मनमर्जियाँ – 49
Manmarjiyan – 49
”मनमर्जियाँ – 49”
गुड्डू सो चुका था और शगुन भी सोने की कोशिश करने लगी। सुबह शगुन उठी और तैयार होकर नीचे चली आयी। ससुराल में उसे 3-4 दिन हो चुके थे इसलिए आज शगुन ने सबके लिए खुद खाना बनाने का सोचा और काम में जुट गयी। उसने मखाने की खीर , राजमा वाली मिक्स दाल , आलू का भरता और पुड़िया तैयार करने लगी। गुड्डू उठा नहाया और तैयार होकर नीचे चला आया। सुबह के 10 बज रहे थे , गुड्डू जैसे ही बाहर जाने लगा मिश्राइन ने कहा,” खाना खाकर जाना”
“बाद में खा लेंगे अम्मा”,गुड्डू ने बाइक साफ करते हुए कहा
“बाद में नहीं अभी , और आज तो वैसे भी स्पेशल बना है,,,,,,,,,,,,,,चलो आओ”,मिश्राइन ने कहा तो गुड्डू अंदर चला आया और कहा,”स्पेशल का बना है ?”
“आज खाना तुम्हायी दुल्हिन बना रही है”,मिश्राइन ने खुश होकर कहा तो गुड्डू के दिमाग की बत्ती जली और उसने कहा,”अरे फिर तो हमहू जरूर खाएंगे”
“अभी थोड़ा टाइम है तब तक तुम बैठकर टीवी देखो”,कहकर मिश्राइन वहा से अपने कमरे में चली गयी। गुड्डू के दिमाग में पिंकी का बोया बीज पनप चुका था इसलिए वह किचन में आया और कहा,”तुमको अम्मा बुलाय रही है”
शगुन ने सूना तो अपने हाथ धोये और वहा से चली गयी गुड्डू ने झांककर बाहर देखा कोई नहीं था वह गैस के पास आया उसने नमक का डिब्बा उठाया और चम्मच भरकर दाल में डालते हुए कहा,”अब आएगा दाल में नमक का स्वाद” गुड्डू ने सेम चीज खीर के साथ की लेकिन नमक की जगह चीनी डालकर , सब्जी में उसने लाल मिर्च मिला दी और सब ठीक करके जैसे ही बाहर आया सामने शगुन मिल गयी और कहा,”माजी ने तो कहा की उन्होंने नहीं बुलाया”
“अच्छा वो,,,,,,,,,,,,,,,वो उन्होंने शायद कल बुलाया था”,कहकर गुड्डू वहा से निकला और आँगन में चला आया। खाना तैयार था शगुन ने सबके लिए खाना लगाया। सभी खाना खाने आ बैठे , मिश्रा जी तो ये देखकर ही खुश थे की शगुन ने इस घर को अपना लिया था। गुड्डू मन ही मन खुश था की आज शगुन के हाथ का बना खाना खाकर मिश्रा जी तो उसे रिजेक्ट कर ही देंगे हो सकता है घर से ही निकाल दे। गुड्डू का रास्ता क्लियर था , वह भी ख़ुशी ख़ुशी खाने के लिए आकर बैठा। मिश्रा जी ने जैसे ही एक निवाला खाया शगुन की और देखने लगे , शगुन मन ही मन थोड़ा घबरा गयी की शायद उसने ढंग से नहीं बनाया है लेकिन अगले ही पल मिश्रा जी मुस्कुराये और कहा,”वाह बिटिया का गजब दाल बनाई हो आज से पहले इतनी स्वादिष्ट दाल तो हमने कभी नहीं खाई , खुश रहो और इह रखो” कहते हुए मिश्रा जी ने शगुन के हाथो में 500 रूपये का नोट थमा दिया। शगुन खुश थी की उसका बनाया खाना मिश्रा जी को पसंद आया। गुड्डू ने मिश्रा जी के मुंह से शगुन की तारीफ सुनी तो हक्का बक्का रह गया क्योकि उसने जो कांड किया था उसके बाद उस खाने को कोई खाना तो दूर खाने की सोच भी नहीं सकता। मिश्राइन ने चखा तो वे भी तारीफ किये बिना ना रह सकी अब गुड्डू को माजरा गड़बड़ लगा उसने एक निवाला खाया सब परफेक्ट था , पर कैसे उसने तो खुद अपने हाथो से उस खाने का कबाड़ा किया था फिर कैसे सब परफेक्ट हो सकता है। गुड्डू ने शगुन की और देखा तो पाया शगुन उसे ही देख रही थी। सबने खाना खाया शगुन किचन में थी तभी गुड्डू आया और उसका हाथ पकड़कर साइड में लाकर,”खाना इतना परफेक्ट कैसे था ?”
