Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 38

Manmarjiyan – 38

Manmarjiyan - 38

Manmarjiyan – 38

गुड्डू की बारात रवाना हो चुकी थी। सभी हंसी मजाक करते हुए बनारस जा रहे थे। गोलू तो आज सहमा हुआ बैठा था क्योकि उसके जस्ट आगे भूपेश भैया जो बैठे थे और सुबह सुबह ही उन्होंने गोलू को अच्छा खासा लेक्चर दे दिया था। सोनू भैया गाड़ी चला रहे थे और भूपेश भैया उनसे बात कर रहे थे पीछे बैठा मनोहर चैटिंग में रौशनी से बाते करने में लगा हुआ था और गोलू गुड्डू को कंधे पर सर रखकर सो रहा था। बस एक गुड्डू ही था जो की बैचैन था और मन में काफी उथल पुथल मची थी उसके। भूपेश भैया की नजर मिरर पर पड़ी और गुड्डू को परेशान देखकर उन्होंने कहा,”क्या बात है गुड्डू इतना परेशान क्यों हो ?”
“कुछ नहीं भैया उह बस ऐसे ही रात में ठीक से सोये नहीं थे ना इसलिए”,गुड्डू ने बात बदल दी
“अरे तो बाबू अब सो जाओ वैसे भी सफर लंबा है और आज तो तुम्हे वैसे भी पूरी रात जागना है”,भूपेश भैया ने कहा
“नींद नहीं आ रही है”,गुड्डू ने कहा
“नींद कैसे आएगी भूपेश जी दुल्हनिया से मिलने के लिए हमाये गुड्डू भैया का मन बेकरार जो है”,सोनू ने गुड्डू की टाँग खींचते हुए कहा
“हमहू कोई बेकरार नहीं है सोनू भैया और हमसे जियादा तो आप दिख रहे है”,गुड्डू ने चिढ़ते हुए कहा
“हां लेकिन शादी तो तुम्हायी है ना गुड्डू ,, वैसे मिश्रा जी बड़ी तारीफ कर रहे थे तुम्हाये ससुराल की देखते है का स्पेशल है वहा ?”,सोनू ने कहा तो गोलू एकदम से उठा और कहा,”अरे स्पेशल ही स्पेशल है वहा सब , बनारस है , उनका पुश्तैनी घर है और प्रीति जी भी तो है”
“खुल गयी तुम्हारी नींद , लड़की के नाम से कैसे कान खड़े होते है तुम्हारे दोस्त के देख रहे हो गुड्डू”,भूपेश भैया ने लगभग गोलू को घूरते हुए कहा तो गोलू दूसरी और देखकर बड़बड़ाया,”इस उम्र में नहीं करेंगे तो किस उम्र में करेंगे 24 के हो गए है”
“अरे गोलू वैसे इह प्रीति जी कौन है ?”,सोनू ने पूछा
“गुड्डू भैया की इकलौती साली साहिबा है सोनू भैया , एकदम ही बवाल है बोलती ऐसे है जैसे कानपूर का फटफटिया ,, रुकने का नाम नहीं लेती है”,गोलू ने प्रीति की तारीफ में कहा तो सोनू मुस्कुरा उठा और कहा,”भई फिर तो मिलना पडेगा गोलू , कहो तो तुम्हायी बात चलाये उनसे”
“अरे सोनू काहे किसी लड़की की जिंदगी खराब करने की सोच रहे ,, कल रात देखे नही कैसे नागिन डांस कर रहे थे जैसे नागमणि लेकर जायेंगे ,, कौन सभ्य इंसान ऐसे कीचड़ में लोटकर नाचता है”,भूपेश भैया ने कहा
“हम नाचते है , इंडिया के हर लौंडे का अधिकार है अपने दोस्त की शादी में नागिन डांस करना , और आपको काहे दिक्कत हो रही है कपडे हमाये ख़राब हुए आपको कोनसा लॉन्ड्री का पैसा देना है जो इतना ज्ञान पेल रहे है”,गोलू ने कहा तो भूपेश ने गर्दन घुमाई और कहा,”बेटा ज्ञान ? हम तुम्हे पेलने वाले थे वो तुम्हारे उस दोस्त ने बचा लिया था तुमको , पूछो जरा उनसे”
“बताओ मनोहर भैया का किये हम ?”,गोलू ने मासूमियत से पूछा
