Main Teri Heer Season 5 – 58

Main Teri Heer Season 5 – 58

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

शिवम् प्रताप की दुश्मनी भूलकर उसे माफ़ करके अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुका था लेकिन मुरारी को आज भी प्रताप पर रत्ती भर विश्वास भी नहीं था। मुन्ना पर हमला भूषण ने किया और भूषण को इलेक्शन टिकट प्रताप ही दिलवा सकता था वरना पुरे बनारस में किसी की इतनी नहीं चलती कि भूषण को इलेक्शन में ले आये। प्रताप को डर से खामोश देखकर मुरारी ने गुस्से से दाँत पीसते हुए कहा,”शिवम् भैया हमसे कहे रहे कि तुमका माफ़ करके दुश्मनी भुलाय दे पर हमहू साला जानते थे कि कुत्ते की दुम और प्रतापवा तुम कबो नाही सुधर सकते,,,,,,

मुन्ना की मार से तुम्हाये बेटे की यादास्त गयी जे का बदला रजनवा ना ले सका तो साला तुमहू भूषणवा को राजनीती मा उतार दिए,,,,,,,!!”
“हमरी बात का भरोसा करो मुरारी , भूषण को इलेक्शन टिकट हमहू दिलवाये हमहू जे मानते है पर मुन्ना से बदला लेने के लिए नाही,,,,,,हमहू तो खुद चाहते थे कि जे इलेक्शन मुन्ना ही जीते”,प्रताप ने अपनी सफाई में कहा

“वाह वाह वाह लोमड़िया खुद चाहती है शेर का बच्चा जंगल का राजा बने,,,,,,,,,अरे तुमको जानते नहीं का हमहू प्रतापवा , भूषणवा को तो हमहू देख लेंगे पर तुमहू साला कान खोलकर सुन ल्यो जे दिन हमका इह पता चला ना कि जे सब के पीछे तुमहू हो गंगा मैया की कसम ज़िंदा जमीन मा गाड़ देंगे”,मुरारी ने प्रताप को ऊँगली दिखाकर गुस्से से कहा और वहा से चला गया


आज कितने सालो बाद प्रताप मुरारी का ये रूप देख रहा था। मुरारी ऐसे बहुत खुशमिजाज और मस्त आदमी था लेकिन बात जब उसके परिवार की आती तो वह वही बनारस का पुराना मुरारी बन जाता था।

ऊपर खड़े राजन ने जब एक आदमी को प्रताप को धमकाते देखा तो नीचे आया लेकिन तब तक मुरारी वहा से जा चुका था। राजन प्रताप के पास आया और कहा,”पिताजी कौन था उह आदमी और आपको काहे धमका रहा था ?”
“मुरारी कुमारी मिश्रा ! मुन्ना के पिताजी , आज पार्टी हॉउस में मुन्ना पर भूषण ने गोली चला दी , हमे अगर पता होता भूषण ऐसा करेगा तो साला हमहू कबो ओह का टिकट दिलवाते ही नाही,,,,,,,,,सालों बाद खत्म हुई दुश्मनी जे भूषणवा की वजह से कही फिर से ना शुरू हो जाए”,प्रताप ने परेशानी भरे स्वर में कहा


“क्या ? मुन्ना पर गोली , जे भूषण पगला गया है का ?”,राजन ने हैरानी से कहा
“हाँ पगला ही गवा है , वरना सेर के मुंह मा हाथ थोड़े डालता”,प्रताप ने खोये हुए स्वर में कहा। भूषण की वजह से प्रताप ने अपनी और राजन की जिंदगी को भी खतरे में डाल लिया था।

मुरारी प्रताप के घर से बाहर आया तो अपनी गाड़ी के पास खड़े शिवम् को देखकर थोड़ा शांत हो गया। वह शिवम् के पास आया तो शिवम् ने कहा,”हो गवा गुस्सा शांत ? कर ली अपने मन की ? मुरारी तुमको का लगता है तुमहू ऐसा करोगे तो सब ठीक हो जाएगा,,,,,,,,, राजनीती मा आने का मतलब जानते हो ना तुमहू , सांपो से भरी जमीन पर पाँव रखना है राजनीती , कब कौनसा साँप डस ले कुछ पता नहीं चलता। भूषण ने मुन्ना से हारकर उस पर गोली चलाई और तुमहू हिया प्रताप से झगड़ने चले आये”

