Manmarjiyan Season 3 – 26

Manmarjiyan Season 3 – 26

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गोलू की बातो से नाराज होकर पिंकी अपना बैग लेकर घर से चली गयी। गोलू ने उम्मीद भरी नजरो गुप्ता जी को देखा लेकिन वे भी गोलू पर शब्दों के गर्म छींटे डालकर चले गए। गोलू कुछ देर खामोश खड़ा रहा और फिर पिंकी को रोकने उसके पीछे गया। गली में आकर गोलू ने देखा पिंकी बैग लिए सड़क की तरफ जा रही है तो वह जल्दी जल्दी उसके पीछे आया।


“अरे गोलू का हुआ ? बहु इत्ती जल्दी मा कहा जा रही है ?”,अपने घर के दरवाजे पर खड़ी मोहल्ले की चाची ने पूछा
“अरे कुछो नाही चाची उनके पिताजी की तबियत बिगड़ गयी है अचानक से इहलीये जा रहे है,,,,,,,,,,मिलते है बाद में”,गोलू ने तेजी से आगे कदम बढ़ाते हुए कहा लेकिन आगे चल रही पिंकी ने जब ये सुना तो पलटी और गुस्से से कहा,”हाँ हाँ और भर भर के झूठ बोल लयो गोलू,,,,,,हमरी किस्मत फूटी थी जो तुम्हरे संग ब्याह किये हम”
“अरे पिंकिया बात तो सुनो बाबू,,,,,,,,,,अरे मजाक कर रहे थे यार , इत्ता का सीरियस ले ली हो तुमहू,,,,,,,,,,अरे सुनो तो”,गोलू ने पिंकी के पास आते हुए कहा


तभी एक रिक्शा वाला आकर पिंकी के बगल में रुका और उसमे बैठे लड़के ने कहा,”कहा जाईयेगा दीदी ?”
“आगे वाली गली मा लेइ ल्यो”,पिंकी ने अपना बैग रिक्शा में रखते हुए कहा और उसमे आ बैठी। रिक्शा आगे बढ़ता इस से पहले गोलू लपक कर ड्राइवर के बगल में आ बैठा और कहा,”खबरदार जो आगे वाली गली मा रिक्शा घुमाये,,,,,,,,सीधा लेइ ल्यो”


“गोलू तुम्हारी प्रॉब्लम का है ?”,पिंकी ने झुंझलाकर कहा  
“हमरी परोब्लम तुमहू हो,,,,,,,,!!”,गोलू ने हताश होकर कहा लेकिन अपनी बात पूरी करता इस से पहले लड़के ने कहा,”दीदी आपको प्रॉब्लम बता रहे है भैया”
गोलू ने लड़के की गुद्दी पकड़ी और कहा,”साले बीच में आग ना लगाओ तुमहू , जे पति पत्नी का मामला है ज्यादा चौधराहट की ना तो रिक्शा का हेंडल उखाड़ के तुम्हायी,,,,,,,,,,,,,,,!!”


 “गोलू,,,,,,,,,ये का बदतमीजी है”,गोलू की बात काटकर पिंकी ने कहा तो गोलू ने अपनी जबान सम्हाली और थोड़ा नरम होकर पिंकी से कहा,”अरे बाबू हम कह रहे है हेंडल उखाड के इह की पसलियों में डाल देंगे फिर जिंदगीभर गोल गोल घूमेंगे इह,,,,,,,,,,!!”
गोलू की बात सुनकर पिंकी उसे घूरने लगी तो गोलू ने लड़के की गर्दन छोड़ी और कहा,”चलो बे चुपचाप रिक्शा गज्जू गुप्ता के घर की तरफ लेइ लयो”  


“रिक्शा आगे वाली गली में जाएगा”,पिंकी ने गुस्से से कहा तो गोलू लड़के के बगल से उतरकर पीछे पिंकी के बगल में आकर बैठा और कहा,”रिक्शा आगे वाली गली मा जाए चाहे लखनऊ हमका कोनो मतलब नाही बस तुमहू हमरे साथ घर चलो,,,,,,,,!!”
“हम नहीं जायेंगे,,,,,,,,,,तुमने हमारे पापा के बारे में कितना गलत गलत बोला है,,,,,,,,हम एक मिनिट भी तुम्हारे साथ नहीं रहेंगे गोलू”,पिंकी ने गुस्से से कहा


