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मनमर्जियाँ – S3

Manmarjiyan – S3

Manmarjiyan S2 - 3

बनारस , उत्तर-प्रदेश
मिश्रा जी को ICU के बाहर बैठा देखकर गोलू चाय ले आया और उनकी बगल में बैठकर एक कप उनकी और बढ़ा दिया। मिश्रा जी ने गोलू के हाथ से चाय ली और पीते हुए गोलू से कहने लगे,”गोलू एक बहुत ही जरुरी काम सौंपना चाहते है तुमको करोगे ?”
“कहिये ना जरूर करेंगे”,गोलू ने कहा
“शगुन को लेने जाना है , गुप्ता जी से बात हुई थी उन्होंने बताया की शगुन ठीक है लेकिन बार बार गुड्डू से मिलने की जिद कर रही है। हमहू भी लगता है की शगुन को यहाँ होना चाहिए गुड्डू के पास , तो आज शाम तुमहू चले जाओ बनारस उनको लेने”,गुप्ता जी ने कहा
“हां हम चले जायेंगे पर उस से पहले घर जाकर आएंगे”,गोलू ने कहा
“हां घर जाओ , घरवालों से मिले थोड़ा आराम करो फिर चले जाना”,मिश्रा जी ने कहा
गोलू चाय पीने लगा गुड्डू के चककर में वह शगुन को तो भूल ही गया था उसने चाय पि और शगुन का हाल चाल जानने का सोचकर जेब से अपना फोन निकाला जो की शादी के दौरान स्विच ऑफ हुआ था और तबसे बंद ही पड़ा था। गोलू ने उसे वापस जेब में डाल लिया। सुबह होते ही गोलू घर चला गया। उसके पिताजी घर के बाहर दरवाजे पर ही मिल गए गोलू को देखते ही उन्होंने सवाल किया,”अब गुड्डू कैसा है ?”
“खतरे से बाहर है लेकिन अभी ठीक से होश में नहीं आया है”,गोलू ने उतरे हुए चेहरे के साथ कहा
“दोस्त के चक्कर में घर की सुध भी नहीं तुमने गोलू , चलो अंदर आओ तुम्हायी अम्मा परेशान हो रही थी तुम्हारे लिए”,गोलू के पिताजी ने आज बिना गोलू
पर गुस्सा किये शांत भाव से कहा। गोलू अंदर चला आया उसे देखते ही उसकी अम्मा उसके पास आयी और उसका चेहरा अपने हाथो में थामकर कहने लगी,”कहा था तू इतने दिन से और तुम्हाये पिताजी बताय रहे गुड्डू के बारे में , कैसा है उह ठीक तो है ना ?”
“गुड्डू भैया ठीक नहीं है अम्मा बहुते चोट आयी है उनको , डाक्टर ने कहा है उह खतरे से बाहर है लेकिन ठीक होने में वक्त लगेगा”,गोलू ने दुखी स्वर में कहा
“और उसकी दुल्हिन उह कहा है ? हम जे भी सुने रहे की उह भी भर्ती है अस्पताल में”,गोलू की माँ ने पूछा
“शगुन भाभी और गुड्डू भैया का साथ ही एक्सीडेंट हुआ था अम्मा , गुड्डू भैया की तबियत ज्यादा खराब थी तो मिश्रा जी उन्हें यहाँ कानपूर ले आये और भाभी वही बनारस के हॉस्पिटल में भर्ती रही , अम्मा हम नहाकर आते है तुमहू कुछो खाने को बनाय दयो”,गोलू ने सवालो से बचने के लिए कहा
“हां तुमहू जाकर नहाओ हम बनाते है”,कहते हुए गोलू की अम्मा रसोई की और चली गयी। गोलू ने अपने कमरे में आकर कपडे लिए और नहाने चला गया
गोलू नहाकर आया नाश्ता किया। नाश्ता करते हुए गोलू को पिंकी का ख्याल आया कितने दिन से उसने पिंकी को देखा तक नहीं था। उसने अपना फोन चार्जिंग पर लगाया हुआ था। नाश्ता करने के बाद गोलू अपना फोन लिया और बिना उसे ऑन किये ही जेब में डाल लिया। घर से अपनी स्कूटी लेकर निकला नुक्कड़ पर उसने देखा पिंकी रिक्शा से उतर रही थी।
गोलू ने स्कूटी लाकर उसके सामने रोकी और कहा,”कहा से आ रही हो तुम ?”
गोलू को देखकर पिंकी का दिल किया उसके गले आ लगे लेकिन नाराजगी इतनी थी की उसने गुस्से में गोलू को देखा और अपना बैग उठाये आगे बढ़ गयी। गोलू को कुछ समझ नहीं आया उसने स्कूटी साइड में रोकी और पैदल ही पिंकी के पीछे आते हुए कहा,”पिंकी ए पिंकिया का हुआ गुस्सा काहे हो ?”
पिंकी पलटी और अपना बैग गुस्से में जमीन पर डालकर गोलू से कहा,”कहा थे तुम इतने दिन से ? तुम्हे फोन करो तो फ़ोन बंद , जब मैं तुमसे बात नहीं करना चाहती थी तब तुम मेरे आगे पीछे घूमते थे और आज जब मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ , बात करना चाहती हूँ तो तुम गायब हो”
