Manmarjiyan Season 3 – 37

Manmarjiyan Season 3 – 37

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

मिश्रा जी अपने कमरे में खड़े सबके साथ मिलकर अम्मा की अस्थियो का विसर्जन करने बनारस जाने को लेकर सबके साथ चर्चा कर रहे थे लेकिन कोई हल नहीं मिला तभी मिश्रा जी के बिस्तर के नीचे छुपा गोलू निकलकर बाहर आया और कहा,”अरे आइडिआ ही गलत है आप लोगन का”
गोलू मिश्रा जी के डर से ही तो यहाँ आकर छुपा था और खुद ही उनके सामने आ गया क्योकि हमारे गोलू महाराज को फट्टे में टाँग अड़ाने की आदत जो थी। गोलू सबके बीच आया तो सब हैरानी से उसे देखने लगे।


“तुमहू मिश्रा जी के बिस्तर के नीचे का कर रहे थे ?”,गुप्ता जी ने पूछा
“अरे पिताजी अभी मुद्दा जे नाही है,,,,,,,!!”,कहते हुए गोलू गुप्ता जी के सामने से निकलकर मिश्रा जी सामने आया और कहा,”हाँ मिश्रा जी का कह रहे थे आप ?”
गोलू कभी कभी भूल जाता था कि उसके सामने खड़ा आदमी आनंद मिश्रा है जो गोलू को रत्ती भर कुछ नहीं समझता। गोलू के मुंह से सीधा मिश्रा जी सुनकर गुड्डू ने पास खड़ी शगुन से फुसफुसाते हुए कहा,”जे गोलू फिर पिताजी से मार खायेगा”


मिश्रा जी गोलू को देखकर हल्का सा मुस्कुराये तो गोलू भी मुस्कुरा दिया लेकिन अगले ही पल उसके चेहरे से मुस्कुराहट गायब थी क्योकि मिश्रा जी का हाथ उसके गाल पर जो पड़ चुका था।
“जे मिश्रा जी मिश्रा जी का लगा रखा है बे ? तुम्हरी गोद मा खेले है का ?”,मिश्रा जी ने कहा
“चचा,,,,,,उह फ्लो फ्लो मा निकल गवा”,गोलू ने कहा    
“हाँ तो बेटा हमाओ हाथ भी फ्लो फ्लो मा निकल गओ,,,,,,,,,अब बताओ का कहने वाले थे तुम ?”,मिश्रा जी ने कहा


“अरे नहीं बताएँगे हम , पहिले थप्पड़ खाओ फिर आइडिआ बताओ,,,,,,,,साला ढोल है का हम जो आते हो बजाते हो फिर कहते हो गाना भी सुनाओ”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा तो मिश्रा जी उसके पास आये और उसके कंधो पर अपनी बांह रखकर कुछ ज्यादा प्यार से कहा,”अरे हमाओ गोलू ! बताओ का बात है,,,,,,!!!
“नहीं बताएँगे,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“अरे बताओ,,,,,!!”,मिश्रा जी ने घुड़क कर कहा तो गोलू मिश्रा जी से दूर होकर कहा,”समस्या जे है ना कि ददिया की अस्थियो को बनारस लेकर कौन जाही है ?”


“हाँ फ़िलहाल तो समस्या यही है,,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा
“हां तो इह का हल है हमाये पास”,गोलू ने कहा
गुप्ता जी जो कि अब तक शांत थे आगे आये और कहा,”बिल्कुल सही बैल जइसन औलाद हमने पैदा की है तो हल भी उसी के पास मिली है ना”
“ए पिताजी ! ए यार आप ना अभी के लिए शांत रहो,,,,,,आपसे हमहू घर जाकर बात करेंगे”,गोलू ने कहा


एक बार फिर गोलू के गाल पर मिश्रा जी का हाथ था , गोलू ने हैरानी से उनकी तरफ देखा और कहा,”अब हमहू का किये ?”
“बाप से ऐसे बात करोगे ? कोनो लाज शरम नाही है तुम्हरे अंदर,,,,,,,,,,,,,हमहू देख रहे है गोलू दिन ब दिन बहुते बद्तमीज होते जा रहे हो तुमहू”,मिश्रा जी ने गुस्से से दबी आवाज में कहा