“बेटा किसी की बीवी के लिए कमेंट करोगे तो पेले ही जाओगे ना”,मनोहर ने फोन में घुसे घुसे कहा। गोलू ने अपनी यादास्त पर जोर डाला तो याद आया की कल रात अंजलि भाभी के डांस को देखकर गोलू ने कुछ उटपटांग बोला था , अब गोलू को समझ आया की भूपेश भैया उस से इतना नाराज क्यों है ? गोलू थोड़ा सा उनके पास आया और मक्खन लगाते हुए कहा,”अरे भैया उह कल रात वाली बात के लिए सॉरी , हमे नहीं मालूम था ना आपकी प्रॉपर्टी है उह इसलिए फ्लो फ्लो में निकल गवा ,, सॉरी दिल से बोल रहे है आज के बाद उन्हें तो का किसी को देखकर कुछ नहीं कहेंगे”
“ठीक है ठीक है आगे से ध्यान रखना , भाभी हमेशा माँ समान होती है इज्जत करनी चाहिए”,भूपेश ने कहा तो गोलू को थोड़ा सुकून मिला और वह गुड्डू की और खिसक कर बोला,”बिल्कुल और शगुन भाभी की तो हमहू फूल इज्जत करते है , का है की उह भी तो गुप्ता है ना”
“क्या गुप्ता ? गुड्डू लव मैरिज कर रहे हो क्या ? तुम मिश्रा वो गुप्ता ?”,भूपेश भैया ने हैरानी से कहा
“अरे नहीं भैया लव तो इनका पिंकिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”कहते कहते गोलू रुक गया क्योकि गुड्डू उसे खा जाने वाली नजरो से देख रहा था। गोलू चुप हो गया तो गुड्डू ने बात सम्हालते हुए कहा,”नहीं भैया अरेंज है , उह केशव पंडित जी है ना उन्ही ने रिश्ता बताया है पिताजी को”
“केशव पंडित जी ने बताया है ठीक ही होगा , वैसे मुझे लगा नहीं था मौसा जी कास्ट से बाहर शादी करने में विश्वास रखते है”,भूपेश ने कहा
“वो सिर्फ हमारा काटने में विश्वास रखते है”,गुड्डू ने मन ही मन कहा और फिर गाड़ी का शीशा नीचे करके बाहर देखने लगा। हल्की धुप निकल आयी थी गुड्डू ने अपने दोनों हाथो को खिड़की से लगाया और सर रखकर आँखे मूँद ली। गाड़ी अपनी गति में चलती रही कुछ घंटो बाद सभी गाड़िया कौसाम्बी पहुंची , मिश्रा जी अपने जीजा जी के साथ नीचे उतरे और वहा के रेस्टोरेंट में सबके नाश्ते पानी का इंतजाम करवाया। सभी नीचे उतरे और आकर नाश्ता करने लगे। गुड्डू बेपरवाह सो रहा था , बाकि चारो नीचे उतरकर अंगड़ाईयाँ ले रहे थे। मिश्रा जी सोनू भैया की गाड़ी की और आये तो देखा गुड्डू सो रहा था। मिश्रा जी ने उसे उठाया और सबको चलकर चाय नाश्ता करने को कहा। गुड्डू नीचे उतरा शर्ट की बाजु फोल्ड करके ऊपर चढ़ा ली और बालो में हाथ घुमाता हुआ आगे बढ़ गया उसने मुंह धोया . गुड्डु आकर बैठा मनोहर ओर गोलू भी उसके साथ आ कर बैठ गए । नाश्ता आया गुड्डु चुपचाप खाने लगा गोलू ओर मनोहर भी नाश्ता करने लगे कुछ देर बाद मनोहर ने कहा,”यार गुड्डु बड़े अजीब है तुम्हाये पिताजी इतनी दूर रिश्ता करने की का जरूरत थी मतलब कानपुर या आस पास में भी तो कर सकते थे न”
“मिश्रा जी दिमाग मे कब का चलता है खुद उन्हें नही पता”,गोलू ने खाते हुए कहा
गुड्डु जो कि अपनी ही उलझन में परेशान था कहने लगा,”हमारी समझ मे कुछ नही आ रहा है , हम शादी करने जा रहे है अब हम वो गुड्डु नही रहेंगे जो कानपुर की सड़कों पर अपनी बुलेट दौड़ाते घूमते थे , जो अपनी मर्जी के मालिक थे , शादी के बाद सब खत्म हो जाएगा गोलू”
“गुड्डु इतना मत सोचो शादी के बाद ही तो जिंदगी की असली शुरुआत होती है , कोई होता है जो हमेशा हमारा ख्याल रखता है , जिस से हम अपना सुख दुख बांट सकते है , जिसके साथ जिंदगी खुशहाल बनती है ,, तुम काहे इतना परेशान हो रहे हो सब अच्छा होगा”,मनोहर ने गुड्डु को दिलासा दिया
