Manmarjiyan Season 3 – 43

Manmarjiyan Season 3 – 43

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

बाबू के यहाँ गोलगप्पे खाकर गुड्डू और गोलू दोनों घर के लिए निकल गए। मिश्रा जी और मिश्राइन आज घर पर नहीं थे इसलिए गुड्डू ने गोलू से अपने घर चलने को कहा  “गुड्डू भैया पहिले हमहू एक ठो चक्कर घर का लगा आये ओह्ह के बाद आते है,,,,,,,,,!”,गुड्डू के पीछे बैठे गोलू ने कहा
“अब तुमको एकदम से घर काहे जाना है ? रात का खाया हमाये हिया खा लेना ना,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा


“अरे बात खाने की नाही है गुड्डू भैया , उह्ह का है ना कि फूफा के चक्कर मा घरवाली को गुस्सा दिलाय दिए ,  जाकर थोड़ा सॉरी वोररी बोल दे वरना फूफा का पता नहीं हमहू जरूर घर से बाहिर निकाले जायेंगे,,,,,,,,,,ए भैया छोड़ दयो ना , हमहू आधे घंटे मा आ जायेंगे”,गोलू ने मिन्नते करते हुए कहा
“ठीक है चलो”,गुड्डू ने कहा और बाइक गोलू के घर की तरफ मोड दी। गोलू को उसके घर के सामने छोड़कर गुड्डू घर के लिए निकल गया।

गोलू घर के अंदर आया देखा गुप्ता जी आँगन में बैठे खाना खा रहे है तो गोलू उनसे बचने के लिए चुपचाप अपने कमरे की तरफ जाने लगा लेकिन गुप्ता जी की नजरो से गोलू बच जाए ऐसा भला हो सकता है क्या ? जैसे ही गुप्ता जी की नजर गोलू पर पड़ी उन्होंने कहा,”का हो गोलू ? घर की याद आ गयी तुमको , हमको तो लगा मिश्रा जी तुमको गोद ले लिए है अपनी आधी पिरोपर्टी तुम्हाये नाम कर देंगे”


गोलू ने सुना तो अपना सर पीटा और गुप्ता जी के सामने आकर कहा,”काहे ? उनकी अपनी औलाद नाही है का जो हमे गोद लेंगे और हमसे पहिले तो और भी बहुत लोग बैठे है मिश्रा जी की पिरोपर्टी पर कुंडली मार के,,,,,,,,,,और हमका जे बताओ पिताजी हमहू मिश्रा जी के गोद चली जाही है तो जे पिरोपर्टी कौन सम्हाले है ?”


“वाह वाह गोलू बड़ी बड़ी बाते , बाप से लात घुसे खाते,,,,,,,,कौनसी पिरोपर्टी की बात कर रहे हो बेटा ? आज तक अपनी कमाई का एक थो पत्थर भी लगाए हो जे घर मा जो हक़ जता रहे हो ! जे सारी पिरोपर्टी हमहू अपने पोता-पोती के नाम करी है तुमहाओ भूल जाओ बिटवा , खुद कमाओ खुद बनाओ अपनी पिरोपर्टी”,गुप्ता जी ने गोलू की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए कहा
गोलू ने सुना तो हक्का बक्का सा गुप्ता जी को देखने लगा और नौटंकी करते हुए कहा,”जे तो नाइंसाफी है , अन्याय है मालिक ,, अरे हर कनपुरिया का अधिकार है अपने पिताजी की पिरोपर्टी पर फिर हमाये साथ जे जुल्म काहे ?”


“का है बिटवा जईसन तुम्हाये कांड है ना हमको तुमको पर रत्ती भर भरोसा नाही है , साला पता चले कल को बेच बाच के निकल जाओ,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने खाना खाते हुए कहा
गोलू ने सुना तो गुस्सा होकर कहा,”हम का इत्ते गिरे हुए है जो बेच देंगे ? अरे हमाओ खुद को बिजनेस है हमहू काहे करेंगे ऐसा ?”