“क्यों आपने कुछ मिलाया था उसमे ?”,शगुन ने बिना झिझके कहा तो गुड्डू दूसरी और देखने लगा। शगुन उसे खामोश देखकर कहने लगी,”एक बात बताये गुड्डू जी मैंने आपको दाल में नमक और खीर में चीनी मिलाते हुए देख लिया था। आपने ऐसा क्यों किया ये मुझे नहीं जानना शायद आपकी कोई मज़बूरी रही हो लेकिन आपको बता दू की जिस खीर में आपने चीनी डाली वो फीकी थी , उसमे चीनी डालना मैं भूल गयी थी। नमक में दाल ज्यादा हो तो आटे की गोलिया डालकर उसे ठीक किया जा सकता है और सब्जी में मिर्च तेज होने पर उसमे भुना बेसन मिलाकर टेस्ट लेवल पर ला सकते है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आइए देखा जाये तो आपने मेरी हेल्प ही की थी इसलिए इन 500 रुपयों के हक़दार मुझसे ज्यादा आप है”
शगुन ने सच बताया तो गुड्डू के चेहरे का रंग उड़ गया , शगुन ने 500 का नोट गुड्डू की जेब में डाला और वहा से जाने लगी जाते जाते शगुन रुकी और पलटकर कहा,”अगर इंसान के मन में छल-कपट ना हो तो महादेव उसकी हमेशा मदद करते है”
शगुन की बात सुनकर गुड्डू ने नजरे नीची कर ली शगुन वहा से चली गयी। गुड्डू को बहुत बुरा लग रहा था ये सब पिंकी की सुझाई चाल थी जिसकी वजह से गुड्डू शगुन की नजरो में हर रोज गिरता जा रहा था। थोड़ी देर बाद गुड्डू भी वहा से चला गया। रौशनी के घर में मेहमानो की भीड़ लगी थी। रौशनी भी बहुत खुश थी ,, दोपहर में वह अपनी शादी का जोड़ा लेकर शगुन के पास आयी और उसे दिखाते हुए कहा,”शगुन भाभी देखो ना कैसा है हमारा जोड़ा ?
“बहुत खूबसूरत है”,शगुन ने लहंगा देखते हुए कहा जो की लाल रंग का था
“हमे समझ नहीं आ रहा है हम इस पर कैसी ज्वेलरी पहने ?”,रौशनी ने कहा
“रौशनी जो ज्वेलरी पूजा ने पहनी थी ना अपनी शादी में तुम वो पहनो अच्छी लगेगी”,वेदी ने चाय का एक कप रौशनी और दूसरा कप शगुन की और बढाकर कहा
“नहीं वो तो पूजा पहन चुकी हमे कुछ नया चाहिए , शगुन भाभी आप कुछ बताओ ना”,रौशनी ने कहा
“आप ग्रीन शेड ज्वेलरी पहनिए अच्छी लगेगी”,शगुन ने कहा तो रौशनी खुश हो गयी और कहा,”हां ये ठीक रहेगा , थैंक्यू भाभी”
शगुन और रौशनी बैठकर बातें करती रही और वेदी अपने कमरे में चली गयी।
शाम में मिश्रा जी घर आये तो उन्होंने आते ही गुड्डू के बारे में पूछा लेकिन गुड्डू तो घर में था ही नहीं। मिश्रा जी का चेहरा देखकर ही सब समझ गए की फिर से गुड्डू ने कुछ गड़बड़ की है। शगुन खामोश खड़ी थी तो वेदी ने उसके पास आकर धीरे से कहा,”जरूर भैया ने फिर से कोई कांड किया है वरना पिताजी इतना गुस्सा नहीं होते”
