Manmarjiyan Season 3 – 42
Manmarjiyan Season 3 – 42

मिश्रा जी , मिश्राइन , फूफा और वेदी को ट्रैन में बैठकर गुड्डू और गोलू घर के लिए निकल गए। गुड्डू बाइक चला रहा था और गोलू पीछे बैठा था। काफी दिनों बाद दोनों साथ साथ बाइक पर थे और दोनों का मन फ़िलहाल शांत था।
“यार गोलू ! साला फूफा 2 दिन के लिए बनारस गया है तो ही कितना अच्छा लग रहा है”,गुड्डू ने बाइक चलाते हुए कहा
“अरे चिंता नाही करो गुड्डू भइया , बनारस से वापस आन दयो फूफा को बोरिया बिस्तर बांधकर परमानेंट जौनपुर की ट्रेन मा छोड़कर आएंगे,,,,,,बहुत चने चबवाये है नाक से जे फूफा ने,,,,,,!!!”,गोलू ने कहा
“हाँ कितना सही था सब पर जे फूफा ने आकर तबाही मचा दी सबके जीवन मा”,गुड्डू ने कहा
“पर गुड्डू भैया जे फूफा ऐसा कुछो जानता है का जो मिश्रा जी के लिए खतरे की घंटी हो,,,,,,,,!!”,गोलू ने जिज्ञासा जाहिर की
“यार गोलू लगता तो हमको भी ऐसा ही कुछ है , तुमको याद है उह दिन फूफा दारू पी के ठेके पे मिले थे हमे , तब उह हमसे कहे भी थे कि जाकर पूछो अपने बाप से तुम उनकी औलाद हो या नहीं ? हमको तो लगता है गोलू,,,,,,,,!”,गुड्डू ने हैरानी से इतना ही कहा कि गोलू बीच में ही बोल पड़ा,”अरे का लगता है आपको गुड्डू भैया,,,,,,,,,,,,साला आप अपने फूफा को जानते नाही का,,,,!!”
“मतलब ?”,गुड्डू ने पूछा
“अरे मतलब फूफा दारू पीकर गू को गुलाबजामुन कहे तो मान लोगे ?”,गोलू ने कहा
“छी छी गोलू कैसी बदबूदार बाते कर रहे हो,,,,,,,तुमको कोनो और एग्जाम्पल नाही मिला”,गुड्डू ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा
“एग्जाम्पल छोडो गुड्डू भैया ज़रा सोचो मिश्रा जी ने आज तक कबो आपको ऐसा फील करवाया कि उह आपके पिताजी नहीं है ?”,गोलू ने पूछा
“नहीं गोलू पिताजी तो हमसे बहुते प्यार करते है,,,,,,उलटा हम ही उनको परेशान करते रहते है”,गुड्डू ने मुस्कुरा कर कहा
“माना की मिश्रा जी आपको थोड़ा जुतिया देते है पर जे का मतलब इह तो नाही कि उह तुम्हरे बाप ही नाही है”,गोलू ने कहा
“गोलू तुमहू बड़ा भिगोकर मार रहे हो हमका , भूलो मत हमसे चार थप्पड़ ज्यादा ही खाये है तुमने पिताजी से”,गुड्डू ने कहा
“चार थप्पड़ ? जे कहो गुड्डू भैया कि हमाये दोनों गालों पर मिश्रा जी अब तक सेंचुरी बना चुके है , बाटा की चप्पलें पहनी कम गयी और हमायी पीठ पर ज्यादा बरसाई गयी है , बस एक खाल मा भूसा भरना बाकि रहा है किसी दिन उह भी भर देंगे”,गोलू ने अपनी आपबीती सुनाई
“अब पिताजी का प्यार तुम्हाये ऊपर हम से ज्यादा है तो हम का करे ?”,गुड्डू ने हँसते हुए कहा
“अरे मिश्रा जी का पियार तो हमहू हजम कर लेंगे पर आपको का हुआ है आपका पियार हमाये लिए कम काहे हो गवा ?”,गोलू ने शिकायती लहजे में कहा
“काहे ? अब हम का किये ?”,गुड्डू ने हैरानी से कहा
