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मनमर्जियाँ – S21

Manmarjiyan – S21

Manmarjiyan S2 - 21

Manmarjiyan – S21

गोलू पिंकी को गुड्डू से मिलवाने के लिए हॉस्पिटल ले आया। हॉस्पिटल आकर पिंकी को जब सच पता चला तो उसने गुड्डू से मिलने से मना कर दिया। वह नहीं चाहती थी उसकी वजह से गुड्डू और शगुन की जिंदगी में फिर से कोई परेशानी आये लेकिन गोलू की वजह से वह गुड्डू से मिलने को तैयार हो गयी। पिंकी अंदर आयी बरामदे में गुड्डू दिखाई दिया तो उसने दूर से ही हाथ हिलाकर कहा,”गुड्डू”
गुड्डू ने जैसे ही पिंकी को देखा उसका मन ख़ुशी से भर गया और उसने कहा,”तुमहू रुको हमहू आते है” कहते हुए गुड्डू धीरे धीरे चलते हुए पिंकी की और बढ़ गया। शगुन ने पिंकी को वहा देखा तो मन ही मन कहने लगी,”अब ये यहाँ क्यों आयी है ? पहले ही हम सबकी जिंदगी में इतनी परेशानिया है और ये फिर से गुड्डू जी की जिंदगी में चली आयी। हे महादेव अब आप ही कोई रास्ता सुझाये”
गुड्डू पिंकी के सामने आया और आँखों में ख़ुशी भरकर उसे देखने लगा। पिंकी ने देखा क्या हालत हो गयी है गुड्डू की ये वो गुड्डू था ही नहीं जिस से पिंकी पहली बार मिली थी ,
गुड्डु के हाथ मे प्लास्टर बंधा था । सर के बाल जिन्हें गुड्डु से बहुत प्यार था अब बहुत छोटे छोटे थे । माथे पर चोट का निशान । सब देखकर पिंकी का दिल भर आया , जो गुड्डु बुलेट पर सवार कानपुर की गलियों में हीरो की तरह घुमा करता था आज वह उसके सामने बेबस खड़ा था । पिंकी को खमोश देखकर गुड्डु ने कहा,”कैसी हो पिंकी ?”
“ठीक हूं तुम कैसे हो ?”,पिंकी ने पूछा
“अब ठीक है”,गुड्डु ने प्यार से पिंकी को देखते हुए कहा
“गुड्डु वो हम ये कहना चाहते है कि उस दिन हॉस्पिटल में,,,,,,,,,,!!”,पिंकी अपनी बात पूरी ही नही कर पाई की गुड्डु बोल पड़ा,”हम जानते है तुम पिताजी की वजह से वहां से चली गयी थी , पर तुम हमसे मिलने आयी हमाये लिए इतना ही बहुत है”
“गुड्डु तुमने मुझे यहां क्यो बुलाया है ?”,पिंकी ने पूछा
“हमे तुम्हे देखना था , अच्छी लग रही हो हमेशा की तरह”,गुड्डु ने कहा
“ह्म्म्म देख लिया अब हम चलते है , बाहर बंटी हमारा वेट कर रहा है”,पिंकी ने गोलू के प्लान के मुताबिक झूठ कहा
“जे बंटी कौन है ?”,गुड्डु ने धड़कते दिल के साथ पूछा
“बंटी हमारा बॉयफ्रेंड,,,,,,, एक हफ्ते पहले ही बना है”,पिंकी ने चहकते हुए कहा
