Manmarjiyan Season 3 – 45
Manmarjiyan Season 3 – 45

ऐसा नहीं था कि गोलू की किस्मत खराब थी बल्कि गोलू खुद अपनी किस्मत को चुनौती देता था और फिर किस्मत कहती थी “अरे ऐसे कैसे गोलू ?” गोलू बेचारा हफ्ते के दो दिन खुश क्या होता बचे पांच दिन उसकी किस्मत उसे खून के आँसू रुलाती थी।
शादी से पहले गोलू के साथ सब सही नहीं था लेकिन तब वह दिनभर गुड्डू के साथ रहता था और गुड्डू उसके और वह गुड्डू के काण्ड सम्हाल लेता था पर शादी के बाद दोनों अलग हो गए और गोलू ने जब भी अकेले कोई कांड किया है वह पीटा ही है। फिर चाहे वह मिश्रा जी हो , गुप्ता जी हो , गुड्डू हो या पिंकी सबके सामने गोलू का बेंड बजता ही रहता था
गोलू आलू गोभी नहीं खा पाया ये सोचकर गुप्ता जी ने उसके लिए चपाती सेंकी और यहाँ गोलू महाराज ने रसोईघर में आटा ही फैला दिया। उन्होंने अपना पीट लिया और कहा,”पता नहीं कौनसी मनहूस घडी मा हमका जे गोलुआ पे पिरेम आये रहा जोन इह के लिए रोटी बनाय रहे और जे हुआ ,, गोलुआ की अम्मा आये ओह्ह से पहिले जे सब साफ़ करना होगा ,,जे गोलुआ कहा है ? जरा उसकी मदद ले हमाये तो अभी से घुटने जवाब देने लगे है,,,,,,,,,,!!”
बड़बड़ाते हुए गुप्ता जी किचन से बाहर आये तो देखा आटे से सना गोलू थाली पर झुककर आलू गोभी निपटाने में लगा है। सब्जी का झोल उंगलियों से रिसते हुए हाथो पर चला आया था लेकिन गोलू को परवाह नहीं थी। गुप्ता जी गोलू के पास आये और कहा,”अबे जिनावर हो का ? हाथ तो धो लेते गोलुआ”
गोलू जिसका पूरा मुंह आटे से सना था और कपड़ो में भी आटा भरा था उसने गुप्ता जी की तरफ देखा और कहा,”हाथ धोये ? उह भी जे खाने के लिए,,,,,,,आलू गोभी बोलकर जे आलू का भाजी थमा दिए हो हमका , अरे गोभी कहा है इह मा , ऊपर से हाथ और धोये”
गुप्ता जी एक तो गोलू से पहले ही गुस्सा थे , गोलू की बात सुनकर और गुस्सा गए और उसके सर पर एक चपत मारकर कहा,”हाँ तो खाय काहे रहे हो ? मना कर सकते थे ना , तुम्हायी अम्मा ने अगर अपना रसोईघर देख लिया ना गोलुआ तो जोन आलू गोभी तुमहू खाये हो उह्ह हलक मा हाथ डालकर निकाल लेइ है उह,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी की चपत से गोलू का मुँह जा टिका थाली में और कटोरे में बची सब्जी जा लगी उसके मुंह पर लेकिन गुप्ता जी की बात सुनकर गोलू ने उनकी तरफ देखा और अकड़कर कहा,”तो ?”
“तो का चलकर हमाये साथ रसोई साफ़ करो , इह से पहीले की तुम्हायी अम्मा आये और तुम्हाये चक्कर मा हम भी लपेटे जाए चलो”,गुप्ता जी ने दरवाजे की तरफ देखकर तसल्ली करते हुए कहा
सब्जी सिर्फ गोलू के मुंह पर नहीं बल्कि उसकी आँखों में भी जा लगी थी , जिसका असर एकदम से हुआ और गोलू चिल्लाया,”अरे हमायी आँख मा मिर्चा चली गयी हमको कुछो दिखाई नाही दे रहा है पिताजी,,,,,,,,!!”
