मनमर्जियाँ – 5
Manmarjiya – 5
झील किनारे खड़ा गुड्डू पिंकी को जाते हुए देखता रहा। कुछ देर बाद गोलू वहा आया और कहा,”का भैया हुआ मामला सेट ? का बोल के गयी पिंकी ?”
“उह बोली प्यार नहीं है पर हां दोस्त बन सकते है”,गुड्डू ने कहा
“भक्क साला , इतना बंदोबस्त का दोस्ती के लिए किये रहय। इह पिंकिया की नियत में खोट हमे पहले से नजर आय रहा ,, मोहल्ले के लड़के आगे पीछे घूमते है इसलिए न इतना भाव खाय रही है उह”,गोलू ने बेंच पर बैठते हुए कहा
“नहीं बे गोलू , तुम समझे नहीं ,,,, दोस्ती का मतलब होता है एक दूसरे को समझना , परखना , ओके बाद प्यार होता है हम साला तुम्हाये चक्कर में सीधा आई लव यू लिख के दे दिए। पर खुश है आज दोस्त कहा है कल प्यार भी हो ही जाएगा”,गुड्डू ने कहा
“गुड्डू हमे लगता है तुम्हारा फिर कटेगा”,गोलू ने भविष्यवाणी करते हुए कहा
“शुभ शुभ बोलो बे , काहे बसने से पहिले ही घर उजाड़ने की बाते कर रहे हो”,गुड्डू ने नाराज होकर कहा
“अरे भैया सच कह रहे है , मोहब्बत में या तो ना होती है या होती है हां , इह साला बीच का मामला न गड़बड़ है ,, उपर से फ्रेंडज़ोन कर दिया , और मोहब्बत में न सबसे पहले लात ये फ्रेंडज़ोन वालो को ही पड़ती है”,गोलू ने कहा
“जाओ यार गोलू दिमाग खराब न करो”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा ठीक है , पार्टी तो दोगे या सूखे में ही निपटा दोगे ?”,गोलू ने गुड्डू को मनाते हुए कहा
“अच्छा ठीक है चलो कहा चलोगे ?”,गुड्डू ने चलते हुए पूछा
“चमनगंज चलेंगे और वहा चलकर बाबा बिरयानी खाएंगे”,गोलू ने लार टपकाते हुए कहा
“पगला गए हो , पिताजी को पता चला की चिकन खाये है तो इतना जुतीयायेंगे ना समझ से बाहर हो जाएगा”,गुड्डू ने कहा
“अरे लेकिन उनको बताएगा कौन ? तुमको नहीं खाना हो मत खाना हम तो खा सकते है ना”,गोलू ने कहा
“ठीक है हम कुछ और खा लेंगे”, गुड्डू ने कहा ! दोनों गुड्डू की बाइक से चमनगंज पहुंचे गोलू ने बिरयानी खाया और गुड्डू ने पराठा , खाते बतियाते रात के 8 बज चुके थे। चूँकि गोलू का घर गुड्डू के घर से थोड़ी ही पास में था इसलिए दोनों साथ ही चले आये। गोलू को नुक्कड़ पर उतारकर गुड्डू बाइक लेकर घर आया जैसे ही अंदर घुसा मिश्रा जी सामने आँगन में दिख गए।
“मर गए गुड्डू , कुछ मत बोलना सीधा निकल जाना”,गुड्डू ने बाइक स्टेण्ड पर लगाते हुए खुद से कहा। गुड्डे ने जैसा सोचा था वैसे ही वह सीधा निकल रहा था की मिश्रा जी ने कहा,”का बेटा कहा से आय रहे इतनी रात में ?”
“कुछ नहीं पिताजी उह्ह गोलुआ को कोई काम था मार्किट मे बस उसी के साथ थे”,गुड्डू ने कहा
“उह्ह गोलुआ एक नंबर का घुमक्कड़ लौंडा है तुमको कितनी बार समझाए है उनकी संगत छोड़ दयो पर नहीं , मिश्राइन देख रही हो इनकी रंगबाजी ,, रात को 9 बजे घर आया जा रहा है , पढाई लिखाई नहीं करनी है”,मिश्रा जी ने कहा
“अरे काहे आते ही इसको डाटने में लगे है , जवान लड़का है दोस्तों के साथ यहाँ वहा बैठ गया होगा , तुम अंदर चलो बिटवा !”.मिश्राइन ने गुड्डू की साइड लेकर कहा !
