मनमर्जियाँ – S95
Manmarjiyan – S95
Manmarjiyan – S95
बनारस , उत्तर-प्रदेश
सुबह से शगुन शादी की तैयारियों में लगी हुई थी आज घर में बहुत काम था। आज शाम में रोहन के घरवाले आने वाले थे इसलिए सबको गेस्ट हॉउस के लिए निकलना था। विनोद और उसकी पत्नी चाहते थे की इस बार प्रीति का कन्यादान वे दोनों करे क्योकि उनकी अपनी कोई बेटी नहीं थी और वे लोग शगुन प्रीति को ही अपनी बेटी मानते थे। गुप्ता जी भी ख़ुशी ख़ुशी मान गए। घर में मेहमानो का जमघट लगा हुआ था ऐसे में शगुन अपना दुःख भुलाकर सबके साथ हंस बोल रही थी लेकिन सब उस से गुड्डू के बारे में पूछ रहे थे। बेचारी सबको जवाब देते देते परेशान हो गयी प्रीति ने देखा तो सबके बीच आकर कहा,”गुड्डू जीजू कल सुबह आएंगे आप सब क्यों दी को परेशान कर रहे है ?”
प्रीति की बात सुनकर शगुन उसे साइड में लेकर आयी और कहा,”प्रीति ये क्या कह रही हो सबके बीच ? तुम्हे पता है ना वो नहीं आएंगे”
“आई नो दी मुझे पता है गुड्डू जीजू नहीं आएंगे पर पता नहीं मुझे क्यों गट फीलिंग आ रही है जैसे गुड्डू जीजू आएंगे”,प्रीति ने शगुन के कंधो को थामते हुए कहा
“वो नहीं आएंगे प्रीति , इतना सब होने के बाद मुझे नहीं लगता वो आएंगे”,शगुन ने उदास होकर कहा
“ओफ्फो दी थिंक पॉजिटिव ,, अच्छा आप मेरी बात सुनिए अपने दिल पर हाथ रखिये और महसूस कीजिये वो क्या कहना चाहता है”,प्रीति ने कहा
शगुन ऐसी बातो में विश्वास नहीं करती थी लेकिन आज ना जाने क्यों उसका हाथ खुद ब खुद अपने दिल की तरफ बढ़ गया। शगुन ने महसूस किया उसकी धड़कनो का शोर आज बहुत ही सुकून भरा था। प्रीति ने शगुन को देखकर भँवे उचकाई तो शगुन ने उसके सर पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा,”चल जा अपना बैग पैक कर ले आज शाम को गेस्ट हॉउस जाना है ना ,, पापा बता रहे थे की रोहन और उसके घरवाले कल सुबह जल्दी वहा आ आजायेंगे”
“ठीक है अच्छा सुनो”,प्रीति ने जाते जाते रूककर कहा तो शगुन ने कहा,”अब क्या हुआ ?”
“स्माइल प्लीज मेरी शादी है”,प्रीति ने कहा तो शगुन मुस्कुराने लगी और फिर वहा से चली गयी। शगुन ने बहुत ही सुन्दर सूट पहना हुआ था और सुबह से वह बस काम में लगी हुई थी। सबने नाश्ता किया लेकिन शगुन को अपने कामो से ही फुर्सत नहीं मिली। कुछ देर बाद पारस वहा आया उसके हाथ में कुछ बैग्स थे। वह सीधा शगुन के पास आया और उसके हाथ से चाय की ट्रे लेकर वहा से गुजरते लड़के को देकर कहा,”ये सब काम करने के लिए घर में और बहुत लोग है तुम मेरे साथ चलो”
“कहा ? पारस अभी मुझे बहुत काम है”,शगुन ने कहा तो पारस ने उसकी तरफ देखा और कहा,”खुद को जान-बूझकर इसलिए बिजी रखा है ना तुमने ताकि गुड्डू के बारे में ना सोचो,,,,,,,,,,,,,,!!
