मनमर्जियाँ – S12
Manmarjiyan – S12
मनमर्जियाँ – S12
मनमर्जियाँ – S12गोलू और पिंकी अपने प्यार का इजहार कर चुके थे और दोनों की जिंदगी में ये बहुत ही खूबसूरत पल था। गोलू जिसे उम्मीद भी नहीं थी की उसे पिंकी जैसी लड़की मिलेगी आज मोहल्ले की वही पिंकी उसके प्यार में पागल थी। पिंकी भी गोलू को पाकर खुश थी एक गोलू ही था जो उसे समझ सकता था और अब पिंकी ने उसके साथ जिंदगी बिताने का फैसला लिया था लेकिन वो कहते है न की हर प्रेम कहानी में एक विलीन जरूर होता है तो यहाँ गोलू और पिंकी की प्रेम कहानी में विलीन थे खुद उन दोनों के बाप जो की एक दूसरे को फूटी आँख नहीं सुहाते थे। शर्मा जी और गुप्ता जी दोनों को एक दूसरे के घर आना जाना पसंद नहीं था।
लेकिन उनके घर के बच्चे एक दूसरे से प्यार कर बैठे , शर्मा जी को इसकी जानकारी थी लेकिन गुप्ता जी इस बात से अनजान अपने गोलू की शादी करने के सपने देख रहे थे
गुड्डू की तबियत मे सुधार था और डॉक्टर से उसे घर जाने की परमिशन भी मिल चुकी थी। मिश्रा जी खुश काफी दिनों से जो उथल पुथल मची थी जिंदगी में वो अब थोड़ी शांत हुई लेकिन गोलू के लिए थोड़ा परेशान हो गए जब उसने बताया की वह पिंकी के प्यार में। कही पिंकी को लेकर गोलू और गुड्डू में झगड़ा ना
हो जाये सोचकर वे थोड़ा परेशान थे। हॉस्पिटल के कमरे में लेटा गुड्डू पिंकी से मिलकर खुश था , पिंकी उस से मिलने आयी उसके लिए तो इतना ही काफी था आज कितने दिन बाद वह मुस्कुराया था। गुड्डू पिंकी के बारे में सोचते हुए नींद के आगोश में चला गया।
मिश्राइन ने एक अच्छी सास का परिचय देते हुए बच्चे वाली बात का सच जानकर भी शगुन को अपना लिया। शगुन अपने कमरे थी गुड्डू के बिना उसे सब सूना सूना लग रहा था। कैसे हर वक्त वह शगुन से टकराता रहता था , उस से चिढ़ता रहता था , बहस करता था और कभी कभी खूबसूरत पल जिन में सिर्फ शगुन और गुड्डू होते थे। शगुन को जब अकेले नींद नहीं आयी तो वह ऊपर छत पर चली आयी। गर्मियों के दिन थे और चाँदनी रात थी ,, साफ आसमान में बादलो के बीच छुपा आधा चाँद नजर आ रहा था। शगुन आकर झूले पर बैठ गयी और चाँद को देखते हुए गुड्डू के बारे में सोचने लगी। अपनी बांयी तरफ खाली पड़ी जगह देखकर शगुन को गुड्डू याद आ गया जब पहली बार ऐसे ही वह शगुन के साथ बैठकर उस से अपनी लाइफ के बारे शेयर कर रहा था। वह खाली पड़ी उस जगह को छूकर देखने लगी , ऐसा करते हुए शगुन के होंठो पर मुस्कान तैर गयी लेकिन आँखों में नमी तैर गयी। वह गुड्डू को बहुत याद कर रही थी , इस वक्त शगुन के दिल का हाल वैसा ही था जैसे एक भूखे के सामने रोटी डालकर वापस उठा ली जाये , जैसे एक प्यासे को रेगिस्तान में छोड़ दिया गया हो। इस हादसे के बाद शगुन का प्यार गुड्डू के और बढ़ चुका था वह इस दिल से महसूस कर पा रही थी। शगुन नम आँखे लिए वहा बैठी रही , चारो और सन्नाटा बस कुछ घरो की लाईटे जल रही थी।
