मनमर्जियाँ – S25
Manmarjiyan – S25
मनमर्जियाँ – S25
गुड्डू को पहली बार मिश्रा जी के साथ इतना वक्त बिताने का मौका मिला था। गुड्डू तो इस बात से ही खुश हो गया लेकिन जब मंदिर वाली बात याद आयी तो परेशान हो गया। गुड्डू अपने कमरे में चला आया , कमरे में आते ही फिर शगुन के बारे में सोचने लगा। चाहकर भी वह शगुन का ख्याल अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रहा था वह कमरे की खिड़की के पास आकर खड़ा हो गया और बाहर गली में देखने लगा। गली में कोई चहल नहीं थी बस स्ट्रीट लाईटे जल रही थी और थोड़ी थोड़ी देर में इक्का दुक्का साईकल रिक्शा वहा से गुजर रहे थे। गुड्डू बड़बड़ाने लगा,”जे सब का है हम उनके बारे में इतना काहे सोच रहे है ? कल रात जो हुआ उह हमने जान बुझकर तो नहीं ना किया बस हो गया और माफ़ी मांगते हम पर उस पहिले ही उह चली गयी। मंदिर में उह लड़का लड़की को देखकर काहे लगा जैसे हम भी पहिले वहा जा चुके हो। जे कुछ चीजे ना अब समझ से बाहर हो रही है हमाये ,, हमाये इन सवालो का जवाब ना सिर्फ एक ही इंसान दे सकता है वो है गोलू,,,,,,,,,,,,,,,,,पर ना जाने कहा मरा पड़ा है उह ? अभी फोन होता हमाये पास तो गोलू को फोन मिलाते ना हम और बुलाते यहाँ लेकिन फोन भी,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“गुड्डू भैया,,,,,,,,,,,,,,!!”,तभी वेदी ने कमरे में आते हुए कहा
“हां वेदी का हुआ ?”,गुड्डू धीरे धीरे चलकर उसकी तरफ आया तो वेदी ने गुड्डू का फोन उसकी तरफ करके कहा,”कुछो नहीं हुआ है हम तो बस आपका फोन देने आये थे , आज शोरूम से चाचा देकर गए थे। गाड़ी की सर्विस करवाने गए थे तब गाड़ी में मिला था दो दिन से आपको देना चाह रहे थे लेकिन आना नहीं हुआ ,,आज शाम में हम गए थे अपनी सहेली के साथ तब हमे दे दिया ,, जे लो अपना फोन”
गुड्डू ने अपना फोन देखा तो ख़ुशी से चेहरा खिल उठा और कहा,”अरे बहुते सही बख्त पर आयी वेदी हमहू न अपने फोन के बारे में ही सोच रहे थे”
गुड्डू को उसका फोन देकर वेदी चली गयी गुड्डू ने फटाफट से फोन का लॉक खोला और जैसे ही गोलू को फोन लगाने लगा देखा आखरी बार उसने शगुन को फोन किया था। गुड्डू हैरान था उसके फोन में शगुन के नाम से नंबर कैसे आया सोचकर उसने कॉल्स चैक किये एक नहीं कई सारे फोन उसने शगुन को किये थे। अब तो गुड्डू की टेंशन और बढ़ गयी , वह आकर बिस्तर पर बैठ गया। गुड्डू को कुछ समझ नहीं आ रहा था उसने शगुन का नंबर निकाला और मन ही मन सोचने लगा,”फोन लगाकर देखते है इनका नंबर हमाये फ़ोन में आया कैसे ?”
गुड्डू ने शगुन का नंबर डॉयल किया लेकिन शगुन की किस्मत आज अच्छी थी की उसका फोन नेटवर्क में नहीं था।
“जे नंबर तो लग ना रहो है , छोडो गोलू को फोन करके पूछते है कहा है वो ?”,कहते हुए गुड्डू ने गोलू का नंबर निकाला और उसे फोन लगाया। दो रिंग जाने के बाद ही गोलू ने फ़ोन उठा लिया और कहा,”हेलो हां गुड्डू भैया इति रात में काहे फोन किया ?”
