मनमर्जियाँ – S97

Manmarjiyan – S97

Manmarjiyan Season 2

Manmarjiyan – S97

गुड्डू की यादास्त वापस आ चुकी थी। शगुन के सामने वह अपनी फीलिंग्स शो कर चुका था। जिस पारस से गुड्डू चिढ़ता था वह उसका अच्छा दोस्त बन चुका था प्रीति की शादी में शामिल हो चुका था और सबसे बड़ी बात शगुन ने सब भूलकर गुड्डू को माफ़ कर दिया था। गुड्डू जब गेस्ट हॉउस पहुंचा मेहमानो और रिश्तेदारों ने उसे घेर लिया और उसकी खातिरदारी करने लगे। गुड्डू ने जैसे ही शगुन को देखा उसके पीछे आ खड़ा हुआ और शगुन को आगे करके कहा,”अब हम नहीं खाएंगे शगुन को खिलाईये”
“दामाद जी ज़रा हमारे साथ आएंगे आपको कुछ लोगो से मिलवाना है”,गुप्ता जी आये और गुड्डू को वहा से लेकर चले गए। जाते जाते गुड्डू ने पलटकर शगुन को देखा शगुन उसे ही देख रही थी। गुड्डू चला गया शगुन की नजर अभी भी उधर ही थी तो प्रीती आयी और शगुन के कंधे को अपने कंधे से टकराकर कहा,”क्या बात है दी हमारे जीजू से आपकी नजरे नहीं हट रही है”
“कितने दिनों बाद सब ठीक है हुआ है प्रीति कही इन सब को मेरी नजर ना लग जाये”,शगुन ने कहा
“दी ऐसा कुछ भी नहीं होगा देखना आपके और गुड्डू जीजू के बीच जो रिश्ता है वो आज के बाद और गहरा हो जाएगा और मजबूत भी। आपको अपने महादेव पर भरोसा है ना दी देखना वो इस बार वो आपकी झोली खुशियों से भर देंगे”,प्रीति ने शगुन के हाथो को थामकर कहा
“हम्म्म”,शगुन ने प्रीति के गाल को छूकर कहा तो प्रीति ने कहा,”अरे यार मैं तो भूल ही गयी आज सबको डांस करना है , रुको मैं अरेजमेंट देखकर आती हूँ,,,,,,,,,मेरी ही शादी में सब मुझे ही सम्हालना पड़ रहा है अकेली जान क्या क्या करेगी ?”
प्रीति की नौटंकी देखकर शगुन हसने लगी और कहा,”जाओ देखो मैं बाकि सबको तैयार होने के लिए कह देती हूँ” कहकर शगुन वहा से चली गयी

गुप्ता जी गुड्डू को लेकर कुछ मेहमानो के पास आये और उनसे मिलवाते हुए कहा,”ये हमरे बड़े दामाद अर्पित जी , दामाद नहीं बल्कि हमारे बेटे जैसे है। बहुत ही सीधे और समझदार। कुछ महीनो पहले ही इन्होने अपना खुद का काम शुरू किया है।”
“नमस्ते बेटा कैसे हो ?”,शगुन के दूर के मामाजी ने पूछा जो की किसी वजह से शगुन की शादी में नहीं आ पाए थे
“हम ठीक है”,गुड्डू ने कहा इतने बड़े लोगो के बीच खड़े होने की उस बेचारे को आदत भी तो नहीं थी। वह उन सबके साथ खड़ा बस उनकी बाते सुन रहा था और हाँ हूँ कर रहा था। आज पहली बार गुड्डू की नजरे शगुन को ढूंढ रही थी। कुछ देर बाद प्रीति आयी और गुड्डू को अपने साथ ले गयी। प्रीति गुड्डू को डांस वाली जगह लेकर आयी और कहा,”जीजू आप यहाँ क्यों आये हो ?”