सोनू भैया के घर की छत और मिश्रा जी के घर की छत एक दूसरे से जुडी थी। सोनू खाना खाकर छत पर आया तो शगुन पर उसकी नजर पड़ी। शगुन को उदास देखकर सोनू मन ही मन कहने लगा,”तुम्हायी जिंदगी में भी दर्द लिखा था शगुन , वैसे गुड्डू को सुधारने में कोई कमी नहीं रखी तुमने लेकिन उसकी अच्छाई देख पाते उस से पहिले जे सब हो गया,,,,,,,,,,,,,महादेव से दुआ करेंगे तुम दोनों के लिए की जल्दी ही सब ठीक हो जाये”
शगुन ने ध्यान ही नहीं दिया की सोनू भैया अपनी छत पर खड़े उसे देख रहे है। कुछ देर बाद वेदी शगुन को ढूंढते हुए छत पर आयी तो देखा शगुन झूले पर बैठी है वेदी ने शगुन की बगल में बैठते हुए कहा,”लो हम आपको सारे घर में ढूंढ रहे है और आप हो के यहाँ बैठी हो , आप यहाँ अकेले काहे बैठी है ?”
“बस ऐसे ही,,,,,,,,,,,,,!”,शगुन ने फीका सा मुस्कुराते हुए कहा
“आपके लिए ऐसी खबर लेकर आये है ना आप सुनेगी तो ख़ुशी से झूम उठेगी”,वेदी ने कहा
“क्या ?”,शगुन ने वेदी की और देखकर कहा
“कल गुड्डू भैया घर आ रहे है”,प्रीति ने आँखों में ख़ुशी भरते हुए कहा
शगुन ने जैसे ही सूना उसका दिल धड़क उठा , उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गयी और उसे जैसे वेदी की बात का विश्वास ही ना हुआ हो उसने कहा,”तुम सच कह रही हो वेदी ?”
“गंगा मैया की कसम , अभी थोड़ी देर पहिले ही पिताजी का फोन आया था उन्होंने बताया की कल वो गुड्डू भैया के साथ घर आ रहे है , गुड्डू भैया अब ठीक है”,वेदी ने खुश होकर कहा तो शगुन उसके गले आ लगी और कहा,”मैं बहुत खुश हु , पता है उनके बिना ये घर , घर नहीं लगता”
“हां सच कहा हमने भी उन्हें बहुत मिस किया है भाभी लेकिन कल से फिर वो हम सबके साथ होंगे”,वेदी ने कहा तो शगुन उस से दूर हटी और वेदी के हाथो को अपने हाथो में थामकर कहने लगी,”उस दिन जब गुड्डू जी को ICU में देखा तो मैं बहुत डर गयी थी , मेरी वजह से उनकी ये हालत हुई , अगर उन्हें कुछ हो जाता तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाती ,, मेरे और मेरे घरवालों के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया है वेदी,,,,,,,,,,,,,,,वो बहुत अच्छे इंसान है वेदी”
“भाभी बार बार खुद को गलत समझना बंद करो , गुड्डू भैया आज ठीक है ये आपका प्यार और भरोसा ही है जो उन्हें मौत के मुंह से भी बाहर ले आया,,,,,,,,,,,,हां वो आपको पहचान नहीं पा रहे लेकिन देखियेगा एक जिस दिन उन्हें अपनी शादी याद आयी वो सबसे पहले आपको ढूंढेंगे,,,,,,,,और ये दिन बहुत जल्दी आएगा भाभी”,वेदी ने शगुन को हिम्मत देते हुए कहा
