Main Teri Heer Season 5 – 90
Main Teri Heer Season 5 – 90

अस्सी घाट , बनारस
शाम की गंगा आरती के बाद भीड़ धीरे धीरे छटने लगी। सभी घरवाले अपने अपने हमसफ़र के साथ यहाँ वहा घूम रहे थे। घाट की सीढ़ियों पर बैठे आई और बाबा मुस्कुराते हुए सामने बहते पानी को देख रहे थे। आई का चेहरा खुशी से जगमगा रहा था तो वही बाबा के चेहरे पर सुकून था। बाबा ने आई की तरफ देखा और कहा,”काबेरी एक बात कहे”
“हाँ कहिये”,आई ने मुस्कुरा कर कहा
“आज तुम्हरे साथ हिया बैठकर हमे समझा आया कि अपने शिवा को घाटों से इतना पिरेम काहे था ?”,बाबा ने कहा
“काहे ?”,आई ने पूछा
“बनारस में रहने वाले हर आदमी का ख्वाब होता होगा घाट की सीढ़ियों पर अपनी मोहब्बत के साथ बैठने का,,,,,,,,,,आज तुम्हरे साथ बैठकर हमरा भी जे ख्वाब पूरा हो गवा”,बाबा ने आई का हाथ अपने हाथो में लेकर प्यार से कहा।
कुछ ही दूर घाट की सीढ़ियों पर शिवम् सारिका एक दूसरे के साथ बैठे थे। सारिका का सर शिवम् के कंधे पर था और उसका हाथ शिवम् के हाथ में। सामने बहते माँ गंगा के पानी को देखते हुए सारिका ने कहा,”सब एकदम से कितना सही हो गया ना शिवम् जी , हम खुश है कि एक दूसरे का प्यार पाने के लिए हमने जो दर्द सहा वो हमारे बच्चो ने नहीं सहा और आज उनकी मोहब्बत उनके पास है,,,,,,,!!|”
“हाँ सरु ! हमारे बच्चे उस दर्द से कभी गुजर ही नहीं पाते , 14 साल का वो इंतजार ना जाने कितनी ही बार उन्हें तोड़ता,,,,,,,!!”,शिवम ने कहा
“शशशशशश उस वक्त को याद मत कीजिये,,,,,,,,हमे तकलीफ होती है , बीते वक्त की सारी कड़वी यादें ताजा हो जाती है। आज की रात हम बस आपके साथ अच्छी यादे चाहते है”,सारिका ने कहा
“हमारी जिंदगी का ये आखरी पड़ाव यकीनन यादगार ही होगा सरु क्योकि इसमे सिर्फ मोहब्बत होगी एक दूसरे का इंतजार नहीं,,,,,,,!!”,शिवम् ने कहा और अपने हाथ में थामे सारिका के हाथ को अपने होंठो से लगा लिया
पानी किनारे खड़ी नाव में बैठे वंश और निशि अपने पैरो को पानी में लटकाकर बैठे थे और आसमान में चमकते चाँद को देख रहे थे। निशि चाँद को देख रही थी और वंश निशि को , चाँद की रौशनी में निशि का चेहरा चमक रहा था और आँखों में मासूमियत भरी थी।
“अगर बाबा ने आज तुम्हारी जगह किसी और लड़की का नाम ले लिया होता तो,,,,,,!!”,वंश ने कहा
निशि ने चाँद से नजरे हटाई और वंश की तरफ देखकर कहा,”तो मैं तुम्हारा खून कर देती”
“तुम कितनी जालिम और कठोर हो , पता नहीं मेरा क्या होगा ?”,वंश ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा
“कुछ नहीं होगा , थोड़ा तो तुम सुधर चुके ही हो थोड़ा मैं तुम्हे शादी के बाद सुधार दूंगी,,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“ए ! व्हाट डू यू मीन सुधार दूंगी , मैं क्या बिगड़ा हुआ हूँ ?”,वंश ने चिढ़कर कहा
“हाँ थोड़े से हो,,,,,,,,और रुड भी तुम्हे तमीज नहीं है अपनी होने वाली वाइफ से बात करने की”,निशि ने भी चिढ़कर कहा
“होने वाली हो अभी हुई नहीं हो , तुम तो अभी से वाइफ की तरह मुझ पर रौब जमाने लगी”,वंश ने उठते हुए कहा
निशि भी उठ खड़ी हुई और कहा,”हाँ तो जमाऊँगी मेरा हक़ है बोलो क्या कर लोगे ?”