“ए बाबू , ए हमाई बात सुनो यार उह फ्रस्ट्रेशन मा निगल गवा , दिल से नाही बोले है सच्ची,,,,,,,,!!”,गोलू ने पिंकी के हाथो को अपने हाथो में लेकर कहा
 पिंकी गोलू की बातो में आ गयी और कहा,”सच कह रहे हो ?”
“तुम्हाये पिताजी के सर की कसम,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“देखा तुम फिर हमारे पापा को बीच में ला रहे हो,,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने चिढ़कर कहा


“अरे तुम्हरे पिताजी हमरे पिताजी,,,,,,,का यार तुम भी,,,,,,,अब चले घर की कुछो और तमाशा करना है का है कि दुइ दिन से रेल बनी हुई है हमायी अब यार पिलीज तुमहू हमयी फील्डिंग सेट ना करो”,गोलू ने पिंकी के सामने लगभग अपने हाथ जोड़ दिए तो पिंकी ने मुंह बनाते हुए रिक्शा वाले से कहा,”भैया सीधा ले लीजिये”
“थैंक्यू , तुम्हरा जे अहसान कबो ना भूलेंगे”,गोलू ने कहा और पिंकी को लेकर घर की तरफ चल पड़ा

मिश्रा जी का घर , कानपूर
आँगन में तख्ते पर बैठे मिश्रा जी किसी गहरी सोच में डूबे थे। फूफाजी के कहे शब्द , पुलिस स्टेशन , गुड्डू का चेहरा और बाकि सब घटनाये जो पिछले दो दिन से घट रही थी सब किसी फिल्म की तरह मिश्रा जी की आँखों के सामने आ रही थी। उनका बुझा चेहरा और चिंता से भरी आँखे देखकर ही समझ आ रहा था कि कुछ तो बात थी जो मिश्रा जी को अंदर ही अंदर खाये जा रही थी।

मिश्राइन उनके लिए चाय लेकर आयी और काफी देर तक कप हाथो में लिए उनके बगल में खड़ी रही लेकिन मिश्रा जी को उनके आने का अहसास तक नहीं हुआ। मिश्रा जी को खोया देखकर मिश्राइन ने कहा,”सुनिए”
मिश्राइन की आवाज सुनकर मिश्रा जी चौंके और कहा,”अरे तुमहू कब आयी ?”
“हम तो काफी देर से यही खड़े है आपने ध्यान नहीं दिया,,,,,,,आप कुछो परेशान नजर आ रहे है , ए गुड्डू के पिताजी आप हमसे कुछो छुपा रहे है का ?”,मिश्राइन ने चाय का कप मिश्रा जी की तरफ बढाकर कहा


मिश्रा जी ने चाय का कप लिया और कहा,”ऐसा कुछो नाही है मिश्राइन , दो दिन से जो कुछ हो रहा है घर मा बस जे कि वजह से मन थोड़ा उचट गया है , पहिले अम्मा होती थी तो ओह्ह से बात करके मन हल्का कर लिया करते थे पर अब तो ओह्ह भी,,,,,,,,,,,!!”
कहते कहते मिश्रा जी भावुक हो गए मिश्राइन ने देखा तो उनके कंधे पर अपना हाथ रखा और कहा,”अम्मा के चले जाने का दुःख हम सभी को है , आपकी परेशानी भी हमहू समझ सकते है। अम्मा के जाने के दुःख से उबर भी ना पाए कि आदर्श बाबू ने तमाशा सुरु कर दिया। पहिले तो आदर्श बाबू ऐसे ना थे फिर अचानक इनको का हुआ ?”


“इंसान की बुद्धि पर जब पत्थर पड़ते है ना तो उह सही गलत नाही समझता है,,,,,,,,,,तुमहू परेशान ना हो सब ठीक हो जाएगा। कल तिये की बैठक के लिए फोन करवा दिया सब रिश्तेदारी में ?”,मिश्रा जी ने चाय पीते हुए पूछा
“हाँ गुड्डू से कहकर अभी करवा देती हूँ , बाकि सबको तो पता ही है बस कुछ लोगो को ही खबर भिजवानी है,,,,,,,,,,,!!”,मिश्राइन ने कहा तो मिश्रा जी ने हामी में गर्दन हिला दी और चुपचाप अपनी चाय पीने लगे।
मिश्राइन अंदर जाने लगी और जाते जाते रुककर कहा,”अच्छा हमहू जे पूछ रहे थे कि “बिरजू भाईसाहब” को भी खबर करनी है का ?”


