Manmarjiyan Season 3 – 46
Manmarjiyan Season 3 – 46

गोलू की वजह से आज गुप्ता जी भी लपेटे में आ गए। गुप्ताइन ने गोलू को तो पीटा ही साथ ही साथ गुप्ता जी के सर पर भी थाली दे मारी। गुप्ता जी गुप्ताइन को तो कुछ कह नहीं सकते थे इसलिए उनका गुस्सा उन्होंने उतारा गोलू पर और जब गोलू ने उनके बगल में आकर उनका मजाक उड़ाया गुप्ता जी ने खींचकर थप्पड़ गोलू के गाल पर रसीद कर दिया।
गुप्ता जी के थप्पड़ से गोलू लुढ़क कर दूर जा गिरा और उठकर बैठते हुए कहा,”जे सब का है पिताजी ? जब देखो तब थप्पड़ पे थप्पड़ बरसाते रहते हो अरे हमहू कौनो तबला है का के जब जी किया बजा दिया। साला हमायी भी कोनो इज्जत है कानपूर मा”
एक तो गोलू ने इतना सब रायता फैलाया और ऊपर से गुप्ता जी से जबान लड़ा रहा था उन्होंने गुस्से से गोलू को देखा और कहा,”जे घर के बाहिर 4 कुकुर , दुइ बैल , एक ठो उह बैल गुडडुआ और ओह्ह्ह का खानदान को छोड़कर कौन जानता है तुमको इह शहर मा ? जोन थोड़ी बहुत इज्जत बची है ना हमायी जे शहर मा उह भी मिटटी मा मिलाने की कसम खा लिए हो तुमहू गोलुआ,,,,,,,!!”
“हाँ जैसे आप तो कानपूर मा विधायक लगे है ना,,,,,,,मतलब हर गलती का टोकरा हमाये सर पर लाकर धर दयो,,,,,,,,,अम्मा का गुस्सा हम पे काहे निकाल रहे हो ? हिम्मत है तो जाकर ओह्ह से कहो न”,गोलू ने खीजकर कहा
“हाँ तो डरते है का हमहू तुम्हायी अम्मा से ? उह्ह तो हमायी गलती रही इहलीये चुपचाप सुन लिए वरना,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने अकड़कर कहा लेकिन गोलू को मुस्कुराते देखकर उनका दिल धड़का और उन्होंने सर उठाकर सामने देखा तो पाया कि गुप्ताइन सामने ही खड़ी गुस्से से उन्हें घूर रही है। गोलू से बहस करने चक्कर में गुप्ता जी बेचारे फिर फंस गए।
“वरना का कर लोगे ? एक तो हमायी रसोई का सत्यानाश कर देओ और ऊपर से धमका रहे हो,,,,,,,,,,,,कान खोल कर सुन लयो गोलुआ के पिताजी जोन रायता आप फैलाये हो ना ओह्ह का अब आप ही समेटोगे,,,,,,वरना आज रात न हमहू सोई है और ना आप लोगन का सोये दी है”,गुप्ताइन ने अपना फैसला सुना कर कहा
गुप्ता जी ने गोलू की तरफ देखा तो गोलू मुस्कुराया
पता नहीं क्यों पर गोलू की मुस्कराहट गुप्ता जी को चुभती हुई सी महसूस हुई लेकिन गुप्ताइन का कहा भी करना था इसलिए उन्होंने गोलू से कहा,”चलो गोलू ! हमाये साथ आओ और हमायी मदद करो”
“गोलुआ कही नहीं जायेगा,,,,!”,गुप्ताइन ने कहा
“काहे ?”,गुप्ता जी ने पलटकर पूछा
“जे सब सुरु किसने किया गोलू के पिताजी ?”,गुप्ताइन ने प्यार से पूछा
“शुरू का ? अरे हमहू तो गोलुआ के लिए रोटी सेकने गए थे वही से जे सब शुरू हुआ,,,,,,,,,,जे असुर जैसी औलाद पैदा की हो जे आटा फैलाये रहय रसोई मा तो अब हमहू अकेले काहे करे जे भी करेगा साथ मा”,गुप्ता जी ने अपनी सफाई में कहा
