मनमर्जियाँ – S73
Manmarjiyan – S73
Manmarjiyan – S73
मिश्रा जी और गुड्डू साथ साथ घर आये मिश्रा जी ने आँगन में रखा लोटा उठाया और हाथ मुंह धोकर अंदर चले गए। गुड्डू सीधा अंदर आया उसने जल्दी जल्दी वाशबेसिन के सामने हाथ धोये और जैसे ही जाने के लिए पलटा हाथ में तौलिया लिए शगुन खड़ी थी। उसे देखते ही गुड्डू की धड़कने फिर तेज उसने शगुन से नजरे चुराते हुए कहा,”तुम हिया का कर रही हो ?”
“ये तौलिया देने आयी हु , लीजिये”,शगुन ने तौलिया गुड्डू की तरफ बढ़ाते हुए कहा
गुड्डू ने जल्दी से तौलिया लिया और हाथ पोछकर उसे वही कुर्सी के हत्थे पर रख दिया और जाने लगा तो मिश्राइन ने कहा,”अरे गुड्डू खाना ?”
“ब ब बाद में खाएंगे अम्मा”,कहकर गुड्डू सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। मिश्राइन ने अम्मा , मिश्रा जी और वेदी के लिए खाना लगाया। सभी साथ बैठकर खाने लगे। शगुन एक तरफ खड़ी थी गुड्डू को वहा ना देखकर उन्होंने कहा,”गुड्डू खाने पर नहीं आया ?”
“उह कह रहा है बाद में खायेगा ,आप खाइये”,मिश्राइन ने कहा
“मिश्राइन हमको एक बात बताओ जे गुड्डू कही गिर विर गया था का , मतलब आज तुमहू इसको देखती ना तो कहती की जे हमाओ गुड्डू है ही नहीं”,मिश्रा जी ने कहा
“अरे वो तो हमे सुबह ही देख कर लग रहा था की कुछो गड़बड़ है , पर अभी तसल्ली हुई देखकर की जे बदल रहा है”,मिश्राइन ने कहा
“हां पिताजी आज हमने गुड्डू भैया के कमरे में जाकर देखा तो सब बदला हुआ था , उन्होंने अपने सारे क्रीम पाउडर , परफ्यूम डब्बे में बंद करके कचरे में डाल दिए”,वेदी ने कहा।
“का सच में ?”,मिश्रा जी को भी सुनकर हैरानी हुई
“हाँ पिताजी हम सच कह रहे है , गुड्डू भैया में जे बदलाव पहले तो ना देखे हम सब”,वेदी ने कहा
“पर हमे तो बहुते अच्छा लग रहा है अपने गुडुआ को ऐसे देख के”,मिश्राइन ने कहा
शगुन बस खड़ी खड़ी सबकी बातें सुन रही थी और मन ही मन खुद से कहने लगी,”हो ना हो किसी ने गुड्डू जी पर काला जादू कर दिया है”
शगुन चुपचाप रसोई में आयी। उसने अपनी मुट्ठी में नमक और राई ली और ऊपर चली आयी। गुड्डू अपने कमरे में आकर खुद से ही कहने लगा,”पिताजी को तो हेंडल कर लेंगे , जे शगुन को कैसे हैंडल करे ? एक तो जे किस वाला सीन करके बहुते बड़ी गलती कर दी हमने। अब उनके सामने जाने में परेशानी होय रही है ,, का करे ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एक ठो काम करते है जाकर उनसे माफ़ी मांग लेते है,,,,,,,,,,,,अब हमने जान बुझकर तो जे सब किया नहीं अनजाने में हो गया उनको भी तो ध्यान देना चाहिए ना ,, अब हम लड़के है फिसल जाते है,,,,,,,,,,,,,,जे सही रहेगा जाकर उनसे माफ़ी मांग लेते है”
कहते हुए गुड्डू जैसे ही पलटा पीछे खड़ी शगुन से जा टकराया गुड्डू एकदम से पीछे हटा और कहा,”तुम हिया का कर रही हो ?”
