Manmarjiyan Season 3 – 100

Manmarjiyan Season 3 – 100

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

“गुड्डू और लवली के ही नहीं आप हमरे भी गुनहगार है मिश्रा जी”,एक जानी पहचानी आवाज मिश्रा जी और बाकि सबके कानो में पड़ी और सबने हैरानी से आवाज वाली तरफ देखा और सब चौंक गए क्योकि ये आवाज किसी और की नहीं बल्कि मिश्राइन की थी जो कि कोमल और वेदी के साथ खड़ी थी।
मिश्रा जी ने सबके सामने अपना सबसे बड़ा राज उजागर कर दिया और अब तक जिस मिश्राइन से ये राज छुपाते आ रहे थे सबके साथ साथ उन्होंने भी जान लिया कि सच क्या हैं ?  

मिश्रा जी ने मिश्राइन को वहा देखा तो उनके चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये वे मिश्राइन से कुछ कहते इस से पहले मिश्राइन खुद ही उनके सामने चली आयी और कहा,”इतना बडा सच हमसे काहे छुपाये गुड्डू के पिताजी ? जोन प्यार और ममता गुड्डू को मिली का लवली उह्ह प्यार और ममता का हकदार नाही था , फिर काहे दूर कर दिया ओह्ह का हमरी ममता से,,,,,,,,बृजेश भैया की घरवाली जब इह दुनिया छोड़कर गयी तब 5 साल का उह्ह कैसे सम्हाला होगा उसने खुद को ? आप लोगन के झगडे मा ना उह्ह्ह अपना बचपन जी पाया ना अपनी जवानी,,,,,काहे छुपाया हम से जे सब काहे ?”


कहते कहते मिश्राइन रो पड़ी , मिश्रा जी ने आगे बढकर मिश्राइन को सम्हाला और कहा,”हमका माफ़ कर दयो मिश्राइन पर जे सब हमने तुम्हायी जिंदगी बचाने के लिए किया , हमहू कबो नाही सोचे थे हालात ऐसे हो जायेंगे पर तुमहू देखो ना अब सब ठीक है। बृजेश और ओह्ह की घरवाली हमाये साथ नहीं है तो का हुआ ओह्ह के दोनों बच्चे हमाये साथ है”


“ओह्ह्ह के बच्चे , हमाये बच्चे है जे और ख़बरदार जो आज के बाद ऐसा कहा , गुड्डू और लवली दोनों हमाये बेटे है , हमाये बच्चे है हम बस इतना जानते है और कुछो नाही,,,,,,,,,!!”,मिश्राइन ने कहा तो मिश्रा जी मुस्कुरा उठे।
लवली अब तक अपने आँसुओ को रोककर खड़ा था लेकिन मिश्राइन की बात सुनकर उसकी आँखों से आँसू बहने लगे और इस बार गुड्डू ने उसे सम्हाला , गुड्डू लवली को लेकर मिश्राइन के सामने आया और कहा,”अम्मा,,,,,,,,!!

मिश्राइन ने लवली को देखा तो उसका चेहरा अपने हाथो में लिया और रोते हुए कहा,”अरे तुमको तो हम उसी दिन पहिचान गए थे जब अपने हाथो से खाना खिलाये थे। माँ होकर का अपने बच्चे को नाही पहचानेंगे ? पर जब तुमको छूकर गुड्डू जैसा ही अहसास हुआ तो हमने अपनी थोड़ी सी ममता तुम्हरे ऊपर भी लुटा दी और देखो तुमहू तो हमरे ही बेटे निकले,,,,,पर अब हमको छोड़कर नाही जाना लवली नाही जाना”

लवली ने सुना तो रोते हुए मिश्राइन के गले आ लगा और मिश्राइन ने भी उसे गले लगा लिया। ये देखकर मिश्रा जी की आँखों में नमी उभर आयी। गुड्डू ने देखा तो मिश्रा जी के पास आया और कहा,”का पिताजी ! हमहू आपके बेटे नाही थे जे वास्ते हमको चप्पल से मारते थे ना आप”
गुड्डू ने तो ये मजाक में कहा लेकिन मिश्रा जी ने जैसे ही सुना खींचकर एक चाँटा गुड्डू को मारा और कहा,”मुँह खोंच देंगे तुम्हरा अगर दोबारा जे बात कही , हमरे बेटे हो तुम , हमरे गुड्डू,,,,,,,,!!”


