Manmarjiyan Season 3 – 28
Manmarjiyan Season 3 – 28

भुआ जी और फूफा की बदनीयती जानने के बाद मिश्राइन कमरे से बाहर चली गयी। फूफा ने झांककर दरवाजे से बाहर देखा और भुआ के पास आकर कहा,”देखा ! अम्मा के बक्से की बात सुनकर तुम्हरी भाभी कैसी चिड़चिड़ा गयी , हमको तो लगता है राजकुमारी असली माल उसी मा है , तबही ना कैसे बटवारे में शगुन वेदी और खुद को शामिल कर लिया ,, जे हिसाब से तो कोमलिया का भी हिस्सा बनता है उह्ह भी तो इह घर की दोहती है”
“बस करो तुमहू अब का पूरा घर लेइ लोगे,,,,,,,भाईसाहब इत्ता कर रहे उह ही काफी है खामखा अजगर के जइसन मुँह फाड़कर मांगने से का जियादा दे देंगे”,भुआ ने फूफा को घुड़कते हुए कहा
“अरे हमहू तुम्हरे आगे का बंदोबस्त कर रहे है तुम्हरे मायके मा , वरना माँ-बाप के गुजरने के बाद भाई भाभी कितना पूछते है बहन को,,,,,,,,,!!”,फूफा ने अपनी सफाई में कहा
“हमको तो लगता है तुम्हरी वजह से परमानेंट ही हमरा पत्ता साफ़ होने वाला है,,,,,,,,,खामखा तुम्हरे चक्कर मा भाभी से बैर बढ़ा लिए , जब कभी कानपूर आते थे कम से कम दुइ हजार से कम की साड़ी ना मिलती थी ,, अब तो लगता है एक ठो चोली का कपड़ा तक ना मिली है जे घर से,,,,,,,!!”,भुआ ने कहा और वहा से चली गयी।
“जे औरत का दिमाग तो बस साड़ी ब्लाउज मा ही रह जाएगा,,,,,,,,,अरे इह का नाहीं पता इह बार मिश्रा जी कि दुखती रग हमरे हाथ लगी है। बस अब वक्त वक्त पर दबाते रहेंगे”,फूफा ने कहा और कमरे से बाहर निकल गए
लेकिन दरवाजे पर शगुन से सामना हो गया और फूफा ने कहा,”दरवाजे पर खड़े होकर चोरी छुपे दुसरो की बाते सुनना , अच्छे घर की लड़कियों के संस्कार नहीं होते है बहुरिया , तुमको अपनी मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए”
शगुन ने अपनी नजरे झुकाये रखी और कठोरता से कहा,”बहू बेटियों के कमरे में इस तरह आना अच्छे घरो के मर्दो को भी कहा शोभा देता है फूफाजी , छोटे अपने बड़ो से ही सीखते है क्या गलत है और क्या सही ? लेकिन जब घर के बड़े ही नीचता पर उतर आये तो घर के छोटे तो अपनी मर्यादा भूलेंगे ना,,,,,,,,,,घर की बहु का रास्ता रोककर खड़े है क्या यही आपकी मर्यादा है ?”
