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मनमर्जियाँ – S5

Manmarjiyan – S5

Manmarjiyan S2 - 5

मनमर्जियाँ – S5

गुड्डू की सलामती चाहते हुए शगुन ने वापस बनारस जाने के लिए हामी भर दी। मिश्रा जी ने गोलू से शगुन और पारस को बस स्टेण्ड छोड़कर आने को कहा। गोलू पारस और शगुन को साथ लेकर चल पड़ा। बस स्टेण्ड पहुंचकर गोलू ने दोनों के लिए टिकट लिया और लाकर पारस को दे दिया। पारस बस और सीट कन्फर्म करने चला गया। शगुन वहा बेंच पर उदास चेहरा लिए बैठी थी गोलू उसके पास आया और कुछ दूरी बनाकर बैठ गया। शगुन को खामोश देखकर गोलू ने बोलना शुरू किया,”सोचा नहीं था भाभी ऐसा कुछो हो जाएगा , अरे गुड्डू भैया तो ख़ुशी ख़ुशी आपसे मिलने बनारस गए थें पर जे सब,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमय तो कुछो समझ नहीं आ रहा है , उनकी यादाश्त चली गयी , अपनी शादी तक याद नहीं है उनको,,,,,,,,,,,,,,,आपका ऐसे उन्हें छोड़कर जाना हमे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है पर हम का करे फ़िलहाल यही सही रहेगा आप दोनों के लिए,,,,,,,,,,,पर आप चिंता ना करो भाभी हम आप दोनों को ऐसे अलग नहीं होने देंगे,,,,,,,,,,,,,गुड्डू भैया बहुते प्यार करते है आपसे और देखना जल्दी ही उन्हें सब याद आ जाएगा”
गोलू की बाते सुनकर शगुन ने उसकी और देखा और बुझे मन से कहने लगी,”मैं जानती हूँ गोलू जी की गुड्डू जी को कुछ नहीं होगा , जब तक आप जैसा दोस्त , माँ-पापाजी जैसा परिवार उनके साथ है उन्हें कुछ नहीं हो सकता,,,,,,,,,,,,,,महादेव को शायद इतनी जल्दी हमारा मिलना मंजूर नहीं था , गुड्डू जी बनारस आने चाहते थे मुझसे मिलना चाहते थे उन्हें शायद कुछ कहना था मुझसे पर मेरी परेशानियों में उलझकर वे सब भूल गए,,,,,,,,,,,,,,कही ना कही गुड्डू जी की इस हालत की जिम्मेदार मैं भी हूँ गोलू जी”
“कैसी बातें कर रही है आप भाभी ? गुड्डू भैया के लिए खुद को दोष मत दीजिये अरे आप तो वो जो उन्हें हर मुसीबत से बाहर निकाल लेती है , हर अच्छे बुरे वक्त में उनके साथ खड़ी रहती है,,,,,,,,,,,,हम आप साथ है भाभी और देखियेगा आप हम मिलकर इस बुरे वक्त का सामना करेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,अरे साक्षात् महादेव गुड्डू भैया को आपसे नहीं छीन सकते , उनके मन में सिर्फ शगुन है बस दिमाग भुला है आपको उनका मन नहीं”,गोलू ने कहा तो शगुन की कुछ हिम्मत बंधी
“गोलू जी मेरा एक काम करेंगे आप”,शगुन ने आस भरी नजरो से गोलू को देखते हुए कहा
“हां भाभी कहिये ना”,गोलू ने कहा
“मेरे जाने के बाद आप उनका ख्याल रखेंगे ना ?”,शगुन ने कहा
“हम वादा करते है भाभी गुड्डू भैया का ख्याल रखेंगे और आप भी अपना ख्याल रखना”,गोलू ने कहा
“शगुन बस जाने वाली है चले”,पारस ने आकर कहा तो शगुन बेंच से उठ खड़ी हुई। पारस ने गोलू से हाथ मिलाया और शगुन को लेकर चला गया। गोलू उदास आँखों से शगुन को जाते हुए देखता रहा और फिर वहा से चला गया। पारस शगुन को साथ लेकर बस में चढ़ा। शगुन खिड़की वाली सीट पर आकर बैठ गयी , बगल में बैठ गया। शगुन का उदास चेहरा पारस को अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन इस वक्त वह शगुन से कुछ कहना भी नहीं चाहता था। उसने शगुन को कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दिया। बस चल पड़ी शगुन ने खिड़की से सर लगा लिया उसकी आँखों के सामने बार बार गुड्डू का दर्दभरा चेहरा आ रहा था। शगुन ने कभी सोचा नहीं था उसे गुड्डू से इस तरह दूर जाना पडेगा। बस जैसे ही कानपूर से बाहर निकली ड्राइवर ने स्पीड बढ़ा दी और म्यूजिक चला दिया जिसने शगुन के दर्द को और बढ़ा दिया
“मिल कर भी हम मिल ना पाए ऐसे बिछड़े है
आँखों में है आँसू कितने दिल के टुकड़े है
मैं तेरी तू मेरा साजन जाने है जग सारा
तू वहा और मैं यहाँ , ये कैसा साथ हमारा
ओह घर आजा परदेशी , की तेरी मेरी इक जिंदगी
ओह घर आजा परदेशी , की तेरी मेरी इक जिंदगी”
शगुन की आँखों से आंसू बहकर गालो पर आ गये , दर्द से तपड़ते हुए उसने अपनी आँखे बंद कर ली।

