Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – S78

Manmarjiyan – S78

Manmarjiyan Season 2
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Manmarjiyan – S78

अपने झूठ की वजह से गोलू बुरी तरह से फंस चुका था। इस वक्त ना वह गुड्डू को सच्चाई बता सकता था ना ही इन सब चीजों को सम्हाल सकता था।
बाइक पर गुड्डू के पीछे बैठा गोलू सोच में डूबा था उसे चुप देखकर गुड्डू ने कहा,”अच्छा गोलू तुम्हायी शादी में ना वो सुल्तान वाला बेंड रखेंगे , का गजब की आवाज है उसकी हम तो उसी पर डांस करने वाले है तुम्हायी शादी में”
“आप हमायी शादी में डांस करोगे ?”,गोलू ने पूछा
“हाँ , काहे नहीं करेंगे ? तुमहू हमाये जिगरी दोस्त हो यार तुम्हायी शादी में नहीं नाचे तो किसकी शादी में नाचेंगे ? हमाये एक्सीडेंट की वजह से मनोहर की शादी तो पहिले ही मिस का दी हमने पर उह सारी कसर हमहू तुम्हायी शादी में पूरी करेंगे”,गुड्डू ने खुश होकर कहा
“हम किस से शादी करने वाले है जे जानकर कही आपके ये सारे सपने ही ना टूट जाये”,गोलू ने मन ही मन कहा
“का हुआ फिर से चुप हो गए तुम , तुम इस शादी से खुश तो ना गोलू ?”,गुड्डू ने पूछा
“हाँ हाँ भैया खुश है तभी तो शादी करने जा रहे है। अच्छा हमायी छोडो आप बताओ शगुन जी ने बताया की नहीं बताया की उन्होंने किसके लिए व्रत रखा है ?”,गोलू ने कहा
“नहीं बताया , पर पता है गोलू कभी कभी ना उह हम पर ऐसे गुस्सा करती है जैसे हमायी पत्नी हो”,गुड्डू ने कहा
“पत्नी ही तो है वो आपकी बस आपको ही याद नहीं है”,गोलू बड़बड़ाया
“का कुछ कहा तुमने ?”,गुड्डू ने कहा
“अरे हम कह रहे है बना लो पत्नी का हर्ज है ?”,गोलू ने दबी जबान में कहा तो गुड्डू चुप हो गया और फिर कुछ देर बाद कहने लगा,”शादी के नाम पर तुम्हारी लंका लग रही है तुमहू चाहते हो हमायी भी लगे , ऐसे ही उनके इतने नखरे है शादी कर ली तो पता नहीं कितने नखरे झेलने होंगे”
“अरे भैया इसलिए तो उन्हें लड़की कहते है , खैर छोडो चाँद निकल आया है कही ऐसा ना हो शगुन जी अपने चाँद को देख ले और हमे पता ही ना चले”,गोलू ने कहा तो गुड्डू की नजर आसमान में चली गयी जहा चाँद चमक रहा था। गुड्डू ने बाइक की स्पीड बढ़ा दी कुछ ही देर में दोनों घर के बाहर थे। गुड्डू गोलू बाइक से उतरे इतने में गोलू का फोन फिर बजा गुड्डू बाइक को साइड में लगा रहा था। गोलू ने साइड में आकर जैसे ही फोन उठाया दूसरी तरफ से पिंकी की गुस्से वाली आवाज आयी,”हम यहाँ तुम्हाये लिए व्रत रखे है और तुम हो की नरारद हो , शादी से पहिले तुम्हारा जे हाल है शादी के बाद तो तुम हमको भूल ही जाओगे गोलू। 2 मिनिट में अगर तुम यहाँ नहीं आये तो किसी और को देखकर हम अपना व्रत खोल लेंगे इसके बाद अपनी कम उम्र के जिम्मेदार तुम रहना”
“अरे सुनो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,काट दिया”,गोलू ने धीरे से कहा तब तक पिंकी फोन काट चुकी थी। गुड्डू गोलू के पास आया और कहा,”हिया का कर रहे हो चलो ऊपर ?”