शगुन के जवाब से फूफा के तन बदन में आग लग गयी। वे कुछ कहते इस से पहले गुड्डू किसी काम से वहा चला आया। फूफा साइड हट गए तो शगुन कमरे के अंदर चली गयी और फूफा कमरे से बाहर निकल गए। ये कमरा वेदी का था जिसमे शगुन भी आराम किया करती थी।
कमरे से निकलकर फूफा हॉल की तरफ चले आये वे बड़बड़ाते हुए चल रहे थे,”जे गुड्डू की दुल्हनिया तो बहुते तेज है और जबान तो कैंची की तरह चलती है इह की , पर इसने जे सीधे साधे गुड्डू से सादी कैसे कर ली ? जो भी हो जल्दी से मिश्रा जी से अपना हिस्सा लेकर निकल जायेंगे घर वरना जे शगुन कुछो न कुछो जरूर करी हैं”
“अरे पिताजी जे अकेले मा किस से बात कर रहे हो ? और किसकी जबान कैंची जैसी है ?”,कोमल ने आकर कहा
“अरे उह्ह गुड्डू की दुल्हनिया , ऐसे बात करती है जैसे अभी काट खायेगी। अरे एक से बढ़कर रिश्ते बताये रहे हमहू गुड्डू के लिए तुम्हरे मामा को,,,,,,,,,,,साला कानपूर मा कोनो कमी थी का लड़कियों की पर नहीं इनको तो बनारस जाना था”,फूफा ने चिढ़कर कहा
वही से गुजरते गुड्डू ने सुना तो थोड़ा ऊँची आवाज में कहा,”हाँ तो तुमहू भी चले जाओ के सीधा मटकी मा जाओगे”
“ए गुडडुआ जियादा ऊंचा ना बोलो , मटकी मा जाए हमरे दुश्मन अभी तो बहुते जियेंगे हम,,,,,,,!!”,फूफा ने भी जाते हुए गुड्डू को देखकर कहा
गुड्डू पलटा और एक नजर फूफा को देखकर मन ही कहा,”जे बख्त तो तुमसे बड़ा दुश्मन कोनो नजर नाही आ रहा इह घर मा फूफा”
“गुड्डू भैया जे गद्दे कहा लगवाए ?”,सामने से आते लड़के ने पूछा
“एक ठो काम करते है हम , विमल और बाकि सब लड़के लोगन ऊपर सो जायेंगे,,,,,,,,,जे गद्दे वही लगवा देते है”,गुड्डू ने मन ही मन कहा और लड़के से गद्दे ऊपर लेकर जाने को कहा और खुद एक बार फिर रौशनी के घर चला गया
“गुड्डू भैया की सादी मा तो हम आ ही नहीं पाए थे और शादी के बाद भी भाभी से नाही मिले,,,,,,,,,,हमहू ज़रा गुड्डू भैया की दुल्हनिया से मिलकर आते है”,कोमल ने ख़ुशी से भरकर कहा
“गुड्डू की दुल्हनिया कही की महारानी नाही है जो ओह्ह से मिलने के लिए इत्ती उतावली हो रही हो तुमहू , कोनो मिलने विलने की जरूरत ना है ओह्ह से जाओ जाकर एक ठो कप चाय लेकर आओ हमरे लिए,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने कोमल को रोककर कहा
“पर पिताजी,,,,,,,,,,!!”,कोमल ने कहना चाहा
“अरे तो बाद में मिल लेना उह कोनसा कही जा रही है , जाओ जाकर चाय लेकर आओ हमरे लिए”,फुफा ने कहा
कोमल मुंह बनाकर वहा से चली गयी। फूफा से गुड्डू ही नहीं बल्कि फूफा के अपने बच्चे भी दुखी थे।
फूफा जी को उनकी बदतमीजी का करारा जवाब देकर शगुन कमरे में चली आयी। कमरे में आकर उसने वेदी के लाये कपडो को समेटना शुरू कर दिया। शगुन कपडे समेटते हुए फूफा के बारे में सोचने लगी। कमरे में आने से पहले शगुन के कानो में फूफा के कहे शब्द पड़े थे “अरे इह का नाहीं पता इह बार मिश्रा जी कि दुखती रग हमरे हाथ लगी है। बस अब वक्त वक्त पर दबाते रहेंगे”
गुड्डू का शर्ट शगुन के हाथ में ही रह गया और वह बड़बड़ाई,”फूफाजी पापाजी की दुखती रग के बारे में बात कर रहे थे , आखिर ऐसी क्या बात है जो फूफाजी को पता है ? क्या कोई ऐसी बात है जिसकी वजह से पापाजी फूफाजी के सामने मजबूर है और कुछ बोल नहीं रहे है। मुझे पता लगाना होगा आखिर वो क्या वजह है जिसकी वजह से फूफाजी ने हम सबकी नाक में दम कर रखा है,,,,,,,,,,,मैं ऐसी नहीं हूँ लड़ाई झगड़ो में विश्वास नहीं रखती लेकिन बात अब इस घर की इज्जत और पापा जी के सम्मान की है मुझे पता लगाना ही पडेगा और फूफा जी कुछ गलत करे उस से पहले उन्हें रोकना होगा”
गुड्डू कमरे में आया और देखा शगुन उसका शर्ट हाथो में लिए किसी सोच में डूबी है तो गुड्डू उसके पास आया और उसके हाथो से शर्ट लेकर कहा,”शगुन , का हुआ कहा खोयी हो ?”
