मनमर्जियाँ – 91
Manmarjiyan – 91
मनमर्जियाँ – 91
प्रीति की शर्त के मुताबिक गुड्डू ने शगुन के गाल पर किस किया और वहा से निकल गया। शगुन गाल से हाथ लगाए गुड्डू को जाते हुए देखती रही। गुड्डू जा चुका था शगुन अब भी बुत बनी वही खड़ी थी। प्रीति उछलते कूदते निचे शगुन के पास आयी और अपने कंधे को उसके कंधे से टकराकर कहा,”क्या हुआ दी
आप ऐसे क्यों खड़ी हो ?”
“हां हां प्रीति तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,,क क कुछ नहीं”,शगुन ने जैसे नींद से जागते हुए कहा
“वैसे जीजू क्या कह रहे थे तुमसे ?”,प्रीति ने शगुन को छेड़ते हुए कहा।
“क क कुछ भी तो नहीं”,शगुन ने जल्दी से अपने गाल से हाथ हटाते हुए कहा
“हम्म्म ठीक है जाओ आप”,प्रीति ने कहा तो शगुन जल्दी से वहा से चली गयी। प्रीति भी जाने के लिए पलटी तो दरवाजे पर खड़े लड़के ने कहा,”जरा सुनिए”
प्रीति ने देखा वही लड़का था जो कल आया था उसके पापा से मिलने वह उस लड़के के पास आयी और कहा,”तुम फिर आ गए ?”
“देखिये मुझे कोई शौक नहीं है बार बार आपके सामने आने का , आज से मैं आपके यह पेइंग गेस्ट रहने वाला हु इसलिए आया हूँ ,, रूम दिखाने की कृपा करेंगी आप”,लड़के ने कहा
“हुंह चलो”,प्रीति ने कहा और आगे बढ़ गयी। गुप्ता जी के घर में नीचे तीन कमरे और ऊपर दो कमरे थे। नीचे वाले कमरो में एक कमरा खाली था इसलिए गुप्ता जी ने उसे इस लड़के को देने का फैसला कर लिया। ये लड़का गुप्ता जी के किसी दोस्त का दूर का रिश्तेदार था इसलिए उन्होंने कमरा दे दिया। प्रीति आगे आगे और वो लड़का उसके पीछे पीछे , चलते चलते प्रीति अचानक पलटी बेचारा लड़का उस से टकराते टकराते बचा तो प्रीति ने आँखे दिखाते हुए कहा,”ओह्ह हेलो डिस्टेंस मेंटेन करके चलो समझे,,,,,,,,,,,,,,,,,अंदर ही घुसे जा रहे हो”
प्रीति फिर चल पड़ी लड़के ने झुंझलाकर उसका गला दबाने की एक्टिंग की और फिर चुपचाप उसके पीछे चल पड़ा। एक कमरे के सामने आकर प्रीति रुकी और दरवाजा खोलते हुए कहा,”ये कमरा है अगर यहाँ रहना है तो यहाँ के रूल समझ लो , अपने कमरे की सफाई खुद करनी होगी , सुबह 6 बजे ताजा पानी आता है
उसी को पीना है उसी से नहाना धोना है , 8 बजे के बाद घर में नो एंट्री ,, बिना वजह घर में नहीं घूमना और हां सिगरेट फुकनी हो तो नुक्कड़ पर पान वाले की दुकान है वहा जाकर फुकना”
लड़के ने प्रीति की बात पर जैसे ध्यान ही नहीं दिया वह बस कुछ ना कुछ बोले जा रही थी। लड़के ने कमरे को देखा और जाकर खिड़की खोल दी वहा से अस्सी घाट साफ नजर आ रहा था। प्रीति ने देखा तो कहा,”ओह्ह हेल्लो मैं तुमसे कुछ कह रही हूँ नो रिएक्शन”
लड़का प्रीति के सामने आया और कहा,”पहली बात तो मेरा नाम ओह्ह हैलो नहीं है (लड़के ने अपना हाथ प्रीति के सामने बढ़ाया और कहा) हाय मेरा नाम रोहन है”
प्रीति ने उसके हाथ को अपने हाथ से हल्का सा मारकर साइड में करते हुए कहा,”ज्यादा फ्रेंक होने की जरूरत नहीं है , पापा के दोस्त के रिश्तेदार नहीं होते ना तो पुरे बनारस में कही टिकने नहीं देती मैं तुम्हे”
“कितना बोलती हो ना तुम , आखरी बार चुप कब हुई थी ?”,रोहन ने कहा
“हुंह”,कहकर प्रीति वहा से चली गयी , रोहन ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया और कमरे को देखने लगा उसे कमरा पसंद आया। वह हॉस्टल गया और वहा से अपना सामान ले आया। उसे सामान लाते देखकर छत पर खड़ी शगुन ने पूछा,”ये कौन है ? पापा ने नया पेइंग गेस्ट रखा है क्या ?”
