Manmarjiyan Season 3 – 27

Manmarjiyan Season 3 – 27

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

चौक पर गुड्डू को देखकर गोलू उसके पीछे आया लेकिन वह गुड्डू तक पहुँच पाता तब तक गुड्डू बस में बैठकर वहा से जा चुका था। गुड्डू चंदौली क्यों गया है गोलू ये सोच ही रहा था कि तभी गैस गोदाम वाले की आवाज उसके कानो में पड़ी,”अरे गोलू भैया जे सिलेंडर लेइ जाओ”
“हाँ आते है,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा और वापस चला आया लेकिन दिमाग में घूम रहा था गुड्डू , गोलू ने सिलेंडर लिया लेकिन अकेला लेकर कैसे जाये सोचकर उसने इधर उधर देखा सामने से बाबू झोला उठाये चला आ रहा था

दरअसल बाबू अपने ठेले के लिए सामान लेने बाहर आया था गोलू ने जब बाबू को देखा तो एकदम से उसके सामने चला आया। बाबू ने सर उठाकर गोलू को देखा तो गोलू ने बड़ी सी स्माइल के साथ उसे देखा। गोलू की मुस्कुराहट देखकर ही बाबू समझ गया कि फिर से गोलू उसे फ़साने वाला है तो वह साइड से निकलने लगा लेकिन गोलू फिर उसके सामने आ गया और कहा,”अरे बाबू ! सुनो तो”


“हमको कुछो नाही सुनना है गोलू भैया,,,,,,,,,जीवन मा एक ठो बार आपकी बात सुने रहे उह्ह मा भी इतनी लंका लगी है हमायी कि हमहू फैसला कर लिए है  अब तो जिंदगी मा किसी की मदद नाही करे है”,बाबू ने चिढ़ते हुए कहा
“अरे बाबू ! तुमहू तो दिल पे ले लिए यार हमहू तो तुमको इहलीये रोके की आज घर पर चीला बन रहा तो सोचे तुमको खिलाय दे , का है कि तुमने हमरी मदद की और हमरी वजह से मार भी खायी तो हमको अच्छा नाही लग रहा तब से तुम्हरे लिए,,,,,,,,,,,अब तुमहू हमरे छोटे भाई जैसे हो , तुमको नाराज करके हमको का ही मिलेगा भला”,गोलू ने कहा


बाबू गोलू की मीठी मीठी बातो में आ गया और उसने थोड़ा नरम कहा,”ओह्ह फूफा का हुआ फिर उह मेटर क्लोज हुआ ना ?”
गोलू ने बाबू के कंधे पर अपनी बाँह रखी और उसे अपनी स्कूटी की तरफ लाते हुए कहा,”अरे हमरे होते कोनो मेटर अटक सकता है बाबू , दुई खींच के कंटाप दिए फूफा को पक पक पक सब बक दिये। मिश्रा जी हमको शाबासी दिए उह अलग,,,,,,,!!”


“वाह गोलू भैया आपने तो कमाल कर दिया”,बाबू ने खुश होकर कहा
“अरे जलवा है तुम्हरे भाई का कानपूर मा , ऐसा तुम्हरा कोनो मेटर हो ना तो बताना हमको दुइ मिनिट मा सुलटा देंगे। ल्यो आओ उठाओ”,गोलू ने स्कूटी पर बैठते हुए कहा  
“अब किसे उठाना है गोलू भैया ?”,बाबू ने डरकर पीछे हटते हुए कहा


“अमा यार बाबू ! सिलेंडर उठाना है जे जलेगा तबही ना चीला बनेगा तुम्हरे लिए , लेकर बइठो पीछे”,गोलू ने कहा
बाबू ने अपना झोला गोलू को थमाया और सिलेंडर लेकर गोलू के पीछे आ बैठा। गोलू ने स्कूटी आगे बढ़ा दी। कुछ देर बाद ही दोनों घर पहुंचे। गोलू ने सिलेंडर उतारा और गोलू की मदद करते हुए अंदर चला आया। गोलू ने बाबू से बैठने को कहा और खुद सिलेंडर लगाने अंदर चला गया।