गोलू हॉस्पिटल पहुंचा तो मिश्रा जी ने उसे अपने पास बुलाया और कहा,”गोलू एक ठो काम करो तुमहू हिया गुड्डू के पास रुको हम घर जाकर आते है , डॉक्टर साहब कह रहे की कल गुड्डू को कमरे में शिफ्ट कर देंगे तो उसके लिए कपडे और सामान चाहिए तो हम जाकर ले आते है”
“अरे चचा आप काहे परेशान होते है हम जाते है ना”,कहते हुए गोलू वापस चला गया
गोलू ने बाहर आकर अपनी स्कूटी स्टार्ट की और घर के लिए निकल पड़ा। जैसे ही घर आया देखा मिश्राइन दरवाजे पर ही खड़ी है गोलू को देखते ही वह उसे अंदर लेकर आयी और कहा,”बहू कहा है ? उसे साथ नहीं लाये ,, अच्छा गुड्डू के पास रुकी होगी वो ? गोलू चुप काहे कुछो बोलो भी”
“भाभी बनारस वापस चली गयी है”,गोलू ने धीरे से कहा
“काहे ? उसको वापस काहे भेजा गोलू ? और ऐसे कैसे गुड्डू को छोड़कर उह बनारस चली गयी , ऐसे वक्त में एक पत्नी के सिवा और कौन सम्हाल सकता है अपने पति को ? गोलू हम तुमसे कुछो पूछ रहे है”,मिश्राइन ने कहा
गोलू ने मिश्राइन को सारी बाते बताई तो वे कहने लगी,”मिश्रा जी का दिमाग खराब हो गया है गोलू , गुड्डू अपनी शादी भूल गया है तो हम सब शगुन को भुला देंगे , अरे सादी हुयी है उसकी हमाये गुड्डू के साथ , पत्नी है उह हमाये बेटे की बहू है इस घर की ऐसे कैसे उसे जाने के लिए कह दिया मिश्रा जी ? ,, का बीत रही होगी इस वक्त उस पर गोलू और तूम,,,,,,,,,,,,,,,तुम काहे नहीं रोके उसे जाने से ? गुड्डू को हमसे भी ज्यादा शगुन की जरूरत है , और उह बिचारी शगुन उसे भी तो हक़ है यहाँ रहने का , मिश्रा जी से कह के शगुन को वापस बुलाओ गोलू ,,, हम उसके साथ जे अन्याय होता नहीं देख सकते”,मिश्राइन ने कहा
“चाची हमहू करते है कुछो आप परेशान ना होईये , डॉक्टर कल सबेरे गुड्डू भैया को कमरे में शिफ्ट कर देंगे , उनके लिए कुछो कपडे चाहिए उह देइ दयो पहले”,गोलू ने कहा
“गुड्डू के कमरे में धरे है तुमहू जाकर ले लयो”,मिश्राइन ने कहा उन्हें बस शगुन की चिंता हो रही थी और आखिर क्यों न हो उसे बहू नहीं बेटी की तरह जो रखा था , साथ ही मिश्राइन एक औरत थी और अपनी बहू का दर्द भली भांति समझ सकती थी।
गोलू सीढ़ियों से ऊपर गुड्डू के कमरे में आया। कमरे में अन्धेरा था गोलू जैसे ही स्विच बोर्ड की और गया कालीन में उलझकर गिर पड़ा गिरने से उसकी जेब में रखा एंड्राइड फोन जेब से निकल कर बिस्तर के निचे जा गिरा। ये वही फोन था जिसमे गोलू ने आखरी बार गुड्डू का विडिओ बनाया था और स्विच ऑफ होने के बाद उसे ऑन ही नहीं किया था। खैर गोलू उठा कमरे का लाइट जलाया और गुड्डू का कबर्ड खोलकर उसमे से कुछ कपडे लेकर कमरे से बाहर आ गया। गहमा गहमी में गोलू को अपने फोन का ध्यान ही नहीं रहा और वह नीचे चला आया।
गोलू को देखकर मिश्राइन ने कहा,”गोलू इधर आ”
“हां चाची कहो,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने हाथ में पकडे कपडे लाजो की और बढ़ाकर उन्हें किसी बैग में डालने का इशारा किया और मिश्राइन के सामने आ खड़ा हुआ
“ए गोलू देख हमे हमायी बहू घर में चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,अरे उह गर्भवती है ऐसे में उसे और उसके होने वाले बच्चे को कुछो हो गया तो का जवाब देंगे हम उसके घरवालो को ? तुमहू मिश्रा जी को कहो की हमने कहा है शगुन को घर लाने के लिए”,मिश्राइन ने बैचैन होकर कहा तो गोलू को याद आया की शगुन की प्रेग्नेंसी वाला झूठ अभी बाकि था और गुड्डू को ये भी याद नहीं होगा। गोलू की परेशानी और बढ़ गयी। उसने मिश्राइन के कंधो को पकड़कर उनकी आँखों में देखते हुए कहा,”हमाये ऊपर भरोसा है ना तुमको चाची , हम सब ठीक कर देंगे गुड्डू भैया भी इस घर में आएंगे और भाभी भी आएगी बस थोड़ा सा वक्त दो हमे”
“ठीक है गोलू बस हमे शगुन और गुड्डू दोनों इस घर में चाहिए”,मिश्राइन ने आँखों में आंसू भरकर कहा
गोलू उन्हें विश्वास दिलाकर घर से बाहर चला आया। गुड्डू के कपडे स्कूटी की डिग्गी में रखे और वापस हॉस्पिटल के लिए निकल गया। रस्ते में गोलू सोचता जा रहा था,”इह सब तो सुलझने के बजाय और उलझता जा रहा है। उधर गुड्डू भैया सब भूल चुके है , इधर मिश्राइन को सब याद है , हम साला करे तो का करे सच भी नहीं बता सकते , बता दिया तो कही ऐसा ना हो सब शगुन भाभी को गलत समझने लगे और उन्हें घर से निकाल दे,,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं गोलू ऐसा कुछो नहीं करना है दिमाग लगाओ , कुछो उपाय निकालो यार ऐसे तो सब गड़बड़ हो जाएगी,,,,,,,,,,,,,!!!
सोच में डूबे गोलू को ध्यान नहीं रहा और उसने स्कूटी ले जाकर बाबू के ठेले में ठोक दी , गनीमत था किसी कोई का कोई नुकसान नहीं हुआ। गोलू ने बाबू को सॉरी बोला और जैसे ही जाने लगा बाबू ने कहा,”अरे गोलू भैया सुनो”
“का बाबू ?”,गोलू ने पलटकर कहा तो बाबू उसके पास आया और कहने लगा,”उह शाम में पिंकी आयी थी , तुम्हाये बारे में पूछ रही थी और कह रही थी की कल शाम 3 बजे उह तुम्हारा मोती झील पर इंतजार करेगी”
“अब उसको का हुआ है , अच्छा ठीक है हमहू जाकर मिल लेंगे अभी चलते है”,कहते हुए गोलू ने स्कूटी स्टार्ट की तो बाबू ने कहा,”गुड्डू भैया कैसे है ?”
“अभी ठीक है”,गोलू ने कहा और वहा से चला गया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!!