मिश्रा जी ने जैसे ही मिश्राइन के मुंह से ये नाम सुना उनके चेहरे के भाव बदल गए , चिंता वाले भाव अचानक से कठोरता में बदल गए और उन्होंने मिश्राइन की तरफ देखा तो मिश्राइन मिश्रा जी के कुछ कहे बिना ही समझ गयी और कहा,”हम गुड्डू से कहकर बाकी सबको खबर करवा देते है,,,!”
कहकर मिश्राइन वहा से चली गयी लेकिन जाते जाते मिश्रा जी के चेहरे पर कठोरता के भाव छोड़ गयी अब उनकी आँखों के सामने आ रहा था एक चेहरा जिसे मिश्रा जी कभी देखना तक नहीं चाहते थे

मिश्राइन अंदर आयी और किचन की तरफ आकर शगुन को कुछ काम बताये और अपने कमरे की तरफ चली आयी। मिश्राइन को कमरे में जाते देखकर फूफा ने अपने पास बैठी भुआ से कहा,”सरिता अकेली है जाकर अभी ओह्ह से सब बात कर ल्यो , हमको पूरा विश्वास है कल सबके बीच उह पक्का मुकर जाएगी,,,,,,,,,,वैसे भी हमको तुम्हरे भैया पर जियादा भरोसा नाही है उह्ह कब अपनी जबान से पलट जाये,,,,,,,,,!!”


भुआ ने फूफा को देखा और कहा,”कैसे जलील आदमी हो तुमहू ? अरे हमरे भैया जे घर का आधा हिस्सा दे तो रहे है हमे अब तुम्हे हमरी अम्मा के सामान से भी आधा हिस्सा चाहिए,,,,,,,,,,,अरे हमरे घर मा किसी चीज की कोनो कमी है का ?”


“जियादा मुंह ना चलाओ राजकुमारी , जे जो 5000-5000 की नयी नयी साड़िया , गहने और झोला भरकर मेकअप हर महीने लाती हो ना , हमरी सारी कमाई तो ओह्ह सब मा ही चली जाती है कल को कोमलिया के ब्याह मा जो खर्चा होइ है ओह्ह का इंतजाम अगर यहाँ से हो जाए तो का दिक्कत है ? सरिता से बात करके अम्मा का बक्सा खुलवाय ल्यो बहुत कुछ रखा है ओह्ह मा,,,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने भुआ को अपने लालच में फंसाते हुए कहा।
भुआ भी फूफा की बातो में आ गयी और कहा,”लेकिन सरिता हमको बक्सा खोलने देगी का ?”


“अरे काहे नाही खोलने देगी ? तुम्हरा भी कोनो हक़ है इह घर मा,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने कहा तो भुआ उठ खड़ी हुई
“अम्मा पिताजी हमहू आ गए”,भुआ की बेटी कोमल ने उनकी तरफ आते हुए कहा जिसके साथ उसका छोटे भाई विमल भी था।


वही से गुजरती वेदी ने जब देखा तो साथ चलती शगुन से दबी आवाज में कहा,”आयी तो ऐसे है जैसे ददिया की बैठक मा नाही बल्कि किसी की सादी मा आयी हो,,,,,,,,,,मेकअप देख रही हो , लगता है जैसे पाउडर का पूरा डिब्बा थोप लिया हो मुंह पे,,,,,,,,,!!”
“बस करो वेदी उन्होंने सुना तो अच्छा नहीं लगेगा,,,,,,,,,!!”,शगुन ने वेदी को वहा से ले जाते हुए कहा

गुप्ता जी घर , कानपूर
गोलू पिंकी को मनाकर वापस घर ले आया। गुप्ता जी आँगन में बैठे शाम की चाय पी रहे थे साथ में बेसन का बना गर्मागर्म चीला भी रखा था। गोलू पिंकी के साथ अंदर आया लेकिन जब अपने पिताजी को चाय के साथ चीला इंजॉय करते देखा तो कहा,”वाह का बात है ? हिया बहू घर छोड़कर अपने मायके जाने लगी , बेटे का बसा बसाया घर उजड़ रहा और आप हिया बैठकर चाय सुड़क रहे है,,,,,,,,,,एक ठो बार भी हमरे बारे में नाही सोचे”


