Manmarjiyan Season 3 – 50

Manmarjiyan Season 3 – 50

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

लवली गुड्डू जैसा बनकर मिश्रा जी के घर में एंट्री ले चुका था और घर में इस बात की किसी को भनक तक नहीं लगी थी। लवली ने भी मौका देखकर गुड्डू के घर में एंट्री मारी इस वक्त मिश्रा जी और मिश्राइन दोनों ही घर में नही थे ऐसे में इस घर में गुड्डू की जगह लेना आसान था। गुड्डू अकेला अपने कमरे में गया था ये देखकर लवली भी उसके पीछे कमरे में आया।


“गोलू देखो फिर से तुमहू कोनो बकवास करने आये हो तो चले जाओ हिया से , तुम लोगन को हमायी बात पर विश्वास नाही है अब हमहू सारी बात पिताजी से ही करेंगे”,गुड्डू ने कहा उसकी पीठ लवली की तरफ थी और वह लवली को गोलू समझ रहा था।

गोलू का कोई जवाब ना पाकर गुड्डू पलटा और जैसे ही उसने लवली को देखा हैरानी से उसकी आँखे फ़ैल गयी। वह लवली के सामने आया और उसे गौर से देखने लगा। वही आँखे , वही चेहरा , वही होंठ , वह कद-काठी , वही बॉडी सब गुड्डू जैसा ही था। गुड्डू ने अपने जैसे आदमी को देखा तो उसका दिल धड़कने लगा , इसका मतलब अब तक उसके साथ जो घट रहा था वो झूठ नहीं था बल्कि सच था।
“तुम तो बिल्कुल हमाये जैसे हो”,गुड्डू ने लवली को देखकर कहा


लवली ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुराया ये देखकर गुड्डू और परेशान हो गया और कहा,”पर तुमहू हो कौन और हिया काहे आये हो ?”
“तुम्हायी बर्बादी,,,,,,,,लवली यादव”,लवली ने कहा  
गुड्डू ने सुना तो कुछ समझा नहीं वह जैसे ही कमरे से बाहर जाने को हुआ लवली ने हाथ में पकड़ा रूमाल गुड्डू के नाक पर रख दिया और गुड्डू बेहोश होकर नीचे गिर गया।
लवली ने पैर से हिलाकर गुड्डू को देखा वह अचेत हो चुका था।

लवली ने नीचे गिरे गुड्डू को देखा और नफरत भरे स्वर में कहा,”गुड्डू मिश्रा आज से तुमहू हमारी जिंदगी जिओगे और हम तुम्हारी,,,,,,,,अहा ! वो का कहते हो तुम हाँ हमायी ,, आज के बाद तुम्हारे साथ साथ जो कुछ भी होगा उसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं है , गलती है उस आनंद मिश्रा जी की जिसने तुम्हे महलो में रखा और हमे दर दर की ठोकरे खाने पर मजबूर किया,,,,,,ओह के किये पाप का भुगतान अब तुम करोगे,,,,,,,!!”


लवली गुड्डू को वहा से ले जा पाता इस से पहले उसके कानो में गोलू और शगुन की आवाज पड़ी जो कि कमरे की तरफ ही आ रहे थे। लवली ने जल्दी जल्दी गुड्डू को खींचकर बिस्तर के साइड में उलटा पटका और बिस्तर पर पड़ी बेडशीट उस पर डाल दी जिस से कोई उस पर शक ना करे। शगुन और गोलू से बचने के लिए लवली खुद कबर्ड खोलकर उसमे कपडे इधर उधर करने लगा।

“गुड्डू भैया आपकी बात हमका समझ आ गयी है,,,,,,,आप सही कह रहे थे गोलू के ठेले पे और भुआ के सामने आप नाही आपका कोनो हमशकल आवा रहा और इहलीये  गलतफहमी हुई रही,,,,,,,,गुड्डू भैया , अरे सुन रहे है कि नाही”,गोलू ने कमरे में आते हुए कहा
“हाँ गुड्डू जी गोलू जी ने मुझे सब बता दिया , अब समझ आया पापाजी फूफाजी की बदतमीजियां इतनी बर्दास्त क्यों कर रहे थे ? जरूर फूफाजी आपके हमशक्ल को जानते है,,,,,,,,!!”,शगुन ने भी गोलू के साथ कमरे में आकर कहा


