Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – S23

Manmarjiyan – S23

Manmarjiyan S2 - 23

शगुन और गोलू अपने नए आर्डर के लिए बनारस निकल गए। शगुन जाने से पहले गुड्डू से नहीं मिल पायी इस बात का उसे दुःख था लेकिन ख़ुशी भी थी की गुड्डू पहले की ही तरह उसका दोस्त बन चुका है। गोलू गाड़ी चला रहा था शगुन उसकी बगल में बैठी थी। शगुन को सोच में डूबा देखकर गोलू ने कहा,”का हुआ भाभी इता चुप चुप काहे हो ?”
“गोलू जी कल हॉस्पिटल में मैंने पिंकी को देखा वो गुड्डू जी से मिलने आयी थी। उसकी बाते तो नहीं सुन पाई मैं लेकिन उसकी बातो से गुड्डू जी बहुत परेशान हो गए थे,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे तो ये नहीं समझ आ रहा की ये पिंकी बार बार क्यों इनकी जिंदगी में चली आती है ? उसे समझना चाहिए की गुड्डू जी की शादी हो चुकी है , वो बार बार उनसे ऐसे मिलेगी तो उनकी फीलिंग्स तो बदलेगी ना”,शगुन ने परेशान होकर कहा
“बात तो सही है आपकी”,गोलू ने थूक निगलते हुए कहा
“सच में गोलू जी कल उस पिंकी को देखकर इतना गुस्सा आया दिल तो किया उसका मुंह नोच लू , जब भी गुड्डू जी उस से मिलते है परेशान हो जाते है , चुड़ैल कही की जब देखो तब हमारी जहर घोलने आ जाती है। अब तो उसके नाम से भी चिढ होने लगी है मुझे”,शगुन ने बिफरते हुए कहा
बेचारा गोलू अपनी ही गर्लफ्रेंड की बुराई बड़ी ख़ामोशी से सुन रहा था , उसे बुरा तो लग रहा था लेकिन वह शगुन को पिंकी की सच्चाई भी तो नहीं बता सकता था। ना जाने सच सुनकर शगुन कैसा रिएक्ट करे। गोलू को चुप देखकर शगुन आगे कहने लगी,”गधा होगा वो लड़का जो उस पिंकी से शादी करेगा ? बेचारे की किस्मत खराब है उसके बारे में सोचकर ही मुझे तो दुःख हो रहा है। आखिर ऐसी क्या मज़बूरी होगी उसकी जो कोई लड़का उस पिंकी को हाँ कहेगा ,, गुड्डू जी तो है ही मन के साफ लेकिन आप तो समझदार हो ना आप क्यों नहीं उस पिंकी को समझाते ?”
“हमहू तो खुद उसके चक्कर में है”,गोलू बड़बड़ाया
“क्या कहा आपने ?”,शगुन ने सूना तो हैरानी से कहा
“अरे भाभी हमहू कह रहे छोडो ना इन सब बातो को , काहे बेचारी पिंकी के पीछे हो सब ?”,गोलू ने कहा
“बेचारी ?,,,,,,,आपको बड़ी हमदर्दी हो रही है पिंकी से,,,,,,,,,,,,,,,,आप मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रहे ना गोलू जी ?”,शगुन ने शकभरे स्वर में कहा
गोलू ने देखा सामने ही एक चाय की दुकान है तो गाड़ी साइड में लगाकर रोक दी और कहा,”भाभी चाय पीते है”
“गोलू जी आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया , आप मुझसे कुछ छुपा रहे है ?”,शगुन ने अपना सवाल फिर दोहराया। गोलू फंस चुका था शगुन से वह कभी झूठ नहीं बोलता था उसने शगुन को पिंकी के और अपने रिश्ते के बारे में बताने का मन ही मन फैसला किया और कहा,”आईये बताते है सब”