“हां पापा के किसी दोस्त का दूर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,का रिश्ते दार है , पापा भी ना पता नहीं क्यों सबको हाँ कर देते है ?
प्रीति ने मुंह बनाते हुए कहा
“अरे बाबा ठीक है ना अब पापा को तो तुम जानती ही हो,,,,,,,,,,,,,खैर छोडो तुम अपनी क्लासेज पर ध्यान दो”,शगुन ने कहा
“अरे महादेव् ! गुड्डू जीजू के आने की ख़ुशी में मैं तो भूल ही गयी थी की मुझे क्लास भी जाना है , अच्छा दी मैं जा रही नहाने”,कहकर प्रीति चली गयी। शगुन अपने कमरे में आयी और कमरे में इधर उधर बिखरा सामान जमाने लगी । काम करते हुए शगुन की नजर शीशे पर पर पड़ी शगुन शीशे के सामने आकर खुद को देखने लगी , कुछ देर पहले गुड्डू ने उसके गाल पर जो किस किया उसका अहसास शगुन को अब तक था। वह बार बार अपने गाल को छूकर देख रही थी गुड्डू ने उसके साथ ऐसा किया शर्म से उसके गाल लाल हो रहे थे।
“हां तो दी मैं ये कह रही थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए प्रीति जैसे ही कमरे में आयी उसने देखा शगुन ख्यालो में खोयी है। प्रीति ने उसके पास आकर जोर से कहा,”बुह्ह्ह”
“तुमने तो मुझे डरा ही दिया”,शगुन ने अपने सीने पर हाथ रखते हुए कहा
“क्या दी सुबह सुबह गुड्डू जीजू के ख्यालो में खोयी हो आप”,प्रीति ने अपने बाल बनाते हुए कहा
“ऐसा तुमसे किसने कहा ?”,शगुन ने पूछा
“शक्ल देखो अपनी 14 साल की लड़की जैसी लग रही है”,प्रीति ने शगुन को छेड़ते हुए कहा
“ये छेड़ना बंद करो तुम प्रीति”,शगुन ने कहा
“पता है दी मैं तो उस दिन का इंतजार कर रही हूँ जब गुड्डू जीजू आपसे अपने प्यार का इजहार करेंगे , कितना रोमांटिक होगा ना वो पल”,प्रीति ने आहे भरते हुए कहा
“अच्छा तुम्हे बड़ा पता है”,शगुन ने ताना मारा
“अरे हां दी , अब देखो गुड्डू जीजू कितने शर्मीले है जब शरमाते हुए वो आपको प्रपोज करेंगे , कितने क्यूट लगेंगे ना”,प्रीति ने खुश होकर कहा
“मुझे नहीं लगता वो कभी कहेंगे”,शगुन ने चददर समेटते हुए कहा
प्रीति शगुन के पास आयी और उस से चददर छीनकर कहा,”आप जीजू से प्यार करती हो या नहीं ?”
“हम्म्म !”,शगुन ने कहा
“तो फिर अपने प्यार पर भरोसा रखो देखना एक दिन जीजू आपसे अपने दिल की बात जरूर कहेंगे , और आपने ये कैसे सोच लिया की उन्हें आपसे प्यार नहीं है , कल शाम आपके लिए ही बनारस आये थे वो”,प्रीति ने कहा तो शगुन मुस्कुरा उठी और प्रीति के गले लगते हुए कहा,”हां पता है और मुझे भी उस दिन का इंतजार है जब वो अपने दिल की बात कहेंगे”
“अच्छा अब मैं चलती हूँ वरना मुझे देर हो जाएगी , आप खाना खा लेना मैं शाम को मिलती हूँ बाय”,कहकर प्रीति वहा से चली गयी।
कानपूर , उत्तर-प्रदेश , शाम के 5 बजे
गोलू दुकान में सोफे पर पसरा हुआ था , पास ही सड़क का कुत्ता बैठा ऊंघ रहा था। गोलू के फोन में गाना बज रहा था
“तू छुपी है कहा ? मैं तड़पता यहाँ,,,,,,,,,,,तू छुपी है कहा ?”