दोनों गालो पर थप्पड़ खाकर गोलू चिढ गया और उछलते हुए कहा,”अरे हमको खेलना ही नाही है साला आपसे कुछ कहो तो थप्पड़ खाओ , उनसे कुछ कहो तो थप्पड़ खाओ , हमहू का दुनिया मा थप्पड़ खाने के लिए आये है ? जब देखो तब हमरा गाल होता है और किसी का हाथ,,,,,,,,,,,,साला साँस भी लेते है तो थप्पड़ पड़ जाता है हमको , का करे सांस लेना छोड़ दे ?”


“साँस लेना छोड़ देइ हो तो मर जाही हो न गोलू”,गुप्ता जी ने कहा
“हाँ तो अच्छा है ददिया के साथ हमाई अस्थिया भी लेकर बनारस चले जाईयेगा। मिश्रा जी की समस्या भी खत्म हो जाही है और आपकी भी,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने गुस्से से कहा

मिश्राइन ने सुना तो कहा,”ए गोलू ! जे का बकवास कर रहे हो ? कुछ भी बोलते हो , खबरदार जो अईसन शब्द मुंह से निकाले,,,,,,,,!!”
कहते हुए मिश्राइन मिश्रा जी की तरफ पलटी और कहा,”और आप दोनों काहे पीछे पड़े है इह का ? उह बेचारे को अपनी बात कहने तो दो ओह्ह से पहिले ही भीगो के जूते मारना शुरू कर दिए,,,,,,,,,,!!”
मिश्राइन को अपनी साइड लेते देखकर गोलू ने दया भरी नजरो से उन्हें देखा जैसे बेचारा उनके सामने नतमस्तक होना चाहता हो क्योकि इतने लोगो में उन्होंने ही गोलू के लिए आवाज उठाई थी।

मिश्राइन की बात सुनकर मिश्रा जी और गुप्ता जी दोनों चुप हो गए और गर्दन घुमा ली। मिश्राइन ने गोलू को देखा और कहा,”और गोलू तुम ! बकैती ना करो सीधे सीधे बताओ का हल है तुम्हरे पास ? वरना अपना जे मनहूस शरीर उठाओ और दफा हो जाओ हिया से”
कुछ देर पहले गोलू का जो सर मिश्राइन के सामने नतमस्तक हो रहा था वो नीचे जाते जाते वापस ऊपर हो गया और उसने कहा,”हाँ बताते है”

गोलू ने सबको एक नजर देखा और कहा,”ददिया की अस्थिया लेकर बनारस जाना है और चचा का जाना जरुरी है क्योकि इह ठहरे उनके बिटवा,,,,,,,अब चचा अकेले जायेंगे तो सही नाही लगेगा का है कि हुआ अस्थिया विसर्जन के समय इमोशनल हो गए तो सम्हालने के लिए कोई होना चाहिए ना तो इमोशनल सपोर्ट के लिए चाची का भी टिकट बनवाय लयो,,,,,,,

अब गुड्डू भैया शगुन भाभी के बिना जायेंगे नाही और हिया रहे तो फूफा से कलेश पक्का तो हमहू जे कह रहे कि समस्या की जड़ है फूफा तो एक ठो टिकट फूफा का भी बनवाय दयो,,,,,,,,,फूफा के जाने से हिया की चिंता खत्म और हुआ चचा की आँखों के सामने रहे है तो जियादा तीन पांच भी ना करी है,,,,,,,इह से दो फायदे है कलेश भी नाही होगा और फूफा भी शांत”


