Main Teri Heer Season 5 – 44
Main Teri Heer Season 5 – 44

लोनावला , पुणे
सीरीज का आखरी शूट खत्म हो चूका था और के.डी. ने बताया कि सीरीज का नेक्स्ट सीजन 1 महीने बाद शुरू होगा। वंश खुश था वह अब आराम से मुन्ना की शादी में एन्जॉय कर सकता है और एक हफ्ते पहले उसकी शादी में जा सकता है। शाम हो चुकी थी और सबको मुंबई के लिए निकलना था। के.डी अपनी गाड़ी से निकल गया और बाकि सब को सुमित के साथ बस से आने को कहा।
सुमित ने सबको अपना अपना सामान पैक करने को कहा और बस में बैठने को कहा। वंश भी अपने कमरे में आया और भारी मन से अपना सामान पैक करने लगा। यहाँ वह निशि के साथ अच्छी यादे बनाने आया था लेकिन निशि और उसके बीच गलतफहमियां और बढ़ गयी। वंश निशि को पसंद करता था और ये बात वह निशि के घरवालों के सामने भी बोल चुका था ना जाने क्यों निशि हर बार उसे गलत समझ लेती। वंश ने अपना बैग पैक किया और एक हाथ में सूटकेस का सूटकेस का हेंडल थामा और दूसरा बैग अपनी पीठ पर टाँग लिया।
वंश कमरे से बाहर आया उसी वक्त निशि भी अपने बैग सम्हाले कमरे से बाहर चली आयी। निशि का बैग भारी होने की वजह से उसे बैग खींचने में दिक्कत हो रही थी। वंश ने देखा तो निशि के पास आया और दूसरे हाथ से उसके सूटकेस का हेंडल पकडकर आगे बढ़ गया। निशि ने देखा तो मुस्कुरा उठी और पीठ पर टंगे बैग के साथ झूमते हुए बाहर चली आयी लेकिन जैसे ही निशि होटल के गेट पर आयी देखा अचानक से यहाँ तेज बारिश शुरू हो चुकी थी। वंश वहा नहीं था बल्कि निशि के आने से पहले ही वह बस के पास पहुँच चुका था।
वंश ने अपने और निशि के सूटकेस को डिग्गी में रखा और बस के अंदर जाने लगा तो दरवाजे पर खड़े सुमित ने कहा,”निशि कहा है ? इन्फेक्ट आधे लोग अभी भी बाहर है वंश”
“मैंने बाकी लोगो का ठेका नहीं ले रखा”,वंश ने कहा
“ओह्ह्ह गॉड वंश ! तुम क्या हर वक्त गुस्से में ही रहते हो ? ज़रा देखो बारिश हो रही है और ऐसे मौसम में अभी यहाँ से निकलना सही नहीं रहेगा,,,,,,,,!!”,सुमित ने कहा
“तो ?”,वंश ने कहा
“तो मैंने सबसे होटल के वेरिंग एरिया में रुकने को कहा है , जब तक बारिश नहीं रूकती हम सब वहा इंतजार करेंगे एंड डोंट वरी मैंने सबके लिए चाय कॉफी और स्नेक्स का इंतजाम करवा दिया,,,,,,,,!!”,सुमित ने कहा
“अहमम ठीक है , वैसे भी मुझे बहुत भूख लगी है.,,,,,,,,!!”,वंश ने भीगते हुए होटल की तरफ वापस जाते हुए कहा
सुमित भी वंश के पीछे आया और उसके साथ चलते हुए कहा,”हाँ और ऐसी बारिश में चाय के साथ गरमा गरम पकोड़े हो तो मजा आ जाये,,,,,,,!!”
वंश ने सुना तो उसके मुंह में पानी आ गया और उसने सुमित की तरफ देखकर कहा,”और उसके साथ धनिये पुदीने की चटनी,,,,,,,अह्ह्ह्ह बारिश का मजा ही दुगुना हो जायेगा”
“गुड आइडिआ तो क्यों ना चलकर आर्डर किया जाए , पर हाँ उस से पहले तुम अपना सर पोछ लो पुरे भीग गए हो”,सुमित ने होटल एरिया में आकर कहा और केंटीन की तरफ बढ़ गए। शूटिंग पर आये कुछ अंदर बैठे बारिश के थमने का इंतजार कर रहे थे , कुछ बस में सो रहे थे ,
कुछ बाहर खड़े चाय-कॉफी पीते हुए बारिश का मजा ले रहे थे। वंश भी बाकि सब लोगो के साथ आकर खड़ा हो गया उसने अपनी जैकेट उतारी जो कि भीग चुकी थी और अपने बालों को झटकने लगा। मायरा ने वंश को देखा तो उसके पास चली आयी और अपने गले में पड़े स्कार्फ से वंश का सर पोछते हुए कहा,”अह्ह्ह तुम तो पूरा भीग गए वंश,,,,,,,,!!”
