Main Teri Heer Season 5 – 61
Main Teri Heer Season 5 – 61

मुरारी का घर , बनारस
शक्ति मुन्ना से बात करने घर आया था। सभी घरवाले मुरारी के घर पर ही जमा थे। शक्ति भी उनके साथ आ बैठा और जब उसने बताया कि भूषण ने मुन्ना पर गोली बदले की भावना से चलाई तो ये सुनकर मुरारी के चेहरे पर गुस्से के भाव उभर आये।
“जे भूषणवा के बहुते पर निकल आये है,,,,,,,,,,हमहू साला ओह्ह का पर ही काट देही है”,मुरारी ने गुस्से कहा
“मुरारी चाचा ! चिंता मत कीजिये , भूषण अब कानून के हाथो में है। बहुत लंबा अंदर जाने वाला है वो”,शक्ति ने कहा
“मुरारी अपने गुस्से को ना थोड़ा कंट्रोल मा रखो , 10 दिन बाद घर मा शादी है और हमहू कोनो तरह का तमाशा नाही चाहते,,,,,,,मुन्ना से भी कहो कि अब पार्टी हॉउस अपनी शादी के बाद ही ज्वाइन करे”,शिवम् ने कठोरता से कहा
“अरे हमहू कहा कुछो कर रहे है , हमाये तो दोनों हाथ मा लड्डू है एक तरफ कानून और दूसरी तरफ राजनीती , हमे काहे की चिंता हमहू तो अब बस काशी और मुन्ना की शादी की तैयारियां करेंगे”,मुरारी ने कहा
कानून से मुरारी का मतलब शक्ति से था और राजनीती का मतलब मुन्ना से और ये सच भी था क्योकि बनारस के जाने माने और मजबूत लोगो में मुरारी का नाम अब और पुख्ता हो चुका था। शक्ति ने मुरारी के मुंह से शादी का नाम सुना तो थोड़ा सा उदास हो गया। अनु की नजर शक्ति के बुझे चेहरे पर पड़ी और उसने कहा,”क्या हुआ शक्ति ? तुम ठीक हो ना ?”
“हाँ ! हाँ हम ठीक है,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा
“अरे तो फिर चेहरा इत्ता बुझा बुझा काहे है ?”,आई ने पूछा
“कुछ नहीं आई बस हमारे साथ शादी में आने वाला हमारा कोई अपना नहीं है यही सोचकर थोड़ा सा मन उदास हो गया”,शक्ति ने उदासी भरे स्वर में कहा
शक्ति की बात सुनकर वहा बैठे सभी लोग उदास हो गए। शिवम् ने शक्ति की तरफ देखा और कहा,”शक्ति ! यहाँ बैठे सभी लोग तुम्हारे अपने है और काशी से शादी होने के बाद ये सभी अपने परमानेंट हो जायेंगे इसलिए आइंदा से ये ख्याल अपने मन में भी मत लाना,,,,,,,!!”
“और का तुम्हाये साथ बारात मा ही तो जाना है ना तो वो हम चल लेंगे , अरे बहुते लोग है बनारस मा तुमहू बताओ तुमको का का चाहिए ? चाचा , ताऊ , भुआ , फूफा , मौसा , भाई अरे सबका इंतजाम कर देंगे,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
“शक्ति हम सब तुम्हारे अपने ही है बिटवा तुमहू काहे खुद को अकेला समझते हो,,,,,,,,,,अब बनारस आ तो गए ही हो , हिया सबके बीच रहे हो तो सब अपने आप ही अपने लगने लगे है.,,,,,,,,,!!”,आई ने प्यार से शक्ति के कंधे पर हाथ रखकर कहा
सबका प्यार देखकर शक्ति की आँखों में आँसू भर आये। उसने एक नजर सबको देखा और नम आँखों के साथ मुस्कुरा। अनु ने शक्ति की प्लेट में मीठा परोसते हुए कहा,”पिता का प्यार तुम्हे शिवम् जीजू से मिलेगा और सारिका दी वो तो तुम्हे काशी से भी ज्यादा प्यार करने वाली है”
“हम बहुत खुशनसीब है जो हमे आप सब मिले,,,,,,,,और आई बनारस हम सिर्फ आज के लिए आये थे , आज शाम ही हमे इंदौर वापस जाना होगा”,शक्ति ने कहा तो आई ने हैरानी से कहा,”अरे आज आये आज ही वापस,,,,,,,,काहे ? 10 दिन बाद शादी है वापस जाकर का करी हो ?”
शक्ति मुस्कुराया और कहा,”अरे आई ! शादी में जरूरत का सामान तो लेकर आये या ऐसे ही खाली हाथ चले आये,,,,,,,!!”
