धारी वाला कच्छा”
गोलू की बात सुनकर केशव पंडित ने देखा तो पाया की उनका पजामा उनकी कमर पर नहीं बल्कि उनके पैरों में था और वे चिल्लाये,”गोलू उउउउउउउ”
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संजना किरोड़ीवाल


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