शगुन मुस्कुराई और कहने लगी,”पता है वेदी मैं बहुत खुशनसीब हूँ जिसे तुम जैसी ननद , माजी पापाजी जैसे सास ससुर , गोलू जी जैसे भाई और गुड्डू जी जैसे पति मिले , अगर हर लड़की को शादी के बाद ऐसा परिवार मिले ना तो कोई भी लड़की ससुराल को नरक नहीं समझेगी”
“भाभी हम सब इसलिए अच्छे है क्योकि आप अच्छी हो , अपने जितना प्यार हम सबको दिया है , इस घर के सम्मान के लिए गुड्डू भैया का गुस्सा सहा , उन्हें अच्छा इंसान बनाया , उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का अहसास करवाया,,,,,,,,,,,,,,,मैं तो चाहूंगी की हर जन्म में मुझे भाभी के रूप में आप ही मिले ,, आप मेरी भाभी के साथ मेरी बहुत अच्छी दोस्त भी है ,, आई लव यू भाभी”,वेदी ने बहुत ही प्यार से कहा तो शगुन ने उसका गाल छूआ और कहा,”तुम बहुत प्यारी हो वेदी , चलो नीचे चलते है रात बहुत हो गयी है”
शगुन ने कहा तो वेदी उठकर उसके साथ चल पड़ी चलते चलते वेदी ने पलटकर वंदना आंटी की छत की और देखा जहा दीपक खड़ा उसे ही देख रहा था। वेदी आखरी बार दीपक से उस शाम मिली थी जब वह वंदना आंटी के घर कुछ सामान देने गयी थी और तबसे ही वह और दीपक एक दूसरे को पसंद करने लगे थे लेकिन गुड्डू के साथ हुए हादसे के बाद से ना वेदी उस से मिल पायी ना ही कोई बात हुई आज कितने दिनों बाद उसने दीपक को देखा तो उसे अच्छा लगा। वेदी शगुन के साथ निचे चली आयी। निचे आकर शगुन को एक बार फिर गुड्डू का ख्याल आया तो उसने कहा ,”वेदी आज रात तुम यहाँ सो जाओगी , मुझे अकेले नींद नहीं आ रही है”
“हाँ भाभी बिल्कुल , आप चलो मैं नींचे माँ को बोलकर आती हूँ”,कहकर वेदी चली जाती है। शगुन अपने कमरे में आती है बिस्तर सही करती है और तकिया रख देती है। वेदी कमरे में आती है और दोनों बिस्तर पर आकर लेट जाती है , वेदी दीपक के बारे में सोचकर जाग रही थी और शगुन गुड्डू के आने की ख़ुशी में वेदी दीपक को पसंद करने लगी थी और शगुन गुड्डू से प्यार एक दूसरे को बताने के लिए दोनों एक साथ एक दूसरे की और पलटी और एक साथ कहा,”मुझे कुछ बताना है”
दोनों की ख़ुशी हैरानी में बदल गयी और दोनों उठकर बैठ गयी , शगुन ने वेदी की और देखा और कहा,”हां तो पहले तुम बताओ”
“नहीं नहीं भाभी हम तो ऐसे ही पहले आप बताईये”,वेदी ने कहा
“वेदी बताओ ना क्या बात है ?”,शगुन ने कहा
“आप बड़ी हो ना इसलिए पहले आप बताओ”,वेदी ने कहा
“अच्छा ठीक है पहले मैं बताती हूँ , मुझे तुम्हारे भैया से प्यार हो गया है”,शगुन ने शरमाते हुए कहा
“हैं,,,,,,,,,,,,,,अब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आप दोनों की शादी को 2-3 महीने हो चुके और आपको अब उनसे प्यार हुआ है”,वेदी ने हैरानी से कहा
