मनमर्जियाँ – S15
Manmarjiyan – S15
शगुन और गुड्डू की पहली मुलाकात थोड़ी रोमांचक थी जहा वेदी और गोलू ने मिलकर शगुन की लंका लगा दी थी वही शगुन ने सब सम्हाल लिया। गुड्डू के घर में यानि अपने ही ससुराल में शगुन अब एक मेहमान बनकर रहने वाली थी। वही गोलू का दिल टूट चुका था साथ ही उसने पिंकी को भी तकलीफ पहुंचाई लेकिन दोनों का प्यार एक दूसरे के लिए कम नहीं हुआ था। गोलू जब बिना खाना खाये दुकान चला आया तो पिंकी भी उसके लिए खाना लेकर हाजिर हो गयी।
बनारस में मोहब्बत की एक नयी दास्ताँन शुरू होने जा रही थी जिसमे प्रीति और रोहन शामिल थे वही कानपूर में वेदी और दीपक एक दूसरे से मिल नहीं पाने की वजह से परेशान। कुल मिलाकर कुछ प्यार में थे , कुछ शुरुआत में थे और कुछ बीच में लटके हुए थे पिंकी और गोलू की तरह।
सुबह का सोया गुड्डू शाम तक सोता रहा। शाम में मिश्राइन किसी काम से पड़ोस के घर में चली गयी , मिश्राइन के जाने से वेदी को भी मौका मिल गया की वह वंदना आंटी के घर जाकर दीपक से मिल सके इसलिए शगुन को जल्दी आने का बोलकर वह भी चली गयी , लाजो ऊपर वाले फ्लोर पर झाड़ू लगा रही थी। शगुन नीचे दादी के कमरे में बैठी उनके बालो में तेल लगा रही थी। कुछ देर बाद दादी ने कहा,”बिटिया तुमहू जाओ जाकर आराम करो इतना काफी है”
“ठीक है दादी माँ”,कहते हुए शगुन उठी और कमरे से बाहर चली आयी। वाशबेसिन के सामने आकर शगुन हाथ धोने लगी। गुड्डू उठ चुका था उसने घडी में देखा शाम के 5 बज रहे थे। उसने मिश्राइन को आवाज लगाई,”अम्मा,,,,,,,,,,,अम्मा,,,,,,,,,,,,,,हिया आओ कुछो काम है”
शगुन ने जैसे ही सूना देखा मिश्राइन वहा नहीं है , गुड्डू के सामने जाये या न जाये वह सोच में पड़ गयी। कुछ देर बाद गुड्डू ने फिर आवाज लगाई,”अम्मा”
इस बार शगुन के पैर नहीं रुके और गुड्डू जिस कमरे में था उस और बढ़ गए। शगुन ने दरवाजे पर आकर कहा,”माजी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरा मतलब आंटी , आंटी घर में नहीं है”
गुड्डू ने एक नजर शगुन को देखा और फिर कहा,”चाय चाहिए हमें”
“मैं लेकर आती हूँ”,कहते हुए शगुन जैसे ही जाने लगी गुड्डू ने कहा,”सुनिए”
गुड्डू के मुंह से सुनिए सुनकर शगुन का दिल धड़क उठा , शगुन पलटी और कहा,”जी”
“लाजो से कह दीजियेगा उह बना देगी”,गुड्डू ने नजरे झुकाकर कहा। शगुन मुस्कुरायी और कहा,”मुझे बनानी आती है और लाजो शायद छत पर है”
“ठीक है आप ही बना दीजिये , मीठा थोड़ा ज्यादा”,गुड्डू ने कहा
“हां पता है”,शगुन ने झट से कहा तो गुड्डू उसकी और देखने लगा,”आपको कैसे पता ?”