“जब हमहू गोलूआ को खाना देने से मना कर दिए तो फिर आपके कलेजे मा कौनसी ममता जगी जो ऐ के लिए खाना बनाय,,,,,,,,ऐसे तो दिनभर इह का खाया पीया तक निकाल लेइ हो आज पियार आ रहा इह पर,,,,,,,,,,,,हमको कोनो बहाना नाही चाहिए जोन पाहिले रसोईघर मा गवा था अब उही रसोई साफ़ करी है”,गुप्ताइन ने गुप्ता जी को घूरते हुए कहा
“अरे जे का बात हुई ? हमहू जे घर के मालिक है हमायी भी कोनो इज्जत है जे घर मा , तुमहू कुछो कहोगी और हमहू करेंगे अरे मजाक है का ?”,गुप्ता जी अकड़कर कहा
गुप्ताइन ने गुप्ता जी को कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने अपने ब्लाउज से नोकिया का छोटा वाला फोन निकाला कोई नंबर डॉयल किया और फोन कान से लगा लिया। कुछ देर खामोश रहने के बाद गुप्ताइन ने कहा,”हाँ प्रणाम मंगल फूफा ! कइसन बा ? सब खैरियत,,,,,,,,,!!”
गुप्ताइन के नाम से मंगल फूफा का नाम सुनकर गुप्ता जी के चेहरे के भाव बदल गए उन्होंने आगे बढ़कर गुप्ताइन के हाथ से फोन छीनकर काटते हुए कहा,”का पगला गयी हो का ? इत्ती सी बात मा फूफा को फोन काहे लगा दी ? हमहू करते है ना रसोई साफ,,,,,तुमहू साला गोलू की अम्मा ही ठीक हो जे गुंडी वुंडी ना बना करो,,,,,,,!!”
“घी अगर सीधी ऊँगली से निकल जाता तो हमहू चमचा इस्तेमाल काहे करते गोलू के पिताजी ? अब हमायी सुंदरता ना निहारो और रसोई साफ करो और जोन बर्तन आटे मा सने है उह्ह भी धो के सुखा दयो”,गुप्ताइन ने कहा
गुप्ताइन की बात सुनकर गोलू दबी हंसी हसने लगा , गुप्ता जी ने गोलू को देखा और गुस्से से तिलमिला कर गोलू की तरफ बढ़ के कहा,”बर्तन तो हमहू धो देइ है पर ओह्ह से पहिले इह का धोई है,,,,,,,,!!”
गोलू कुछ कहता इस से पहले गुप्ता जी ने 7-8 घुसे गोलू को मार दिए और रसोई की तरफ चले गए।
बेचारा गोलू अपनी हंसी की वजह से बेवजह ही पीट गया। रसोई में जो हादसा उसके साथ हुआ था उसके दर्द से बेचारा अभी उबरा भी नहीं था कि गुप्ता जी ने उसे यहाँ वहा दर्द और दे दिया। गोलू उठा और दर्द से कराहते हुए अंगड़ाई लेकर गुप्ताइन के पास आकर कहा,”अम्मा तुमहाओ गुस्सा ठीक है पर तुमका पिताजी पर इत्ता गुस्सा भी नाही करना था”
गोलू की बात सुनकर गुप्ताइन एक पल के लिए उदास हो गयी जैसे उन्हें अपने किये का अफ़सोस हो और अगले ही पल उन्होंने बहुत ही प्यार से गोलू से कहा,”गोलुआ,,,,,,,हिया आवा”
गोलू गुप्ताइन के सामने आया तो गुप्ताइन ने उसे प्यार से देखा और अगले ही पल एक हाथ से उसकी कोलर पकड़कर दूसरे हाथ से तड़ातड़ उसके गाल पर थप्पड़ बरसा कर कहा,”इत्ता ही पियार आ रहा है अपने पिताजी पर तो उह पोछा उठाओ और जाओ रसोई मा,,,,,,,,,,!!”