सुबह का निकला गुड्डू शाम तक कानपूर पहुँच गया और सीधा चला आया गोलू का हाल चाल लेने दुकान लेकिन गोलू को इन हालातो में देखकर गुड्डू का सर चकरा गया उसने एक लात गोलू के पिछवाड़े पर मारी तो गोलू सोफे से नीचे जा गिरा और गुड्डू ने कहा,”का बे आशिक़ की औलाद इह अपने ससुरे को काहे बैठाये हो बे ?”
गोलू ने गुड्डू को देखा तो कपडे झाड़ते हुए उठा और कहा,”अरे भैया तुमहू आ गए , तुम्हायी राह तकते तकते ना आँखे चुंधिया गयी हमायी”
“उह सब तो ठीक है गोलू पर जे बताओ अपनी देवदास वाली हालत काहे बना रखे हो ? हमाये जाने के बाद कोई कांड वांड तो ना किये हो ना”,गुड्डू ने शकभरे स्वर में बैठते हुए कहा
“अरे नहीं भैया , खैर छोडो शाम को भाभी से मिलने चलेंगे हम तुम्हाये साथ”,गोलू ने इशारे से बगल वाले लड़के को चाय लाने को कहा
“उह हमाये साथ नहीं आयी”,गुड्डू ने सोच में डूबे हुए कहा
“का नहीं आयी ? फिर से तुमहू कुछो किये हो का ? हमको साला पहिले ही शक था तुमको अकेले भेजना ही नहीं चाहिए था उनके साथ , जरूर कुछ ना कुछ पंगा किये रहय होंगे वहा तभी भाभी नहीं आयी तुम्हाये साथ,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू एक साँस में ही ना जाने क्या क्या बोल गया ?
“अबे मनहूस ही रहोगे बे तुम , हमाये साथ नहीं आयी है मतलब उनको कुछो दिन रुकना है अपने शहर में,,,,,,,,,,,,,,तुम भी ना यार गोलू अब का जिंदगीभर कांड ही करते रहेंगे हम ?”,गुड्डू ने झुंझलाकर कहा
“भैया चाय,,,,,,,,,!”,लड़के ने गोलू की तरफ चाय बढाकर कहा , गोलू ने एक कप गुड्डू को दिया दूसरा खुद लेकर पीते हुए कहा,”हीहीहीहीही जे बात है हमहू तो कुछो और ही समझ लिए”
“अच्छा छोडो ये सब उह लखनऊ वाले आर्डर का हुआ सब बात हो गयी ना तुम्हायी ?”,गुड्डू ने चाय पीते हुए कहा
“हां भैया सब फंक्शन के हिसाब से लिस्ट बना दी है और अगले हफ्ते से फंक्शन है तो सारे अरेजमेंट भी करवा देंगे”,गोलू ने कहा
“अरे वाह गोलू होशियार हो गए तुमहू इन सब में , चलो अच्छा है अब जल्दी से तुम्हाये लिए भी कोई अच्छी लड़की ढूंढकर शादी करवा देते है तुम्हारी”,गुड्डू ने कहा
“उसी का तो अता पता नहीं है”,गोलू बड़बड़ाया
“का कुछो कहा तुमने ?”,गुड्डू ने ठीक से सूना नहीं तो पूछ लिया
“अरे भैया हमहू इह कह रहे थे की चलो ना बाहर चलते है , जबसे इस काम में आये है रंगबाजी नहीं किये है हम,,,,,,,,,,,,,,,,चलो घूम के आते है”,गोलू ने बात बदलते हुए कहा
“आइडिआ तो अच्छा है गोलू , चलो चलते है”,कहते हुए गुड्डू उठा दुकान बंद की और दोनों गुड्डू की बाइक पर निकल पड़े। 1 घंटा कानपूर की सड़को पर घूमने के बाद दोनों पहुंचे बाबू गोलगप्पे वाले के पास। गुड्डू ने बाबू से दो प्लेट गोलगप्पे लगाने को कहा
बाबू ने गोलगप्पे लगाकर दिए गोलू और गुड्डू खाने लगे। अपने शहर की तो बात ही अलग होती है ये चीज गुड्डू को अब समझ आयी। गोलगप्पे खाते खाते ना जाने क्यों गोलू को पिंकी की याद सताने लगी , जिस दिन गुड्डू बनारस गया था उसी दिन पिंकी भी अपने मामा के यहाँ लखनऊ चली गयी थी। तबसे गोलू ने ना पिंकी को देखा थ ना ही बात की,,,,,,,,,,,,,,,,,,पिंकी को लेकर उसके दिल में एक छोटा सा सॉफ्ट कॉर्नर बन चुका था। गोलू की आँखों से आंसू निकलने लगे गुड्डू ने देखा तो कहा,”का हुआ बे गोलू ? मिर्चा जियादा है का ?”