गुड्डु ने जैसे ही सुना उसका दिल धड़कने लगा , वह पिंकी को पसन्द करता था और यहां पिंकी ने बॉयफ्रेंड भी बना लिया । गुड्डु ने थोड़ी हिम्मत करके कहा,”पर तुम तो हमे पसन्द करती थी ना ? फिर जे बंटी ?”
“गुड्डु पसन्द करने और बॉयफ्रेंड बनाने में फर्क होता है , अब पसन्द तो हम मोहल्ले के बहुत से लड़को को करते है तो का वो सब हमारे बॉयफ्रेंड हुए , नही ना वैसे भी तुम सिर्फ हमारे दोस्त हो”,पिंकी ने कहा जिस से गुड्डु को और तकलीफ होने लगी
“हम काहे नही बन सकते तुम्हारे बॉयफ्रेंड ?”,गुडडू ने कहा तो पिंकी हसने लगी और कहा,”गुड्डु हालत देखो अपनी बॉयफ्रेंड तो क्या अभी तुम ठीक से चलने फिरने की हालत में भी नही हो , तुम्हे अपना बॉयफ्रेंड क्यों बनाउंगी मैं भला ? हां पहले बात कुछ और थी तुम हैंडसम थे पर अब , अब तो कोई चांस ही नही है गुड्डु ,, मेरा बॉयफ्रेंड कोई हैंडसम स्मार्ट बन्दा अच्छा लगता है तुम जैसा नही”
गुड्डु से ये सब बाते करते हुए पिंकी को मन ही मन बहुत बुरा लग रहा था लेकिन गुड्डु के दिल मे अपने लिए नफरत पैदा करने के लिए उसे ऐसा करना पड़ा । गुड्डु ने पिंकी के मुंह से इतनी कड़वी बाते सुनी तो उसे बहुत दुख हुआ लेकिन उसने कुछ नही कहा । दूर बैठी शगुन काफी देर से दोनों को देखे जा रही थी , वह उठी और गुड्डु की तरफ़ आने लगी शगुन को आते देखकर पिंकी ने जानबूझकर गुड्डु को हल्का सा धक्का देकर कहा,”मुझे गर्लफ्रेंड बनाने की तुम्हारी औकात नही है गुड्डु”
गुड्डु जैसे ही गिरने को हुआ शगुन ने उसे सम्हालते हुए कहा,”गुड्डु जी आप ठीक है ना ?”
शगुन को वहां देखकर पिंकी ने वहां से जाना ही ठीक समझा । शगुन ने जाती हुई पिंकी को घूरकर देखा और गुड्डु को सम्हालकर पास पड़ी बेंच पर बैठाते हुये कहा,”आप ठीक हो ना ?”
गुड्डु के मन मे इस वक्त एक तूफान चल रहा था जिसे वह खुद भी नही समझ पाया उसने धीमी आवाज में कहा,”थोड़ी देर के लिए हमे अकेला छोड़ दो”
“लेकिन,,,,!”,शगुन ने कहना चाहा तो गुड्डु ने हाथ उसके सामने करके कहा,”प्लीज”
गुड्डु को परेशान सा देखकर शगुन कुछ दूर पड़ी बेंच पर जाकर बैठ गयी और गुड्डु को देखते हुए मन ही मन कहने लगी,”आपके चेहरे की उदासी बता रही है जरूर उस पिंकी ने फिर से आपका दिल दुखाया है , उस पिंकी को मैं छोड़ने वाली नही हु गुड्डु जी , ऐसे कैसे वो आपको परेशानी में डालकर जा सकती है । पर आप चिंता मत कीजिये आपकी शगुन आपके साथ है , मैं कभी आपको गिरने नही दूँगी ना कभी आपका साथ छोडूंगी , मैं हमेशा आपके साथ रहूंगी गुड्डु जी फिर चाहे कितनी भी मुसीबत आये हम मिलकर उनका सामना करेंगे”

