Main Teri Heer Season 5 – 37
Main Teri Heer Season 5 – 37

भूषण के कहने पर लड़के ने मुन्ना पर चाकू से वार किया लेकिन चाकू मुन्ना को लगता इस से पहले राजन ने अपना हाथ बीच में कर चाकू को रोक लिया जिस से उसके हाथ में भी चोट लग गयी। मुन्ना आरती लेने आगे चला गया और राजन साइड में चला आया जिस से मुन्ना उसके हाथ पर लगी चोट को देख ना ले।
“राजन तुम भी आरती,,,,,,,,,राजन,,,,,,,,,,लगता है चला गया”,मुन्ना ने पलटकर राजन से कहा लेकिन वह वहा से जा चुका था। आरती लेकर मुन्ना जैसे ही जाने लगा पंडित जी ने उसे आवाज देकर अपने पास बुला लिया।
“जी पंडित जी,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने उनके सामने आकर कहा
“मानवेन्द्र ! हमहू सुने तुम युवा नेता इलेक्शन के लिए खड़े हुए हो ?”,पंडित जी ने पूछा
“जी हाँ,,,,,,,!!”,मुन्ना ने सहजता से कहा
“हमरी तुमसे एक ठो बिनती थी,,,,,!!”,पंडित जी ने कहा
“कहिये ना,,,,,,,हम आपकी क्या मदद कर सकते है ?”,मुन्ना ने अपनेपन से कहा
“पिछले काफी समय से हमहू देख रहे है , शाम को घाट पर गंगा मैया की आरती होने के बाद गंगा के उह पार आवारा लड़को का जमावड़ा लग जाता है। ऊह सब नशा करने वाले नौजवान है जो इह शहर की संस्कृति को खराब कर रहे है। कुछ बाहर से आते है तो कुछ अपने ही शहर के लड़के है जो इह सब को बढ़ावा दे रहे है। हमने प्रशासन से भी कहा पर कुछो खास फर्क नहीं पड़ा एक दो दिन सब बंद रहा ओह्ह के बाद सब वैसे का वैसा,,,,,,,,,,,
जब तुम्हरे पिताजी विधायक थे तब तक कोनो परेशानी ना हुई पर अब तो हर कोई इह शहर को बर्बाद कर रहा है बस,,,,,,,,,अरे जे तो मोक्ष की नगरी था पर लोग इह जगह को अपने स्वार्थ के लिए मौज मस्ती और मनोरजन का स्थान बना दिए है। अगर तुमहू जे इलेक्शन जीत जाहि हो तो कोशिश करना अपने पिता के नक़्शे कदम पर चल सको”,पंडित जी ने अपनी परेशानी मुन्ना के सामने रखते हुए कहा
मुन्ना ने सुना तो उसे अहसास हुआ कि क्यों इस शहर के लोग मुरारी से इतना प्यार करते है। उसने पंडित जी के हाथो को थामा और कहा,”हम इह शहर को फिर से शहर बनाने की पूरी कोशिश करेंगे”
“शुक्रिया बेटा ! विधायक जी कहा है ? आजकल घाट पर नाही आते ?”,पंडित जी ने पूछा
“पापा घर पर है कुछ कामो में व्यस्त है , जल्दी ही आएंगे”,मुन्ना ने कहा
“वो आते है तो एक ठो रौनक रहती है घाट पर,,,,,,,,,उनसे कहना हमने याद किया है”,कहते हुए पंडित जी वहा से चले जाते है
“जी जरूर”,कहते हुए मुन्ना पलटा और एक बार फिर शांत बहते माँ गंगा के पानी को देखने लगा। गंगा के उस पार उसे जगह जगह जलते अलावा और कुछ लोग दिखाई दिए जो कि उस पार फैले अँधेरे का हिस्सा थे। मुन्ना ने देखा नौजवान नावों पर सवार होकर इस पार से उस पार जा रहे थे। मुन्ना काफी देर तक पानी पर तैरती उन इक्का दुक्का नावों को देखता रहा उसके दिमाग में क्या चल रहा था ये तो सिर्फ मुन्ना ही जानता था। उसने हाथ पर बंधी घडी में वक्त देखा और घर जाने से ख्याल से वहा से निकल गया।
अस्सी घाट से बाहर आकर मुन्ना अपनी बाइक पर आकर बैठा और जैसे ही उसे स्टार्ट करने लगा उसकी नजर पानी की प्याऊ के पास अपना हाथ धोते राजन पर पड़ी। मुन्ना ने बाइक बंद की और उतरकर राजन के पास आया और कहा,”राजन जे का हुआ ? तुम्हरे हाथ पर जे चोट कैसे लगी ?”
