Manmarjiyan Season 3 – 24
Manmarjiyan Season 3 – 24

शगुन से पैसे लेकर गोलू मिश्रा जी के घर से चला गया हालाँकि मिश्रा जी भी उसे पैसे देने के लिए ही सीढ़ियों पर खड़े थे पर गोलू तो गोलू है शगुन से पैसे मिलने के बाद वह मिश्रा जी के सामने से इतराते हुए गुजरा। मिश्रा जी अंदर चले आये। गुड्डू खाना खा चुका था वह उठा अपनी पत्तल उठायी और पीछे आँगन की तरफ चला आया। उसने जूठी पत्तल रखी और हाथ धोने लगा। हाथ धोकर गुड्डू जैसे ही पलटा पीछे खड़ी शगुन ने हाथ पोछने के लिए तौलिया उसकी तरफ बढ़ा दिया। गुड्डू ने शगुन को देखा और अपने गीले हाथो को अपने शर्ट से पोछा और वहा से चला गया।
शगुन से बिना कुछ कहे गुड्डू ने उसे ये अहसास दिला दिया कि वह उस से नाराज है,,,,,,,,,!!
शगुन समझ गयी गुड्डू उस से नाराज है। वह वही खड़ी गुड्डू को जाते हुए देखती रही तभी मिश्रा जी ने शगुन को आवाज दी,”शगुन बिटिया”
शगुन की तंद्रा टूटी और वह मिश्रा जी की तरफ चली आयी उसने मिश्रा जी के सामने आकर कहा,”जी पापा जी”
मिश्रा जी ने एक नजर शगुन को देखा और फिर नजरे झुकाकर कहने लगे,”आदर्श बाबू ने आज जो बदतमीजी की ओह्ह के लिए हमहू माफ़ी चाहते है बिटिया ,, हम चाहते तो उन्हें उसी वक्त जवाब दे सकते थे लेकिन चीजे पहले ही इतनी बिगड़ी हुई है कि हमहू और नहीं चाहते थे। कल अम्मा की तिये की बैठक है उसके बाद एक बार अम्मा के दिन पुरे हो जाये ओह्ह्ह के बाद हमहू आदर्श बाबू से बात करेंगे,,,,,,,तब तक हमहू बस थोड़ा मजबूर है बिटिया , उन्होंने जो कहा उसके लिए हमहू हाथ”
कहते हुए मिश्रा जी ने जैसे ही शगुन के सामने हाथ जोड़े शगुन ने मिश्रा जी के हाथो को थाम लिया और कहा,”ये आप क्या कर रहे है पापाजी ? फूफाजी ने जो किया उसका जवाब उन्हें मिल चुका है , मैं जानती हूँ वो ये सब जान बूझकर कर रहे है ताकि आपको परेशान कर सके उनके लिए आपको मुझसे माफ़ी मांगने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। आप मेरे पिता की तरह है मुझसे माफ़ी मांगकर आप मुझे शर्मिन्दा कर रहे है।”
शगुन की समझदारी भरी बातें सुनकर मिश्रा जी की आँखे नम हो गयी और उन्होंने शगुन के सर पर हाथ रखकर कहा,”गुड्डू के लिए तुम्हे जीवनसाथी के रूप मा चुनना हमरे जीवन का सबसे अच्छा फैसला रहा बिटिया,,,,,,,,,,,खुश रहो और अपना ख्याल रखो”
“आप परेशान मत होईये पापाजी सब ठीक हो जाएगा,,,,मैं जानती हूँ चीजे अभी सही नहीं है पर मुझे पूरा यकीन है कि आप गलत नहीं हो सकते”,शगुन ने विश्वास भरे स्वर में कहा
“आनंद चचा इह राशन का सामान आया है कहा रखवाए ? और उह्ह रिक्शा वाले को पैसा भी देना है”,रौशनी के भाई ने आकर कहा तो मिश्रा जी ने शगुन से अंदर जाने को कहा और खुद बाहर चले आये।