दोनों को कमरे में देखकर लवली पलटा और कहा,”हमशक्ल”
“हाँ हमशक्ल , और उसको छोड़िये आप जे बताईये अभी थोड़ी देर पहिले हमहू आपको छोड़कर गए रहय तब आपने दूसरा शर्ट पहिना था , अब दूसरा पहिन लिया,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा और फिर एकदम से अपनी आँखों को छोटा कर जेम्स बांड का फूफा बनने की कोशिश करके गुड्डू के पास आकर कहा,”कही आप ही तो नाही है उह हमशक्ल ?”


लवली ने सुना तो उसका दिल धड़क उठा लेकिन उसने अपना डर चेहरे पर आने नहीं दिया। इस घर में आने से पहले उसने गुड्डू के बारे में सारी जानकारी हासिल कर ली थी।

गोलू को अपने सामने देखकर लवली ने गोलू को थप्पड़ मारा और बिल्कुल गुड्डू के अंदाज में कहा,”जे का बकवास है बे ? हमहू खुद के हमशक्ल कैसे हो सकते है ?”
लवली से थप्पड़ खाकर गोलू का शक हवा हो गया और उनसे शगुन को देखकर झेंपते हुए कहा,”हे हे हे हे अपने वाले गुड्डू भैया ही है”
शगुन एकटक लवली को देखे जा रही थी ये देखकर लवली असहज हो गया और कहा,”ऐसे का देख रही हो ?”
शगुन की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”नहीं कुछ नहीं,,,,,,,आप परेशान तो नहीं है ना ?”,शगुन ने पूछा


“हमहू काहे परेशान होंगे कल पिताजी आ जायेंगे तब सारी बाते उन्ही से पूछते है,,,,,,,,,,जे मेटर तो अब वही सुलझाही है”,लवली ने कहा
“सही कह रहे है गुड्डू भैया , जे सब मिश्रा जी से ही सुरु हुआ है पहिले उन्ही को धरते है,,,,,,!”,कहते हुए गोलू जैसे ही बिस्तर के बगल में आया नीचे पड़ी गुड्डू की बॉडी में उसका पैर उलझा , गोलू वह गिरते गिरते बचा और कहा,”जे कौन ससुर का साला बीच मा पड़ा है ?”


लवली ने देखा तो घबरा गया कही गोलू और शगुन बेहोश गुड्डू को देख ना ले , उसने जल्दी से कहा,”अरे जे कमल है , बेचारा दिनभर हमाये साथ काम मा लगा हुआ था तो थककर यही सो गवा”
“अरे उह्ह तो ठीक है गुड्डू भैया पर जे धरती पर काहे पड़ा है ? ऊपर सो जाता आराम से,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा और एक लात लवली को मार दी। लात गुड्डू को पड़ी लेकिन आह निकली लवली के मुँह से ,

शगुन और गोलू ने सुना तो हैरानी से लवली की तरफ देखा और लवली ने तुरंत अपने सर को हाथ लगाकर फिर से आह भरकर कहा,”आह ! हमाये सर में ना बहुते तेज दर्द है , शगुन तुमहू नीचे कोमल के साथ सोइ जाओ हमहू हिया सो जाते है,,,,,,,,,!!”
“सर में दर्द है , पहले क्यों नहीं बताया ? रुकिए मैं बाम लगा देती हूँ,,,,,,!!”,कहते हुए शगुन ड्रेसिंग की तरफ आयी और बाम की डिब्बी लेकर लवली के पास चली आयी।

शगुन ने जैसे ही गुड्डू समझकर लवली का माथा छूना चाहा लवली पीछे हटा और कहा,”अरे तुमहू रहन दयो ना हमहू खुद से लगा लेंगे , तुमहू नीचे जाकर आराम करो,,,,,रात बहुत हो गयी है”
शगुन को अजीब लगा आज से पहले तो गुड्डू ने उसे इस तरह मना नहीं किया फिर आज इस तरह अचानक , शगुन ने बाम गुड्डू को दी और वहा से चली गयी।
गोलू को वही खड़े देखकर लवली ने कहा,”तुम भी जाओ,,,,,!!”