राजन ने अपना हाथ पीछे किया और कहा,”अरे कुछ नहीं चलते चलते लड़खड़ा गए तो पत्थर चुभ गवा , ज़रा सा घाव लगा है ठीक हो जाएगा”
मुन्ना ने पीछे से राजन का हाथ निकाला और उसे दिखाकर कहा,”जे ज़रा सा है ?”
राजन ने कुछ नहीं कहा तो मुन्ना ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और राजन के हाथ पर बाधते हुए कहा,”जख्म गहरा है खुला रहेगा तो ज्यादा तकलीफ देगा”
“जख्म तो गहरा है”,राजन मुन्ना को देखकर बड़बड़ाया।
“कुछ कहा तुमने ?”,मुन्ना ने राजन की तरफ देखकर पूछा
“अह्ह्ह्ह नहीं ! हम बस कह रहे थे कि शुक्रिया,,,,,,,,!!”, राजन ने तुरंत बात बदल दी। मुन्ना कुछ कहता इस से पहले मुन्ना का फोन बजा , मुन्ना ने देखा फोन घर से है तो उसने फोन कान से लगाकर राजन को जाने का इशारा किया और वहा से निकल गया। मुन्ना बाइक लेकर राजन के सामने से गुजर गया , राजन ने अपने हाथ पर बंधी मुन्ना की रूमाल को देखा और वहा से चला गया
शिवम् का घर , बनारस
अपने कमरे में बैठी सारिका अपना सूटकेस जमा रही थी। अगले दिन उसे मुंबई जो जाना था। सारिका के पास खुद को जो भी सेविंग्स थी वो उसने अपनी कम्पनी के लिए इस्तेमाल कर दिया। बंद पड़ी कम्पनी को फिर से शुरू करने के लिए सारिका को एक बड़ी रकम की जरूरत थी लेकिन उसने इसमें शिवम् और बाकि घरवालों की मदद नहीं ली बल्कि मुंबई में नवीन से कम्पनी पर लोन लेने को कहा जबकि सारिका के बिना मांगे ही शिवम् उसकी मदद कर चुका था
इस वक्त सारिका की कपनी के अकाउंट में एक करोड़ का डोनेशन मौजूद था जिसकी खबर सिर्फ बैंक मैनेजर और नवीन को थी। सारिका 1 हफ्ते के लिए मुंबई जा रही थी इसलिए उसने उस हिसाब से कबर्ड से अपने कपडे निकालकर बिस्तर पर रखे।
शिवम् कमरे में आया उसने बिस्तर पर रखी ढेर सारी साड़िया देखी तो कहा,”ये सब साड़िया आप मुंबई लेकर जाने का सोच रही है ?”