“गुड्डू भैया हॉस्पिटल में है,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने धीरे से कहा
“क्या ?,,,,,,,,,,,,,,,,,कैसे ? क्या हुआ है गुड्डू को ?”,पिंकी ने घबराकर कहा
गोलू ने पिंकी को गुड्डू और शगुन के एक्सीडेंट के बारे में बताया तो पिंकी का दिल बैठ गया उसने कहा,”शगुन कैसी है ?”
“भाभी अब ठीक है”,गुड्डू ने उदास भरे स्वर में कहा।
“गुड्डू के साथ ये सब अच्छा नहीं हुआ गोलू , उसने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा फिर उसके साथ ही ये सब क्यों ?”,पिंकी ने दुखी होकर कहा
“तुम कहा से आ रही हो ?”,गोलू ने पूछा
“गोलू से इस वक्त अपने प्यार के बारे में बात करना ठीक नहीं रहेगा मुझे सही वक्त का इंतजार करना चाहिए”,पिंकी ने मन ही मन खुद से कहा और फिर गोलू की तरफ देखकर कहा,”लखनऊ से आ रहे है , मामा के घर गए थे कुछ दिन के लिए”
“हम्म्म घर जा रही हो ?”,गोलू ने सवाल किया
“चलो हम छोड़ देते है”,गोलू ने कहा और फिर पिंकी का बैग उठाकर उसके साथ अपनी स्कूटी पर चल पड़ा। गोलू के पीछे बैठी पिंकी मन ही मन कहने लगी,”सोचा था तुमसे मिलकर अपने दिल की सारी बाते कह दूंगी लेकिन ये सही वक्त नहीं है गोलू , गुड्डू जल्दी से ठीक हो जाये , उसकी और शगुन की लाइफ पहले जैसी हो जाये इसके लिए महादेव से प्रार्थना करेंगे हम”
“तुमसे कहने के लिए बहुत कुछ है हमाये मन में पिंकी पर जे वक्त सही नहीं है हमाये लिए पहले गुड्डू भैया है बाकि सब बाद में , उनको इस हालत में देखकर कितना दुःख हो रहा है हम ही जानते है , एक बार वो ठीक हो जाये , भाभी से अपने दिल की बात कह दे उसके बाद हम तुमसे अपने प्यार का इजहार कर देंगे। आज गुड्डू भैया के लिए तुम्हारी परवाह देखकर हम समझ गए की तुमहू बदल चुकी हो पिंकिया,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!
दोनों खामोश मन ही मन एक दूसरे के लिए सोचते जा रहे थे गोलू ने गली के नुक्कड़ पर आकर स्कूटी रोकी तो पिंकी ने कहा,”गोलू यहाँ नहीं घर के सामने छोड़कर आओ”
“लेकिन तुम्हाये मोहल्ले वाले ? वो तुमको हमाये साथ देख्नेगे तो,,,,,,,,,,,,,,,,!”,गोलू ने कहा
“कोई देखे , कुछ भी कहे तुम चलो”,पिंकी ने गोलू के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहा ,, इन तीन दिनों में गोलू पहली बार मुस्कुराया था। उसने स्कूटी बढ़ा दी और पिंकी के घर के सामने लाकर रोक दी। पिंकी उतरी पर गोलू के सामने आकर कहा,”चिंता मत करो गुड्डू को कुछ नहीं होगा वो ठीक हो जाएगा , अपना ख्याल रखना” कहते हुए ना जाने पिंकी में कहा से हिम्मत आयी और उसने गोलू को हल्का सा गले लगा लिया और अपना बैग लेकर घर के अंदर चली गयी। गनीमत था मोहल्ले में किसी ने देखा नहीं था लेकिन ऊपर छत पर खड़े पिंकी के पापा ने देख लिया गुस्से से वे नीचे आये तब तक गोलू वहा से जा चुका था। पिंकी के पापा ने आकर पिंकी की बांह पकड़कर उसे अपनी और करते हुए कहा,”इह सब का है पिंकी ? मोहल्ले के बीच में उस लड़के को गले लगा रही हो तुम में थोड़ी बहुत शर्म है या नहीं ,, वो दो कोड़ी के गुप्ता का लड़का ही मिला तुम्हे इश्क़ लड़ाने के लिए”
“पापा हम गोलू से प्यार करते है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने हिम्मत करके सजह भाव से कहा
“सटाक!!!!”,एक थप्पड़ आकर पिंकी के गाल पर लगा और उसके पापा ने कहा,”अपने बाप के सामने ऐसे बात करते हुए शर्म नहीं आती तुझे ?”
“पापा हम गोलू को पसंद करते है और उसी से शादी भी करेंगे”,पिंकी ने आँखों में गुस्सा भरकर कहा और वहा से चली गयी। शर्मा जी को उसकी आँखों में बगावत साफ नजर आ रही थी।