“अरे भैया,,,,,,,,,,आअह्ह्ह हमारा पेट,,,,,,,,,,,,अई दादा,,,,,,,,,,,,,,,,,हमको लगता है हमारा पेट खराब हो गया है हमको जाना पडेगा”,गोलू ने अपना पेट पकड़कर नाटकर करते हुए कहा
“अभी तो ठीक थे अभी एकदम से का हो गवा ?”,गुड्डू ने पूछा
“अरे भैया मौत , मुसीबत और टट्टी कब आ जाये कुछ पता नहीं चलता तुमहू चलो हम फ्रेश होकर आते है”,गोलू ने नौटंकी करते हुए कहा
“ठीक है जल्दी आना”,कहकर गुड्डू अंदर चला गया और वहा से सीधा ऊपर छत पर,,,,,,,,,,,,,मौका देखते ही गोलू वहा से भाग खड़ा हुआ। हाँफते हुए पिंकी के घर पहुंचा। पिंकी इंतजार में खड़ी मुंह फुलाए हुए थी। गोलू आया और कहा,”सॉरी पिंकिया बहुते जरुरी काम आ गया था , चलो चलो अब जल्दी से चाँद देखो और अपना व्रत पूरा करो हमाए लिए आज दिनभर भूखी रही हो तुम”
पिंकी मुस्कुरायी और पूजा की थाली ले आयी , उसने चाँद को देखा और फिर गोलू को देखा , गोलू ने उसे पानी पिलाया बाकि बचा खुद पी लिया क्योकि पिंकी से ज्यादा जरूरत उसे थी। दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा उठे

गुड्डू ऊपर छत पर आया मिश्राइन चाँद देखकर मिश्रा जी के पैर छू रही थी। गुड्डू भी चला आया और कुछ दूर दिवार के सहारे खड़ा हो गया। शगुन ने छलनी उठाई और आसमान में चमकते चाँद को देखने लगी। उसके और गुड्डू के बीच वेदी खड़ी थी , शगुन ने ही उसे वह खड़े होने को कहा ताकि उसकी आड़ में गुड्डू का चेहरा देख सके और गुड्डू को शक भी ना हो। उधर गुड्डू बस इस इंतजार में था की शगुन चाँद के बाद किसे देखती है ? , गुड्डू और शगुन वही थे इसलिए मिश्रा जी नीचे चले गए। चाँद को देखते हुए शगुन का सर हल्का सा चकराया पर उसने इग्नोर कर दिया और छलनी वेदी की तरफ घुमा दी आधी छलनी में उसे गुड्डू का चेहरा साफ नजर आ रहा था। वेदी भी खुश थी की शगुन का व्रत सफल हुआ लेकिन वह मन ही मन वह कहने लगी,”भाभी ने गुड्डू भैया का चेहरा तो देख लिया लेकिन गुड्डू भैया के हाथ से पानी कैसे पियेंगी ? ऐसे तो उनका व्रत अधूरा ही रह जाएगा”
शगुन ने गुड्डू को देखा और छलनी वापस दिवार पर रख दी। उसका सर चकराने लगा था। शगुन ने एक नजर गुड्डू और वेदी को देखा और धड़ाम से नीचे जा गिरी। मिश्राइन , वेदी और गुड्डू ने देखा तो तीनो एक साथ चिल्लाये और शगुन की तरफ दौड़े। गुड्डू ने दौड़कर शगुन को उठाया और उसका सर अपनी गोद में रखा और उसका गाल थपथपाते हुए कहा,”शगुन शगुन का हुआ ? , शगुन उठो”
“हम कहे थे की मत रखो व्रत सुबह से इसकी तबियत थी लेकिन जे नहीं मानी , अरे वेदी खड़ी खड़ी देख का रही हो ? पानी का ग्लास दो”,मिश्राइन ने शगुन का सर सहलाते हुए कहा। वेदी ने जल्दी से थाली में रखा पानी का ग्लास उठाया और मिश्राइन को देने लगी तो गुड्डू ने बीच में ही लेकर पानी के छींटे शगुन के मुंह पर मारे शगुन को थोड़ा होश आया तो गुड्डू ने कहा,”शगुन लो पानी पीओ”
कहते हुए गुड्डू ने पानी का गिलास शगुन के मुंह से लगा दिया। शगुन ने पानी पीया और अपनी आँखे खोली। उसका सर अभी चकरा रहा था और उसे सब धुंधला नजर आ रहा था। वेदी और मिश्राइन ने एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरा दी। अनजाने में ही सही शगुन को गुड्डू ने अपने हाथ से पानी पिलाया जिस से शगुन का व्रत भी पूरा हो गया और गुड्डू के हाथ से पानी भी पीने को मिल गया। शगुन ने महसूस किया वह गुड्डू की गोद में है और मिश्राइन वेदी भी वही है तो वह जल्दी से उठी और कहा,”वो मुझे चक्कर आ गया था”
“महादेव का शुक्र है की तुम ठीक हो , अब चलो नीचे चलकर पहले पेट भरकर खाना खाओ उसके बाद दवा देती हूँ तुम्हे”,मिश्राइन ने उठते हुए कहा
गुड्डू ने शगुन को उठाया और कहा,”पागल लड़की हो का जरूरत थी दिनभर भूखा प्यासा रहने की , अच्छा लड़का मिलना होगा मिल जाएगा उसके लिए का खुद को तकलीफ देनी जरुरी है ,, अभी कुछ हो जाता तो ?”