गोलू उठा और आँखे मसलते हुए यहाँ वहा भागने लगा और इस चक्कर में उसने अब हॉल में भी यहाँ वहा सामान फैला दिया ये देखकर गुप्ता जी ने गोलू की गुद्दी पकड़ी और उसे वाशबेसिन की तरफ लाकर कहा,”यहाँ मरो , मुंह धूलो जल्दी”
गोलू ने जल्दी जल्दी पानी आँखों और मुंह पर मारा , आटा गोलू के मुंह से थोड़ा धुला तो अब वह और भयानक नजर आ रहा था क्योकि सिर्फ मुंह पर आटा नहीं था बाकि सब जगह था।
गुप्ता जी अभी भी घर के दरवाजे की तरफ देख रहे थे कि कही गुप्ताइन तो नहीं आ रही। गोलू की आँखे बंद थी थोड़ी थोड़ी अभी भी जल रही थी उसने मुंह पोछने के लिए हाथ बढ़ाया लेकिन गुप्ता जी आगे बढ़ गए और गोलू नीचे आ गिरा। गोलू गिरा तो गुप्ता जी पलटकर कहा,”और कित्ता गिरी हो गोलू ?”
गोलू की आँखे अभी भी जल रही थी उसने हाथ बढ़ाया कोई कपड़ा उसके हाथ आया और गोलू ने एक झटके में उसे खींच लिया और मुंह पोछने लगा। गोलू ने जो खींचा वो कपड़ा नहीं बल्कि गुप्ता जी की धोती थी , अब गुप्ता जी गोलू के सामने सिर्फ कुर्ते और कच्छे में खड़े थे , जरा सोचिये एक हट्टा कट्टा कनपुरिया बाप सिर्फ कुर्ते और कच्छे में कैसा लगेगा ? गुस्से में आकर उन्होंने गोलू को एक लात मारी और गोलू उसी धोती में लिपटते हुए दूर जा गिरा।
अच्छा बाहर इतना सब हो रहा था लेकिन पिंकी को इसकी कानो कान खबर तक नहीं थी , होती भी कैसे वह मस्त अपना फेसपेक लगाकर , कानों में एयर फोन लगाकर फुल वॉल्यूम में गाने सुन रही थी। बाहर क्या हो रहा था पिंकी नहीं जानती थी। गुप्ता जी की धोती में गोलू लिपटा था तभी सामने रहने वाले यादव जी आये और कहा,”अरे गुप्ता जी सुनिए,,,,,,,,!!”
“जे ससुरे को भी साला अभी आना था , गुप्ता जी आंगन में खबे के पीछे हो गए , कमरे में जा नहीं सकते थे ना खम्बे के सामने से हट सकते थे क्योकि हटते तो इज्जत का कचरा होना तय था।
“अरे गुप्ता जी सुनिए उह जो उधर दिए थे उह पैसे लेइ ल्यो बाद मा खर्च हो जाही है तो आप पूरा मोहल्ला मा बधाई बटवा देओ कि यादववा हमरे पैसे नहीं दे रहा,,,,,,,,!!”,यादव जी ने कहा
नीचे गिरा गोलू तब तक उठ खड़ा हुआ , गुप्ता जी ने इशारो में उस से अपनी धोती मांगी तो गोलू ने अपने चारो और लिपटी धोती को खोला लेकिन उलझ गया और एकदम से खींच दी जिस से गुप्ता जी की धोती फट गयी। गोलू ने रोनी सी सूरत बनाकर गुप्ता जी को देखा और खिंसिया कर कहा,”जे तो फट गयी पिताजी अब का करे ?”