पारस की बात सुनकर शगुन खामोश हो गयी तो पारस ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ ले जाते हुए कहा,”अब चलो मुझे तुम्हे कुछ दिखाना है”
पारस शगुन को नीचे कमरे में लेकर आया जहा शगुन की भाभी और कुछ रिश्तेदार भी थे लेकिन पारस ने उनके सामने ही बैग से कपडे निकालकर शगुन के सामने रखते हुए कहा,”ये सब कपडे सोनिया ने तुम्हारे लिए खरिदे है , शादी में पहनने के लिए”
शगुन ने देखा कपडे बहुत ही खूबसूरत थे लेकिन महंगे भी नजर आ रहे थे उसने झिझकते हुए कहा
“वो सब मुझे नहीं पता बस सोनिया ने मुझसे कहा की ये सब मैं तुम्हे लाकर दू”,कहते हुए पारस एक एक करके शगुन को ड्रेसेज दिखाने लगा। शगुन की रिश्तेदार शगुन और पारस को वही छोड़कर बाहर चली गयी। सोनिया ने शगुन के लिए एक बहुत ही प्यारा सा लहंगा , दो फेंसी लेकिन कम्फर्टेबल साड़ी , एक बहुत ही प्यारा लौंग शरारा भेजा था। साथ में कुछ मैचिंग ज्वैलरी भी थी। शगुन ने देखा तो बिस्तर पर बैठते हुए कहा,”पारस ये सब करने की क्या जरूरत थी ? मुझे ये सब अच्छा नहीं लग रहा”
“शगुन तुम यहाँ जिन हालातो में आयी हो उनके बारे में किसी को कुछ नहीं पता और मैं चाहता भी नहीं मेरे और प्रीति के अलावा किसी को पता चले। बहन की शादी में अगर तुम ऐसे घूमोगी तो सबको शक होगा इसलिए मैंने ही ये सब तुम्हारे लिए खरीदा है। सोनिया का नाम इसलिए लिया ताकि तुम ये सब रख लो। ये सब देकर मैं तुम्हारी फीलिंग्स को हर्ट करना नहीं चाहता शगुन लेकिन प्रीति की शादी में तुम्हे ऐसे भी देखना नहीं चाहता। प्लीज मेरे लिए ना सही प्रीति के लिए ये सब रख लो”,पारस ने कहा
“पारस बाकि रिश्तो का मुझे नहीं पता पर मैं चाहूंगी हर जन्म में मुझे तुम जैसा दोस्त जरूर मिले। तुम एक बहुत अच्छे इंसान हो”,शगुन ने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा।
“चलो फिर इस बात पर एक गरमा गर्म चाय पीला दो”,पारस ने कहा
“बिल्कुल”,कहते हुए शगुन उठी और बाहर चली आयी पारस भी आकर गुप्ता जी से कहने लगा,”अंकल जी कोई भी जरूरत हो तो मुझे जरूर कहियेगा”
“बेटा अब आये हो तो शादी होने तक यही रुकना है , तुम हमारे बेटे जैसे हो”,गुप्ता जी ने कहा तो पारस को अच्छा लगा की इस घर के लोग उसे कितना प्यार और सम्मान देते है। पारस बात कर ही रहा था की कुछ देर बाद शगुन उसके लिए चाय ले आयी , वह पारस को चाय देती इस से पहले ही चाचा आये और कहा,”अरे पारस जरा मेरे साथ बाजार चलो मंडप का सामान बाकि है जरा वो ले आते है और वापसी में गेस्ट हॉउस का चक्कर भी लगा आएंगे”
“हां चलिए”,पारस ने कहा
“अरे तुम्हारी चाय,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा
“ये तुम पी लेना मैं जानता हूँ सुबह से कुछ खाया नहीं होगा तुमने”,पारस ने जाते जाते कहा तो शगुन मुस्कुरा उठी और वहा से चली गयी।
गुड्डू सुबह घर से निकला दोपहर होने को आयी उसने अपनी बाइक से आधे से ज्यादा रास्ता पार कर लिया था। ना उसे प्यास का अहसास था ना ही भूख का उसे बस किसी भी हाल में शगुन के पास पहुंचना था। बनारस कुछ 20-22 किलोमीटर दूर ही होगा। गुड्डू शगुन के बारे में सोचते हुए आगे बढ़ता जा रहा था। मन में एक बेचैनी भी थी क्योकि उसे एक्सीडेंट से पहले का कुछ भी याद नहीं था। गुड्डू ने जैसे ही यू टर्न लिया अचानक से दूसरी तरफ से गलत साइड से आती बाइक गुड्डू की बाइक से जोर से टकराई। गुड्डू उछलकर नीचे जा गिरा। बाइक घिसटते हुए कुछ दूर चली गयी। गनीमत था गुड्डू इस बार सड़क पर गिरा जिस से उसे बस हलकी खरोंचे आयी। कुछ खरोंचे हाथ में लगी और एक हलकी सी चोट सर में भी लगी। गुड्डू ने खुद को सम्हला और जैसे ही उठने को हुआ उसे फिर चक्कर आ गया और नीचे आ गिरा। धुप उस पर गुड्डू ने सुबह से ही कुछ खाया पीया भी नहीं था। आस पास के लोग आये गुड्डू को उठाया और पास ही के ढाबे पर ले आये और उसे वहा लेटा दिया। गुड्डू बेहोश हो चुका था आधे घंटे कोशिश करने के बाद ढाबे के मालिक ने गुड्डू के मुंह पर पानी के छींटे मारे तो गुड्डू को होश आया वह उठा और इधर उधर देखा। कुछ देर वह हैरान परेशान रहा और कहा,”हमारी बाइक कहा है हमारा बनारस पहुंचना बहुत जरुरी है ?”