गुड्डू की आँखों में प्यार और बातो में अपने लिए परवाह देखकर शगुन को बहुत ख़ुशी हो रही थी। वह प्यार से बस गुड्डू को घूरते रही। मिश्राइन नीचे चली गयी। वेदी भी पूजा की थाली लेकर आयी और कहा,”नीचे चले”
“हाँ”,कहते हुए शगुन जैसे ही आगे बढ़ी लड़खड़ाई , गिरने की वजह से पांव में हलकी सी मोच आ गयी थी। गुड्डू ने देखा तो कहा,”देखा कर लिया ना खुद का नुकसान , रुको”
कहते हुए वह शगुन के पास आया और जैसे ही उसे उठाने लगा। शगुन ने पीछे हटते हुए कहा,”ये क्या कर रहे है आप ?”
“गोद में उठाकर नीचे ले जाने की सोच रहे है और का कर रहे है ?”,गुड्डू ने कहा और बिना शगुन की इजाजत के ही उसे गोद में उठाया और सीढ़ियों की तरफ चल पड़ा। वेदी ने देखा तो मुस्कुरा कर उन दोनों के पीछे चल पड़ी। गुड्डू थोड़ा खुन्नस में था एक तो उसे पता नहीं चला की शगुन ने व्रत किसके लिए रखा है ? ऊपर से उसे शगुन को गोद में उठाकर लाना पड़ रहा था। तीनो नीचे आये तब तक मिश्राइन खाना लगा चुकी थी। गुड्डू जैसे ही नीचे आया मिश्रा जी को देखकर उसने शगुन को एकदम से छोड़ दिया। शगुन एक बार फिर निचे जा गिरी मिश्रा जी ने देखा तो जल्दी से शगुन के पास आये और उसे उठाते हुए कहा,”अरे बिटिया लगी तो नहीं ?”
“नहीं मैं ठीक हूँ”,शगुन ने गुड्डू को गुस्से में देखते हुए कहा
“कैसे गिरी ?”,मिश्रा जी ने कहा
“वो मेरा पैर फिसल गया था”,शगुन ने कहा तो मिश्रा जी ने कहा,”थोड़ा ध्यान से चला करो जे सीढिया थोड़ी फिसलन हो गयी है , कल ही ठीक करवाते है”,मिश्रा जी ने कहा।
“अरे शगुन वहा का कर रही हो ? हिया आओ खाना लगा दिया है तुम्हाये लिए”,मिश्राइन ने कहा
“आप नहीं खाएंगी ?”,शगुन ने पूछा
“नहीं हम कल सुबह की पूजा के बाद ही खाएंगे , जे सब तुम खाओ,,,,,,,,,,,बैठो”,मिश्राइन ने कहा
शगुन को गिराने के बाद गुड्डू में कहा हिम्मत थी वो शगुन के सामने जाये , इसलिए वापस ऊपर जाने को मूड गया मिश्राइन ने देखा तो कहा,”ए गुड्डू खाना नहीं खाना आज , हिया आओ”
“हम बाद में खा लेंगे”,गुड्डू ने कहा
शगुन ने सूना तो मिश्राइन की तरफ देखने लगी गुड्डू से पहले वह कैसे खा लेती ? शगुन की मनोस्तिथि मिश्राइन समझ गयी इसलिए कहा,”ठीक है बाद में खा लेना पर हिया आकर तो बैठ जाओ , हमे थोड़ा काम है हम जा रहे है अपने कमरे में शगुन को कुछ जरूरत हुई तो कौन परोसेगा ? चलो आओ”
“वेदी है ना उह परोस देगी”,गुड्डू ने कहा