गुड्डू की आवाज से शगुन की तंद्रा टूटी और उसने गुड्डू के हाथो से शर्ट लेकर समेटते हुए कहा,”कही भी नहीं , और आप यहा क्या कर रहे है ? आपको बाहर होना चाहिए”
“अरे बाहिर से ही आ रहे है , दोपहर से रौशनी के घर काम मा लगे है , अभी सब बंदोबस्त करके आये है,,,,,,,,,,,,एक ठो चाय तक ना पी है”,गुड्डू ने थके हुए स्वर में कहा और बिस्तर पर बैठ गया
“मैं बना देती हूँ,,,,,,,!”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने उसे रोक लिया और कहा,”परेशान ना हो ,उह किचन मा कोमलिया फूफा के लिए चाय बना रही थी तो हमने उस से कह दिया”
“हम्म्म ठीक है”,कहकर शगुन ने जैसे ही हाथ में पकडे गुड्डू के शर्ट को समेटना चाहा गुड्डू ने शर्ट का दुसरा सिरा पकड़ लिया और मुस्कुराते हुए शगुन को देखने लगा तो शगुन ने अपनी भँवे उचकाई
“अभी थोड़ी देर पहिले हमरा जे शर्ट हाथो में लेकर तुमहू हमरे बारे मा ही सोच रही थी ना ?”,गुड्डू ने मुस्कुराते हुए कहा
“ऐसा कुछ नहीं है और मैं आपके बारे में क्यों सोचने लगी ?”,शगुन ने गुड्डू के हाथ से शर्ट छुड़ाकर उसे समेटते हुए कहा
“अरे बिल्कुल हमरे बारे मा ही सोच रही थी , हमहू देखे है हिंदी फिल्मो में जब हीरोइन को हीरो से पियार होता है तब उह ऐसे ही ओह की चीजों को हाथ में लेकर सोचती है,,,,,,,,जैसे थोड़ी देर पहिले तुमहू सोच रही थी हमरे बारे में,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने बच्चो की तरह मचलते हुए कहा
“गुड्डू जी हमारी शादी हो चुकी है”,शगुन ने मुस्कुराते हुए कहा
“अरे तो का सादी के बाद पियार नाही हो सकता का ? और हमको तो शादी के बाद ही हुआ है उह भी दुइ बार,,,,,,,,,,,,,,,सोचो कित्ते लकी है हम”,गुड्डू ने खुश होकर कहा
“हाँ लकी तो आप है,,,,,,,,,आपको मैं जो मिली हूँ,,,,,,!!”, शगुन ने शरारत से मुस्कुरा कर कहा
“हाँ पहली बार तुमको देखने गए थे तब जोन पानी फेंकी थी ना हमरे ऊपर आज भी याद है हमको,,,,,,,,,,,,,!!!”,गुड्डू ने शिकायती लहजे में प्यार से कहा
कोमल चाय के कप ट्रे में रखे कमरे में आयी गुड्डू की कही बात उसके कानो में पड़ी तो उसने कहा,”अरे गुड्डू भैया रुको , आपकी लब स्टोरी हमका भी सुननी है , हमका भी बताओ इत्ती सुन्दर दुल्हिन आपको मिली कैसे ?”
गुड्डू ने चाय का कप उठाया और कहा,”का हम सुन्दर नाही है का ?”
“हो पर भाभी जियादा सुंदर है , अब हटो परे हमका भाभी से बात करने दयो,,,,,,,,भाभी इह ल्यो हमहू तुम्हरे लिए भी चाय ले आये है”,कोमल ने चाय का एक कप शगुन की तरफ बढ़ाकर कहा और अपनी चाय लेकर वही बैठ गयी
मिश्रा जी के आवाज लगाने पर गुड्डू अपनी चाय लेकर बाहर चला गया।
गुप्ता जी का घर , कानपूर
बाबू बिना चीला खाये घर से चला गया गोलू को इस बात का दुःख था। गोलू अंदर आया और आँगन में सोफे पर बैठे अपने पिताजी को देखकर कहा,”हमको समझ आ गवा”
“का समझ आ गवा ?”,गुप्ता जी ने गोलू के लिए आये चीले में से एक चीला उठाकर अपनी प्लेट में रखते हुए कहा
“यही कि हमरी जिंदगी मा होने वाली जे भसड़ की वजह आप है , आपसे हमरी ख़ुशी देखी नाही जाती,,,,,,,,साला जब जब आपसे बहस करते है हमरे साथ कुछो बुरा हो जाता है”,गोलू ने चिढ़कर कहा
गुप्ता जी ने गोलू के लिए आयी चाय का कप उठाया और एक घूंठ भरकर कहा,”बेटा बाप से बहस , जिंदगी तहस नहस,,,,,,,,,,का समझे ?”
