Main Teri Heer Season 5 – 89
Main Teri Heer Season 5 – 89

वंश को एकटक अपनी ओर देखते पाकर निशि ने दबी आवाज में कहा,”क्या कर रहे हो चिरकुट सामने देखो सब हमे ही देख रहे है”
निशि की बात सुनकर वंश ने बच्चो की तरह मचलकर दबी आवाज में कहा,”मैंने तुमने आई लव यू कहा तुमने जवाब क्यों नहीं दिया ?”
“तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है क्या ? तुम चाहते हो यहाँ सबके सामने मैं तुम्हे आई लव यू कहू , चुपचाप बैठे रहो”,निशि ने वंश के घुटने पर अपना घुटना मारकर कहा।
वंश ने सबको देखा और ऊँची आवाज में कहा,”अगर निशि मुझे आई लव यू कहे तो किसी को कोई परेशानी है क्या ?”
“नहीं,,,,,,,,,,,,,!”,सबने एक साथ कहा बेचारी निशि ने तो सर ही झुका लिया क्योकि उसे अब इस चिरकुट के साथ जिंदगीभर रहना है।
“जे ससुरा वंश तो हमसे भी चार कदम आगे निकला”,नवीन के बगल में खड़े मुरारी ने कहा
नवीन ने मुरारी को देखा और कहा,”अब समझ आया वंश ऐसा क्यों है ?”
“क्यों है ?”,मुरारी ने नवीन की तरफ देखकर कहा
“क्योकि वह आप पर जो गया है”,नवीन ने कहा और वहा से साइड में चला गया
“हम पर गया है”,मुरारी बड़बड़ाया और एकदम से नवीन के पीछे जाते हुए कहा,”हम पर गया है से का मतलब है तुम्हरा , ए नवीनवा , ए बात सुनो हमायी”
पंडित जी होश में आये और पूजा सम्पन्न की , उन्होंने वंश और निशि से अपनी अपनी उंगलियों में पहनी उंगूठिया निकालने को कहा दोनों की अंगूठी एक दूसरे से बदलवा दी। वंश ने अपनी छोटी ऊँगली की अंगूठी निकलकर दी जो की निशि की रिंग फिंगर में आसानी से आ गयी लेकिन निशि ने जो अंगूठी निकालकर दी वह वंश की किसी भी ऊँगली में नहीं आयी तो पंडित जी ने कहा,”ये तो दुविधा हो गयी , बिटिया की अंगूठी तो तुमको आ ही नहीं रही”
“अरे कोई बात नहीं पंडित जी मैं इसे गले में पहन लूंगा पर शादी इसी से ही करूंगा”,वंश ने निशि की अंगूठी को गले की चैन में डालकर गले में पहनते हुए कहा। वंश की बात सुनकर सब हंस पड़े और सभी घरवालों के सामने दोनों का रिश्ता पक्का हो गया।
बाबा ने देखा अँगूठिया बदली जा चुकी है तो उन्होंने वंश के पास आकर कहा,”हाँ वंश अब बताओ तुम का कहने वाले थे”
वंश ने सुना तो बाबा के गले लगकर कहा,”कुछ नहीं बाबा मैं बस आपको ये कहने वाला था कि मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ,,,,,,,,,आप दुनिया के सबसे अच्छे बाबा है,,,,,,,,,,,!!”