“अभी आपको पता चले ना कि भूषणवा को टिकट दिलवाने वाला प्रताप है तो आपको गुस्सा नाही आएगा ?”,मुरारी ने कहा
“मुरारी भूषण प्रताप के लड़के का दोस्त है , अगर प्रताप ने ओह्ह का टिकट दिलवा भी दी तो का गलत किया ? जे का मतलब इह तो नाही कि गोली भी प्रतापवा  चलवाये है ? अरे उह्ह तो कबका हमसे दुश्मनी खत्म कर चुका ओह्ह के बाद आज तक कबो हमाये काम मा टाँग अड़ाए उह्ह ? नहीं ना फिर काहे ओह्ह्ह के पीछे पड़े हो तुमहू ?”,शिवम् ने मुरारी को डांटकर कहा


“शिवम् भैया ! परतपवा उह्ह सॉंप है जौन दूध भी पियेगा और एक ठो दिन डसेगा भी , आपको प्रतापवा से गठबंधन जोड़ना है आप जोड़िये हमको ओह्ह पर 2 पैसे का भरोसा नहीं है”,मुरारी ने खिजते हुए कहा
” गठबंधन तो तुम्हाये मुन्ना मिश्रा भी जोड़े रहय जे घर से,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने मुरारी की तरफ देखकर कठोरता से कहा
“मतलब ?”,मुरारी ने हैरानी से पूछा
“प्रताप का लड़का राजन , उह मुन्ना का खास दोस्त हो , अब तुम बताओ का अब भी प्रताप का जे सब मा हाथ होगा ?”,शिवम् ने उसी कठोरता से कहा


मुरारी ने सुना तो उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा , वह शिवम् के थोड़ा करीब आया और कहा,”का कह रहे है आप ? मुन्ना और राजन का दोस्त , मुन्ना पगला गया है का ?”
“पगला तुम गए हो मुरारी तुम्हे आजकल हर किसी में बस दुश्मन नजर आ रहा है अरे प्रताप सब भूल चुका , मुन्ना जो कि सबसे समझदार है उह राजन को अपना दोस्त मान चूका फिर तुमहू काहे सबको अपना दुश्मन मान चुके हो ?”,शिवम् ने गुस्से से कहा


मुरारी कुछ देर शांत रहा और फिर जीप के बोनट के पास आकर कहा,”हमहू तो कुछो समझ नाही पा रहे शिवम् भैया कि किस पर विश्वास करे और किस पर नाही ? आज राजनीती मा मुन्ना का पहला दिन था और आज ही ओह्ह पर किसी ने गोली चला दी,,,,,,,,,,,!!”


शिवम् मुरारी के पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”महादेव की कृपा से मुन्ना सही सलामत है मुरारी और भूषण पुलिस की हिरासत में है , तुम चिंता नाही करो हमहू ओह्ह से उगलवा लेंगे की उसने मुन्ना पर गोली काहे चलाई ?”
शिवम् की बात सुनकर मुरारी को थोड़ी तसल्ली मिली उस ने हामी में सर हिलाया और शिवम् के साथ घर के लिए निकल गया।

पुलिस स्टेशन , बनारस
“सर आपने सही वक्त पर मानवेंद्र मिश्रा की जान बचा ली वरना आज अनर्थ हो जाता , जिस तरह से आपने सिचुएशन को हेंडल किया वो वाकई में क़ाबिले तारीफ था। हमे और पुरे डिपार्टमेंट को आप पर गर्व है सर,,,,,,,,!!”,इंस्पेक्टर ने शक्ति को सेल्यूट करके कहा
शक्ति मुस्कुराया और कहा,”इसमें गर्व की कोई बात नहीं है , बनारस के लिए तो ये हमारा फर्ज बनता है”


