Manmarjiyan Season 3 – 48

Manmarjiyan Season 3 – 48

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गुप्ता जी और पिंकी एक दूसरे के सामने खड़े थे दोनों अवाक एक दूसरे को देखे जा रहे थे।
“का बिटिया तुमहू चिल्लाई काहे ?”,गुप्ता जी ने डरते डरते पूछा
“आप क्यों चिल्लाये ?”,पिंकी ने भी घबराये हुए स्वर में पूछा
“अरे तुमहू अचानक से हमाये सामने आयी तो हमायी चीख निकल गयी पर तुम काहे चिल्लाई और इत्ती रात मा आँगन मा का कर रही हो ?”,गुप्ता जी ने पूछा


“हम तो पानी लेने आये थे पिताजी पर ये यादव अंकल यहाँ क्या कर रहे है हमे ऐसे क्यों देख रहे है ?”,पिंकी ने यादव जी की तरफ देखकर घबराहटभरे स्वर में कहा।
पिंकी के कहने पर गुप्ता जी ने यादव को देखा तो पाया कि उसकी गर्दन उनकी तरफ ही है और किसी भी देखने वाले को लगेगा कि यादव जी उधर ही देख रहे है। कही पिंकी को सच पता ना चल जाए सोचकर गुप्ता जी ने यादव जी की तरफ आते हुए कहा,”ए यादव ! जे का हमायी बहू को ऐसे काहे ताड़ रहे हो बे ? गर्दन घुमाओ देख रहे हो उह्ह डर रही है,,,,,,,,,!!”


अब बेचारा यादव होश में हो तो गर्दन घुमाये ना। पिंकी ने देखा गुप्ता जी के कहने पर भी यादव जी ने अपनी गर्दन नहीं घुमाई और पिंकी को वैसे ही देखते है रहे   तो उसने कहा,”कैसे बेशर्म इंसान है पिताजी , आपके कहने के बाद भी देखे जा रहे है”
पिंकी की बात सुनकर यादव के सामने खड़े गुप्ता जी ने यादव का मुंह घुमाया और दबी आवाज में कहा,”अबे का कर रहे हो यादववा ? तुम्हायी जे हरकत से हमाओ भांडा फूट जाही है , सीधे बैठे रहो”
 गुप्ता जी ने पिंकी की तरफ देखा और मुस्कुराकर कहा,”तुमहू जाओ बिटिया पानी लेइ ल्यो”

पिंकी किचन में आयी और पानी से भरा जग लेकर बाहर चली आयी , बाहर आते हुए उसकी नजर फिर यादव पर चली गयी और इस बार भी उसकी गर्दन किचन  की तरफ लुढ़की हुई थी। पिंकी ने देखा तो चिढ़कर कहा,”पिताजी ! कैसे बेशर्म है ये आपने मना किया और ये फिर भी,,,,,,,,छी कैसे कैसे पडोसी है ?”
गुप्ता जी ने फिर यादव की गर्दन को सीधा किया और वह लुढ़क गयी , उन्होंने झेंपते हुए फिर किया और फिर लुढ़क गयी ,

अब तो गुप्ता जी कीलस पड़े उनके लिए यादव को ठिकाने लगाने भी ज्यादा जरुरी हो गया उनकी गर्दन को सही करना , गुप्ता जी उनकी गर्दन सही करते और वह फिर लुढ़क जाती।  पिंकी ने देखा तो वह उनके पास आयी और कहा,”पिताजी एक मिनिट”
गुप्ता जी साइड हुए तो पिंकी ने बेचारे यादव जी के गाल पर एक थप्पड़ मारा और गर्दन एकदम सीधी और अब यादव जी सामने देख रहे थे। गुप्ता जी ने देखा इस बार यादव की गर्दन नहीं लुढ़की वे खुश

पिंकी जाने के लिए मुड़ गयी दो कदम चली और पलटकर हाथ में पकडे जग का पानी यादव जी के मुंह पर फेंककर कहा,”बेशर्म कही के,,,,,,,,,,,!!”
 यादव की गर्दन अब सामने झुक गयी , बेचारे गुप्ता जी हक्के बक्के से पिंकी को देखते ही रह गए और बड़बड़ाये,”का तूफ़ान से किये रहा गोलुआ भी , साला  लाश को थप्पड़ मार दिया और तो और बेशर्म भी बोलकर गयी है,,,,,,,,,,,,!!”