कहते हुए मिश्रा जी ने गुड्डू को खींचकर अपने सीने से लगा और कहा,”और कानपूर का हर लड़का अपने जीवन मा एक बार अपने बाप से चप्पल तो जरूर खाता है समझे , और हमहू आगे भी मारेंगे चप्पल से , तुम्हाये , तुम्हाये लड़के के सामने भी मारेंगे समझे”
गुड्डू ने सुना तो रोते रोते हसने लगा और कहा,”का पिताजी इमोशनल कर दिए आप तो , हम आपके गुड्डू और आप हमाये पिताजी रहेंगे ठीक है”


लवली मिश्राइन से दूर हटकर मिश्रा जी के सामने आया तो गुड्डू ने मिश्राइन की तरफ आकर कहा,”का अम्मा ! लवली भैया मिल गए तो अपने गुड्डू को भूल गयी”
“तू तो हमायी जान है गुड्डू तुमको कैसे भूल सकते है रे ?”,कहते हुए मिश्राइन ने गुडडू को भी अपने सीने से लगा लिया


मिश्रा जी के सामने खड़े लवली ने अपने हाथ जोड़े और कहा,”हमका माफ़ कर दीजिये हमने आपको गलत समझा , आपके साथ बदतमीजी की , आपको दुःख  पहुंचाया पर सही बख्त पर आपने हमायी आँख खोलकर हमे अपने पिताजी जैसा बनने से बचा लिया। हम बहुते बुरे इंसान है हमका माफ़ कर दयो”
कहते हुए लवली ने मिश्रा जी के पैर पकड़ लिए तो मिश्रा जी ने उसे उठाकर कहा,”का कर रहे हो लवली तुम बुरे नाही हो बस थोड़ा भटक गए थे , एक शर्त पर माफ़ करेंगे तुमको”


“कैसी शर्त ?”,लवली ने अपने आँसू पोछकर पूछा  
“आज से तुम हमाये और मिश्राइन के बड़े बेटे और गुड्डू वेदी के बड़े भाई बनकर हम सबके साथ हमाये घर मा रहोगे। जो ख़ुशी जो प्यार अब तक तुम्हे नाही मिला उह्ह्ह सब अब मिलेगा बोलो मंजूर है ?”,मिश्रा जी ने कठोरता से कहा


लवली ने सोचा नही था मिश्रा जी उसे जब अपनाएंगे तो इस तरह अपनाएंगे वह मिश्रा जी के गले आ लगा और कहा,”आप जो कहे हमे सब मंजूर है पिताजी”
पहली बार लवली के मुंह से अपने लिए पिताजी सुनकर मिश्रा जी की आँखे फिर भर आयी। लवली को गले लगाकर लगा जैसे अपने दोस्त बृजेश को गले लगा रहे है।


गोलू ने देखा लवली गुड्डू का मामला सुलझ चुका है तो वह घूमकर गुप्ता जी की तरफ आया और उनके कंधे पर अपनी कोहनी टिकाकर ऊँगली होंठो से लगाकर कहा,”मिश्रा जी का राज तो खुद अब इह बताओ पिताजी कही मिश्रा जी की तरह आपने भी तो कोनो काण्ड करके नाही रखा जोन बाद मा एकदम से सामने आये,,,,,,,देखो हम बताय रहे है हमहू अपनी पिरोपर्टी को 50-50 करने का रिस्क बिल्कुल नाही लेंगे अगर ऐसा कुछो है तो अभी बताय दयो गुपचुप मा मामला सुलटाय देंगे”


अच्छा गोलू एक तो गलत बात कर रहा है ऊपर से गुप्ता जी के सामने कर रहा था। गुप्ता जी गोलू की तरफ देखकर मुस्कुराये और उसकी कोहनी मोड़कर पीठ से लगाकर दो तीन घुसे उसकी कोल में मारकर कहा,”अरे हमरा माथा ख़राब है जो हमहू तुम्हरे जैसी दूसरी औलाद पैदा करेंगे , अरे तुम्हरी अम्मा के अलावा कबो किसी महिला को बुरी नजर से नाही देखे”