“हम काहे जाए ? हमहू हिया सोये है आपके साथ”,गोलू ने कहा
“तुम यहाँ सोओगे तो कमल कहा सोयेगा ? जे बिस्तर पर दो लोगन की जगह है और फिर पिताजी तुमको जे घर मा एक जिम्मेदार इंसान समझकर छोड़ के गए है , नीचे किसी को परवाह नहीं घर में सब सो रहे है तो नीचे भी तो कोनो “जिम्मेदार” आदमी होना चाहिए ना घर देखने के लिए,,,,,,,,,,हमहू चले जाते पर साला जे सरदर्द ?”,लवली ने अपना सर दबाते हुए कहा


गोलू तो गुड्डू के मुंह से अपने लिए “जिम्मेदार” शब्द सुनकर ही फ़ैल गया और कहा,”अरे हम है न गुड्डू भैया नीचे हम चले जाते है , आप हिया आराम से सोईये”
गोलू ने कहा और जाने के लिए बढ़ गया। लवली ने राहत की साँस ली कि दो कदम चलकर गोलू एकदम से पलटा और लवली के पास आकर दबी आवाज कहा  ,”और उह्ह्ह आपका हमशकल अगर आपको कही भी दिखे ना तो बस गुद्दी पकड़ के धर लेना ओह्ह का ओह्ह के बाद हमहू देख लेही है”


लवली ने गोलू को ऊपर से नीचे तक देखा , गोलू गुड्डू का आधा भी नहीं था लेकिन उसकी बाते बहुत बड़ी थी। गुड्डू ने हामी में गर्दन हिला दी तो गोलू वहा से चला गया लेकिन लवली मुस्कुरा उठा क्योकि गोलू जैसे नमूने से वह भी पहली बार ही मिल रहा था।

शगुन पहले ही नीचे आकर वेदी के कमरे में कोमल और चाची के साथ सोने जा चुकी थी। गोलू आया तो हॉल में पड़े मिश्रा जी के तख्ते पर चला आया अब ऐसे किसी के कमरे में जाकर तो भला कैसे सो जाता ? गोलू तख्ते पर आकर बैठा और कहा,”आज गुड्डू भैया ने हमे जिम्मेदार कहा , कितना अच्छा लग सुन के ,, आज से पहिले गुड्डू भैया ने हमे रंगबाज , बंडलबाज , भंड , चंट , चालू , रायतेबाज कहा पर आज पहली बार उह हमका जिम्मेदार कहे साला दिल ही गुदगुदा गया।

गुड्डू भैया कित्ता पियार करते है हमसे , कित्ता मानते है हमको , और एक हुआ घर मा गज्जू गुप्ता है जो हमको कुछो समझता ही नाही ,, उलटा जब देखो तब हम पर हाथ साफ़ करते रहते है इत्ता हाथ अम्मा के बर्तनो पर मारे होते ना तो चमक जाते बर्तन,,,,,,,,,पर कुछ भी कहो थोड़ा पियार तो गज्जू गुप्ता भी हमका करते ही है तबही तो अम्मा के मना करने के बाद हमाये लिए रोटियां बनाये और बाद मा बेचारे रसोई भी साफ किये,,,,,,,,एक काम करेंगे कल जाकर पिताजी से माफ़ी मांग लेंगे,,,,,,,!!”


गोलू फ्लो फ्लो में सब बोलता चला गया वह भूल गया कि गुड्डू के घर आने से पहले वह अपने घर पर यादव नाम का रायता फैलाकर आया। गोलू ने खुश होकर जैसे ही अंगड़ाई ली उसकी नजर आँगन में घूमते कमल पर पड़ी जो कि पानी लेने आया था। उसे देखकर गोलू की आँखे फटी की फटी रह गयी क्योकि कुछ देर पहले ही वह कमल को गुड्डू के कमरे में छोड़कर आया था फिर कमल यहाँ कैसे आया ?