“बिजनेस , मय्यत मा टेंट लगाने को तुमहू बिजनेस कहते हो गोलू,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने आग में घी डालते हुए कहा
गोलू गुप्ता जी के सामने खाली पड़े सोफे पर आ बैठा और कहा,”सिर्फ मय्यत मा टेंट नाही लगाए है , बड्डे पार्टी , संगीत , हल्दी मेहँदी , शादी और डेस्टिनेशन वेडिंग  तक मा टेंट लगाए है हमहू गुड्डू भैया के साथ”
“हाँ तो कौनसा बहुत बड़ा तीर मार लिया ? और तुम पर ना हमको अब रत्ती भर भरोसा नाही है”,गुप्ता जी ने कहा


गोलू की नजर खाने की थाली पर पड़ी जिसमे आलू गोभी मटर की रसीली सब्जी , चावल , रोटी और दाल के साथ आम का अचार भी था जिसे देखकर गोलू के मुँह में पानी आ गया और उसने रसोई की तरफ देखकर कहा,”अम्मा हमाये लिए भी खाना लगाय दयो बहुते भूख लगी है” गुप्ता जी ने सुना तो गोलू को देखने लगे , उन्हें अपनी ओर देखते पाकर गोलू ने कहा,”अब का है ?”
“दिनभर हुआ मिश्रा जी के घर मा पड़े रहते हो हुआ खाना काहे नाही खाते ?”,गुप्ता जी ने कहा


“अरे वहा तो अगर हमहू एक ठो बार कह दे तो 56 भोग बनेंगे हमाये लिए , ऐसे खातिरदारी होगी जइसन कोनो राजा महाराजा की होती है , गरमा गर्म पुरिया ऐसे ऐसे छन के आएगी सीधा हमायी पिलेट मा और ओह्ह के बाद केशर वाला दूध,,,,,,,,और हिया रोटी जिनको चबाते चबाते दाँत निकल आये , सब्जी मा मिर्चा इतनी तेज की खाओ तो मुंह जले और सुबह जाओ तो,,,,,,,और दाल तो ऐसी की समझ ही नाही आता दाल मा पानी है के पानी मा दाल है ,, फिर भी हमहू खाना खाते है ताकि आप लोगन की भावनाओ को ठेस ना पहुँचे,,,,,,!!”,कहते हुए गोलू ने देखा गुप्ता जी बस उसे देखकर मुस्कुरा रहे है।


गोलू को समझ नहीं आया उसने अपने बगल में खाने की थाली उठाये खड़ी अपनी अम्मा को गुस्से में देखा तो बेचारे के आगे के शब्द मुंह में ही रह गए। अब तक ये तो समझ आ चूका था कि गोलू की किस्मत खराब नहीं थी बल्कि उसकी जबान ज्यादा खराब थी जो हर बार उसे मुसीबत में डालती थी।

“अरे अम्मा ! लाओ लाओ जल्दी दयो बहुते भूख लगी है”,गोलू ने थाली की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा
गुप्ताइन ने थाली साइड की और कहा,”अरे नाही नाही गोलू महाराज तुमहू जे बेकार खाना थोड़े खायी हो , जे पत्थर जईसन रोटी , पानी वाली दाल और मिर्चा वाली सब्जी,,,,,,एक काम करो मिश्रा जी के घर जाकर 56 भोग खाओ और केशर वाले दूध मा नहाओ”


गोलू ने सुना तो बेचारा हक्का बक्का रह गया कहा वह शेखी बघार रहा था और कहा उसे गर्मागर्म खाने से हाथ धोना पड़ गया। गुप्ताइन थाली लेकर वापस रसोई की तरफ बढ़ गयी तो गोलू ने गुप्ता जी की तरफ देखकर कहा,”जे सब ना आपकी वजह से हुआ है”
गुप्ता जी ने निवाला तोड़ा और आलू गोभी की सब्जी के साथ खाकर कहा,”मजा आ गवा का सब्जी बनी है आज तो दुई ठो रोटी एक्स्ट्रा खाई है”