“हाँ एक हफ्ते वहा रुकना है , दो दिन बैंक आना जाना रहेगा और 3 दिन ऑफिस की मीटिंग्स में बाकि 2 दिन अपने बेटे के साथ वक्त बिताएंगे इसलिए ज्यादा नहीं बस सिर्फ 7 साड़िया”,सारिका ने कहा
शिवम् ने 5 हेंगर एक साथ उठाये और उन्हें कबर्ड में लगाते हुए कहा,”मुंबई जाकर भी आप साड़ी पहनेंगी”
“तो आप क्या चाहते है मुंबई जाकर हम शार्ट ड्रेस और वन पीस पहने,,,,,,,या फिर सूट बूट पहनकर मेमसाहब बनकर घूमे,,,,,,,,,!!”,सारिका ने शरारत से कहा तो शिवम् मुस्कुरा दिया
वह नीचे बैठा और कबर्ड में कुछ ढूंढने लगा , सबसे नीचे वाली दराज में शिवम् को एक बाद बॉक्स मिला शिवम ने उसे निकाला और लेकर बिस्तर के पास आया। सारिका बस हैरानी से उसे देख रही थी। शिवम् ने उस बॉक्स को खोला और उसमे रखे सूट एक एक करके निकालने लगा। ये वही ड्रेस थे जो सारिका शादी के बाद अकसर पहना करती थी जब वह शिवम के साथ कही बाहर जाती थी।
शिवम् ने अपनी पसंद के 4 सूट निकालकर सारिका के सामने रखे और फिर सबसे आखिर में अपना पंसदीदा आसमानी रंग का सूट निकालकर सारिका की तरफ बढाकर कहा,”इसे आप तब पहनना जब आप वंश के साथ मरीन ड्राइव घूमने जाए,,,,,!!”
“आप चाहते है हम वहा ये सब पहने वो भी इस उम्र में,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा
शिवम् सारिका के झुमको का डिब्बा लेकर बिस्तर पर आ बैठा और कपड़ो के मैचिंग झुमके एक एक करके निकालकर सारिका की तरफ बढ़ाने लगा और कहा,”कपड़ो का उम्र से क्या लेना देना ? वैसे भी आप इन कपड़ो में हमे हमारी वही पुरानी मैडम जी लगती है जिनके पीछे हम मुंबई तक चले आये थे”
“तो फिर से चलिए,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा तो शिवम् ने उसकी तरफ देखा और सारिका ने आगे कहा,”हमारे साथ,,,,,,,!!”
“हम मुंबई जरूर आएंगे लेकिन अभी नहीं जब आप अपने काम में सफल हो जाएँगी तब आपको बधाई देने,,,,,,हमारी जिंदगी सवारते सवारते आपने अपने सपनो को ही भुला दिया था लेकिन अब नहीं , अब आपको सपने देखने भी है और उन्हें पूरे भी करने है,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने प्यार से कहा और हाथ में पकडे झुमके सारिका की तरफ बढ़ा दिए। शिवम् की बात सुनकर सारिका का मन भारी होने लगा था , वह मुंबई जा तो रही थी लेकिन एक हफ्ता शिवम् से दूर कैसे रहेगी सोचकर ही उसका दिल भर आया।
शिवम् उसकी आँखों में आयी नमी को ना देख ले सोचकर सारिका ने शिवम् से नजरे हटाई और कपडे सूटकेस में रखते हुए कहा,”देखा आपने फिर हमे अपनी बातो में उलझा लिया , हमे ये सब पैक करना है और फिर किचन में जाकर वंश के लिए खाने का सामान भी रखना है,,,,,,,,,!!”