इस एक घटना के बाद से सब बदल चुका था। हमेशा गड़बड़ करने वाला गोलू अब सीरियस हो चुका था। मिश्रा जी जो बात बात पर गुड्डू और गोलू की क्लास लगाते थे अब उन दोनों को लेकर नरम पड़ चुके थे , शगुन खामोश हो चुकी थी और पिंकी बदल चुकी थी। गोलू हॉस्पिटल पहुंचा और बैग रख दिया। रात को डॉक्टर के राउंड के बाद गोलू और मिश्रा जी गुड्डू को देखने अंदर गए। गुड्डू की हालत में अब काफी सुधार था , मिश्रा जी और गोलू थोड़ी देर वहा रुके और फिर बाहर चले आये। गोलू मिश्रा जी को लेकर हॉस्पिटल की केंटीन में लेकर चला गया वहा दोनों ने खाना खाया और वापस आकर ICU के पास वाले कमरे आकर लेट गए। गोलू के दिमाग में एक साथ ढेर सारी बाते चल रही थी , शगुन की प्रेग्नेंसी , गुड्डू की यादाश्त , शगुन गुड्डू का प्यार , उनकी शादी , मिश्राइन से किया वादा और पिंकी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पिंकी ने गोलू को मिलने क्यों बुलाया होगा गोलू इसी बारे में सोच रहा था। मिश्रा जी दिनभर की थकान से सो चुके थे , गोलू को नींद नहीं आयी तो वह बाहर चला आया और टहलने लगा।