“मतलब ?”,गुड्डू उसकी बात नहीं समझा
“मतलब ये की मैं आपकी इकलौती साली हूँ और मेरी शादी में कोई रौनक ही नहीं है”,प्रीति ने कहा
“अच्छा बताओ का चाहिए तुम्हे ?”,गुड्डू ने प्यार से कहा
“हाय दिल तो कर रहा है सब माँग लू आपसे पर फ़िलहाल के लिए ये सेटअप करवा दीजिये”,प्रीति ने कहा
“बस इतनी सी बात , एक मिनिट”,कहकर गुड्डू कुछ दूर पड़ी कुर्सी ले आया और प्रीति को बैठाते हुए कहा,”तुम हिया बैठो और बताती जाओ का का करना है हम कर देंगे”
“अरे जीजू आप क्यों करेंगे ? इन वेडिंग प्लानर वालो ने खूब पैसा लिया है उन्हें कहिये ना करने को अपनी देखरेख में , और एक और कुर्सी ले आईये इधर बैठने के लिए”,प्रीति ने लगभग गुड्डू को आदेश देते हुए कहा
“हमे लगा शादी के वक्त तुम सुधर जाओगी लेकिन नहीं,,,,,,,,,,,रुको आते है”,गुड्डू ने कहा और अपने लिए भी एक कुर्सी ले आया और प्रीति की बगल में आकर बैठ गया। प्रीति ने सेटअप वाले को बुलाया गुड्डू उसे बताने लगा कौनसी चीज कहा लगनी है ? प्रीति ने देखा गुड्डू सच में क्रिएटिव इंसान है उसने डांस वाले स्टेज को बहुत ही खूबसूरती से तैयार करवाया !

प्रीति उठी और गुड्डू के गले लगते हुए कहा,”आपने तो कमाल कर दिया जीजू यू आर द बेस्ट , मैं अभी तैयार होकर आती हूँ उसके बाद तो धमाका होने वाला है”
शगुन और बाकि सब लोग तैयार हो चुके थे शगुन ने लहंगा पहना था। गुड्डू पहले से ही तैयार था। घर के बाकी लोग भी तैयार होने चले गए और फिर सब डांस वाली जगह चले आये। सभी वहा लगे सोफों पर आकर बैठ गए। शगुन ने देखा गुड्डू कही नजर नहीं आ रहा। उसे ढूंढते हुए वह लॉन की तरफ चली आयी देखा गुड्डू फोन पर किसी से बात कर रहा था। गुड्डू फोन जेब में रखकर जैसे ही पलटा कुछ ही दूर खड़ी शगुन पर उसकी नजर गयी। लहंगे में शगुन आज बहुत सुन्दर लग रही थी। गुड्डू ने शगुन को देखा तो बस देखता ही रह गया। शगुन गुड्डू के पास आयी और कहा,”आप यहाँ अकेले क्या कर रहे है ?”
“घर से फोन था”,गुड्डू ने बताया
“सब ठीक है ना और वे सब लोग आ रहे है न कल ? मैं ऐसे घर से चली आयी कही सब मुझसे नाराज तो नहीं है ना”,शगुन ने कहा
“तुमसे कोई नाराज नहीं हो सकता शगुन , पिताजी ने कहा है की कल सुबह जल्दी निकलेंगे”,गुड्डू ने कहा
“ये तो बहुत ख़ुशी की बात है , कल सुबह हम मार्किट चलेंगे आपके लिए कपडे लेने”,शगुन ने खुश होकर कहा
“नहीं उसकी जरूरत नहीं है हमने अम्मा से कह दिया है वो हमारा और तुम्हारा सामान ले आएँगी”,गुड्डू ने कहा।
“ये भी ठीक है आपने कुछ खाया ? मैं आपके लिए कुछ मंगवा दू ?”,शगुन जाने की हुयी तो गुड्डू ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया। जब तक गुड्डू ने अपने नहीं कही थी शगुन गुड्डू से बेझिझक बात कर लिया करती थी लेकिन अब उसे गुड्डू से थोड़ी शर्म आ रही थी। गुड्डू ने शगुन को अपनी तरफ किया और कहने लगा,”हमारे लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है शगुन , हम अपने ससुराल में है हमे कुछ चाहिए होगा तो हम खुद ले लेंगे”
“ठीक है , लेकिन सब आपको बुला रहे है”,शगुन ने कहा
“तुम चलो हम आते है”,गुड्डू ने कहा तो शगुन वहा से चली गयी। शगुन आकर अपनी भाभी के साथ बैठ गयी लेकिन नजरे बार बार गुड्डू को ढूंढ रही थी। शगुन को ना गुड्डू कही दिखाई दे रहा था ना प्रीति। कुछ देर बाद लाइट्स डिम हुई और स्टेज पर लहंगा पहने एक लड़की आयी। वो कोई और नहीं बल्कि हमारी प्रीति ही थी। उस लाइट वेट लहंगे में प्रीति बहुत प्यारी लग रही थी।
म्यूजिक बजने लगा और प्रीति ने डांस शुरू किया – जिनके आगे जी , जिनके पीछे जी , ओह्ह जिनके आगे पीछे जी जी मैं उनकी साली हूँ,,,,,,,,,,,वो मेरे जीजाजी , वो मेरे जीजाजी , वो मेरे जीजाजी !”