“उह्ह सब हमने एक बैग मा रख दिया है , और जे स्वेटर वंश को देना हमरी तरफ से कहना हमने ख़ास उसके लिए बनायीं है अपने हाथो से , सर्दिया शुरू हो गयी है और मुंबई मा तो सर्दी ज्यादा होगी हुआ तो इत्ता बड़ा समंदर है,,,,,,!!”,आई ने कमरे में आकर कहा और हाथ में पकड़ी स्वेटर सारिका की तरफ बढ़ा दी। सारिका ने स्वेटर लिया और उसे छूकर देखते हुए कहा,”ये कितना सुन्दर बना है आई”
“सुंदर तो बनेगा ही हमरा वंश भी तो इत्ता ही सुंदर है , और शिवा तुमहू हिया का कर रहे हो ? इह का सामान पैक करन दयो , तुम्हाये बाबा बाहिर खाने पर तुम्हरा इंतजार कर रहे है , चलो आओ,,,,,,,सारिका बिटिया तुमहू भी जे सब काम खत्म करके खाना खाय ल्यो”,आई ने कहा और कमरे से निकल गयी
“जाए ?”,शिवम् ने सारिका की तरफ देखकर प्यार से पूछा तो सारिका ने मुस्कुराते हुए हामी में सर हिला दिया। शिवम् वहा से चला गया और सारिका अपनी पैकिंग करने लगी।
लोनावला , पुणे
निशि और वंश को अकेला छोड़कर सुमित वहा से चला गया। वंश और निशि साथ है ये बात सिर्फ सुमित को पता थी। बाहर पार्टी का तेज शोर था पार्टी का मजा ले रहे थे और वंश निशि का ख्याल रखने के लिए उसके साथ बैठा था। निशि को तेज बुखार था और शराब पीने की वजह से उसकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गयी। उसका सर दर्द से फट रहा था , वह अपना सर पकडे उठी , अगले ही पल उसे उलटी जैसा महसूस हुआ तो वह उठकर बाथरूम की तरफ भागी। वंश भी उसके पीछे आया।
निशि वाशबेसिन में उलटी करने लगी , वंश ने देखा निशि को तकलीफ हो रही है तो वह उसके पास आकर उसकी पीठ सहलाने लगा। उलटी करने के बाद निशि में हिम्मत ही नहीं बची वह वही बैठने को हुई तो वंश ने उसे सम्हाला और उसका मुंह धोया। पोछने के लिए इधर उधर देखा तक तक निशि ने उसके शर्ट से ही अपना मुंह पोछ लिया। वंश को अब निशि पर गुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि उसे अब निशि की परवाह हो रही थी।
वह निशि को लेकर बिस्तर की तरफ आया और उसे बैठाते हुए कहा,”तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए पीने को कुछ लेकर आता हूँ,,,,,,,,,,,!!”
वंश जैसे ही जाने लगा निशि ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया वंश ने पलटकर निशि को देखा तो निशि ने मासूमियत से कहा,”मत जाओ”
“तुम्हारी तबियत खराब है मैं दवा ले आता हूँ,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“मैं ठीक हूँ,,,,,,,,,,तुम यहाँ बैठो मेरे सामने,,,,,,,,अगर तुम बाहर गए तो वो मायरा फिर तुम्हे ले जाएगी”,निशि ने नशे के उन्मांद में कहा
वंश निशि के सामने आ बैठा , उसका हाथ अभी भी निशि के हाथ में ही था। निशि की बात सुनकर वंश ने कहा,”मुझे कोई कही नहीं लेकर जा रहा मैं यही हूँ तुम्हारे पास , तुम्हारे साथ , तुम्हारे सामने,,,,,,,,,,!!”
निशि ने मदहोश आँखों से वंश को देखा और कहा,”तुम हमेशा मेरे सामने रहो इसीलिए तो मैंने सुमित सर को इस सीरीज के लिए हाँ कहा,,,,,,,,,!!
“मतलब ?”,वंश ने हैरानी से पूछा
निशि ने एक दो बार अपनी पलकें झपकाई और कहा,”मुझे ये एक्टिंग वेक्टिंग बिल्कुल पसंद नहीं है मैं तो अपने डेड के जैसे बिजनेस करना चाहती थी इसलिए तो पढाई कर रही थी लेकिन फिर तुम आये और मैं सब भूल गयी। पहले दिन से ही मैं तुम्हे बहुत पसंद करती हूँ , बहुत मतलब बहुत इतना कि मैं तुम्हे किसी से शेयर नहीं कर सकती पर जब मैंने पहली बार फिल्मसिटी में उस मायरा को तुम्हारे करीब देखा तो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।
तुम्हारे आस पास रह सकू इसलिए मैंने सुमित सर से हाँ कहा और उन्होंने मुझे इस सीरीज में रोल दे दिया,,,,,,,पता नहीं अब ये कब खत्म होगी ?”
कहकर निशि ने मायूसी से अपने होंठो को बाहर निकाला और अपनी गर्दन झुका ली। वंश ने सुना तो उसे हैरानी भी हुई और ख़ुशी भी कि निशि उसे इतना पसंद करती है कि उसके लिए सब छोड़कर फिल्मसिटी में चली आयी।
वंश प्यार से निशि को देखता रहा और कुछ देर बाद कहा,”और तुमने ऐसा क्यों किया ?”