बनारस , उत्तर-प्रदेश
सुबह जब शगुन की आँख खुली तो उसने खुद को हॉस्पिटल के कमरे के बेड पर पाया। पास ही कुर्सी पर पारस बैठा था। शगुन को देखकर पारस ने कहा,”अब कैसी तबियत है तुम्हारी ?”
“गुड्डू जी कहा है ?”,शगुन ने बेचैनी से पहला सवाल किया
“शगुन तुम आराम करो मैं तुम्हारे लिए चाय ले आता हूँ”,पारस ने उसके सवाल को इग्नोर करते हुए कहा
“पारस मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे बस इतना बताओ की गुड्डू जी कहा है ?”,शगुन ने तेज आवाज में कहा
“शगुन तुम अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुई हो,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम तुम बैठो प्लीज”,पारस ने बिस्तर से नीचे उतरी शगुन को वापस बैठाते हुए कहा
“पारस मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज मुझे बताओ गुड्डू जी कहा है ? उन्हें क्या हुआ है ?”,शगुन ने लगभग रोते हुए कहा तो पारस का दिल पिघल गया और उसने कहा,”गुड्डू कानपूर में है शगुन , तुम्हारे साथ उसका भी एक्सीडेंट हुआ था लेकिन बहुत ज्यादा सीरियस होने की वजह से उसके घरवाले उसे कानपूर लेकर चले गए”
शगुन ने सूना तो उसका दिल बैठ गया , आँखे पथरा गयी हो जैसे , आँसू झर झर बहने लगे। उसने पारस की तरफ देखा और कहा,”मुझे उनसे मिलना है , मुझे अभी उनके पास जाना है देखना है वो किस हाल में है,,,,,,,,,,,,जब तक मैं उन्हें देख नहीं लेती उनसे बात नहीं कर लेती मुझे चैन नहीं आएगा,,,,,,,,,,,,,पारस प्लीज मुझे गुड्डू जी से मिलना है मुझे उनके पास लेकर चलो”
शगुन को देखकर पारस को अहसास हुआ की वह गुड्डू से कितना प्यार करती है लेकिन इस वक्त वह शगुन को लेकर नहीं जाना चाहता था उसने शगुन को समझाते हुए कहा,”शगुन हम लोग जल्दी ही वहा जायेंगे लेकिन अभी नहीं”
“मुझे अभी जाना है पारस , तुम समझ नहीं रहे हो मेरा उनसे मिलना कितना जरुरी है। उस दिन वो मुझे कुछ बताने वाले थे,,,,,,,,,,,,,,,,,प्लीज पारस मुझे गुड्डू जी पास लेकर चलो मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ मुझे उनसे मिलना है,,,,,,,,,,,,,,,मुझे उनसे बात करनी है , प्लीज मुझे उनके पास लेकर चलो,,,,,,,,,प्लीज पारस,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे हमारी दोस्ती का वास्ता,,,,,,,,,!!!”
कहते हुए शगुन रो पड़ी और घुटनो के बल जा बैठी पारस से उसकी ये हालत देखी नहीं गयी वह शगुन के सामने बैठा और उसे सम्हाला और अपने सीने से लगा लिया। पारस सब देख सकता था लेकिन शगुन की आँखों में आंसू नहीं। पारस के सीने से लगी शगुन ने रोते हुए कहा,”मुझे गुड्डू जी के पास जाना है पारस,,,,,,,,,,,,,,,एक बार उनसे मिलने चलो प्लीज मैं जिंदगी में कभी कुछ नहीं मांगूंगी,,,,,,,,,,,,,बस मुझे गुड्डू जी मिलना है उन्हें देखना है,,,,,,,,,!!!”
“हां शगुन मैं तुम्हे लेकर चलूँगा”,पारस ने उसका सर सहलाते हुए कहा
शगुन ने अपने आंसू पोछे और पारस से दूर होकर कहा,”अभी चलो प्लीज”
“हम्म्म तुम हाथ मुंह धो लो मैं तुम्हारे डॉक्टर से बात करके आता हूँ”,पारस ने शगुन को जमीन से उठाते हुए कहा और फिर कमरे से बाहर चला गया। शगुन बाथरूम में आयी और मुंह धोया। शीशे में खुद को देखा आँखे लाल और सूजी हुई , चेहरा मुरझाया हुआ था। शगुन कुछ देर खुद को शीशे में देखती रही फिर जैसे ही गुड्डू का ख्याल आया उसकी आँखों में आंसू आ गए और वह बाथरूम से बाहर चली आयी। कुछ देर बाद ही पारस आया और कहा,”डॉक्टर ने तुम्हे जाने की परमिशन दे दी है चलो”
शगुन पारस के पास आयी और उसका हाथ थामकर कहा,”थैंक्यू पारस थैंक्यू सो मच”
पारस ने कुछ नहीं कहा और शगुन को लेकर वहा से चला गया। दोनों बस स्टेण्ड आये पारस ने कानपूर की दो टिकिट ली और दोनों बस में आ बैठे। शगुन के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे , सीधी मांग में बनाये बालो से लटे निकलकर उसके चेहरे पर झूल रही थी , होंठ सुख चुके थे , आँखों में अब भी लालिमा बाकि थी और वह एकटक बस सामने देखे जा रही थी। कानपूर जाने के बारे में पारस ने किसी को कुछ नहीं बताया , बताता तो शायद और परेशानी हो जाती इसलिए उसने किसी से कुछ नहीं कहा और अकेले ही शगुन के साथ कानपूर के लिए चल पड़ा। बनारस से कानपूर जाने में 6 घंटे का वक्त लगने वाला था। शगुन को खामोश देखकर पारस भी खमोश हो गया और सर सीट से लगा लिया आँखों के सामने शगुन का चेहरा आने लगा।