“गोलू क्या कर रहे हो ? गलती हमारी थी हम इतनी सी बात पर घर से चले गए,,,,,,,,,!!”,कहते हुए पिंकी गुप्ता जी के पास आयी और आँखे झुकाकर कहा,”हमे माफ़ कर दीजिये पिताजी गुस्से में आकर हमने,,,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी ने पिंकी को देखा और गंभीरता से कहा,”बिटिया ! शादी के बाद से हमने या गोलू की अम्मा ने तुमको जे घर मा किसी तरह की कोनो परेशानी होने नाही दी है। हमेशा तुम्हरी जरूरतों का ख्याल रखा , तुमको बहू नाही बिटिया बना के रखे है।

पति पत्नी मा झगड़ा आम बात है पर छोटी छोटी बातो पर ऐसे घर  चले जाना बहुते गलत बात है बिटिया,,,,,,,,,,गोलू ने तुम्हरे पिताजी के लिए कुछो गलत कहा तो उह बख्त तुमहू हमसे कहती हम दो झापड़ मा सीधा कर देते इह का पर तुमहू खुद से ही फैसला लेकर चली गयी जे वास्ते हमहू तुमको रोके नाही,,,,,,,,,तुमको तुम्हरी गलती का अहसास है इतना काफी है बस जीवन मा हमरी एक ठो बात याद रखना चाहे कैसे भी हालात हो कबो ऐसे घर की दहलीज लांघकर ना जाना , इह से ना ससुराल में कबो इज्जत रहेगी ना ही मायके मा,,,,,,,,जाओ अपने कमरे मा जाओ”

गुप्ता जी की बात सुनकर पिंकी ने शर्मिंदा होकर अपना सर झुका लिया और वहा से चली गयी। उसे अपनी गलती का अहसास था और वह जानती थी कि उस से गलती हुई है। गुप्ता जी को सीरियस देखकर गोलू भी चुपचाप पिंकी के पीछे जाने लगा तो गुप्ता जी ने कहा,”गोलू महाराज तुमहू कहा चले ? हिया आओ चीला चखो”
गोलू ने सुना तो हैरानी से उसकी आँखे ही ऊपर चढ़ गयी वह पलटा और गुप्ता जी तरफ देखा। कुछ देर पहले जो गज्जू गुप्ता गोलू की बैंड बजा रहे थे वही अब उसे चीला खाने के लिए बुला रहे है। गोलू को वही खड़े देखकर गुप्ता जी ने कहा,”अरे आवा”


गोलू आया और आकर गुप्ता जी के सामने पड़े सोफे पर आ बैठा और जैसे ही प्लेट अपनी तरफ खिसकाने लगा गुप्ता जी ने प्लेट को रोक लिया और कहा,”चीला तो हमहू तुमको खिला देंगे पहिले जे बताओ शर्मा के साथ का मेटर है तुम्हरा ?”
गोलू ने सुना तो उसका अपने बाल नोचने का मन हुआ लेकिन सर पर तो बाल थे ही नहीं नोचता क्या ? उसने गुप्ता जी को देखा और मरे हुए स्वर में कहा,”पिताजी जाने दीजिये ना , अभी सब ठीक है”


“हमहू तुम्हरे बाप है बेटा , जितने हरामी तुमहू हो ना उस से थोड़ा ज्यादा हरामीपन हमरे अंदर है। कुछो गड़बड़ ना किये होते ना तो तुम्हरा ससुरा इतना भड़कता नाही तुम पर,,,,,,,,,और जे गुड्डू के फूफा का मेटर है उह पर भी प्रकाश डालो थोड़ा”,गुप्ता जी ने प्लेट गोलू की तरफ खिसका कर कहा
गोलू फंस चूका था , वह जानता था गुप्ता जी सच जाने बिना उसे छोड़ने वाले है नहीं इसलिए उसने एक चीला उठाया और खाते हुए कहा,”उह सब बहुते लम्बी कहानी है”


“हाँ तो हमहू कौनसा पोस्टमेन लगे है जो चिट्ठियां बाटने जाना है हमको,,,,,,,,,,,फ्री है सुनाओ का कहानी है ?”,गुप्ता जी ने कहा
गोलू तब तक पूरा का पूरा चीला एक साथ मुंह में ठूस चुका था , बोलने की हालत में नहीं था उसने मुंह में भरा थोड़ा चीला निगला और कहा,”एक ठो कप चाय मँगवाय दयो”
गुप्ता जी ने सुना तो गोलू को देखा और चिढ़ते हुए कहा,”कहो तो गद्दा भी लगवाय दे तुम्हरे लिए , आराम से लेटकर सुनाना अपनी कहानी,,,,,,,,,,,,!!”