बनारस , उत्तर-प्रदेश
बस आकर बस स्टेण्ड रुकी , शगुन को नींद आ चुकी थी और उसका सर पारस के कंधे पर था। पारस ने धीरे से शगुन को उठाया और दोनों बस से उतरे। शगुन बदहवास सी पारस के साथ चली जा रही थी , जहन में बस गुड्डू का ख्याल था और सीने में एक कसक। पारस ने ऑटो रुकवाया और शगुन के साथ आ बैठा और हॉस्पिटल चलने को कहा “
“हॉस्पिटल क्यों ?”,शगुन ने सवाल किया
“तुम्हारे पापा को पता चला की तुम इस हालत में कानपूर गयी हो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा , पहले हॉस्पिटल चलते है कल सुबह वहा से डिस्चार्ज लेकर घर चले जायेंगे”,
“हम्म्म्म”,शगुन ने कहा
पारस ने ऑटो वाले को हॉस्पिटल चलने को कहा। कुछ देर बाद ही रिक्शा आकर हॉस्पिटल के सामने रुका शगुन और पारस हॉस्पिटल में चले आये। पारस की अच्छी जानकारी होने की वजह से उस से किसी ने कुछ पूछताछ नहीं की। अपने रूम में आकर पारस ने शगुन को बैठने को कहा और खुद कमरे से बाहर चला आया। शगुन ने दिवार पर लगी घडी में देखा सुबह के 3 बज रहे थे। शगुन गुड्डू के बारे में सोच रही थी की पारस अपने हाथ में दो कप चाय ले आया और एक शगुन की और बढ़ा दिया। शगुन ने चाय ली तो पारस कुछ ही दूर बेड के सामने पड़ी चेयर पर बैठ गया और कहा,”आगे का क्या सोचा है शगुन ?”
“ये सब क्यों हुआ पारस ?”,शगुन ने आँखों में आंसू भरकर कहा
“जो हो चुका उसके बारे में सोचकर अपना दिल मत दुखाओ शगुन , तुम्हारे पापा , प्रीति और मैं हम सब तुम्हारे साथ है”,पारस ने कहा
“पर गुड्डू जी नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए शगुन की आँखो की आंसू निकलकर गालों पर आ गए। पारस को ये देखकर अच्छा नहीं लगा तो उसने कहा,”गुड्डू अभी इस हालत में नहीं है शगुन की तुम्हारा दर्द समझ सके , वो अपनी शादी भूल चुका है अभी कोई भी ऐसा कदम मत उठाना जिस से उसकी या तुम्हारी जिंदगी में प्रॉब्लम बढ़ जाये।”,पारस ने कहा
“तुम मेरा दर्द नहीं समझ सकते पारस,,,,,,,,,,,,,,और तुम क्या कोई नहीं समझ सकता ?,,,,,,,,,,,,,,,,,जिस से हम बहुत प्यार करते है उसका दूर जाना क्या होता है ये तुम नहीं समझ सकते,,,,,,,!!!”,शगुन ने दर्द भरे स्वर में कहा
पारस ने शगुन की बात सुनी तो उसके चेहरे की और देखने लगा और मन ही मन खुद से बोल पड़ा,”तुमने ये कैसे मान लिया शगुन की मैं तुम्हारा दर्द नहीं समझ सकता , आज तुम जिस दर्द से गुजर रही हो उस से कुछ महीनो पहले मैं गुजर चुका हूँ”
शगुन ने अपने आंसू पोछे और बिना पिए ही चाय का कप रख दिया। उदास सी बैठी वह कमरे की दिवार को घूरती रही। पारस उठा और उसके पास आकर कहा,”थोड़ी देर के लिए सो जाओ शगुन आराम मिलेगा”
शगुन वही बिस्तर पर लेट गयी। पारस ने उसे चददर ओढ़ाया और कमरे से बाहर निकल गया !

क्रमश – मनमर्जियाँ – S6

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संजना किरोड़ीवाल

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