“बिल्कुल सर ! पर हर बड़ा ऑफिसर आपकी तरह सोचने लगे तो इस शहर से क्राइम साफ हो जाएगा,,,,,,,,,,सर भूषण को लेकर आपका स्टेटमेंट चाहिए उसके बाद आप जा सकते है,,,,,,,,,,,आप मेहमान है डिपार्टमेंट आपको ज्यादा परेशान नहीं करेगा”,इन्स्पेक्टर ने मुस्कुरा कर कहा
“हाँ जरूर आईये,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा और इंस्पेक्टर के आगे बढ़ गया।
आधे घंटे की प्रोसेस के बाद शक्ति घर जाने के लिए निकलने लगा , चलते चलते उसकी नजर सलाखों के पीछे खड़े भूषण पर पड़ी जो कि उदास दिखाई पड़ रहा था।

उसके मुंह पर चोट लगी थी और वह काफी दुखी नजर आ रहा था। शक्ति ने इंपेक्टर की तरफ देखा और कहा,”इसे एक बार इन्वेस्टिगेशन रूम में लेकर आओ , हमे इस से कुछ सवाल करने है”
“ठीक है सर,,,,,,,,!!”,इंस्पेक्टर ने कहा और भूषण को अपने साथ लेकर इन्वेस्टिगेशन रूम की तरफ बढ़ गया।

वंश का फ्लेट , मुंबई
सारिका निशि के लिए लाया पराठा खुद खाते हुए वंश और निशि का चूहे बिल्ली वाला झगड़ा एन्जॉय कर रही थी। वंश ने देखा सारिका निशि को कुछ नहीं कह रही है तो उसने कहा,”माँ ! आप इस छिपकली को कुछ बोल क्यों नहीं रही ? देख रही है ना आप ये आपके सामने मुझसे किस तरह पेश आ रही है ?”
वंश की आवाज से सारिका की तन्द्रा टूटी और उसने कहा,”सो टेस्टी”
“सो टेस्टी ?”,वंश और निशि ने एक साथ हैरानी से कहा


“अह्ह्ह्ह हम पराठे की बात कर रहे है , इतने टेस्टी पराठे छोड़कर तुम दोनों बच्चो की तरह लड़ झगड़ रहे हो , झगड़ा तो तुम दोनों बाद में भी कर सकते हो आई थिंक तुम दोनों को पहले किचन में रखे गर्मागर्म पराठे खा लेने चाहिए वरना ये ठन्डे हो जायेंगे”,सारिका ने प्लेट में रखा आखरी टुकड़ा उठाया और खाते हुए कहा
वंश और निशि ने एक दूसरे को हैरानी से देखा और फिर दोनों एक साथ किचन की तरफ भागे। हॉटपॉट में सारिका ने कुछ एक्स्ट्रा पराठे बनाकर रखे थे वंश ने जैसे ही लेने के लिए हाथ बढ़ाया निशि ने उसके हाथ पर मारकर कहा,”ए तुम्हारे हाथ जूठे है जाकर पहले इन्हे धोकर आओ”


“फिर तो तुम्हे भी अपने हाथो को धोना चाहिए , तुमने भी तो मेरी प्लेट से खाया था”,कहते हुए वंश निशि को लेकर वाशबेसिन की तरफ आया और उसके हाथो को अपने हाथो में लेकर उन्हें साथ साथ धोने लगा।
निशि वंश को लेकर अपना गुस्सा भूल गयी। दोनों प्लेटफॉर्म की तरफ आये , वंश ने एक पराठा निशि के लिए प्लेट में रखा और जैसे ही सॉस डालने लगा निशि ने कहा,”ए मैं सॉस नहीं खाउंगी”
“अरे तुमने कभी सॉस के साथ पराठा नहीं खाया , रुको मैं खिलाता हूँ”,कहकर वंश ने अपनी प्लेट में रखे पराठे का टुकड़ा तोडा ,