“और तुम दुनिया के सबसे अच्छे बेटे हो,,,,,आज हमारी सालों पुरानी ख्वाहिश तुमने पूरी कर दी अब हम शांति से मर,,,,,,,,,,!!”,बाबा ने जैसे ही कहा वंश ने उनके मुंह पर हाथ रखकर कहा,”बाबा ! खबरदार जो ऐसी बात की तो अरे अभी तो मैं आपको और आई को मुंबई लेकर जाऊंगा अपनी सीरीज दिखाने”
बाबा ने सुना तो निशि वंश दोनों को सीने से लगाया और कहा,”खुश रहो बच्चो”
शिवम् ने मंदिर में ही प्रशाद के रूप में सबके खाने का इंतजाम करवाया था।
सब लोगो ने साथ बैठकर खाना खाया। रिश्तेदार सभी जा चुके थे बस घर के लोग , निशि , गौरी के घरवाले बचे थे और वे लोग भी शाम में इंदौर जाने वाले थे।
सुमित , वंश , जय , अंजलि , निशि , ऋतू , प्रिया और अंजलि सभी गोदौलिया घूमने निकल गए क्योकि ऋतू प्रिया जय आज शाम वापस इंदौर जा रहे थे और सुमित की शाम में मुंबई के लिए फ्लाइट थी बाकि सभी लोग घर के लिए निकल गए।
दोपहर बाद सभी एक रस्म के लिए मुरारी के घर जमा हुए क्योकि आज गौरी की रसोई की रस्म थी और उसे घरवालों के लिए खाना बनाना था। आई सबके साथ हॉल में आ बैठी और ध्यान रखने लगी कि कोई भी गौरी की मदद करने रसोई में ना जाये। मुन्ना को तो उन्होंने खास तौर पर अपने सामने बैठाया था बेचारा मुन्ना गौरी के लिए परेशान हो रहा था कि वह अकेली कैसे मैनेज करेगी ? मुन्ना ने बहाना बनाकर रसोई में जाने की कोशिश की तो आई ने उसे देख लिया और मुन्ना बेचारा वापस चला आया।
सब वहा मौजूद थे तभी मुरारी फोन पर किसी से बात करते हुए घर से बाहर चला गया। आई ने मुरारी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और सबके साथ बातें करने लगी
रसोई में खड़ी गौरी कभी आटे से सने अपने हाथ देखती तो कभी प्लेटफॉर्म पर फैला आटा क्योकि उसने आटे में इतना ज्यादा पानी डाल दिया कि वह घोल बन चुका था। गौरी परेशान सी खड़ी सब देख ही रही थी तभी किचन की खिड़की से कूदकर मुरारी अंदर आया। गौरी ने मुरारी को देखा तो चौंककर कहा,”पापा ! आप खिड़की से क्यों आये है ?”
“अरे गौरी उह्ह सब छोडो , जे बताओ का का बनाया तुमने ?’,मुरारी ने अंदर दरवाजे से बाहर झांकते हुए गौरी से पूछा
“पापा ! मुझे सिर्फ मैग्गी बनानी आती है , मैंने रोटी बनाने की कोशिश लेकिन ये आटा मेरे हाथ में चिपक गया”,गौरी ने रोआँसा होकर कहा
गौरी की हालत देखकर मुरारी समझ गया कि गौरी के बस का कुछ नहीं है तो वह गौरी के पास आया और कहा,”अरे काहे टेंशन लेती हो हमहू है ना , हम सब सम्हाल लेंगे पर पहिले तुमको हमसे एक ठो पिरोमिस करना होगा”
“हाँ हाँ बोलिये ना”,गौरी ने कहा
मुरारी ने अपना हाथ गौरी के सामने करके कहा,”वादा करो हमायी जे मदद के बदले तुमहू अनु से खाना बनाना सीख लोगी ?”