कहते हुए निशि ने वंश को हल्का सा धक्का भी दे दिया ये देखकर वंश ने निशि को घुरा और कहा,”ए निशि ! तुम हद से ज्यादा आगे बढ़ रही हो”
“अच्छा और तुम जो ये मुझे बात बात पर ए ए करके बोल रहे हो वो क्या है ? बद्तमीज कही के,,,,,,,!!”,निशि ने भी वंश को घूरते हुए कहा
“बद्तमीज ? मैं तुम्हे बद्तमीज नजर आता हूँ,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“नहीं तुम तो मुझे मेरे सपनो के राजकुमार नजर आते हो जो मेरे लिए सफ़ेद घोड़े पर सवार होकर आया है”,निशि ने फिर चिढ़कर कहा
“हाँ तो तुम भी कोई मेरे सपनो की राजकुमारी नहीं हो समझी , नाक देखी है अपनी बिल्कुल बंदरिया लगती हो”,वंश ने कहा
“अच्छा और तुम क्या हो चिम्पेंजी,,,,,,,,,देखो मेरे मुंह मत लगो तुम समझे चिरकुट,,,,!!”,निशि ने वंश को ऊँगली दिखाकर उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा
“मुझे लगना भी नहीं है,,,,,,,,छिपकली कही की”,वंश ने कहा और निशि की तरफ मुंह करके खड़ा हो गया। निशि ने भी मुँह घुमा लिया। कुछ देर दोनों ऐसे ही खड़े रहे और गुस्सा शांत होने पर वंश ने कहा,”चाय पीने चलोगी ?”
निशि ने पलटकर देखा तो वंश ने कहा,”साथ में मोमो भी खिला दूंगा , लंका में बहुत अच्छे मिलते है”
“ठीक है चलो,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा और आगे बढ़ गयी , वंश मुस्कुराया और कहा,”अह्ह्ह क्या होगा इसके साथ मेरा , बट इसके बिना भी मेरा कुछ नहीं हो सकता,,,,,,,पागल लड़की एक चाय और मोमो में मान गयी,,,,,,,,यार ये इतनी प्यारी क्यों है ?”
वंश ख़ुशी से झूमते हुए निशि के साथ चल पड़ा।
मुन्ना सीढ़ियों पर बैठा था और गौरी उसके सामने गंगा किनारे खड़ी अपने फोन में कुछ रिकॉर्ड कर रही थी। मुन्ना एकटक गौरी को देखे जा रहा था , गौरी से पहली बार टकराने से लेकर उसकी मांग में सिंदूर भरने तक के सारे पल मुन्ना की आँखों के सामने किसी फिल्म की तरह चलने लगे। जिस लड़की से मुन्ना ने मोहब्बत की आज वही लड़की उसकी अर्धांगिनी बनकर उसके सामने खड़ी थी। गौरी फ़ोन में रिकॉर्ड करते हुए खुद भी कुछ बोले जा रही थी जो मुन्ना को समझ नहीं आ रहा था।
कुछ देर बाद गौरी मुन्ना को रिकॉर्ड करते हुए उसकी तरफ आयी और कहा,”तो अब बनारस के विधायक मिस्टर मानवेन्द्र मिश्रा आपको बताएँगे कि “बनारस में आखिर ऐसा क्या है ?”
