Manmarjiyan Season 3 – 47

Manmarjiyan Season 3 – 47

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गुड्डू ने गोलू को अपने घर किसी जरुरी काम से बुलाया और गोलू गुड्डू को ही बैल कह रहा था वो भी पेंट-शर्ट पहनने वाला बैल , गुड्डू ने जब सुना गोलू उसे बैल कह रहा है तो उसने चिढ़ते हुए कहा,”तुमहू का हमको बैल कह रहे हो गोलू ?”
गोलू गुड्डू को जवाब देता इस से पहले भुआ जी उन दोनों के पास आयी और कहा,”अरे काहे दोनों झगड़ रहे हो का हो गवा ?”


“आपको काहे बताये ? जब शगुन आपसे अच्छे से बात की तो ओह्ह पर बरस पड़ी आप , फिर अब काहे फट्टे मा टाँग अड़ाने आयी है ?”,गुड्डू ने गोलू का गुस्सा भुआ पर उतारकर कहा
गोलू गुड्डू पर भड़क गया और कहा,”ए गुड्डू भैया ! खबरदार जो भुआ से बदतमीजी से पेश आये , हमहू बर्दास्त नाही करेंगे। फूफा भुआ को हमाये भरोसे पर छोड़कर गए है समझे,,,,,,!!”


गुड्डू ने सुना तो हैरानी से गोलू की तरफ देखा इस बार फिर गोलू ने आँख मारी लेकिन अपना गुड्डू इतना भी बैल नहीं है , इस बार समझ गया कि गोलू बस भुआ के सामने नाटक कर रहा है इसलिए गोलू के नाटक में उसका साथ देते हुए और सीढिया चढ़कर अंदर जाते हुए कहा,”आही दयो फूफा को , तुम्हे और फूफा को साथ ही देख लेंगे इह बार”


“कहो तो फोटू बाट्सअप करी दे,,,,,!!”,गोलु ने पीछे से चिल्लाकर कहा लेकिन तब तक गुड्डू अंदर जा चुका था
भुआ के लिए गोलू अपने ही दोस्त से लड़ गया ये देखकर भुआ के चेहरे पर गोलू के लिये दया वाले भाव उभर आये वे गोलू के पास आयी और कहा,”हाय रे मेरा गोलू ! मुझ अभागिन भुआ के लिए तुमहू अपने दोस्त से भीड़ गए तुमहाओ जे अहसास कइसन उतारी है हमहू”


भुआ जो कि अक्सर गोलू की बातो में आ जाया करती थी आज गोलू पर कुछ ज्यादा ही प्यार उड़ेल रही थी और गोलू महाराज तो दो ही चीज के भूखे थे एक प्यार और दुसरा खाना , उसने लपककर भुआ के कंधो पर हाथ रखा और उसे अंदर ले जाते हुए कहा,”कैसी बात करती हो भुआ ? हमाये प्यार को तुमहू अहसान का नाम दे रही हो,,,,,,,,,,,और फिर अहसान समझ ही ली हो तो दुइ ठो गर्म चपाती खिलाय दयो , का है कि साला जे गुड्डू भैया के चक्कर में खाना छोड़कर आये थे , आये हाय का खाना बना था आज हमाये घर पर भुआ,,,,,,,,,!!”


भुआ ने गोलू की बातो पर हैरानी से उसे देखा और कहा,”हैं ?”
“और नहीं तो का , अरे चावल , दाल , आलू-गोभी की सब्जी , भिंडी भुजिया , चपाती , अचार देखकर ही भूख जाग जाए पर का करे भुआ गुड्डू भैया के लिए पियार इतना है कि तुरंत चले आये,,,,,,,,,,,और देखो तुम्हरा भी फायदा हुई गवा”,आखरी बात गोलू ने दबी आवाज में कही  
अब भुआ तो ठहरी भुआ उन्होंने ऊँची आवाज में कहा,”तुम्हाये आवे से हमाओ का फायदा है ?”