“इह के बनाओ दो फंदे एक हमाये गले मा डालो और दूसरा अपने गले मा डालकर झूल जाओ,,,,,,,,,,,,,अबे असुर कही के वहा तार से दूसरी धोती , पजामा कुछो देओ हमका वरना उह यादववा अंदर आयी है तो हमायी बची खुची इज्जत भी उतर जाही है”,गुप्ता जी ने दाँत पीसते हुए दबी आवाज में कहा
गोलू की आँखे अभी भी जल रही थी वह आँखे मसलता हुआ तार की तरफ गया और बिना देखे कपडा उतार कर गुप्ता जी की तरफ फेंक दिया। गुप्ता जी ने यादव पर नजर रखते हुए कपडे को पैरों में डाला और नाडा बांधकर यादव के सामने आकर कहा,”हाँ कहो का हुआ ?”
यादव जी ने सर से लेकर पाव तक गुप्ता जी को देखा और मुस्कुराने लगा। यादव को मुस्कुराते देखकर गुप्ता जी चिढ गए और कहा,”अबे बोलोगे कुछो कि नयी दुल्हनिया के जइसन मुस्कुराते रहोगे”
“हमहू कबो सोचे नाही थे गुप्ता जी आप ऐसे शौक भी रखते है,,,,,,,,,,!!”,यादव ने कहा
“कैसे सौक बे ?”,कहते हुए गुप्ता जी ने कुर्ते के नीचे पहने पाजामे को देखा लेकिन अगले ही पल उनका झुका हुआ सर एकदम से उठ गया और चेहरे पर हैरानी
क्योकि गोलू ने धोती पाजामे के नाम पर गुप्ता जी को गुप्ताइन का पेटीकोट जो दिया था और गुप्ता जी उसे ही कुर्ते के नीचे पहनकर यादव के सामने चले आये। गुप्ता जी का दिल तो किया गोलू का खून कर दे लेकिन उस नज़ारे का क्या जो यादव अपनी आँखों से देख चुका था। मोहल्ले में यादव गुप्ता जी की छीछा लेदर ना कर दे सोचकर गुप्ता जी ने बात सम्हालते हुए कहा,”अरे इह मा शौक की का बात है , हमायी धोती सुखी नहीं तो जे पहिन लिए वैसे भी कभी कभी शाम मा जे सब पहिन लेते है , तुमहू काम बताओ बे ?”
“हाँ लेकिन भाभीजी का पेटीकोट काहे पहिने है ? चाहे तो लुंगी पहिन लेते पर जे पेटीकोट तो कुछो जियादा ही हे हे हे हे हे”,यादव ने दांत दिखाते हुए कहा
गुप्ता जी चिढ गए और कहा,”का हे हे हे हे बे ? दांत निकालकर पोपला कर देंगे जिंदगीभर अपनी भैंसिया का दूध पीकर काम चलाये का पड़ी,,,,,,,,और हमहू उनका पेटीकोट पहिने चाहे ब्लाउज तुम्हाये पेट मा काहे दर्द हो रहा है ? हाँ पहिने है हमहू अपनी मेहरारू का पेटीकोट तो का हो गवा पियार करते है उनसे पहिन सकते है , तुमहू साला जोन काम आये हो उह करो और निकलो हिया से,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी को गुस्से में देखकर यादव जी ने कहा,”गुस्सा काहे हो रहे है हमहू तो आपके पैसे लौटाने आये थे”
कहकर यादव जी ने जेब से नोटों की गड्डी निकाली और पैसे गिनने लगे , 500 के नोट हटाते हुए 200 पर पहुंचे फिर 100 पर और सबसे आखिर में 50 रूपये का एक गला सा नोट और साथ में 20 का नोट निकालकर बाकी पैसो को जेब में रख लिया।
शर्ट के ऊपर जेब में रखे सिक्को में से 2 रूपये का एक सिक्का निकाला और दोनों नोटों पर रखकर गुप्ता जी की तरफ बढाकर कहा,”जे रहे आपके पुरे 72 रूपये , जो कल दूध का हिसाब मा जियादा थे ,, गिन लीजियेगा बाद मा कहेंगे यादव पैसे नाही देता”
गुप्ता जी ने सुना और उनका गुस्सा अब सातवे आसमान पर था उन्होंने यादव की तरफ देखा और कहा,”जे 72 रुपया देने के लिए तुमहू हिया आये थे ?”