“वेदी , जरा फोन लगाकर बुलाओ लाड-साहब को घर”,मिश्रा जी ने कहा
“जी पिताजी”,कहकर वेदी अंदर से अपना फ़ोन लेकर आयी और गुड्डू को फोन लगाकर तुरंत घर आने को कहा। कुछ ही देर बाद गुड्डू मिश्रा जी के सामने खड़ा था मिश्रा जी गुड्डू को घूरे जा रहे थे और लगातार अपनी दाढ़ी पर हाथ फेर रहे थे। गुड्डू अंदर ही अंदर अपने किये सारे कांड याद कर रहा था। कुछ देर बाद मिश्रा जी ने कहा,”हां तो बेटा सूना है तुम्हारा रिज्लट आ चुका है”
गुड्डू ने जैसे ही रिज्लट का नाम सूना उसे याद आया की वो तो कल शाम ही आ चुका था लेकिन जैसा की गुड्डू को यकीन था पिछले साल की तरह वह इस साल भी पास नहीं होगा , सोचकर ही उसने रिज्लट नहीं निकलवाया। गुड्डू को जैसे सांप सूंघ गया हो वह चुपचाप खड़ा रहा , पहले तो सिर्फ घरवालों के सामने उसकी बेइज्जती होती थी अबसे शगुन के सामने भी होगी सोचकर ही उसे बुरा लग रहा था। गुड्डू को खामोश देखकर मिश्रा जी ने कहा,”बोलते काहे नहीं हो मुंह में दही जमा लिए हो का ? तुम्हारा रिजल्ट हमाये पास है सुबह ही तुम्हारे माट साहब देकर गये है ,, सुनाये सबको”
गुड्डू ने मिश्रा जी से आँखों ही आँखों में रिज्लट ना सुनाने का निवेदन किया लेकिन मिश्रा जी तो ठहरे मिश्रा जी उन्होंने जेब से प्रिंटेड रिजल्ट निकाला और सुनाने लगे,”हिंदी में 20 , अंग्रेजी में 12 , राजनितिक विज्ञानं में साढ़े 7 , इतिहास में 16 और भूगोल में 6 , मतलब कुल मिलाकर इस बार भी तुमहू फ़ैल हो चुके हो गुड्डू मिश्रा”
“पिताजी वो हम तो पहले ही कहे थे की हमे नहीं पढ़ना”,गुड्डू ने जैसे ही कहा मिश्रा जी ने गुस्से से देखा और कहा,”नहीं पढ़ना तो का करोगे ? जिंदगीभर का ऐसे ही घूमना है एक ठो बात सुन लो गुड्डू पहिले तुम थे खुले सांड जैसे चाहे जहा चाहे घूम लिया करते थे अब तुम्हायी शादी हो चुकी है और जिम्मेदारियां बढ़ चुकी है , तुम्हारी उम्र के लौंडे कहा से कहा पहुँच गए है और तुमहू हो के अभी तक इम्तिहान दिए जा रहे हो”
गुड्डू चुपचाप सुनता रहा लेकिन शगुन को गुड्डू के लिए ये सब सुनकर अच्छा नहीं लग रहा था वह वहा से चली गयी। ये देखकर मिश्राइन ने कहा,”बहुरिया के सामने तो कम से कम मत डाटिये गुड्डू को , उह का सोचेगी ?”