”नहीं मतलब अच्छे लगते थे वो पहले दिन से ही लेकिन धीरे धीरे बहुत ज्यादा अच्छे लगने लगे और जब उनकी अच्छाईया देखने को मिली तो बहुत बहुत ज्यादा अच्छे लगे”,शगुन ने कहा
“और फिर आपको ये अहसास कब हुआ की आपको उनसे प्यार हो गया है ?”,वेदी ने शगुन की बातो में इंट्रेस्ट लेते हुए कहा
“जब रमेश से उनका झगड़ा हुआ था तब रमेश ने उन्हें बहुत पीटा था और उसके बाद जब वो मेरी तरफ आया तो गुड्डू जी ने उस हालत में भी उसे मेरे करीब आने से रोक लिया , और जब उन्होंने कहा की “पत्नी है ये हमारी” उस पल , उस क्षण मुझे उनसे प्यार होगा ,, उनके मुंह से वो दो शब्द सुनने के लिए बहुत इंतजार किया था मैंने”,शगुन ने कहा
“वाओ भाभी कितनी रोमांटिक स्टोरी है आपकी और गुड्डू भैया की , लोग प्यार करके शादी करते है आप दोनों ने तो शादी करके प्यार कर लिया,,,,,,,,,,,,,वैसे गुड्डू भैया लड़कियों के मामले में बहुत शर्मीले है”
“हाँ पता है”,शगुन ने मुस्कुराते हुए कहा
“कैसे ?”,वेदी ने पूछा तो शगुन ने उसे गुड्डू के किस वाली बात बता दी , वेदी ने सूना तो पेट पकड़ कर हंसने लगी और कहा,”गुड्डू भैया भी ना अपनी ही पत्नी को किस करने में कैसी शर्म,,,,,,,,,,,,,,,,,,सो फनी”
वेदी को हँसते देखकर शगुन भी हसंने लगी और फिर कहा,”अच्छा तुम कुछ बता रही थी”
“नहीं कुछ भी तो नहीं”,वेदी ने कहा
“बताओ ना क्या बताने वाली थी ?”,शगुन ने कहा
“पहले प्रॉमिस करो आप ये बात किसी से नहीं कहोगी , गुड्डू भैया से भी नहीं”,वेदी ने थोड़ा सीरियस होकर कहा
शगुन कुछ देर चुप रही और फिर वेदी के हाथ पर हाथ रखकर प्रॉमिस करते हुए कहा,”प्रॉमिस , अब बताओ”
शगुन के प्रॉमिस करने के बाद वेदी ने उसे दीपक के बारे में बता दिया। शगुन ने सूना तो कुछ देर चुप रही और फिर वेदी का कान पकड़कर प्यार से खींचते हुए कहा,”अच्छा तो ये खिचड़ी पक रही है”
“अरे भाभी भाभी प्लीज छोडो प्लीज”,वेदी ने कहा तो शगुन ने उसका कान छोड़ दिया और कहा,”अच्छा कब मिलवा रही हो उनसे ?”
“जल्दी ही मिलवा देंगे”,वेदी ने शरमाते हुए कहा
“अच्छा ठीक है अब सो जाते है सुबह जल्दी भी तो उठना है”,कहते हुए शगुन ने अपने साइड की लाइट बंद कर दी और सोने चली गयी। वेदी भी उसकी बगल में लेट गयी और आँखे मूँद ली। कुछ देर बाद ही दोनों नींद के आगोश में चली गयी।
हॉस्पिटल के बाहर लगे बेंच पर गोलू और पिंकी एक दूसरे का हाथ थामे बैठे थे। पिंकी ने अपना सर गोलू के कंधे से लगा रखा था। सुबह के 5 बज रहे थे गोलू ने घडी में समय देखा और पिंकी को उठाते हुए कहा,”चाय पिओगी ?”
“हम्म्म तुम पिलाओगे तो पि लेंगे”,पिंकी ने प्यार से गोलू की और देखते हुए कहा
“हम लेकर आते है”,कहते हुए गोलू उठा और चाय वाले से दो चाय ले आया , एक कप पिंकी की और बढ़ा दिया और दुसरा खुद लेकर पीने लगा। एक दो घूंठ भरकर पिंकी से कहा,”तुम हम पे भरोसा करती हो ?”