कहते हुए गुप्ता जी जैसे ही यादव की तरफ पलटे डर के मारे उनकी दबी सी चीख निकल गयी और उनका हाथ अपने सीने के बांयी ओर चला गया। यादव का सर झुका था और उसके बालों से पानी चुकर नीचे गिर रहा था। गुप्ता जी ने उसके बाल पकड़कर उसका सर ऊपर किया और पीछे लगाकर कहा,”साला हमको हार्ट अटैक देकर मानोगे तुमहू,,,,,,,का अपने साथ ऊपर बुलाने का सोच लिए हो का ?

गुप्ता जी ने देखा पिंकी का फेंका हुआ पानी फर्श पर फ़ैल गया है तो बेचारे को गुप्ताइन की सर पर मारी गयी थाली याद आ गयी। वे पोछा और बाल्टी लेकर आये और फर्श का पानी साफ करने लगे। यादव मरा ना नहीं था , एक डिब्बे की मार से भला कोई मरता है क्या ? हाँ वह बेहोश जरूर था इसलिए उसे होश नहीं था कि उसकी गर्दन कहा जा रही है और वह खुद कहा जा रहा है। गुप्ता जी ने पोछे से पानी समेटा और बाल्टी में निचोड़ दिया।


फर्श पर पोछा घुमाते हुए गुप्ता जी बड़बड़ाये,”साला एक तो जे गोलुआ भी ऐसे बख्त मा हमको अकेला छोड़ के उह गुड्डूआ के हिया चला गवा , जैसे पाल पोसकर गुडडुआ बड़ा किये रहय ओह्ह का,,,,,,,,!!”
जैसे ही सब साफ हुआ गुप्ता जी ने चैन की साँस ली लेकिन अब तक आपने सिर्फ गोलू की किस्मत देखी थी और कहा कि उसकी किस्मत खराब है , पर गुप्ता जी की किस्मत उस से भी ज्यादा ख़राब थी।


पोछा हाथ में पकडे गुप्ता जी जैसे ही उठे यादव सोफे पर पसरा और पैर जा लगा सीधा बाल्टी पर और बाल्टी में भरा पानी एक बार फिर फर्श पर और उसकी एक धार बनते हुए सीढ़ियों की तरफ बह गयी। गुप्ता जी ने पहले अपनी किस्मत को कोसा और फिर पोछा यादव के मुंह पर मारकर वहा से चले गए

गुप्ता जी अंदर गए थे एक चद्दर लाने ताकि अभी के लिए यादव को ढक दे और सुबह सबसे कह देंगे कि दारु पीकर आये रहय रात में पता नहीं का हो गवा ?
गुप्ता जी बेचारे चद्दर ढूंढ रहे थे कि खटपट से गुप्ताइन की नींद खुल गयी और उन्होंने कहा,”इत्ती रात मा का खटर पटर कर रहे हो गोलुआ के पिताजी , आकर सो जाओ ना हमायी बगल मा”


गुप्ता जी ने सुना तो हैरानी से पलटे और बड़बड़ाये,”साला कैसी औरत है अभी बहू इत्ता जोर से चिल्लाई तो जे की आँख तक ना खुली और हमाये जरा से खटर पटर से जे की नींद खुल गयी”
“अरे का बड़बड़ा रहे है ? सो जाईये ना और जे लाइट बंद कीजिये हमका नींद नाही आती रोशनी मा”,गुप्ताइन ने करवट बदलकर कहा और खर्राटे भरने लगी
गुप्ता जी को चादर मिल चुकी थी उन्होंने ली , लाइट बंद की और कमरे से बाहर आ गए।