गौरी ने अपने आटे से भरा हाथ मुरारी के हाथ पर रखा और कहा,”अरे बिल्कुल पापा ! मैं माँ से सब सीख लुंगी बस अभी के लिए आप मुझे आई से बचा लीजिए”
मुरारी ने अपना आटे से भरा हाथ देखा और प्लेटफॉर्म की तरफ जाते हुए कहा,”अरे हमरे होते आई तुम्हारा कुछो नाही बिगाड़ सकती , जब शादी के बाद तुम्हरी सास का एग्जाम था ना तब भी हमने ही अनु की मदद की थी,,,,,,,आओ हमायी मदद करो”
गौरी मुरारी के साथ मिलकर खाना बनाने में उसकी मदद करने लगी। मुरारी ने सब बनाया और उसी खिड़की से बाहर निकल गया। किसी को शक ना हो इसलिए मुरारी फिर फोन पर किसी से बात करते हुए अंदर चला आया और मुन्ना के बगल में आ बैठा।
किसी को मुरारी पर शक नहीं हुआ तभी गौरी एक प्लेट में खाना सजाकर ले आयी और आई के सामने रखकर कहा,”आई ! आई हॉप आपको ये पसंद आये”
आई ने सबसे पहले बाबा से खाना चखने को कहा। एक निवाला खाकर बाबा गौरी की तरफ देखने लगे तो गौरी मन ही मन घबरा गयी , बाबा को चुप देखकर आई ने चखा और गौरी की तरफ देखने लगी। बाबा खामोश और आई भी खामोश ये देखकर तो गौरी और ज्यादा घबरा गयी ,
सामने बैठा मुन्ना भी बेचैनी से आई को देख रहा था तभी आई ने मुन्ना से कहा,”अरे मुन्ना तुम्हायी दुल्हिन ने तो पहली बार में ही जे परीक्षा पास कर ली उह्ह भी बिना तुम्हायी मदद के”
“क्या हुआ आई अच्छा नहीं बना,,,,,,,!!”,गौरी ने डरते डरते पूछा जबकि आई की बात सुनकर मुन्ना मुस्कुरा उठा और मुरारी के दिल को सुकून मिला कि उसकी मेहनत काम आयी।
आई ने गौरी को नीचे बैठने का इशारा किया और अपने गले में पहनी सोने की चैन निकालकर गौरी को पहनाते हुए कहा,”अरे बहुते स्वाद बना है , हमहू सोचे नाही थे गौरी तुमहू इत्ता बढ़िया खाना बनाय लेती हो,,,,,,,,जुग जुग जिओ बिटिया और खूब खुश रहो”
“गौरी ये हमारी तरफ से,,,,,,,,,,!!”,बाबा ने नोटों की एक गड्डी गौरी ने तरफ बढ़ाई तो मुन्ना ने अपनी पलकें झपकाकर धीरे से अपनी गर्दन हिला दी।
गौरी ने पैसे ले लिए और इसके बाद अनु ने किशना से कहकर गौरी का बनाया खाना डायनिंग पर लगवा दिया। सभी गौरी की तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे लेकिन गौरी को अब बुरा लगने लगा सारी मेहनत मुरारी ने की और तारीफ उसकी हो रही है तो उसकी आँखों में आँसू भर आये। बाबा ने देखा तो कहा,”अरे गौरी बिटिया ! का हुआ तुम्हायी आँखों में जे आँसू”
“मुझे माफ़ कर दीजिये , ये खाना मैंने नहीं बनाया,,,,,,,,!!”,गौरी ने सर झुकाकर सुबकते हुए कहा तो मुरारी अपना ललाट पकड़कर बैठ गया
“हम जानते है बिटिया , खाना तुमने नहीं मुरारी ने बनाया है”,आई ने कहा तो मुरारी हैरानी से उनकी तरफ पलटा और कहा,”आपको कैसे पता ?”
“तुम्हाये हाथो पर लगा जे आटा देखकर,,,,,,,अरे मुररिया गौरी की मदद की अच्छी बात है पर कम से कम अपने हाथ तो धो लेते,,,,,,,,!!”,आई ने कहा तो सब हंस पड़े ,
गौरी भी हंस दी तो आई ने गौरी को अपने पास बुलाया और उसका हाथ थामकर कहा,”अरे बिटिया ! हमने तो बस तुम्हरे साथ मजाक किया खाना बनाकर खिलाने के लिए तुम्हाये पास पूरी जिंदगी पड़ी है जब मन हो तब खिला देना पर जे तुम्हाये ससुर जे तुमको परेशान नाही देख पाए तो सालों पहिले जैसे तुम्हायी सास की मदद की वैसे तुम्हायी मदद करने भी पहुँच गए,,,,,,,!!”