शगुन ने देखा तो मुस्कुरा उठी। वहा मौजूद हर कोई जानता था की प्रीति को गुड्डू से कितना लगाव है और आज तो उसने सबके सामने ये साबित भी कर दिया ! दो लाइन के बाद गाना चेंज हो गया और प्रीति से किये वादे के मुताबिक गुड्डू भी स्टेज पर चला आया। प्रीति और गुड्डू साथ में डांस करते हुए बहुत क्यूट लग रहे थे। दोनों साथ में डांस को एन्जॉय भी कर रहे थे और मुस्कुराहट उनके चेहरे से जा नहीं रही थी। शगुन तो बस गुड्डू को देखे जा रही थी। दोनों का डांस खत्म हुआ तो सब उनके लिए तालियाँ बजाने लगे। गुड्डू ने अपने पर्स से कुछ नोट निकाले और प्रीति के सर से वारकर ढोलक वालो को दे दिया। गुड्डू बहुत खुश था और ये उसके चेहरे से साफ दिख रहा था। प्रीति नीचे चली आयी लेकिन गुड्डू वही रुक गया। जैसा की सब पहले से तय था म्यूजिक सिस्टम चलाने वाला लड़का आया और गुड्डू को माइक देकर चला गया। गुड्डू ने माइक लिया और कहने लगा,
“आज की शाम में आप सभी का तहे दिल से स्वागत है। जैसा की सभी जानते है हमायी सबसे फेवरेट साली साहिबा जिन्होंने हमे बहुते परेशान किया है की परसो शादी है और जे सब ताम झाम उन्ही के लिए किया गया है। शादी से पहले बनारस हम बहुते बार आये है पर कभी सोचा नहीं था की हमायी किस्मत के धागे यही जुड़ जायेंगे। बनारस ने हमे (शगुन के पापा की तरफ इशारा करके) एक पिता का प्यार दिया जो हमाये ससुर जी कम और हमाये दोस्त ज्यादा , हमे खूब खिलाने पिलाने वाली चाची सास दी और इनके हाथो में सच में जादू है , हमे हर जगह सपोर्ट करने वाले चाचा ससुर दिए जे बहुते मस्त आदमी है हमायी बहुत पटती है इनसे (गुड्डू ने कहा तो चाचा हसने लगे) हमे उंगलियों पर नचाने वाली साली साहिबा दी , जो कैसे ना कैसे अपनी हर बात हमसे मनवा ही लेती है , पर बहुते प्यारी है हमायी बड़ी से बड़ी गलती को भी झट से माफ़ कर देती है , एक छोटे साले साहब है जिनका कुछ अता पता नहीं है (हसने लगता है) बनारस ने हमे बहुत कुछ दिया , प्रेम , दोस्त , परिवार , मान , सम्मान और इन सबसे अच्छी शगुन , जो पत्नी बनकर हमाये जीवन में आयी !