“हमेशा पूरी नजर से देखे है,,,,,,,,,,,!!”,पास ही खड़े शर्मा जी ने बीच में ताना दे मारा तो गुप्ता जी गोलू को छोड़ शर्मा जी की तरफ पलटे और कहा,”का कहना चाहते हो ? तुमहू भी दूध के धुले नाही हो शर्मा शादी से पहिले के तुम्हरे काण्ड बताये जाकर पिंकिया की मम्मी को,,,,,,,!!”
“का ससुर जी हमहू तो आपको राज कपूर समझते थे आप तो शक्ति कपूर निकले , शादी से पहिले कांड,,,,,,,,!!”,गोलू ने आकर कहा


शर्मा जी ने गोलू की गुद्दी पकड़ी और कहा,”हमसे बड़ा कांड तो आपके पिताजी ने किया है आपको पैदा करके,,,,,,,!!”
“पापा छोड़िये गोलू को ये आपके घर के दामाद है,,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने गोलू को शर्मा जी से दूर करके कहा
“दामाद नाही जे उह्ह पाद है पिंकिया जो कितना भी बास मारे सूंघना ही पडेगा,,,,,,,,,,!!”,शर्मा जी ने कहा
“छी ! पापा ये कैसी गन्दी बाते कर रहे है आप ?”,पिंकी ने कहा और वहा से चली गयी।
“अरे गन्दा आदमी है तो गन्दी बाते ही करेगा ना बिटिया”,गुप्ता जी ने कहा


शर्मा जी और गुप्ता को फिर उलझते देखकर मिश्रा जी ने लवली को रुकने का इशारा किया और उन लोगो की तरफ आकर गुस्से से कहा,”चुप करो सब के सब , का कीचड़ मा फंसे सुअरो की तरह लड़ रहे हो ?”
सभी एक बार फिर शांत होकर लाइन में खड़े हो गए और अब मिश्रा जी एक एक के सामने आकर उन्हें फटकार लगाने लगे।

सबसे पहले शर्मा जी के सामने आये और कहा,”का बे शर्मा ? बिटिया ब्याहे हो ना गोलू के साथ अपनी तो कायदे से उह्ह तुम्हरे दामाद हुए के नहीं , और तुमहू अपने ही दामाद के साथ इत्ता बुरा पेश आ रहे हो। अरे मानते है उह्ह थोड़ा बकलोल है , बदमाशी करता है पर दिल का बुरा नहीं है। अरे पूछो अपनी बिटिया से शादी के बाद आज तक कबो दुःख दिए परेशान किये हो ओह्ह का,,,,,,,शर्म करो थोड़ी और जे गुप्ता के साथ का गली के कुकुरो की तरह भीड़ जाते हो। एक गलती के लिए का जिंदगीभर बैर रखोगे ओह्ह के साथ,,,,,,,,,!!”


शर्मा जी ने सुना तो चुपचाप सर झुका लिया गोलू ने मिश्रा जी को अपने पक्ष में देखा तो खुश होकर उनके सामने आया लेकिन मिश्रा जी ने बाँह पकड़कर उसे साइड में किया और गुप्ता जी के सामने आकर कहा,”और गुप्ता तुम , तुम का छोटी छोटी बात पर घर की भुआ के जइसन चिढ जाते हो बे , अरे समधी है उह्ह्ह तुम्हरे कुछो कह दिया तो का हो गवा मजाक मा नाही ले सकते। हिय साले तुम लोगो को हमहू अपनी मदद के लिए बुलाये रहे और तुम दोनों अपना ही राग अलाप रहे हो ,

सब देख रहे थे हम कभी ईंटा लेकर जे तुम्हरे पीछे तो कभी ईंटा लेकर तुमहू ओह के पीछे,,,,,,,,,लगे साला जैसे दोस्त नाही जन्मो जन्मो के दुश्मन रहे हो , अब सर का झुका रहे हो सुधर जाओ गुप्ता दादा बनने वाले हो , आने वाली पीढ़ी का सीखी है तुमसे”