“शशशशश”,कहते हुए शगुन ने अपनी ऊँगली को होंठो पर रखा और गुड्डू को चुप रहने का इशारा किया। गुड्डू शांत हो गया तो शगुन दूसरे हाथ में ली नमक राई को गुड्डू के सर से वारते हुए कहने लगी,”घर की नजर , बाहर की नजर , इधर की नजर , उधर की नजर , दोस्तों की नजर , रिश्तेदारों की नजर , देखने वाले की नजर , सुनने वाले की नजर , अच्छी नजर , बुरी नजर , इसकी नजर , उसकी नजर , सबकी नजर,,,,,,,,,,,,,,,,,,चलिए थुकिये”
“जे सब का है ?”,गुड्डू ने हैरानी से कहा
“आप पहले थुकिये तो”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने धीरे से थू थू कर दिया। शगुन ने जाकर उसे कचरे के डिब्बे में डाल दिया और गुड्डू के पास आकर कहा,”इस से आपकी नजर उतर जाएगी”
“कैसी नजर ? और का हुआ है हमको ?”,गुड्डू ने हैरानी से कहा
“आपको सच में नहीं पता मैं किस बारे में बात कर रही हूँ ?”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने ना में सर हिला दिया। शगुन ने गुड्डू का हाथ पकड़ा और उसे कमरे में लाकर शीशे के सामने करके कहा,”देखिये खुद को , ये एकदम से क्या हो गया आपको जो इतना बदलाव आ गया आप में ? आपको ऐसे देखकर मुझे लगा किसी ने आप पर जादू टोना तो नहीं कर दिया इसलिए आपकी नजर उतारी”
“सच में पगलेट हो तुम , कोई जादू टोना काहे करेगा हम पर उह तो हम,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते गुड्डू रुक गया। शगुन एकदम से गुड्डू के सामने आयी और कहा,”आप क्या ?”
“वो हम,,,,,,,,,,,,!!!”,गुड्डू ने पीछे कदम लेते हुए कहा तो शगुन ने दो कदम गुड्डू की तरफ बढ़ाकर कहा,”आप क्या मिश्रा जी ?”
शगुन के करीब आने से गुड्डू की सांसे हलक में अटकने लगी , उसने अपने जज्बातो को काबू में करते हुए कहा,”वो हम कह रहे थे की,,,,,,,,,,,,,,!!”
“क्या कर रहे थे आप ?”,शगुन ने गुड्डू के और करीब आकर कहा , पीछे जाते हुए गुड्डू की पीठ कबर्ड से जा लगी इधर उधर निकलने का रास्ता भी नहीं था क्योकि सामने शगुन खड़ी थी वो भी इतना करीब। शगुन की बड़ी बड़ी काजल से सनी आँखे और सुर्ख लाल होंठ गुड्डू बेचारा कब तक अपनी नजरो को बचाये। गुड्डू को चुप देखकर शगुन ने कहा,”आप कुछ कह रहे थे ?”
“पा,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुश्किल से गुड्डू के मुंह से निकला
“पा,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने अपनी आँखे मटकाते हुए कहा उसे इस वक्त गुड्डू को छेड़ने में बड़ा मजा आ रहा था। बेचारे गुड्डू की हालत पतली जिसने कभी लड़की को छुआ ना हो , शगुन का बार बार उसके इतना करीब आना उसकी धड़कने बढ़ा देता था। गुड्डू ने मरी हुई आवाज में कहा,”पा,,,,,,,,,,,,,पानी पानी”
शगुन को बहुत हंसी आ रही थी लेकिन उसने खुद को कंट्रोल में रखा और टेबल पर रखा पानी का ग्लास लाकर गुड्डू को थमा दिया। गुड्डू एक साँस में पानी पी गया और कहा,”हमारा पता नहीं तुम पर जरूर किसी ने कुछो जादू टोना किया है”
शगुन ने सूना तो हसने लगी और कहा,”सॉरी , मैं तो बस ऐसे ही आपको छेड़ रही थी , आपको देखकर ही पता चल गया कितने बहादुर है आप”