मिश्रा जी ने सुना तो गोलू को देखा और उसकी तरफ आय , गोलू ने अपने कदम पीछे ले लिए वह बेचारा घबरा रहा था कि कही उसने फिर से कोई गलत बात तो नहीं कह दी। मिश्रा जी गोलू के सामने आये उसका चेहरा अपने हाथो में लिया और उसके टकले पर जबरदस्त चुम्मा देकर कहा,”बहुते सही गोलू जीवन मा पहली बार तुमहू कोनो ढंग की बात कहे हो,,,,जीते रहो”
बेचारा गोलू मिश्रा जी जब उसका चेहरा थामा तब तक तो उसकी जान लगभग हलक में आ चुकी थी पर जैसे ही मिश्रा के शब्द उसके कान में पड़े गोलू की जान में जान आयी।  


मिश्रा जी को गोलू की बात पर सहमत होते देखकर गुड्डू ने कहा,”उह्ह सब तो ठीक है पिताजी पर सांप का बिल मा हाथ डालेगा कौन ? फूफा से बनारस चलने के लिए आप और हम कहे तो उनको लगेगा आप जान बूझकर उन्हें बनारस लेकर जा रहे है,,,,,,!!”
“बात तो तुम्हरी भी सही है गुड्डू अगर आदर्श बाबू खुद ही आकर साथ चलने को कह दे तो हमारा काम हो सकता है”,मिश्रा जी ने कहा
“आदर्श बाबू साथ जायेंगे तो फिर गुड्डू की भुआ,,,,,,,,,,,!!”,मिश्राइन ने कहा   

 
“अरे भुआ को हमाये लिए छोड़ दीजिये”,गोलू ने तपाक से कहा तो सबकी नजरे गोलू पर जा टिकी , सबको अपनी तरफ देखते पाकर गोलू ने अगले ही पल अपनी जबान सम्हाली और कहा,”अरे हमारा मतलब , भुआ को हम लोग सम्हाल लेंगे हम है गुड्डू भैया है , शगुन भाभी है,,,,,,,,!!”
“एक काम करते है राजकुमारी को भी साथ ले चलते है,,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा
“हाँ बिलौटे के साथ बिलौटी को भी ले जाओ,,,,,,!!”,गोलू ने अपना दाँत कुरेदते हुए कहा


“जे का बकवास कर रहे हो गोलू ? अब बिलौटा-बिलौटी ?”,गुप्ता जी ने कहा
गोलू को मिश्रा जी से अभी ताजा ताजा पड़ा थप्पड़ याद था इसलिए वह गुप्ता जी की तरफ पलटा और हाथ जोड़कर कहा,”आदरणीय पिताजी ! आनंद चचा के घर की कहानी आप नहीं जानते हमहू जानते है , इहलीये आपसे हाथ जोड़कर बिनती है हमाई कि शांत रहे हमे आक्रामक होने पर मजबूर ना करे का है कि दो ही गाल है हमाये पास और दोनों पर थप्पड़ खा चुके है हमहू”


“गोलू तुम कहना क्या चाहते हो ? आदर्श बाबू को लेकर जा रहे है ना साथ अब राजकुमारी जा रही है तो का समस्या है ?”,मिश्रा जी ने पूछा
गोलू मिश्रा जी की तरफ पलटा और कहा,”अरे फूफा अकेले जाए तो ज्यादा सही है भुआ साथ रहेगी तो वो भुआ के दम पर जियादा उछलेंगे न,,,,,,,अरे भुआ बेचारी सीधी गाय है उह बैल जैसे फूफा ने उनके दिमाग मा जहर भर दिया है ,, आप फूफा को लेकर जाईये हम और गुड्डू भैया पीछे से भुआ का ब्रेन वाश कर देंगे,,,,,,,,!!”


“और तुमको लगता है तुम जे कर लोगे ?”,मिश्रा जी ने कहा
“काहे ? आपका ब्रेन वाश नहीं किया था का ? जब आप हमरी बातो मा आकर फूफा को उठवाने,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा लेकिन अपनी बात पूरी कर पाता इस से पहले मिश्रा जी ने उसका मुंह बंद करते हुए दबी आवाज में कहा,”गोलू बेटा बस,,,,,,,,,,,फ्लो फ्लो मा अंदर की बाते बाहर आ रही है”


 गोलू हामी में गर्दन हिला दी तो गोलू ने कहा,”आप बस फूफा को साथ लेकर बनारस जाने की तैयारी कीजिये , बाकि हम और गुड्डू भैया सम्हाल लेंगे,,,,,,,,,का मिश्रा जी काहे चिन्तियाय रहे है अब तक अपने हिसाब से सब सम्हाला है ना तो अब थोड़ा यंग जेनेरेशन को भी काम करने दीजिये,,,,,,,!!!”