“हाँ,,,,,,,,,,लेकिन जे 72 रुपया के बदले मा आपने जो 75 वाला शॉ दिखाया है उह जियादा कड़क है”,यादव ने गुप्ता जी के पेटीकोट की तरफ देखकर कहा और गेट की ओर बढ़ गया।
“साले भाग जाओ हिया से वरना नाक फोड़ के नकसीर निकाल देइ है”,गुप्ता जी ने चिढ़कर कहा और अंदर चले आये।
गुप्ताइन के आने का वक्त हो चुका था वे किसी भी वक्त आ सकती थी इसलिए गुप्ता जी सीधा रसोई में चले आये तो देखा गोलू पहले से वहा मौजूद है और वाइपर से फर्श पर फैला आटा साफ कर रहा है। गोलू एक तरफ से वाइपर से आटा इकट्ठा करता और दूसरी तरफ फैला देता। गुप्ता जी ने देखा तो उसके पास आकर कहा,”जे का रहे हो गोलू ? वाइपर हमका दयो और हाथ से आटा समेटो,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी ने वायपर रसोई के बाहर रखा और जैसे ही अंदर आये फिर अपना सर पीट लिया। उन्होंने गोलू को हाथ से आटा उठाने को कहा था लेकिन गोलू आटा उठाता उसे डिब्बे में डालता और हाथ पर बचे आटे को फूंक मारकर उड़ा देता , ऐसा करके गोलू ने रसोई में रखे साफ सुथरे स्टील के डिब्बों को भी आटे से भर दिया। गुप्ता जी उसके पास आये और उसके तकले पर मुक्के बरसाते हुए कहा,”अबे अकल के दुश्मन हमरा काम काहे बढ़ा रहे हो ?”
गोलू साइड हुआ और उछलते हुए हाथ में पकड़ा डिब्बा दिखाकर कहा,”कर तो रहे है देखिये इत्ता इकट्ठा किया तो है”
“हाँ तो डाल दयो हमाये सर पर,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने झल्लाकर कहा
गुप्ता जी कुछ कहे और गोलू ना करे ये भला हो सकता है उसने आगे बढकर डिब्बे में इकट्ठा किया आया गुप्ता जी के सर पर डाल दिया।
अब गुप्ता भी गोलू की तरफ आटे वाले भूत बन चुके थे , उन्होंने खींचकर गोलू को एक थप्पड़ मारा और कहा,”अबे कित्ते बड़े बैल हो बे ? हमहू कहे तो हम पर ही डाल दिए”
गुप्ता जी से थप्पड़ खाकर गोलू किचन के प्लेटफॉर्म पर रखी बाल्टी से टकराया और उसमे भरा पानी नीचे आ गिरा। अब रसोई में आटे के साथ साथ पानी भी था और दोनों मिलकर कीचड़ बन चुके थे। गुप्ता जी ने देखा तो इधर उधर देखा और रेंक में रखा लोटा उनके हाथ लगा उन्होंने लोटा फेंक कर गोलू को मारा
जो की सीधा गोलू के ललाट पर लगा और गुप्ता जी ने कहा,”तुमको हमायी मदद करने को कहे थे तुमहू और सत्यानाश कर दिए , का कसम खा लिए हो एक भी काम ढंग से ना करने की,,,,,,,,!!”
गोलू के ललाट पर गुमड़ निकल आया और वह दोनों पैर पसारे फर्श पर आ गिरा।
एक पल के लिए तो उसे अपनी आँखों के सामने चिड़िया उड़ती नजर आयी थी लेकिन अगले ही पल उसे ललाट पर दर्द महसूस हुआ और वह मुँह फाड़कर रोया लेकिन उसकी आवाज बाहर जाती इस से पहले गुप्ता जी ने इधर उधर देखा गैस के पास रखा गंदा कपड़ा उठाया और गोलू के मुँह ठूसते हुए कहा,”अबे चुप ! चिल्लाओ नाही,,,,,,,!!”