“अरे यार गुड्डू भैया इत्ते दिन बाद बाहिर आये है जे नाही कि आओ गोलू तुमको कुछो खिला दे,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“हमाये पास फालतू का पैसा नाही है गोलू , घर गृहस्थी वाले हो चुके है पैसे बचाने चाहिए”,गुड्डू ने कहा
“ओह्हो हमायी एक ठो पिलेट गोलगप्पे के पैसे बचा के कौनसा महल खड़ा कर लिए आप ? और वैसे भी पैसे आज हम दे देंगे अब तो खिलाय दयो”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा
“का बात है गोलू ? आज तुमहू इत्ता मेहरबान कैसे ?”,गुड्डू ने बाइक बाबू गोलगप्पे वाले की तरफ घुमाते हुए कहा
“अरे आज शाम मा ही फूफा से पुरे 500 झाँपे है,,,,,!!”,गोलू ने खुश होकर कहा
“वाह गोलू चोर के घर मा चोरी,,,,वैसे उह कंजूस मक्खीचूस फूफा ने तुमको 500 रूपये दे कैसे दे दिए ?”,गुड्डू ने हैरानी से कहा और बाइक रोककर गोलू के साथ ठेले की तरफ बढ़ गया
“अरे फूफा ने कहा दिए उह तो भुआ ने ओह्ह हलक मा हाथ डालकर निकलवाए और हमे दिए,,,,,,,,आपकी भुआ काफी इम्प्रेस है हमाये से गुड्डू भैया”,गोलू ने कहा
गुड्डू ने उसे एक चपत मारी और कहा,”अबे तुम्हायी भी भुआ है उह जियादा बकैती ना करो”
गोलू हसने लगा और ठेले के पास आकर बाबू से कहा,”सुनो बाबू ! दुइ पिलेट दही पुचका लगाय दयो बाकी आर्डर बाद मा”
बाबू ने सुना तो गोलू की तरफ देखकर कहा,”अरे गोलू भैया ! आज तो आप भी हमाये ठेले पर चले आये,,,,,,,,,,,!!”
“आप भी मतलब ? का हमाये खानदान से भी कोनो आया था का ?”,गोलू ने हैरानी से कहा
“अरे नाही भैया ! अभी थोड़ी देर पहले गुड्डू भैया आये रहय उह एक ठो पिलेट खाकर गए अब आप आये है,,,,,,,,,इह से अच्छा साथ ही आ जाते”,बाबू ने मसाला बनाते हुए कहा
गोलू ने सुना तो हैरानी से गुड्डू को देखा और दो कदम पीछे हटकर उछलते हुए कहा,”वाह गुड्डू भैया वाह बहुते सही , हमाये बिना आप बाबू के पास चले आये और आये तो आये अकेले अकेले गोलगप्पे भी खा लिए,,,,,,,,,,,,,ए साला हजम कैसे हुआ रे आपको उह गोलगप्पा ? बस यही थी आपकी दोस्ती , गोलू तू मेरा दोस्त नहीं तू तो मेरा भाई है,,,,,,,,,,,,तबही हमायी पिरोपर्टी पर हाथ साफ कर लिए गुड्डू भैया,,,,,,,,,,!!”
“का अंट शंट बक रहे हो गोलू ? हमहू तुम्हाये साथ ही तो घर से आये है,,,,,,,,!”,गुड्डू ने कहा तो गोलू बाबू के पास आया और कहा,”का रे बाबू गुड्डू भैया के बारे में झूठी बाते काहे फैलाय रहे हो ? इह तो हमाये साथ थे फिर गोलगप्पे किसको खिलाये तुम्हाये ससुर को ?”
गोलू की बात सुनकर बाबू ने जैसे ही उसके बगल में खड़े गुड्डू को देखा तो हैरानी से कहा,”का गुड्डू भैया अभी अभी तो आप हमसे एक ठो पिलेट गोलगप्पे खाकर गए थे , हमने तो आपसे पैसे भी नाही लिए,,,,,,,,,!!”
गोलू ने सुना तो उसका सर चकराया और वह सोचने लगा,”साला ऐसा कैसे हो सकता है ? गुड्डू भैया तो पूरा दिन हमाये साथ थे फिर हिया कैसे आये ? लगता है बाबू को कोनो गलतफहमी हुई है,,,,,,,,,!!”
गोलू बाबू के बगल में आया और उसका मुंह पकड़कर सूंघते हुए कहा,”का मिक्स करके पिए हो तुमहू बाबूलाल ?”