गौरी ने सुना तो मुस्कुराते हुए मुरारी की तरफ देखने लगी सच में उसे मुरारी के रूप में उसके पापा जो वापस मिल गए थे।
शाम में शिवम् ने एक टेन सीटर ट्रेवल बस बुक करवा दी। अधिराज जी , अम्बिका जी , शक्ति , काशी , नंदिता जी , जय , गौरी की नानी माँ , ऋतू , प्रिया का सामान उसमे रखा गया और सब बस में आ बैठे। सुमित से जल्दी ही मुंबई आने का कहकर प्रिया ने भी उसे अलविदा कहा। काशी अपने घरवालों से मिली और सबसे आखिर में शिवम् के सामने आकर उसकी मुछो को ऊपर करते हुए कहा,”हमे ज्यादा याद मत कीजियेगा और अपना ख्याल रखियेगा , जब भी हमारी याद आये तो हमसे मिलने चले आईयेगा,,,,,,,,,,,आएंगे ना ?”
काशी की बात सुनकर शिवम् ने उसे अपने सीने से लगाया और कहा,”हाँ जरूर आएंगे , अपना ख्याल रखना और शक्ति का भी,,,,,,,,,!!”
सारिका ने काशी का ललाट चूमा और उसे अलविदा कहा हालाँकि काशी के सामने शिवम् और सारिका दोनों ने अपने आँसुओ को आँखों में रोक रखा था।
सबके साथ काशी और शक्ति भी बस में जा बैठे और बस वहा से निकल गयी। बस के जाते ही शिवम् की आँखे बरस पड़ी और वह मुरारी के गले लग रो पड़ा।
आई और मेघना ने सारिका को सम्हाला और सभी अंदर चले आये।
अनु सबके लिए चाय ले आयी। कुछ देर बाद मुरारी ने कहा,”बाबा आज घाट पर बड़ी गंगा आरती है तो हम सोच रहे है सब वाला चले”
“ये तो बहुत ही अच्छी बात है मुरारी चलते है , इसी बहाने आज हम भी घाट हो आएंगे”,बाबा ने कहा
चाय पीकर मुरारी अपने परिवार के साथ घर चला गया और सभी शाम में घाट जाने की तैयारी करने लगे।
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Sanjana Kirodiwal
पंडित जी होश में आये और पूजा सम्पन्न की , उन्होंने वंश और निशि से अपनी अपनी उंगलियों में पहनी उंगूठिया निकालने को कहा दोनों की अंगूठी एक दूसरे से बदलवा दी। वंश ने अपनी छोटी ऊँगली की अंगूठी निकलकर दी जो की निशि की रिंग फिंगर में आसानी से आ गयी लेकिन निशि ने जो अंगूठी निकालकर दी वह वंश की किसी भी ऊँगली में नहीं आयी तो पंडित जी ने कहा,”ये तो दुविधा हो गयी , बिटिया की अंगूठी तो तुमको आ ही नहीं रही”
“अरे कोई बात नहीं पंडित जी मैं इसे गले में पहन लूंगा पर शादी इसी से ही करूंगा”,
पंडित जी होश में आये और पूजा सम्पन्न की , उन्होंने वंश और निशि से अपनी अपनी उंगलियों में पहनी उंगूठिया निकालने को कहा दोनों की अंगूठी एक दूसरे से बदलवा दी। वंश ने अपनी छोटी ऊँगली की अंगूठी निकलकर दी जो की निशि की रिंग फिंगर में आसानी से आ गयी लेकिन निशि ने जो अंगूठी निकालकर दी वह वंश की किसी भी ऊँगली में नहीं आयी तो पंडित जी ने कहा,”ये तो दुविधा हो गयी , बिटिया की अंगूठी तो तुमको आ ही नहीं रही”