“अरे नहीं नहीं पिताजी,,,,,,,!!”,गोलू ने खिंसियाते हुए कहा    
“का नही नहीं,,,,,,,,,,उठो हिया से”,गुप्ता जी ने थोड़ा कड़क स्वर में कहा
गोलू एक झटके में उनके सामने से उठ खड़ा हुआ तो गुप्ता जी ने कहा,”साला सरम नाही है बाप के सामने बैठेंगे , उनके बराबर में,,,,,,,,तुम्हरे साथ रहते रहते जे बहू की अक्कल भी खराब हो गयी है तबही ना उठा के बैग घर से चल दी,,,,,,,,अब सुनाओगे अपनी कहानी कि केशव पडित को बुलाकर मुहूर्त निकलवाए तुम्हरे लिए,,,,,,,,,!!”


केशव पंडित का नाम सुनते ही गोलू के चेहरे के भाव बदल गए और उसने कहा,”ओह्ह का तो नाम ही ना लयो हमायी जिंदगी मा जे सारी चरस उन्होंने ही बोई है , जोन कुंडली उह बनाये है ना हमको तो लगता है जैसे हमसे बदला लिए है,,,,,,,,!!”


गुप्ता जी ने सुना और चिढ़ते हुए कहा,”कुंडली का कर लेगी बेटा जब तुमहू खुद ही सांप बन के अपने ही पिछवाड़े को डस रहे,,,,,,,,,,,अरे अपनी हरकतों में सुधार नाही और दुसरो को दोष देने चले है , अरे हमहू गारंटी के साथ कह सकते है तुमहू खुद भी अपनी कुंडली लिखने बैठो ना तो ओह्ह्ह मा भी कुछो ना कुछो गड़बड़ कर ही दोगे तुम का है कि तुम्हरा और कांड का नाड़े कच्छे का साथ जो है।”


गोलू कुछ कहता इस से पहले उसकी अम्मा वहा आयी और कहा,”ए गोलू ! जाओ ज़रा एक ठो सिलेंडर भरवा लाओ चौक से , तुम्हरे लिये चीला बना रहे थे कि बीच में ही खत्म हो गवा”
गुप्ता जी से बचने का गोलू के पास ये अच्छा मौका था उसने तुरंत स्कूटी की चाबी ली और कहा,”हाँ हाँ अभी ले आते है आप बेसन घोल के रखिये तब तक,,,,,,,,!!”

गोलू स्कूटी लेकर घर से निकल गया और थोड़ी देर में ही चौक पहुंचा जहा से ब्लेक में सिलेंडर मिल जाता था। गोलू ने स्कूटी साइड में लगाई और जैसे ही दुकान तरफ जाने लगा उसकी नजर पड़ी गुड्डू पर जो कि कुछ ही दुकान पर खड़ा चाय पी रहा था।


“बहुते सही गुड्डू भैया ! इत्ती पिरोब्लम के बीच भी हिया चौक मा खड़े होकर चाय पी रहे है , साला हमको टोका तक नाही,,,,,,,,!!”,गोलू गुड्डू को देखकर बड़बड़ाया लेकिन अगले ही पल गुड्डू के लहराते बाल और हल्की दाढ़ी देखकर गोलू का माथा ठनका और वह बड़बड़ाया,”पर साला जे गुड्डू भैया के सर पर इत्ती जल्दी बाल कहा से आये ? सुबह तो नाही थे और कपडे भी एकदम चकाचक पहिने है ,, साला जे का चक्कर है,,,,,,,,,,,,,गुड्डू भैया ए गुड्डू भैया,,,,,,,,रुको हमहू आते है”


गोलू ने सामने खड़े गुड्डू को आवाज दी लेकिन गुड्डू ने शायद सुना ही नहीं और वही बगल में खड़ी बस में चढ़ गया। गोलू बस तक पहुंचा तब तक बस वहा से चली गयी। गोलू उलझन में पड़ गया और दूकान वाले से पूछा,”ए चचा ! जोन बस अभी निकली है उह कहा के लिए थी ?”


“उह्ह तो भैया चंदौली गयी है,,जे आखरी बस थी अब तो कल सुबह 10 बजे मिली है”,दुकानवाले ने कहा
गोलू ने सुना तो वह और ज्यादा उलझन में बड़बड़ाया,”पर साला जे गुड्डू भैया चंदौली काहे गए है ?”

अब गोलू को तो नहीं पता उसके गुड्डू भैया चंदौली क्यों गए है ? अगर आप जानते है तो कमेंट सेक्शन में बताये

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संजना किरोड़ीवाल 

Manmarjiyan - Season 3
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