“गोलू साले तिकड़मबाज कहा मरे पड़े हो ? घर काहे नहीं आते ?”,
गुड्डू ने गुस्सा होते हुए कहा
“अरे भैया बिजी थे थोड़ा , बताओ का हुआ ?”,गोलू ने कहा
“हो कहा तुम जे बताओ ? हमे ना तुमको बहुत कुछ बताना है”,गुड्डू ने कहा
“हम बनारस में है”,जल्दी जल्दी में गोलू के मुंह से निकल गया सामने खड़ी शगुन ने सर पर हाथ दे मारा। गोलू ने देखा तो उसे समझ आया की गुड्डू को सच नहीं बताना था वह अपनी बात बदल पाता इस से पहले ही गुड्डू बोल पड़ा,”बनारस में का कर रहे हो बे ? वो भी अकेले , साले हमको पूछा तक नहीं , यही थी तुम्हायी दोस्ती”
“अरे भैया कोई रिश्तेदार सुलट गयी उसी के लिए आये है”,गोलू कुछ भी बोले जा रहा था
“का रिश्तेदार ? कौन रिश्तेदार बे तुम्हाये तो सारे रिश्तेदार या तो कानपूर में है या कानपूर के आसपास , बनारस में तो तुम्हरा दूर दूर तक कोई रिश्तेदार नहीं है , गोलू लपेटे में ना लो हमे सच सच बताओ का कर रहे हो वहा ?”,गुड्डू ने कहा
“अरे भैया सच में हम झूठ काहे बोलेंगे , पिताजी के कोई दूर के रिश्तेदार होंगे खुद नहीं आये अब हमहू थे वेले तो हमे भेज दिया”,गोलू ने कहा
गुड्डू को गोलू की बातो पर थोड़ा थोड़ा यकीन होने लगा तो उसने नरम होकर कहा,”अच्छा जे बताओ वापस कब आओगे ?”
“दुई दिन में आ जायेंगे”,गोलू ने कहा
“यार तुम भी नहीं हो उह भी चली गयी”,गुड्डू ने उदास होकर कहा तो गोलू ने फोन स्पीकर पर डालकर शगुन की और करके पूछा,”उह कौन ?”
“अरे वो हमाये पिताजी के दोस्त की बिटिया आयी थी ना हमाये घर उसकी बात कर रहे है”,गुड्डू ने कहा शगुन ने सूना तो मुस्कुरा उठी लेकिन गोलू ने शगुन को चुप रहने का इशारा किया और फिर गुड्डू से कहा,”उह काहे चली गयी ?”
“यार गोलू हमसे ना एक ठो गलती हो गयी”,गुड्डू ने थोड़ा धीमी आवाज में कहा
“का किये ?”,गोलू ने पूछा
“वो हम ना पिछली रात उनके साथ ही बैठे थी सीढ़ियों पर , हमायी अच्छी बन रही थी उनसे बातें वाते भी हो रही थी। उनको नींद आयी तो उह हमाये कंधे पर सर रखकर सो गयी उन्हें उठाने के चक्कर में हमाये होंठ उनके गाल से लग गए और उनको लगा हमने जानबूझकर जे किया। इसी बात से नाराज होकर वो चली गयी , हम तो उनसे सॉरी भी नहीं बोल पाए”,गुड्डू ने डरते डरते गोलू को बता दिया। उधर शगुन और गोलू ने सूना तो दोनों दबी हंसी हसने लगे , गुड्डू की इस मासूमियत ओर शगुन को उस पर और प्यार आने लगा।
“हम जानबूझकर नहीं किये है गोलू कसम से”,गुड्डू ने फिर कहा तो गोलू ने अपनी हंसी रोकी और कहने लगा,”देखो भैया ऐसा है उनको भी पता है की तुमहू जान बूझकर नहीं किये , अगर उनको बुरा लगता ना तो उह मिश्रा जी से कह देती जे सब ,, और रही बात जाने की तो हो सकता है अपने घर गयी हो तुमहू ना जियादा टेंशन ना लो , मिलते है हम आकर तुमसे”
“अरे गोलू सुनो एक बात और बतानी है तुमको , आज ना पिताजी हमे बाहर घुमाने ले गए थे”,गुड्डू ने खुश होकर कहा
“का ? सच्ची , हम नहीं मानते”,गोलू को जैसे अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हुआ हो
‘अरे सच में गोलू हमे घुमाने लेकर गए हमाये साथ मुरली के यहाँ पावभाजी भी खाई , आज तो पिताजी ने खुश कर दिया हमे”,गुड्डू ने ख़ुशी से भरकर कहा
“सही है मिश्रा जी का भी मतलब प्यार तो बहुत करते है तुमसे बस बताते नहीं है”,गोलू ने कहा
“हां गोलू हम ना खामखा पिताजी को सख्त समझते थे अरे उह तो मक्खन है मक्खन,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने इतना ही कहा था की तभी दरवाजे पर खड़े मिश्रा जी की आवाज आयी,”गुड्डू इतनी रात में किस से बात कर रहे हो ?”