का इलेक्शन मा खड़ी हुई हो ? अरे धीरे बोलो इत्ता चिल्ला चिल्ला के दुश्मन को काहे खबर दे रही हो,,,,,,,,,स्कूल मा पढ़ी नाही कबो दीवारों के भी कान होते है”,गोलू ने भुआ पर बिगड़कर कहा
“हमहू तो कबो स्कूल की चौखट तक नाही देखे गोलू”,भुआ ने मायूसी से कहा
“तबही हमायी बातो मा आ गयी”,गोलू बड़बड़ाया
“का कहे ?”,भुआ ने पूछा
“अरे हमहू जे कह रहे कि एक ठंडी चपाती हो तो उही देइ दयो हमका ओह्ह से काम चला ली है हमहू,,,,,,,,,!!”,गोलू ने मायूस होकर कहा

“अरे गोलू ! मायूस का होते हो हमहू है न , और ठंडी चपाती काहे हमहू अभी गर्म सेंक देते है आओ हमाये साथ , आज तो हिया भी आलू गोभी ही बना है उह्ह भी सूखा वाला,,,,,,,कोमलिया बनाय रही खुद अपने हाथन से , का है कि जौनपुर मा कुकिंग क्लास का कोर्स जो की है”,भुआ ने गोलू के साथ किचन की तरफ बढ़ते हुए कहा , आलू गोभी का नाम सुनकर गोलू की भूख फिर जाग उठी और चेहरा ख़ुशी से खिल उठा।

गोलू वेदी के कमरे में यहाँ वहा चक्कर काट रहा था। हर दो चक्कर के बाद वह कमरे के दरवाजे पर जाता और बाहर देखता और परेशान सा वापस आ जाता , बिस्तर पर बैठी शगुन को ये देख देख कर चक्कर आने लगे तो उसने इस बार गुड्डू को रोककर कहा,”गुड्डू जी ! क्या हुआ है आप परेशान क्यों है ?”
“अरे हमहू उह गोलुआ को भुआ के पास छोड़कर आये थे पर उह अभी तक नहीं आया तो बस उसी को देख रहे है”,गुड्डू ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“गोलू जी इस वक्त यहाँ क्या कर रहे है ? और आप उन्हें भुआ के पास क्यों छोड़कर आये है ?”,शगुन ने उलझनभरे स्वर में पूछा


“हमहू ही बुलाये रहय…….!!”,गुड्डू ने कहा और एक बार फिर दरवाजे से बाहर झांका
“लेकिन आपने उन्हें इस वक्त क्यों बुलाया है , कोई काम था तो सुबह कह देते। उनकी भी फॅमिली है गुड्डू जी और फिर ऐसे वक्त में उन्हें पिंकी के पास रहना चाहिए उसे 6ठा महीना लग चूका है ऐसे में गोलू जी को उसके साथ ज्यादा वक्त बिताना चाहिए उसकी जरूरतों का ख्याल रखना चाहिए,,,,,,,,,,आप भी ना छोटी छोटी बातो के लिए गोलू जी को परेशान करते है”,शगुन ने गुड्डू को मीठी सी फटकार लगाकर कहा

गुड्डू ने शगुन को देखा और कहा,”अच्छा गोलू को परेशान ना करे तो फिर किसे परेशान करे ?”
“मुझे कीजिये,,,,,,,,मैं हूँ ना”,शगुन ने कहा
“का तुम भी ? हमहू देखकर आते है जे गोलू कहा रह गया ?”,गुड्डू ने कहा और कमरे से बाहर निकल गया

“इह ल्यो गोलू खाओ , तुमहू भी का याद रखे हो कि जे घर मा तुमको हमाये राज मा इत्ता बढ़िया खाना खाय का मिल रहा है”,भुआजी ने प्लेट में आलू गोभी की सब्जी और गर्मागर्म चपाती रखकर , प्लेट गोलू की तरफ बढाकर कहा
गोलू ने लपककर थाली ले ली , उसने एक निवाला तोड़ा और मुंह में रखते हुए कहा,”वाह भुआ ! तुम्हाये हाथ मा तो जादू है , हमहू दुई चपाती एक्स्ट्रा खाये है”