निशि ने सर उठाकर वंश को देखा और धीरे से कहा,”क्योकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ”
निशि ये सब शराब के नशे में कह रही थी वरना होश में तो वह वंश के सामने कभी ये सब कहने की हिम्मत नहीं करती ,, लेकिन नशे में ही सही निशि के मन की सच्ची भावनाये वंश के सामने आ रही थी वह मुस्कुराया और कहा,”लेकिन तुमने अभी तक मुझे आई लव यू नहीं कहा”
“तुमने भी नहीं कहा”,निशि ने कहा
“हाँ तो तुम्हे पहले कहना चाहिए”,वंश ने कहा
“आई लव यू हमेशा पहले लड़के ही कहते है,,,,,,,,,इसलिए तुम्हे बोलना चाहिए”,निशि ने कहा
“अच्छा और ये कहा लिखा है कि आई लव यू हमेशा लड़का ही पहले कहेगा,,,,,,,,,मैं तो नहीं कहूंगा”,वंश ने चिढ़कर कहा वह भूल गया कि निशि नशे में है इसलिए उस से जिद कर रही है।
“हाँ क्योकि तुम मुझसे प्यार नहीं करते , तुम तो उस मायरा से प्यार करती हो”,निशि ने रोते हुए कहा। वंश ने देखा तो निशि का मुंह बंद करने के लिए उसकी तरफ बढ़ा लेकिन उसका पैर फिसला और वह निशि को लेकर बिस्तर पर आ गिरा हालंकि उसका हाथ निशि के मुँह पर ही था और निशि बड़ी बड़ी आँखों से वंश को एकटक देखे जा रही थी और वंश के बाल उसके ललाट पर बिखरकर झूल रहे थे।
मुरारी का घर , बनारस
हॉल में बैठा मुरारी अनु के साथ मिलकर मुन्ना की शादी में आने वाले मेहमानो की लिस्ट बना रहा था , साथ ही मेहमानो को देने वाले गिफ्ट्स और दूसरी चीजों के बारे में भी बात कर रहे थे। मौसम बदलने लगा और बाहर हलकी बारिश होने लगी थी। मुरारी ने बिजली की गड़गड़ाहट सुनी तो उसके अरमान जाग उठे उसने प्यार से अनु को देखा तो अनु ने कहा,”क्या ?”
“अगर तुमहू मना ना करो तो एक ठो,,,,,,,,!!”,मुरारी ने धीरे से लेकिन प्यार से कहा
अनु ने सुना तो वह हैरानी से मुरारी को देखने लगी और कहा,”कैसी बाते कर रहे हो मुरारी इस उम्र में तुम,,,घर में जवान बेटा है और तुम शर्म नहीं आती ?”
“अरे यह मा सरम की का बात है ? अपना घर है , मौसम है , और जवान बेटे की जिंदगी मा भी तो कबो न कबो आया ही होगा ऐसा दिन , और ना आया है तो शादी के बाद आ जाएगा”,मुरारी ने कहा
मुरारी की बहकी बहकी बाते सुनकर अनु का दिल धड़कने लगा और वह हैरानी से उसे देखने लगी
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संजना किरोड़ीवाल


Yeah Bhushan apni harkato bazz nahi ayega aaj toh Munna ko Ranjan se bacha liya voh Munna ko is baat ki kabar bi nahi ki Ranjan ko chod usse bachane ke liye hi lagi hai aur Munna Pandit ji ki baat sunne ke baad kuch sochne laga..Nashe ne Nishi ne Vansh ko apni man ki baate sunnai jisse sunkar Vansh sunkar hairan hai ki Nishi uske liye flim city me ayi hai…Sarika Mumbai janne ki taiyari kar rahi hai aur Shivam ne usse waha sarees ji jagah suit pehenne ko kaha aur voh khud hi uske kuch suit nikal kar diye aur uske saath matching accessories bi..Murari bi behki behki baate sunkar Anu sarmanne lagi…interesting part Maam♥♥♥♥