Manmarjiyan Season 3 – 44

Manmarjiyan Season 3 – 44

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

 कानपूर-बनारस एक्सप्रेस
मिश्रा जी से बदतमीजी करके फूफा बाथरूम की तरफ चले गए और उनके जाते ही मिश्राइन ने मिश्रा जी को सुना दिया जो कि जायज था। मिश्रा जी की ख़ामोशी की वजह से फूफा की हिम्मत अब इतनी बढ़ चुकी थी कि वे सबके सामने बदतमीजी करने लगे थे। मिश्रा जी उंगलियों को होंठो से लगाए कुछ देर खामोश बैठे रहे फिर एकदम से उठे और उस तरफ चल पड़े जिधर फूफा गए थे।


बाथरूम से निकलकर फूफा ट्रेन के गेट पर खड़े होकर फूफा ने हवा खाते हुए जेब से कमला पसंद का पैकेट निकाला और फाड़कर मुंह में फांक लिया और गुनगुनाने लगे

( लेखिका अपनी कहानी में किसी भी तरह के नशे , गुटखा , खेनी का प्रचार प्रसार नहीं कर रही है बल्कि ये बस काल्पनिक है और कहानी की मांग है ! लेखिका अपनी कहानी के माध्यम से गुटखा का प्रचार नहीं कर रही है इसलिए कमला पसंद ना खाये बल्कि विमल ट्राय करे वो ठीक आती है )

फूफा अपनी गुटखा का आनंद लेते हुए गेट पर खड़े ही थे कि तभी किसी ने आकर उन्हें जोर का धक्का दिया और फूफा आधा ट्रेन से बाहर जा लटके क्योकि धक्का देने वाले ने उनका कोलर जो पकड़ रखा था। एक पल को तो फूफा की जान हलक मे ही अटक गयी जब उन्हें धक्का लगा पर ट्रेन से बाहर आधा लटके होने के बाद जब उन्होंने सामने देखा तो उन्हें और बड़ा धक्का लगा। फूफा की कोलर पकडे सामने मिश्रा जी खड़े थे और गुस्से भरी आँखों से फूफा को देख रहे थे। फूफा कुछ समझते उस से पहले मिश्रा जी ने कठोरता से कहा,”बहुत बोल चुके तुम और बहुत सुन चुके हम”


“ए मिश्रा तुमहू हम से तुम करके बात कर रहे हो ? का भूल गए हो का हमहू तुम्हरे जीजा है”,जिंदगी और मौत के बीच झूलते फूफा ने अकड़कर कहा
“अबे चुप,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने गुस्से से कहा तो फूफा खामोश हो गया। मिश्रा जी की आँखे गुस्से में जल रही थी और चेहरा कठोर हो चुका था


 मिश्रा जी ने फूफा को घूरते हुए आगे कहा,”जीजा के नाम पर तुमहू कलंक हो आदर्श्वा,,,,,,और तुमहू चाहते हो हम तुमका इज्जत दे,,,,,,,,,दिल तो कर रहा है जे चप्पल उतार कर सम्मान कर दे तुमहाओ पर अब तक अपनी मान मर्यादा के चलते चुप थे।  हमहू सोचे नाही थे तुमहू इत्ता गिर जाओगे , अरे बहिन ब्याही है तुम्हाये साथ तो का बिछ जाए तुम्हाये आगे,,,,,,,हमाये बारे में एक ठो सच जानते हो तो का ओह्ह्ह के बदले मा धमकाओगे हमका,,,,,,,,,धमकी तक ठीक था आदर्शवा लेकिन तुमहू तो अपनी हदें ही भूल गए,,,,,,,,,,

बदतमीजी और बेशर्मी पर उतर आये। अरे बताय दयो गुड्डूआ का,,,,,,,,,,,,पर जे ना भूलो कि उह हमरा बिटवा है ओह्ह के लिए हमरी कही बात ही सत्य है बाकी सब झूठ,,,,,,,,,,,हमहू अब तक खामोश थे क्योकि देखना चाहते थे तुमहू कित्ता गिर सकत हो ,,,,, जोन बिर्जेशवा का डर तुमहू हमका दिखाय रहे थे ना उह्ह अब इह दुनिया मा नाही रहा तो ओह्ह का राज भी ओह्ह के साथ ही चला गवा,,,,,,,,,,आज के बाद अगर तुमहू हमसे , गुडडुआ से , शगुन से या घर मा किसी से भी बदतमीजी किये रहय तो खाल उधेड़ के ढोलक बना देंगे और बजाही है अम्मा की तेहरवी पे,,,,,,,,,,!!”