गोलू के प्लान के मुताबिक पिंकी गुड्डु को जितना बुरा महसूस करवा सकती थी उसने करवाया लेकिन पिंकी ओर उसका मन बदल चुका था । गुड्डु से इस तरह की बाते करके पिंकी को बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था । वह बरामदे से बाहर आई तो गोलू उसके पास आया लेकिन पिंकी बिना कुछ कहे ही वहां से निकल गयी । गोलू उसके पीछे आया और उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे अपनी ओर करते हूये कहा,”अये पिंकिया का हुआ ? कुछो बात बनी ?”
पिंकी ने पलके उठाकर गोलू की ओर देखा उसकी आंखें आंसुओ से भरी हुई थी । गोलू ने पिंकी की आंखों में आंसू देखे तो थोड़ा परेशान हो गया और उसके करीब आकर कहा,”का हुआ तुम्हायी आंखों में आँसू”
“हमसे ये सब क्यों करवाया गोलू ?”,पिंकी ने लगभग रोते हुए गोलू की धकियाते हुए कहा
गोलू कुछ समझ नही पाया तो पिंकी कहने लगी,”आज एक बार फिर हमने गुड्डु का दिल तोड़ दिया , जो कुछ हो रहा है उसमें गुड्डु की क्या गलती है । जब वो सब बातें हमने उस से कही तब कितना बुरा लग रहा था उसे ये उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था । गुड्डु की नजरों में गिरने का हमे कोई दुख नही है लेकिन आज पहली बार उसे इतना बेबस देखकर दुख हुआ , अब खुश हो ना तुम ?”
“पिंकी हम जानते है ये सब करना तुम्हाये लिए मुश्किल था पर जे करना बहुते जरूरी था , हमने तुम्हारा दिल दुखाया हम बहुते बुरे इंसान है , तुम तुम हमे थप्पड़ मार लो , ल्यो”,गोलू ने कहा ओर अपना गाल पिंकी के सामने कर दिया । पिंकी इस वक्त इतना गुस्से में थी कि उसने खींचकर गोलू को एक थप्पड़ मार भी दिया । थप्पड़ के असर से ही पता चल रहा था कि पिंकी कितना गुस्से में थी । गोलू ने खामोशी से दूसरा गाल भी आगे कर दिया लेकिन इस बार पिंकी ने थोड़ा धीरे मारा , गोलू ने कुछ नही कहा और जैसे ही एक बार फिर गाल पिंकी के सामने किया पिंकी ने देखा तो एक बार फिर उसकी आँखों मे आंसू भर आये , उसके लिए गोलू का जो प्यार था साफ नजर आ रहा था । पिंकी ने तीसरी बार थप्पड़ नही मारा और आगे बढ़कर गोलू को गले लगा लिया ।
“सॉरी यार पिंकिया , जे सब गुड्डु भैया के लिए करना पड़ा हमहू तुम्हे हर्ट करना नही चाहते थे”,गोलू ने पिंकी का सर सहलाते हुए कहा । पिंकी ने कुछ नही कहा बस खामोशी से गोलू के गले लगी रही ।