अब चुप होने की बारी शगुन की थी , गुड्डू को कही शक ना हो जाये सोचकर शगुन ने बात बनाते हुए कहा,”वो क्या है न कानपूर के लोग इतना मीठा बोलते है तो मुझे लगा शायद ज्यादा मीठा खाते पीते होंगे”
“जे भी सही है”,गुड्डू ने सोचते हुए कहा उसे सोच में डूबा देखकर शगुन ने वहा से जाना ही ठीक समझा। चलते चलते शगुन खुद से ही कहने लगी,”ये गुड्डू के सामने आते ही तुम सब भूल क्यों जाती हो शगुन ? ऐसे प्यार से बातें करोगी उनके सामने तो उन्हें शक हो जाएगा। तुम्हे उनके सामने नार्मल रहना चाहिए , पर गुड्डू जी का आज आप आप करके बात करना कितना अच्छा लग रहा था , बस महादेव जल्दी से उन्हें ठीक कर दे”
शगुन किचन में आयी और गुड्डू के लिए चाय बनाने लगी , उसने चाय बनाई और मीठा थोड़ा तेज रखा जैसा की गुड्डू ने कहा था। शगुन गुड्डू के लिए चाय लेकर कमरे में आयी। उसने गुड्डू के पास पड़ी टेबल पर चाय का कप रखा और वही खड़ी हो गयी। गुड्डू को ये थोड़ा अजीब लगा तो उसने शगुन की और देखा और कहा,”आप भी पिओगे ?”
“नहीं”, शगुन ने हड़बड़ाते हुए कहा
“तो फिर जाईये , हमाये सीने पे काहे खड़ी है ?”,गुड्डू ने कहा तो शगुन ने मुंह बनाया और कमरे से बाहर निकलते हुए बड़बड़ाई,”ये कभी नहीं सुधरेंगे”
शगुन को जाते हुए देखकर ने चाय का कप उठाया और धीरे से कहा,”बड़ी आयी हमाये पिताजी की दोस्त एक तो हमारा कमरा छीन लिया ऊपर से हमाये साथ दोस्ती बढ़ा रही , एक बार हमे ठीक होने दो उसके बाद कमरे से का तुम्हे ना हमहू घर से बाहर कर देंगे”
पिंकी गोलू के लिए टिफिन रखकर चली गयी। गोलू ने पिंकी के सामने सख्त बनने की कोशिश की लेकिन उसके जाते ही पिघल गया और उसका लाया टिफिन उठाकर चुम लिया। गोलू ने जल्दी जल्दी टिफिन खोला और एक निवाला तोड़कर खाया तो चेहरा सुकून से भर गया। गोलू जल्दी जल्दी खाने लगा अभी दो चार निवाले ही खाये थे की तभी एक आदमी बड़ा परेशान सा गोलू की दुकान पर आया और कहा,”रे भैया फ्री हो ?”
“नहीं नासा में साइंटिस्ट लगे है,,,,,,,,,,,,,,,,,,अबे खाना खा रहे है दिखाई नहीं देता है”,गोलू ने भड़क कर कहा
“अरे भैया खाना बाद में खा लेना अबही तुम्हायी मदद की बहुते ज्यादा जरूरत है”,आदमी ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“अच्छा बताओ का हुआ ?”,गोलू ने एक निवाला खाते हुए कहा
“दादी सुलट गई है”,आदमी ने कहा लेकिन वह अपनी बात पूरी करता इस से पहले ही गोलू बोल पड़ा,”तो हम का यमराज है जो जाकर उठाएंगे उन्हें”
“अबे यार बकैती ना करो तुम ? लोगो की भीड़ लगी है घर में 12 दिन आना जाना लगा रहेगा तो टेंट का बंदोबस्त चाही , भाईसाहब बता रहे की तुम्हारा काम अच्छा है इहलीये चले आये”,आदमी ने कहा
“अरे अरे का यार मतलब तुमहू तो बुरा मान गए,,,,,,,,,,,,,,अब का है की बकैती करना तो हम कानपूर वालो का जन्मसिद्ध अधिकार है , खैर छोडो इह सब और जे बताओ कब लगाना है ?”,गोलू ने टिफिन बंद करते हुए कहा