शगुन को हँसता देखकर गुड्डू चिढ गया वह उसके पास आया उसकी बांह पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और पीठ कबर्ड से लगाकर अपने होंठो को शगुन के पास लाकर कहने लगा,”गलत इंसान के साथ खेल रही हो शगुन गुप्ता अभी तुमने हमे ठीक से समझा नहीं है , जितने सीधे हम दिखते है उतने सीधे है नहीं ,, अगली बार ऐसा कुछो की ना हमाये साथ बता रहे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!! गुड्डू ने अपने निचले होंठ को दबाते हुए कहा। अब खामोश होने की बारी शगुन की थी। एक तो गुड्डू इतना हट्टा कट्टा शगुन जाये भी तो जाये कहा। शगुन को चुप देखकर उसने कहा,”पानी चाहिए”
“हम्म्म !”,शगुन ने कहा तो गुड्डू साइड हो गया और कहा,”तुम्हे एक बात बताये कॉलेज में बहुत सारी लड़किया हमाये पीछे थी , बहुतो ने हमे मौका भी दिया पर हमाये पिताजी ने ना हमे एक बात सिखाई थी की औरत को इज्जत दो ना तो वो वह अपना सर्वस्व तुम पर लुटा देती है , और तुम्हायी तो हम बहुते इज्जत करते है इसलिए जब भी तुमहू कुछो ऐसा करती हो तो,,,,,,,,,,,,,,,,घबरा जाते है हम। हमारा दिल दुगुनी स्पीड में चलता है”
“आपको किसी ने ये नहीं कहा की एक अनजान लड़की भी आपके सुरक्षित है”,शगुन ने बड़े प्यार से कहा
गुड्डू ने सूना तो पलटा और शगुन से नजरे चुराते हुए कहा,”कहा सुरक्षित है ? कल रात जो हुआ मतलब ,,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसे जान बूझकर नहीं किये थे , करना भी नहीं चाहते थे बस हो गया,,,,,,,,,,उसके लिए सॉरी भी बोलने वाले थे हम लेकिन,,,,,,,,,,,,,,!!!”
गुड्डू अभी इतना ही बोल पाया की शगुन उसके पास आयी और उसके दाँये गाल पर किस करके कहा,”मुझे अच्छा लगा”
गुड्डू की धड़कने फिर तेज , कहे तो क्या कहे करे तो क्या करे ? जिस गलती की वो शगुन से माफ़ी मांगने वाला था शगुन ने सामने से वो गलती कर दी। गुड्डू आगे कुछ बोल ही नहीं पाया तो शगुन उसके सामने आयी और कहा,”आज तक मैं किसी के इतना करीब नहीं आयी हूँ पर आपके आयी हूँ इसका मतलब साफ है गुड्डू जी,,,,,,,,,,,पंसद करने लगी हूँ आपको”
शगुन ने जैसे ही कहा गुड्डू को लगा उसका दिल ही बाहर आ गिरेगा। शगुन ने पहली बार उसके सामने अपनी भावनाये जो व्यक्त की गुड्डू उसकी आँखों में देखता रहा। शगुन वहा से चली गयी उसने गुड्डू को सॉरी बोलने का मौका ही नहीं दिया। गुड्डू वही खड़ा शगुन को जाते हुए देखता रहा। उसके कानो में बार बार शगुन के कहे शब्द “पसंद करने लगी हूँ आपको” गूंज रहे थे। गुड्डू को गर्मी का अहसास होने लगा उसने अपनी शर्ट के दो बटन खोले , बाजु ऊपर चढ़ाई और कमरे में यहाँ वहा घूमते हुए कहने लगा,”साला बवाल किस्मत है बे हमायी,,,,,,,,,,,,,मतलब आज ही हमे पता चला की पिंकी की सादी है और आज ही शगुन ने आके हमसे कहा की उह हमे पसंद करती है,,,,,,,,,,,,(ऊपर देखते हुए) सही जुगाड़ लगाए हो,,,,,,,,,,,,,,वैसे एक दिल की बात कहे पसंद हमे भी है तभी तो वापस कानपूर लेकर आये है इनको , ताकि और करीब से जान सके पर जे तो कुछ ज्यादा ही करीब आ गयी है हमाये (कहते हुए गुड्डू को किस याद आ गया ) गुड्डू ने अपना सर झटका और बिस्तर पर बैठते हुए कहा,”अभी हमे इन सब बातो में ध्यान नहीं देना है पहले हम अपनी परेशानिया सुलझा ले उसके बाद बात करेंगे शगुन से”