मुन्ना ने सुना तो गौरी की तरफ देखने लगा गौरी ने मुन्ना को बोलने का इशारा किया तो मुन्ना ने कहने लगा
“बनारस में रहना और उसे महसूस करना दो अलग बाते है , रहने को यहाँ हजारो लोग रहते है पर कुछ लोग ही है जो इसे समझ पाते है।
कुछ लोग यहाँ घूमने आते है और कुछ घुमक्कड़ लोग जिंदगी की उलझनों से थककर ठहर जाने के लिए। सुबह हर शहर में होती है लेकिन काशी का सूरज माँ गंगा की आरती सुनकर ही उगता है जैसे किसी बच्चे को माँ ने दुलार से जगाया हो। कभी अस्सी घाट की जमी पर खड़े होकर उगते सूरज को देखो तो जानो क्यों यहाँ वक्त कुछ देर के लिए ठहर जाता है। ऐसा नहीं है कि दुनिया में कही अच्छी चाय नहीं मिलती लेकिन बनारस की मिटटी से बने कुल्लड़ में परोसी गयी हर चाय का बनारस में अलग ही स्वाद होता है जिसके बाद हर चाय बेस्वाद लगती है।
अस्सी से मणिकर्णिका तक नाव में घूमने का ख्याल छोड़कर पैदल टहलते हुए निकल जाना जीवन का सार जो कोई किताब नहीं बनारस के घाट सिखाते है सीखना , समझना , स्वीकार करना और आगे बढ़ जाना। काशी विश्वनाथ के दर्शन करो तो उनके सामने खुद को सम्पूर्ण समर्पण करके देखना उसके बाद जीवन में जो बदलेगा वो तुम नहीं तुम्हारा वक्त होगा। पैसा , पद , प्यार , सम्मान , ऐशो आराम की जिंदगी जिसे पाने के लिए भाग रहे हो ,
बनारस आओ तो मणिकर्णिका घाट पर कुछ वक्त ठहरकर जलती चिताओ को देखना अगर ये सब ख़ाक नजर ना आये तो कहना। बनारस की राते दिन से ज्यादा जीवंत होती है बनारस की सड़को पर घूमते हुए अनगिनत जिंदगियों को मुस्कुराते हुए देखना , रात के अँधेरे में कभी किसी घाट किनारे खामोश बैठना उस वक्त सबसे ज्यादा उजाला तुम अपने भीतर पाओगे। बनारस में मिलने वाला पान तुम्हे हर जगह मिल जाएगा , पर उस पान के साथ देश की अर्थव्यवस्था और राजनीती का ज्ञान क्या कोई और शहर दे पायेगा ?
इस भटकती दुनिया में बनारस एकमात्र ऐसा शहर है जिसकी गलियों में घंटो भटकने का भी अपना एक अलग मजा है क्योकि अंत में ये भटकाव आपको ले जाकर महादेव की शरण में ही छोड़ेगा,,,,,,,,,,बनारस दो दिन , दो हफ्ते , दो महीने , दो साल में भी समझ नहीं पाओगे और कभी कभी तो पूरा जीवन लग जाएगा इसे समझने में लेकिन एक बार इसे समझ लिया तो तुम तो बनारस से चले जाओगे लेकिन तुम्हारे अंदर बनारस कही रह जायेगा। ये महज एक शहर नहीं बल्कि वो अहसास है जिसे समझना हर किसी के बस की बात नहीं।
कुछ लोगो को यहाँ सब पत्थर दिखता है तो कुछ लोगो को हर पत्थर में शंकर,,,,,,,,,,,संकटमोचन मंदिर में खड़े होकर अगर राम राम भी कह दिया तो समझो बनारस आना सफल हुआ और वही काल भैरव के सामने खोलकर रख दिया मन अपना तो फिर कही और मन खोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी और महादेव खुद तुम्हारे कानो में कहकर जायेगे “तथास्तु” बस विश्वास की बात है और इसके बाद भी अगर ये सवाल है कि बनारस में ऐसा क्या है तो एक काम करो इस बार “मटकी” में आकर देखो,,,,,,,,,,,,,हर हर महादेव
इतना कहकर मुन्ना ने अपने हाथ जोड़ दिए , गौरी मुंह फाड़े मुन्ना को सुन रही थी वह हैरान थी। उसने रिकॉर्डिंग बंद की और मुन्ना के पास आकर उसकी बलाये लेकर कहा,”ओह्ह्ह्ह मान ! तुम कितना अच्छा बोलते हो”
“तुम्हे अच्छा लगा ?”,मुन्ना ने हैरानी से पूछा
“अच्छा नहीं मान ये बहुत अच्छा था लोग इसे सुनेंगे तो पागल हो जायेंगे,,,,,,,तुम सच में कमाल हो , आई ऍम सो लकी मुझे तुम मिले,,,,,,,,,!!”,गौरी ने मुन्ना के बगल में बैठकर उसकी बांह थामकर कहा और अपना सर मुन्ना के कंधे पर टिका लिया।
मुन्ना सामने देखकर मुस्कुराने लगा क्योकि वह जानता था उसने बनारस के लिए अभी जो कहा वह कुछ भी नहीं था बल्कि बनारस तो इस से भी ज्यादा खूबसूरती और खुबिया अपने अंदर समाये था जिसे शब्दों में लिखना आसान नहीं था
घाट की सीढ़ियों पर सबसे ऊपर अनु और मुरारी बैठे थे और हमेशा की तरफ अनु यहाँ बैठकर मुरारी को सुना रही थी , सुना क्या रही थी मुरारी ने शादी में जो जो कांड किये उन सबका हिसाब ले रही थी और बेचारा मुरारी चुपचाप सुन रहा था।
“मुरारी सुधर जाओ , ससुर बन चुके हो तुम और अब भी तुम्हारे पासवर्ड खत्म नहीं हो रहे और कितने खाते खुले है तुम्हारे बनारस में बताओगे”,अनु ने कहा
“अरे यार मैग्गी कैसी बातें आकर रही हो , तुमको लगता है हमहू जे उम्र मा पासवर्ड रखेंगे का तुम भी , शादी से पहिले की बात और थी ओह्ह के बाद तो तुम्ही काफी हो हमाये लिए,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
“ऐसा है ना मुरारी ये चुना न पान में लगाओ मुझे नहीं,,,,,,,,,!!”,अनु ने गुस्से से कहा
“अरे देवी सच कह रहे है हमरे जीवन मा अब कोई पासवर्ड नहीं है”,मुरारी ने अनु के सामने हाथ जोड़कर कहा तभी एक महिला अपने पति के साथ मुरारी के बगल से निकली और कहा,”का हाल मुरारी ?”