“महादेव की कृपा है बेटा की तुम बच गए वरना जो बाइक तुम्हारी बाइक से टकराई थी वो दोनों लड़के अपनी जान गवा बैठे। तुम्हारी बाइक सही सलामत है वहा खड़ी है”,ढाबे के मालिक ने कहा
गुड्डू ने सूना तो उसे एक धक्का सा लगा। एक बार फिर गुड्डू मरते मरते बचा था। वह उठा और जाने को हुआ लेकिन सर घूमने लगा तो ढाबे के मालिक ने उसे वापस बैठाते हुए कहा,”बाबू तुम्हारी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही , ऐसी हालत में सफर करना सही नहीं रहेगा तुम कुछ देर यही आराम करो फिर निकल जाना”
गुड्डू को उनकी बात सही लगी लेकिन उसे देर भी हो रही थी। गुड्डू ने कोई जवाब नहीं दिया तो ढाबे का आदमी उठा और वहा काम कर रहे लड़के से कहा,”छोटू बाबू को हाथ मुंह धोने के लिए थोड़ा पानी दो और फिर चाय नाश्ता करवाओ , लगता है कुछ खाये नहीं है सुबह से”
छोटू पानी का जग लेकर गुड्डू के सामने आ खड़ा हुआ। गुड्डू ने उस से जग लिया मुंह धोया और जैसे ही हाथो को धोने लगा उसे महसूस हुए की दाहिने हाथ पर चोट लगी है और खून के निशान भी है जो की सड़क पर गिरने से लग गए थे। उसने जेबे टटोली और अपना रुमाल निकाला। गुड्डू ने रूमाल को अपने हाथ के चारो और लपेट लिया। शर्ट की बाजू को ऊपर चढ़ा लिया। लड़का चाय ले आया और गुड्डू के सामने रख दी। गुड्डू ने चाय का कप उठाया और पीते हुए कहा,”चचा हिया से बनारस कितनी दूर है ?”
“यही कोई 20-22 किलोमीटर दूर होगा , एक डेढ़ घण्टे में पहुँच जाओगे बाबू”,आदमी ने कहा
“वहा पहुंचना बहुते जरुरी है चचा”,गुड्डू ने मायूस होकर कहा
“बाबू अगर ज्यादा जल्दी है तो फिर आगे एक किलोमीटर दूर मिल जाएगी आपको , पर हमे लगता है फ़िलहाल आपको आराम की सख्त जरूरत है। कुछ खा पि लो थोड़ा आराम कर लो फिर निकल जाना”,आदमी ने कहा
“हम्म्म !”,गुड्डू ने चाय पीते हुए कहा। उसे भी महसूस हो रहा था की ऐसी हालत में वह बनारस नहीं जा पायेगा। उसने कुछ देर वही रुकना ठीक समझा। आदमी ने उसे खाना खिलाया गुड्डू कुछ देर के लिए वही लेट गया और लेटते ही उसे नींद आ गयी। जब आँख खुली तो शाम के 5.30 बज रहे थे। गुड्डू जल्दी से उठा अपने जूते पहने और आदमी के पास आकर उन्हें पैसे देते हुए कहा,”आपने हमे उठाया काहे नहीं ?”
“बाबू आप बहुत गहरी नींद में थे ऐसा लग रहा था जैसे बहुत दिनों बाद सोये हो इसलिए नहीं उठाया”,आदमी ने कहा
“कोई बात नहीं ये लीजिये”,गुड्डू ने पैसे उनकी तरफ बढाकर कहा
“आपको देखकर लगता है जैसे आप बहुत परेशान है , कोई बात नहीं वैसे आप महादेव की नगरी जा रहे है आप की सारी परेशानिया दूर हो जाये हमारी दुआ है”,कहते हुए आदमी ने पैसे लिए और बाइक की चाबी गुड्डू की तरफ बढ़ा दी। गुड्डू जल्दी जल्दी बाइक के पास आया उसने अपने फोन में टाइम देखा गिरने से फोन की स्क्रीन भी टूट चुकी थी पर गुड्डू को आज ना खुद को परवाह थी ना फोन की। उसने बाइक स्टार्ट की और वहा से निकल गया। हाथ में बंधी सफ़ेद रुमाल थोड़ी थोड़ी लाल हो चूकी थी !