सॉस लगाया और निशि को खिलाया तो निशि ने कहा,”अहम्म्म्म्म ये अच्छा लग रहा है , मुझे भी दो”
वंश ने सुना तो खुश हो गया और निशि की प्लेट में सॉस के साथ साथ अचार और दही भी रख दिया। दोनों अपना झगड़ा भूल गए और हँसते मुस्कुराते बाते करते हुए किचन से बाहर चले आये
“तुम्हे कल क्लब आना चाहिए था , पूर्वी तो कल फ़ैल ही गयी थी मेरे और आकाश के लिए सम्हालना कितना मुश्किल हो गया था”,निशि ने वंश के साथ बालकनी की तरफ जाते हुए कहा


“अरे यार ! मैंने मिस कर दिया , मुझे उस पूर्वी की टांग खींचने का मौका मिल जाता”,वंश ने भी उतने ही प्यार से कहा और निशि के साथ आगे बढ़ गया। सारिका ने उन दोनों को देखा तो मुंह खुला का खुला ही रह गया अभी कुछ देर पहले दोनों जानवरो की तरह लड़ रहे थे और अब कितना शांत ऐसे जैसे कुछ हुआ ही नहीं। बालकनी में खड़े होकर दोनों पराठे खाने लगे। कभी निशि वंश की प्लेट से कुछ उठाकर खाती तो कभी वंश निशि को अपने हाथ से खिला देता।  

दोनों हँसते मुस्कुराते साथ में कुछ ज्यादा ही प्यारे लग रहे थे। सारिका उठी और दोनों को देखकर बड़बड़ाई,”मेड फॉर इच अदर , परफेक्ट”
सारिका ने प्लेट सिंक में रखा और प्लेटफॉर्म पर फैले सामान को समेटने लगी। प्लेटफॉर्म साफ कर सारिका ने देखा सिंक में काफी बर्तन भी पड़े है तो वह उस तरफ चली आयी लेकिन नजर जैसे ही घडी पर पड़ी सारिका को याद आया उसे अपने नए ऑफिस भी जाना है और वहा के नए स्टाफ से भी मिलना है।  

वंश और निशि अपना अपना नाश्ता कर चुके थे इसलिए निशि वंश और अपनी प्लेट लेकर किचन में आयी उसने सारिका को घडी की तरफ देखते पाया तो कहा,”क्या हुआ आंटी ? ओह्ह्ह्ह आपको तो ऑफिस जाना होगा ना,,,,,,,,,आप जाईये जल्दी से रेडी हो जाईये ये सब बर्तन मैं धो देती हूँ”
“अरे नहीं बेटा ! हम कर लेंगे”,सारिका ने कहा
“जी नहीं आप जाईये रेडी होईये , मैंने पापा से सुना है आप अपने पुराने ऑफिस में बहुत स्ट्रिक्ट थी टाइम से ऑफिस आने को लेकर,,,,,,,!!”,निशि ने शरारत से कहा तो सारिका मुस्कुरा दी और निशि का गाल थपथपा कर वहा से चली गयी।


निशि सिंक के पास आयी और बर्तन धोने लगी हालाँकि अपने घर में उसने कभी ये सब नहीं किया था और इसलिए बर्तन धोते हुए उसका टॉप जगह जगह से खराब हो गया। निशि ने फिर भी सारे बर्तन धोये और किचन से बाहर चली आयी। वंश की शूटिंग पूरी हो चुकी थी और उसके पास करने को कोई काम नहीं था तो वह हॉल में बैठकर अपना विडिओ गेम खेल रहा था।

सारिका अपना पर्स और फाइल्स लेकर कमरे से बाहर आयी और निशि से कहा,”चले निशि ?”
“मैं ? आई थिंक मैं तो यहाँ ब्रेकफास्ट के लिए आयी थी,,,,,,,,,!!”,निशि ने हैरानी से कहा  
“हाँ ! फिर हमने सोचा तुम यहाँ आ ही गयी हो तो क्यों ना तुम्हे अपना नया ऑफिस भी दिखा दे,,,,,,,,,,चले,,,,,,,,एक मिनिट ये तुमने अपने कपड़ो के साथ क्या किया ? तुमने तो बर्तन धोने के चक्कर में अपना टॉप खराब कर लिया,,,,,,,,,हमारे साथ आओ”, कहकर सारिका ने निशि का हाथ पकड़ा और वंश के कमरे में लेकर आयी।