“अरे नहीं भैया जे तो बस ऐसे ही तुम इतने दिन थे नहीं ना कानपूर में इहलिये निकल आये”,गोलू ने कहा
“अबे साले मरे थोड़े थे ससुराल ही तो गए थे अपने,,,,,,,,,,,,,,,तुम भी ना यार गोलू कितना प्यार करते हो हमसे आओ कुल्फी खिलाते है तुमको”,कहकर गुड्डू गोलू को लेकर कुल्फी वाले के पास चला आया। दोनों ने एक एक कुल्फी ली और खाने लगे। खा पीकर दोनों घर के लिए निकल गये। गोलू को नुक्कड़ पर उसके घर के सामने छोड़कर गुड्डू अपने घर चला आया। गुड्डू ने अपनी बाइक लगायी और चाबी लेकर अंदर आए मिश्रा जी खाना खाकर आँगन में बैठे थे उन्होंने गुड्डू को आवाज देकर अपने पास बुलाया
“जी पिताजी,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने उनके सामने आकर कहा
“का बेटा ससुराल में जाकर बसने का सोच लिए थे का ? गुप्ता जी नहीं कहेंगे तब तक घर नहीं आओगे , और का आते ही तुमहू घूमने निकल गये”,मिश्रा जी ने कहा
“सॉरी पिताजी”,गुड्डू ने सहजता से कहा
“बहू को अकेले छोड़ आये”,मिश्रा जी ने पूछा
“उह शगुन कुछो दिन वही रहना चाहती थी इसलिए”,गुड्डू ने कहा
“सही किया उसका भी मन होगा अपने परिवार के साथ रहने का,,,,,,,,,,,,,,,,,ठीक है तुमहू जाओ जाय के कुछो खा ल्यो”,मिश्रा जी ने उठते हुए कहा और अंदर चले गए। आज गुड्डू को मिश्रा जी की बातो का बिल्कुल बुरा नहीं लगा , मिश्रा जी के दिल में गुड्डू के लिए जो प्यार था वो गुड्डू पहचान चुका था। गुड्डू बाहर से खाकर आया था इसलिए सीधा ऊपर अपने कमरे में चला आया। कमरे में आते ही गुड्डू को खालीपन सा महसूस होने लगा। शादी के बाद से जब भी वह इस कमरे में आया शगुन उसे दिखाई दी पर आज वह अकेला था। गुड्डू को शगुन की याद आने लगी पर जैसे ही सुबह वाले किस का ख्याल आया गुड्डू का दिल धड़क उठा और उसने कहा,”पता नहीं शगुन कैसे रिएक्ट करेगी , अब उनको का पता की हमहू प्रीति के साथ लगी शर्त की वजह से ऐसा किये रहय। पता नहीं
शगुन हमाये बारे में का सोच रही होगी ?”