कानपूर , उत्तर-प्रदेश
दोपहर का समय डॉक्टर ने गुड्डू के कुछ टेस्ट करवाए और जब रिपोर्ट आयी तो डॉक्टर के चेहरे पर परेशानी उभर आयी उसने साथ वाले डॉक्टर को गुड्डू की रिपोर्ट दिखाई और आपस में डिस्कस करने लगे।
गुड्डू को होश आ गया था ICU लेटा वह अधखुली आँखों से वहा मौजूद चीजों को लोगो को देख रहा था। उसने पास खड़ी नर्स से कहा,”पानी चाहिए”
“हम्म्म रुको पिलाती हूँ”,नर्स ने कहा और कुछ देर बाद गुड्डू के लिए पानी ले आयी उसने सहारा देकर गुड्डू को उठाया और पानी पिलाया। गला तर हुआ तो गुड्डू को थोड़ा आराम मिला। उसके सर से आधे से ज्यादा बाल काटे जा चुके थे और पट्टिया बंधी हुई थी। आज पांचवा दिन था और गुड्डू की हालत में कुछ सुधार भी था। गुड्डू वापस लेट गया सर में लगे टांको की वजह से थोड़ा दर्द हो रहा था।
कुछ देर बाद डॉक्टर आया और गुड्डू का ट्रीटमेंट देखते हुए उसे मशीनों से आजाद करने को कहा , मिश्राइन की दुआओ का असर था की अब गुड्डू पहले से थोड़ा ठीक था दो दिन उसे अभी भी ICU में रहना था बस हाथ के अंगूठे में मॉनिटर लगा हुआ था। गुड्डू ने आँखे मूँद ली। सभी रिपोर्ट्स देखने के बाद एक रिजल्ट सामने आया डॉक्टर बाकि रिपोर्ट्स को सेट करने लगा। मिश्राइन , वेदी और गोलू घर से हॉस्पिटल चले आये। मिश्राइन ने गुड्डू से मिलने की बात की तो डॉक्टर ने उन्हें मिलने की परमिशन दे दी। अब तक डॉक्टर के साथ मिश्रा जी भी थोड़ा फ्रेंक हो चुके थे। गोलू बाहर ही रुक गया और बाकि तीनो को अंदर जाने दिया। वेदी ने अपने भाई को इस हालत में देखा आँखों में आंसू भर आये । मिश्राइन ने आकर प्यार से गुड्डू का हाथ सहलाया ,, गुड्डू ने आँखे खोली देखा पास मिश्राइन खड़ी है तो उनका हाथ थामकर कहा,”अम्मा , हमे घर जाना है,,,,,,,,,,,,,हमे यहाँ बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है”
“हां बिटवा चलेंगे , घर चलेंगे बस तुमहू जल्दी से ठीक हो जाओ फिर चलते है”,मिश्राइन ने कहा खुद को बात करते देखकर मिश्राइन को अच्छा लग रहा था
“कैसे हो बेटा ?”,मिश्रा जी ने बड़े प्यार से पूछा
“पिताजी हमायी कोई गलती नहीं है जे सब कैसे हुआ ? हम सच कह रहे है”,मिश्रा जी की डांट के डर से गुड्डू ने कहा तो मिश्रा जी उसके पास आये और कहा,”कुछो कहने की जरूरत नहीं है , तुमहू आराम करो”
“हम ठीक है बस हमे घर ले चलो”,गुड्डू ने कहा तो मिश्रा जी ने हामी में गर्दन हिला दी।