शगुन गोलू के साथ गाड़ी से नीचे उतर आयी , बारिश का मौसम था और आसमान में बादल घिर आये थे
गोलू ने दो चाय आर्डर की। चाय लेकर वह शगुन के पास आया और एक कप उसकी तरफ बढ़ा दिया शगुन ने चाय का कप लिया और कहा,”हां तो अब बताईये क्या बात है ?”
गोलू ने शगुन को सारी बात बता दी शगुन के चेहरे के भाव बदलते रहे , गोलू जो कह रहा था सब सुनकर उसे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था की ये सब कैसे हुआ ? सब बातें बताकर गोलू खामोश हो गया तो शगुन ने कहा,”लेकिन पिंकी ही क्यों ? आप जानते है ना गोलू जी अगर गुड्डू जी को ये सब पता चला तो आप दोनों की दोस्ती में दरार आ जाएगी”
“जानते है भाभी तब ही तो नहीं बताये है भैया को , पिंकिया बदल चुकी है भाभी कल हॉस्पिटल भी वो हमारे कहने पर ही आयी थी ताकि जान बूझकर गुड्डू भैया का दिल तोड़ दे और वो पिंकी से नफरत करने लगे। वो भी चाहती है की आप और गुड्डू भैया हमेशा साथ रहे।”,गोलू ने कहा
“आई ऍम सॉरी गोलू जी मुझे ये सब नहीं पता था , मैंने पिंकी के बारे में कितना गलत कहा ,, पिंकी क्या मैंने आपके लिए कितना गलत कहा सॉरी”,शगुन ने मासूमियत से कहा
“अरे भाभी कैसी बाते कर रही है आप ? माफ़ी काहे मांग रही है आप हमसे बड़ी है आप जब चाहे हमे डांट सकती है , फटकार लगा सकती है और हमाये साथ पिंकी को भी”,गोलू ने हँसते हुए कहा तो शगुन मुस्कुरा दी
“मैंने सोचा नहीं था गोलू जी इतनी जल्दी आपको किसी से इतना प्यार हो जाएगा”,शगुन ने चाय पीते हुए कहा
“भाभी पिंकिया मे बहुत कमिया है हम मानते है पर एक खूबी है उसमे उह ना बहुते इमोशनल है जे हमे उस दिन पता चला जब उह लिए अपना सब कुछ छोड़कर चली आयी , उस दिन अहसास हुआ के उसका प्यार झूठा नहीं है”,गोलू ने कहा
“हम्म्म्म तो मतलब पिंकी बनेगी हमारी देवरानी”,शगुन ने शरारत से कहा
“कहा भाभी उसके पिताजी कहा माने है अभी तक ?”,गोलू ने मायूस होकर कहा
“मान जायेंगे गोलू जी जिस दिन उनको लगेगा की पिंकी को आप से ज्यादा प्यार कोई और नहीं कर सकता , वो मान जायेंगे तब तक मोहब्बत जारी रखिये”,शगुन ने कहा
“पर गुड्डू भैया,,,,,,,,,,,,,,उनको कैसे फेस करेंगे ?”,गोलू ने कहा
“गुड्डू जी समझ जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,,वो बहुत समझदार है गोलू जी”,शगुन ने कहा
“आपके साथ रह के हो गए है वरना तो हम दोनों अब तक कानपूर ने कांड ही कर रहे होते”,गोलू ने चाय खत्म करते हुए कहा
“बातें बहुत कर ली अब चलते है”,शगुन ने खाली कप डस्टबिन में फ़ेंकते हुए कहा। शगुन और गोलू वहा से बनारस के लिए निकल गए। गोलू का मन अब हल्का था उसने शगुन को अपने और पिंकी के बारे में सब बता दिया और शगुन ने नाराज होने के बजाय उसका साथ दिया।