शक्ति की बात सुनकर सभी हंस पड़े और फिर शिवम् ने कहा,”शक्ति शादी से एक हफ्ते पहले नंदिता जी और उनका परिवार बनारस आ रहा है क्यों ना तुम उनके साथ ही आ जाओ। शादी की रस्मे भी साथ हो जाएगी,,,,,,,और हाँ अपने पुरे स्टाफ को बुलाना शादी में किसी तरह का सोच विचार मत करना सब बंदोबस्त हो जायेगा”
“ठीक है पापा,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा
खाना खाने के बाद शक्ति सबके साथ हॉल में आ बैठा।
शिवम् बाबा मुरारी शक्ति को शादी में होने वाले फंक्शन और दूसरे सभी बंदोबस्त के बारे में उसे बताने लगे। बाते करते करते ही शाम हो चुकी थी। अनु ने किशना से शाम की चाय बनाने को कहा और खुद सबके साथ बैठ गयी। शक्ति ने घडी में समय देखा और कहा,”आज शाम हमारी इंदौर के लिए ट्रेन है , जाने से पहले हम मुन्ना से मिलना चाहते थे ,, आप सब लोग बैठिये हम मुन्ना से मिल लेते है,,,,,,,,!!”
“अरे हां शक्ति इसमें पूछने की क्या बात है ? हमहू मुन्ना को नीचे ही बुला लेते है,,,,,,,,ए मुकेश ! ज़रा मुन्ना को बुलाकर लाओ”,मुरारी ने कहा
शक्ति उठा और कहा,”उन्हें परेशान मत कीजिये , हम मुन्ना से ऊपर जाकर ही मिल लेते है। अनु मौसी क्या आप हमारी और मुन्ना की चाय ऊपर ही भिजवा देंगी ?”
“हाँ बिल्कुल ! तुम चाय के साथ कुछ और भी लेना चाहोगे ?”,अनु ने प्यार से पूछा
“अरे नहीं नहीं सिर्फ चाय , आप सबके साथ पहले ही इतना खा लिया है कि कल सुबह तक जरूरत ही नहीं पड़ेगी”,शक्ति ने कहा तो सभी हंस पड़े और शक्ति सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया।
शक्ति ऊपर चला आया। मुन्ना के कमरे का दरवाजा आधा खुला था। शक्ति ने मुन्ना के कमरे का दरवाजा खटखटाया और कहा,”क्या हम अंदर आ सकते है ?”
मुन्ना स्टडी टेबल पर बैठा कोई किताब पढ़ रहा था। उसने आँखों पर लगे चश्मे को उतारकर रखा और कुर्सी से उठते हुए कहा,”हाँ आ जाओ”
शक्ति मुन्ना के कमरे में चला आया। कमरा बहुत ही शांत और व्यवस्तिथ था बिल्कुल मुन्ना के जैसे , शक्ति पहली बार मुन्ना के कमरे में आया था। मुन्ना ने कुर्सी खिसकाकर शक्ति से बैठने का इशारा किया और खुद बिस्तर पर आ बैठा।
शक्ति कुछ कहता इस से पहले मुन्ना ने कहा,”हम जानते ही थे कि तुम हमसे बात करने जरूर आओगे शक्ति,,,,,,,,!!”