गुड्डू को और क्या चाहिए था ? वह तो यही चाहता था कैसे भी करके मिश्रा जी से बचके ऊपर चला जाये। मिश्राइन ने जैसे ही गुड्डू का पक्ष लिया गुड्डू तुरंत वहा से चला गया। उसके जाने के बाद मिश्रा जी ने मेंन गेट को ताला लगाया और उनके पास आकर कहा,”इह ठीक नहीं की हो तुम मिश्राइन , गुड्डू को जियादा सर पर चढाने का मतलब कल को हमाये सर पर तांडव करेगा वो”
“अरे आप भी ना खामखा परेसान हो रहे है , अब इह उमर मा घूमेगा फिरेगा नहीं तो कब जाएगा ?”,मिश्राइन ने कहा
“मिश्राइन बात उह नहीं है जो तुम समझ रही हो , बात इह है की जे है कानपूर , यहाँ कब क्या हो जाये कोई नहीं जानता , गुड्डू जवान लड़का है , गर्म खून है कही कोई ऊंच नीच हो गयी तो इज्जत रह जाएगी समाज में , इहलीये थोड़ा सख्त बनते है”,मिश्रा जी ने कहा
“अच्छा छोड़िये इह सब और अंदर चलकर सो जाईये सुबह जल्दी उठना भी है आपको”,कहते हुए मिश्राइन अंदर चली गयी , मिश्रा जी भी उनके पीछे पीछे चल पड़े !
सुबह सुबह गुड्डू अपने कमरे में सोया अच्छे सपने देख रहा था , सपने में वह पिंकी के पीछे भाग रहा था और जैसे ही उसने उसे पकड़ा वह नीचे जा गिरा। नीचे गिरते ही गुड्डू की आँख खुली , गुड्डू उठकर जमीन पर बैठ गया और कहा,”का पिंकिया सपनो में भी तुम हमहू अपने पीछे दौड़ाये रही हो , पर जो भी हो कमाल लग रही हो। सुबह सुबह तुम्हारा ख्वाब देखा है दिन अच्छा जाएगा”
गुड्डू उठा और अंगड़ाई लेते हुए कमरे से बाहर आया , सुबह के 7 बज रहे थे सामने वाले घर की बालकनी में सोनू भैया अपने बेटे को नहला रहे थे। गुड्डू ये देखकर रेलिंग के पास आया और कहा,”का सोनू भैया सुबह सुबह मजदूरी होय रही”
“बेटा मजदूरी नहीं जिम्मेदारी कहो , और बहुते जल्द इह जिम्मेदारी तुम्हाये कंधो पर भी आने वाली है”,सोनू ने कहा तो गुड्डू हसने लगा और कहा,”अरे भैया अभी बहुते बख्त है , पहिले ठीक से पढ़ लिख तो ले , अभी से काहे जिम्मेदारी का टोकरा हमरे सर पर घुमाये रहे”
“बबुआ ऐसा है इह जिम्मेदारी तो सर आनी ही है और जिस दिन आयी ना सारी रंगबाजी निकल जाई”,सोनू ने कहा
“काहे ? तुम्हरी निकल गयी ?”,गुड्डू ने सोनू भैया की टांग खींचते हुए कहा तो सोनू ने कहा,”अबे ! धीरे बोलो तुम्हायी भाभी सुन ली है तो भोकाल आ जाइ घर में”
“अच्छा अच्छा ठीक है”,गुड्डू ने कहा और कुछ देर वही खड़ा सोनू और उसके बच्चे को देखता रहा। सोनू के बगल में रौशनी का घर था , जब वह छत पर कपडे सुखाने आयी तो गुड्डू को देखकर कहा,”का गुडुआ सुबह सुबह दर्शन दे दिए आज तो”
“है , सच्ची , तो ख़ुशी के मारे नीचे काहे न कूद जाती ?”,गुड्डू ने भुनभुनाते हुए कहा
“हाय हम तो तुमपे मर बैठे है गुड्डू पर तुमको तो कोनो फ़िक्र ही नहीं , हमायी ये फूल जैसी जवानी वेस्ट हो जाई”,रौशनी ने कहा
“देखो जियादा बकैती ना करो हमारे साथ बता रहे है , वरना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,गुड्डू ने बात बीच में ही अधूरी छोड़ दी
“वरना का मिश्रा जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,डर गए”,रौशनी ने गुड्डू का मजाक उड़ाते हुए कहा तो गुड्डू को गुस्सा आ गया और वह बालकनी में लटककर पहले सोनू भैया की छत पर पहुंचा और फिर दिवार फाँदकर रौशनी के घर की छत पर पहुंचा और रौशनी के सामने आकर कहा,”डरते तो हम अपने पिताजी से भी नहीं तुमहू का चीज हो रौशनी ?”