गुड्डु फीका सा मुस्कुरा दिया और वापस नाश्ता करने लगा । नाश्ता पानी करते हुए एक घंटा गुजर गया मिश्रा जी जल्दी जल्दी सबको गाड़ियों में बैठने को कहा। इस बार सोनू की गाड़ी में भूपेश नहीं बैठा था वह अंजलि के साथ दूसरी गाड़ी में बैठा था और इस बार उनकी जगह गाड़ी में रौशनी बैठी थी , गोलू आगे बैठ गया रौशनी मनोहर और गुड्डू पीछे। मनोहर तो ख़ुशी से फुला नहीं समा रहा था रौशनी उसके साथ जो बैठी थी। गुड्डू अपना फोन चलाने में व्यस्त था , इंस्टाग्राम स्क्रॉल करते करते उसकी नजर पिंकिया की तस्वीर पर गयी जिसमे वह अपने कुछ दोस्तों के साथ पार्टी कर रही थी। गुड्डू ने ध्यान से देखा तो पाया की पिंकी के बगल में खड़ा लड़का उसकी कमर में हाथ डाले हुए
है ये देखकर तो गुड्डू का आधा खून जल गया उसने फोन बंद करके साइड में रख दिया और एक बार फिर खिड़की के बाहर देखते हुए पिंकी के बारे में सोचने लगा। जिस लड़की के साथ जीवन बिताने का सपना गुडडु ने देखा था उस लड़की को आज गुड्डू की शादी से कोई फर्क रहा था। गुड्डू फिर उदास हो गया ,, गाड़ी अपनी स्पीड में चलती रही ,, सोनू और गोलू किसी टॉपिक पर बात किये जा रहे थे। रौशनी और मनोहर एक दूसरे से बात कर रहे थे और हमारा गुड्डू मन ही मन पिंकिया के बारे में सोचकर दुखी हो रहा था। मंजिल नजदीक थी ,, सभी गाड़िया प्रयागराज पहुंची और यहाँ से बनारस ज्यादा दूर नहीं था। एक लम्बे सफर के बाद सभी गाड़िया बनारस पहुंची !
गुप्ता जी ने बारातियो के ठहरने की व्यवस्था अस्सी घाट से कुछ ही दूर बने गेस्ट हॉउस में की थी। दोपहर के 3 बज रहे थे विनोद अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ वहा आ पहुंचे। उन्होंने बारातियो का स्वागत किया और उनके लिए खाने का इंतजाम करवाया खाने पीने में वक्त लगा सभी मेहमान रेस्ट करने लगे। गुड्डू भी एक कमरे में चला आया , सफर लंबा होने की वजह से वह काफी थक चुका था वह आकर जैसे ही कमरे में लेटा , मिश्रा जी आये और कहा,”गुड्डू अभी 5 बज रहे है 7 बजे बारात यहाँ से शगुन के घर के लिए रवाना होगी ,, तुम थोड़ा पहले ही तैयार हो जाना क्योकि पंडित जी ने कहा है की गुप्ता जी की तरफ से तिलक की कोई रस्म होगी”
“हम्म्म ठीक है”,गुड्डू ने कहा तो मिश्रा जी चले गए। गुड्डू ने उल्टा लेटकर तकिये में मुंह छिपा लिया उसका दिल कर रहा था वापस कानपूर भाग जाने का लेकिन क्या कर सकता था ? गुड्डू काफी देर तक वैसे ही लेटा रहा , अंजलि और वेदी कमरे में आयी गुड्डू को सोया देखकर अंजलि ने छेड़ते हुए कहा,”क्या बात है देवर जी शादी करने का इरादा है की नहीं ? सब नीचे आपका इंतजार कर रहे है और आप अभी तक तैयार भी नहीं हुए ,, वेदी गुड्डू जी के सेटकेस से कपडे निकालो”
गुड्डू उठकर बैठ गया और कहा,”भाभी एक ठो बात सुनो हमे न बार बार ये गुड्डू जी कहकर मत बुलाया करो हमे अच्छा नहीं लगता”
“ठीक है नहीं बुलाएँगे , तैयार हो जाईये और नीचे आ जाईये मौसाजी ने कहा है”,अंजलि ने गुड्डू के सूटकेस से उसकी शेरवानी निकालते हुए कहा