“हाँ गोलू दो का चार खाओ , इह दाल पकड़ो”,भुआ ने कटोरी में दाल भरकर गोलू की तरफ बढाकर कहा। गोलू ने एक हाथ में प्लेट पकड़ी थी और दूसरे से दाल की कटोरी पकड़ ली तभी गुड्डू ने किचन के दरवाजे पर खड़े गोलू के कंधे पर हाथ मारकर कहा,”गोलू भुआ का मेटर सॉल्व हुआ कि नाही ?”
गुड्डू का हाथ पड़ते ही हाथ में पकड़ी दाल प्लेट में आ गिरी और सुखी आलू गोभी अब तरी वाली आलू गोभी बन चुकी थी।

गोलू ने पलटकर खा जाने वाली नजरो से गुड्डू को देखा तो गुड्डू को गोलू के हाथ में पकड़ी खाने की प्लेट नजर आयी और कहा उसने कहा,”तुम्हाये घर मा खाना नाही बनता का ?”
“बनता है ना पर जोन हिसाब से हमहू आपसे और मिश्रा जी से जे घर मा थप्पड़ पे थप्पड़ खाय रहे है उह हिसाब से राशन भी हिया ही खाएंगे,,,,,,,,,,,,,कोनो दिक्कत है आपको ?”,गोलू ने पहले प्यार से और फिर गुस्से से कहा


“नहीं हमका दिक्कत होगी तुमहू खाओ,,,,हम बाहर बैठे है”,गुड्डू ने कहा और वहा से खिसक गया। भुआ एक और गर्म चपाती गोलू की प्लेट में रखने के लिये पलटी तो उन्होंने देखा गोलू की प्लेट में सब फैला पड़ा है तो उन्होंने कहा,”अरे गोलू जे का ?”
“कुछो नाही भुआ तुमहू रोटी दयो , आज आज तरी वाला आलू गोभी खा लेंगे”,कहकर गोलू वही खड़े खड़े जल्दी जल्दी खाने लगा , पता नहीं कब कौन आकर उस से ये भी छीन ले,,,,,,,,,,!!”

गुप्ता जी का घर , कानपूर
गोलू के चक्कर में गुप्ता का फेंका डिब्बा जाकर लगा सामने रहने वाले यादव को और वह चित्त होकर जमीन पर गिर पड़ा गुप्ता जी ने जगाने की कोशिश की पर गोलू ने तो उन्हें मरा हुआ साबित कर दिया और गुप्ता जी को इस नयी मुसीबत में फंसाकर खुद चला गया गुड्डू के घर , गुप्ता जी ने भी मुसीबत अपने सर पर ना लेकर यादव को वही छोड़ा और अंदर चले आये। रसोईघर वे साफ कर ही चुके थे इसलिए तार पर सुख रही अपनी धोती और बनियान उठाया और नहाने चले गए। नहाकर सीधा अपने कमरे में देखा बिस्तर पर लेटी गुप्ताइन मस्त खर्राटे भर रही थी।


“हमायी नींद हराम करके कैसे मजे से सो रही है गोलू की अम्मा,,,,,,,हे ईश्वर ! अगले जन्म मोहे गुप्ता जी कि मेहरारू ही कीजो”,गुप्ता जी ने हाथ जोड़कर कहा
वे बिस्तर के पास चले आये और गुप्ताइन से कुछ दूरी बनाकर बगल में लेट गए लेकिन नींद नहीं आयी। गुप्ता जी ने जो हुआ वो सब भूलकर सोने की कोशिश की और अपनी आँखे बंद कर ली।

जैसे ही गुप्ता जी ने आँखे बंद की उनकी आँखों के सामने एकदम से यादव का चेहरा आया और गुप्ता जी मन ही मन सोचते हुए खुद से कहने लगे,”हमाये एक डिब्बा मारने से ससुरा जे यादवा स्वर्ग सिधार गवा बहुते कमजोर निकला जे तो , पर ओह्ह की लास हमाये घर मा पड़ी है , सुबह तक पूरा मोहल्ला मा जे खबर आग की तरह फ़ैल जाही है और सब लोगन का लगी है कि हमने ओह्ह को,,,,,,,,,,,साला अभी दुइ दिन पहिले चाह की टपरी पर हमहू ही तो धमकी देवे रहे ओह्ह का कि दूध का हिसाब नाही किया तो देख लेंगे,,,,,,!