“माँ कसम गोलू भैया हमहू शराब को हाथ तक नाही लगाते”,बाबू ने कहा
“अरे तो फिर बिना पिए तुमको दो दो गुड्डू भैया नजर काहे आ रहे है ?”,गोलू ने कहा
बेचारा बाबू खुद को यकीन दिलाने की कोशिश करने लगा कि थोड़ी देर पहले उसने जिसे देखा वो गुड्डू था या अभी जो उसके सामने खड़ा है वो गुड्डू है ,,
उसने गुड्डू को देखा और फिर हैरानी भरे स्वर में गोलू से कहा,”गोलू भैया ! हमको तो लगता है उह गुड्डू भैया का जुड़वा भाई था , हमायी आँखे धोखा नाही खा सकती,,,,,,,,,,!!”
गोलू ने सुना तो गुड्डू को देखने लगा और गुड्डू ने कहा,”ए बाबू ! का बकवास कर रहे हो ? हमारा कोई भाई नाही है हमहू अपने पिताजी के इकलौते बेटे है और एक बहिन है हमायी बस,,,,,,,,,,,,,कुछ भी बक रहे हो , पिलेट लगाओ”
गुड्डू को झुंझलाते देखकर बाबू ने मायूसी से गोलू को देखा तो गोलू ने कहा,”बाबू तुमहू कबो अपने पिछवाड़े पे उड़ती लात खाये हो ?”
“नाही गोलू भैया,,,,,,,,,,,!!”,बाबू ने मासूमियत से कहा
“नहीं ना तो चुपचाप हमाये और गुड्डू भैया के लिए पिलेट बनाओ वरना फ़ुटबाल बना देंगे,,,,,,,!!”, गोलू ने कहा और गुड्डू की तरफ चला आया
बाबू की बातो का गुड्डू पर तो कोई खास असर नहीं हुआ वह वही ठेले के बगल में खड़े होकर अपना फोन चलाने लगा लेकिन बाबू की बातो ने गोलू को परेशानी में डाल दिया और गुड्डू की तरफ आते हुए मन ही मन खुद से कहने लगा,”साला जे बाबू जो कह रहा है कही उह सच तो नाही क्योकि उह दिन हमहू भी गुड्डू भैया को चंदौली की बस मा चढ़ते देखे थे और घर आकर पूछना भूल गए थे ,, आज बाबू कह रहा है गुड्डू भैया कुछ देर पहिले गोलगप्पे खाकर गए है,,,,,,,,,कुछ तो गड़बड़,,,,,,,,,,,,!!”
“का हमायी छाती पर चढ़े हो अब ?”,गुड्डू की आवाज गोलू के कानो में पड़ी तो गोलू ने देखा गुड्डू उसके सामने खड़ा है। अपने विचारो में खोये गोलू को ध्यान नहीं रहा और वह गुड्डू से आ टकराया
“गुड्डू भैया ! आप कबो चंदौली गए है का ?”,गोलू ने बाबू के हाथ से प्लेट लेकर गुड्डू की तरफ बढाकर कहा
“हमहू जे नाम ही पहली बार सुने है गोलू हमहू चंदौली का लेने जायेंगे ?”,गुड्डू ने प्लेट लेते हुए कहा
“गुड्डू भैया तो कबो चंदौली नाही गए फिर हमहू जोन आदमी को देखे उह शायद हमरी आँख का धोखा हो,,,,,,,!!”,गोलू ने मन ही मन सोचते हुए आड़े टेढ़े मुंह बनाये। गुड्डू ने देखा तो गोलू का कंधा हिलाकर कहा,”का हुआ मुंह काहे बना रहे हो ?”