गुड्डू उठा और बाथरूम में आकर मुंह धोने लगा , गुड्डू टॉवल से मुंह पोछते हुए कमरे में आया तब तक मनोहर और गोलू भी आ पहुंचे। अंजलि को देखते ही गोलू को पिछली रात वाला थप्पड़ याद आ गया और वह साइड में चला गया। अंजलि ने गुड्डू की शेरवानी मनोहर की दी और कहा,”अब आप लोग आ गए हो तो देवर जी को आप ही तैयार कर दो”
“चले वेदी”,अंजलि ने वेदी की और देखकर कहा और दोनों वहा से चली गयी
“चलो दूल्हे राजा तैयार हो जाओ”,मनोहर ने शेरवानी गुड्डू की और बढाकर कहा , गुड्डू ने शेरवानी पहनी गोलू और मनोहर मिलकर उसे सही करने लगे। एक तो गुड्डू का रंग पहले से साफ था
उस पर डार्क मेरून रंग की शेरवानी गुड्डू पर और अच्छी लग रही थी। मनोहर ने उसके बाल बनाये और साफा पहनाया। हाथ में घडी थी शेरवानी के दुपट्टे को बांये हाथ में लपेटते हुए कंधे के दांयी और से आगे डाल दिया। पैरो में जोधपुरी जूती पहनी और अच्छा सा परफ्यूम लगाया। गुड्डू ने शीशे में खुद को देखा वह बहुत सुंदर लग रहा था बिल्कुल किसी राजकुमार जैसा। मनोहर और गोलू ने भी अपने साथ लाया हुआ 4 पीस सूट पहना आज तो ये दोनों भी किसी से कम नहीं लग रहे थे। गुड्डू ने गोलू के बालो में जेल लगाकर उन्हें सेट किया और गोलू को एक नया लुक दिया। सी ग्रीन सूट में आज तो गोलू बहुत स्मार्ट लग रहा था। वही मनोहर ने ब्लेक रंग का सूट पहना पहना था। तीनो कमरे से निकलकर बाहर हॉल में चले आये जहा पंडित जी ने पूजा का इंतजाम किया हुआ था। मिश्रा जी और उनके रिश्तेदारों के साथ साथ गुड्डू के होने वाले ससुर बड़े गुप्ता जी और छोटे गुप्ता जी दोनों वहा थे साथ में अमन भी था। गुड्डू आकर पंडित जी के पास बैठा ,, पंडित जी ने पूजा शुरू की , गुप्ता जी ने गुड्डू को तिलक किया और नारियल दिया। शाम के 7 बजने को आये थे पूजा समाप्त होते ही सभी हॉल से बाहर आये। गुप्ता जी ने शादी में अच्छा खासा खर्चा किया था , हॉल के बाहर बेंड बाजे वाले वाले खड़े थे , सजी धजी घोड़ी खड़ी थी और जैसे ही गुड्डू हॉल से बाहर आया बेंड वालो ने बजाना शुरू कर दिया – आज मेरे यार की शादी है
मिश्रा जी गुड्डू के कंधे पर हाथ रखते हुए आगे बढ़ गए जैसे ही गुड्डू घोड़ी के पास आया गुप्ता जी के इशारा करने पर अमन आगे आया और अपने दोनों हाथ गुड्डू के पैरो के पास कर दिया। उनके घर की परम्परा थी की होने वाला दामाद उन हाथो पर पैर रखकर ही घोड़ी पर चढ़ता है और दुल्हन के घर जाता है। गुड्डू ने हल्का सा पैर अमन के हाथो पर टच किया और घोड़ी पर आ बैठा। गुड्डू बहुत प्यारा लग रहा था। गुप्ता जी ने मिश्रा जी से इजाजत ली और स्वागत करने के लिए वहा से पहले ही निकल गए। गेस्ट हॉउस से गुड्डू की बारात चल पड़ी शगुन के घर की और। गेस्ट हॉउस से शगुन का घर 1 किलोमीटर दूर था , सभी नाचते गाते चल पड़े। जिस रास्ते से बारात गुजरनी थी , गुप्ता जी ने उस पुरे रस्ते को लाईटो से सजवाया था , छत और बालकनी में खड़ी लड़किया और औरते दूल्हे को देखने में लगी थी। गोलू और मनोहर तो डांस करने में बिजी थे ,, आज भूपेश भी गोलू के साथ डांस कर रहा था। वेदी , अंजलि , सोनू भैया की बीवी और रौशनी अपना अलग ग्रुप डांस कर रहे थे। गुड्डू घोड़ी पर बैठा उन सबको देख रहा था। उसके चेहरे पर चमक थी और खामोश बैठा वह किसी मासूम बच्चे सा लग रहा