गुप्ता जी को तो इतना हेवी डोज मिल चुका था कि वे चुपचाप साइड में चले गए। मिश्रा जी आये यादव जी के सामने और कहा,”और यादव जी आप ! अरे आपसे हमहू समझदारी की उम्मीद किये थे पर आप तो इन सबसे भी ऊपर निकले , और का जरूरत थी धर्मपत्नी को हिया लेकर आने की जे का घूमने की जगह है ?”
यादव जी भी सर झुका लिए क्योकि मिश्रा जी का दबदबा अभी भी कायम था।

यादव जी के बाद मिश्रा जी आये आदर्श फूफा के सामने और थोड़ा नरम होकर कहा,”और आदर्श बाबू आप ! सेंकडो शिकायते थी हमे आपसे लेकिन आपकी एक अच्छाई उह्ह सेंकडो शिकायतों पर भारी पड़ गयी। लवली को बचाने के लिए आपने अंदर गुड्डू से मार खाई। हम ना आपका जे अहसान कबो नाही भूलेंगे , सही समय पर आपने बहुते सूझ बुझ से काम लिया”


कहते हुए मिश्रा जी ने जैसे ही आदर्श फूफा के सामने हाथ जोड़ने चाहे आदर्श फूफा ने उनके हाथो को थामा और कहा,”अरे नाही आनंद बाबू ! माफ़ी तो हमका मांगनी चाहिए आपसे इन 5 दिनों में हमने आपको जो परेशान किया , आपका अपमान किया , आपको बुरा कहा उसके लिए हमका माफ़ कर दयो”
“आदर्श बाबू ! आप हमरे घर के दामाद है आप माफ़ी मांगकर शर्मिन्दा नहीं कीजिये , बजाय इसके हमहू आपके लिए कुछो कर सके तो बताईये”,मिश्रा जी ने कहा


“तो फिर अम्मा के बक्से की चाबी हमका देइ दयो”,आदर्श बाबू ने कहा तो मिश्रा जी हंस पड़े और कहा,”चाबी का हमहू पूरा बक्सा आपको दे देंगे”
फूफा मिश्रा जी के गले लगे और कहा,”अरे नाही आनंद बाबू ! जिंदगी का सबसे बड़ा सबक इह बार यही सीखे है कि जीवन का असली सुख परिवार तोड़ने मा नहीं जोड़ने मा है। हमको आपसे कुछो नाही चाहिए”
मिश्रा जी मुस्कुराये और फूफा की पीठ थपथपा दी। आदर्श फूफा जैसे आदमी को सुधरा हुआ देखकर सब हैरान थे लेकिन खुश भी , भुआ तो बेचारी रो ही पड़ी तो पास खड़ी शगुन ने उन्हें गले लगा लिया।

मिश्रा जी फूफा से दूर हटे और अब बारी आयी मंगल फूफा की। मिश्रा जी मंगल फूफा के पास आये और कहा,”और तुम का नाम बताये रहय तुमहू अपना हाँ मंगल फूफा,,,,,,,,,तुमहू आये रहय गुप्ता जी का मामला सुलटाने तो फिर अब तक हिया का कर रहे हो ?”
“लब का चक्कर मिश्रा जी लब का चक्कर”,कुछ ही दूर खड़े गोलू ने दाँत कुरेदते हुए कहा


मिश्रा जी ने गोलू को घूरकर देखा तो गोलू सीधा खड़ा हो गया और मंगल फूफा शर्माते हुए बोले,”अब गोलू की अम्मा से रिश्ता रहा हमारा तो गोलू के लिए चले आये सोचा थोड़ा योगदान दे दे अपना,,,,,,,,!!”
“हिया का पंजीरी बंट रही है जो योगदान देने चले आये तुमहू हां , और कित्ता योगदान दे दोगे साढ़े चार फुट,,,,,,,,और जोन प्रेम पथ पर चल रहे हो ना हुआ सिर्फ गोबर ही गोबर है,,,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने मंगल को फटकार लगाकर कहा और आगे बढ़ गए