गोलू ने जल्दी जल्दी अपनी आँखे मसली और दोबारा आँगन की तरफ देखा तो वहा कोई नहीं था ये देखकर गोलू और परेशान हो गया और बड़बड़ाया,”गुड्डू भैया के साथ साथ कमल का भी हमशक्ल है का ? मतलब बड़ी निरमा साबुन के साथ छोटी टिकिया मुफ्त”

गोलू बड़बड़ा ही रहा था कि तभी उसकी नजर सामने हॉल में लगी अम्मा की फोटो पर पड़ी जो रौशनी कम होने की वजह से अजीब डरावनी लग रही थी। गोलू आँखे फाडे उसे देख ही रहा था कि तभी गली के कुत्ते के भोंकने की आवाज उसके कानो में पड़ी और गोलू डरकर उछला। उसने अपना कलेजा पकड़ लिया और तख्ते पर बिछी बेडशीट को निकाला और वही ओढ़कर सो गया , गोलू समझ गया कि अब अगर उसने और दिमाग चलाया तो उसे दिल से भी हाथ खोना पड़ सकता है।

गुप्ता जी का घर , कानपूर
सुबह के 6 बजे रहे थे , सोफे पर पसरे यादव जी की आँखे खुली और वे उठे और जब खुद को गुप्ता जी के घर में पाया तो थोड़ा हैरान हुए। नीचे जमीन पर एकसाढ़े पांच फुट की बॉडी उस पर सफ़ेद चद्दर ये देखकर तो यादव की सांसे ही अटक गयी। उसे गुप्ता जी का डिब्बा फेंकना तो याद नहीं आया लेकिन उस से पहले जब वह गुप्ता जी को पैसे देने आया था वो बातें कुछ कुछ याद थी। उसने चद्दर से ढकी बॉडी देखी और बड़बड़ाया,”हमहू गुप्ता जी को गुप्ताइन का पेटीकोट पहिने देख लिए , कही गुप्ता जी शर्म के मारे चल तो नाही बसे ?

ऐसा हुआ तो साला कही हमहू ना फंस जाए,,,,,,,,कोई हमको हिया देखे ओह्ह से पहिले हिया से  निकल जाते है”
यादव उठा और इधर उधर देखा घर में सुबह सुबह उसे कोई दिखाई नहीं दिया , उसने निकलने में ही भलाई समझी और वहा से निकल गया। जैसे ही यादव गुप्ता जी के घर से निकला। सुबह सुबह उनके घर के सामने से गुजरते मोहन ने कहा,”का यादव जी इत्ता बड़ा काण्ड करके अब मुंह छुपाय के निकल रहे हो ?”


“का अखबार मा छप गवा का ?”,यादव बड़बड़ाया और कहा,”तुमहू अपना काम काहे नाही करते ? और हमहू काण्ड करे चाहे कर्म तुमको का मतलब है बे ?”
मोहन ने यादव जी को चिढ़ा हुआ देखा तो चुपचाप आगे बढ़ गए , यादव ने राहत की साँस ली और अपने घर चले गए  

गोलू मस्त आराम से सो रहा था तभी उसका फोन बजा गोलू ने नींद में फोन उठाया और कहा,”कौन है बे ?”
“गोलू हम बोल रहे है पिंकी , तुरंत घर पहुंचो,,,,,,,,माजी बहुत रो रही है और पिताजी भी घर में नहीं है और आँगन में ना जाने किसकी लाश पड़ी है , हमे तो बहुत डर लग रहा है गोलू जल्दी आओ”,पिंकी ने कहा
एक झटके में गोलू की नींद खुल गयी वह सीधा उठ खड़ा हुआ , एकदम से बीती रात वाली बात उसे याद आ गयी। गुप्ता जी ने कैसे उसे डिब्बा फेंककर मारा और वह यादव को लगा और यादव ढेर , गोलू ने अपने ललाट पर मारा।