गोलू ने सुना तो अपने होंठो पर जीभ फिराई और उठकर गुप्ताइन के पीछे आकर कहा,,”अरे अम्मा हमहू तो मजाक कर रहे थे , अरे तुम्हाये जैसा खाना तो
पुरे कानपूर मा कोई नाही बनाता , ए अम्मा सुनो ना यार खाना देओ हमका भूख लगी है सच मा”
गुप्ताइन ने प्लेट रखी और गोलू की तरफ पलटकर कहा,”जोन मक्खन तुमहू हमका लगा रहे हो ना गोलू , बाहिर बेकरी से ब्रेड खरीदो और ओह्ह पे लगाय के खाय ल्यो , आज तो तुमको जे घर मा खाना ना मिली है,,,,,,,,!!”


“अम्मा सुनो ना यार ऐसा तो ना करो हमाये साथ,,,,,,,,,!!”,गोलू ने मासूम बनने की कोशिश करते हुए कहा
गुप्ताइन के हाथ में खाली पतीला और चम्मच था वे उन्हें लेकर गोलू की तरफ पलटी और कहा,”जे पतीला मा डालकर मुंह खोंच देंगे तुम्हरा , दफा हो जाओ हिया से ,, आये बड़े मिश्रा जी के चहेते,,,,,,!”
गोलू समझ गया अब उसकी दाल यहाँ नहीं गलने वाली क्योकि मिश्राइन ने जैसे गुड्डू को सर चढ़ा रखा था वैसे गुप्ताइन ने तो कभी नहीं चढ़ाया।

गोलू ने फ्रीज पर पड़ी गाजर उठायी और उसे खाते हुए वापस आँगन की तरफ चला आया लेकिन आलू गोभी खाने का उसका मोह अभी छूटा नहीं था। वह गुप्ता जी के पास आया और दया वाला चेहरा बनाकर उनकी तरफ देखा तो गुप्ता जी ने कहा,”भाग जाओ हिया से वरना जे ही गाजर तुम्हायी नाक मा डालकर मुंह से निकाल देंगे”
गोलू ने सुना तो खा जाने वाली नजरो से गुप्ता जी को देखा और जाने के लिए पलट गया तो गुप्ता जी ने कहा,”ए सुनो ! थूतकारी करके जाओ , हमहू नाही चाहते रात मा हमाओ पेट दुखे”


एक तो बेचारे गोलू को आलू गोभी खाने को नहीं मिला ऊपर से उसे ये सब भी सुनने को मिल रहा था। गोलू पलटा और थूथकारी के बजाय उलटी जैसा मुंह बनाया तो गुप्ता जी बेचारे अपनी थाली उठाकर ही वहा से चले गए और गोलू अपने कमरे की तरफ चला गया।

गोलू को उसके घर के सामने उतार कर गुड्डू घर चला आया। उसने बाइक साइड में लगाईं और अंदर चला आया। मिश्रा जी और मिश्राइन के बिना उसे घर सुना सुना लग रहा था उस पर वेदी भी नहीं थी। अंदर आकर गुड्डू को शगुन कही दिखाई नहीं दी वह उसे ढूंढते हुए किचन की तरफ चला आया उसने देखा शगुन किचन में खाना बना रही थी गुड्डू ने देखा तो उसके पास आया और शगुन के ललाट पर आये पसीने को देखकर अपनी उंगलियों से पोछते हुए कहा,”पिताजी जब लड़का लोगन को रखे है काम करने के लिए तो फिर तुमहू काहे परेशान हो रही हो ? और छोडो जे सब हमाये साथ आओ,,,,,,,,,!!”


“कोमल दीदी आप ज़रा देखना मैं आती हूँ”,शगुन ने किचन में खड़ी कोमल से कहा
“हाँ हाँ भाभी जाईये , गुड्डू भैया को कुछो ख़ास बात करनी होगी आपसे”,कोमल ने गुड्डू और शगुन को देखकर शरारत से कहा
गुड्डू ने सुना तो उसे अच्छा नहीं लगा और उसने कोमल को देखकर उखड़े स्वर में कहा,”ओह्ह्ह फूफा की बिटिया , लाज शर्म भूल गयी हो का ?”