“ए ये क्या कर रही हो ? सब देख रहे है”,वंश ने मायरा से पीछे हटते हुए कहा
“मैंने क्या गलत किया मैं तो तुम्हारे गीले बाल,,,,,,,,,,,!!”,मायरा ने कहा तभी सुमित वहा आ पहुंचा। उसके हाथ में दो चाय के कुल्हड़ थे तो उसने एक वंश की तरफ बढाकर कहा,”ये कप मुझे थोड़ा यूनिक लगा तो मैं इसमें चाय ले आया”
वंश हंसा और कहा,”सर ये कुल्हड़ है , हमारे बनारस में खूब देखने को मिलता है और वहा मोस्ट ऑफ चाय इसी में पी जाती है,,,,,,,,,,,सर आप कभी बनारस आईये ना”
“हाँ क्यों नहीं ? सीरीज की एडिटिंग हो जाए उसके बाद जरूर आऊंगा”,सुमित ने कहा जो कि इस सीरीज में वंश के साथ काम करते करते उसका काफी अच्छा दोस्त बन चुका था। मायरा ने सुना तो वंश की बांह पर मारकर कहा,”तुमने सिर्फ सुमित को इन्वाइट किया मुझे नहीं करोगे ?”
“मेरा बस चलता तो मैं तुम्हे इस सीरीज में भी इन्वाइट नहीं होने देता”,वंश ने मन ही मन कहा और फिर सुमित के सामने जबरदस्ती मुस्कुरा कर मायरा से कहा,”हाँ तुम भी आ जाना , क्या पता गंगा नहाकर तुम में थोड़ा बदलाव आ जाए”
मायरा ने सुना तो मुंह बना लिया और वहा से चली गयी। सुमित चाय पीते हुए वंश के करीब आया और कहा,”तुम मायरा से इतना चिढ़ते क्यों हो ?”
वंश ने सुमित की तरफ देखा और कहा,”क्या आप सच में मायरा को पसंद करते है ?”
“हाँ , इन्फेक्ट इस सीरीज के बाद मैं उसे शादी के लिए प्रपोज करने वाला हूँ”,सुमित ने खुश होकर कहा
“आप उस से शादी मत कीजिये सर”,वंश ने उदासी भरे लहजे में कहा
“व्हाई ? क्या कमी है उस में ? हाँ मैं जानता हूँ वो कभी कभी तुम से फ्लर्ट कर लेती है पर फिल्म इंडस्ट्री में इतना सब चलता है वंश,,,,,,,बाकि वो बहुत अच्छी एक्टरस है”,सुमित ने कहा
“इसलिए तो कह रहा हूँ मत कीजिये उस से शादी से,,,,,,,,वरना जिंदगी भर आपसे प्यार करने की एक्टिंग करते रहेगी,,,,,,,,आप बहुत स्वीट हो सर और बहुत अच्छे भी आप मायरा जैसी लड़की तो बिल्कुल डिजर्व नहीं करते”,वंश ने कहा
“मैं कुछ समझा नहीं”,सुमित ने गंभीरता से कहा
वंश अपनी चाय खत्म कर चुका था उसने खाली कुल्हड़ को डस्टबिन में डाला और कहा अपना फोन निकालकर उसमे गैलरी ओपन करके सुमित की तरफ बढ़ा दी जिसमे मायरा की भेजी तस्वीरें थे जो कि बहुत ही शार्ट नाईट ड्रेस में थी और काफी हॉट पोजेज में थी। वंश सुमित का दिल टूटते नहीं देख सकता था इसलिए फोन सुमित को थमाकर वहा से साइड में चला गया। सुमित के कुल्हड़ में चाय अभी भी बची थी इसलिए उसने कुल्हड़ सामने दिवार पर रखा और वंश के फोन में आयी मायरा की तस्वीरें देखने लगा।
जैसे जैसे सुमित ने तस्वीरें स्वाइप की उसका दिल टूटता गया। उसके चेहरे पर दुःख और उदासी के भाव तैर गए। वह मायरा को सच में बहुत पसंद करता था पर उसे नहीं पता था मायरा उसकी पीठ पीछे ये सब कर रही है। सुमित ने वंश के फोन को बंद किया और उसे वापस देने के लिए पलटा तो देखा वंश वहा नहीं था। मायरा का सच जानने के बाद सुमित का दिल भारी हो गया वह सबके सामने रो भी नहीं सकता था इसलिए बाथरूम की तरफ चला आया।
बाथरूम में आकर सुमित ने देखा वहा कोई नहीं है तो वह शीशे के सामने चला आया और रोने लगा। वंश भी वहा मौजूद था वह बाथरूम से निकलकर आया और जब सुमित को रोते देखा तो उसके बगल में खड़े होकर हाथ धोते हुए कहा,”अब रोने का क्या फायदा है बड़े भैया , अपनी पर्सनालिटी से डिफरेंट लड़की पसंद करोगे तो धोखा तो मिलेगा न,,,,,,,,वैसे वो मायरा इतनी भी ख़ास नहीं है , आपको उस से अच्छी लड़की मिल जाएगी,,,,,,,,आई थिंक बहुत अच्छी मिल जाएगी”
सुमित ने सुना तो वंश की तरफ देखकर सुबकते हुए कहा,”सच्ची ?”