मोहल्ले वालो का सीधा सक जाही है हम पे , कही पुलिस बुला ली तो ओह्ह के मरने का इल्जाम भी हमाये पर , हमहू हवालात मा और ओह्ह के बाद कौन जाने  दुबारा कबो घर की शक्ल देख पाही है के नाही,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी ने आँखे खोली और एक झटके में उठ खड़े हुए , वे कमरे से बाहर आये और आँगन से बाहर निकलकर सीढ़ियों के पास आकर देखा यादव अभी भी मुँह बाए पड़ा था। गुप्ता जी यादव के पास आये और उसे मुश्किल से उसे खड़ा किया।

उसका एक हाथ अपने कंधो पर डाला और जैसे ही लेकर सीढ़ियों की तरफ बढे गली से गुजरते मोहन हलवाई ने कहा,”अरे का हो गुप्ता जी ? जे यादव को कहा लिए जा रहे है ?”
गुप्ता जी ने सुना तो मन ही मन अपनी किस्मत को कोसा और गर्दन घुमाकर कहा,”कुछो नाही ! अंदर लेकर जा रहे है”
“अरे तो अपने घर मा काहे लेकर जा रहे है ? उह्ह भी इत्ती रात मा ! जे का तो सामने रहा”,मोहन ने शकभरे स्वर में पूछा


“लूडो खेलेंगे ! का है कि नींद नाही आय रही थी तो सोचा इनको बुला लेते है,,,,,,,,,,,,अबे चौखटा मोहल्ला के सरपंच दारू पीकर भंड हो गए जे और नाली मा गिर पड़े तो वही से उठाकर लाये है,,,,,,अब जे हालात मा इनको घर छोड़कर आएंगे तो बहु बेटियों के बीच का इज्जत रह जाही है इह की,,,,!!”,गुप्ता जी ने कीलसकर कहा
“का ? जे कब से पिए लगे , हमहू तो कबो ना देखे ?”,मोहन ने हैरानी भरे स्वर में कहा
“तुमहू कबो ताजमहल देखे हो ?”,गुप्ता जी ने अपने गुस्से को काबू में रखकर पूछा


“नाही,,,,,,,,!!”,मोहन ने मासूमियत से कहा
“तो का ताजमहल दुनिया मा नाही है , अइसन तुमहू यादववा को पीते नाही देखे जे का मतलब इह नाही कि उह्ह पीता नहीं है”,गुप्ता जी ने बमुश्किल खुद को रोककर कहा
“अरे पर कैसे ?”,मोहन तो आज पूरा CID बन चुका था
अब यहाँ आकर गुप्ता जी का सब्र जवाब दे गया और उन्होंने यादव को छोड़कर को छोड़कर मोहन के पास आकर गुस्से से कहा,”दूध मा मिलाकर पीता है , तुमको कोनो तकलीफ है”


“दूध मा मिलाकर , उलटी आलटी नाही न होता ?”,मोहन ने हैरानी से पूछा  
 गुप्ता जी का दिल किया या तो अपने बाल नोच ले या सामने खड़े मोहन के , ऊपर से बेचारे यादव जी गुप्ता जी के छोड़ने की वजह से फिर औंधे मुंह गिरे धरती चाट रहे थे। गुप्ता जी मोहन को देखा और कहा,”ओह्ह का नाम है बिमल यादव उह्ह चाहे दारू दूध मा मिक्स करके पिए चाहे अपनी भैसिया के मूत मा तुमहू हमायी बत्ती काहे बनाये हुए हो ?”