अब बारी थी हमारे गोलू महाराज की , 5 दिनों के इस पुरे कार्यक्रम में गोलू को अब तक 100-150 थप्पड़ , 100-200 घुसे और न जाने कितनी ही लाते पड़ चुकी थी और इन सबके पीछे एक ही चीज थी वो थी उसकी जबान , गोलू जब भी बोलने के लिए मुंह खोलता गड़बड़ ही करता और उस गड़बड़ के चलते वो या तो खुद पिट जाता या अपने साथवालों को पिटवा देता।

मिश्रा जी गोलू के सामने आये और उसे फटकार लगाकर कहा,”और तुम , तुमको तो हमहू दंडवत प्रणाम करने का सोच रहे है गोलू , जे सारी भसड़ जो शुरू हुई है तुम्हरे एक गलत आइडिआ के कारण हुई है “उठवा ले का ?” हैं तुम्हरे जे उठावन के चक्कर मा हम सब दुनिया से उठने वाले थे। मतलब का चलता है तुम्हरे दिमाग में ऐसा जो तुमहू जे सब हरकते करते हो , ऐसा कौनसा कीड़ा है तुम्हरी,,,,,,,,,,,!!”


“अरे चचा फॅमिली स्टोरी का कह रहे हो ?”,गोलू ने मिश्रा जी को बीच में टोका और इस बात पर मिश्रा जी ने उसे फिर थप्पड़ मारा और कहा,”हमको भी पता है फॅमिली स्टोरी है और कीड़ा न दिमाग मा भी होता है और तुम्हरे दिमाग में जोन गोबर भरा है उह्ह हिसाब से तो कीड़ो का पूरा खानदान वहा मिल जाएगा नई,,,,,,,,,,5 दिन , 5 दिन मा भसड़ मचाई है तुमने सबके साथ मिलकर कसम से गोलू हुआ ऊपर बैठी हमायी अम्मा का भी दिल कर रहा होगा नीचे आकर जुतिया दे तुम्हे,,,,,,,

पुरे जीवन मा जित्ते काण्ड नाही किये ना तुम और गुड्डू उत्ते साले 5 दिन मा कर दिये अब हम तुम्हरे और गुडडुआ के आगे हाथ जोड़कर बिनती करते है अम्मा के तेरह दिन पुरे हो जाय दयो”
“हम का करे , हमहू तो सब सीधा ही करने जाते है पर उलटा हो जाता है”,गोलू ने कहा
“तुमहू ना पहिले अपनी पेंट सीधी कर ल्यो उत्ता काफी है हमरे लिए,,,,,,,,,जे सीजन के लिए इत्ता बवाल काफी है बाकि की कलाकारी ना अगले सीजन मा दिखाना”,मिश्रा जी ने कहा और फिर सबको साथ लेकर घर के लिए निकल गए।

गुप्ता जी , गुप्ताइन , गोलू , पिंकी और मंगल फूफा गुप्ता जी के घर चले गए। यादव जी और फुलवारी अपने घर तो शर्मा जी अपने घर चले आये। मिश्रा जी , मिश्राइन , गुड्डू शगुन , लवली बिंदिया , आदर्श फूफा , राजकुमारी भुआ , वेदी और कोमल मिश्रा जी के घर चले आये। मिश्रा जी के कहने पर गुड्डू खुद बिंदिया को छोड़ने उसके गाँव चला गया ताकि बाद में मिश्रा जी उसके घरवालों से उसके और लवली के रिश्ते की बात कर दोनों की शादी करवा सके।

लवली को साथ इसलिए नहीं भेजा क्योकि अभी मंगेश जेल में था और लवली कही किसी मुसीबत में ना फंस जाये सोचकर मिश्रा जी ने उसे घर में अपने पास रखा। घर में लवली को मिश्राइन का प्यार और ममता तो मिली ही साथ ही वेदी और गुड्डू का प्यार भी मिला और मिश्रा जी का साथ भी। शरीर पर लगे जख्मो के साथ साथ मन के जख्म भी भरने लगे।