सोचते सोचते गुड्डू ने खुद को परेशानी में उलझा लिया जब कुछ समझ नहीं आया तो उसने गोलू को फोन लगाया और कहा,”गोलू अभी के अभी हमाये घर आ जाओ जरुरी बात करनी है”
“का हुआ ?”,गोलू ने कहा
“फोन पर नहीं बता सकते , घर आ जाओ और हां सुनो ! दिवार फांदकर आना दरवाजा खटखटाया तो पिताजी चिल्लायेंगे”,गुड्डू ने कहा और फोन काट दिया
अब गोलू ठहरा दोस्त मना कैसे करता ? चला आया गुड्डू के घर के बाहर , जैसा की गुड्डू ने मना किया था दरवाजे से आने को तो गोलू दिवार पर चढ़ने लगा , जैसे ही दिवार चढ़कर अंदर आने की कोशिश की अपने कमरे से आते मिश्रा जी की नजर अंधेर में उस पर पड़ी , अँधेरा होने की वजह से मिश्रा जी गोलू को देख नहीं पाए उन्होंने अपने पैर से चप्पल निकाली और दिवार से लटके गोलू की सुताई कर दी। गोलू नीचे आ गिरा। शोर सुनकर मिश्राइन ने आकर लाइट जलाई तो मिश्रा जी ने देखा की ये कोई और नहीं बल्कि गोलू है तो दो चप्पल और जड़ते हुए कहा,”अबे गोलू तुम हो , साले हमाये घर में चोरी करोगे तुम्हायी ऐसी की तेसी”
“अरे चचा हमायी बात तो सुनो”,गोलू ने अपने बचाव में उठते हुए कहा और तेजी से भागकर दिवार पर उकडू जा बैठा। चप्पल पड़ने की वजह से उसका नाम भी लाला हो चुका था और गोलू गुस्से से मिश्रा जी को घूर रहा था। मिश्राइन , वेदी और लाजो भी चली आयी। शोर सुनकर गुड्डू भी नीचे आया था लेकिन गोलू को पीटता देखकर सीढ़ियों से ही वापस भाग गया। गोलू को घूरते देखकर मिश्रा जी ने कहा,”का बंदर के जैसे दिवार पर काहे बैठे हो ? इति रात में दिवार फांदकर हिया काहे आये हो बताओगे ?”
“पहिले हमे इह बताओ हम का मेले में बिकने वाली पीपटी है जिसे जब चाहे बजाते रहते हो सब के सब”,गोलू ने गुस्से से कहा
मिश्रा जी ने हाथ में पकड़ी चप्पल नीचे जमीन पर डाली और पैर में पहनते हुए कहा,”मिश्राइन अंदर लेकर आओ इसे वही बात करते है”
क्रमश – मनमर्जियाँ – 92
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संजना किरोड़ीवाल
Bichara golu …har se pitta hai🤣🤣🤣🤣
😁😁😁😁😀😀 Bechara golu ye dosti use humesha bhari padti hai
शानदार भाग आज तो गोलू की अच्छी पिटाई हुई मजा आ गया…🤗🤗🤗🤗
😂😂😂😂 kesa kmina dost h guddu..btao bchane ki jgh wapis bhag gyaa😅😅😅
superb part.. bechara golu hamesha pita hi rehta hai
😂😂😂😂😂😂😂😂😂
जे तो खूब कही गोलू भैया ने, मेले में बिकने वाली पीपटी😂😂, आपका यही पुट पूरी कहानी को मजेदार बना देता है।
बेचारा गोलू…मैम बेमौसम बेमौके हमेशा मार खाता रहता हैं…मैम कुछ तो रहम करों…इतना अच्छा किरदार जो अपने दोस्त के लिऐ हमेशा खड़ा रहता हैं…पिंकी से सेटिंग तो करवा दों गोलू का..और ये रोहन प्रीति के लिऐ आया हैं…सही हैं मैम सबके लिऐ सोचा जोड़ी बनाने का😊 superb part👌👌👌👌👌
😁😁😁😂😂😂यार सच में गोलू इस कहानी की जान है…उसके बिना ये कहानी अधूरी है…अब खुलेगा राज गुड्डू की किस का😅😅😅😅
Bechara golu
Bechara golu…uski sutai binbaat hi jati hai but story ki jaan bhi golu hi hai
Ha …ha…ha….
बेचारे गोलू जी तो…..
इस बार तो उसकी शगुन भाभी भी नही हैं ….. 😊😊😊
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Amazing part superb
Bechara Golu mishra ji ne pipdi baja di😂🤣
Ranjana mei murari aur yaha golu aise dosth tho sub ko hona hi chahiye😂😂 guddu ki wajse hamesha phas jate hai bichara golu aur koobsurat pitayi bhi hothi hai mishra ji se😂😂