“हाय तुम्हारी इन्ही बातो पर ना दिल हारने का मन करता है बाय गॉड , ये गहरी आँखे , ये गोरा रंग और उस पर ये तेवर ,,, तुम तो ना हमायी जान ही ले लो”,रौशनी ने अपना हाथ गुड्डू के सीने रखकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा
गुड्डू ने सीने पर रखे उसके हाथ की कलाई को पकड़ा और हाथ को मोड़ते हुए रौशनी की पीठ अपने सीने लगाकर कहा,”इह जो सपना तुमहू देख रही हो ना उह कबहू पूरा ना होइ , हमायी मोहब्बत पिंकिया के लिए बुक है तुम बीच में ना आओ रौशनी”
रौशनी ने गुड्डू को पीछे की और धकियाया और कहा,”तुम्हाये मुंह में कीड़े पड़े गुड्डू मिश्रा अगर तुमहू उह शर्मा जी की लौंडिया का नाम भी लिए ,, छछुंदरी जैसी उह पिंकिया से तुमहू हमायी बराबरी कर रहे हो , याद रखना गुड्डू एक दिन ऐसी लात पड़ेगी ना लौटकर हमारे पास ही आओगे”
“तुम्हाये पास आने से अच्छा है , गंगा मैया में छलांग लगा दे हम”,गुड्डू ने कहा तो रौशनी को गुस्सा आ गया , गुड्डू वापस जाने लगा तो रौशनी ने चिल्लाकर कहा,”भोलेनाथ से दुआ करेंगे इह जन्म मा पिंकिया तुमको कभी ना मिले”
गुड्डू ने सूना तो वापस आया और कहा,”तुम उस से जलती हो रौशनी”
“अरे जले मेरी जुत्ती”,कहकर रौशनी वहा से चली गयी !