डॉक्टर से मिलकर मिश्रा जी वाहर आये और शगुन से कहा,”गुड्डु नजर नही आ रहा ?”
“वो वहा है पापाजी”,शगुन ने कुछ दूर बैठे गुड्डु की ओर इशारा करके कहा
“डॉक्टर साहब से बात हो चुकी है अब गुड्डु ठीक है और धीरे धीरे पहले की तरह हो जाएगा , तुम्हाये साथ रहते रहते का पता उसकी यादास्त वापस आ जाये”,मिश्रा जी ने कहा
“महादेव का शुक्र है पापाजी”,शगुन ने हाथ जोड़कर अपने देव को याद करते हुए कहा
“चलो घर चलते है”,मिश्रा जी ने कहा तो शगुन उठकर उनके साथ चल पडी । गुड्डु के पास आकर मिश्रा जी ने कहा,”घर चले बेटा ?”
गुड्डु ने कोई जवाब नही दिया बस खामोशी से उठकर मिश्रा जी के साथ चल पड़ा । रास्ते भर गुड्डु ख़ामोश रहा उसकी खामोशी की वजह शगुन जानती थी । सभी घर पहुंचे मिश्रा सहारा देकर गुड्डु को अंदर ले आये हालांकि गुड्डु अब खुद चल सकता था लेकिन अभी डॉक्टर में उसे ज्यादा चलने घूमने के लिए मना किया था ।
दोपहर हो चुकी थी सभी खाना खाने बैठ गए । गुड्डु के लिए परोसा जाने लगा तो गुड्डु ने कहा,”हमे भूख नही है”
मिश्रा जी को लगा शायद फीका खाना खाने की वजह से गुड्डु ये सब कह रहा है तो उन्होंने मिश्राइन से कहा,”एक ठो काम करो कुछ अच्छा बनाए दयो उनके खाने के लिए”
“ठीक है आप खाइये उसको हम खिला देंगे”,कहते हुए मिश्राइन मिश्रा जी के लिए खाना परोसने लगी । खाना खाकर मिश्रा जी शोरूम चले गए ।
गुड्डु उदास सा बैठा था मिश्राइन उसके लिये कम घी में सिका पराठा ओर आलू की सूखी भुर्जी ले आयी जो कि गुड्डु की फेबरेट थी । मिश्राइन ने गुड्डु को अपने हाथ से खिलाना चाहा तो गुड्डु ने कहा,”अम्मा हमे नही खाना हमे सोना है”
कहते हुए गुड्डु उठा ओर नीचे अपने कमरे की ओर चला गया । मिश्राइन शगुन के पास आई और कहा,”जे गुड्डु को का हुआ है सुबह तो बिल्कुल ठीक था अब अचानक से मुंह काहे उतरा है उसका”
शगुन ने सुना तो मिश्राइन की ओर देखने लगी और मन ही मन कहा,”माजी को पिंकी के बारे में बताया तो ये परेशान हो जाएगी , नही नही इस पिंकी नाम की बला से तो अब मुझे अकेले ही निपटना होगा”
“का हुआ कुछो बोलो ? कही तुम्हाये ओर गुड्डु के बीच तो झगड़ा नही हुआ ?”,मिश्राइन ने खुद से ही दिमाग लगाते हुए कहा
“हा वो किसी बात पर झगड़ा हो गया उनसे और वो गुस्सा हो गए”,शगुन ने झूठ बोल दिया
“बावला है जे लड़का गुस्सा तो इसकी नाक पर रहता है , थोड़ी देर में खुद ही मान जाएगा , हम किसी काम से शुक्ला जी के घर जा रहे है जब उसका गुस्सा शांत हो जाये तो थोड़ा खिला देना उसे”,कहकर मिश्राइन वहां से चली गयी
शाम में गुड्डू सोकर उठा , पिंकी की बातें अभी भी उसके जहन में घूम रही थी। गुड्डू उठा और शीशे के सामने आकर खड़ा हो गया और खुद को देखने लगा। शक्ल का हाल बुरा हो चुका था , बाल भी अब पहले जैसे नहीं रहे थे , गुड्डू के कानो में एक बार फिर वही पिंकी की आवाज गूंजने लगी , सही तो कहा था पिंकी ने गुड्डू अब पहले जैसा नहीं रहा था। काफी बदल चूका था , गुड्डू ने अचानक से हाथ सर की तरफ बढ़ाया लेकिन हाथ बीच में ही रुक गया , जिन बालो से गुड्डू को प्यार था वो अब नहीं थे सब छोटे छोटे हो गए थे। गुड्डू की आँखों में आंसू भर आये , मन में एक टीस सी उठी वह आया और आकर बेड पर बैठ गया। शगुन ने देखा गुड्डू उठ चुका है तो वह किचन में आयी और गुड्डू के लिए चाय बनाने लगी , चाय बनाते हुए गुड्डू के लिए पोहा भी बना दिया। शगुन चाय पोहा लेकर गुड्डू के कमरे में आयी गुड्डू को उदास देखकर शगुन को अच्छा नहीं लगा , वह गुड्डू की तरफ आयी और प्लेट टेबल पर रखते हुए कहा,”आप बिना खाना खाये सो गए , मैंने ये पोहा बनाया है खाकर देखे कैसा बना है ?”
गुड्डू ने शगुन की तरफ देखा जिसके चेहरे पर कोई छल कपट नहीं , सिर्फ मासूमियत छलक रही थी। गुड्डू ने चाय का कप उठाया और एक पीकर कहा,”अच्छी बनी है”
“वो भी खाकर देखिये शायद आपको पसंद आये”,शगुन ने गुड्डू के बेड पर बिखरे तकिये ठीक से रखते हुए कहा। गुड्डू ने प्लेट उठाया और खाने लगा उसे अच्छा लगा तो उसने शगुन से कहा,”जे अच्छा बना है”
“थैंक्यू ?”,शगुन ने कहा
“तुम्हे कैसे पता हमे भूख लगी है ?”,गुड्डू ने खाते हुए कहा
“बस पता था , आप खाइये मैं चलती हूँ”,शगुन ने कहा और चली गयी। शगुन के जाने के बाद गुड्डू मन ही मन शगुन के बारे में सोचने लगा,”इनको कितनी फ़िक़्र है हमायी , और उधर वो पिंकिया उसकी नजरो में तो हमायी कोई इज्जत ही नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,पर सही नहीं किया पिंकिया तुमने”
शगुन बाहर चली आयी संध्या आरती की , मिश्रा जी और मिश्राइन भी घर आ चुके थे , वेदी किचन में शगुन की हेल्प कर रही थी। रात के खाने के बाद मिश्रा जी अपने कमरे में आकर हिसाब किताब देखने लगे , मिश्राइन अम्मा के कमरे में थी। वेदी को दीपक की याद सता रही थी , लेकिन उस से बात कैसे हो ? वेदी अपना फोन लेकर छत पर आयी और वन्दना आंटी को फोन लगा दिया जिस से वह दीपक के बारे में जान पाए लेकिन वन्दना का फोन ब्नद आ रहा था। मायूस होकर वेदी कमरे में चली आयी और आकर पढाई में मन लगाने लगी लेकिन नहीं पढ़ पाई। उसने किताबे साइड में रखी और सोने चली गयी।