उसने जल्दी से अपने चप्पल पहने और जैसे ही जाने को हुआ शगुन ने कहा,”अरे गोलू जी मैं आपके लिए चाय लेकर आयी थी,,,,,,,,!!”
“चाय आप गुड्डू भैया को पिलाइये भाभी हमहू घर नाही ना पहुंचे तो जिंदगीभर यादव जी का दूध पीना पड़ी है हमका”,कहकर गोलू भाग गया।

गोलू गिरते पड़ते घर पहुंचा और आँगन में पड़ी लाश को देखा भी नहीं और सीधा गुप्ताइन की तरफ भागा लेकिन गोलू का पैर फिसला और वह दण्डवत जाकर गिरा गुप्ताइन के सामने , गोलू ने सर उठाकर देखा तो गुप्ताइन ने उसे चाँटा मारकर कहा,”कहा मर गए थे तुमहू ? तुम्हरे पीछे जे घर मा का का हो रहा है कुछो खबर भी है तुमका ? अरे हमको का दंडवत प्रणाम कर रहे हो , करना है अपने पिताजी को करो जोन इत्ता बड़ा सदमा देही है हमका,,,,,,,,,हाय जे का किये रहय गोलू के पिताजी , अरे हमरे पियार मा का कमी रह गयी थी ?”


गुप्ताइन छाती पीटने लगी , बेचारी पिंकी को भी समझ नहीं आया कि हो क्या रहा है वह तो बस गुप्ताइन को हिम्मत बंधाने की कोशिश कर रही थी।
गोलू उठा और कहा,”अरे अम्मा लेकिन हुआ का इह तो बताओ ? जे गला फाड् फाड़ के काहे रो रही हो कुछो बात है का ?”
“अरे हमसे का पूछते हो पूछो अपने बाप से,,,,,,,,!!”,गुप्ताइन ने कहा और फिर सुबकने लगी


“अरे अम्मा हमहू समझाते है पिताजी की जे सब मा कोनो गलती नाही है”,गोलू ने डिब्बे वाली बात याद करके कहा
“अच्छा जियादा सरपंच ना बनो गोलुआ , रंगे हाथ पकडे है तुम्हाये पिताजी को कल रात ,,अरे हमको का पता था जे उम्र मा उह्ह्ह हमका छोड़ के,,,,,,,,,,हाय हमायी किस्मत”,गुप्ताइन ने कहा और फिर रोने लगी
गोलू बेचारा हैरान परेशान सा पलटा और आँगन में आते हुए बड़बड़ाया,”ऐसा तो का कर दिए पिताजी ?”

“ए गोलू हमाओ फोन धरो होगो सोफे पे उह देइ दयो ज़रा,,,,,,!!”,सामने खड़े यादव ने कहा तो गोलू ने यादव को देखा और उसे धक्का लगा। उसने चद्दर से ढकी लाश देखी और फिर यादव को देखकर कहा,”तुमहू ज़िंदा हो तो जे कौन है ? कही पिताजी तो नाही सुलट गए ? ए अम्मा”

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संजना किरोड़ीवाल 

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गोलू मस्त आराम से सो रहा था तभी उसका फोन बजा गोलू ने नींद में फोन उठाया और कहा,”कौन है बे ?”
“गोलू हम बोल रहे है पिंकी , तुरंत घर पहुंचो,,,,,,,,माजी बहुत रो रही है और पिताजी भी घर में नहीं है और आँगन में ना जाने किसकी लाश पड़ी है , हमे तो बहुत डर लग रहा है गोलू जल्दी आओ”,पिंकी ने कहा
एक झटके में गोलू की नींद खुल गयी वह सीधा उठ खड़ा हुआ , एकदम से बीती रात वाली बात उसे याद आ गयी। गुप्ता जी ने कैसे उसे डिब्बा फेंककर मारा और वह यादव को लगा और यादव ढेर , गोलू ने अपने ललाट पर मारा।

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