गोलू ने कपड़ा मुंह से निकाला और हाथ जोड़कर कहा,”ए यार पिताजी ! हमहू आपके आगे हाथ जोड़ते है , हमहू पिंकिया से कहकर जे सब साफ़ करवा देंगे हमका जाही दयो,,,,,,,,,!!”
“अरे बहू हमका जे हाम मा देखेगी तो का सोचेगी हमाये बारे में,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
“हाँ ऐसे तो बहुते कभी ख़ुशी कभी गम का अमिताभ समझती है ना उह आपको,,,,,,,,!!”,गोलू ने चिढ़कर कहा
“बकैती ना करो गोलू और जे साफ करने मा मदद करो हमायी,,,,,,,,हमहू ऊपर का सब साफ़ करते है तुम उह कपड़ा उठाओ और फर्श साफ़ करो,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने
“पिताजी हमहू अम्मा से कह देंगे ना कि गलती से गिर गवा या कह देंगे बिल्ली आयी रही उह बिखेर के चली गयी,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
गुप्ता जी ने गोलू को देखा और कहा,”उह औरत की रसोई का एक ठो कप टूट जाही है तो उह हमको खाना ना दी है उसको जे पता चला कि जे तुम्हायी और हमायी वजह से हुआ है पता है गोलू तब का होइ है ?”
“का होइ है पिताजी ?”,गोलू ने मासूमियत से पूछा
“का होइ है ? जे कहो गोलुआ कि जबान खींच के गला से लपेट दी है , खाल मा भूस भर दी है , धोकर निचोड़कर तार पर सूखा दिए जायेंगे ,, मंगल डाकू का नाम सुने हो ? रिश्ते मा तुम्हायी अम्मा के फूफा रहे उह,,,,,, वही से ट्रेनिंग मिली है तुम्हायी अम्मा को भी तो हम,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने इतना ही कहा कि गोलू ने डरकर कपड़ा उठाया और फर्श पर जल्दी जल्दी घुमाने लगा। गुप्ता जी भी बाहर झांकते हुए प्लेटफॉर्म साफ़ करने लगे।
गुप्ता जी अपना काम कर रहे थे कि उनके कानो में बहुत ही बेसुरी आवाज पड़ी , उन्होंने गर्दन घुमाकर देखा तो पाया गोलू फर्श पर कपडा घुमाते हुए गा रहा है “दुनिया में हम आये है तो जीना ही पड़ेगा , जीवन है एक जहर तो पीना ही पडेगा,,,,,,,,,आटा न उठाया तो अम्मा रेल बना देगी , पिताजी का पेटीकोट फाड् के तगड़ा खेल बना देगी,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी ने सुना तो गोलू को एक लात मारी और कहा,”बकचोदी कम करो गोलू और जल्दी हाथ चलाओ , तुम्हायी अम्मा आती ही होगी”
“अरे हमका आये तो पुरे 52 सावन बीत गए अब का आएंगे ?”,गुप्ताइन की आवाज गोलू और गुप्ता जी के कानो में पड़ी दोनों ने एक दूसरे को देखा गुप्ता जी ने हाथ में पकड़ा गीला कपडा फेंका और गोलू भागने के लिए उठा और जैसे ही आगे बढ़ा गुप्ता जी के फेंके कपडे पर उसका पैर पड़ा और बेचारा फिसल कर रसोई में रखे बर्तनो पर गिरा , गोलू जहा गिरा वहा स्टील का चमचा रखा था वो भी खड़ा और गोलू उस पर जा गिरा ,
बर्तन उछले और रेंक पर रखी स्टील की मटकी गोलू के सर पर , गुप्ता जी ने देखा लेकिन कुछ कहते इस से पहले गुप्ताइन वहा आ गयी और जब उन्होंने अपनी रसोई का ये हाल देखा तो गुस्से से आग बबूला हो गयी।
गुप्ता जी ने हाथ में पकड़ी थाली गुप्ताइन की ओर बढाकर खिंसियाते हुए कहा,”कुछ नहीं उह ज़रा सा आटा फैल गवा”
गुप्ताइन ने वही थाली गुप्ता जी के सर पर दे मारी और कहा,”दफा हो जाओ हिया से,,,,,,,,!!”