“आहहह हमे ना बहुते नींद आ रही है हम जा रहे है सोने”,वेदी ने उबासी लेते हुए कहा तो मजबूरन गुड्डू को आना पड़ा। वह आकर शगुन के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया। मिश्राइन चली गयी। मिश्रा जी भी उठे और अपने कमरे की तरफ चले गए। उनके जाते ही गुड्डू ने शगुन से कहा,”सॉरी वो पिताजी को देखकर हमने तुम्हे छोड़ दिया , हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं था हम तुमको चोट पहुंचाए , पर तुम सोचो पिताजी हमे ऐसे देखते तुम्हे गोद में उठाये हुए तो हमायी तो बारात निकाल देते ना,,,,,,,,,,,,,,इसलिए हमने तुम्हे छोड़ दिया”,कहते कहते गुड्डू की आवाज धीमी पड़ गयी
शगुन ने कुछ नहीं कहा वहा रखी खाली प्लेट गुड्डू के सामने रखी और उसमे खाना परोसते हुए कहा,”बहुत अजीब हो आप , कभी कभी लगता है जैसे बड़े समझदार हो और कभी कभी बिल्कुल बच्चे बन जाते हो। कभी मजाकिया तो कभी सीरियस आपको समझना थोड़ा मुश्किल है”
“हाँ हमायी अम्मा भी कहती है की हम बहुत उलझे हुए इंसान है , पहले ऐसे नहीं थे अब हो गए है जबसे समझने लगे है सबको , पिताजी को , तुम्हे,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते गुड्डू ने शगुन को देखा तो पाया वह उसे ही देख रही थी। गुड्डू का दिल धड़क उठा उसने शगुन से नजरे चुराते हुए कहा,”तुम खाओ ना खाना ठंडा हो जाएगा”
“आप शुरू कीजिये”,शगुन ने कहा तो गुड्डू खाने लगा उसके बाद शगुन ने शुरू किया।

गुड्डू को खाना खाते देखकर शगुन मन ही मन कहने लगी,”क्या इतने संकेत आपके लिए काफी नहीं है गुड्डू जी ये बताने के लिए की आपका और मेरा रिश्ता क्या है ? आप सच में इतने भोले है या फिर आपको कुछ भी याद नहीं। हाँ मानती हूँ की वो शादी आपकी मर्जी के खिलाफ थी लेकिन वो अहसास , वो पल वो सब तो झूठ नहीं थे। अब तो लगता है जैसे आपको कभी कुछ याद नहीं आएगा”
“किस सोच में पड़ी हो खाना खाओ”,गुड्डू ने कहा तो शगुन की तन्द्रा टूटी और वह खाना खाने लगी। शगुन को खाते देखकर गुड्डू मन ही मन कहने लगा,”तुम्हाये और हमाये बीच का रिश्ता है जे तो हम भी ना समझ पाए है लेकिन आज जब तुम बेहोश होकर गिरी ना तो हमको लगा जैसे हमारा कोई अपना हो। बहुत सारी भावनाये है हमाये मन में शगुन जो हम तुम्हे बताना चाहते है पर नहीं बोल पाते,,,,,,,,,,,,,आज जो महसूस उसके बाद तो हम यही कहेंगे की तुमहू व्रत चाहे किसी के लिए भी रखो मिलेंगे तो तुम्हे हम ही”
गुड्डू को मुस्कुराते देखकर शगुन ने भँवे उचकाई तो गुड्डू ने ना में गर्दन हिला। खाना खाकर शगुन उठी और बर्तन उठाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”अरे रुको जे सब हम कर देंगे तुम जाकर आराम करो”
“आप क्यों करेंगे जूठे बर्तन है मैं ले जाती हूँ”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने शगुन को घूरते हुए कहा,”तुम चाहती हो हम फिर से तुम्हे उठाये और कमरे तक छोड़कर आये ?”