गोलू भी एक हफ्ते तक घर में ही रहा ताकि थोड़ा ठीक हो जाये क्योकि इन सब चक्करो में मार तो उसे भी खूब पड़ी थी और चोंटे भी आयी थी लेकिन गुप्ताइन के लाड़ प्यार और पिंकी की सेवा ने गोलू को पहले जैसा तंदुरुस्त बना दिया। मंगल फूफा गुंडई छोड़ फुलवारी के प्रेम में गुप्ता जी के घर में ही रह गए और देर सवेर गुप्ता जी ने भी उन्हें अपने घर में रहने की इजाजत दे दी।


शर्मा जी ने गोलू को माफ़ कर पिंकी के साथ खाने पर बुलाया और उसका आदर सत्कार बिल्कुल दामाद की तरह किया। साथ ही इस बार उसे असली सोने की चैन भी दी बस फिर क्या था गोलू भावुक हो गया और रोते रोते अपनी नाक शर्मा जी के नए सफ़ेद कुर्ते से पोछ दी। फिर क्या था  दामाद ससुर में एक बार फिर वही शीत युद्ध शुरू हो गया लेकिन इस बार गोलू पागलखाने नहीं गया बल्कि पिंकी के साथ अपने घर चला आया।

बीते 5 दिनों में जो भसड़ हुई थी उसके बाद ये एक हफ्ता बहुत ही शांति और सुकून के साथ बीता , ना लड़ाई , न झगडे , ना ही किसी तरह का तमाशा सब अपने अपने घरो में खुश।
अम्मा के 12 दिन पुरे हो चुके थे और आज था 13वा दिन , मिश्रा जी ने आज का खाना सबके लिए अपने घर पर ही रखा जिसमे गुप्ता जी का परिवार , शर्मा जी का परिवार , यादव जी का परिवार और भी कई जान पहचान वाले शामिल हुए।

गर्भवती होने के बाद से ही शगुन नीचे गेस्ट रूम में रह रही थी और गुड्डू भी उसके साथ वही रहने लगा। अपना कमरा उसने अपने बड़े भाई लवली को दे दिया। सुबह से घर में लोगो का जमावड़ा लगा था और गुड्डू काम में व्यस्त , लवली ऊपर कमरे में उदास बिस्तर पर बैठा था। पिछले एक हफ्ते में उसे इस घर और परिवार से जो प्यार और मान सम्मान मिला उसे पाकर लवली को अब अपने किये का बहुत पछतावा हो रहा था।

गुड्डू किसी काम से ऊपर आया देखा लवली उदास है तो उसके पास आकर कहा,”का बात है भैया आप इत्ता उदास काहे है ? और आप तैयार भी नाही हुए ,, आप भूल गए का आज पिताजी ने घर मा सबके लिए भोज रखा है। चलिए जल्दी से तैयार हो जाईये,,,,,,,!!”
“हमरे पास पहिनने को कपडे नाही है,,,,,,,,!!”,लवली ने कहा


“जे का ? अरे जे अलमारी मा हमाये इत्ते सारे कपडे धरे है कोई भी लेकर पहिन लीजिये , रुकिए हम आपको अपना नया कुर्ता पजामा देते है”,कहते हुए गुड्डू कबर्ड की तरफ आया और कपडे लेते हुए कहने लगा,”पिताजी हमायी शादी मा बनवाये रहय हमाये लिए पर हमे ना कुरता पजामा पहनना पसंद नाही तो हमहू रख दिए , देखो अब आपके पहिनने के काम आ जाएगा,,,,,,,,,फटाफट जे पहिनो और नीचे हमरे साथ चलो”
लवली ने देखा गुड्डू उसे अपने नए कपडे निकालकर दे रहा है ये देखकर लवली ने कहा,”गुड्डू ! तुम हमसे नाराज नाही हो ?”