फूफा ने सुना तो हक्का बक्का रह गया , आज मिश्रा जी की बातो में उन्हें वही पुराना आनंद मिश्रा नजर आ रहा था साथ ही फूफा को धक्का लगा ये सुनकर कि बृजेश अब इस दुनिया में नहीं रहा क्योकि वही था जिसके नाम से फूफा अब तक मिश्रा जी को दबा रहे थे। फूफा को खामोश देखकर मिश्रा जी ने कहा,”का हुआ मुंह मा दही जम गवा ?  तुमको लगा तुमहू हमका डरा लेओ और हमहू डर जाही है , अम्मा की अस्थिया जा रही है बनारस कहो तो तुम्हायी भी साथ ले जाये , लोगो से कह देंगे कि पैर फिसला और आदर्श बाबू चलती ट्रेन से नीचे गिर गए ,

किसी को हम पर शक भी नाही होगा क्योकि हमहू अपने हाथो अपनी बहिन का घर थोड़े उजाड़ेंगे,,,,,,,,,!!”
फूफा बुरी तरह डर गया और मरे हुए स्वर में कहा,”हमका माफ़ कर दयो मिश्रा”
फूफा के मुंह से माफ़ी का सुनकर मिश्रा जी ने एक झटके में उन्हें ऊपर खींच लिया और उनकी आँखों में देखते हुए कहा,”कायदे मा रहो फायदे मा रहोगे”
मिश्रा जी ने फूफा को वही छोड़ा और खुद बाथरूम की तरफ चले गए बेचारा फूफा डर से थर थर काँप रहा था वो भी इतना कि कमला पंसद थूकने के बजाय उसे निगल गया

फूफा की बदतमीजियों से परेशान मिश्राइन ने मिश्रा जी पर गुस्सा कर तो दिया लेकिन बाद में उन्हें खुद ही बुरा लगने लगा और वे अपनी सीट पर चली आयी। मिश्राइन ने देखा मिश्रा जी और फूफा दोनों ही वहा नहीं है और वेदी अपने फोन में लगी है।
“वेदिया , ए वेदिया , तुम्हाये पिताजी कही दिखाई नाही दे रहे , तुमसे कुछो कह के गए है का ?”,मिश्राइन ने पूछा लेकिन वेदी मैडम तो मैसेज में अपने अमन से बतियाने में व्यस्त थी उसने मिश्राइन की बात पर कोइ ध्यान नहीं दिया।


मिश्राइन ने देखा वेदी फ़ोन में व्यस्त है तो थोड़ा गुस्से से कहा,”किसी दिन ईंटा मार के तोड़ देइ है जे फोन का , दिनभर इह मा घुसे रहो आस पास कोनो का कह रहा है कुछो नाही सुनो,,,,,,,!!”
वेदी ने जल्दी से फोन साइड में रखा और कहा,”हाँ हाँ अम्मा कुछो कह रही थी ?”
“तुम्हाये पिताजी कहा है ? और फूफा कहा है उह भी दिखाई नाही देय रहे,,,,,,,,,!!”,मिश्राइन ने चिन्ताभरे स्वर में पूछा


वेदी ने देखा फूफा मिश्राइन के पीछे ही खड़े है तो उसने कहा,”फूफा तो तुम्हाये पीछे ही है अम्मा और पिताजी का हमे नाही पता , बाथरूम गए होंगे”
मिश्राइन ने पलटकर देखा तो पाया फूफा उनके पीछे ही खड़े थे , ना चाहते हुए भी मिश्राइन को सामने खड़े फूफा से शांत स्वर में कहना पड़ा,”उह खाने का बोल रहे थे आप दे दे का ?”
“नाही अभी अभी खाकर आये है,,,,,,,,!!”,फूफा ने डरे हुए स्वर में कहा
“खाकर आये है , का खाकर आये है ?”,मिश्राइन ने पूछा