“अभी लगाना है , हमाये साथ ही चलिए हम रास्ता भी बता देंगे”,आदमी ने कहा तो गोलू ने साथ काम करने वाले एक लड़के को फोन करके बुलाया और सामान केम्पर में रखने को कहा। गोलू , लड़का और आदमी तीनो केम्पर में आगे आ बैठे और चल पड़े। आदमी रास्ता बताता गया और लड़का केम्पेर उस साइड मोड़ता रहा। जैसे ही आखरी गली में मुड़ा गोलू को याद आया की ये तो वही घर था जिसमे पिछले महीने गोलू अपनी हरकतों की वजह से खूब पिटा था। खैर गोलू ने इस बार कोई गड़बड़ ना करने का सोचा और घर में चला आया। घर में अच्छा खासा मातम छाया हुआ था , भीड़ की वजह से गोलू देख नहीं पाया की कौन मरा है ? लड़के के साथ मिलकर उसने टेंट बांधा , आखिर रस्सी बांधने के लिए खम्मे पर चढ़ा , खम्बे पर चढ़े हुए उसने देखा मरने वाली कोई और नहीं वही बूढी दादी थी जिसकी वजह से गोलू पिटा था। हालाँकि किसी की मौत पर ऐसे हँसना नहीं चाहिए पर गोलू को जो ख़ुशी हुई है बाप रे बाप , वह खम्बे से सीधा निचे कूद गया और झूठ मुठ का रोते हुए दादी के पास आया और लिपटकर रोने लगा। वहा मौजूद भीड़ भला क्या समझती ? गोलू ने दादी से लिपटे हुए धीरे से कहा,”कहे थे ना तुम्हाये मरने पर टेंट हम ही लगाएंगे , कैसे आराम से लेटी हो ? तुम्हाये चक्कर में कितना पिटे थे हम याद है ना , अब बोलो , अब करो हमायी शिकायत”
कहकर फिर ऊँचे स्वर में कहा,”हाय हमायी दादिया काहे छोड़ के चली गयी हमे हाय , अभी तुम्हायी उम्र ही का थी स्वीट नाईन्टी ,, आईटीआई जल्दी कोई जाता है का ?”
“लगता है बेचारा बहुत चाहता था इनको”,भीड़ में से किसी ने कहा
“अरे हमको जे सब देख के चक्कर आ रहे है”,कहते हुए गोलू बेहोश होने की एक्टिंग कर रहा था ताकि लोगो को लगे उसे सच में दादी के जाने का दुःख है।
“अरे कोई पानी पिलाओ इनको”,भीड़ ने कहा
“अरे पानी नहीं तो जूस ही पीला दो बेचारे को लगता है सदमा लगा लगता है”,
भीड़ में से किसी ने फिर कहा। पर जब कई देर तक गोलू की किसी ने नहीं सुनी तो उसने कहा,”अबे यार कोई उनकी भी सुन लो”
अगले ही पल गोलू ने सामने से आते आदमी को देखा और उठकर बैठ गया। सामने से उसके पिताजी आ रहे थे गोलू की तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी वह भीड़ में छुपकर निकला और साइड में आ गया। चलते चलते खम्बे से टकरा गया और सर पकड़कर वही बैठ गया। सर सहलाते हुए जैसे ही सामने देखा गज्जू महाराज (गुप्ता जी) उसी की और आ रहे थे। गोलू गिरते पड़ते उठा और वहा से दूसरी और चला आया।
(अब आप लोग सोच रहे होंगे की गोलू अपने पिताजी से भाग क्यों रहा है ? गोलू खुद को बताता है वेडिंग प्लानर पर यहाँ किसी की मैयत में टेंट लगा रहा है ऐसे में गुप्ता जी के सामने आया तो उसका तो हो गया ना कचरा)
गोलू साइड में आया और सर सहलाने लगा। दादी के अंतिम संस्कार में अभी वक्त था कुछ रिश्तेदार आने अभी बाकि थे। लड़का ट्रे में चाय लेकर घूम रहा था गोलू के सामने से गुजरा तो गोलू ने उसे रोककर एक चाय ली और पीते हुए घूमने लगा। अपने पिताजी को तलाश करते हुए गोलू ने अपनी कोहनी बगल में खड़े आदमी के कंधे पर टिका दी और कहा,”यार जे सारी चरस हमायी जिंदगी में काहे बो दी ?’