गुड्डू के बाल बिखरे हुए थे। शर्ट गंदा हो चुका था , हाथ पर चोट लगी थी पट्टी बंधी थी , चेहरा मुरझाया हुआ। हमेशा बन ठन कर रहने वाला गुड्डू आज बदहाल था सिर्फ शगुन से मिलने के लिए। शाम के 7 बजे गुड्डू बनारस पहुंचा जैसे ही बाइक शिव मंदिर के सामने से गुजरी गुड्डू रुका और हाथ जोड़कर कहा,”बहुत उम्मीद के साथ यहाँ आये है इस बार हमे हमेशा के लिए उनसे मिला देना महादेव”
गुड्डू बाइक लेकर शगुन के घर की तरफ बढ़ गया। उधर शगुन के सभी घरवाले गेस्ट हॉउस के लिए निकल गए। आखिर में पारस और शगुन बचे थे। शगुन ने पारस से चलने को कहा तो पारस ने कहा,”सब तो जा चुके हम लोग यहाँ किसलिये है ? चलो चलते है”
“शगुन आज घाट पर महाआरती है। तुम महादेव की इतनी बड़ी भक्त हो तुम्हे वहा जाना चाहिए।”,पारस ने कहा
“ये तो मैं भूल ही गयी थी , तुम नहीं चलोगे ?”,शगुन ने पूछा
“वो मुझे ना थोड़ा काम है कोई आदमी आने वाला है कुछ सामान लेकर तो तुम घाट पर चलो मैं वो सामान रखवाकर आता हूँ”,पारस ने कहा
“ठीक है जल्दी आना उसके बाद वही से गेस्ट हॉउस चलेंगे”,शगुन ने जाते हुए कहा
“अरे यहाँ से कहा जा रही हो ? इस रस्ते पर भीड़ ज्यादा होगी एक काम करो तुम पीछे वाले रस्ते से जाओ जल्दी पहुँचोगी”,पारस ने ऐसे कहा जैसे वह शगुन से कुछ छुपाना चाहता हो।
“ठीक है”,शगुन पीछे वाले रास्ते की तरफ चली गयी तो पारस ने राहत की साँस ली और कहा,”आज की शाम तुम्हारे लिए यादगार होने वाली है शगुन”
शगुन वहा से दशाश्वमेध घाट की तरफ पैदल ही चल पड़ी। चलते हुए वह बस गुड्डू के बारे में सोचे जा रही थी और मन ही मन महादेव से प्रार्थना कर रही थी की गुड्डू जहा भी हो ठीक हो।
दूसरे रस्ते से गुड्डू शगुन के घर के सामने पहुंचा उसने बाइक को साइड में खड़ा किया और जैसे ही घर के सामने आया वहा लगा ताला देखकर गुड्डू हैरान रह गया। गुड्डू ने अपना सर पकड़ लिया इस वक्त शगुन के घरवाले कहा जा सकते है वह सोच ही रहा था की तभी पारस ने आकर सहजता से कहा,”शगुन से मिलने आये हो ? कुछ देर पहली वो यहाँ से हमेशा हमेशा के लिए चली गयी”
“कहा गयी ?”,गुड्डू ने पारस के सामने आकर बेचैनी से पूछा
“आज शाम में ही गुप्ता जी की दोनों बेटियों की शादी हो गयी”,पारस ने कहा तो गुड्डू हक्का बक्का रह गया साथ ही गुस्सा भी आया उसने पारस की कोलर पकड़ते हुए कहा,”जे का बकवास कर रहे हो तुम ? शगुन हमायी पत्नी है हमारे होते हुए वो दूसरी शादी कैसे कर सकती है ?”
“क्यों ना करे तुमने उसे पत्नी समझा ही कब ? दिन रात तुम्हारी परवाह करने के बाद भी तुमने उसे घर से निकाल दिया”,पारस ने गुड्डू के हाथो को झटकते हुए गुस्से से कहा जो की उसे गुड्डू पर था शगुन को घर से निकाले जाने को लेकर
गुड्डू ने सूना तो उसे गुस्सा आ गया और उसने एक घुसा पारस को दे मारा वो भी उसी हाथ से जिस पर चोट लगी हुई थी और कहा,”वो हमारा निजी मामला है” पारस ने बिल्कुल बुरा नहीं माना वह जानबूझकर ऐसा कर रहा था ताकि शगुन के लिए गुड्डू का प्यार देख सके। गुड्डू को अहसास हुआ की उसने पारस पर हाथ उठाकर गलत किया तो वह पारस के पास आया और कहा,”माफ़ करना हमने गुस्से में,,,,,,,,,,,हमारा शगुन से मिलना बहुत जरुरी है हमे बताओ वो कहा है ? हम उसे ऐसे जाने नहीं देंगे,,,,,,,,,,,,,,,बताओ कहा है वो ?”