“कुछो नाही हमहू बाद में खा लेंगे आप परेशान ना होईये”,फूफा ने कहा और सीट पर बैठ गए। मिश्राइन ने देखा जितना अकड़ में फूफा उनके सामने से कुछ देर पहले गए थे अब बिल्कुल उसके विपरीत नजर आ रहे थे। मिश्राइन ने देखा मिश्रा जी अभी तक नहीं आये है तो वह खुद ही उन्हें ढूंढते हुए बाथरूम की तरफ चली आयी। वाशबेसिन के सामने खड़े मिश्रा जी को हाथ धोते देखकर मिश्राइन की जान में जान आयी। मिश्रा जी हाथ धोकर पलटे और मिश्राइन को वहा देखकर कहा,”का हुआ तुमहू हिया का कर रही हो ?”


“कुछो नाही हमहू तो बस आपको देखने ही आये रहय , उह ताव मा आकर आपसे कुछ भी कह दिए ओह्ह के लिए हमहू शर्मिन्दा है जी,,,,,,,,,हमहू कहना नाही चाहते थे पर का करे आदर्श बाबू की बदतमीजियां इत्ती बढ़ गयी है कि हमहू खुद को रोक नाही पाए”
“आज के बाद आदर्श बाबू कायदे मा रहे है,,,,,,,,,चलो चलकर बइठो जियादा परेशान ना हो”,मिश्रा जी ने कहा और मिश्राइन के साथ अपनी सीटों की तरफ बढ़ गए।


मिश्रा जी ने देखा नीचे की दोनों सीटे खाली है , फूफा कही नजर नहीं आये , मिश्रा जी ने सर उठाकर देखा तो पाया फूफा अपर सीट पर कोने में दुबक कर बैठे थे। मिश्रा जी ने कुछ नहीं कहा और अपनी सीट पर आ बैठे। मिश्राइन ने साथ लाया खाना प्लेटो में निकाला और सबको दिया। फूफा ने अपनी प्लेट ऊपर ही ले ली और खाने लगे। एक निवाला खाकर उन्होंने थोड़ा खीजकर कहा,”अरे जे कैसी सब्जी इह मा नमक कित्ता कम है,,,,,,,,,,हमहू जे”
आगे के शब्द फूफा ने थूक के साथ वापस निगल लिए जब उन्होंने देखा मिश्रा जी उन्हें ही देख रहे है।

मिश्रा जी को अपनी ओर देखते पाकर फूफा को कुछ देर पहले की घटना याद आ गयी और उन्होंने एकदम से स्वर बदल कर कहा,”हमहू जे कह रहे थे कि कम नमक की सब्जी भी बहुते बढ़िया बनी है , वैसे भी जे उमर मा नमक कम ही खाना चाहिए,,,,,,,सरिता जी थोड़ा अचार मिली है का ?”
मिश्राइन उठी और साथ में लाया अचार का छोटा डिब्बा उन्हें देकर खुद अपनी सीट पर आ बैठी और खाना खाने लगी। मिश्रा ने फूफा से नजरे हटाई और खाना खाने लगे। इस बार मिश्रा जी ने फूफा को ऐसा डोज दिया था कि फूफा बनारस जाने तक नीचे नहीं आने वाले थे।

गुप्ता जी का घर , कानपूर
बेचारे गोलू को अपने ही घर में खाना खाने को नहीं मिला , वह अपने कमरे में आया तो देखा पिंकी बिस्तर पर रखे कपडे समेट रही थी गोलू को याद आया अभी तो उसे पिंकी को भी मनाना है। वह चुपचाप मुंह लटकाकर पिंकी की तरफ आया और बिस्तर पर आ बैठा। पिंकी ने गोलू को देखा और इग्नोर करके वहा से जाने लगी तो गोलू ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”पिंकिया ! सॉरी ना बाबू , अरे हमका का पता था तुमहू हमाये पीछे ही खड़ी हो , गलती से मुंह से निकल गवा ,, माफ़ करि दयो पिलीज”