“मुच्ची , अरे मैं हूँ ना , मैं आपके लिए उस से अच्छी लड़की ढूंढ के दूंगा अभी आप मुझे जानते नहीं है,,,,,,,,,,लड़कियों के बीच काफी फेमस हूँ मैं”,वंश ने अपनी टीशर्ट की हाल्फ बाजू ऊपर करके अपने बायसेप्स दिखाते हुए कहा।
सुमित ने सुना तो मुस्कुरा दिया उसने अपना मुंह धोया और जेब में रूमाल ढूंढने लगा जिसे रखना सुबह वह भूल गया था।
वंश ने अपना रूमाल निकालकर सुमित की तरफ बढ़ा दिया तो सुमित ने उस से मुंह पोछा और अपनी जेब में रखते हुए कहा,”धोकर लौटा दूंगा”
“येह ! इट्स ओके मैं दुसरा खरीद लूंगा”,वंश ने कहा
सुमित ने वंश को देखा और उसके कंधो को थामकर कहा,” तुम इतने भी कठोर नहीं हो जितना खुद को दिखाने की कोशिश करते हो , तुम एक बहुत अच्छे लड़के हो वंश , देर हो इस से पहले तुम्हे निशि से अपने दिल की बात कह देनी चाहिए वरना कोई और उसे ले जायेगा”
वंश मुस्कुराया और कहा,”हाह ! चांस ही नहीं है उस छिपकली को मेरे अलावा और कोई झेल ही नहीं सकता,,,,,,,,,,,देखना बाहर अभी भी किसी दिवार से चिपककर हमारी बाते सुन रही होगी”
“तुम सच में अजीब हो.,,,,,,,!!”,सुमित ने वंश के साथ बाथरूम से बाहर आते हुए कहा और बाहर आकर जैसे ही उसने साइड में देखा सच में निशि जेंट्स वाशरूम की दिवार से कान लगाये कुछ सुनने की कोशिश कर रही थी
लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट , वाराणसी
“मुन्ना ने कहा था वह हमे एयरपोर्ट छोड़ने आएगा लेकिन आप आये , जबकि आप तो आना चाहते भी नहीं थे”,सारिका ने शिवम् के साथ एयरपोर्ट की तरफ बढ़ते हुए कहा
शिवम् के हाथो में ट्रॉली का हेंडल था , उसने सामने देखते हुए कहा,”परसो इलेक्शन है और मुन्ना उसी में उलझा है , वह आना चाहता था लेकिन हमने ही उसे मना कर दिया और हम आना नहीं चाहते थे क्योकि,,,,,,,,,,,,!!!”
कहते कहते शिवम् रुक गया तो सारिका ने कहा,”क्योकि ?”