गोलू ने सुना तो उठा लेकिन मटका सर में होने की वजह से बेचारे को कुछ दिखाई नहीं दिया और रेंक से जा टकराया जिस से बचे खुचे बर्तन , कप नीचे आ गिरे। गुप्ताइन ने देखा तो उनका गुस्सा और बढ़ गया वे गोलू के पास आयी और मटकी उसके सर से निकाला।
“हेहीहेहेहे अम्मा”,गोलू ने हँसते हुए कहा
एक तो गोलू ने इतना बड़ा कांड किया और उस पर उसकी इतनी हिम्मत की वह अपनी अम्मा के सामने हंस रहा था। गुप्ताइन ने दोनों हाथो से तड़ातड़ गोलू के गालो पर एक साथ चांटे बरसाये और गोलू की तरह हंसकर कहा,”हेहेहेहेहेहे गोलू,,,,,,,भाग जाओ यहाँ से,,,,,,,,!!”
गोलू आडा टेड़ा चलते हुए रसोई से बाहर निकल गया गुप्ता जी ने उसे ऐसे चलते देखा और फिर नजर पड़ी चमचे पर जो टेढ़ा हो चुका था।.गुप्ता जी की आँखे हैरानी से बड़ी हो गयी , उन्हें रसोई में देखकर गुप्ताइन ने हाथ में पकड़ा मटका फेंककर कहा,”निकलो यहाँ से,,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी अगले ही पल रसोई से बाहर और गुप्ताइन बेचारी अपना सर पकड़कर बैठ गयी।
गुप्ता जी बाहर आकर आँगन में उकड़ू बैठ गए , थाली इतनी जोर से पड़ी थी उनके सर पर की दर्द हो रहा था और बेचारे मजबूर इतने की मुंह फाड़कर रो भी नहीं सकते थे। गुप्ता जी के बाल बिखर चुके थे और बीच की मांग निकलकर आधे दांये तो आधे बांये हो गए। गोलू भी उनके पास आकर उकडू बैठा और उन्हें देखकर दाँत दिखाकर कहा,”हेहेहेहेहेहे पिताजी तेरे नाम,,,,,,,,,,!!!”
“हमने किया है जीवन अपना सारा सनम,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने दाँत पीसते हुए आगे का मुखड़ा गाया और खींचकर थप्पड़ गोलू के गाल पर रसीद कर दिया।
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संजना किरोड़ीवाल


🤣🤣🤣🤣 aaj to Golu aur Gupta ji pura entertainment ka itna badhiya doz diya, ki kya bataye…kasam se Sanjana ji…jab humne padhte huye itni hassi aa rhi hai to aapko likhte huye kitni hassi aai hogi…aaj part baap-bate k naam …tere Naam 🤣🤣🤣 Golu tum chaa gaye yr… kasam se
Main avi train me baithe ke Kanpur Station k paas hi Hoon or ye padh rhi thi….Kasam se Kanpur name se hi Pehla khyaal Guddu or Golu ka aya….ek baar ko lga kaash mil pate un dono se…but but but fir yaad aya main Delusion me jee rhi …Ye dono to bas kalpnik h🙂🙂
Best part🤣🤣🤣
Ab tak ka supar se upar part😘😘😘 hasi ka samundar h aaj ka part…. U r the best
Bhagwan golu Maharaj Jay ho aapkior sabse badi Jay sanjana didi ki jinhone apko likha padte padte has has kr lot pot ho gai apko likhte likhte kitni hasi aayi hogi best part didi maza aa gaya pad kr
Sare comedy show fail h golu maharaj
k aage …😂😂🤣🤣