गुड्डू को नींद नहीं आ रही थी , वह कमरे की खिड़की के पास खड़ा बाहर गली में देख रहा था। मौसम बदल गया था और हल्की बूंदा-बांदी होने लगी। गुड्डू ने एक हाथ खिड़की से बाहर निकाला पानी की बुँदे आकर उसकी हथेली पर गिरने लगी। पानी की बूंदो की छुअन गुड्डू को सुकून का अहसास करवा रही थी। कुछ देर बाद बारिश रुक गयी , गुड्डू बेड की तरफ आया तो देखा शगुन बाहर सीढ़ियों पर बैठी है। गुड्डू उसकी और बढ़ गया , गुड्डू शगुन के पास आया और कहा,”इतनी रात में हिया का कर रही रही हो ?”
“कुछ नहीं ऐसे ही बैठी हूँ , बारिश के बाद माहौल में कितनी अच्छी महक आती है बस वही महसूस कर रही हूँ”,शगुन ने कहा
“हम भी बैठ जाये ?”,गुड्डू ने कहा
“हां बैठिये आपका ही घर है”,शगुन ने मुस्कुरा कर कहा
“अच्छा कैसे महसूस करते है महक ?”,गुड्डू ने कहा
“गहरी साँस लीजिये”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने उसकी नक़ल करते हुए गहरी साँस ली शगुन ने सही कहा था , बारिश के बाद हवा में एक अलग ही महक होती है। गुड्डू ने महसूस किया तो शगुन की ओर देखा और कहा,”ये तो बहुते सही है मतलब हमहु तो पहले कभी नहीं सोचे ऐसा”
“आप सोचते भी है ?”,शगुन ने गुड्डू की टाँग खींचते हुए कहा
“का चिकाई कर रही हो का हमायी ?”,गुड्डू ने शगुन को घुरा तो शगुन मुस्कुराते हुए सामने देखने लगी। कुछ देर बाद गुड्डू भी मुस्कुराने लगा और कहने लगा,”हां सोचते है , उह तो जबसे सर में चोट लगी है साला तबसे सोचना ही बंद कर दिया है”
“हम्म्म”,शगुन ने कहा वह बस गुड्डू को सुनना चाहती थी। शगुन को खामोश देखकर गुड्डू ने कहा,”अच्छा तुमसे एक बात पूछे ?”
“हां पूछो”,शगुन ने गुड्डू की तरफ देखा
“हम कैसे दिखते है ?”,गुड्डू ने बच्चे की तरह मासूमियत से पूछा
“बहुत अच्छे दिखते है”,शगुन ने प्यार से गुड्डू को देखते हुए कहा
“एक्सीडेंट के बाद से ना शक्ल ही बदल गयी है हमायी , किसी को पसंद ही नहीं आते है”,गुड्डू ने कहा
“इंसान का मन अच्छा होना चाहिए , शक्ल सूरत तो बदलती रहती है और जो आपको दिल से पसंद करते है ना वो कभी आपकी शक्ल को लेकर सवाल नहीं करेंगे”,शगुन ने बहुत ही प्यार से कहा तो गुड्डू उसकी आँखों में देखने लगा। शगुन बस मुस्कुराते हुए गुड्डू को देख रही थी। गुड्डू ने शगुन से नजर हटाई और कहा,”यार तुमहू ना बहुते सही बात करती हो , जे तो सही कहा तुमने की मन अच्छा होना चाहिए”
“हां और आपका मन बहुत साफ है”,शगुन ने कहा
“हमने ना तुम्हे बहुते परेशान किया है , सॉरी”,गुड्डू ने कहा
शगुन ने गुड्डू के मुंह से सॉरी सूना तो उसे बहुत अच्छा लगा , उसने गुड्डू की तरफ देखा और कहा,”आप मुझे कितना भी परेशान करे , कुछ भी कहे , मुझे कभी बुरा नहीं लगता”
गुड्डू ने शगुन की तरफ देखा और एकदम से अपना हाथ शगुन की और बढाकर कहा,”फ्रेंडस ?”
शगुन कुछ देर चुप रही और फिर गुड्डू से हाथ मिलाते हुए कहा,”फ्रेंड्स”
शगुन ने जैसे ही गुड्डू से हाथ मिलाया गुड्डू को एक जाना पहचाना सा अहसास हुआ और उसका दिल धड़कने लगा , उसे लगा जैसे ये सब पहले भी हो चुका है , शगुन बस प्यार से गुड्डू को देखते रही और गुड्डू शगुन और अपने हाथ को,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!

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क्रमश – मनमर्जियाँ – S22

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संजना किरोड़ीवाल

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