गुड्डू उठा और कपडे बदलकर नीचे चला आया शगुन वेदी के साथ उसके कमरे में थी ये देखकर गुड्डू ने राहत की साँस ली और बैठकर खाना खाने लगा। गुड्डू जल्दी जल्दी खा रहा था की खाना गले में अटक गया। वह खांसने लगा पास पड़े ग्लास में देखा पानी नहीं था। उधर से गुजरते हुए मिश्रा जी ने देखा तो टेबल पर रखा जग उठाया और ग्लास में पानी डाल दिया। गुड्डू ने पानी पिया और बचा हुआ खाना खाने लगा। गुड्डू और मिश्रा जी के बीच भले बात-चीत बंद हो लेकिन दोनों एक दूसरे परवाह करते अक्सर दिखाई दे जाते थे।
खाना खाकर गुड्डू ऊपर छत पर चला आया। थोड़ी ठंड थी इसलिए गुड्डू कुछ देर ही रुका और वापस नीचे अपने कमरे में चला आया। उसने कबर्ड से कम्बल निकाली और लेकर सो गया। दिनभर काम करने की वजह से गुड्डू को बिस्तर पर लेट ते ही नींद आ गयी। अगली सुबह गुड्डू फिर जल्दी उठा। नहाया तैयार होकर नीचे चला आया आज भी गुड्डू ने फॉर्मल कपडे ही पहने थे। फेंसी कपड़ो से ज्यादा गुड्डू फॉर्मल कपड़ो में ज्यादा अच्छा लगता था ,उसने नाश्ता किया और शोरूम के लिए निकल गया। दिनभर शोरूम पर काम किया और शाम में मिश्रा जी के साथ घर वापस। दोनों में ज्यादा बातें नहीं होती थी पर दोनों को एक दूसरे का ख्याल था। जैसी गुड्डू की हरकते थी उस हिसाब से मिश्रा जी को अभी भी गुड्डू पर ज्यादा विश्वास नहीं था लेकिन गुडडु अपनी मेहनत करने में लगा रहा।
उधर अपनी शादी फिक्स होने की वजह से गोलू खरीदारी और तैयारियों में लगा हुआ था। गुड्डू भी शोरूम में रहता था इसलिए गोलू से मिलना जुलना कम हो गया। गोलू के घर रंगाई पुताई का काम चालू था। एक हफ्ता गुजर गया। एक शाम गुड्डू घर जल्दी चला आया उसे देखकर मिश्राइन ने कहा,”गुड्डू ज़रा हिया आना ?”
“हाँ अम्मा का हुआ ?”,गुड्डू ने कहा
“कल करवाचौथ है और हमे कुछो सामान चाहिए अब हम तो जा नहीं सकते तो सोचा तुम्हे भेज देते है शगुन के साथ , चले जाओगे ?”,मिश्राइन ने कहा
कोई और होता तो गुड्डू मना भी कर देता लेकिन शगुन के साथ जाने का मौका मिल रहा था तो मना नहीं कर पाया। उसने तुरंत हामी भर दी। मिश्राइन ने सामान की लिस्ट बनाकर रुपयों के साथ शगुन को दे दी और गुड्डू के साथ भेज दिया। गुड्डू शगुन को पसंद करता था ये तो तय था लेकिन अभी तक उसने शगुन से ये बात कही नहीं थी। गुड्डू ने बाइक निकाली और घर के बाहर ले आया। एक नजर उसने शीशे में खुद को देखा पहली बार गुड्डू को शीशे में भोंदू गुड्डू नजर आया तो उसने खुद से कहा,”जे हुलिया लेके शगुन के साथ जाओगे , इम्प्रेस होने के बजाय डिप्रेस हो जाएगी बेचारी , थोड़ा रंग में आओ यार गुड्डू मिश्रा हो तुम”
कहते हुए गुड्डू ने दोनों बाजुओं को मोड़ते हुए ऊपर चढ़ाया , शर्ट के सामने का एक बटन खोल लिया , बालो में दो तीन बार हाथ घुमाया और उन्हें सेट करते हुए शीशे में देखते हुए कहा,”शक्ल तो बचपन से ही ठीक है हमायी”