शगुन अंदर चली आयी। गुड्डू उस से नाराज था और घर में इतने लोगो के बीच उसके पीछे पीछे मनाते हुए घूमना शगुन को अच्छा नहीं लगा तो वह गुड्डू को थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़कर वेदी के कमरे में चली आयी। शगुन ने देखा खिड़की के पास खड़ी वेदी फोन पर किसी से बात कर रही थी। शगुन उसके पीछे आयी और उसके हाथ से फोन लेकर स्क्रीन देखी स्क्रीन पर अमन का नाम देखकर शगुन ने वेदी की तरफ देखा तो वेदी ने अपनी नजरे झुका ली।
“कब से चल रहा है ये सब ?”,शगुन ने थोड़ा कठोरता से पूछा
“वो भाभी ! आप जैसा सोच रही है वैसा कुछ भी नहीं है,,,,,,हम बस अच्छे दोस्त है”,वेदी ने घबराकर धीमे स्वर में कहा
“अच्छा ! वेदी भूलो मत मैं तुम्हारी भाभी हूँ और तुम मुझसे झूठ नहीं बोल सकती , अब बताओ बात क्या है ?”,शगुन ने कहा
शगुन को कठोर होते देखकर वेदी ने कहा,”मैं और अमन एक दूसरे को पसंद करते है भाभी,,,,,पहले हम दोनों दोस्त थे लेकिन प्रीति की शादी में हमे अहसास हुआ कि हम अमन के बिना नहीं रह सकते। सॉरी भाभी हमने आपसे ये सब छुपाया,,,,,!!”
शगुन ने जब सुना कि वेदी अमन को पसंद करती है तो मन ही मन बहुत खुश हुई लेकिन बाहर से खुद को कठोर दिखाते हुए कहा,”वेदी ! तुम जानती हो ना पहले भी तुमने आँख बंद करके एक लड़के पर भरोसा किया था और उसने,,,,,,,,,,चाहे मेरा भाई ही क्यों न हो तुम्हे इतनी जल्दी किसी लड़के पर भरोसा नहीं करना चहिये।
तुम्हारे एग्जाम्स आने वाले है और तुम इन सब में अपना वक्त बर्बाद कर रही हो , अमन भी बाहर पढाई करने गया है ना लेकिन तुम दोनों तो फ़ोन पर बिजी हो,,,,,,,,बहुत गलत बात है वेदी , दादी मा के दिन पुरे हो जाए फिर मैं खुद पापाजी से अमन को लेकर बात करुँगी तब तक ये बाते वाते थोड़ी कम करो समझी,,,,,,,,!!”
“समझ गयी भाभी,,,,,,,,,!!”,वेदी ने सर झुकाकर धीरे से कहा जबकि मन ही मन अमन को लेकर खुश हो रही थी।
वेदी को चुप देखकर शगुन ने कहा,”छत पर सूखने के लिए कपडे डाले है तुम ले आओगी ?”
“हाँ भाभी हम ले आते है”,वेदी ने कहा और वहा से चली गयी। शगुन जैसे ही जाने के लिए पलटी मिश्राइन कमरे में आयी और कहा,”अरे शगुन ! जे जरा इसे सिल दोगी ?”
“जी लाईये,,,,!!”,शगुन ने कहा और खड़े खड़े ही हाथ से टांका लगाने लगी। मिश्राइन ने देखा तो कहा,”अरे बिटिया आराम से बैठकर करो हम ज़रा आते है”
शगुन बिस्तर पर आ बैठी और मिश्राइन बाहर चली गयी।
वेदी कपडे लेने छत पर चली आयी , नीचे शगुन ने उसे अमन से बात करने को लेकर जो डाँट लगायी थी वेदी उसी के बारे में सोच रही थी। कपडे उतारते उतारते वेदी की नजर दिवार पर बैठे गुड्डू पर पड़ी। गुड्डू उदास सा दिवार पर बैठा था वेदी तार से उतारे आधे कपडे लेकर ही गुड्डू के पास चली आयी और
उसके बगल में खड़े होकर कहा,”का हुआ गुड्डू भैया ? ऐसे अकेले हिया काहे बैठे हो ? पिताजी ने फिर से कुछो कहा का ?”
गुड्डू ने बगल में खड़ी वेदी को देखा और कहा,”पिताजी के अलावा भी बहुत लोग है इह घर मा हमरा दिल दुखाने के लिए,,,,,,,,!!”