था। उसके मन में उथल पुथल मची थी। नाचते झूमते बारात जैसे ही शगुन के मोहल्ले में पहुंची बालकनी और छत पर खड़ी लड़कियों ने गुड्डू और बारातियो पर फूलो की वर्षा कर दी। गुड्डू को देखकर सब शगुन की किस्मत के गुण गाने लगी , कुछ तो शगुन की किस्मत से जल भी उठी। गुप्ता जी ने घर के बगल वाले मैदान में ही शादी का सारा इंतजाम करवा दिया था। बारात के सारे लोग उधर चले गए बस कुछ मेन लोग और गुड्डू घर के गेट पर ही रुक गए। गुड्डू नीचे उतरा और दरवाजे पर पड़ी चौकी पर आकर खड़ा हो गया। उसने हाथ में पकड़ी डाली से तोरण को छुआ। चाची पूजा का थाल ले आयी और गुड्डू को तिलक करके उसकी आरती उतारने लगी। उनके पीछे खड़ी लड़किया गुड्डू को देखने की कोशिश कर रही थी। चाची ने गुड्डू का मुंह मीठा करवाया कुछ रस्मे की। सभी रस्मो के बाद गुड्डू और बाकि सब लोग भी पंडाल की और चले आये। सामने बड़ा ही खूबसूरत सा स्टेज लगा हुआ था जहा एक कपल सोफा रखा हुआ था और पीछे की दिवार पर बड़े बड़े शब्दों में लिखा था “अर्पित वेड्स शगुन”
गुड्डू मनोहर और गोलू के साथ स्टेज पर आया और बैठ गया , गोलू उसकी बगल में आ बैठा। सोनू भैया और भूपेश भी चले आये और सब मिलकर गुड्डू को परेशान करने लगे।

घर में बने नीचे रूम में सब शगुन को घेरे खडी थी , शगुन ने डार्क शेड मेहरून लंहगा पहना था साथ में ग्रीन शेड ज्वेलरी ,, हाथो में दुल्हन चूड़ा , पैरो में सैंडिल्स , अच्छे से पिन अप किया हुआ लाइट पीच शेड का दुपट्टा , जिसमे शगुन बहुत खूबसूरत लग रही थी। सब उसकी तस्वीरें खिंच रहे थे। तभी प्रीति कमरे में आयी और सबको साइड करते हुए शगुन के पास आकर उसके दोनों हाथ थामते हुए कहा,”दी दी दी दी दी दी जीजू इतने हेंडसम लग रहे है की आज तो आपको उनसे प्यार ही हो जाएगा”
शगुन ने सूना तो मुस्कुरा उठी और कहा,”तुमने देखा उन्हें ?”
“हां दी देखा बहुत हॉट लग रहे है मेहरून शेरवानी है ,, अगर आपका अब मन अब भी बदले तो बता दो मैं रेडी हूँ”,प्रीति ने शरारत से कहा
“अच्छा गुड्डू जी तैयार होंगे ?”,शगुन भी शरारत से मुस्कुराई
“अरे जीजू को तो मैं पटा लुंगी”,प्रीति ने कहा तो शगुन ने हल्के से उसके सर पर चपत लगा दी
“शगुन सच में यार लड़का बहुत सुन्दर है और तुम दोनों की जोड़ी परफेक्ट , पुरे बनारस में कही नहीं देखी ऐसी जोड़ी”,शगुन की दोस्त बिंदु ने उसका दुपट्टा सही करते हुए कहा। गुड्डू की तारीफों के पूल बधते देख अब तो शगुन का मन भी करने लगा था की वह एक झलक गुड्डू को देख ले। दिल में तितलियाँ सी उड़ने लगी थी और बेचैनी भी थी।
कुछ देर बाद आकर विनोद ने आकर वरमाला के लिए शगुन को लेकर आने को कहा। शगुन तैयार थी प्रीति ने थालियों में वरमाला और फूल सजाये और शगुन को साथ लेकर चल पड़ी। शगुन का दिल तेजी से धड़क रहा था , पलके झुकी हुयी थी जैसे ही उसने शादी वाली जगह में कदम रखा सबकी गर्दन शगुन की और पलट गयी।
शगुन सभी लड़कियों के साथ सामने स्टेज की और बढ़ने लगी। जैसे ही उसने नजरे उठाकर सामने खड़े गुड्डू को देखा दोनों के दिल धड़क उठे

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संजना किरोड़ीवाल

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