“अरे कोई बात नहीं पंडित जी मैं इसे गले में पहन लूंगा पर शादी इसी से ही करूंगा”,
पंडित जी होश में आये और पूजा सम्पन्न की , उन्होंने वंश और निशि से अपनी अपनी उंगलियों में पहनी उंगूठिया निकालने को कहा दोनों की अंगूठी एक दूसरे से बदलवा दी। वंश ने अपनी छोटी ऊँगली की अंगूठी निकलकर दी जो की निशि की रिंग फिंगर में आसानी से आ गयी लेकिन निशि ने जो अंगूठी निकालकर दी वह वंश की किसी भी ऊँगली में नहीं आयी तो पंडित जी ने कहा,”ये तो दुविधा हो गयी , बिटिया की अंगूठी तो तुमको आ ही नहीं रही”
“अरे कोई बात नहीं पंडित जी मैं इसे गले में पहन लूंगा पर शादी इसी से ही करूंगा”,
पंडित जी होश में आये और पूजा सम्पन्न की , उन्होंने वंश और निशि से अपनी अपनी उंगलियों में पहनी उंगूठिया निकालने को कहा दोनों की अंगूठी एक दूसरे से बदलवा दी। वंश ने अपनी छोटी ऊँगली की अंगूठी निकलकर दी जो की निशि की रिंग फिंगर में आसानी से आ गयी लेकिन निशि ने जो अंगूठी निकालकर दी वह वंश की किसी भी ऊँगली में नहीं आयी तो पंडित जी ने कहा,”ये तो दुविधा हो गयी , बिटिया की अंगूठी तो तुमको आ ही नहीं रही”
“अरे कोई बात नहीं पंडित जी मैं इसे गले में पहन लूंगा पर शादी इसी से ही करूंगा”,
पंडित जी होश में आये और पूजा सम्पन्न की , उन्होंने वंश और निशि से अपनी अपनी उंगलियों में पहनी उंगूठिया निकालने को कहा दोनों की अंगूठी एक दूसरे से बदलवा दी। वंश ने अपनी छोटी ऊँगली की अंगूठी निकलकर दी जो की निशि की रिंग फिंगर में आसानी से आ गयी लेकिन निशि ने जो अंगूठी निकालकर दी वह वंश की किसी भी ऊँगली में नहीं आयी तो पंडित जी ने कहा,”ये तो दुविधा हो गयी , बिटिया की अंगूठी तो तुमको आ ही नहीं रही”
“अरे कोई बात नहीं पंडित जी मैं इसे गले में पहन लूंगा पर शादी इसी से ही करूंगा”,
पंडित जी होश में आये और पूजा सम्पन्न की , उन्होंने वंश और निशि से अपनी अपनी उंगलियों में पहनी उंगूठिया निकालने को कहा दोनों की अंगूठी एक दूसरे से बदलवा दी। वंश ने अपनी छोटी ऊँगली की अंगूठी निकलकर दी जो की निशि की रिंग फिंगर में आसानी से आ गयी लेकिन निशि ने जो अंगूठी निकालकर दी वह वंश की किसी भी ऊँगली में नहीं आयी तो पंडित जी ने कहा,”ये तो दुविधा हो गयी , बिटिया की अंगूठी तो तुमको आ ही नहीं रही”
“अरे कोई बात नहीं पंडित जी मैं इसे गले में पहन लूंगा पर शादी इसी से ही करूंगा”,
Bahot acha part h mam and next….
Sab kuch achche se ho rha hai… Guri kitni lucky hai ki usko Murari jaisa sasur k roop m pita mila hai aur Anu k roop m sasu maa kam, dost zayda…aur Munna jaisa samajdar jeevansathi…Shakti aur Kashi Nana aur Nani k sath indore ja chuke hai…lag nhi raha hai ki story ending ki or hai.