“ठीक बा”,मुरारी ने कहा तो महिला मुस्कुरा कर आगे बढ़ गयी मुरारी कुछ देर उसे देखता रहा तो अनु ने कहा,”कौन थी वो ?”
“वो तो पुराना पासवर्ड थी”,मुरारी ने अनु की तरफ पलटकर कहा और अगले ही पल उसे अहसास हुआ कि उसने अपनी लंका खुद लगा ली है वह कुछ कहता इस से पहले अनु बोल पड़ी,”अब भी कुछ बोलना बाकि रह गया है ? मैं ही गधी थी जो तुम्हारे प्यार में अंधी होकर बनारस तक चली आयी और यहाँ तुम्हे खाते खोलने से फुर्सत नहीं मिल रही है। एक काम करो मुरारी अपने जितने भी पुराने पासवर्ड है न उनमे एक नया पासवर्ड और जोड़ लो मेरे नाम का,,,,,,,,,!!”
मुरारी बेचारा ख़ामोशी से सब सुन रहा था , उसने आई बाबा को देखा दोनों हंस मुस्कुरा रहे थे , उसने नवीन मेघना को देखा दोनों एक दूसरे का हाथ थामे बैठे थे , उसने शिवम् सारिका को देखा तो पाया सारिका का सर शिवम् के कंधे पर , उसने वंश निशि को देखा वे दोनों भी हँसते मुस्कुराते चाँद को देख रहे थे , उसने मुन्ना गौरी को देखा तो पाया गौरी कुछ कह रही है और मुन्ना अपने गाल से हाथ लगाए प्यार से गौरी को देखते हुए उसकी बात सुन रहा है उसके बाद मुरारी ने अनु को देखा जो कि शिकायतों का भंडार लेकर मुरारी के बगल में बैठी थी
मुरारी उठा और सीढिया चढ़कर जाने लगा तो अनु ने कहा,”अब तुम कहा जा रहे हो ?”
मुरारी पलटा और कहा,”जा रहे है उह्ह महारानी से पूछने कि जे सब जिंदगी मा इत्ती बढ़िया पिरेम कहानी लिखी तो फिर हमायी जिंदगी मा चरस काहे बो दी ?
इतना कहकर मुरारी वहा से चला गया और अनु भी उसके पीछे दौड़ पड़ी।
आप लोग समझ ही चुके होंगे कि यहाँ मुरारी किस महारानी की बात कर रहा है ?