बाबू सीढ़ियों पर ही रुक गया क्योकि आँगन में गुप्ता जी बैठे थे और गज्जू गुप्ता को भला कौन नहीं जानता था। पूरा कानपूर उनकी कठोरता से वाकिफ था और रही सही तारीफ गोलू और गुड्डू ने पहले ही कर रखी थी अपने अपने पिताजी की। सिलेंडर लगाकार गोलू वापस आया तो गुप्ता जी ने कहा,”का बेटा तुम कम थे हमरी छाती पर जो अपने जइसन एक ठो नमूना और उठा लाये”


“अरे पिताजी उह,,,,,,,!!”,गोलू ने इतना ही कहा कि अंदर से गोलू की अम्मा चिल्लाई,”अरे गोलू ! ए बबुआ उह प्याज नाही है खत्म हो गवा ज़रा ले आयी हो ?”
गोलू ने सुना तो बाबू के पास आया और कहा,”ए बाबू ! तुम्हरे झोले मा एक दुइ प्याज है का ?”
“हाँ मिल जाही है भैया”,कहते हुए बाबू ने अपने ठेले से 2 प्याज निकाले और गोलू की तरफ बढ़ा दिए। गोलू ने प्याज लिए और अंदर चला गया , कुछ देर बाद वापस आया और बाबू के बगल में सीढ़ियों पर बैठते हुए कहा,”प्याज से चीलो का स्वाद और बढ़,,,,,,,,!!”


यहाँ भी गोलू अपनी बात पूरी नहीं कर पाया और गोलू की अम्मा फिर चिल्लाई,”ए बबुआ थोड़ा हरा धनिया भी ले आओ,,,,चटनी भी खूंच देते है तुम्हरे लिए”
“ए बाबू ! थोड़ा धनिया,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा कि बाबू ने पहले ही अपने झोले से धनिया निकाला और गोलू को दे दिया। गोलू ने मारे ख़ुशी के गोलू का मुँह पकड़कर बाबू के गाल पर एक जबरदस्त चुम्मा दे दिया और कहा,”अरे जिओ बाबू ! तुमको एक चीला हमरी तरफ से एक्स्ट्रा , इह देकर आते है अम्मा को”  

गुप्ता जी ने गोलू को बाबू की चुम्मी लेते देखा तो कहा,”तुम्हरी जे ही हरकतों की वजह से आज तक दूसरी औलाद पैदा ना किये हमहू,,,,,,,!!”
“अरे पिताजी इतना चलता है,,,,,,,,!!”,गोलू ने जाते हुए कहा
“हाँ तो इत्ता चलता है तो कल को बच्चा पैदा करने की ना सोच लेना जे बाबू के साथ,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
“साइंस ने अभी इत्ती तरक्की ना की है,,,,,,,,,,!!”,किचन से वापस आते हुए गोलू ने कहा और आकर बाबू से एक सीढ़ी ऊपर बैठ गया


“ए बाबू ! का तुम्हरी ऐसी का मज़बूरी है बे ?”,गुप्ता जी ने उठकर सीढ़ियों की तरफ आते हुए पूछा
“कोई मज़बूरी नहीं है चचा ?”,बाबू ने मासूमियत से पूछा
गुप्ता जी गोलू और बाबू के पास आये और कहा,”तो फिर हमरे लौंडे के साथ काहे अपना बख्त बर्बाद कर रहे हो , अरे हमहू मानते है जे थोड़ा थोड़ा दोना-पत्तल बेचने वाले लगते है पर इह का मतलब जे नाही तुमहू इनकी गुलामी करना शुरू कर दो,,,,,,,,,,,,हमहू तो कहते है आज ही संग छोड़ दयो वरना अपनी और तुम्हरी जिंदगी मा चरस बोयेंगे जे और काटोगे तुम”