“अरे कुछो नाही गुड्डू भैया , अभी कुछ दिन पहिले हुआ से एक ठो बुकिंग आया था हमहू मना कर दिए , कौन इत्ती दूर जाहि है ?”,गोलू ने बाबू से अपनी प्लेट लेकर कहा
वह गुड्डू के बगल में आ खड़ा हुआ और गोलगप्पे खाने लगा। गुड्डू भी चुपचाप खाने लगा। गोलगप्पे के बाद गोलू ने बनवाई तीखी भेल और गुड्डू के साथ मिलकर खाने लगा। सब खाकर गोलू बाबू के पास आया और उसी तरफ 500 का नोट बढाकर कहा,”इह लयों बाबू”
“का गोलू भैया छुट्टा दीजिये ना,,,,,,,,!”,बाबू ने कहा
“अरे छुट्टा रहन दयो जे पूरा नोट ही तुमहू रख लयो पीछे का हिसाब भी बराबर कर ल्यो”,गोलू ने कहा
बाबू ने ख़ुशी ख़ुशी नोट लिया और कहा,”वाह गोलू भैया का बात है , सीधा 500 सौ”
“अरे कौनसा हमायी जेब से दे रहे है , जे तो आज शाम मा फूफा से चके है हमने”,गोलू सुखी पपड़ी उठाकर खाते हुए कहा
बाबू ने जैसे ही फूफा नाम सुना उसे सब घटनाये याद आ गयी जो फूफा की वजह से उसके जीवन में घटी थी , फूफा के चक्कर में शर्मा जी से मार खाई सो अलग , बाबू ने नोट वापस गोलू की तरफ बढ़ाया और कहा,”एक काम करो गोलू भैया अपना जे पकड़ो अपना नोट , आपको दुइ पिलेट और खाना है तो हमहू ख़ुशी ख़ुशी बिना पैसो के खिला देंगे पर फूफा के पैसे नाहीं लेंगे”
“काहे फूफा के पैसे से का दिक्कत है तुमको ?”,गोलू ने बाबू के हाथ से नोट लेकर हैरानी से कहा
“नाम ना लो हमाये सामने अपने फूफा का,,,,,,,,,,!!”,बाबू ने थोड़ा चिढ़कर कहा
“हमाये नाही उह गुड्डू भैया के फूफा है और तुमहू फूफा से इत्ता काहे कीलसे पड़े हो बे ? चरस तो उह हमाये जीवन मा बो रखे है”,गोलू ने कहा
“फिर से फूफा,,,,,,,,,,,!!”,बाबू ने गुस्से से कहा
“अबे तो फूफा को फूफा ही कहेंगे ना कि नाम से बुलाना शुरू कर दे,,,,,,,,!”,गोलू ने चिढ़कर कहा
बार बार गोलू के मुंह से फूफा सुनकर बाबू अपना आप खो बैठा और ठेले के पतीले फेंकते हुए बोला,”फूफा फूफा फूफा , साला जे फूफा ने ही तो हमायी जिंदगी मा चरस बोई थी , आपके और आपके उह फूफा के चक्कर मा कितनो से मार खाये है गोलू भैया,,,,,,,,,,भाग जाईये यहाँ से वरना मीठी चटनी फेंक के मारेंगे अभी मुंह पे”
गोलू को तो बाबू के मुंह से फूफा पुराण सुनने में बड़ा मजा आ रहा था। वह एक के बाद एक सुखी पपड़ी उठाकर खाये जा रहा था। गुड्डू ने देखा तो गोलू की कॉलर पकड़ी और खींचते हुए उसे वहा से ले गया।
चलते चलते गोलू ने हाथ में पकड़ी सुखी पपड़ी गुड्डू की तरफ बढ़ाई और कहा,”जे आपके फूफा से तो लगता है पूरा कानपूर परेशान है,,,,,,,!!”
गुड्डू ने गोलू के हाथ से पपड़ी ली और मुस्कुराते हुए खाकर बाइक की तरफ बढ़ गया
मिश्रा जी गोलू के कहने पर फूफा को अपने साथ लेकर आ तो गए थे पर फूफा ने उनकी नाक में दम कर दिया। मिश्रा जी ने टीटी से बात करके चारो सीट एक ही डिब्बे में करवा ली लेकिन फूफा को चैन नहीं वह जानबूझकर किसी ना किसी वजह से मिश्रा जी और मिश्राइन को तंग कर रहे थे। वेदी को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन वह बड़ो के बीच में क्या ही बोले ? दो अपर सीट थी और दो लोअर , मिश्रा जी और मिश्राइन दोनों ही भारी थे और मिश्राइन के घुटनो में दर्द भी था तो उनका अपर बर्थ पर जाना मुमकिन नहीं था
मिश्रा जी ने उन्हें नीचे रहने को कहा , वेदी उपर वाली बर्थ पर चली आयी ताकि आराम से अमन से चैटिंग कर सके , अब मिश्रा जी और फूफा के बीच में द्वंद्व था कि दोनों में से अपर बर्थ पर जाएगा कौन ? मिश्रा जी जैसे ही फूफा से कुछ कहने के लिए पलटे फूफा पहले ही बोल पड़े,”हमहू हिया नीचे ही सोयेंगे , अपर बर्थ पर आप जाईये,,,,,,,,!”
“आदर्श बाबू हमहू इत्ता ऊपर चढ़ नाही पाएंगे आप दुबले पतले है आपके लिए आसान होगा,,,,हमहू रिक्वेस्ट”,मिश्रा जी विनम्रता से कहा लेकिन फूफा को सीधे तरिके से कोई बात समझ आये भला ये कैसे हो सकता था ?