दोपहर बाद गोलू और शगुन बनारस पहुंचे। शादी में अभी तीन दिन बाकि थे लेकिन अरेजमेंट की वजह से उन्हें जल्दी आना पडा। प्रीति उस वक्त छत पर थी जब उसने दूर से गुड्डू की कार आते देखी तो ख़ुशी से दौड़ते हुए नीचे आयी और अपने पापा से कहा,”पापा लगता है दी और जीजू आये है , मैं उन्हें लेकर आती हूँ”
शगुन और गोलू गाड़ी से नीचे उतरे और घर की और चल पड़े। गोलू हाथ में दोनों बैग उठाये चला आ रहा था तभी सामने से प्रीति आती दिखाई दी। अब देखो इंसान कितना भी सच्चा प्यार करे पहली पसंद को देखकर उसके दिल कुछ कुछ तो जरूर होता है। शगुन गोलू के पीछे चली आ रही थी। प्रीति को खुश देखकर गोलू को लगा वह उसे ही देखकर खुश हो रही है उसने बैग जमीन पर छोड़े और दोनों हाथ हवा में फैला दिए जैसे प्रीति आकर अभी उसके गले लगेगी। प्रीति भी ख़ुशी से दौड़कर गोलू की तरफ आयी गोलू के कानो में तो शाहरुख़ खान वाली टन टन टन टनटनटनट टन टन भी बजने लगा था। गोलू पूरी फील के सामने खड़ा था। प्रीति आयी और गोलू को साइड करके शगुन के गले लगते हुए कहा,”दी SSSSSSSS “
बेचारा गोलू उसका तो सपना ही टूट गया , चुपचाप बैग उठाये और आगे बढ़ गया। प्रीति शगुन से दूर हुई और इधर उधर देखते हुए कहा,”गुड्डू जीजू नहीं आये ?”
“अंदर चलकर बात करे या यही से वापस भेजने का इरादा है तेरा”,शगुन ने कहा तो प्रीति मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकडे उसे अंदर ले आयी। हॉल में आकर गोलू ने गुप्ता जी के पैर छुए , शगुन आकर अपने पापा से मिली और सभी वहा पड़े सोफे पर आ बैठे।
गोलू ने गुप्ता जी को अपने और शगुन के वहा आने की वजह बताई तो गुप्ता जी ने कहा,”अरे बिल्कुल बेटा आपका ही घर है जितने दिन रहना है रहिये , किसी भी तरह मदद चाहिए तो हमे कहिये हम करवा देंगे इंतजाम”
“अरे नहीं अंकल जी आपने इतना कह दिया जे काफी है हमाये लिए”,गोलू ने कहा
“ये बंदर भी हमारे साथ रहेगा ?”,प्रीति ने फुसफुसाते हुए शगुन ने पूछा तो शगुन ने उसे आँखे दिखाई , प्रीति ने शगुन के गाल खींचते हुए कहा,”अरे दी मजाक कर रही हूँ आप आप सबके लिए चाय नाश्ता लेकर आती हूँ”
प्रीति उठकर वहा से चली गयी , गोलू भी वाशरूम की ओर चला गया। गुप्ता जी और शगुन हॉल में अकेले ही थे तो गुप्ता जी ने कहा,”दामाद जी कैसे है बेटा ?”
“वे अब ठीक है पापा , पहले से काफी सुधार है बस उन्हें कुछ याद नहीं आ रहा”,शगुन ने थोड़ा उदास होकर कहा
“मिश्रा जी ने बताया तुम्हारे बारे में भी , जो कुछ भी हुआ अच्छा नहीं हुआ बेटा शायद उस नन्ही सी जान का इस दुनिया में आना लिखा ही नहीं था”,गुप्ता जी ने नम आँखों के साथ कहा। शगुन ने सूना तो अपने पापा की और देखने लगी। सच बताकर वह उन्हें हर्ट करना नहीं चाहती थी इसलिए उनके हाथ पर हाथ रखते हुए कहा,”पापा गुड्डू जी ठीक है और इस वाक्य मेरे लिए उनका साथ होना जरुरी है”
“हम्म्म महादेव अब बस तुम दोनों की जिंदगी में कोई परेशानी ना लाये , वैसे दामाद जी भी आते तो अच्छा लगता”,गुप्ता जी ने कहा जिनकी गुड्डू से कुछ ज्यादा ही पटती थी।
“पापा उन्हें कैसे ला सकते है ? वो यहाँ आएंगे तो 100 सवाल करेंगे और फिर ऐसे बार बार उनसे झूठ बोलना मुझे अच्छा नहीं लगता ,, पर हां वो जल्दी ही आएंगे आपसे मिलने”,शगुन ने कहा
“तुम वहा खुश हो ना बेटा ?”,गुप्ता जी ने शगुन के चेहरे की और देखते हुए कहा
“पापा आप ऐसा क्यों कह रहे है ? उस घर में मुझे कोई दुःख नहीं है , सब बहुत अच्छे है हां बस गुड्डू जी को ऐसे हालातो में देखकर थोड़ा मन उदास जरूर होता है लेकिन वो साथ है यही काफी है”,शगुन ने कहा
“बाकी बातें बाद में पहले ये लीजिये गर्मागर्म पकोड़े और चाय”,प्रीति ने ट्रे टेबल पर रखते हुए कहा जिसमे चार कप चाय और एक प्लेट पकोड़े थे जिनकी खुशबू पुरे हॉल में फ़ैल गयी। तब तक गोलू भी चला आया उसने चाय का कप और एक पकोड़ा उठाकर खाते हुए कहा,”जे बहुते स्वाद है किसने बनाये ?”