कहकर गुप्ता जी वापस आँगन की तरफ चले गए। गोलू ने सुना तो गुस्से से गुप्ता जी को देखने लगा और बाबू ने बड़े ही अफ़सोस से कहा,”गोलू भैया ! कसम खाय के कहो जे आपके ही पिताजी है”
“कभी कभी तो हमको भी शक होता है बाबू ,, हमने बच्चे गोद लाने वाली बात सुनी थी पर हमरे पिताजी को देखकर तो लगता है कही अम्मा ने पिताजी को ही तो गोद नाही ले लिया,,,,,,,,,,साला जब देखो तब हमे गरियाते रहते है”,गोलू ने निराशा भरे स्वर में कहा


बाबू ने जैसे ही कहने के लिए मुंह खोला रसोईघर से गोलू की अम्मा की आवाज फिर आयी,”गोलू ! हरी मिर्चा भी खत्म हो गयी है,,,,,,,,,ले आयी हो का ? या ऐसे ही बना दे,,,,,,,,,,,वैसे बिना मिर्चा के चीला खाने का का ही मजा”
यहाँ गोलू का सब्र टूट गया वह उठा और पैर पटकते हुए अंदर आँगन में आया और कहा,”मिर्चा की का जरूरत है पिताजी से कह दयो अपनी जबान से एक ठो बार बेसन को छू देंगे , का है कि इनकी बातें मिर्चा से कम है का ?”


गुप्ताइन को भला अपने गुप्ता जी की बेइजत्ती कहा बर्दास्त थी उन्होंने रसोईघर से ही बेलन गोलू की तरफ फेंका और कहा,”खबरदार जो अपने पिताजी के लिए अंट शंट बके तो जबान खींच लेंगे तुम्हरी”
फेंका हुआ बेलन पहले तो लगा गोलू के सर पर फिर लगा बाबू के मुंह पर जो सीढ़ियों पर खड़ा अंदर क्या हो रहा है सुनने की कोशिश रहा था। जैसे ही बेलन आकर उसके मुंह पर लगा बाबू धड़ाम से नीचे जा गिरा।


“अरे जे का गुंडागर्दी है साला जब देखो तब दोनों मिल के हम पर हाथ साफ करते रहते हो,,,,,,,,,साला घर मा ही पार्टी बना लिए हो,,,,,,,,,!!”,गोलू ने अपने सर पर आये गुमड़ को मसलकर रोते हुए कहा।
गुप्ता जी ने देखा तो गोलू के पास आये और उसे अपने सीने से लगाकर कहा,”अरे अरे मेरा गोलू,,,,आ बाप के पास आ,,,,,,,,!!”


गोलू को लगा गुप्ता जी उसे प्यार दिखा रहे है पर गुप्ता जी ने अगले ही पल गोलू का ये भरम भी दूर कर दिया और एक चांटा गोलू के गाल पर मारकर कहा,”साले तुम्हरी इतनी हिम्मत हमरे सामने अपनी अम्मा से ऐसे बात करोगे ?
गोलू अपने गाल को हाथ लगाए गुप्ता जी से दूर हटा और उन्हें घूरते हुए बाहर चला आया। सीढ़ियों की तरफ आया तो बाबू का मुंह गमले में था। गोलू ने आकर जल्दी से उसे सम्हाला और सीढ़ी पर बैठाते हुए कहा,”बाबू ! ए बाबू ! ठीक हो तुमहू,,,,,,,,,,,!!”


“गोलू भैया तुमहू अपने घर के बाहिर लिखवा काहे नहीं लेते ?”,बाबू ने बदहवास हालत में कहा
“का लिखवाये ?”,गोलू ने असमझ की स्तिथि में पूछा
“यही की “गली की कुतिया पर भरोसा कर लेना पर गोलू गुप्ता पर नहीं,,,,,,,,,,!!”,बाबू ने कहा
“का कह रहे हो बाबू ?”,गोलू ने कहा लेकिन तब तक बाबू उठा और जाने लगा तो गोलू ने कहा,”अरे चीला तो खा के जाओ”