“वो अपनी नई जिंदगी में खुश है गुड्डू , तुमने कभी उसके प्यार को समझा ही नहीं और आज समझ आया तो वो तुमसे बहुत दूर जा चुकी है गुड्डू”,पारस ने अपने दोनों हाथो को बांधकर कहा। ये सुनकर गुड्डू का दिल टूट गया उसे लगा बनारस आकर वह शगुन से मिलेगा और सब ठीक कर देगा लेकिन शगुन तो यहाँ थी ही नहीं। गुस्से ने अब पीड़ा का रूप ले लिया। शगुन को पाकर उसने फिर खो दिया और ये उसके चेहरे पर साफ दिख रहा था। गुड्डू वही घुटनो के बल बैठ गया और भीगी आँखों से शगुन के घर पर लगे उस ताले को देखने लगा। गुड्डू की आँखों में आये आंसुओ को देखकर पारस का दिल पिघल गया और उसने कहा,”शगुन यहाँ से जा चुकी है गुड्डू अब पछताने का कोई फायदा नहीं है”
गुड्डू उठा अपने आंसू पोछे और बाइक की तरफ जाने लगा तो पारस ने थोड़ी ऊँची आवाज में कहा,”आज दशाश्वमेध घाट पर महाआरती है , जाने से पहले महादेव से अपनी गलतियों की माफ़ी जरूर मांगते हुए जाना”
गुड्डू ने सूना और चुपचाप बाइक लेकर वहा से निकल गया। उसने घाट से कुछ दूर पहले ही बाइक रोक दी और पैदल ही घाट की तरफ चल पड़ा। उसकी आँखे आंसुओ से भरी थी , बाल बिखरे , हाथ पर पट्टी बंधी थी , पर माथे पर लगी खरोच। वह बस चला जा रहा था शगुन को खो देने का दर्द उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था। चलते हुए वह कई लोगो से टकराया और आगे बढ़ गया। दशाश्वमेध घाट पर काफी भीड़ जमा थी। गुड्डू उनके बीच चलते हुए नीचे आया। आरती शुरू हो चुकी थी और सभी उसमे अपना ध्यान लगाए हुए थे। इसे गुड्डू की किस्मत कहे या महादेव की लीला गुड्डू आकर बिल्कुल शगुन के बगल में रुका। हाथ जोड़े शगुन महादेव से प्रार्थना कर रही थी और गुड्डू भी उसी की बगाल में खड़ा गया , उसने हाथ जोड़े और आँखे मूंद ली। जैसे ही गुड्डू ने आँखे मुंदी उसकी आँखों के आगे वो सारे पल आने लगे जो एक्सीडेंट से पहले घटे थे। उसका शगुन से बनारस में मिलना , शगुन का उस पर पानी फेंकना , सगाई फिक्स होना , शगुन का कानपूर आना , गुड्डू के हाथ में कडा पहनाना , हल्दी , मेहँदी , निकासी और शगुन के घर बारात लेकर आना , शगुन को वरमाला पहनाना , मंडप में उसका हाथ थामे फेर लेना सब किसी फिल्म की तरह चल रहा था। गुड्डू चाहकर भी अपनी आँखे नहीं खोल पा रहा था लग रहा था जैसे महादेव उसे ये सब दिखाना या याद दिलाना चाहते हो। एक बार फिर सभी पल चलने लगे शगुन का अपनी साड़ी के पल्लू से उसके माथे के पसीने को पोछना , शगुन का उसके साथ बाइक पर बैठना , रमेश से शगुन को बचाना , शगुन के सामने उठक बैठक निकालना , शगुन के गाल पर किस करना , ये सब गुड्डू को याद आ रहा था और ये सब याद करते हुए उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। इस वक्त गुड्डू दर्द में था और वह महादेव् से मन ही मन दुआ कर रहा था की बस एक बार वे उसे शगुन से मिला दे। वही बगल में खड़ी शगुन को गुड्डू की परवाह हो रही थी बनारस आने के बाद से ही उसे गुड्डू की कोई खबर नहीं थी उसके बारे में सोचते हुए उसकी आँखों से भी आंसू बहने लगे। महाआरती जारी थी। दोनों एक दूसरे की बगल में अनजान बनकर खड़े थे। आरती खत्म हुई और जैसे ही शंखनाद हुआ शगुन ने अपनी आँखे खोली और जाने को मुड़ी तो नजर बगल में खड़े गुड्डू पर पड़ी। शगुन को अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। आँखे मूंदे हाथ जोड़े गुड्डू बदहाल हालत में उसके सामने खड़ा था। शगुन के कानो में मंत्रो का उच्चारण पड़ रहा था और वह बस खुद को ये यकीन दिलाने की कोशिश कर रही थी की गुड्डू उसके सामने है