“कही आप फूफा के बारे में तो नाही सोच रहे ? अरे फूफा तो है ही बकलोल उनकी बात पर का इत्ता विचार करना पर हाँ आज उन्होंने शगुन भाभी के लिए जो कहा उह बहुते गलत था। उह बख्त तो हमे भी बहुते गुस्सा आया रहा उन पर,,,,,!!”,वेदी ने मुंह बनाकर कहा
गुड्डू ने जैसे ही वेदी के मुंह से शगुन का नाम सुना उसकी तरफ देखा और थोड़ा चिढ़कर कहा,”हाँ लेकिन ओह्ह्ह के बाद शगुन का की उह नहीं देखी तुमहू , फूफा ने चाह मांगी तो शगुन बनाने भी चली गयी,,,,,,,का जरूरत थी फूफा की बात मानने की ?”
“अच्छा तो आप शगुन भाभी की वजह से गुस्सा है,,,,,,,,,,वैसे आज उन्होंने हमे भी डांट दिया”,वेदी ने मायूस होकर कहा
“देखा हमहू तो जानते ही थे , का है कि मास्टरनी है ना उह तो ओह्ह को लगता है दुनियाभर का सारा ज्ञान तो उनके अंदर ही है,,,,,,,,,बस जब देखो तब लेक्चर दें लगेंगी,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने चिढ़कर कहा। शगुन के लिए उसकी नाराजगी साफ़ झलक रही थी
वेदी पति पत्नी के झगडे में पड़ना नहीं चाहती थी इसलिए कहा,”आपकी पत्नी है आप सम्हालो , हम तो चले कपडे लेने”
गुड्डू ने वेदी की चोटी पकड़कर उसे पीछे खींचा और कहा,”उह्ह बाद में पहिले बताओ तुम्हे काहे डांट लगाई ?”
वेदी ने गुड्डू सब बता दिया तो गुड्डू ने कहा,”हाँ तो फिर सही डांट लगायी ना उसने तुम्हे , पढ़ाई के बख्त तुम और उह्ह अमनवा फोन पर बख्त ख़राब कर रहे हो,,,,,,,,,,,जे ठीक बात ना है”
“अरे ! अभी तो आप शगुन भाभी से गुस्सा थे,,,,,,,,,और अभी उनकी साइड ले रहे है”,वेदी ने कहा
“देखो वेदिया पति पत्नी से कितना भी गुस्सा हो , नाराज हो रहता उसकी ही साइड है,,,,,,,,चलो जाओ नीचे”,गुड्डू ने कहा
“जोरू का गुलाम,,,,,,,,,!!”,वेदी ने धीरे से कहा
“का , का , का कही तुम ?”,गुड्डू ने कहा
“क क कुछ नहीं हमने तो कहा जो हुकुम भैया,,,,,,,,,,,,हम उह कपडे ले जाते है,,,,,,,!!”,कहकर वेदी वहा से चली गयी
गुड्डू शगुन के बारे में सोचने लगा और खुद में ही बड़बड़ाया,”देखा ! एक ठो बार हमका मनाने तक नाही आयी,,,,,,,,,,,,पहले जब हमे कुछ याद नहीं था तब कैसे हमरी हर बात मानती थी , हमे मनाते रहती थी और जब से हमका सब याद आया है साला कोनो इज्जत ही नाही है,,,,,,,,मनाना तो दूर एक ठो बार बात करने तक नहीं आयी हमसे,,,,,,,,,,,सच मा कित्ती बदल गयी हो शगुन,,,,,,,,,!!”
“अरे गुड्डू अकेले में बैठकर का बड़बड़ा रहे हो ?”,अपनी छत पर खड़े सोनू भैया ने पूछा
गुड्डू ने गर्दन घुमाकर सोनू भैया को देखा और कहा,”कुछो नाही”
“अरे देखे हमहू अभी अभी तुमहू कुछो बड़बड़ा रहे थे,,,,,,,,,,,बताओ बताओ का बात है ?”,सोनू भैया ने कहा
गुड्डू शगुन से नाराज था और इसका असर दिखा उसकी बातो में उसने सोनू भैया से चिढ़कर कहा,”का है कि बूढ़ा गुजर गयी है ना तो हमहू उनसे पूछ रहे थे कि इत्ते बढ़िया पडोसी काहे रखे उन्होंने जिनको हमाई चरस भरी जिंदगी मा हल चलाने का इत्ता शौक है कि , बैल ना मिलने पर खुद ही गाडी में जुतकर आ जाते है,,,,,,,,,,!!”