“हमहू समझ गए अम्मा,,,,,,,तुमहू सही की बहुते सही की,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा तो गुप्ताइन ने उसे छोड़ा और कहा,”भाग जाओ यहाँ से वरना वाइपर से सूत देही है,,,,,,,,,चले है हमसे जबान लड़ाने,,,,,!!”
गोलू ने वहा से भाग जाने में ही भलाई समझी , उसने तार पर सुख रहे कपडे लिए और बाथरूम की तरफ भाग गया। गुप्ताइन भी उठी और अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी और बेचारे गुप्ता जी रसोई में अकेले गोलू का फैलाया रायता समेट रहे थे।
नहा धोकर गोलू अपने कमरे में आया देखा पिंकी सो चुकी है। उसने बाल बनाये तभी उसका फोन बजा गोलू ने देखा फोन गुड्डू का है तो उसने फोन उठाया और साइड में आकर कहा,”हेलो ! हाँ गुड्डू भैया”
“का गुड्डू भैया बे गोलू ? तुमहू आधे घंटे मा आने का बोलकर गए थे ढाई घंटे हो चुके अभी तक नाही आये,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने खीजते हुए कहा
“तो हमाये बिना का खाना नाही खाते आप , या हमहू शगुन भाभी है जोन आकर अपने हाथ से खिलाएंगे,,,,,,,,अरे घर गृहस्थी वाले आदमी है टाइम लग जाता है ,, और घर मा इत्ते सारे लोग है तो सही लेकिन नाही आपको तो हमे देखकर ही चैन पड़ी है”,गोलू ने बिफरते हुए कहा
“गोलू हमको काहे लग रहा है तुमहू हमसे पिटने वाले हो ?”,गुड्डू ने कहा
“माँ कसम गुड्डू भैया आज का हमारा कोटा पूरा हो चुका , आज का आने वाले एक हफ्ते तक हमहू कुछो खाने के मूड मा नाही है”,गोलू ने आज के कांड को याद करते हुए कहा
गुड्डू ने गोलू को बहकी बहकी बाते करते देखा और कहा,”बकैती न करो गोलू और घर पहुंचो , हमे तुमसे जरुरी बात करनी है”
“आते है,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने बुरा सा मुँह बनाकर कहा और फोन काट दिया
उसने दिवार पर लगी घडी में समय देखा जो कि रात के 10:30 बजा रही थी। गोलू ने अपना फोन जेब में रखा और कमरे से बाहर निकल गया। गोलू गुप्ताइन के कमरे की तरफ आया और थोड़ा ऊँची आवाज में कहा,”अम्मा हमहू गुड्डू भैया के घर जा रहे है , आज मिश्रा जी और मिश्राइन दोनों ही बनारस गए है”
“ठीक है जाओ”,गुप्ताइन ने कमरे से जवाब दिया
गुप्ताइन के साथ साथ गुप्ता जी को भी सुन गया तो जैसे ही गोलू रसोई के सामने से निकला उन्होंने गोलू को ताना मारते हुए कहा,”गुड्डू भैया के गले मा बांधना था मंगलसूत्र पिंकिया के गले मा काहे बांध दिए ? दिन मा तो हुआ पड़े रहते ही थे अब रात मा भी जाने लगे”
गोलू घर से बाहर कही जाए और गुप्ता जी उसे टोके ऐसा भला कभी हो सकता है क्या ? गुड्डू के फोन करने से गोलू का मुंह पहले ही बना हुआ था गुप्ता जी की बात सुनकर और बन गया और उसने चिढ़ते हुए कहा,”का है पिंकिया गुड्डू भैया से जियादा सुन्दर रही इहलीये पिंकिया के गले मा बांधे रहे,,,,,,,और हमहू रात मा जाए चाहे दिन मा कम से कम उह घर मा चैन से बैठकर खा तो सकते है पर हिया तो बस खाने मा का है ? बहस , रात के खाने मा का है ? बहस , दुपहिर के खाने मा का है ? बहस”
“तुम्हायी बहस के चक्कर मा ही जे हालत हुई है हमायी,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने गोलू को घूरकर देखते हुए कहा
गोलू ने उन्हें देखा और जाते हुए अकड़कर कहा,”हाँ तो पिताजी जे बात समझ ल्यो , गोलुआ से बहस , जिंदगी तहस नहस”