गुप्ता जी आँगन की तरफ आये और जैसे ही नजर घर की सीढ़ियों की तरफ गयी पलट गए और वापस जाने लगे लेकिन बेचारे की किस्मत खम्बे से टकरा गए।
“अरे सुनिए गुप्ता जी , उह्ह बिटिया के पापा आये रहय का हिया ? हमसे कहकर गए थे कि आपके हिया दूध का हिसाब करने जा रहे है , अभी तक घर नाही लौटे,,,,,,आपको कोनो खबर है का ?”,सामने सीढ़ियों पर खड़ी यादव जी की घरवाली ने कहा


गुप्ता जी को काटो तो खून नहीं , उनका तो गला ही सुख गया वे पलटे और जब यादव की पत्नी को अंदर आते देखा तो उनकी तरफ आकर कहा,”यादव जी तो हिया आये ही नाही”

“अच्छा , फिर उह्ह पीछे वाले शुक्ला जी के घर होंगे , आजकल ओह्ह के घर उठना बैठना जियादा होने लगा है। माफ़ करना गुप्ता जी इत्ती रात मा आपको परेशान किया , हमहू चलते है ,, शुभ रात्रि”,यादव की पत्नी ने कहा और जैसे ही जाने लगी उसकी नजर सोफे पर पसरे आदमी पर गयी। उन्होंने देखा देखने में तो वह यादव जी जैसा ही लग रहा था लेकिन मुँह पर कपड़ा पडा था तो ठीक से समझ नहीं आया। उन्होंने गुप्ता जी की तरफ देखा और कहा,”जे सोफे पर कौन पसरा पड़ा है ?”


ऐसे मोके पर गुप्ता जी और गोलू का दिमाग एक जैसा ही चलता है और जैसे गोलू मुसीबत से बचने के लिए कुछ भी बोल दिया करता था गुप्ता जी ने भी वही किया और कहा,”जे , जे तो गोलू है”
“हाँ पर ऐसे बाहिर काहे पड़ा है ? देखकर लग रहा है जैसे तबियत भी ठीक नाही है”,यादव की पत्नी ने पूछा
गोलू का नाम लेकर गुप्ता जी और ज्यादा फंस गए उस वक्त उनके दिमाग में जो आया वे बोलते गए और कहा,”अब आप से का छुपाये , थोड़ी सी पीकर आया है ,, बहू और गोलुआ की अम्मा को पता चले तो अच्छा नही न लगता है इहलीये हमहू जे से कहे रहे कि हिया सोइ जाओ”


यादव की पत्नी ने एक नजर सोफे पर पसरे आदमी को देखा और कहा,”उह्ह तो ठीक है पर जे के मुंह पे कपड़ा काहे डाले हो ? उठ भी इत्ता गन्दा”
“का है कि सस्ती वाली दारू पिए रहय जे की बजह से बदबू पुरे घर मा ना फ़ैल जाए सोचकर हमने , अब दारू मुंह से पिए , बदबू मुंह से आ रही तो हमने मुंह पर ही कपड़ा डाल दिया”
यादव की पत्नी ने सुना और कहा,”जे आजकल के लड़का लोगन छोटी छोटी उम्र मा जे सब कामो मा पड़ जाते है , पर गंदा कपड़ा काहे साफ चद्दर ओढ़ा देते बेचारे को”  


“आपने उह्ह कहावत तो सुनी ही होगी कि लोहा लोहे को काटता है बस जे समझ लीजिये बदबू बदबू को मारती है , अब आप जाईये वरना किसी ने इत्ती रात मा आपको हिया देखा तो सही नहीं लगेगा,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने अपना गुस्सा मन में रोककर कहा
“अरे हाँ हमहू तो भूल ही गए , जाते है,,,,,,,!!”,यादव की पत्नी ने कहा और सीढ़ियों तक आते आते पानी की धार को देखकर कहा,”जे पानी ?”