उन्होंने अकड़कर कहा,”हराम का खा खा के इत्ता वजन काहे बढ़ाय लिए कि चढ़ने मा दिक्कत आये”
मिश्राइन ने सुना तो गुस्से से फूफा की तरफ देखा वे कुछ कहे इस से पहले मिश्रा जी ने उनके कंधे पर हाथ रखकर बोलने से रोक दिया और अपनी गर्दन ना में हिला दी। मिश्रा जी को खामोश देखकर फूफा ने मिश्राइन से कहा,”का सरिता जी ? खाना नहीं लाई है का ? अरे तो फिर लगाइये ना हमहू जरा हाथ मुंह धोकर आते है”
फूफा वहा से चले गए , मिश्राइन ने मिश्रा जी को देखा और गुस्से से कहा,”काहे रोके आप हमे ? हमहू मुंह तोड़ देते ओह्ह का,,,,,,,,ओह्ह की जे हिम्मत आपको हराम का खाने वाला कहे उह बेशर्म,,,,,,,!”
“शांत हो जाओ गुड्डू की अम्मा , हमहू कोनो तमाशा नाही चाहते”,मिश्रा जी ने बुझे स्वर में कहा
“अरे तमाशा तो आदर्श बाबू कर रहे है गुड्डू के पिताजी , हमहू सब बर्दास्त करी है पर आपकी बेइज्जती नाही,,,,,,,,,पानी सर के ऊपर से जा रहा है और आप हमको तैरने ले लिए कह रहे है”,मिश्राइन ने कहा और गुस्से में वहा से चली गयी।
बेचारे मिश्रा जी हताश होकर सीट पर आ बैठे और अपने हाथो की उंगलियों को आपस में फंसाकर होठो से लगाकर गहरे चिंतन में डूब गए।
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संजना किरोड़ीवाल


मिश्रा जी ने उन्हें नीचे रहने को कहा , वेदी उपर वाली बर्थ पर चली आयी ताकि आराम से अमन से चैटिंग कर सके , अब मिश्रा जी और फूफा के बीच में द्वंद्व था कि दोनों में से अपर बर्थ पर जाएगा कौन ? मिश्रा जी जैसे ही फूफा से कुछ कहने के लिए पलटे फूफा पहले ही बोल पड़े,”हमहू हिया नीचे ही सोयेंगे , अपर बर्थ पर आप जाईये,,,,,,,,!”
“आदर्श बाबू हमहू इत्ता ऊपर चढ़ नाही पाएंगे आप दुबले पतले है आपके लिए आसान होगा,,,,हमहू रिक्वेस्ट”,मिश्रा जी विनम्रता से कहा लेकिन फूफा को सीधे तरिके से कोई बात समझ आये भला ये कैसे हो सकता था ?
मिश्रा जी ने उन्हें नीचे रहने को कहा , वेदी उपर वाली बर्थ पर चली आयी ताकि आराम से अमन से चैटिंग कर सके , अब मिश्रा जी और फूफा के बीच में द्वंद्व था कि दोनों में से अपर बर्थ पर जाएगा कौन ? मिश्रा जी जैसे ही फूफा से कुछ कहने के लिए पलटे फूफा पहले ही बोल पड़े,”हमहू हिया नीचे ही सोयेंगे , अपर बर्थ पर आप जाईये,,,,,,,,!”
“आदर्श बाबू हमहू इत्ता ऊपर चढ़ नाही पाएंगे आप दुबले पतले है आपके लिए आसान होगा,,,,हमहू रिक्वेस्ट”,मिश्रा जी विनम्रता से कहा लेकिन फूफा को सीधे तरिके से कोई बात समझ आये भला ये कैसे हो सकता था ?
Jo maine kal kaha tha, wahi hua Babu gol gappe wale ne Golu se bta diya ki Guddu abhi abhi 2 plate gol gappe kaa kar gaya hai…aur ab Golu ne bhi Guddu se Chandauli k bare m puch liya hai…lakin Guddu inn sabke bare m nhi janta hai aur ho na ho Fufa inn sabke k bare m jante ho… isliye to wo Mr and Mrs ko Mishra ko preshan kar rahe hai…yani Lovely upadhyay bhi iss bare m janta hai aur wo fufa k sath milkar Mishra khandan k khilaf sazish rachega…chalo dekhte hai