“हम तो बस चिंता जताये रहे ओह्ह के लिए,,,,,,,,,!!”,मोहन ने कहा
“उह्ह का तुम्हायी बिटिया है जो ओह्ह के ब्याह की चिंता है तुमको , अरे हमाओ पडोसी है यार हमहू सम्हाल ली है तुमहू अपना लड्डू जलेबी लेकर घर को निकलो”,गुप्ता जी ने गुस्से से कहा तो मोहन अंदर झांककर नीचे गिरे यादव को देखने की कोशिश की तो गुप्ता जी और चिढ गए और मोहन की गुद्दी पकड़कर उन्हें अंदर ले जाते हुए कहा,”लयो लयो लयो एक ठो काम करो अंदर ही आ जाओ,,,,,,,,,आराम से नाश्ता पानी करके जाओ आराम से,,,,,,,,,!!”


मोहन अंदर नहीं गया और अपने कदम वापस पीछे लेकर झेंपते हुए कहा,”अरे नहीं नहीं हम तो बस , हम जाते है आप सम्हाल लेना”
“हमहू सम्हाल लेंगे तुमहू निकलो हिया से,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने मोहन को धक्का देते हुए कहा और घर का मेन गेट बंद कर दिया

मोहन को भेजकर गुप्ता जी यादव के पास आये और उसको उठाते हुए कहा,”अरे तुम का हिया धरती चूम रहे हो , इह से पहिले कोनो और तुम का देखे और तमाशा हो तुमको ठिकाने लगाना होगा”
गुप्ता जी ने यादव को उठाया और लेकर आँगन में चला आया , एक तो यादव भारी और उस पर चित्त उसे आँगन तक लाते लाते गुप्ता जी की हालत खराब हो गयी।

जैसे तैसे करके उन्होंने यादव को सोफे पर बैठाया और इधर उधर देखा टेबल पर गोलू का चश्मा पड़ा था गुप्ता जी ने उसे उठाया और यादव की आँखो  पर लगा दिया जिसे से किसी को शक ना हो। गुप्ता जी हांफ रहे थे वे पानी पीने रसोई की तरफ चले गए।

पिंकी की नींद खुली तो वह उठी उसने देखा गोलू कमरे में नहीं है। वह आँखे मसलते हुए कमरे से बाहर आयी और जैसे ही उबासी ली उसकी नजर सामने आँगन में सोफे पर बैठे यादव जी पर चली गयी। यादव जी इस वक्त तो घर नहीं आते थे , पिंकी ने अजीब नजरो से उन्हें देखा और रसोई की तरफ जाने लगी। पिंकी ने देखा यादव जी की नज़रे उसी पर है ना वे हिल रहे है न बोल रहे है बस देखे जा रहे है। चश्मे के पीछे यादव जी की आँखे बंद थी या खुली ये बेचारी पिंकी को क्या पता ?  


पिंकी ने घूरकर यादव जी को देखा और फिर रसोई की तरफ बढ़ गयी , जाते जाते उसने फिर पलटकर देखा और इस बार पिंकी का दिल धड़क उठा क्योकि यादव जी की गर्दन कंधे की तरफ लुढ़की हुई थी और ऐसा लग रहा था जैसे वे पिंकी को ही देख रहे है। गुप्ता जी बेचारे यादव को होश में लाने के लिए पानी का लोटा लेकर बाहर निकले और सामने खड़ी पिंकी से टकरा गए। दोनों ने एक दूसरे को देखा और फिर यादव को , फिर एक बार एक दूसरे को और एकदम से चिल्लाये।

पिंकी ने घूरकर यादव जी को देखा और फिर रसोई की तरफ बढ़ गयी , जाते जाते उसने फिर पलटकर देखा और इस बार पिंकी का दिल धड़क उठा क्योकि यादव जी की गर्दन कंधे की तरफ लुढ़की हुई थी और ऐसा लग रहा था जैसे वे पिंकी को ही देख रहे है। गुप्ता जी बेचारे यादव को होश में लाने के लिए पानी का लोटा लेकर बाहर निकले और सामने खड़ी पिंकी से टकरा गए। दोनों ने एक दूसरे को देखा और फिर यादव को , फिर एक बार एक दूसरे को और एकदम से चिल्लाये।

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संजना किरोड़ीवाल   

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