“हमायी मति मारी गयी थी मिश्राइन जो इतने अच्छे घर की लड़की का ब्याह इसके साथ करवाए , अपनी जिंदगी की तो लंका लगा ही रखी है इन्होने साथ साथ अब उनकी भी लगाएंगे,,,,,,,,,,,,,,,,हम पूछते है आखिर तुमहू चाहते का हो ? ना ढंग से पढ़ना है तुमको ना ढंग से शोरूम जाना है ,,, आवारागर्दी करि हो बस”,मिश्रा जी ने गुस्से से कहा
गुड्डू अब भी चुप था ये देखकर मिश्रा जी को और गुस्सा आ गया तो वे अपनी जगह से उठे और मिश्राइन से कहा,”आज रात का खाना नहीं देना है इनको , एक ही बेटा पैदा किये उह भी नालायक निकला”
मिश्रा जी चले गए तो मिश्राइन गुड्डू के पास आयी और कहा,”देख गुड्डूआ तुम्हाये पिताजी तुम्हाये भले के लिए कहय रहे है। कानपूर में बहुत इज्जत है तुम्हाये पिताजी की उसे ऐसे मत उछालो ,, कल से तुमहू रोज शोरूम जाओगे और काम सीखोगे ,,,,,,,,,,,,,,आज पहली बार उह तुम्हे तुम्हायी दुल्हन के सामने डांटे है और इह बात हमे बिल्कुल पसंद नहीं आयी। जाओ ऊपर जाओ”
गुड्डू मुंह लटकाकर ऊपर चला आया। कमरे में शगुन थी और धुले हुए कपडे समेटकर रख रही थी। गुड्डू बहुत शर्मिन्दा था उसने सुबह जो किया उस से और दुसरा मिश्रा जी की डांट से। वह चुपचाप आकर बिस्तर के एक कोने पर बैठ गया। शगुन ने देखा तो गुड्डू से कुछ ही दूर दूसरे कोने पर आ बैठी और बिना गुड्डू की और देखे कहा,”पापा जी ने आपसे जो कुछ भी कहा उनकी बातो का बुरा मत मानिये , उन्होंने आपके भले के लिए ही कहा है”
“हम पिताजी की बात का कभी बुरा नहीं मानते है , उलटा जब तक हमहू उनकी डांट ना सुन ले हमारा दिन ही नहीं पूरा होता”,गुड्डू ने गर्दन झुकाये नाखुनो को कुरदेते हुए कहा
“आपसे एक बात पूछे”,शगुन ने कहा
“हम्म्म पूछो”,गुड्डू की नजरे अभी भी नीचे थी
“आप ये सब क्यों करते है ? मेरा मतलब पढाई नहीं करना , शोरूम नहीं जाना , और आज सुबह जो किया वो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आप ये सब खुद से करते है या कोई करवाता है आपसे ?”,शगुन ने कहा
“का मतलब ?”,गुड्डू ने शगुन की और देखकर कहा
“मतलब ये की आप वैसे बिल्कुल नहीं है जैसे सबके सामने होते है , आप मेहनती है ये मैंने देखा है , आपको लोगो की परवाह है ये भी देखा है ,, फिर ये सब (मिश्रा जी को परेशान) करके आप सबकी नजरो में बुरे क्यों बन रहे है ?”,शगुन ने सहजता से कहा तो गुड्डू उसे देखता ही रह गया आज से पहले शायद किसी ने उस से इस तरह से बात नहीं की थी। गुड्डू को खामोश अपनी और ताकते पाकर शगुन सामने देखने लगी और कहा,”मैं जानती हूँ आप मुझे पसंद नहीं करते , मुझसे बात नहीं करना चाहते पर मैं ये कभी नहीं चाहूंगी की कोई इस तरह आप पर गुस्सा करे। जिंदगी में सबको सब हासिल नहीं होता है गुड्डू जी कुछ पाने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ता है। पापाजी अपनी जगह सही है , उन्होंने जो इज्जत और नाम कमाया है आगे चलकर उसे आपको बनाये रखना है।”
“हम सब समझते है पर का करे पिताजी को हमेशा हम ही गलत लगते है , हम जब भी कुछ अच्छा करने जाते है कुछो गड़बड़ होती है और बिल फटता है हमाये नाम पर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा नहीं है की हमे बुरा नहीं लगता पर का करे हम नहीं बन पा रहे है वैसे जैसे पिताजी चाहते है”,गुड्डू ने पहली बार शगुन के सामने अपने दिल की बात शेयर की