“गोलु है पिताजी”,गुड्डू ने कहा , उधर गोलू के कानो में मिश्रा जी की रौबदार आवाज पड़ चुकी थी
“उस बैल से बात करके रात काली करने से अच्छा है जाकर सो जाओ”,मिश्रा जी ने कहा
“जी जी पिताजी”,गुड्डू ने कहा तो मिश्रा जी चले गए दूसरी और गोलू को भी अपनी बेइज्जती भरे शब्द सुन चुके थे इसलिए उसने कहा,”देख लिया इन्हे मक्खन कह रहे थे। हम दोनों जमीन पर आसमान भी ले आये ना तब भी तुम्हाये पिताजी की नजर मे रहेंगे बैल ही , चलो रखते है हम फोन कल करते है”
“अरे गोलू सुनो तो”,गुड्डू ने कहा लेकिन गोलू ने फोन काट दिया और सोने चला गया। गुड्डू ने भी फोन साइड में रखा और आकर बिस्तर पर लेट गया थोड़ी देर बाद उसे भी नींद आ गयी।
बनारस , उत्तर-प्रदेश
सुबह शगुन और गोलू जब गेस्ट हॉउस जाने लगे तो प्रीति ने कहा,”दी मैं भी आप लोगो के साथ चलती हूँ , मैं भी आप दोनों की हेल्प करवा दूंगी”
“प्रीति जी काम करने के लिए हमने स्टाफ रखा है आप खुद को तकलीफ मत दीजिये”,गोलू ने कहा
“क्या ? लाइन मार रहे हो मुझपे ?”,प्रीति ने गोलू को घूरते हुए कहा
“जरूरत ही नहीं है हम पहिले से बुक है”,गोलू ने इतराते हुए कहा
“ये कब हुआ ?”,प्रीति ने कहा
“जे न बहुते लम्बी कहानी कभी फुर्सत में सुनाएंगे?”,गोलू ने कहा तो प्रीति ने उसके सामने आकर कहा,”इसलिये तो कह रही हूँ की मुझे भी साथ लेकर चलो , अपना काम भी कर लेना और मुझे अपनी लव स्टोरी भी सूना देना ,, हैं ना अच्छा आईडीआ”
“अमा यार बहुते जान खाती हो यार तुम चलो”,गोलू ने कहा तो प्रीति भी शगुन और गोलू के साथ चली आयी। रोहन अपने कमरे के गेट पर खड़ा प्रीति को जाते हुए देखता रहा , दरअसल प्रीति ने जॉब छोड़ दी थी और ये बात वो शगुन को बताना नहीं चाहती थी इसलिए छुट्टी होने का बहाना करके वह उन लोगो के साथ निकल गयी। रोहन प्रीति को चाहने लगा था लेकिन अपने प्यार का इजहार कर पाता इस से पहले ही प्रीति और उसके बीच गलतफहमी पैदा हो गयी
शगुन प्रीति और गोलू गेस्ट हॉउस के लिए निकल गए। गोलू प्रीति को ऐसे ही बढ़चढ़कर झूठी झूठी कहानी सूना रहा था और प्रीति ने यकीन भी कर लिया। तीनो गेस्ट हॉउस पहुंचे गोलू का स्टाफ वहा आ चुका था गोलू ने उन्हें सारे काम समझा दिए और फिर शगुन से कहा,”भाभी बाकि सब तैयारियां हम देख लेंगे आप ना जे फूल वाले से कहकर जहा जहा लड़िया लगवानी है वो लगवादो”
“ठीक है मैं करवा दूंगी”,शगुन ने कहा
“और मैं क्या करू ?”,प्रीति ने पूछा
“आप ना जाकर खाये पिए मौज करे , काम हम सम्हाल लेंगे”,गोलू ने कहा और चला गया
“दी ये आपके गोलू जी बड़े जिम्मेदार बन गए है मतलब जिस गोलू से मैं शादी में मिली थी वो ऐसा बिल्कुल नहीं था , ये चमत्कार कैसे हुआ ?”,प्रीति ने पूछा
“प्यार सबको बदल देता है प्रीति”,शगुन ने कहा और फिर फुलवाले से कहकर फूलो की लड़िया लगवाने लगी !