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समाप्त
संजना किरोड़ीवाल
कुछ लोग यहाँ घूमने आते है और कुछ घुमक्कड़ लोग जिंदगी की उलझनों से थककर ठहर जाने के लिए। सुबह हर शहर में होती है लेकिन काशी का सूरज माँ गंगा की आरती सुनकर ही उगता है जैसे किसी बच्चे को माँ ने दुलार से जगाया हो। कभी अस्सी घाट की जमी पर खड़े होकर उगते सूरज को देखो तो जानो क्यों यहाँ वक्त कुछ देर के लिए ठहर जाता है। ऐसा नहीं है कि दुनिया में कही अच्छी चाय नहीं मिलती लेकिन बनारस की मिटटी से बने कुल्लड़ में परोसी गयी हर चाय का बनारस में अलग ही स्वाद होता है जिसके बाद हर चाय बेस्वाद लगती है।
कुछ लोग यहाँ घूमने आते है और कुछ घुमक्कड़ लोग जिंदगी की उलझनों से थककर ठहर जाने के लिए। सुबह हर शहर में होती है लेकिन काशी का सूरज माँ गंगा की आरती सुनकर ही उगता है जैसे किसी बच्चे को माँ ने दुलार से जगाया हो। कभी अस्सी घाट की जमी पर खड़े होकर उगते सूरज को देखो तो जानो क्यों यहाँ वक्त कुछ देर के लिए ठहर जाता है। ऐसा नहीं है कि दुनिया में कही अच्छी चाय नहीं मिलती लेकिन बनारस की मिटटी से बने कुल्लड़ में परोसी गयी हर चाय का बनारस में अलग ही स्वाद होता है जिसके बाद हर चाय बेस्वाद लगती है।
कुछ लोग यहाँ घूमने आते है और कुछ घुमक्कड़ लोग जिंदगी की उलझनों से थककर ठहर जाने के लिए। सुबह हर शहर में होती है लेकिन काशी का सूरज माँ गंगा की आरती सुनकर ही उगता है जैसे किसी बच्चे को माँ ने दुलार से जगाया हो। कभी अस्सी घाट की जमी पर खड़े होकर उगते सूरज को देखो तो जानो क्यों यहाँ वक्त कुछ देर के लिए ठहर जाता है। ऐसा नहीं है कि दुनिया में कही अच्छी चाय नहीं मिलती लेकिन बनारस की मिटटी से बने कुल्लड़ में परोसी गयी हर चाय का बनारस में अलग ही स्वाद होता है जिसके बाद हर चाय बेस्वाद लगती है।
कुछ लोग यहाँ घूमने आते है और कुछ घुमक्कड़ लोग जिंदगी की उलझनों से थककर ठहर जाने के लिए। सुबह हर शहर में होती है लेकिन काशी का सूरज माँ गंगा की आरती सुनकर ही उगता है जैसे किसी बच्चे को माँ ने दुलार से जगाया हो। कभी अस्सी घाट की जमी पर खड़े होकर उगते सूरज को देखो तो जानो क्यों यहाँ वक्त कुछ देर के लिए ठहर जाता है। ऐसा नहीं है कि दुनिया में कही अच्छी चाय नहीं मिलती लेकिन बनारस की मिटटी से बने कुल्लड़ में परोसी गयी हर चाय का बनारस में अलग ही स्वाद होता है जिसके बाद हर चाय बेस्वाद लगती है।
कुछ लोग यहाँ घूमने आते है और कुछ घुमक्कड़ लोग जिंदगी की उलझनों से थककर ठहर जाने के लिए। सुबह हर शहर में होती है लेकिन काशी का सूरज माँ गंगा की आरती सुनकर ही उगता है जैसे किसी बच्चे को माँ ने दुलार से जगाया हो। कभी अस्सी घाट की जमी पर खड़े होकर उगते सूरज को देखो तो जानो क्यों यहाँ वक्त कुछ देर के लिए ठहर जाता है। ऐसा नहीं है कि दुनिया में कही अच्छी चाय नहीं मिलती लेकिन बनारस की मिटटी से बने कुल्लड़ में परोसी गयी हर चाय का बनारस में अलग ही स्वाद होता है जिसके बाद हर चाय बेस्वाद लगती है।
Oh god itn jaldi khatm hogya mam aap ki story i like it so much bahot achi story thi itni amezing story dene k liye aap ka bahot bahot shukriya and next kon si story likhne wali h plzz btayiega zarur
Thanku so much dear kirodiwal ji itni pyaari kahani k liye, ye hamesha dil k bahot karib rahegi, apki kahani padh kar banaras ko bina dekhe hi usse mohabbat ho gayi mahadev ki kripa hui to apke banaras k darshan bhi jaldi hi karne ka sobhagya milega
Har har Mahadev 🙏🙏
Nh samjhe ois maharani ki bat kar rha h murari plz bata dijiye
Murari jis maharani ki baat kar rha hai…wo koi or nhi, balki hum readers ko Phele “Ranjhana” aur “Main Teri Heer” jaise naa boolne wali story dene wali writer shahiba SANJANA KIRODIWAL ki baat kar rha hai… Sanjana ji maine sabse pahle Ranjana ko padha tha, jisme Shivam aur Sarika mere fevorite the aur fir aap Main Teri Heer lekar aai, jisme Shivam aur Sarika, Murari aur Anu k bachcho ki story m humne padhne ko mili… Bahot Bahot Dhanyawad aapka 🙏🥹 inn khoobsurat storeys k liye
Thankyou
Ji Maam Samajh gaye voh aapki baat kar raha hai ☺
Iska ek season to aur banta hai
Bilkul banta hai lekin main nahi banaungi , ise yahi the end samjhe