इस बार शिवम् ने सारिका को देखा और उदासीन स्वर में कहा,”क्योकि हम आपको खुद से दूर जाते हुए नहीं देख सकते”
सारिका ने सुना तो उसकी आँखों में नमी उभर आयी और सीने में एक चुभन का अहसास हुआ। सारिका ने सारिका की इस बात का कोई जवाब नहीं दिया और शिवम् के हाथ से ट्रॉली लेकर कहा,”इस से आगे जाने की परमिशन आपको नहीं है,,,,,,,,,,,हमे जाते हुए ना देखना पड़े इसलिए आपने एयरपोर्ट टिकट भी नहीं लिया,,,है ना”
शिवम् फीका सा मुस्कुराया और कहा,”हम आपका इंतजार करेंगे,,,,,,,,जल्दी आईयेगा”
सारिका ने सुना तो मुस्कुरा उठी , आज भी शिवम् की आँखों में वही इंतजार था , बातो में वही मोहब्बत थी और चेहरे पर बिछड़ने का वही दर्द,,,,,,,,सारिका ने ट्रॉली छोड़ी और शिवम् के सीने से आ लगी। शिवम् ने भी अपने हाथो को सारिका के इर्द गिर्द कस लिया और उसकी मौजूदगी को महसूस करते हुए आँखे मूँद ली।
सारिका काफी देर तक शिवम् के सीने से लगी रही तो शिवम् ने कहा,”फ्लाइट का वक्त हो गया है सरु , अब आपको जाना चाहिए , हमारी प्रार्थनाये आपके साथ है आप जरूर सफल होंगी और हाँ जाते ही काम में व्यस्त ना हो जाईयेगा , अपना ख्याल रखियेगा”
सारिका शिवम् से दूर हटी और अपनी आँखों के किनारे साफ करते हुए कहा,”अब ये सब कहेंगे तो हम जा नहीं पाएंगे”
“अच्छा बाबा ठीक है कुछ नहीं कह रहे आप जाईये , हम भी आज अपनी महबूबा से मिलने जायेंगे”,शिवम् ने कहा
“हाँ जानते है , जाईये आपकी याद में उदास होंगी आपकी महबूबा , अपना ख्याल रखना हम जल्दी वापस आएंगे”,सारिका ने कहा और नम आँखों से हाथ हिलाते हुए अंदर चली गयी। जब तक सारिका आँखों से ओझल नहीं हो गयी शिवम् वही खड़ा अपना हाथ हिलाता रहा और पलटकर अपनी आँखों के नम किनारे साफ़ किये और गाडी की तरफ बढ़ गया।
आस पास मौजूद लोग शिवम् की आँखों में आयी नमी ना देखे सोचकर चलते चलते उसने कुर्ते की ऊपरी जेब में रखा चश्मा निकाला और आँखों पर लगा लिया। शिवम् गाडी में आ बैठा और वहा से निकल गया आखिर आज कितने दिनों बाद अपनी महबूबा से मिलने जो जा रहा था।
अस्सी घाट , बनारस
शाम होते ही मुन्ना सतर्क हो गया। नाव वालो से मुन्ना की पहले ही बात हो चुकी थी कि शाम की गंगा आरती के बाद नाव गंगा के उस पार नहीं जाएगी लेकिन मुन्ना ने देखा एक नाव मना करने के बाद भी उस पार जा रही है तो मुन्ना घाट की तरफ आया और नाव पर सवार होकर नाव वाले से चलने को कहा। मुन्ना नाव के किनारे पर खड़ा दूसरी नाव को ध्यान से देख रहा था , नाव पर कुछ लड़के सवार थे उनके हाथो में शराब और बियर की बोतले थी कुछ के हाथ में सिगरेट और दूसरी चीजे।
उनका पहनावा और हाव भाव देखकर मुन्ना को समझते देर नहीं लगी कि ये सब बनारस के लोग नहीं है उसने नाव वाले से आगे चलने को कहा और कुछ देर बाद ही नाव उस नाव के ठीक आगे थी। किनारे पर खड़ा मुन्ना एकदम से उस नाव पर आ कूदा सभी मुन्ना को देखकर थोड़ा हैरान थे और नाव चलाने वाले लड़के ने जैसे ही मुन्ना को देखा पानी में कूद गया और तैरते हुए किनारे की तरफ जाने लगा।
नाव पानी में ही थी लड़के के कूदने के बाद मुन्ना ने वहा मौजूद लड़को को एक नजर देखा और आकर नाव के हेंडल की तरफ बढ़ गया जहा से नाव को कंट्रोल करना था। मुन्ना ने जैसे ही नाव का यू टर्न लिया नाव में खड़े लड़के नाव के अंदर इधर से उधर गिरने लगे। मुन्ना ने उन पर ध्यान नहीं दिया और नाव को घाट की ओर बढ़ा दिया।
एक लड़का उठा और मुन्ना की तरफ आते हुए कहा,”अबे ए ! पागल हो गया है क्या ? नाव को वापस किनारे क्यों ले जा रहा है ?”
मुन्ना ने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से नाव चलाता रहा तो लड़के को गुस्सा आ गया उसने आकर मुन्ना की कॉलर पकड़ी और कहा,”अबे कम सुनता है क्या ? नाव को किनारे क्यों ले जा रहा है ? हम लोगो को गंगा के उस पार जाना है तू हम सबकी पार्टी क्यों ख़राब कर रहा है ?”