गुप्ता जी के सब्र का बांध अब टूट चुका था उन्होंने चिढ़कर कहा,”पिशाब है गोलुआ का , अब नशे मा आदमी को पता नहीं ना होता है कि कहा मूत रहे है ?”
गुप्ता जी को गुस्से में देखकर यादव की पत्नी जल्दी जल्दी वहा से चली गयी। बेचारे गुप्ता जी जैसे ही पलटे कमरे के दरवाजे पर खड़ी गुप्ताइन को देखकर उन्हें हार्ट अटैक आते आते बचा

वे कुछ कहते इस से पहले ही गुप्ताइन ने अपनी छाती पीटकर कहा,”तो जे सब हो रहा है हमायी पीठ पीछे , जे उम्र मा मोहल्ले की औरतन के साथ गुलछर्रे उड़ाते शर्म नाहीं आती ,, अरे इश्क़ लड़ाने के लिए आपको जे फुलवारी ही मिली,,,,,,,अब हमहू जे घर मा ना रही है,,,,,,,,!!”


“अरे का अंट शंट बक रही हो ? हमहू समझाते है का अपने मन से कुछ भी फैसला कर ली हो”,गुप्ता जी ने कहा लेकिन गुप्ताइन ने गुप्ता जी को कमरे से बाहर करके कहा,”हमहू कुछो फैसला ना किये , अब तो फैसला हमाये मंगल फूफा ही आकर किये रहय”
गुप्ता जी ने जैसे ही कुछ कहने के लिए मुंह खोला गुप्ताइन ने दरवाजा उनके मुंह पर दे मारा

 मिश्रा जी का घर , कानपूर
गोलू खाना खाकर बाहर आया तो गुड्डू उसे लेकर सीढ़ियों के पास आया और कहा,”गोलू हमको ना तुमसे बहुते जरुरी बात करनी है”
“हाँ बताओ का बात है”,गोलू ने भी सीरियस होकर कहा


“गोलू जे दुनिया मा ना हमाये जैसे 7 लोग होते है,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने बहुत ही गंभीरता से कहा
“अगर जे सच है ना गुड्डू भैया तो हमको तो टेंशन है कि बाकी 6 भी आप जैसे ना हो , बैल”,गोलू ने कहा
गुड्डू ने सुना तो गोलू को थप्पड़ मारा लेकिन गोलू झुक गया और गुड्डू का थप्पड़ हवा में ,

गुड्डू ने दूसरे हाथ से मारा तो गोलू फिर झुक गया और इस बार भी  थप्पड़ हवा में , गोलू बहुत खुश हुआ और अपनी आँखे मटकाई लेकिन गुड्डू तो गुड्डू है उसने दोनों हाथो से एक साथ मारा तो गोलू कन्फ्यूज हो गया और उसका मुंह दोनों हाथो के बीच में
“हमहू देख रहे है गोलू आजकल बहुते बद्तमीज हो गए हो , गुड्डू भैया से सीधा बैल , हमहू बैल दिखते है तुमको”,गुड्डू ने चिढ़ते हुए कहा


भुआ ने गुड्डू और गोलू को फिर से साथ देखा तो मन ही मन कुछ सोचा और वापस किचन में आकर दो गिलास में केसर वाला दूध लेकर आँगन की तरफ आते हुए बड़बड़ायी,”गोलुआ तो हमायी तरफ है पर जे गुडडुआ को भी हमे अपनी तरफ करना होगा”
 भुआ ख़ुशी ख़ुशी दूध लेकर जैसे ही सीढ़ियों के पास आयी ना गोलू वहा था ना गुड्डू
“जे दोनों कहा गए , शायद गुड्डू का कमरा मा गए हो,,,,,,,,,!!”,भुआ ने खुद ही अंदाजा लगाया और ऊपर चली आयी लेकिन गुड्डू और गोलू उसे वहा भी नहीं मिले।

भुआ नीचे जाने के लिए जैसे ही मुड़ी खम्बे के पास खड़े गुड्डू पर उसकी नजर पड़ी , भुआ उसके पास आयी और कहा,”का रे गुड्डू ? जे कोनो बख्त है  लुक्का-चुप्पी खेलन का , हमहू तुम्हाये और गोलुआ के लिए जे केसर वाला दूध लाये है ल्यो पकड़ो , और उह्ह गोलुआ कहा है ?”
भुआ को देखकर गुड्डू के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये लेकिन भुआ ने ध्यान नहीं दिया और ट्रे गुड्डू को देकर नीचे चली आयी