“तो मत बनिए वैसा लेकिन कम से कम खुद को एक जिम्मेदार इंसान तो बना ही सकते है आप , और हमे पूरा भरोसा है आप कर लेंगे”,शगुन ने कहा
गुड्डू ने शगुन के चेहरे की और देखा उसे शगुन की आँखों में अपने लिए विश्वास नजर आ रहा था , घर में पहला सदस्य शगुन थी जिसने आज गुड्डू के लिए विश्वास दिखाया था। शगुन की नजरे गुड्डू से मिली तो गुड्डू का दिल धड़क उठा और वो फिर सामने देखने लगा और कहा,”सुबह के लिए सॉरी”
“इट्स ओके”,शगुन ने कहा तो गुड्डू कुछ देर खामोश बैठा रहा और फिर उठकर कमरे से बाहर चला गया। शगुन भी वापस अपने काम में लग गयी। शगुन से बात करने के बाद गुड्डू का मन थोड़ा हल्का हो चुका था। रौशनी के पापा ने गुड्डू को कुछ काम बताया तो उसके बाद देर रात ही वह घर लौट सका गुड्डू इतना थक चुका था की उसने खाना भी नहीं खाया और कमरे में चला आया। शगुन सो चुकी थी गुड्डू ने एक नजर उसे देखा और आकर बिस्तर पर लेट गया उसे सोते ही नींद आ गयी। आधी रात में गुड्डू की आँख खुली , उसे भूख लगी थी गुड्डू उठा और नीचे चला आया किचन में देखा फ्रीज में खाना रखा हुआ था गुड्डू खाना निकाला लेकिन ठंडा हो चुका था उसने उसे गर्म किया , गर्म करते हुए कई बार उसकी ऊँगली भी जली ,, गुड्डू ने खाना गर्म करके प्लेट में डाला और वही किचन के प्लेटफॉर्म से सटकर नीचे बैठकर खाने लगा। खाते खाते ही उसे नींद आने लगी और गुड्डू वही सो गया।
सुबह शगुन की नींद खुली तो उसने देखा गुड्डू कमरे में नहीं है वह नींचे आयी किचन का दरवाजा खुला देखा तो अंदर चली आयी और अंदर का नजारा देखकर मुस्कुरा उठी। गुड्डू बड़े आराम से किचन में सो रहा था। शगुन गुड्डू के पास आयी नींद के कारण गुड्डू की गर्दन जैसे ही साइड में लुढ़की शगुन ने अपना हाथ आगे करके सम्हाल लिया। गुड्डू नींद में था और शगुन उसे प्यार से देखे जा रही थी जैसे उसकी आँखे गुड्डू से कह रही हो – हम आपको हर हाल में सम्हाल लेंगे गुड्डू जी”
क्रमश : manmarjiyan-50
Previous Part – manmarjiyan-48
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संजना किरोड़ीवाल
बहुत ही शानदार भाग…💖💖💖💖
Bhut hi pyaara part tha mazaa aa gya
Bht mja aaya aaj to bechara guddu achche se band bja is bewkoof ka ab shgun hi iski akl thikane lgaaye gi 👌👌👌👌👏👏👏👏👏🤗🤗🤗🤗🤗👍👍👍👍👍
😍😍😍😍😍
बस अब पिंकी नाम का कांंटा या मक्खी हमेशा के लिए गुड्डू-शगुन की जिदंगी से दूर चली जाए…फिर दोनों की जिदंगी में बहार है…बस क्या ये संभव है????पिंकी का गुड्डू की जिदंगी से दूर जाना
मैम गुड्डू को धीरे धीरे ही सही शगुन की अच्छाई दिख रहीं हैं…आगे ये अच्छाई पिकीं की बुरे कामों पर भारी पड़ेगी… गुड्डू सब समझ भी रहा हैं…लेकिन वो समझना नहीं चाहता…पर शगुन जिसतरह उसके साथ पेश आ रहीं हैं…दिल में जगह बना लेंगी वो जल्दी😊 superb part👌👌👌👌👌
Very beautiful part
बहुत बढ़िया संजना जी
Aaj shagun ne guudu se baat ki aur shayad guddu ko bhi accha laga par mishara jine guddu ko bahot kuch bol diya chalo accha hai isa bahane se shagun and guddu dono ne baata toh ki shayad aba sab thik ho jayega
Very beautiful
Amzing ab ayega mja jb pinki ki hr chal k use jawab milega. Or guddu bhi line m aa jayega superb part ❤️
Bitufull part and butifull story
♥️🥰🥰😍
Superb