ICU के बाहर खड़ी शगुन नर्स से अंदर जाने की जिद कर रही थी लेकिन नर्स ने उसे नहीं जाने दिया। गोलू डॉक्टर के केबिन से बाहर आया तो नजर शगुन पर पड़ी वह दौड़कर उसके पास आया। शगुन ने गोलू को देखा तो रोते हुए कहने लगी,”देखिये ना गोलू जी ये मुझे अंदर नहीं जाने दे रही है , आप कहिये ना इनसे”
“हां हां भाभी हम बोलते है”,कहते हुए गोलू नर्स के पास आया और उस से कहा,”देखो सिस्टर जे हमायी भाभी है और गुड्डू भैया की पत्नी है , रिक्वेस्ट है आपसे जाने दीजिये”
“लेकिन अंदर एक साथ इतने लोगो का जाना अलाउड नहीं है”,नर्स ने अपनी मज़बूरी बताई
“हम बाकि सब को बाहर ले आएंगे एक बार इनको अंदर जाने दीजिये प्लीज”,गोलू के कहने पर और शगुन को रोता देखकर नर्स ने उसे अंदर जाने दिया। गुड्डू बेड का सहारा लिए अधलेटा ही था की शगुन ने आकर कहा,”गुड्डू जी,,,,,,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने शगुन को देखा और फिर मिश्रा जी की और देखकर कहा,”जे कौन है पिताजी और हमारा नाम कैसे जानती है ?”
मिश्रा जी , मिश्राइन और वेदी ने गुड्डू के मुंह से ये बात सुनी तो हैरानी से उसकी और देखने लगे , शगुन ने सूना तो उसका दिल टूट गया और आँखों आँसू गालों पर लुढ़क आये।

क्रमश – मनमर्जियाँ – S4

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संजना किरोड़ीवाल

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