सोनू भैया ने सुना तो हैरानी से गुड्डू को देखने लगे और कहा,”अबे का हुआ ? फिर से कोनो कांड किये हो का गुड्डू ?”
गुड्डू दिवार से उतरा और सोनू भैया की तरफ देखकर कहा,”आदमी के जीवन का सबसे बड़ा कांड ही शादी है भैया , जिसका कोई हल नहीं है”
सोनू भैया ने सुना तो समझ गए शगुन और गुड्डू के बीच में नोक-झोंक हुई हुई है तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा,”अरे भैया जे काण्ड मा तो हमहू भी कोनो सलाह ना देही है,,,,,,,,अपने अपने कांड खुदय सम्हालो”
मिश्रा जी के आवाज देने पर गुड्डू वहा से चला गया और सोनू भैया अपनी छत पर घूमने लगे।
गोलू पैसे लेकर मार्किट पहुंचा। वह खारी वाले के पास आया और 500-500 के 4 नोट उसकी तरफ बढाकर कहा,”हमरा चैन”
“कौनसा चैन भैया ?”,खारी वाले ने जैसे ही कहा गोलू का हाथ अपने सीने पर बांयी तरफ चला गया और उसको हार्ट अटैक आते आते बचा।
गोलू ने खारी वाले को देखा और कहा,”ए चचा ! झटका नाही दयो , सुबह तुम्हरा सामान बिखेरने के बदले तुमहू हमरी जो चैन अपने पास रखे थे,,,,,,,,,,अरे हमहू पुरे दुइ हजार भी लेकर आये है जे देखो,,,,,,हमरी चैन देइ दयो का है कि बिना चैन के घर गए ना तो हमायी मेहरारू हमारा चैन और सुकून दोनों छीन लेगी,,,,,,,,!!”
“कैसे भैया ? कोनो अटेचमेंट है का ओह का ?”,खारी वाले ने गोलू के मजे लेते हुए पूछा
“अरे बहुते बड़ा अटेचमेंट है चचा उह्ह चैन सादी मा ओह्ह के पिताजी से मिली है हमका,,,,,,,जे बिटिया लोगो का अपने पिताजी से बहुते इमोशनल अटेचमेंट होता है,,,,,,,,,,चलो जे पइसे पकड़ो और चैन दो हमका और भी बहुते काम है”,गोलू ने एक बार फिर पैसे चचा की तरफ बढाकर कहा
खारी वाला मुस्कुराया और जेब से चैन निकालकर गोलू की तरफ बढाकर कहा,”जे ल्यो भैया , हमहू जे लोहे का चैन रख के करेंगे भी का ?”
“का लोहे का चैन ? अरे सोने का है चचा उह भी पुरे 25 ग्राम का,,,,का कुछ भी बकते हो ?”,गोलू ने चैन लेकर कहा
“अरे भैया ! चीज देखकर बता देते है असली है कि नकली , नहीं ना यकीन आता तो जाकर किसी सुनार से पूछ ल्यो,,,,,,,,,!!”, चचा ने कहा और अपने ठेले के सामने खड़े ग्राहकों को देखने लगा।
खारी वाले ने गोलू को अब एक और नयी टेंशन दे दी गोलू ने चैन को देखा जिसे देखकर कोई कह नहीं सकता की ये नकली है। गोलू चैन लेकर वहा से सुनार की दूकान के बाहर चला आया।
दुकान में जाने से पहले गोलू रुका और खुद में ही बड़बड़ाया,”छः गोलू ! कैसे आदमी हो अपनी ही बीवी के बाप पर शक कर रहे हो ? अरे उह्ह तुमका नकली चैन थोड़े देंगे”
कहते हुए गोलू वापस पलटा लेकिन अगले ही पल उसके दिमाग में फिर कोई ख्याल आया और उसने कहा,”अबे काहे का बाप ? उह तो तुम्हरा पाटिया साफ़ करने वाले थे आज गज्जू गुप्ता के साथ मिलकर , और पिताजी को भी शरम ना आयी शर्मा के साथ हाथ मिलाय लिए,,,,,,,
ओह्ह से तो हमहू घर जाकर बात करी है , साला उनसे दिन में 20 गाली , 10 झापड़ खाये हम और उह्ह शर्मा से हाथ मिलाकर हमरे ही खिलाफ हो गए,,,,,,,,,,,साला घर मा ही भाजपा कांग्रेस खेल रहे है गज्जू गुप्ता,,,,,,,,,,,पहिले जे पता कर ले कि इह असली है कि नकली , अगर असली हुयी तो का बड़ी बात है कानपूर का हर ससुर अपने दामाद को सादी में कोई ना कोई तोहफा देता ही है,,,,,,,,,,,,और अगर नकली निकली तो फिर माफ़ करना ससुर जी तमाशा तो होगा और उह्ह भी बहुते तबियत के साथ,,,,,,,,,,,!!”