शगुन पर्स सम्हाले चली आ रही थी। सफ़ेद रंग के सूट और गुलाबी दुप्पटे में अच्छी लग रही थी। गुड्डू ने एक नजर देखा और फिर बाइक का शीशा ऐसे सेट किया की पीछे बैठी शगुन को आराम से देख सके। शगुन गुड्डू के पीछे आ बैठी और अपना हाथ उसके कंधे पर रख लिया। गुड्डू मुस्कुराया और बाइक स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी। शगुन का गुड्डू के कंधे पर हाथ रखना गुड्डू के सबसे खूबसूरत लम्हो में से एक था। शीशे में कभी उसे शगुन के उड़ते बाल नजर आ रहे थे कभी अपने कंधे पर रखा हाथ। गुड्डू शगुन को लेकर मार्किट आया और दुकान पर छोड़कर कहा,”जो सामान लेना है तुम लो हम बाहर है”
“ठीक है”,शगुन ने कहा तो गुड्डू चला गया। शगुन ने लिस्ट दुकानवाले को दे दी और आधे घंटे बाद सामान लेकर बाहर चली आयी। गुड्डू ने देखा तो सामान वही रखा और दुकानवाले से कहा,”चचा इसे घर भिजवा देना”
“हम क्यों नहीं लेकर जा रहे ?”,शगुन ने कहा
“पहली बार हमाये साथ बाहर आयी हो सोचा कानपूर घुमा दे तुम्हे , आओ बैठो”,गुड्डू ने बड़ी ही शराफत के साथ कहा और जेब में रखा चश्मा आँखों पर लगा लिया। शगुन ने सूना तो अच्छा लगा वह मुस्कुराते आकर बाइक पर बैठ गयी। गुड्डू ने बाइक आगे बढ़ा दी। शगुन खुश थी गुड्डू धीरे धीरे पहले की तरह पेश आने लगा था और ये देखकर शगुन का प्यार उसके लिए और ज्यादा बढ़ गया। गुड्डू शगुन को लेकर सब्जी मार्किट आया। शगुन ने देखा तो कहा,”यहाँ क्यों लेकर आये हो ?”
गुड्डू ने बाइक साइड में लगाईं और कहा उतरकर कहा,”मान लो कल को तुमहू कानपुर में किसी शर्मा , शुक्ला , गुप्ता या फिर मिश्रा खानदान की बहू बनती हो तो तुम्हे पता होना चाहिए ना के ताजा सब्जिया कहा मिलती है ?”
शगुन ने सूना तो हैरानी से गुड्डू के मुंह की तरफ देखने लगी। शगुन को देखकर गुड्डू को हंसी आ गयी उसने शगुन का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ ले जाते हुए,”चलो , अगर खाली हाथ गए ना अम्मा गुस्सा जाएगी की खाली हाथ चले आये , चलो तुम्हे सब्जी लेना सिखाते है”
कहते हुए गुड्डू एक सब्जी वाले के सामने आकर रुका और कहा,”ए भैया जे कटहल का भाव दिए ? का कहे 100 रूपये किलो ,, का सोना बेच रहे हो का ? अमा यार ठीक ठाक लगाय लयो पहली बार कुछो खरीद रहे है,,,,,,,,देखो ठग ना लेना ,, और जे टमाटर कैसे दिए ?,,,,,,,,,,,,एक ठो काम करो एक किलो जे भी कर दो”
शगुन खड़े होकर बस प्यार से गुड्डू को देख रही थी , उसकी बोली से तो शगुन को पहले से ही लगाव था आज उसे ऐसे बात करते , हँसते मुस्कुराते देखकर शगुन को बहुत अच्छा लग रहा था। वह गुड्डू को इतने प्यार से देख रही थी की महसूस हुआ कही गुड्डू को उसकी खुद की नजर ना लग जाये सोचकर उसने दोनों हाथो से गुड्डू की बलाये ली और मुस्कुरा दी। गुड्डू ने शगुन को खोये हुए देखा तो भँवे उचकाई और जवाब में शगुन ने मुस्कुराते हुए ना में गर्दन हिला दी। फल सब्जी खरीदते खरीदते हल्का अँधेरा हो चुका था और गुड्डू को याद आया घर भी जाना है। उसने सब सामन एक बड़ी थैली में डाला और शगुन को देकर कहा,”गोलगप्पे खाने है ? चलो खिला ही देते है तुम भी का याद रखोगी ?”