शक्ति ने हैरानी से मुन्ना की तरफ देखा और कहा,”मुन्ना ! हम यहाँ एक पुलिसवाले बनकर नहीं बल्कि काशी के होने वाले पति के रूप में आये है और तुमसे एक फॅमिली मेंबर की तरह मिलने आये है”
“जानकर ख़ुशी हुई शक्ति लेकिन हमारे लिए इस वक्त तुम एक पुलिसवाले ही हो और इस वक्त हम तुम्हे अपनी फॅमिली तो बिल्कुल नहीं मान रहे , तो क्यों ना मेन टू में ही बात करे ?”,मुन्ना ने सहजता से कहा
शक्ति ने देखा मुन्ना में अभी भी उसके लिए गुस्सा भरा था और इंदौर में जो कुछ भी हुआ था उसके लिए मुन्ना ने शक्ति को अभी तक पूरी तरह से माफ़ भी नहीं किया था। शक्ति कुछ देर खामोश रहा और फिर कहने लगा,”मुन्ना ! इंदौर में जो कुछ भी हुआ उसके लिए हम सच में बहुत शर्मिन्दा है , हम मानते है कि कानून की मदद करने में हमने तुम्हे इस्तेमाल किया लेकिन उसके पीछे हमारी कोई गलत मंशा नहीं थी।
हम जानते थे वो सब सिर्फ तुम ही कर सकते हो इसलिए हमने तुम्हारी मदद ली पर हमे ये नहीं पता था कि इन सब की वजह से मुरारी चाचा फंस जायेंगे और उन्हें शर्मिंदगी का सामना करना पडेगा। हम जानते है मुन्ना कि मुरारी चाचा सालो बनारस में विधायक रहे और यहाँ के लोगो के लिए काम करते रहे लेकिन तुम भी जानते हो मुन्ना कही कही उनके तरिके सही नहीं थे और इसी वजह से उनका नाम इन सब में आया।
हम से गलती ये हुई की हमने तुम्हे इन बातो से दूर रखा और तुम्हारा इस्तेमाल किया लेकिन वो इस्तेमाल किसी बुरी मंशा के लिए नहीं था मुन्ना,,,,,,,,,हमारे लिए तुम हमारी फॅमिली जैसे हो और इस पूरी फॅमिली में काशी के बाद अगर हम सबसे ज्यादा किसी के करीब है तो वो तुम हो मुन्ना , इसलिए जब तुम हम से मिले बिना इंदौर से लौट आये तो हमे सच में बुरा लगा।
हमने काशी से भी कहा कि हमने तुम्हारे साथ गलत किया और अब हम शर्मिन्दा है ,, हम तुमसे माफ़ी मांगना चाहते थे मुन्ना लेकिन तब तक तुम वहा से चले आये,,,,,,,,,,,,,,,,पर इन सब से भी ज्यादा हैरानी हमे ये देखकर हो रही है कि तुम राजनीती में हो,,,,,,,,,,,,,,तुमने राजनीती को क्यों चुना मुना ? तुम्हे तो राजनीती से नफरत थी ना और तुम कभी राजनीती में आना नहीं चाहते थे फिर अचानक से,,,,,,,,,,ये बात हमे बहुत बैचैन कर रही है मुन्ना , तुम्हारा राजनीती में आना हम स्वीकार ही नहीं कर पा रहे है। तुमने ऐसा क्यों किया मुन्ना ?”
शक्ति एक लय में सब बाते कह गया और मुन्ना शांति से सुनता रहा। आखिर में शक्ति ने जब मुन्ना से राजनीती में आने को लेकर सवाल किया तो मुन्ना ने अपना गला साफ किया और बिस्तर से उठकर शक्ति के सामने कमरे में यहाँ से वहा घूमते हुए कहने लगा,”शक्ति जब हम छोटे थे तब एक लड़के ने हमारी बॉल ले ली जब हमने उस से बॉल मांगी तो उसने देने से मना कर दिया। हमने उसे डराने के लिए कहा कि “पापा विधायक है हमारे” , ये सुनकर लड़के ने हमे थप्पड़ मार दिया और हम रोते रोते घर आ गए।
उस दिन से हमे राजनीती से नफरत हो गयी। हमे लगने लगा कि राजनीती बहुत ही फूहड़ चीज है इसमें बस लोगो को बातो से डराया जाता है और इसलिए हम अब तक राजनीती से खुद को दूर रखते आये थे। हम भले ही राजनीती से दूर रहे लेकिन हमारे अंदर राजनीति कही न कही हमेशा ज़िंदा रही तभी तो हम 5 साल तक अपने कॉलेज में प्रेजिडेंट रहे। हमे देखकर सबको यही लगता था कि कॉलेज के बाद हम राजनीती में आएंगे लेकिन ऐसा नहीं था
हम अपने सपनो के लिए काम कर रहे थे और यहाँ एक बार फिर राजनीती हमारे काम का हिस्सा बन गयी। हम ऐसे लोगो के लिए काम कर रहे थे जो राजनीती से ही जुडे थे और इसके चलते हमने पापा और उनकी कुर्सी को खतरे में डाल दिया। हमारी वजह से पापा को अपनी राजनीती छोड़नी पड़ी , उन्होंने आज तक हमसे इस बात की कभी शिकायत नहीं की , कभी एक शब्द नहीं कहा लेकिन हर रोज उनकी आँखों में वो शिकायत हम देखते है।