कोमल ने सुना तो गुड्डू के सामने आकर कहा,”जे फूफा की बिटिया का होत है ? हमहू आपकी भुआ की बिटिया है”
“हाँ तो हमायी भुआ ना तुम्हाये जित्ती बेशर्म नाही है , और फूफा उन्होंने तो बेशर्मी मा Phd किया है,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने भी तनते हुए कहा
कोमल ने सुना तो मुंह बनाया और वहा से चली गयी। शगुन समझ गयी कि आखिर वेदी क्यों कोमल को पसंद नहीं करती क्योकि कोमल में बचपना बहुत था और वह थोड़ी बद्तमीज भी थी जिसे इस बात का होश नहीं था कि कब क्या बोलना है ?

कोमल के जाने के बाद शगुन ने गुड्डू से कहा,”आपको उनसे इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए गुड्डू जी वो इस घर में मेहमान है,,,,,,,,!!”
“अरे तो मेहमान है तो का हमायी छाती पर चढ़ेगी ? उसको छोडो तुमहू हमाये साथ आओ हमे ना तुमसे बहुते जरुरी बात करनी है,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा और शगुन का हाथ पकड़कर उसे वहा से ले गया।
गुड्डू शगुन को लेकर वेदी के कमरे में आया उसने जैसे ही कमरे का दरवाजा अंदर से बंद किया शगुन ने कहा,”गुड्डू जी ये आप क्या कर रहे है ? दरवाजा बंद क्यों किया है घर में सब लोग है वो क्या सोचेंगे ?”


गुड्डू ने शगुन की तरफ आते हुए कहा,”जिसको जो सोचना है सोचने दो तुमहू हमायी बात सुनो” कहते हुए गुड्डू ने शगुन को बिस्तर पर अपने सामने बैठाया और कहा,”आज हम गोलू के साथ बाबू के पास गए थे”
“बाबू ?”,शगुन ने हैरानी से कहा उसे नहीं समझ आया गुड्डू गोलगप्पे वाले के बारे में बात कर रहा है


“अरे बाबू ! उह गोलगप्पे वाला,,,,,,,पिताजी को स्टेशन छोड़ने के बाद जब घर वापस आ रहे थे तो गोलू के कहने पर उसके यहाँ चले गये। जब गोलू ने उस से दो प्लेट बनाने को कहा तो उसने हमें देखा और कहा कि अभी थोड़ी देर पहले ही तो आप खाकर गए थे। हमरा तो दिमाग घूम गवा शगुन , ऐसा कैसे हो सकता है हमहू पहिले उसके पास गए हो जबकि हमहू तो सुबह से घर पर और फिर गोलू के साथ थे,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने हैरानी से कहा


“गुड्डू जी हो सकता है उनको कोई ग़लतफ़हमी हुई हो,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा क्योकि उसे गुड्डू की कहानी में कोई अजीब बात नहीं दिखी
“नहीं शगुन ! गलतफहमी नहीं थी , पुरे कानपूर मा सिर्फ हम और गोलू है जिह से बाबू कबो पइसा नाही लेता , बाबू ने कहा उसने हमे प्लेट खिलाई थी और हमसे पैसा भी नहीं लिया,,,,,,,,,,,,,शगुन का हमाये जैसा दिखने वाला दुसरा भी कोनो हो सकता है का ?”,गुड्डू ने पूछा


“गुड्डू जी देखा जाए तो इस दुनिया में एक शकल के 7 लोग होते है पर हम उनसे कभी मिले ये जरुरी नहीं है,,,,,,,,,बाबू को पक्का कोई ग़लतफ़हमी हुई है”,शगुन ने गुड्डू को समझाते हुए कहा  
गुड्डू ने राहत की साँस ली और कहा,”फिर ठीक है उह साला गोलू हमको उलझन मा डाल दिया कि का पता हमरा कोनो जुड़वा भाई हो , अरे ऐसा होता तो उह हिया होता ना इह घर मा , हमने तो बचपन से बस खुद को और वेदी को देखा है,,,,,,,,,,,,,जे गोलू भी न का का बकता रहता है।