“नाराज ! अरे हम काहे आपसे नाराज होंगे , अरे हम तो आपके आने से बहुते खुश है। जानते है भैया हमहू घर मा सबसे बड़े तो हमहू हमेशा चाहते थे हमरा कोनो बड़ा भाई हो और अब आप मिल गए ,, अब पिताजी की जिम्मेदारियां आप सम्हालना हम तो अपना बिजनस करेंगे”,गुड्डू ने बच्चो की तरह मुस्कुरा कर कहा
लवली ने देखा इतना सब होने के बाद भी गुड्डू के दिल में उसके लिए शिकायत के भाव नहीं थे ना ही नफरत और जलन की भावना उसने धीरे से कहा,”गुड्डू ! हम एक बार तुमको गले लगा सकते है का ?”


गुड्डू ने सुना तो हामी में अपनी गर्दन हिला दी , लवली ने आगे बढ़कर गुड्डू को कसकर गले लगाया और कहा,”हमको माफ़ कर दो गुड्डू हमने तुम्हे बहुत परेशान किया , हमरी वजह से तुमको बहुते तकलीफ हुई हमको माफ़ कर दो”


गुड्डू ने सुना तो उसकी आँखो में भी आँसू भर आये और उसने कहा,”अरे बड़े भैया आप परेशान नाही करते तकलीफ नाही देते तो हमे बड़े भाई का प्यार कैसे मिलता ? जो हुआ उसे भूल जाईये , जे परिवार अपना है और जे घर मा रहने वाले पिताजी और अम्मा भगवान से कम नहीं है आप बस जीवन मा कबो ओह्ह का दिल नाही दुखाना”
“कभी नहीं दुखायेंगे”,लवली ने कहा और फिर कपडे लेकर नहाने चला गया।


दिनभर मिश्रा जी के घर में आने जाने वालो का ताँता लगा रहा और सब काम सुख शांति से सफल हुआ। दोपहर बाद मिश्रा जी , गुप्ता जी , शर्मा जी और यादव जी का परिवार साथ साथ आँगन में खाना खाने बैठा। आज परोसने वाले लोग थे इसलिए घर की महिलाये भी एक तरफ बैठ गयी।
गोलू एक हफ्ते में मिश्रा जी का लाडला बन गया क्योकि इस पुरे एक हफ्ते में गोलू की एक भी शिकायत नहीं आयी थी इसलिए आज वह अपनी थाली लिए मिश्रा जी के बगल में ही बैठा था और गुप्ता जी उसके ठीक सामने ,

खाते खाते गोलू ने मिश्रा जी से कहा,”चचा ! अच्छा हुआ सब कुशल मंगल हो गवा और शांति से निपट गया वरना हमहू तो सोचे अम्मा के 13 दिन पुरे होते होते कही हम सब ही,,,,,,,,,,!!”
“ए ! ए बेटा जब भी बोलोगे ,छाती छोलोगे तनिक शांति से बैठ के खाना खाय ल्यो नहीं”,सामने बैठे गुप्ता जी ने कहा
“अरे ठीक है गुप्ता , वैसे भी जे सब मा सबसे ज्यादा लंका गोलू की ही लगी है”,मिश्रा जी ने कहा


“अरे हम तो कहते है चचा बढ़िया है कि हमरा कोनो हमशक्ल,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गोलू ने जैसे ही मुँह खोला मिश्रा जी ने थाली में पड़ा लड्डू उठाया और गोलू के मुँह में ठूसकर कहा,”तुम ना अपना मुँह बंद ही रखो हिया एक गुड्डू के हमशक्ल ने दिन मा तारे दिखा दिए , तुम्हरा आ गवा तो हमहू नाही झेल पाए है गोलू,,,,,,,,,,,खाओ खाओ लड्डू खाओ”
गोलू ने भी चुप रहना ही बेहतर समझा

बस स्टेण्ड , कानपूर
धोती कुर्ता पहने , गले में गमछा डाले , टकले सर पर चोटी रखे , पैरो में पेराग़ोन की चप्पल पहने , आँखों में डला काजल जो बाहर तक फ़ैल रहा था , ललाट पर चंदन का टिका , एक हाथ में विमल का बड़ा सा थैला पकडे और दूसरे हाथ से अपनी धोती पकडे मैनपुरी की बस से “नटवर शर्मा” नीचे उतरा , उम्र 26  साल , अच्छी कद काठी और गोरा रंग,,,,,,,,बस से उतरकर चौक की तरफ चले आये। कुर्ते की जेब से एक कागज निकाला और उस पर लिखा पता देखा लेकिन समझ नही आया किधर जाए।