शगुन और प्रीति मिलकर फूलो की लड़िया लगवाने लगी। कही से वहा एक बहुत ही प्यारा सा छोटा कुत्ता आ गया प्रीति ने देखा तो उसके पास चली आयी। प्रीति उसके सहलाने लगी देखा उसके गले में कुछ लेटर जैसा बंधा हुआ था प्रीति ने उसे निकाला और खोलकर पढ़ने लगी उसमे लिखा था – गलती हर इंसान से होती है हर इंसान दुसरा मौका डिजर्व करता है,,,,,,,,,,आई होप तुम भी मुझे एक मौका दोगी अपनी बात रखने का”
प्रीति ने पढ़ा तो इधर उधर देखने लगी दूर खड़ा रोहन उसे दिखा तो प्रीति समझ गयी की ये रोहन ने ही लिखा है , उसने रोहन की तरफ देखते हुए वो लेटर फाड़ कर फेंक दिया और वहा से दूसरी और चली गई। बेचारा रोहन एक बार फिर उदास हो गया। कुछ देर बाद प्रीति घूमते हुए गेस्ट हॉउस के लॉन की तरफ पहुंची
लॉन काफी खूबसूरत था , बहुत सारे सुन्दर सुन्दर पेड़ पौधे , प्रीति वहा लगे फूलो को छूकर देखने लगी तभी गोलू के स्टाफ का एक लड़का वहा आया और एक फूल और कागज देकर कहा,”ये आपको देने के लिए कहा है”
“किसने ?”,प्रीति ने कागज और फूल लेकर कहा
“आप देख लीजिये मैडम”,कहकर लड़का वहा से चला गया। प्रीति ने कागज खोलकर देखा जिसमे लिखा था – “जानता हूँ तुम मुझसे बहुत नाराज हो , नाराजगी जायज है पर तुम्हारा दिल इस फूल से भी ज्यादा नाजुक है ,, एक बार माफ़ करके तो देखो वादा करता हूँ जिंदगी में कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगा”
प्रीति ने पढ़ा तो उसका दिल थोड़ा सा पिघला लेकिन फिर एकदम से गुस्सा आ गया। उसने इधर उधर देखा पर रोहन नजर नहीं आया। प्रीति वापस अंदर चली आयी , यहाँ वह बोर हो रही थी इसलिए शगुन से कहकर घर जाना चाह रही थी , लेकिन शगुन उसे मिली ही नहीं ना जाने कहा गायब हो गयी। प्रीति उस तरफ आयी जिस तरफ शगुन फूलो की लड़िया लगा रही थी , प्रीति ने देखा शगुन वहा भी नहीं है। चलते चलते उसकी नजर फूलो की लड़ियो पर गयी जिनमे से एक लड़ी नीचे लटकी हुयी थी शायद अपने हुक से निकल गयी थी।
“दी ने इतना अच्छा डेकोरेट करवाया लेकिन इस एक लड़ी पर धयान नहीं दिया , रुको मैं ही इसे ठीक कर देती हूँ”,कहते हुए प्रीति ने सामने पड़ी कुर्सी को खींचा और उस पर चढ़कर फूलो की उस लड़ी को हुक में लगने लगी , उसका हाथ उस हुक तक पहुंचा नहीं तो उसने एक पैर कुर्सी के हत्थे पर रखा और हुक लगाने की कोशिश की लेकिन वह ऐसा कर पाती इस से पहले ही उसका पैर लड़खड़ाया और वह गिरने को हुयी तो कही से रोहन आया और प्रीति उसकी बांहो में आ गिरी। दोनों की नजरे एक दूसरे से मिली और दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे। दोनों के दिल एक ही लय में धड़क रहे थे , एकटक दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे। प्रीति की आँखों में रोहन को लेकर जो गुस्सा था वो अब खत्म हो चूका था वही रोहन की आँखों में प्रीती को अपने लिए एक अलग ही कशिश नजर आ रही थी जो आज से पहले उसने कभी नहीं देखी थी।