“नहीं,,,,,,,,!!”,शगुन ने हैरानी से कहा
“तो फिर जाकर सो जाओ”,गुड्डू ने कहा तो शगुन मुंह बनाकर वहा से चली गयी। गुड्डू उठा बर्तन उठाये और किचन में आकर उन्हें धोने लगा। बर्तन धुलने के बाद गुड्डू ऊपर अपने कमरे में चला आया और बिस्तर पर लेटते हुए कहा,”जे आज शगुन को तकलीफ में देखकर हम काहे परेशान हो गए ? और साला जे गोलू ने तो आज खूब टोपी पहनाई हमे कल खबर लेते है उसकी,,,,,,,,,,,पर जे भी पता नहीं चला शगुन ने व्रत काहे रखा ?,,,,,,,,,,,,,,,,,और गोलू शर्मा जी घर जाकर भी भाभी से नहीं मिला अजीब बात है,,,,,,,,,,,,,,,!!
गुड्डू अपने ही ख्यालो में उलझा रहा और फिर उसे नींद आ गयी।

अगली सुबह गुड्डू का फिर वही जल्दी उठना , वक्त पर खाना और शोरूम जाना शुरू हो गया। मिश्रा जी भी गुड्डू से खुश थे गुड्डू की भी अब धीरे धीरे उनसे बातचीत वापस होने लगी थी।
दिवाली का टाइम था ऐसे में जल्दी जाना शाम में देर से आना गुड्डू का रूटीन बन चुका था। मिश्रा जी को वह जल्दी ही घर भेज दिया करता था ताकि अब वे आराम करे और घरवालों के साथ वक्त बिताये।
रात में कभी कभी देर हो जाती तो भले सब सो जाये लेकिन शगुन हर रोज गुड्डू का खाने पर इंतजार करती और ये कुछ पल दिनभर में गुड्डू के लिए सबसे अच्छे पल होते थे। वह खुश था की कोई है जो उसकी इतनी फ़िक्र भी करता है। गुड्डू बदलने लगा था। अब वह सबसे हंसकर मुस्कुराकर बात करता , मिश्राइन का घर के कामो में भी हाथ बटा देता , उसकी शिकायते आनी लगभग बंद ही हो चुकी थी , कभी कभार मिश्रा जी और वेदी के साथ बैठकर कैरम भी खेल लेता। घर का माहौल इन दिनों काफी खुशनुमा था। उधर गोलू और पिंकी भी बहुत खुश थे जैसे
जैसे शादी के दिन नजदीक आ रहे थे दोनों का प्यार एक दूसरे के लिए बढ़ता जा रहा था।
दिवाली की शाम गोलू और गुड्डू के दोनों परिवारों ने एक साथ दिवाली मनाने का प्रोग्राम बनाया। गुप्ता जी तो मिश्रा जी से खुश थे ही चले आये गोलू और गुप्ताइन के साथ।
सबने साथ मिलकर लक्ष्मी पूजा की और आँगन में आ बैठे। गोलू गुड्डू वेदी और शगुन ऊपर छत पर चले आये पटाखे जलाने। गुड्डू बहुत खुश था और उसे खुश देखकर गोलू और शगुन भी खुश थे। गुड्डू वेदी के साथ पटाखे जलाने में व्यस्त था गोलू दिवार के पास आकर खड़ा हो गया और गुड्डू को देखने लगा। गोलू को अकेले देखकर शगुन उसकी तरफ आयी और कहा,”क्या बात है गोलू जी आज थोड़ा चुप चुप है आप”
गोलू शगुन की तरफ पलटा और कहा,”गुड्डू भैया कितने खुश नजर आ रहे है हम उनसे उनकी खुशिया छीनना नहीं चाहते भाभी”
“मैं कुछ समझी नहीं”,शगुन ने कहा
“दो हफ्ते बाद शादी है , और गुड्डू भैया को अभी तक नहीं बताया है की किस से है ? जब वो पिंकी को मेरे साथ देखेंगे तो पता नहीं क्या होगा ?”,गोलू ने कहा
शगुन ने अपना हाथ गोलू के हाथ पर रखा और कहा,”गुड्डू जी आपसे बहुत प्यार करते है देखना वो समझ जायेंगे , और खुद आपकी शादी पिंकी से करवाएंगे”
गुड्डू ने गोलू और शगुन को साथ देखा तो मुस्कुराते हुए उन्हें अपनी तरफ आने का इशारा किया। शगुन और गोलू दोनों गुड्डू की तरफ बढ़ गये।

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