मुन्ना ने तिरछी नजरो से लड़के के हाथ को देखा जिसमे मुन्ना के शर्ट की कॉलर थी उसने कठोरता से कहा,”कॉलर छोड़”
“क्या बोला ?”,लड़के ने कहा
“हमने कहा कॉलर छोड़”,मुन्ना ने इस बार भी कठोरता से कहा लेकिन उसकी आँखों में गुस्सा था
“नहीं छोड़ा तो क्या कर लेगा ? तू मुझे जानता,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने इतना ही कहा कि मुन्ना ने पलटकर उसकी गर्दन को पकड़ा और उसका सर वहा रखे लोहे के बॉक्स पर दे मारा। लड़के का सर बक्से पर बॉल की तरह टप्पा खाया और लड़का नीचे गिर पड़ा। बाकि लड़को ने देखा तो मुन्ना की तरफ आये और एक ने कहा,”अबे पागल वागल है क्या भाई क्या कर रहा है ?”
मुन्ना लड़को की तरफ बढ़ा , उनकी तरफ बढ़ते हुए उसने वहा रखी नीम की संटी उठायी और लगा लड़को की टाँगो पर मारने बेचारे लड़के बिना म्यूजिक के ही नाव पर डांस करने लगे। मुन्ना किसी की सुन ही नहीं रहा था उसने सबको दो चार लगाई और वापस आकर नाव का हेंडल सम्हाल लिया। अगले ही पल नाव किनारे पर थी मुन्ना ने सबको नीचे उतरने का इशारा किया और खुद उस लड़के के पास आया जिसने मुन्ना की कोलर पकड़ी थी। मुन्ना ने उसे उठाया और नाव से बाहर ले आया।
मुन्ना उन लड़को के सामने आया और कहा,”जे बनारस है हिया आदमी अपने मन की शांति और खुद की खोज करने आता है , पर तुम जैसे नोजवानो ने इह जगह को मौज मस्ती का अड्डा समझ लिया है। हमहू दूसरी बार नाही समझायेंगे एक बार कहेंगे और उही फाइनल है , आज के बाद अगर गंगा के उस पार तुम में से कोई भी उधर दिखा तो वही ज़िंदा गाड़ देंगे और इह तरह वापस तुम्हरी अस्थिया आएगी तुम लोगन नाही”
मुन्ना की मार से लड़के पहले ही डरे हुए थे उसकी धमकी सुनकर और घबरा गए और हामी में गर्दन हिला दी लेकिन कॉलर वाला लड़का अभी भी उसे घूर रहा था तो मुन्ना ने कहा,”और तुम , हमको जे जानने मा कोनो इंट्रेस्ट नाही है कि तुमहू किसकी औलाद हो पर जितने दिन बनारस मा हो हमरे बाप के बारे में पता जरूर कर लेना,,,,,,,,!!”
मुन्ना जाने के लिए बढ़ गया दो कदम चलकर रुका और वापस आकर लड़के को देखा और खींचकर एक थप्पड़ लगाकर कहा,”आइंदा से कॉलर नाही पकड़ना”
“भाई तुम हो कौन ?”,लड़को में से एक ने डरते डरते पूछा
मुन्ना ने देखा अस्सी घाट के पास भी रमेश ने मुन्ना का पोस्टर लगा रखा था। उसने लड़के को पीछे देखने का इशारा किया और आगे बढ़ गया। लड़के ने पलटकर देखा और बाकी लड़को से कहा,”भाई ये युवा नेता बना नहीं उस से पहले इसके ये तेवर है साला इलेक्शन जीत गया तो यहाँ के लोगो का क्या होगा ?”
“लगता है जे शहर से गंदगी खत्म होने का बख्त आ गवा है,,,,,,,,,नमः पार्वती पतये हर हर महादेव”,लड़को के बगल से गुजरकर माँ गंगा की तरफ जाते हुए पंडित जी ने कहा
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संजना किरोड़ीवाल


Chalo Munna unn ladko ko sabak sikha diya…lakin ab usko Yuva neta election m koi musibat na ho…halaki Bhushan Munna se maar khane k baad koi na koi tidkam zarur lagayega…khar wo election Wale din pta chalega…lakin yaha Vansh ne ek dost hone ka saboot de diya…kaise usne Sumit ki aankho se mayra k pyar ka Bhoot utar diya…halaki Sumit ka Dil toota zarur, par baad m udass hone se better hai ki phele hee dil toot jaye… vansh sach m bahot pyra hai