त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देवदेव ॥
घाट की आरती , शँखनाद और वहा के माहौल ने उस वक्त को और खूबसूरत बना दिया था। महादेव ने शगुन की सुन ली थी उसका गुड्डू उसके सामने खड़ा था वह गुड्डू से कुछ कह पाती इस से पहले ही भीड़ की आवाजाही शुरू हुई और दोनों एक दूसरे से बिछड़ गए। शगुन आँखों में आँसू लिए हैरान परेशान सी गुड्डू को ढूंढने लगी लेकिन उस भीड़ में उसे ढूंढ पाना इतना भी आसान नहीं था। वह यहाँ से वहा हर चेहरे को गौर से देख रही थी , गुड्डू को देखने के बाद उसकी भावनाये गुड्डू के लिए और मजबूत हो चुकी थी। 10-15 मिनिट बाद धीरे धीरे भीड़ छटने लगी। शगुन थक चुकी थी , वहम होगा सोचकर वह जैसे ही जाने लगी उसकी नजर कुछ ही दूर घाट की सीढ़ियों पर बैठे शख्स पर गयी जो की गुड्डू जैसा नजर आ रहा था। शगुन दौड़कर उसके सामने गयी वो गुड्डू ही है देखकर शगुन का चेहरा खिल उठा और उसने दर्दभरे स्वर में – गुड्डू जी
गुड्डू गर्दन झुकाये बैठा था जैसे ही शगुन की आवाज उसके कानो में पड़ी गुड्डू ने गर्दन उठाकर सामने देखा शगुन को वहा देखकर गुड्डू का दिल धड़क उठा। वह उठा और कहा,”शगुन”
“गुड्डू जी आप यहाँ ?”,शगुन ने आँखों में आंसू भरकर कहा। गुड्डू को यकीन ही नहीं हो रहा था की शगुन उसके सामने खड़ी है। शगुन की मांग में सिंदूर देखकर उसने कहा,”तुमने शादी कर ली ?”
शगुन बेचारी क्या कहती उसे तो ये भी नहीं मालुम था की गुड्डू की यादास्त वापस आ चुकी है। उसे खामोश देखकर गुड्डू की आँखों में आंसू आ गए और वह कहने लगा,”हमने आने में बहुत देर कर दी शगुन , तुमने हमे इतना प्यार दिया , मान सम्मान दिया , हमरी पत्नी होकर भी हमारे साथ एक अजनबी की तरह रहना मंजूर किया ताकि हमे कुछ ना हो , हमें हर मुसीबत से बचाया हमाये लिए कितना कुछ सहा तुमने और हमने तुम्हे ही घर से बाहर निकाल दिया , उस घर से जो तुम्हारा था। हमने एक बार भी तुम्हायी बात नहीं सुनी काश सुन लेते तो आज जे सब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम तुम्हाये लायक नहीं है शगुन , हमने बहुत बड़ी गलती कर दी हमने तुम्हे फिर से खो दिया”
गुड्डू की बातो में शादी का जिक्र सुनकर शगुन चौंक गयी और कहा,”आप किसकी शादी की बात कर रहे है गुड्डू जी ?”
“तुम्हायी शादी जो कुछ देर पहले हुई है”,गुड्डू ने कहा
“ये आपसे किसने कहा ?”,शगुन ने हैरानी से कहा
“तुम्हाये उस दोस्त ने , उसने कहा की तुमने शादी कर ली है।”,गुड्डू ने कहा
“ये कैसी बातें कर रहे है आप ? आपके होते मैं दूसरी शादी कैसे कर सकती हूँ मैं क्या कोई लड़की नहीं कर सकती ?”,शगुन ने हैरानी से कहा
गुड्डू ने सूना तो उसने शगुन को देखा और अपने मुंह पर हाथ रख लिया , उसे अब समझ आया की पारस ने उस से जानबूझकर झूठ बोला जिस से वह यहाँ आये और शगुन से मिल सके। गुड्डू ने शगुन को देखा और कहने लगा,”हमे माफ़ कर दो शगुन हमने तुम्हाये साथ बहुत गलत किया , तुम्हारा दिल दुखाया , तुम्हे तकलीफ दी। सच तो ये है की हम तुम्हे कभी समझ ही नहीं पाए शगुन , तुम हमाये साथ थी , हमाये सामने थी फिर भी हम नहीं जान पाए की तुम हमायी,,,,,,,,,,,,तुम हमायी पत्नी हो। पिताजी और गोलू ने हमे सब सच बता दिया है शगुन , हमारी शादी हुई है , तुम हमायी पत्नी हो और बहुत शर्मिन्दा है की हमने अपनी पत्नी को इतना दुःख पहुंचाया !!”