इतनी मार खाने के बाद भी गोलू में कोई सुधार ना देखकर गुप्ता जी ने इधर उधर देखा और डिब्बा उठाकर गोलू की तरफ फेंका लेकिन इस बार गोलू की किस्मत ने उसका साथ दे दिया। वह कुछ सामान उठाने नीचे झुक गया तब तक डिब्बा गोलू को पार कर सामने से आते यादव जी के सर पर लगा और वे पीठ के बल नीचे जा गिरे।
गोलू भागकर उनके पास आया तब तक गुप्ता जी भी घबराये हुए से आकर खड़े हो गए। गोलू ने जल्दी से ऊँगली यादव के नाक के पास लगाकर देखा और फिर गुप्ता जी की तरफ देखकर कहा,”जे तो चल बसे”
“अरे कैसे कैसे चल बसे ? एक डिब्बे से कोनो मरता है का ?”,गुप्ता जी ने घबराये हुए स्वर में कहा
गोलू उठा और कहा,”उह्ह आप जानो हमहू तो भाग रहे है”
कहकर गोलू सच में वहा से भाग गया , गुप्ता जी इतनी रात में उसे आवाज देकर रोक भी नहीं पाए रोकते तो आस पास के लोग जाग जाते , उन्होंने यादव के चारो और चक्कर काटते हुए धीरे से कहा,”यादव , ए यादववा , यादव”
यादव नहीं उठा वह किसी लाश की तरफ पड़ा था गुप्ता जी ने उसके पैर को अपने पैर से टकराया लेकिन जब यादव नहीं हिला तो गुप्ता जी ने चारो तरफ देखा और फिर खुद भी वहा से भाग गए।
गोलू गुड्डू के घर आया तो देखा गुड्डू सीढ़ियों के पास यहाँ से वहा चक्कर काट रहा है तो वह उसके पास आया और कहा,”का एक ठो रात मा पूरी धरती नाप देओ का गुड्डू भैया”
गोलू को अपने सामने देखकर गुड्डू रुका और कहा,”अरे गोलू अच्छा हुआ तुमहू आ गए , यार जबसे अम्मा पिताजी बनारस गए है जे भुआ के रंग काहे बदल गए ? शगुन से भी कित्ती बदतमीजी से बात किये रही”
गुड्डू की बात सुनकर गोलू ने कहा,”गुड्डू भैया एक ठो बड़ा सा छुरा लेओ और हिया भोंक दयो हमायी छाती मा”
“मतलब ?”,गुड्डू ने असमझ की स्तिथि में पूछा
“अरे मतलब इत्ती सी बात के लिए आप हमे हिया बुलाय लिए,,,,,,,,,और का आप नाही जानते अपनी मोटकी भुआ को , भुआ नाही इच्छाधारी नागिन है उह्ह ,, एकदम से बहुते मीठा मीठा बोलने लगेगी और एकदम से जहर थूकेगी,,,,,,,,,, और बदतमीजी की तो शगुन भाभी से कहे होते भुआ की चुटिया पकड़ के 360 डिग्री से घुमा देती ,,
10 सेकेण्ड मा तुम्हायी भुआ धरती नापती नजर आती , अरे आज तो भुआ को बचाने के लिए फूफा भी नाही थे पर नाही गोलुआ को बुलाय लिए जैसे हमहू कोनो सपेरा है और भुआ नागिन जो हमाये बीन बजाने पर लहराते हुए हमाये पास आएगी और अपना सारा जहर थूक देगी हमाये मुंह पर,,,,,,,,आपको लगता है गुड्डू भैया हमहू आपकी आदरणीय , सुन्दर , सुशील , फूलों से भी नाजुक , कोयल सी मधुर आवाज वाली , मेनका उर्वशी की ब्यूटी भी जे के सामने फ़ैल है उह्ह अप्सरा के लिए ऐसे बुरे शब्द कहेंगे,,,,,,,,,,अरे जे से पहिले हमहू जाबन काट लेंगे अपनी ,
आग लगा देंगे अपने मुंह को अरे जलते जलते कोयला पर उलटे लेट जायेंगे पर देवी जइसन भुआ के लिए गलत नाही कहेंगे,,,,,,,,,,,,,!!”,भुआ पर गुस्सा दिखाते दिखाते गोलू एकदम से उनकी तारीफ करने लगा
तारीफ भी ऐसी जिनका कोई सर पैर नहीं। गुड्डू एक तो पहले ही परेशान था ऊपर से गोलू की बहकी बहकी बाते सुनकर कहा,”गोलू जे का बकवास कर रहे हो , हमहू तुम्हे कुछो काम से बुलाये रहे और तुमहू हमे भुआ पुराण सुना रहे हो,,,,,,,,!!”