चीला का नाम सुनकर ही बाबू का खून खोल उठा और उसने पलटकर गुस्से से कहा,”अरे भाड़ में गया तुम्हरा चीला,,,,,,,तुम्हरे चीले के चक्कर मा हमरे नमक मिर्च बिखेर दिए आप,,,,,,,,,,,!!”
गोलू बाबू को देखता ही रह गया और बाबू लंगड़ाते हुए वहा से चला गया क्योकि बेलन की मार लगी बहुत जोर की थी।   


मिश्रा जी का घर , कानपूर
तिये की बैठक घर में थी लेकिन लोगो के ठहरने की व्यवस्था करनी थी तो मिश्रा जी ने गुड्डू से रौशनी के घर में बंदोबस्त करने को कहा। दोपहर से ही गुड्डू वहा लगा हुआ था। फूफा ने देखा गुड्डू घर में नहीं है और मिश्रा जी भी दूसरे कामो में व्यस्त तो मोके का फायदा उठाकर उन्होंने भुआ के कान भर दिए और कहा कि वह जाकर मिश्राइन से अम्मा का बक्सा खोलने की बात करे।


विमल और कोमल खाना खाने चले गए , वेदी और कोमल हमउम्र थी लेकिन कोमल ने वेदी को देखते ही मुंह बना लिया और उस से बात तक नहीं की और अपने भाई के साथ वहा से चली गयी। कोमल का यहाँ आना वेदी को बिल्कुल पसंद नहीं आया लेकिन बेचारी कुछ बोल नहीं पायी और शगुन के साथ मिलकर उसकी मदद करने लगी

फूफा के बार बार कहने पर भुआ मिश्राइन के कमरे मे आयी और कहा,”सब आने वालो को खबर कर दी भाभी ?”
“नहीं जीजी गुड्डू से कहे है उह कर देगा आज शाम मा,,,,,,,,आपको कुछो चाहिए था ?”,मिश्राइन ने पूछा
“का हो भाभी हम तुम्हरे पास का तबही आएंगे जब हमे कुछो चाहिए होगा,,,,,,,,,,अरे हमरी अम्मा तो अब इह दुनिया मा रही नहीं तो हमरे लिए तो अब तुमहू ही हो अम्मा सोचे थोड़ी देर तुम से बतियाएंगे तो मन कुछो हल्का हो जाही है”,भुआ जी ने उदास होने का नाटक करते हुए कहा


“कैसी बाते कर रही है जीजी , अम्मा गुजर गयी है तो का हुआ जे घर और इह मा रहने वाले लोग आपका परिवार है,,,,,,,,आप खड़ी काहे है बैठिये ना”,मिश्राइन ने अपनेपन से कहा
भुआ जी बिस्तर पर आ बैठी और कहा,”अच्छा हमहू जे पूछ रहे थे कि उह्ह्ह अम्मा के बक्से की चाबी,,,,,,,,,,,हमरा मतलब तुम्हरे पास ही होगी , अम्मा ने तुम्ही को दी होगी तो हमहू,,,,,,,,,!!”


भुआजी की नियत मिश्राइन पहले से जानती थी लेकिन शांत थी पर भुआजी को सामने से ऐसी बाते करते देखकर उन्होंने थोड़ा कठोरता से कहा,”आप कहना का चाहती है जीजी साफ़ साफ़ कहिये , मुंह मा दही ना मथिये”
“साफ साफ ही सुनना चाहती हो तो हमहू जे कह रहे कि हमरे पीछे अम्मा का छोड़कर मरी है ओह हमे का पतो सबकुछ तो तुमहू दबा के बइठी हो”,कहते हुए भुआ जी के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए


मिश्राइन ने सुना तो गुस्से से कहा,”जबान को थोड़ी लगाम दयो जीजी , जे सब जोन आप देख रही है उह सब अम्मा का ही है हमहू का दबा लेंगे”
“अरे तो जब सब अम्मा का है तो काहे दोनों पति पत्नी उनकी धन संम्पति पर कुंडली मार के बैठे हो , आधा राजकुमारी को देइ दयो और अम्मा के बक्से पर तो पहला हक़ बिटिया लोगन का ही रहता है। क्यों सरिता जी हमहू कुछो गलत कह रहे है का ?”,फूफाजी ने कमरे में आते हुए कहा