“समझ गए और बहुते अच्छे से समझ गए , हमायी कुंडली केशव पंडित ने नाही आपने लिखी है,,,,,,,,,जे में से हमरी खुशिया खा गए और दुइ ढाई सौ किलो चरस लिख देइ,,,,,,,,,देखो हमरे हिस्से का चीला भी खा गए , और चाय भी पी गए,,,,,,,,,,,,ए अम्मा हमहू ना रही है जे घर मा , हमको बटवारा चाहिए”,गोलू ने रोआँसा होकर चिल्लाते हुए कहा
गोलू के मुंह से ना रही है सुनकर गुप्ता जी ने कहा,”का औरत हो तुमहू ? ना रही है का होता है जे कहो इह घर मा ना रहे है,,,,,,,,,,,और कैसा बटवारा गोलू महाराज , दुइ चड्डी बनियान और एक ठो कॉलेज की मार्कशीट के अलावा तुम्हरे पास है ही का ? जो बटवारे की बात कर रहे हो। और अगर चड्डी बनियान का बटवारा कर लिए तो पहिनोगे का ?”
“पिताजी हमहू मजाक के मूड मा नाही है , हमको अब चाहिए जे घर मा फुल इज्जत वरना हमरा बटवारा कर दयो , हमहू अपना चूल्हा चौका खुद सम्हाल लिए है”,गोलू ने तनते हुए कहा
गुप्ता जी अपनी जगह से उठे और अंदर जाते हुए कहा,”पहिले अपने काण्ड सम्हाल ल्यो बेटा , ओह्ह के बाद अपनी दुल्हिन को और बख्त मिल जाए तो अपनी पेंट की चैन भी,,,,,,,,!!”
गोलू ने जल्दी ने अपनी पेंट देखी तो पता चला उसकी चैन खुली है गनीमत था गोलू ने अंदर कच्छा पहना था वरना बेचारा कही मुंह दिखाने लायक ना रहता।
गोलू ने जल्दी सी अपनी पेंट की चेन बंद की और जैसे ही गुप्ता जी से कहने के लिए पलटा गुप्ता जी वहा से जा चुके थे।
“छः कित्ता सही डायलॉग मारे थे पिताजी के सामने पर साला जे चेन ने इज्जत उतार दी , कल से पेंट पहनेंगे ही नहीं,,,,,,,,,,,,,,मतलब नाड़े वाला पजामा पहनेंगे साला चैन का झंझट ही खत्म,,,,,,,,!!”,गोलू खुद में ही बड़बड़ाया
चेन का ख्याल आते ही गोलू को एकदम से नकली चेन की याद आयी उसने जेब से चेन निकाली और देखकर कहा,”जे मेटर हमहू कैसे भूल गए जे तो इह कहानी का सबसे इम्पोर्टेन्ट मेटर है,,,,,,,,,अब बताते है ससुर जी को,,,,,,,,साला अब आमने सामने बात होगी मेन टू मेंन , पुरे कानपूर मा उनको हमहि मिले नकली चेन पहनाने वाले ओह्ह पर शादी मा नखरे इतने दिखाए जैसे चेन ना दी हो अपनी जमा पूंजी दे दी हो,,,,,,,,,,,,,,!!”
“गोलू ये अकेले में किस से बात कर रहे हो ? और जे तुम्हरे हाथ मा का है ?”,पिंकी ने गोलू के पास आकर कहा।
पिंकी ने गोलू के हाथ से चेन ली और देखते हुए कहा,”ये चेन,,,,,,,,,,,,,!!”