गोलू दुकान के अंदर आया और सुनार को चैन देकर कहा,”ए चचा ! ज़रा देखकर तो बताओ इह असली है के नकली ?”
सुनार ने गोलू से चैन ली , बहुत ध्यान से उसे देखा जब नहीं समझ आया तो उसे घिसकर देखा और फिर ख़ामोशी से गोलू की तरफ देखने लगे लेकिन कहा कुछ नहीं
Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24
Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24Manmarjiyan Season 3 – 24
- Continue With Manmarjiyan Season 3 – 25
- Visit https://sanjanakirodiwal.com
- Follow Me On instagram
संजना किरोड़ीवाल


शगुन ने जब सुना कि वेदी अमन को पसंद करती है तो मन ही मन बहुत खुश हुई लेकिन बाहर से खुद को कठोर दिखाते हुए कहा,”वेदी ! तुम जानती हो ना पहले भी तुमने आँख बंद करके एक लड़के पर भरोसा किया था और उसने,,,,,,,,,,चाहे मेरा भाई ही क्यों न हो तुम्हे इतनी जल्दी किसी लड़के पर भरोसा नहीं करना चहिये।
तुम्हारे एग्जाम्स आने वाले है और तुम इन सब में अपना वक्त बर्बाद कर रही हो , अमन भी बाहर पढाई करने गया है ना लेकिन तुम दोनों तो फ़ोन पर बिजी हो,,,,,,,,बहुत गलत बात है वेदी , दादी मा के दिन पुरे हो जाए फिर मैं खुद पापाजी से अमन को लेकर बात करुँगी तब तक ये बाते वाते थोड़ी कम करो समझी,,,,,,,,!!”
शगुन ने जब सुना कि वेदी अमन को पसंद करती है तो मन ही मन बहुत खुश हुई लेकिन बाहर से खुद को कठोर दिखाते हुए कहा,”वेदी ! तुम जानती हो ना पहले भी तुमने आँख बंद करके एक लड़के पर भरोसा किया था और उसने,,,,,,,,,,चाहे मेरा भाई ही क्यों न हो तुम्हे इतनी जल्दी किसी लड़के पर भरोसा नहीं करना चहिये।
तुम्हारे एग्जाम्स आने वाले है और तुम इन सब में अपना वक्त बर्बाद कर रही हो , अमन भी बाहर पढाई करने गया है ना लेकिन तुम दोनों तो फ़ोन पर बिजी हो,,,,,,,,बहुत गलत बात है वेदी , दादी मा के दिन पुरे हो जाए फिर मैं खुद पापाजी से अमन को लेकर बात करुँगी तब तक ये बाते वाते थोड़ी कम करो समझी,,,,,,,,!!”
Aery yeh Golu k sath kyu hota hai… Golu maharaj ko itni muskil se to 2000 rupay mile the aur jis chain ko chudane k liye gaye, wo chain hee nakli hai…yeh sach hua to Golu k sath to nainsafi hui….lakin aaj Guddu ne ek baat sahi boli Vedi ko aur wo yeh ki Pati-patni m kitni bhi ladai ho, lakin dono ek dusre k khilaf nhi sun sakte hai…very good Guddu Mishra…aur Shagun k roop m tumko bahut sahi partner mili hai… thoda ab usko samjho bhi yr