हम बनारस छोड़कर सिर्फ पापा के कहने पर नौकरी करने सिर्फ उनके लिए बंगलौर जा रहे थे लेकिन उस से पहले हम तुम से मिले और तुमने हम से मदद मांगी। तुम हमारे करीबी और काशी के होने वाले पति हो इसलिए हमने तुम्हे मना नहीं किया और जब तुमने मदद का मकसद बताया तो हम तुम्हे मना कर पाए भी नहीं पर उस मकसद में हमारे पापा भी है इसका जिक्र तुमने हम से नहीं किया शक्ति।
तुमने जो कहा वो हमने किया लेकिन तुमने क्या किया ? जिस इंसान से हम इस दुनिया में सबसे ज्यादा मोहब्बत करते है तुमने उसी को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया”,मुन्ना ने आखरी शब्द शक्ति के सामने आकर उसकी आँखों में देखते हुए गुस्से से कहे
शक्ति जानता था कि मुन्ना अपनी जगह सही है इसलिए वह खामोश रहा और मुन्ना के आगे बोलने का इंतजार करने लगा
मुन्ना शक्ति को घूरता रहा और फिर पीछे हटकर कहा,”तुम्हारी वजह से वो उन लोगो के सामने बेबस और लाचार खड़े थे , उन गलतियों के लिए सफाई दे रहे थे जो उन्होंने की ही नहीं , पहली बार वो किसी के सामने हाथ बांधे , सर झुकाये खड़े थे सिर्फ इसलिए क्योकि वो इस गन्दी राजनीती का हिस्सा थे,,,,,,,,उस दिन हमे समझ आया शक्ति कि जिस चीज से हम अब तक भाग रहे थे असल में वो बुरी नहीं थी , बुरी थी उसके अंदर फैली गन्दगी जो कोई देख नहीं पा रहा था और उसी गंदगी को जड़ से खत्म करने के लिए हमने राजनीती को चुना,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना की बात सुनकर शक्ति ने हैरानी से उसे देखा तो मुन्ना ने कहा,”तुम्हे क्या लगा शक्ति ? तुम्हे नीचा दिखाने के लिए या तुम से बदला लेने के लिए हमने राजनीती चुनी है,,,,,,,,,,,नहीं हमने राजनीती चुनी ताकी पापा की आँखों में अब तक देखते आ रहे शिकायत को दूर कर सके , हमने राजनीती चुनी ताकि अब तक जो काम हम छुपकर कर रहे थे अब सबके सामने कर सके
हमने राजनीती चुनी ताकि हम तुम्हे ये बता सके शक्ति कि एक सरल इंसान के साथ किया गया छल कैसी तबाही ला सकता है ?”
शक्ति को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसने सर झुका लिया और चुपचाप मुन्ना की कड़वी बाते सुनता रहा। मुन्ना का दिल भी उदास हो गया वह कभी भी शक्ति से इस तरह से बात करना नहीं चाहता था लेकिन शक्ति को लेकर एक गुस्सा एक तकलीफ उसके मन में थी मुन्ना उसे निकाल देना चाहता था।
मुन्ना खिड़की के पास चला आया और बाहर देखते हुए गंभीरता से कहने लगा,”तुम्हे शायद इस बात का अंदाजा भी ना हो शक्ति कि इस राजनीती की वजह से कितने ही बेकसूर लोग नशे का शिकार हुए , उर्वशी जिसकी इन सब में कोई गलती नहीं थी उसे एक दर्दनाक मौत मिली और उसने हमारे हाथो में दम तोड़ दिया , कबीर जो कि एक होनहार लड़का था इन सब का शिकार हुआ और उसका करियर बनने से पहले ही बिगड़ गया और हम ,
हम जिसने हमेशा खुद को इस राजनीती के दलदल से दूर रखा और अपना काम करते रहे पर जब देखा तो आखिर में अपने हाथो को इस दलदल से सना पाया,,,,,,,,,,हम राजनीती में आये है ताकि खुद को माफ़ कर सके,,,,,,,,,,,उसक गुनाह के लिए जो हमने किया ही नहीं है”
शक्ति ने सुना तो सर उठाकर मुन्ना की तरफ देखा उसकी आँखों में आँसू थे। किशना शक्ति और मुन्ना के लिए चाय ले आया था। उसने ट्रे टेबल पर रखी और वहा से चला गया। मुन्ना खिड़की के पास ही खड़ा था उसका मन भारी हो रहा था और वह शक्ति से अब इस बारे में और कुछ कहना नहीं चाहता था।
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संजना किरोड़ीवाल


हमने राजनीती चुनी ताकि हम तुम्हे ये बता सके शक्ति कि एक सरल इंसान के साथ किया गया छल कैसी तबाही ला सकता है ?”
शक्ति को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसने सर झुका लिया और चुपचाप मुन्ना की कड़वी बाते सुनता रहा। मुन्ना का दिल भी उदास हो गया वह कभी भी शक्ति से इस तरह से बात करना नहीं चाहता था लेकिन शक्ति को लेकर एक गुस्सा एक तकलीफ उसके मन में थी मुन्ना उसे निकाल देना चाहता था।