प्रीति की आवाज सुनकर शगुन और गोलू दौड़कर उस और आये पर जब रोहन और प्रीति को साथ देखा तो शगुन के कदम रुक गए। आज से पहले उसने प्रीति को सिर्फ बच्ची की नजर से देखा था लेकिन आज प्रीति उसे एक परिपक्व लड़की नजर आ रही थी। गोलू ने देखा तो धीरे से शगुन से कहा,”हमे तो कल ही पता चल गया था की कुछ तो पक रहा है”
“अहममम अहम्म”,शगुन ने प्रीति और रोहन की तरफ बढ़ते हुए कहा। रोहन ने शगुन को वहा देखा तो प्रीति को अपनी गोद से उतारा और कहा,”दी वो मैं बस,,,,,,,,,,,,,!”
“जे कुर्सी पर चढ़कर फूल लगाय रही होंगी , पैर फिसला होगा , तुमहू इधर से गुजर रहे होंगे तो आकर तुमने बचा लिया,,,,,,,,,,,,,,,जे ही कहानी होगी”,गोलू ने टूथपिक से अपने दांत कुरेदते हुए कहा
“हां ऐसा ऐसा हुआ था”,रोहन ने थोड़ा झिझकते हुए कहा जो की सच भी था
“देखो बेटा ऐसा है जे सीन ना हर हिंदी रोमांटिक फिल्मो में पचासो बार देख चुके है , और हम तो वैसे भी कनपुरिया है लौंडा देखकर बता देते है का चल रहो है मन में,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने ऐसे ही रोहन को थोड़ा डराते हुए कहा।
“गोलू जी मैं बात करती हूँ”,शगुन ने आगे आकर कहा और फिर रोहन से पूछा,”रोहन तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?”
“दी कल यहाँ मेरे दोस्त की शादी है उसी ने मुझे किसी काम से यहाँ बुलाया था , इधर से गुजर रहा था तो ये सब , मेरी कोई गलत इंटेंशन नहीं थी दी”,रोहन ने शगुन की आँखों में देखते हुए कहा
“इटस ओके रोहन मैं जानती हूँ , अब आ ही गए हो तो चलो साथ में ही खाना खाते है”,कहते हुए शगुन प्रीति गोलू और रोहन को लेकर वहा से खाने वाली साइड चली आयी।
“भाभी आप लोग बइठो हम बोलकर आते है”,कहते हुए गोलू वहा से चला गया। शगुन ने रोहन की तरफ देखा और कहा,”गोलू जी की बात का बुरा मत मानना रोहन वो क्या है ना की थोड़े से मुंहफट है जो मन में होता है बोल देते है”
“अरे नहीं दी मुझे बुरा नहीं लगा , बल्कि मुझे तो उनका टोन बहुत पसंद है”,रोहन ने कहा
गोलू भी आकर बैठ गया कुछ देर बाद चार प्लेटो में खाना आया। शगुन के साथ बैठकर आज प्रीति को थोड़ा असहज लग रहा था , जबसे शगुन ने प्रीति को रोहन की बांहो में देखा था तबसे ही प्रीति शगुन से नजरे चुरा रही थी। प्रीति ने अपनी प्लेट उठायी और कहा,”दी मैं वहा बैठकर खाउंगी , आप लोग खाइये”
प्रीति को जाते देखकर गोलू समझ गया की शगुन को रोहन से अकेले में बात करनी होगी इसलिए उसने भी उठते हुए कहा,”अरे प्रीति जी रुकिए हम भी आते है , साथ में खाएंगे”
“आ जाईये गोलू जी”,दूर सीढ़ियों पर बैठी प्रीति ने कहा गोलू भी उसकी तरफ बढ़ गया। रोहन को अकेला देखकर शगुन ने कहा,”तो कबसे चल रहा है ये ?”