कहते हुए गोलू ने जैसे ही बगल में देखा उसके चेहरे पर हवाईया उड़ने लगी जिसके कंधे पर गोलू ने कोहनी रखी थी वो कोई और नहीं बल्कि गुप्ता जी ही थे। गोलू उन्हें देखकर मुस्कुराया तो गुप्ता जी भी मुस्कुरा उठे और अपने कंधे की ओर नजर घुमाई तो गोलू ने जल्दी से अपनी कोहनी हटाई और कहा,”आप हिया ?”
“और बेटा गोलू तो जे है तुम्हायी प्लानिंग , वेडिंग प्लानर के नाम पर लोगो की तेहरवी के टेंट लगा रहे हो,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने ताना मारते हुए कहा
“अरे पिताजी कोई काम छोटा बड़ा थोड़े ना होता है”,गोलू ने कहा
“वही तो हम कह रहे है की कर ल्यो रमाकांत की भांजी से सादी”,गुप्ता जी ने अपना राग अलापा
गोलू ने चाय का आधा कप फेंका और कहा,”नहीं करेंगे हम उस से सादी और उस से का किसी से नहीं करेंगे”
“अरे तो का जिंदगीभर दूसरो की सादी में टेंट बांधते फिरोगे,,,,,,,,,,,,,,,अबे ओह गुरु घंटाल अरे हमायी बात का जवाब देते जाओ यार कहा भाग रहे इरोप्लेन बनके , ए गोलू अबे सुनो यार”,गुप्ता जी ने भागते हुए गोलू के पीछे आते हुए कहा जबकि गोलू वहा से 9 2 11 हो चुका था
गोलू बचते बचाते वापस दुकान पर चला आया। अभी वह बैठकर उखड़ी हुई सांसे ठीक ही कर रहा था की तभी एक लड़का और लड़की आये और कहा,”मिश्रा वेडिंग प्लानर” यही है का ?”
“शक्ल से तो पढ़े लिखे नजर आते हो दोनो , फिर बोर्ड काहे नहीं पढ़ते”,गोलू ने भड़क कर कहा
“हां हां ठीक है , वो हम शादी के लिए आये थे”,लड़के ने कहा
“तो हम का पंडित है जो मंत्र पढ़ेंगे ,, अबे काम बोलो”,गोलू ने कहा
“यार हमहू इतने इज्जत से बात कर रहे है तुम हो के हम ही पे चढ़े जा रहे हो”,इस बार लड़की ने गुस्से से कहा तो गोलू ने थोड़ा नरम स्वर में कहा,”माफ़ करना उह का है मन थोड़ा परेशान है इहलीये जे सब कह दिए ,, आप आओ अंदर आओ”
गोलू के माफ़ी मांगने पर लड़का लड़की अंदर चले आये। गर्मी बहुत थी इसलिए गोलू ने दोनों के लिए जूस मंगवा दिया और खुद के लिए भी। जूस पिने के बाद गोलू ने कहा,”हां जी अब बताईये का करना है ?”