“ऐसा क्यों पूछ रहे हो गोलू ?”,पिंकी ने परेशान होकर कहा
“नहीं बस ऐसे ही पूछ रहे है , करती हो ?”,गोलू ने फिर अपना सवाल दोहराया।
“करते है”,पिंकी ने गोलू की आँखों में देखते हुए कहा , गोलू एक पल के लिए उसकी आँखों में खो सा गया और फिर चाय खत्म करके कहा,”चले फिर”
“हम्म”,पिंकी ने उठते हुए कहा
“पूछोगी नहीं कहा लेकर जा रहे है तुमको ?”,गोलू ने कहा
“हम तुम्हारे है गोलू तुम जहा लेकर जाओगे चलेंगे”,पिंकी ने कहा , उसकी आँखों में गोलू को अपने लिए बेइंतहा प्यार और विश्वास नजर आ रहा था।
“हम तुम्हारा बैग ले आते है”,कहकर गोलू हॉस्पिटल गया पिंकी का बैग लेकर आया और अपनी स्कूटी में रखकर पिंकी के पास चला आया।
“बइठो”,गोलू ने बिना किसी भाव के पिंकी से कहा
पिंकी गोलू के पीछे बैठ गई और उसकी कमर को अपनी बांहो में भरकर सर गोलू पीठ से लगा दिया। गोलू ने स्कूटी आगे बढ़ा दी। ठंडी सुकूनभरी हवा के झोंके दोनों को छूकर गुजर रहे थे। पिंकी ने उन्हे महसुस करते हुए अपनी आँखे मूँद ली। गोलू के साथ ना उसे कोई डर था ना ही कोई झुंझलाहट बस एक सुकून था जो की उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था। 20 मिनिट के बाद गोलू ने स्कूटी घर के सामने लाकर रोकी हल्का अँधेरा अभी भी था। सभी अपने अपने घरो में सो रहे थे। पिंकी ने अपनी आँखे खोली और कहा,”रुक क्यों गए गोलू ?”
“उतरो”,गोलू ने बस इतना ही कहा और पिंकी के उतरने के बाद खुद भी नीचे उतरा और स्टेण्ड लगा दिया। पिंकी ने देखा वो और गोलू जहा खड़े थे वो उसी का मोहल्ला था और वह इस वक्त अपने घर के सामने खड़ी थी। पिंकी को समझ नहीं आ रहा था की गोलू उसे यहाँ क्यों लाया है ? वह उस से कुछ पूछ पाती इस से पहले ही गोलू ने उसका हाथ पकड़ा और उसके घर के दरवाजे के सामने जाकर बेल बजा दी। पिंकी मुंह फाडे गोलू को देखे जा रही थी उसके लिए ये समझना मुश्किल हो रहा था की आखिर गोलू उसे फिर से उसके घर क्यों लेकर आया है ? तभी घर का दरवाजा खुला सामने शर्मा जी खड़े थे पिंकी ने उन्हें देखा तो डर के मारे गोलू के पीछे आ गयी। गोलू ने पिंकी का हाथ पकड़कर उसे उसके पापा की और कर दिया। शर्मा जी ने पिंकी का हाथ पकड़ा और उसे अंदर ले जाने लगे
पिंकी ने पलटकर गोलू को देखा तो वह बिना किसी भाव के उसे ही देख रहा था , पिंकी की आँख से आंसू बहकर जमीन पर आ गिरे”
क्रमश – मनमर्जियाँ – S13
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संजना किरोड़ीवाल
मैम गोलू ने वहीं किया जो एक सच्चा आशिक करता हैं…और शर्मा जी को भी ये बात समझ में आयेगी चाहे देर से ही सही कि…गोलू पिंकी के लिऐ बहुत अच्छा हैं…मैम वेदी ने भी दीपक के बारें में बता दिया…सबका प्यार इससमय हैं मझधार में…पता नहीं कब मिलेगा मंजिल इनको प्यार में😊 superb part👌👌👌👌👌
Ohhoo hr taraf pyar ki barish aa ho rhi hh bt ye kya golu k guddu bhaiya uski hi life k vilen bn gyee bina memory k to😂😂😂
Golu take a good decision… Impressive 😎😎
golu ne theek hi kiya ab shayad sharma ji accept kar lenge
Amazing
Are wah golu to bahute sudhar gaya, gajjab ka act kiye hain
Kam to sahi kiya golu ne par sharma ji ko b to samjh aye..
Ekdum sahi kiya Golu ne ye wohi kr skta h jo pyar ko janta ho
Golu n bilkul theek kiya