“जे तुम्हाये पिताजी ने जो हमे पहनाई थी सादी मा वही चेन है,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“हाँ लेकिन तुमने इसे निकाला क्यों ?”,पिंकी ने कहा उसे नहीं पता था कि चेन नकली है
“भंगार मा बेचने जा रहे है,,,,,,,,!!”,गोलू ने अपने गुस्से को निगलते हुए कहा
“का गोलू का बकवास कर रहे हो ? सोने की चेन को भंगार मा काहे बेचोगे तुम ?”,पिंकी ने हैरानी से कहा
“अरे भंगार की चीज को भंगार मा ही बेचेंगे ना कोनो सुनार तो इह का खरीदने से रहा,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“मतलब ?”,पिंकी ने असमझ की स्तिथि में कहा
“मतलब जे कि तुम्हरे बाप ने चुना लगाया हमको,,,,,,,,बिटिया सोने सी दी और चेन लोहे की”,गोलू ने कहा
पिंकी ने जब खुद के लिए बिटिया सोने सी सुना तो शरमा कर गोलू के सीने पर धीरे से मुक्का मारकर जाते हुए कहा,”का गोलू तुम भी ना,,,,,,,,,,,!!”
पिंकी के जाने के बाद गोलू ने हैरानी से कहा,”अबे साला ! का तारीफ समझ ली का ? अरे हमहू तुम्हरे पिताजी की धोखाधड़ी की बात कर रहे थे , अरे ओह्ह्ह पिंकिया अरे सुनो,,,,,,,,,,इह ना सुनी है अब,,,,,,,,,,पर एक आदमी को अब सुनना ही पड़ेगा,,,,,,,,,,,,अब आया लोमड़ पहाड़ के नीचे,,,,,,,,!!!
“ऊंच पहाड़ के नीचे होता है,,,,,,,,,,हमहू गलत बोल दिए का ? अरे का गलत बोल दिए साढ़े चार फुट के तो है पिंकिया के पिताजी लोमड़ से भी कम ही होगा उनका कद”,गोलू बड़बड़ाते हुए चेन जेब में रखकर स्कूटी की तरफ बढ़ गया
Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28
Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28Manmarjiyan Season 3 – 28
- Continue With Manmarjiyan Season 3 – 29
- Visit https://sanjanakirodiwal.com
- Follow Me On instagram
संजना किरोड़ीवाल


अरे बाहिर से ही आ रहे है , दोपहर से रौशनी के घर काम मा लगे है , अभी सब बंदोबस्त करके आये है,,,,,,,,,,,,एक ठो चाय तक ना पी है”,गुड्डू ने थके हुए स्वर में कहा और बिस्तर पर बैठ गया
“मैं बना देती हूँ,,,,,,,!”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने उसे रोक लिया और कहा,”परेशान ना हो ,उह किचन मा कोमलिया फूफा के लिए चाय बना रही थी तो हमने उस से कह दिया”
“हम्म्म ठीक है”,कहकर शगुन ने जैसे ही हाथ में पकडे गुड्डू के शर्ट को समेटना चाहा गुड्डू ने शर्ट का दुसरा सिरा पकड़ लिया और मुस्कुराते हुए शगुन को देखने लगा तो शगुन ने अपनी भँवे उचकाई
अरे बाहिर से ही आ रहे है , दोपहर से रौशनी के घर काम मा लगे है , अभी सब बंदोबस्त करके आये है,,,,,,,,,,,,एक ठो चाय तक ना पी है”,गुड्डू ने थके हुए स्वर में कहा और बिस्तर पर बैठ गया
“मैं बना देती हूँ,,,,,,,!”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने उसे रोक लिया और कहा,”परेशान ना हो ,उह किचन मा कोमलिया फूफा के लिए चाय बना रही थी तो हमने उस से कह दिया”
“हम्म्म ठीक है”,कहकर शगुन ने जैसे ही हाथ में पकडे गुड्डू के शर्ट को समेटना चाहा गुड्डू ने शर्ट का दुसरा सिरा पकड़ लिया और मुस्कुराते हुए शगुन को देखने लगा तो शगुन ने अपनी भँवे उचकाई
Mai Teri heer ko bhi post kijiye
🤣🤣🤣 Golu ki baate aur uske kapde…kaha to Golu gold ki chain ko lekar pereshan tha aur Gupta ji se apna hissa maang Raha tha, lakin pent ki chain ne uski chopcee karwa dee… bechara Golu kya kismat lekar aaya hai…lakin mujhe lagta hai ki bahut jaldi Fufa ji ki kismat unko dagaa degi, quki ab Shagun Mishra ji dukhti rag ko pta karengi aur Fufa ka pardafaah karengi…lakin tab tak Shagun ko Fufa se satark rahna hona…quki Fufa badi kutti cheez hai…jo aadmi apni biwi aur bachcho na samjhe to wo kisi aur ko kya hee samjhe