“भैया हमे ना डेस्टिनेशन वेडिंग करनी है , अरेंज करते है क्या आप ?”,लड़के ने कहा
गोलू सोच में पड़ गया क्योकि आज से पहले तो उसने ऐसी कोई शादी का अरेजमेंट किया नहीं था लेकिन आती हुई लक्ष्मी को भला कौन ना कहता है ? गोलू ने भी झूठ बोल दिया,”अरे बहुत बार करवाई है और सब एक नंबर , तुम्हायी भी करवा देंगे”
“ठीक है भैया फिर आप लोकेशन तैयार रखो हम कोई एक अच्छी लोकेशन देख के वही फिक्स कर देंगे”,लड़की ने खुश होकर कहा
“लोकेशन ? जे कौनसी शादी की बात कर रहे है ? अरे छोडो यार देखते है बाद में पहले इनको फिक्स करते है”,मन ही मन सोचते हुए गोलू ने दोनों से सारी इन्फॉर्मेशन ली और उन्हें भेज दिया। चलो अपने पिताजी से बचने के लिए गोलू को एक और चांस मिल गया।
अगली सुबह मिश्रा जी नाश्ता करके शोरूम चले गए। वेदी ने शालू के साथ कोई कम्प्यूटर कोचिंग क्लास ज्वाइन किया था तो सुबह सुबह वह भी निकल गयी। लाजो अपने काम में लगी थी.अब शगुन बेचारी कहा जाती इसलिए वह घर में ही थी। गुड्डू हॉल में बैठा था की मिश्राइन आयी और उसके सामने प्लेट रखते हुए कहा,”गुड्डू जे लो नाश्ता कर ल्यो ओके बाद दवा लेनी है तुमको”
मिश्राइन चली गयी तो गुड्डू ने देखा प्लेट में दलिया , दूध और सेब रखा हुआ है। उन्हें देखते ही गुड्डू को उलटी जैसा मन हुआ पिछले 2 हफ्तों से वह यही सब तो खा रहा था। उधर से गुजरते हुए शगुन ने जब गुड्डू को परेशान देखा तो किचन में जाकर एक प्लेट में अपने लिए नाश्ता ले आयी। नाश्ते में गोभी के पराठे और लहसुन की चटनी साथ में दही था। शगुन जान बुझकर आकर गुड्डू के सामने बैठी। गुड्डू ने जैसे ही उसकी प्लेट में गोभी के पराठे देखे उसके मुंह में पानी आ गया। गुड्डू ललचायी नजरो से शगुन की प्लेट की और देखने लगा। शगुन ने अपनी प्लेट गुड्डू के सामने रखी और गुड्डू की प्लेट उठाते हुए कहा,”आप ये खा लीजिये ये मैं खा लेती हूँ”
“लेकिन अम्मा को पता चला तो,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने मासूमियत से कहा
“उनको कौन बताने जाएगा ?”,कहते हुए शगुन गुड्डू के लिए लाया गया दलिया खुद खाने लगी। गुड्डू ने ये सब देखा तो उसे एक अजीब सी फीलिंग आने लगी और उसने मन ही मन खुद से कहा,”ऐसा काहे लग रहा है जैसे जे सब पहिले भी हो चुका है”
गुड्डू ने एक नजर शगुन को देखा जो की आराम से गुड्डू का नाश्ता खुद खा रही थी और फिर सामने पड़ी प्लेट उठाकर पराठे खाने लगा
क्रमश – मनमर्जियाँ – S16
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संजना किरोड़ीवाल
He bhagwan… Sab thik karooo
bahut hi khubsurat..slowly sab thik hota jayega…
मैम सबसे बड़ी लंका तो अब गोलू की लगनेवाली हैं…डेस्टिनेशन वेडिंग के बारें में बढ़ाचढ़ा जो बोला हैं…बेचारा बहुत बुरी तरह फंसनेवाला हैं…वैसे शगुन यहां भी गोलू की मदद कर देंगी… और गुड्डू भाई तो गोभी के पराठें खाने के बाद शगुन के लिऐ कुछ अच्छी फीलिंग तो मन में आयीं ही होंगी😊 majedaar part👌👌👌👌👌
Very nice part…Golu ki acting jabardast thi maza aa Gaya…..🌷🌷🌷🌷
nice part…
Destination wedding me golu ko sagun ki jrurt rhegi uske bina golu nhi kr skta kyuki Guddu ko to kuch yad hi nhi h
Destination wedding ab matlab hi nahi pata to golu karega kaise🤣🤣 lagta h phir shagun k help leni padegi
Ab lagegi Golu ki Lanka aur Guddu ko hoga fir se Shagun se pyaar
Bhut hi pyaara part tha
Amazing, 😂😂😂😂😂😂😂
Ye golu ni sudhrega … Jb dadi k chipat k bkwas kr ra tha bgwan ksm hsii nikl gyii merii tohh🤣🤣
Btao order le lia or pta kuch h nhii🤣🤣 ab hogii shagun ki entry vo plan kregi ye shadi😍😍😍
Guddu Shi smjhe esa phle bhi hua hh🤩🤩
Kmra cheen lia to chid gya hh btao kese bat kr ra h ki seene pe kyu khdii ho jao 😂😂😂
Majedar part….👏👏👏👏👏
Lovely❤❤❤❤❤