मिश्रा जी ने फिर से गोलू के मुंह से मिश्रा जी सुना तो पैर में पहनी चप्पल निकाली और जैसे ही गोलू को पीटने के लिए उठाया गोलू वहा से बाहर की तरफ भाग गया और मिश्रा जी पीछे से चिल्लाये,”तुम्हायी यंग जेनेरेशन की बत्ती बना देंगे,,,,,,,,,मुँह खोंच देंगे तुमहाओ जोन हमसे बकैती की”
गुड्डू और शगुन ने बेचारगी से एक दूसरे को देखा और चुपचाप वहा से चले गए , गुप्ता जी भी गुप्ताइन के साथ वहा से खिसक गए , मिश्राइन ने मिश्रा जी को गुस्से में देखा तो कहा,”हम आपके लिए चाय ले आते है”


मिश्राइन भी चली गयी और मिश्रा जी बिस्तर पर आ बैठे , आदर्श बाबू अब धीरे धीरे मिश्रा जी के गले की फ़ांस बनते जा रहे थे जिसे गले से निकालना मिश्रा जी के लिए अब बहुत जरुरी हो चुका था।  

चंदौली , उत्तर प्रदेश
चकिया से चली बस चंदौली बस स्टेण्ड पर आकर रुकी। लवली बस से नीचे उतरा और बैग को पीठ पर उठाये बस स्टेण्ड से बाहर निकल गया। लवली जो की चंदौली का चप्पा चप्पा जानता था वह स्टेण्ड से निकलकर सड़क पर आया और पैदल चल पड़ा। कुछ देर बाद ही वह चंदौली के बाजार में पहुंचा। उसने जरूरत का कुछ सामान खरीदा और फिर वहा से निकल गया। चलते चलते वह एक बस स्टेण्ड पर आ पहुंचा जहा से उसे कानपूर की सीधी बस मिलने वाली थी।

बस 2 बजे की थी और लवली के पास अभी 2 घण्टे थे। वह वहा लगी पत्थर की बेंच पर आ बैठा और बैग से पानी की बोतल निकालकर अपना मुंह धोने लगा। भूख का अहसास होने पर लवली ने बैग से बिंदिया का दिया डिब्बा निकाला और खोलकर बेंच पर रख लिया। डिब्बे में सत्तू से बने पराठो के साथ आम का अचार रखा था जिसकी खुशबु वहा चारो तरफ फ़ैल गयी। एक छोटी सी पुड़िया में बुकनू भी रखा था। लवली ने एक पराठा उठाया और उस पर बुकनू छिड़ककर अचार के साथ खाने लगा।

जैसे ही पहला निवाला उसने अपने मुंह में रखा मुस्कुरा उठा और बड़बड़ाया,”तुमहू सच मा पगलेट हो बिंदिया , हम साला तुमको इत्ता हड़काते है और तुमहू फिर भी हमरे लिए जे सब बनाती रहती हो ,, पर हमहू वादा करते है बिंदिया एक दिन तुमको बहुते अच्छी जिंदगी देंगे,,,,!!”
पहले निवाले से ही लवली की भूख बढ़ गयी और वह डिब्बे में रखे चार के चार पराठे खा गया। पुड़िया में जो बुकनू बचा था उसे समेटकर बैग में रख लिया और डिब्बे को बंद कर बैग में डाल लिया। बोतल में बचे पानी से उसने हाथ धोया और फिर वही बैठकर सुस्ताने लगा।

बैठे बैठे लवली की नजर सड़क के उस पार नाई की दुकान पर पड़ी। लवली का हाथ अपनी दाढ़ी और बालों पर चला गया उसे कुछ याद आया और वह उठकर दुकान की तरफ बढ़ गया। लवली दुकान के अंदर आकर बैठा और कहा,”क्लीन शेव कर दो और सर के सारे बाल हटा दो”
लड़के ने सुना तो थोड़ा हैरान हुआ और कहा,”का भैया ! घर मा कोनो शांत हुआ है का ?”