शगुन ने गुड्डू की बात सुनी तो उसकी आँखों में आंसू भर आये पर अगले ही पल उसे लगा की मिश्रा जी के कहने पर गुड्डू यहाँ आया है उसे अपने प्यार का अहसास नहीं है तो शगुन ने कहा,”अगर आपको सच्चाई पता नहीं चलती तो शायद आप कभी नहीं आते , जिस गुड्डू जी जी मेरी शादी हुई थी वो गुड्डू जी बहुत अच्छे इंसान थे वो गलतिया करते थे लेकिन उन गलतियों से उन्होंने कभी किसी को हर्ट नहीं किया था। एक्सीडेंट से पहले क्या हुआ आपको कुछ भी याद नहीं होगा गुड्डू जी ?”
शगुन की बातें सुनकर गुड्डू कुछ देर खामोश रहा और फिर कहने लगा,”हम वही गुड्डू है जिनसे तुम पहली बार मिली थी , तुम्हे यकीन दिलाने के लिए बोलो का बताये तुम्हे ? शादी की पहली रात हम तुम्हे छोड़कर पिंकी के पास चले गए जे बताये , पिंकी और हमारी वजह से पहली बार तुमको पुलिस स्टेशन जाना पड़ा जे बताये , हमाये नए काम के लिए तुमने अपने सारे पैसे हमे दे दिए जे बताये , (गुड्डू की ये बातें सुनकर शगुन पलट गयी उसकी आँखों से आंसू बहने लगे गुड्डू आगे कहने अलग ) रमेश ने जब हमे पिटा तो हमारी मरहम पट्टी तुमने की जे बताये , या फिर हमाये लिए तुम पुलिस स्टेशन चली आयी जे बताये,,,,,,,,,,,,,,,,,,सिर्फ वक्त बदला है शगुन हमायी भावनाये आज भी वही है। हम जानते है हम खुद को लेकर कितनी भी सफाई दे तुम्हे हमायी बात पर भरोसा नहीं होगा इसलिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!
शगुन गुड्डू की तरफ पलटी तो देखा गुड्डू अपने हाथो से अपने दोनों कान पकड़कर उठक बैठक निकाल रहा था। शगुन ने देखा तो उसकी आँखों से आंसू बहने लगे उसे गुड्डू आज भी उतना ही मासूम नजर आ रहा था।
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क्रमश – Manmarjiyan – S96
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संजना किरोड़ीवाल
Awww..aj ka part bohot bohot bohot pyaara tha ma’am….Finally Guddu or Shagun mil gye..Finally🥺🥺🥺🥺🥺🥺😭😭😭…
Paras jesa dost bhagwan har ek insan ko de😍😍😍😍🥺🥺🥺
Awesome story ma’am ❤️❤️❤️
Amzing
yeeeeeee bhut bhut mast part
Bhut hi emotional part tha maam
Lovely ❤part , hay kitni Mottabbt hai😘
Sab thik ho gaya mujhe rona hi aa gaya tha
Superb thankyou made my birthday
Superb… superb… superb part…bahut accha hua…,jo Guddu aur shagun mil gaye …ek baar ko toh paras ki baat sun kar darr gaye ki kahin paras jaan bhoj kar milne nahi de raha…par sab theek hua yeh jaankar bahut khushi ho rahi hai…😊😊❤️❤️😘😘
Dil khush kar Diya mam
Finally some good news
Story shatak ke Karib pahuch rahi h aur story ka happy ending bhi …
Kya masumiyat h hamaye gudduji ki sacchi bahute cute nice part
awesome
Bahut achchha part
hayy ye kitna sundar episode tha 😍 sare ke Saare raso se bharpur is story ke chalte mai to puri is story se jud chuki hu Aisa laga jaisa sab kuch mere saath ho raha hai 😍 just amazing finally guddu aur shagun mil hi gaye
Udiii baba😍😍😍😍😍
Aj ka part to bda shandar tha… Mil hi gye akhir shagun or guddu😍😍😍
Har har mahadev🙏🙏🙏🙏
Der se aaye lekin durust aaye…paras ka pyar shagun ke liye bilkul vaisa h jaise kanha ke liye meera ka pyar
Very emotional part hope everything will be alright in next part dono ko mila dena please
मैम आज का भाग तो धमाकेदार था…सबकुछ इतना बेहतरीन तरीकें से हुआ कि मजा आ गया…लेकिन गुड्डू शगुन का एक प्यारा हग तो दिखा देंती…चलों अगले भाग में प्रीति भी झूमकर नाचेगी… औंर उहके जीजू तो धमाल मचायेंगे अब😊 dhamakedar part👌👌👌👌👌
awesome
Jese jese sab thik ho ra h wese hi ye bat pareshan kiye ja ri h sab thik hone ke sth hi end nazdik h 😥😥