गुड्डू शगुन को लेकर बाबू गोलगप्पे वाले के पास पहुंचा। इतने दिन बाद गुड्डू-शगुन को वहा देखकर बाबू भी खुश हो गया और कहा,”अरे भाभी,,,,,,,,,,,,!!”
बाबू आगे कहता इस से पहले ही गुड्डू ने उसका मुंह बंद करते हुए कहा,”अबे साले मरवाओगे , ऐसे डायरेक्ट भाभी कहकर बुला रहे हो,,,,,,,,,,,,,गोलगप्पे खिलाओ और तीखा कम”
“अभी खिलाते है भैया”,बाबू ने कहा और शगुन गुड्डू को प्लेट देकर गोलगप्पे खिलाने लगा। अभी उसने एक गुड्डू की प्लेट ने रखा ही था की उसकी नजर कुछ ही दूर खड़े गोलू पर गयी जिसके साथ एक लड़की भी थी लेकिन वो गुड्डू की तरफ पीठ करके खड़ी थी। गुड्डू ने देखा तो कहा,”जे गोलू हिया का कर रहा है उह भी लड़की के साथ”
शगुन ने सूना तो पलटकर देखा वो गोलू ही था , और साथ में खड़ी लड़की कोई और नहीं पिंकी थी। कही गोलू पिंकी का सच गुड्डू के सामने ना आ जाए सोचकर शगुन एकदम से गुड्डू के सामने आयी और कहा,”वो मेरे हाथ बिजी है तो आप खिलाओगे मुझे प्लीज”
“गुड्डू गोलू की तरफ जाने वाला था लेकिन शगुन ने रोक दिया तो उसकी नजर शगुन के हाथो पर चली गयी एक में सब्जी का थैला और दूसरे में गोलगप्पे वाली प्लेट। गुड्डू को लगा शगुन नहीं खा पायेगी तो उसने उसकी प्लेट में रखा गोलगप्पा उठाकर कहा,”ठीक है हम खिला देते है”
गुड्डू ने शगुन को अपने हाथ से खिलाया हालाँकि उसमे मिर्च नहीं थी लेकिन फिर भी शगुन ने नाटक करते हुए कहा,”आह्हः मुंह जल गया , गुड्डू जी ये तो बहुत तीखा है ,, पानी,,,,, पानी दीजिये हमे”
गुड्डू जल्दी से दूसरी तरफ गया पानी लेने तब तक शगुन ने पलटकर देखा , उसी वक्त गोलू की नजर भी शगुन पर पड़ी तो शगुन ने उसे जाने का इशारा किया। गुड्डू को वहा देखकर गोलू पिंकी को लेकर चला गया गुड्डू पानी लेकर आया उसे देखते ही शगुन ने कहा,”पिलाइये”
“बहुते मेहनत करवा रही हो हमसे शगुन गुप्ता”,गुड्डू ने शगुन को अपने हाथ से पानी पिलाते हुए कहा तो शगुन ने प्यार से गुड्डू को देखकर कहा,”मौका मिलेगा तो मैं भी कर दूंगी आपके लिए”
गुड्डू ने देखा कुछ देर पहले उसने गोलू को देखा था वो अब वहा नहीं है। वहां समझकर गुड्डू बाबू के पास आया और कहा,”बाबू इनको मीठा खिलाओ और हमे तीखा”
“आपके हाथ से तो मैं तीखा भी खाने को तैयार हूँ”,शगुन ने प्यार से गुड्डू को देखते हुए मन ही मन कहा। गुड्डू पलटा और कहा,”तुमने कुछ कहा ?”