पिंकी ने अपना हाथ झटका और कहा,”अरे नाही गोलू गलती से थोड़ी कहा है तुमहू तो कट्टर दुशमन बन गए हो हमाये पापा के , का कहे तुमहू कि हमाये खानदान मा किसी ने पनीर नाही देखा,,,,,,,,,खुद तो बहुत जैसे राजा महाराजा के खानदान से हो ना ! हमहू हुआ मम्मी से तुम्हाये लिए झगड़ा किये और तुमहू हमाये खानदान के बारे मा अंट शंट कहे रहे , चले जाओ यहाँ से हमे कोई बात नहीं करनी तुमसे”


गोलू जानता था पिंकी का गुस्सा कैसे शांत करना है इसलिए उसने पिंकी का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसको अपनी गोद में बैठाकर अपनी बांहो को उसकी कमर के इर्द गिर्द कस लिया।
“गोलू छोडो हमे,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने छूटने की कोशिश करके कहा तो गोलू ने उसे और मजबूती से कस लिया और अपना सर उसकी पीठ पर टीकाकार कहा,”पहिले हमका माफ़ करो फिर छोड़ेंगे”
“गोलू छोडो हमे,,,,,,,,!!”,पिंकी ने कहा


“पहिले माफ़ी फिर छोड़ेंगे , तुम्हायी माफ़ी के लिए कुछ भी करेंगे,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“सोच लो गोलू,,,,,,,,!!”,पिंकी ने कहा
“सोच लिए ! अरे तुम्हाये लिए तो जान हाजिर है बाबू तुमहू कह के तो देखो,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने पिंकी को छोड़कर कहा
“तो फिर उठो और 50 उठक बैठक निकालो,,,,,,,,!!”,पिंकी ने कहा
“का ? का कही तुम ? उठक बैठक ,, ए पिंकिया जे सब मजाक नाही हाँ कुछो और कहो उह कर देंगे हम”,गोलू ने कहा


“यही करना पड़ेगा गोलू वरना माफ़ी नाही मिलेगी”,पिंकी ने कठोरता से कहा बेचारा गोलू मरता क्या ना करता पहली खुद ही जोश जोश में कह दिया कि सब करेगा अब पिंकी की बात मानने के अलावा दुसरा कोई रास्ता भी नहीं था। गोलू पिंकी के सामने उठक बैठक लगाने लगा। एक तो गोलू को खाना नहीं मिला ऊपर से उठक बैठक भी निकालनी पड़ी। गुप्ताइन पड़ोस के यहाँ कीर्तन में चली गयी। गुप्ता जी जैसे ही गोलू के कमरे के सामने से गुजरे कमरे का दरवाजा खुला था उनकी नजर गोलू पर पड़ी जो कि उठक बैठक लगा रहा था।


“जे ससुरा गोलू भी का किस्मत लेकर पैदा हुआ है , बाप से पेला गया अब बीवी के सामने उठक बैठक लगा रहा है , जे का तो भगवान ही मालिक है,,,,,,,,,,पर जे ससुरा इत्ता बंडलबाज है भगवान को भी अपने लपेटे मा ले लेही,,,,,,,,,,,,,बनो साला जोरू के गुलाम , और करो लब मैरिज,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी बड़बड़ाते हुए आगे बढ़ गए
पानी लेने किचन में आये तो नजर कड़ाही में रखी सब्जी पर चली गयी और गुप्ता जी को याद आया कि आज कैसे आलू गोभी देखकर गोलू के मुंह में पानी आ रहा था।

उन्होंने बर्तन देखे गुंथा हुआ आटा रखा था बस रोटी नहीं थी। उन्होंने गैस ऑन किया और तवा उस पर रख दिया। उन्होंने आटे का लोई लिया और चकले पर आडी टेढ़ी बेलकर तवे पर डाल दी। एक रोटी सेंककर उन्होंने दूसरी रोटी तवे पर डाली और गोलू को आवाज दी,”गोलुआ हिया आवा ज़रा”