“आदर्श बाबू ! अम्मा बक्से मा का छोड़ के मरी है हमको इसके बारे में कुछो नाही पता है और जोन धन सम्पत्ति की बात आप कर रहे हो ना उह गुड्डू के पिताजी ने अपनी मेहनत से कमाया है,,,,,,,,,,,ओह पर सिर्फ गुड्डू और वेदी का हक़ है”,मिश्राइन ने कठोरता से कहा

“अरे कौनसी मेहनत सरिता जी , हमहू सब जानते है जोन मेहनत मिश्रा जी किये है ना उह हमसे तो छुपी नाही है,,,,,,,,,,और हमरी पत्नी ने कौनसा घर मांग लिया इह बेचारी तो अपनी अम्मा का बक्सा मांग रही है उह्ह भी आखरी निशानी समझकर,,,,,,,,,ताकि अपनी अम्मा की यादों के सहारे जीवन बिता सके का है कि आपके और मिश्रा जी के रंग ढंग देखकर तो अब जे ही लग रहा है कि हमहू आखरी बार अपने ससुराल मा आये है , इह के बाद तो हो सकता हमको और राजकुमारी को घर मा ही ना घुसने दो”,फूफाजी ने कहा


मिश्राइन की आँखों में अपमान की आग और चेहरे पर गुस्से के भाव थे लेकिन उन्होंने खुद को सम्हाल लिया और कहा,”आखरी बार क्यों आदर्श बाबू जब आपका मन हो तब आईये , और रही बात अम्मा के बक्से की तो कल तिये की बैठक के बाद हमहू खुद उसको सबके सामने खोल देंगे,,,,,,,,,,,,देखते है आपकी धर्मपत्नी अम्मा की कितनी यादे अपने दामन मा समेट पाती है,,,,,,!!”


मिश्राइन ने आदर्श बाबू और भुआ को करारा जवाब दिया और दरवाजे की तरफ बढ़ गयी जाते जाते वे रुकी और पलटकर कहा,”और बात जब अम्मा की यादें बाटने की है तो फिर अकेली जीजी को काहे मिले ? शगुन का भी हक़ बनता है , वेदी का भी हक़ बनता है और हमरा भी हक़ बनता है,,,,,,,आखिर हम सब भी तो अम्मा की बहू-बिटिया है”
फूफा और भुआ ने सुना तो दोनों एक दूसरे का मुंह देखने लगे और मिश्राइन वहा से चली गयी

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संजना किरोड़ीवाल  

बाबू ने जैसे ही कहने के लिए मुंह खोला रसोईघर से गोलू की अम्मा की आवाज फिर आयी,”गोलू ! हरी मिर्चा भी खत्म हो गयी है,,,,,,,,,ले आयी हो का ? या ऐसे ही बना दे,,,,,,,,,,,वैसे बिना मिर्चा के चीला खाने का का ही मजा”
यहाँ गोलू का सब्र टूट गया वह उठा और पैर पटकते हुए अंदर आँगन में आया और कहा,”मिर्चा की का जरूरत है पिताजी से कह दयो अपनी जबान से एक ठो बार बेसन को छू देंगे , का है कि इनकी बातें मिर्चा से कम है का ?”


गुप्ताइन को भला अपने गुप्ता जी की बेइजत्ती कहा बर्दास्त थी उन्होंने रसोईघर से ही बेलन गोलू की तरफ फेंका और कहा,”खबरदार जो अपने पिताजी के लिए अंट शंट बके तो जबान खींच लेंगे तुम्हरी”
फेंका हुआ बेलन पहले तो लगा गोलू के सर पर फिर लगा बाबू के मुंह पर जो सीढ़ियों पर खड़ा अंदर क्या हो रहा है सुनने की कोशिश रहा था। जैसे ही बेलन आकर उसके मुंह पर लगा बाबू धड़ाम से नीचे जा गिरा।

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