गुड्डू के मुंह से अपना नाम सुनकर शगुन का दिल धड़क उठा। गुड्डू आगे कहने लगा,”एक पत्नी होने का फर्क बाखूब निभाया इन्होने , एक पत्नी प्रेमिका बन सकती है जे भी इन्होने कर दिखाया। हमाये साथ साथ इन्होने हमसे जुड़े हर शख्स का दिल जीत लिया। लोगो को पहले प्यार होता है फिर शादी होती है ,, हमाये केस में उलटा है हमने शादी पहले की और प्यार हमे बाद में हुआ।”
गुड्डू की बात सुनकर सब हसने लगे। गुड्डू के बोलने का अंदाज इतना प्यारा था ना उस वो शरमाते हुए सब कह रहा था तो और भी अच्छा लग रहा था। गुड्डू आगे कहने लगा,”शगुन से हमने बहुत कुछ सीखा है , हमायी जिंदगी पहले अच्छी थी पर जब जे हमायी जिंदगी में आयी तो हमायी जिंदगी बेहतर बन गयी। इन्होने हमे रिश्तो का महत्व सिखाया , इन्होने हमे सिखाया की प्यार का होता है , इन्होने हमे अहसास दिलाया की जिंदगी कितनी खुबसुरत है। अब जब इन्होने हमाये लिए इतना किया है तो हमारा फर्ज बनता है इनके लिए कुछ करने का,,,,,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने कहा तो शगुन उसकी तरफ हैरानी से देखने लगी की अब गुड्डू क्या करने वाला है। वह बस गुड्डू को देखे जा रही थी गुड्डू ने शगुन की तरफ देखते हुए कहा,”शगुन जे तुम्हाये लिए” कहकर गुड्डू ने माइक साइड में रख दिया और लाइट्स एक बार फिर डिम हो गयी।
म्यूजिक सिस्टम पर गाना बजने लगा जैसे ही गाने की धुन शगुन के कानो में पड़ी उसका दिल धड़कने लगा। शादी से पहले ये गाना शगुन का फेवरेट था और इसे सुनते हुए वह हमेशा उस लड़के के बारे में सोचा करती थी जो उसकी जिंदगी में आने वाला था। प्रीति ने सूना तो शगुन की तरफ देखकर मुस्कुराई,,,,,,,,,,,!!!
डिम लाइट्स में गुड्डू बहुत अच्छा लग रहा था। सबकी शादियों में डांस कर कर के इतना तो परफेक्ट हो चुका था हमारा गुड्डू की किसी भी गाने पर डांस कर सके
गाना बजने लगा “तू बन जा गली बनारस की मैं शाम तलक भटकू तुझमे”
गुड्डू ने बहुत ही प्यारा सा डांस किया उसकी नजरे बस शगुन पर थी और वह बस स्माइल किये जा रहा था। शगुन ने सोचा नहीं था गुड्डू कभी उसके लिए ये सब भी करेगा। प्रीति ने देखा तो शगुन का हाथ थामे उसे लेकर स्टेज पर चली आयी। शगुन को गुड्डू के पास छोड़ प्रीति वापस नीचे चली आयी। सब घरवाले , रिश्तेदार , दोस्त सब शगुन के सामने थे , शगुन को शर्म आ रही थी वह जैसे ही जाने लगी गुड्डू ने उसकी कलाई पकड़ कर उसे रोक लिया और इसी मोमेंट पर गाना चेंज हो गया “मैं ता तेरे नाल ही रहना जी , हर गम संग तेरे सहना जी ,, सोहणा सोहणा इतना भी कैसे तू सोहणा,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे इश्क़ में जोगी होणा मैनु जोगी होना”
गुड्डू ने अपने जेब से एक रिंग निकाली और एकदम से शगुन के सामने घुटनो पर आ बैठा। शगुन के लिए वो पल बहुत खूबसूरत थे। सभी बड़े प्यार से उन दोनों को देख रहे थे। गुड्डू ने शगुन का हाथ थामा और अंगूठी उसकी ऊँगली में पहना दी। ये सब करते हुए गुड्डू का भी दिल धड़क रहा था लेकिन आज उसे ये करना ही था। दोनों मुस्कुराते हुए एक दूसरे की आँखो में देखे जा रहे थे की फूलो की बारिश होने लगी। प्रीति इन सब में कहा पीछे रहने वाली थी उसने म्यूजिक वाले को गाना चेंज करने को कहा और खुद डांस करते हुए ऊपर चली आयी। गाना बजने लगा
“चंदा भी साथ लाया , तारे भी साथ लाया , पागल बनाने आया वो”
डांस करते हुए वह शगुन और गुड्डू के बीच आयी और उनके कंधो को अपने कंधो से टकराते हुए गाने के साथ गाने लगी – मेरा पीया घर आया ओह्ह राम जी , मेरा पीया घर आया ओह्ह राम जी !!