तभी केशव पंडित उसके पास आये और कहा,”अरे गोलू ! जे का हाल बना रखा है अपना जे धोती कुरता , चंदन का टिका और जे विमल का थैला लेकर कहा जा रहे हो ? आज तो मिश्रा जी की अम्मा का भोज है ना तुमहू हुआ नाही गए”
“कौन गोलू ? हमरा नाम नटवर जी , न ट व र , नटवर , नटवर मैनपुरी वाले जी”,लड़के ने कत्थक के स्टेप करके हाथो को इधर उधर करके कहा


केशव पंडित ने सुना तो पहले तो हैरान हुआ लेकिन बाद में उसे लगा हमेशा की तरह गोलू मजाक कर रहा है तो उसके सामने उसी की तरह कत्थक करके कहा,”और हम अक्षय कुमार” बकैती करने की आदत नहीं छूट रही तुम्हारी , अभी जाकर तुम्हाये बाप से शिकायत करते है , बाप से का सीधा मिश्रा जी से शिकायत करते है वही इलाज करेंगे तुम्हारा बाटा की चप्पल से,,,,,,,,,,हर हर महादेव”


इतना कहकर केशव पंडित तो आगे बढ़ गए और नटवर ने आसमान की तरफ देखकर कहा,”हमाये पिताजी से शिकायत कैसे करेंगे जी उह्ह तो भगवान् को प्यारे हो गए,,,,,,,,,,,!!”
तभी नटवर ने देखा केशव पंडित भागते हुए उसी की तरफ आ रहा है और नटवर को लगा कि वह सच में उसे मारने आ रहा है तो बेचारा उलटे पाँव वापस बस की तरफ भागने लगा और बड़बड़ाया,”जे शहर मा कदम रखते ही गुंडे लोग हमरे पीछे पड़ गए , हिया रहे तो हमरा मर्डर पक्का जी”


मैनपुरी की बस वापस जा रही थी भागते हुए नटवर ने बस तो पकड़ ली लेकिन उसकी धोती खुलकर गिर गयी और नटवर ने पीछे छूटती धोती को देखकर कहा,”अभी धोती छूटी यहाँ रहते तो पता नहीं का का छूट जाता , गुरूजी हमसे सही कहे रहय जे कानपूर शहर खतरों का शहर,,,,,,,,,,!!”

 गोलू की तरह दिखने वाला नटवर जिस बस से कानपूर आया था उसी बस से वापस चला गया और केशव पंडित क्यों भाग रहे थे ये तो अब आप लोग ही बताईये

तो दोस्तों इसी के साथ ये सीजन यही खत्म होता है ,ये कहानी फिर एक नए सीजन के साथ नए सिरे से शुरू होगी और घबराईये मत अगले सीजन में मैं गोलू का हमशक्ल बिल्कुल नहीं लाने वाली , एक गोलू इतने लोगो से सम्हल नहीं रहा दो दो गोलू कहानी में आ गए तो ना ये कहानी फॅमिली कहानी रहेगी और न ही कभी खत्म होगी।

नए सीजन में यकीनन कुछ नया होगा , बाकि मैं भी थोड़ी अजीब ही हु मिश्रा जी की अम्मा के 5 दिन मैंने 121 भाग में दिखाए और बचे 7 दिन कहानी के 7 मिनिट में निपटा दिए , ऐसा ही होता है जब किसी कहानी को पाठको का प्यार और साथ मिलता है तो वह कभी खत्म होने का नाम ही नहीं लेती। खैर एक छोटे से ब्रेक के बाद जल्दी ही लौटूंगी “मनमर्जियाँ सीजन 4” के साथ

Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100

Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100Manmarjiyan Season 3 – 100

The End

Visit https://sanjanakirodiwal.com

Follow Me On http://instagram.com/sanjanakirodiwal/

संजना किरोड़ीवाल

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

3 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!