“आपने कुछ सूना ?”,शगुन ने भी शरारत से कहा
गुड्डू ने ना में गर्दन हिला दी। बाबू ने कुर्सी दे दी तो शगुन ने सब्जी का थैला उस पर रख दिया और उसके बाद गुड्डू के साथ खड़े होकर आराम से गोलगप्पे खाने लगी। ये कुछ पल शगुन की जिंदगी के सबसे खूबसूरत पल थे।
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संजना किरोड़ीवाल
Osm . Nice . Waiting for next part
मतलब सही है कि गुड्डू भैया और कांड की रिश्तेदारी बहुतै गहरी है, आज तो शगुन ने गोलु को पिटाई से बचा लिया 😆😆😆
very beautiful part love it so much🥰
Bhut hi pyaara part tha guddu shagun n bhut dino k baad ek saath time spend kiya h mazaa aa gya aj golu ko to bacha liya shagun n
Lajawaab 👌👌
Mind blowing 🥰💖💖💐💐💖💖💖 Awesome superrrrrrrrrr bbbbb 🥰💖💖💐💖💖💖💖💐 Awesome part
मैम आज तो शगुन ने सामनें से अपने अहसास जाहिर कर दियें गुड्डू के सामनें… औंर गुड्डू ने तो शगुन को घुमाकर उसका दिन भी अच्छा बना दिया…गोलू को तो आज शगुन ने बचा लिया…लेकिन ये सच तो सामनें आना ही हैं…औंर गोलू खुद बता दें तो सबसे अच्छा रहेगा… अधिक से अधिक गुस्सा करेगा पर गोलू की खुशी के खातिर सब सही हो जायेगा😊 khubsurat part👌👌👌👌👌
Very nice ab guddu koi kand na kre vhi badiya h shagun or guddu ki love story suru ho gyi bahut badiya
Nice
Hayy aaj ka part to chha gaya ikdam❤ aur voh Kandhe par haath rakhne wala part OMG😍 sala pura sapno ki duniya mein pahunchay di aap 🤗 In your language “Uff ye mere mehenge se khwaab” 😍
आने वाले पार्टस में 100% बवाल होना तय है…ये गोलू और पिंकी की शादी बिना बवाल के नही होगी…और इस बीच ये शगुन-गुड्डू का रोमांस चल रहा है खट्टा-मीठा वाला…बहुत आ रहा है…संजना जी शगुन-गुड्डू के थोड़ी कोजी मोमेंट ओर भी लिखिएगा अगले पार्टस में….
nice part mam
Kasam se bawal maza aa gaya😁😊😊
Very beautiful
Interesting part waiting next part
Ek taraf ss ijhar ho gya hh ab guddu ki barii😍😍😍😍
Superb part 🥰🥰🥰🥰🥰
Behtareen 😊😊😊😊😊😊😊😊
जबरदस्त आज तो गोलू को बचा लिया सगुन ने
Are waah …kya part tha aaj ka….aaj to golu baal baal bach gya shagun ki wajah se😁😁😁😁..shagun aur guddu Kareeb aa rhe …
Bade dino baad ye scene aya storyme .acha lga
Very nice part👌
Mam aage ki story kab tak aaygi
Mam.aapki story bahut hi hert touching hai
Yeah Shagun ne to izhaar kar diya aab humare chote mishra ji apna kamaal kab dikhayege ye dekhna hai.
Jabardast part tha lovely couple❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Dheere dheere hi sahi lekin ab shagun ki zindgi me guddu ka pyar aur uska sath wapas se aa rha h…vaise shagun pr guddu ka rang Chad chuka h tbhi to wo aise tikdum lgti h…jaise aaj golu ko bchane ke liye lgayi
Para nahi kyu par mujhe bura lag raha hai guddu ko liye manati hu golu guddu ke bhalai ke liye hi ye bat chuka raha hai par bhi woh apne pakke dost se jhoot bol raha hai jab sach samne ayega toh toh guddu ka bahot dil dukhega
Lovely part
Superb amazing😍😍😍😍😍 part👌👌👌👌🌺🌺🌺🌺