शगुन शरमा कर नीचे चली आयी और भाभी के पीछे खुद को छुपा लिया। गुड्डू को जब अहसास हुआ की उसने कुछ ज्यादा ही कर दिया है तो वह भी गायब हो गया। प्रीति बहुत खुश थी वह जो चाहती थी वह हो चुका था। ख़ुशी ख़ुशी वह भी नीचे चली आयी। इसके बाद घरवालों ने डांस किया और सबने खूब मस्ती की।

डांस के बाद सभी खाना खाने पहुंचे शगुन को गुड्डू कही नजर नहीं आया तो वह उसे ढूंढते हुए अंदर चली आयी। सामने से आते गुप्ता जी से टकरा गयी तो उन्होंने कहा,”क्या बात है शगुन किसे ढूंढ रही हो ?”
“पापा वो गुड्डू जी कहा है ? सब खाना खा रहे है मैं इसलिए उन्हें ढूंढ रही हूँ”,शगुन ने कहा
“दामाद जी ऊपर वाले कमरे में है”,गुप्ता जी ने कहा और चले गए शगुन ऊपर कमरे में आयी तो देखा गुड्डू शर्ट से परेशान उसे ठीक करने की कोशिश कर रहा है। वह गुड्डू के पास आयी और कहा,”सब खाने पर आपका इंतजार कर रहे है”
“यार शगुन जे शर्ट बहुत अटक रहा है , ऐसी हालत में बाहर नहीं जायेंगे हम”,गुड्डू ने उसे फिर सेट करते हुए कहा।
“एक मिनिट मैं अभी आयी”,कहकर शगुन बगल वाले कमरे में गयी जहा गुप्ता जी ठहरे थे। शगुन अपने पापा के कुर्तो में से एक कुरता उठा लायी और गुड्डू को देकर कहा,”आज रात आप ये पहन लीजिये , सुबह आपका बैग आ ही जाएगा”
“जे किसका उठा लायी तुम ?”,गुड्डू ने कहा
“पापा का है पहन लोगे ना ?”,शगुन ने पूछा
“ससुर जी का है तब ठीक है , बाकि दुसरो के कपडे पहनें हमे पसंद नहीं ,, जे कपडे भी तुम्हाये दोस्त के थे इसलिए पहने”,कहते हुए गुड्डू अपना शर्ट निकालने लगा शगुन ने देखा तो पलट गयी। गुड्डू को कपडे बदलते हुए देखना उसे अजीब सी शर्म में डाल रहा था गुड्डू ने कुर्ता पहना वो ढीला-ढाला कम्फर्टेबल था। गुड्डू उसे पहनकर वही बैठ गया। शगुन ने देखा तो कहा,”मैं आपका खाना यही ले आती हूँ”
“जे सही रहेगा वैसे हमे ज्यादा भूख नहीं है”,गुड्डू ने कहा तो शगुन वहा से चली गयी। थोड़ी देर बाद गुड्डू के लिए खाना लेकर शगुन वापस आयी तो मुस्कुरा उठी सामने बिस्तर पर गुड्डू किसी मासूम बच्चे सा सोया हुआ था और उसके बाल उसके माथे पर आ रहे थे। शगुन ने खाना टेबल पर रखा और पास ही पड़ी कम्बल गुड्डू को ओढ़ा दी और सर पर आये बालो को आहिस्ता से साइड कर दिया जिस से गुड्डू की नींद ना टूटे। इतना ख्याल तो शगुन हमेशा से रखती आ ही रही थी अपने गुड्डू का लेकिन आज गुड्डू ने उसे ये सब करने की वजह भी दे दी। मुस्कराहट उसके होंठो से जाने का नाम नहीं ले रही थी।

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