सीढिया उतरकर भुआ नीचे आयी और कमरे की तरफ जाने लगी तो सामने से चले आ रहे गुड्डू और गोलू साथ उनके बगल से बहस करते हुए निकले और  गोलू ने कहा,”अरे गुड्डू भैया हमहू मान ही नाही सकते आपसा दिखने वाला कोनो होगा , जाओ बाते ना बनाओ”
भुआ हैरानी से पलटी और कहा,”अगर गुड्डू हिया है तो हुआ ऊपर कौन है ?”

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संजना किरोड़ीवाल   

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
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Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

यादव की पत्नी ने एक नजर सोफे पर पसरे आदमी को देखा और कहा,”उह्ह तो ठीक है पर जे के मुंह पे कपड़ा काहे डाले हो ? उठ भी इत्ता गन्दा”
“का है कि सस्ती वाली दारू पिए रहय जे की बजह से बदबू पुरे घर मा ना फ़ैल जाए सोचकर हमने , अब दारू मुंह से पिए , बदबू मुंह से आ रही तो हमने मुंह पर ही कपड़ा डाल दिया”
यादव की पत्नी ने सुना और कहा,”जे आजकल के लड़का लोगन छोटी छोटी उम्र मा जे सब कामो मा पड़ जाते है , पर गंदा कपड़ा काहे साफ चद्दर ओढ़ा देते बेचारे को”  

यादव की पत्नी ने एक नजर सोफे पर पसरे आदमी को देखा और कहा,”उह्ह तो ठीक है पर जे के मुंह पे कपड़ा काहे डाले हो ? उठ भी इत्ता गन्दा”
“का है कि सस्ती वाली दारू पिए रहय जे की बजह से बदबू पुरे घर मा ना फ़ैल जाए सोचकर हमने , अब दारू मुंह से पिए , बदबू मुंह से आ रही तो हमने मुंह पर ही कपड़ा डाल दिया”
यादव की पत्नी ने सुना और कहा,”जे आजकल के लड़का लोगन छोटी छोटी उम्र मा जे सब कामो मा पड़ जाते है , पर गंदा कपड़ा काहे साफ चद्दर ओढ़ा देते बेचारे को”  

यादव की पत्नी ने एक नजर सोफे पर पसरे आदमी को देखा और कहा,”उह्ह तो ठीक है पर जे के मुंह पे कपड़ा काहे डाले हो ? उठ भी इत्ता गन्दा”
“का है कि सस्ती वाली दारू पिए रहय जे की बजह से बदबू पुरे घर मा ना फ़ैल जाए सोचकर हमने , अब दारू मुंह से पिए , बदबू मुंह से आ रही तो हमने मुंह पर ही कपड़ा डाल दिया”
यादव की पत्नी ने सुना और कहा,”जे आजकल के लड़का लोगन छोटी छोटी उम्र मा जे सब कामो मा पड़ जाते है , पर गंदा कपड़ा काहे साफ चद्दर ओढ़ा देते बेचारे को”  

यादव की पत्नी ने एक नजर सोफे पर पसरे आदमी को देखा और कहा,”उह्ह तो ठीक है पर जे के मुंह पे कपड़ा काहे डाले हो ? उठ भी इत्ता गन्दा”
“का है कि सस्ती वाली दारू पिए रहय जे की बजह से बदबू पुरे घर मा ना फ़ैल जाए सोचकर हमने , अब दारू मुंह से पिए , बदबू मुंह से आ रही तो हमने मुंह पर ही कपड़ा डाल दिया”
यादव की पत्नी ने सुना और कहा,”जे आजकल के लड़का लोगन छोटी छोटी उम्र मा जे सब कामो मा पड़ जाते है , पर गंदा कपड़ा काहे साफ चद्दर ओढ़ा देते बेचारे को”  

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