गुड्डू भी उसके पीछे पीछे नीचे चला आया और अपने घर चला गया। रौशनी और गुड्डू बचपन से साथ ही खेलकर बड़े हुए है , बचपन में खेले गए खेल को गुड्डू तो भूल चुका था पर रौशनी नहीं भूली और दिल ही दिल में गुड्डू से शादी के सपने देखने लगी। गुड्डू उसे जरा भी भाव नहीं देता था पर रौशनी हर वक्त उसके सपने देखती रहती थी।
गुड्डू का मूड सुबह सुबह खराब हो चुका था। वह नहाने चला गया और तैयार होकर नीचे आया , नाश्ता करके सीधा कॉलेज चला गया। कॉलेज में आकर गुड्डू गोलू के साथ बैठकर टीचर की बाते ध्यान लगाकर लगा। गुड्डू को पढाई में इतना ध्यान लगाते देखकर गोलू ने कहा,”का बात है भैया ? आज तो पढाई जोरो पर है”
“हां बे गोलुआ , पढ़ेंगे लिखेंगे नहीं तो पास कैसे होंगे ? और पास नहीं होंगे तो नौकरी कैसे मिलेगी ? और नौकरी नहीं मिली तो शर्मा जी से उनकी बेटी का कैसे मांगेंगे ?”,गुड्डू ने फुसफुसाते हुए कहा
“का का का , एक रात में बात सादी तक पहुँच गयी , गुड्डू थोड़ा ब्रेक लगाओ अपने अरमानो को सिर्फ दोस्ती हुई है , रिस्ता तय नहीं ना हुआ है”,गोलू ने कहा
“चुप करके बैठो और हमको पढ़ने दो”,गुड्डू ने कहा तो गोलू ने किताब में नजरे गड़ा ली भले समझ उसे कुछ ना आ रहा हो। कॉलेज ख़त्म हुआ और दोनों घर के लिए निकल गए। एक हफ्ता गुजर गया गुड्डू मन से पढाई कर रहा था , वक्त से घर आ जाता , मिश्रा जी भी आजकल कुछ नहीं कहते थे। एक शाम छत की दिवार पर बैठा गुड्डू पिंकी के बारे में सोच रहा था की तभी उसका फोन बजा। अननोन नंबर देखकर पहले तो गुड्डू ने कट कर दिया , जब दोबारा फोन आया तो गुड्डू ने फोन उठाया और कहा,”हेलो”
“हेलो गुड्डू हम पिंकी बोल रहे है”,दूसरी और से पिंकी ने कहा
गुड्डू को तो अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ की पिंकी ने उसे खुद चलकर फोन किया है , उसने ख़ुशी से भरकर कहा,”अरे पिंकिया , बहुते लम्बी उम्र है तुम्हारी , अभी अभी तुम्हे ही याद कर रहे थे और तुम फोन कर दी”
“गुड्डू सुनो ना , तुम्हारी एक हेल्प चाहिए”,पिंकी ने कहा
“अरे हां हां बिल्कुल तुम बस आदेश करो”,गुड्डू ने कहा
“उह दो दिन बाद शादी है,,,,,,,,,,,,,,,!”,पिंकी ने कहा तो गुड्डू का कलेजा बैठ गया और उसने कहा,”का ? तुम्हायी शादी ?”
“अरे बुद्धू हमारी नहीं , हमारी कजिन की है लखनऊ में , कल सुबह हमे वहा जाना है लेकिन कुछ जरुरी सामान है जो हम खरीद नहीं पाए”,पिंकी ने कहा
“अरे तो हमे बताओ हम कर देते है जुगाड़”,गुड्डू ने कहा
“पक्का तुम कर लोगो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,फ्री हो ना इस वक्त तुम ?”,पिंकी ने हिचकिचाते हुए कहा
“अरे तुम्हाये लिए फ्री ही फ्री है ए ठो काम करो तुम लिस्ट बना के भेज दयो हम अभी ला देते है”,गुड्डू ने कहा
“ओह्ह गुड्डू थैंक्यू सो मच , हम अभी मेसेज करते है”,कहकर पिंकी ने फोन काट दिया। गुड्डू ख़ुशी ख़ुशी नीचे आया और देखा घडी में अभी 5.30 बजे है। उसने कपडे बदले तब तक पिंकी का मेसेज भी आ गया जिसमे कुछ क्रीम्स , लोशन और बहुत कुछ सामान लिखा हुआ था। गुड्डू ने फोन जेब में रखा और बाइक लेकर घर से निकल गया। नुक्क्ड़ पर बच्चो के साथ क्रिकेट खेलते हुए गोलू ने उसे देखा तो कहा,”अरे भैया रुको , अकेले अकेले किधर हम भी चलेंगे”
“इसे भी अभी आना था , मना करेंगे तो 10 सवाल करेगा एक काम करता हूँ साथ ले चलता हूँ इसे भी , आखिर ये भी तो देखे पिंकिया हमे कितना जिम्मेदार मानती है”,गुड्डू ने मन ही मन खुद से कहा और फिर गोलू से कहा,”बैठो !”