“मैंने अपने इन हाथो से”,प्रीति ने अपनी तारीफ सुनकर इतराते हुए कहा
“है सच्ची ? अरे ददा मतलब का बताये कितने अच्छे बने है , तुमहू तो मास्टर चेप निकली”,गोलू ने प्रीति की तारीफ करते हुए कहा
“मास्टर शेफ होता है चेप नहीं”,प्रीति ने कुढ़ते हुए कहा
“हां हां वही पर बने अच्छे है”,गोलू ने कहा और चाय पीने लगा
“दी आप भी तो खाओ ना”,प्रीति ने कहा तो शगुन ने एक टुकड़ा उठाकर खाया तो महसुस हुआ की सच में प्रीति ने पकोड़े बहुत अच्छे बनाये है ,उसने प्रीति की और देखकर कहा,”अरे वाह प्रीति सच में बहुत अच्छे बने है , कहा से सीखे ?”
“वो रोहन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहते कहते प्रीति को ऑफिस वाली बात याद आ गयी और उसने बात बदलते हुए कहा,”वो मैं आपको भी सीखा दूंगी पहले आप अच्छे से खाओ”
गोलू को प्रीति की बातो से कोई मतलब नहीं था उसका पूरा ध्यान खाने पर था। चाय नाश्ते के बाद गोलू निचे गुप्ता जी के कमरे में ठहर गया और शगुन ऊपर अपने कमरे में चली आयी। शाम में शगुन और गोलू गेस्ट हॉउस देखने जाने लगे तो प्रीति ने कहा,”दी मैं भी आप लोगो के साथ चलूँ ?”
“ठीक है चलो”,शगुन ने कहा तो प्रीति गोलू और शगुन तीनो गाड़ी से गेस्ट हॉउस देखने निकल पड़े। शगुन के घर से 15 मिनिट की दूरी पर ही मणिकर्णिका घाट के बगल में एक गेस्ट हॉउस मिल गया। गोलू ने उनसे बात की , शगुन और प्रीति घूमकर वो गेस्ट हॉउस देखने लगी। सच में गेस्ट हॉउस बहुत अच्छा था कुछ एडवांस देकर गोलू ने उसे एक दिन के लिए बुक कर दिया। उसके बाद तीनो वहा से निकले। प्रीति आगे बैठी थी गोलू की बगल में और शगुन पीछे कुछ देर बाद प्रीति ने कहा,”अच्छा दी आपने बताया नहीं गुड्डू जीजू कैसे है ?”
“वो ठीक है प्रीति”,शगुन ने कहा
“उन्हें कुछ याद आया ?”,प्रीति ने सवाल किया
“नहीं , उन्हें कुछ भी याद नहीं है”,शगुन ने कहा
“कुछ याद नहीं आया तो फिर ये गोलू गुप्ता जी किस काम के है ? अरे उन्हें याद दिलाओ उनकी शादी हो चुकी है , इतनी खूबसूरत वाइफ है उनकी और एक मेरे जैसी सीधी साधी साली साहिबा भी है , कुछ करो गोलू जी दोस्त है यार वो तुम्हारे”,प्रीति ने कहा
“अरे हम का करे हमने तो बहुत कोशिश की पर भैया को कुछो याद ही नहीं है , अब प्लास्टर है तो बाहर भी नहीं जा सकते वरना खुली हवा में घूमे तो उनका दिमाग खुले और कुछो याद आये”,गोलू ने कहा
“रहने दो आपसे नहीं हो पायेगा , मुझे ही कोई प्लान बनाना पडेगा”,प्रीति ने कहा
“रहने दो जे प्लान प्लॉटिंग के चक्कर में ही हम सबकी लंका लगी पड़ी है , और तुमहू तो रहने ही दो जाओगी अच्छा करने होगा कुछो बुरा”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा
“गोलू जी शगुन आप दोनों लड़ना बंद करो , अभी बनारस वाली शादी देखते है उसके बाद सोचेगे ये सब”,शगुन ने कहा तो दोनों चुप हो गए। गाड़ी जैसे ही अस्सी घाट की तरफ से गुजरी शगुन ने कहा,”गोलू जी थोड़ी देर के लिए यहाँ रुके ?”
“हां बिल्कुल रुको हम ना गाड़ी साइड में लगा देते है , यहाँ गलिया बहुते तंग है”,गोलू ने कहा
“हां आपके दिमाग की तरह”,प्रीति बड़बड़ाई तो गोलू ने मुंह बना लिया और ऐसी जगह गाड़ी लगाई के प्रीति की तरफ का दरवाजा ही ना खुले मतलब दिवार के बिल्कुल पास , शगुन और गोलू तो आराम से उतर गए लेकिन बेचारी प्रीति फंस गयी , उसे गोलू वाली सीट की तरफ से आना पड़ा और बाहर आकर वह गोलू को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी

क्रमश – मनमर्जियाँ – S24

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संजना किरोड़ीवाल

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