अच्छा हमहू हाथ मुँह धोकर आते है तुमहू हमाये लिए खाना लगवाय दयो,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा और उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ गया
गुड्डू ने जैसे ही दरवाजा खोला दरवाजे से कान लगाए खड़ी भुआ सीधा अंदर आ गिरी गुड्डू ने देखा तो उन्हें उठाते हुए कहा,”अरे भुआ तुमहू हिया का कर रही हो ? का चुपके चुपके हमायी और शगुन की बात सुन रही थी?”
“अरे हम काहे सुने है कोनो की बात ? हमहू तो हिया ही आ रहे थे कि तुमहू एकदम से दरवाजा खोल दिए और हमहू गिर पड़े”,भुआ ने उठते हुए कहा। गुड्डू ने सुना तो वहा से चला गया


शगुन भुआ की तरफ आयी और कहा,”आप ठीक तो है ना ? आपको कुछ चाहिए था ?”
भुआ ने शगुन का हाथ साइड किया और कहा,”जे अपनी मीठी मीठी बातो का जादू कही ओर चलाना हमहू सब जानते है हमाये भाईसाब को गुड्डूआ को जो अपने पीछे घुमाय रही हो ना इह जियादा दिन नाही चली है , और हमको कुछो चाहिए होगा तो का तुमसे पूछ के लेंगे,,,,,,,,,हमाये भाई का घर है हमहू खुद से ले लेंगे तुमहू जाकर अपना काम करो”


भुआ की बेरुखी देखकर शगुन का मन उदास हो गया , उनकी कड़वी बाते सुनकर शगुन का दिल किया अभी उन्हें जवाब दे दे लेकिन वह अपनी मान मर्यादा समझती थी। मिश्रा जी और मिश्राइन दोनों ही घर पर नहीं थे और ऐसे में शगुन की जिम्मेदारी बनती थी घर का माहौल ठीक रहे उसने भुआ से कुछ नहीं कहा और वहा से चली गयी। भुआ ने झुककर शगुन को जाते देखा और फिर पलटकर ख़ुशी से बड़बड़ाई,”तुमहू हिया नाही हो तो का हुआ कोमलिया के पिताजी हमहू अपना काम करते रहेंगे , देखा कैसे शगुन को एक झटके मा चुप कर दिया,,,,,,,,!!”

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संजना किरोड़ीवाल 

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal
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भुआ की बेरुखी देखकर शगुन का मन उदास हो गया , उनकी कड़वी बाते सुनकर शगुन का दिल किया अभी उन्हें जवाब दे दे लेकिन वह अपनी मान मर्यादा समझती थी। मिश्रा जी और मिश्राइन दोनों ही घर पर नहीं थे और ऐसे में शगुन की जिम्मेदारी बनती थी घर का माहौल ठीक रहे उसने भुआ से कुछ नहीं कहा और वहा से चली गयी। भुआ ने झुककर शगुन को जाते देखा और फिर पलटकर ख़ुशी से बड़बड़ाई,”तुमहू हिया नाही हो तो का हुआ कोमलिया के पिताजी हमहू अपना काम करते रहेंगे , देखा कैसे शगुन को एक झटके मा चुप कर दिया,,,,,,,,!!”

भुआ की बेरुखी देखकर शगुन का मन उदास हो गया , उनकी कड़वी बाते सुनकर शगुन का दिल किया अभी उन्हें जवाब दे दे लेकिन वह अपनी मान मर्यादा समझती थी। मिश्रा जी और मिश्राइन दोनों ही घर पर नहीं थे और ऐसे में शगुन की जिम्मेदारी बनती थी घर का माहौल ठीक रहे उसने भुआ से कुछ नहीं कहा और वहा से चली गयी। भुआ ने झुककर शगुन को जाते देखा और फिर पलटकर ख़ुशी से बड़बड़ाई,”तुमहू हिया नाही हो तो का हुआ कोमलिया के पिताजी हमहू अपना काम करते रहेंगे , देखा कैसे शगुन को एक झटके मा चुप कर दिया,,,,,,,,!!”

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