निशि को समझ नहीं आ रहा था सारिका क्या कर रही है। उसने वंश का कबर्ड खोला और उसमे से एक चेक्स वाला शर्ट निकालकर निशि की तरफ बढाकर कहा,”इसे पहनो”
“आंटी ये वंश की शर्ट है मुझे कैसे आएगी ?”,निशि ने शर्ट देखते हुए कहा जो कि काफी बड़ी थी।
“तुम पहनो तो सही”,सारिका ने लगभग आदेश देकर कहा
निशि ने शर्ट पहन ली जैसा कि उसने कहा था शर्ट बड़ी है , निशि को वो शर्ट जांघो तक आ रही थी।  

बाजु हाथो तक झूल रही थी। निष् ने मायूसी से सारिका को देखा तो सारिका ने अपने पर्स से कुछ सामान निकाला , हैरबैंड निशि के हाथो में डालकर शर्ट की बाजु ऐसे सेट की जैसे वो किसी टॉप की बाजु हो। शर्ट के ऊपर के तीन बटन खोले और कोलर को अंदर की तरफ मोड़कर एक कूल लुक दिया , जांघो तक लटकते शर्ट को ऊपर फोल्ड करके उसे फिटिंग में करके निशि की जींस में खोंस दिया और उसे शीशे की तरफ घुमा दिया। निशि ने डरते डरते शीशे में देखा और ख़ुशी से चाहकर कहा,”ये तो बहुत कूल लग रहा है आंटी,,,,,,,,,!!”


“अब चले ?”, सारिका ने कलाई पर बंधी घडी देखकर कहा
“हाँ,,,,,,,मैं तैयार हूँ”,निशि ने कलेचर में फंसे अपने बालो को खोलकर उनमे हाथ घुमाकर कहा।
दोनों कमरे से बाहर चली आयी। सारिका आगे बढ़ गयी और निशि वंश को बाय बोलने उसकी तरफ आयी और कहा,”तुम्हारी मॉम बहुत कूल है , आई लव हर”


वंश ने सुना “आई नो कूल तो होगी ही इन्फेक्ट वो मेरी माँ है,,,,,,,!”,वंश ने पलटकर कहा लेकिन जैसे ही उसकी नजर अपनी नई शर्ट पर पड़ी उसकी ख़ुशी अगले ही पल गायब हो गयी और वह चिल्लाया,”ए निशि ! तुमने मेरी शर्ट क्यों पहनी है ? रुको”
कहते हुए वंश निशि को रोकने के लिए जैसे ही उठकर आगे बढ़ा तार में उलझ गया और बेचारा नीचे आ गिरा।

Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58

Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58Main Teri Heer Season 5 – 58

संजना किरोड़ीवाल  

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal
Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

बिल्कुल सर ! पर हर बड़ा ऑफिसर आपकी तरह सोचने लगे तो इस शहर से क्राइम साफ हो जाएगा,,,,,,,,,,सर भूषण को लेकर आपका स्टेटमेंट चाहिए उसके बाद आप जा सकते है,,,,,,,,,,,आप मेहमान है डिपार्टमेंट आपको ज्यादा परेशान नहीं करेगा”,इन्स्पेक्टर ने मुस्कुरा कर कहा
“हाँ जरूर आईये,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा और इंस्पेक्टर के आगे बढ़ गया।
आधे घंटे की प्रोसेस के बाद शक्ति घर जाने के लिए निकलने लगा , चलते चलते उसकी नजर सलाखों के पीछे खड़े भूषण पर पड़ी जो कि उदास दिखाई पड़ रहा था।

2 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!