Wow great aaj ka part bahut hi khubsurat or lajwab hai dil khush ho gya maim aaj to rula hi diya guddu ji ne….. khair ab mahadev ki kripa se in dono ki jindagi me itna achha din aaya hai ab to aap ek baar fir se inki shaadi kara hi dijiye….❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏
Yaaahooooo.. superb part 🥰🥰… Guddu or Sagun mil gaye… 🥳🥳
Lovely . Wait for d next 1
Lovely part but phir bhi maiko lag raha hai ki kuch na kuch abhi aur bhi hoga well awesome part😊
Mind blowing 🥰💖❤️😘🥰💖❤️😘 Awesome superrrrrrrr bbbbbbbbb ❤️💕❤️💕❤️💕❤️💕❤️💕❤️💕❤️💕 part 💕❤️💕❤️💕❤️💕❤️😘🥰💖❤️😘🥰💖❤️
बेहतरीन पार्ट👌👌👌👌👌👌👌
Finally aj lag rha h ki kahani ka ant kitna khubsurat hota h
Amazing 💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕😘😘💕💕💕💕💕💕💕💕💕😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘💕💕💕💕💕 Lovely superb part
Finally guddu or shagun mil gaye is din ka kabse wait kar rahe the but bura bhi lag rha h ki aab ye story khatam hone wali hai, jo bhi ho do pyar karne wale mil gye ye bhut achi bat hui.
Har Har Mahadev…Mahadev ne sab thik kar diya
Bahut hi khubsurat part tha….itne sare parts ek sath padhe…..finally Guddu ki yadasht vapis aa gai……abhi to surf Guddu ko hi pata hai jab puri terha se Shagun ko bhi vishwas hoga to uski khushi ka to koi thikana hi nahi rahega kyoki Guddu ne bhi to abhi pura sach nahi bataya Shagun se milne ki khushi hi itni hai use…..abhi to ghar wale Preeti or papa ko pata chalega to sabko ek to preeti ki shadi ki khushi or dusre unke ghar ke bade damad ka ese moke par bilkul theek ho jana sach mai kitna payara or sukhad ehsaas hai……..
Amazing fabulous part😘😘😘😘😘😘😘💓💓💓💓💓💓💓
Part bahut accha tha bahut hi Ajeeb sa lag raha tha ki kahin fir na alag ho jaye bas ab Sab kuch sahi Ho jayega 😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍
superb excellent brilliant very nice awesome mja aaya pdke dil garden garden kr diya apne mam thank u so much
Har har mahadev finally guddu ki sb yaad aa gya or bus shugun ab huge kr lo yr sb kuchh itna achha lg rha h wow ab sb thik ho gya guddu ko apna pyar yaad aa gya or shugun ko bhi shugun kikhusiy mil gai
Finally guddu ko sb yaad aa hi gya,hm bht bht jyada khush hai, thanks mam itni bdia story dene k liye 💐💐💐 waiting for the next part 👌👌👌
Mana ki paras bahut acha dost he esa dost sabko mile per use kya jarurat thi guddu konese pareshan karne ki guddu to pahle bhi Shagun ko apni feelings batane aya tha ab uski yadasht chali gai to wo kya kare jaan ke to kuch kiya nahi usne acha huaa guddu or Shagun mil gaye or a. To Shagun ko bhi apni feelings bta deni chahiye jaruri to nahi ki guddu hi bole Shagun bhi to janti he ki golu use kitna pasand karta he
awww ma’am aj ka part bht mast h ye bataye ya guddu sagun mil gye ye btaye pr arti k tym goosebumps aye ye btaye ka ka btaye apko😘😘😘
Awesome part
Nice story
Very nice😊😊😊😊👏👏👏👏👍👍
Nice
Superb
बहुत बहुत धन्यवाद जो आप कहानी को वापस ट्रैक पे ले आयीं ।
बहुत प्यारा भाग ।
अति सुंदर।
जितना लिखू सब काम पड़ेगा।
Nice finally guddu ko sab yaad aa hi gaya
Kash ki he pal ynhi than jaye….sagun ko guddu mil gaya…aur kya chahiye❤❤❤❤❤
Wow😲😲 akhir guddu and shagun mil gye …..emotional and lovely❤❤❤❤❤❤part👌👌👌👌👌🌺🌺🌺🌺
Sweet very emotional, hearttouching part, finally
Banaras ki asvamed ghat mei akir inn donom ki pyar mil hi gaya… Ek aur prem kahani who bhi shadi ki bad pathi aur patni ko wahi banaras ki ghat mei… Hamesha ki tarah ye kahani bhi sabse koobsurat tha😍😍😍