50 उठक बैठक निकालते निकालते गोलू का दम पहले ही निकल चुका था अब गुप्ता जी ने उसे आवाज देकर उसकी बची जान भी निकाल ली , गोलू पैर घसीटते हुए उनके पास आया और कहा,”बइठो तुम्हाये लिए खाना बनाया है खाय लयो”
गोलू ने सुना तो उसको अपने कानो पर विश्वास नहीं हुआ , आँखे खुली की खुली रह गयी और वह गुप्ता जी के पास आकर बोला,”पिताजी हमको एक ठो थप्पड़ मारना ज़रा”
गुप्ता जी गोलू की तरफ पलटे और आटे से सने हाथ को गोलू के गाल पर छापकर कहा,”जे लयो नेक काम मा देरी कैसी”


गोलू को जो थप्पड़ पड़ा बेचारा घूमकर गुप्ता जी के बगल में रखे आटे के डिब्बे से जा टकराया और नीचे जा गिरा , पर गोलू की किस्मत इस से भी बुरी थी वह आटे का डिब्बा आकर गिरा गोलू के ऊपर सारा आटा गोलू के साथ साथ रसोई के फर्श पर और आटे का डिब्बा गोलू के सर पर , गुप्ता जी ने देखा तो अपना सर पीट लिया , कहा वे गोलू के लिए रोटिया बनाकर प्यार जता रहे थे और कहा गोलू ने उनका कबाड़ा कर दिया। गोलू ने डिब्बा को उठाकर अपना सर निकाला।

गुप्ता जी को अपने सामने देखकर गोलू जोर से खासा और उसके मुंह में भरा आटा गुप्ता जी के मुंह पर , बस फिर क्या था यहाँ गोलू को एक थप्पड़ और पड़ा और गुप्ता जी ने कहा,”तुम्हायी अम्मा जे सब देखी है ना तो धोकर सूखा दी है हम लोगन का,,,,,,,,उठो और निकलो हिया से” 
गोलू आटे से पूरा लथपथ रसोई से बाहर जाने लगा तो गुप्ता जी ने खाने की थाली उसे देकर कहा,”इह ल्यो खाय ल्यो”


गोलू ने देखा थाली में दाल , चावल , 2 आड़ी टेढ़ी चपाती , आलू गोभी की सब्जी और अचार रखा था। गोलू ने थाली देखी और फिर गुप्ता जी ओर देखकर कहा,”हमहू सोचे नाही थे आप हमसे इत्ता पियार करते है पिताजी,,,,,,!!”
“हमहू भी कहा सोचे थे गोलुआ कि तुम्हरा प्यार हमको इत्ता महंगा पड़ी है”,गुप्ता जी ने रसोई में हर तरफ फैले आटे को देखकर कहा

Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44

Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44Manmarjiyan Season 3 – 44

संजना किरोड़ीवाल  

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

“यही करना पड़ेगा गोलू वरना माफ़ी नाही मिलेगी”,पिंकी ने कठोरता से कहा बेचारा गोलू मरता क्या ना करता पहली खुद ही जोश जोश में कह दिया कि सब करेगा अब पिंकी की बात मानने के अलावा दुसरा कोई रास्ता भी नहीं था। गोलू पिंकी के सामने उठक बैठक लगाने लगा। एक तो गोलू को खाना नहीं मिला ऊपर से उठक बैठक भी निकालनी पड़ी। गुप्ताइन पड़ोस के यहाँ कीर्तन में चली गयी। गुप्ता जी जैसे ही गोलू के कमरे के सामने से गुजरे कमरे का दरवाजा खुला था उनकी नजर गोलू पर पड़ी जो कि उठक बैठक लगा रहा था।

“यही करना पड़ेगा गोलू वरना माफ़ी नाही मिलेगी”,पिंकी ने कठोरता से कहा बेचारा गोलू मरता क्या ना करता पहली खुद ही जोश जोश में कह दिया कि सब करेगा अब पिंकी की बात मानने के अलावा दुसरा कोई रास्ता भी नहीं था। गोलू पिंकी के सामने उठक बैठक लगाने लगा। एक तो गोलू को खाना नहीं मिला ऊपर से उठक बैठक भी निकालनी पड़ी। गुप्ताइन पड़ोस के यहाँ कीर्तन में चली गयी। गुप्ता जी जैसे ही गोलू के कमरे के सामने से गुजरे कमरे का दरवाजा खुला था उनकी नजर गोलू पर पड़ी जो कि उठक बैठक लगा रहा था।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!