गोलू ने दो तीन बार बांयी आँख दबाई और शब्दों को मुंह में चबाते हुए कहा दबी आवाज में कहा,”अरे भुआ , भुआ”
गोलू को आँख मारते देखकर गुड्डू और चिढ गया उसने गोलू को एक चांटा मारा और कहा,”आँख का मार रहे हो बे मेहरारू लगे है हमहू तुम्हायी ?”
चांटा खाकर तो गोलू का गुस्सा भी सातवे आसमान पर था , वह उछला और भड़क कर कहा,”पिताजी सही कहते है हमहू भी बैल जैसा दोस्त रखे है,,,,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने सुना तो गोलू को घुरा और गोलू ने कहा,”पेंट शर्ट पहिनने वाला बैल,,,,,,,,,!!”
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संजना किरोड़ीवाल


गोलू ने दो तीन बार बांयी आँख दबाई और शब्दों को मुंह में चबाते हुए कहा दबी आवाज में कहा,”अरे भुआ , भुआ”
गोलू को आँख मारते देखकर गुड्डू और चिढ गया उसने गोलू को एक चांटा मारा और कहा,”आँख का मार रहे हो बे मेहरारू लगे है हमहू तुम्हायी ?”
चांटा खाकर तो गोलू का गुस्सा भी सातवे आसमान पर था , वह उछला और भड़क कर कहा,”पिताजी सही कहते है हमहू भी बैल जैसा दोस्त रखे है,,,,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने सुना तो गोलू को घुरा और गोलू ने कहा,”पेंट शर्ट पहिनने वाला बैल,,,,,,,,,!!”
गोलू ने दो तीन बार बांयी आँख दबाई और शब्दों को मुंह में चबाते हुए कहा दबी आवाज में कहा,”अरे भुआ , भुआ”
गोलू को आँख मारते देखकर गुड्डू और चिढ गया उसने गोलू को एक चांटा मारा और कहा,”आँख का मार रहे हो बे मेहरारू लगे है हमहू तुम्हायी ?”
चांटा खाकर तो गोलू का गुस्सा भी सातवे आसमान पर था , वह उछला और भड़क कर कहा,”पिताजी सही कहते है हमहू भी बैल जैसा दोस्त रखे है,,,,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने सुना तो गोलू को घुरा और गोलू ने कहा,”पेंट शर्ट पहिनने वाला बैल,,,,,,,,,!!”
गोलू ने दो तीन बार बांयी आँख दबाई और शब्दों को मुंह में चबाते हुए कहा दबी आवाज में कहा,”अरे भुआ , भुआ”
गोलू को आँख मारते देखकर गुड्डू और चिढ गया उसने गोलू को एक चांटा मारा और कहा,”आँख का मार रहे हो बे मेहरारू लगे है हमहू तुम्हायी ?”
चांटा खाकर तो गोलू का गुस्सा भी सातवे आसमान पर था , वह उछला और भड़क कर कहा,”पिताजी सही कहते है हमहू भी बैल जैसा दोस्त रखे है,,,,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने सुना तो गोलू को घुरा और गोलू ने कहा,”पेंट शर्ट पहिनने वाला बैल,,,,,,,,,!!”