लवली ने सुना तो गर्दन घुमाकर लड़के की तरफ देखा और कहा,”जितना कहा है उतना करो,,,,,,,पइसा लोगे ना तो काटो , वरना साला तुमको सांत कर देंगे”
लवली को गुस्से में देखकर लड़का डर गया और हामी में गर्दन हिला दी। उसने लवली के सर के सारे खूबूसरत बाल हटा दिए और उसके बाद उसकी शेविंग बनाने लगा। लवली के दिमाग में क्या चल रहा था ये तो सिर्फ लवली ही जानता था। बस के आने का वक्त हो चुका था इसलिए लवली ने पैसे दिए और दुकान से बाहर चला गया।


“अजीब आदमी है अपना सर ही मुंडवा लिया , कित्ते सुन्दर बाल थे”,लड़का लवली को जाते देखकर बड़बड़ाया 
 लवली कानपूर जाने वाली बस में आकर बैठा और सर सीट से लगाकर अपनी आंखे मूंद ली क्योकि चंदौली से कानपूर 6-7 घंटे लगने वाले थे। बस कानपूर के लिए रवाना हो गयी और उसी के साथ शुरू हुआ लवली की जिंदगी का सबसे जरुरी सफर,,,,,,,,,,जो सब कुछ बदलकर रखने वाला था।

मिश्रा जी का घर , कानपूर
मिश्रा से बचकर गोलू कमरे से बाहर आया और बगल से गुजरते लड़के की ट्रे से चाय का कप उठाकर बड़बड़ाते हुए आँगन की तरफ चला आया। फूफा ने गोलू को चिढ़ा हुआ देखा और मिश्रा जी के कमरे से बाहर आते देखा तो समझ गए कि कुछ गड़बड़ है।
“का हुआ उधर का देख रहे हो ?”,भुआजी ने पूछा


“जे ससुरा गोलू अभी अभी तुम्हरे भैया के कमरे से बाहिर निकला है , बहुते गुस्से में था हमको तो लगता है कोनो बात है पता करनी चाहिए राजकुमारी,,,,,,,जे मिश्रा और मिश्राइन मिलकर हमरे खिलाफ कुछ तो साजिश रच रहे है,,,,,,,!!”,कहते हुए फूफा गोलू की तरफ बढ़ गया
फूफा गोलू के पास आये और अपने शब्दों में चाशनी घोलकर कहा,”का बात हो गयी गोलू ? इत्ता उखड़े उखड़े काहे हो ?”


फूफा को सामने से अपने पास आया देखकर गोलू का काम तो और आसान हो गया उसने जानबूझकर चेहरे पर गुस्से वाले भाव लाकर कहा,”तुमहू ना फूफा बहुते सही थे मिश्रा जी को लेकर,,,,,अन्याय तो उह तुम्हरे साथ किये है”
गोलू के मुंह से मिश्रा जी के खिलाफ बात सुनकर एक पल को तो फूफा ठिठके पर गोलू का गुस्सा देखकर गोलू की बातो में आ गए और कहा,”अरे हमहू तो तब से कह रह रहे है कि मिश्रा जी के मन मा चोर है पर हमरी बात कोई सुने तब ना,,,,,,,,,,कहने को इह घर के दामाद है पर साला गली के कुत्ते जितनी इज्जत है इह घर मा हमायी”


गोलू और फूफा को साथ देखकर तब तक भुआ भी उनके पास चली आयी। भुआ वहा हो रही बातो को समझने की कोशिश करने लगी तो गोलू ने कहा,”ना फूफा गलत बात , गली के कुत्ते की इज्जत तुम्हाये से जियादा है”
फूफा ने सुना तो मुंह फाड़कर गोलू को देखने लगे

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संजना किरोड़ीवाल 

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