“दी ऐसा कुछ भी नहीं है”,रोहन ने घबराते हुए कहा
“रोहन मैं प्रीति की बड़ी बहन हूँ उसके मन में क्या चल रहा है समझ जाती हु , अब तुम बताओ पसंद करते हो उसे ?”,शगुन ने सहजता से कहा
“दी एक्चुअली मैं उसे पसंद करता हूँ , बहुत पसंद करता हूँ बस कुछ मिसअंडरस्टैंडिंग हो गयी है हमारे बीच उसे ही दूर करने की कोशिश कर रहा हूँ”,शगुन के साथ सहज होकर रोहन ने भी अपनी फीलिंग्स जाहिर कर दी। शगुन मुस्कुरा उठी और सीढ़ियों पर बैठी प्रीती को देखते हुए कहा,”वो ऐसी ही है किसी से गुस्सा हो जाये तो जल्दी मानती नहीं है , अगर तुम्हारी फीलिंग्स जेनुअन है तो वो जरूर मान जाएगी”
“दी आपको बुरा नहीं लगा मैं और प्रीति ऐसे ?”,शगुन को इतना फ्रेंक देखकर रोहन ने पूछा
शगुन मुस्कुरायी और कहा,”जिनका खुद का प्यार अधूरा हो ना वो दूसरो का प्यार पूरा करने की कोशिश करते है”
रोहन शगुन के मुस्कुराते हुए देखने लगा , इस वक्त शगुन की आँखों में जो दर्द था वो रोहन साफ देख पा रहा था !
क्रमश – मनमर्जियाँ – S26
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संजना किरोड़ीवाल
so cute …
Nice
Bhut pyaara part tha bilkul sahi kaha shagun ne jiska khud ka pyaar adhura ho woh doosron ka pyaar pura krne ki koshish krte h
जे तो माने गजब हो गया है, सबकी गाड़ी पटरी पर लाया जा रहा है, खुद की नइया का भरोसा नहीं 😀😀
Beautiful part
👍👍👍👍🤗🤗🤗🤗
Mast
ये कहानी किसी वेब सिरिस के लिए भेज दीजिये हिट हो जाएगी ।
Very beautiful
जिनका खुद का प्यार अधूरा हो न ,वो दुसरो का प्यार पूरा करने की कोशिश करते है
बहुत ही खूबसूरत लाइन है ।।।
मैम सबकी प्रेमगाड़ी में इंजन तो लग गया हैं…पर स्टार्ट तो आप ही कराओगी… वैसे गुड्डू के फोन में शगुन की फोटो भी होंगी अकेले में और साथ में…उसे देखकर गुड्डू को कुछ अहसास होगा या नहीं… इंतजार रहेगा😊 superb part👌👌👌👌👌
nice part
Bhutt hi sundar par or cute party 😍😍😍
Beautiful part
जे सही कहा आपने जिसका प्यार अधूरा होता है वो नहीं चाहता किसी और का प्यार अधूरा रहे!
Awesome superb
चलो जी प्रीति और रोहन के बारें में शगुन को पता तो चला…अब शायद दोनों की गलतफहमियां खत्म हो…
Nice
Wah very nice 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
Very cute part,
Super part lekin jab baat banaras ki ho rahi ho aur usme ( shivam sarika Murari Anu )na
Ho toh banaras adhura lagta hai ..dekhiye ye charo bhi guddu shagun golu se mil kahi aage toh bahut surpriseing hoga eagerly waiting for all of them …and also more waiting for guddu’s recovery of lost memory
Dheere dheere sari jodiyan sahi track pe aaraha hai bus hamati guddu bayya ko yadash wapas aana bakhi hai😄