गुड्डू गोलू को लेकर मार्किट आया पिंकी ने जो जो सामान बोला था वो सब लिया और बैग गोलू को पकड़ा दिया तो गोलू ने कहा,”रे भैया ए ठो बात समझ नहीं आ रही है , इह जनाना सामान काहे खरीदे हो”
“तुम ना जियादा दिमाग ना लगाओ , चुपचाप झोला पकड़ के बैठो”,कहते हुए गुड्डू ने बाइक स्टार्ट की और पिंकी के घर से कुछ दूर गली के नुक्कड़ पर सड़क किनारे खड़ा हो गया। गोलू को अभी तक कुछ समझ नहीं आया , गुड्डू ने पिंकी को फोन किया और आने को कहा।
“गोलुआ गला सूख रहा जरा पानी तो लेकर आओ”, गुड्डू ने कहा तो गोलू बाइक से उतरकर सामने दुकान से पानी लेने चला गया। कुछ देर में पिंकी वहा आयी और कहा,”गुड्डू सामान लाये ?”
“हां इह लयो”,कहकर गुड्डू ने बैग पिंकी की और बढ़ा दिया पिंकी ने अपना पर्स खोला और कहा,”अरे हम तो पैसे लाना ही भूल गए”
“अरे अरे पिंकिया तुमसे पैसे थोड़े लेंगे”,गुड्डू ने कहा तो पास खड़े गोलू की भँवे तन गयी। पिंकी जैसे ही जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”पिंकिया बैठो हम छोड़ देते है”
“पगला गए हो ? किसी ने देख लिया तो बवाल हो जाएगा ,, हम चले जायेंगे तुम जाओ !”,कहकर पिंकी वहा से चली गयी , बेचारे गुड्डू का सपना पिंकी को अपनी बाइक पर बैठाने का सपना ही रह गया। पिंकी के जाते ही गोलू आया और कहा,”वाह भैया वाह , हमहू आज तक 10 रूपये के गोलगप्पे ना खिलाये और पिंकिया को 2200 रूपये का सामान फ्री में , सही जा रहे हो बेटा”
“अबे गोलू लड़की से पैसे लेंगे तो का इज्जत रह जाएगी बे हमायी , चलो बैठो”,गुड्डू ने बाइक स्टार्ट करके कहा। गोलू उसके पीछे आ बैठा और दोनों वहा से निकल गए। जैसे ही बाइक पनवाड़ी के दुकान के सामने से निकली गोलू ने रुकवा दी और दुकानदार से दो पान लगाने को कहा।
“भैया चुना लगाए का ?”,पनवाड़ी ने पूछा तो गोलू बाइक से उतरकर उसके सामने आया उसका चेहरा अपने दोनों हाथो में पकड़ा और माथा चूमकर कहा,”बस चच्चा ए ठो तुम्ही हो जो पूछकर चुना लगाते हो”
गोलू का सीधा इशारा गुड्डू की तरफ था जो की बाइक पर बैठकर उसे ही घूर रहा था !
क्रमश : मनमर्जियाँ – 6
Previous Part :- manmarjiyan-4
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संजना किरोड़ीवाल
Le bhtii pinkiq to chuna lga gyi aj golu ko🤣🤣
Very beautiful
😂😂laga gayi chuna pinkia aaj.
Nice part …🌹🌹🌹🌹
Sanjana mam notification nahi aa raha hai ,story ka
very nice
😂😅
Shayad pinki sach m sahi nahi hai guddu k liye
mam aapko kanpur ke baare me itna kaise maloom hai.kya aap kabhi kanpur aae ho..yaha bar baba biryani sach me hai..agar nahi aae ho to aap aao hum aapko baba ki biryani khilaenge
Yh pinki buddhu bna rhi h guddu ko aur kuch nhi dekhte h agey kya hota h
Ye Pinki guddwa Ko Chuna lagaye ja Rahi hai aur Guddu bhii lagane de rahe hai kyuki unki to pinkiya se pyar hai
Purse layi aur paise nhi..🤔.. chuna sach me laga gyi Pinky
Wah bhai Pinki to sach me chuna laga rahi hai
mam kya guddu ki life me koi aur ladkii bhi aayegi story me q ki mujhe na ye pinky thik nhii lag rahi h guddu k liye