“मैं तेरी हीर” – 8
Main Teri Heer – 8
मुंबई , नवीन का घर
सुबह के 7 बज रहे थे वंश की नींद खुल चुकी थी और वह बिस्तर पर पड़ा करवटें बदल रहा था। आज शाम उसकी बनारस के लिए फ्लाइट थी और उसे वापस जाना था। जाने से पहले उसे अपने कुछ दोस्तों से मिलना था। वंश उठा और नहाने चला गया , नहाकर वह वापस आया और तैयार होने लगा , बाल बनाते हुए अचानक उसके हाथ में पड़ा बेंड टूटकर गिर गया। वंश ने उसे उठाया और देखने लगा , उसका हुक लूज होने की वजह से निकल गया था। वंश उसे अपने हाथ में पकडे देख रहा था की तभी उधर से गुजरती हुई निशि की नजर वंश पर चली गयी। निशि रुककर उसे देखने लगी और मन ही मन खुद से कहा,”लगता है ये चीज बहुत खास है क्यों ना मैं इसे चुरा लू फिर तो इसे मेरा विडिओ डिलीट करना ही पडेगा”
वंश ने उस बेंड को टेबल पर रखा और अपना जैकेट पहनकर बाहर चला गया। निशि मौका मिलते ही उसके कमरे में आयी और उस बेंड को उठा लिया। निशि ने उस बेंड को देखा वो एक बहुत ही मामूली सा था। निशि ने उसे लाकर हॉल के ड्रावर में रख दिया। वंश दिनभर अपने कुछ दोस्तों से मिला , कुछ अपने लिए शॉपिंग की,,,,,,,,,,,,,जो पैसे उसे सुमित से मिले थे वो आधे तो उसने शॉपिंग में ही खर्च कर दिए थे। दोपहर बाद वंश ख़ुशी ख़ुशी घर आया और अपना सामान पैक करने लगा। निशि भी घर में ही थी और इस इंतजार में थी की कब वंश उस बेंड के लिए उस से रिक्वेस्ट करे और निशि उसे ब्लेकमैल कर सके। वह बाहर सोफे पर बैठी बड़े आराम से सेब खा रही थी। वंश ने अपना सारा सामान पैक किया और टेबल की तरफ आया लेकिन उसका बेंड वह नहीं था। वंश उसे कमरे में ढूंढने लगा उसने सब जगह ढूंढा लेकिन उसे कही नहीं मिला। वंश परेशान हो गया वो गौरी का दिया पहला तोहफा था जिसे वंश ने आज तक अपने हाथ से नहीं निकाला था लेकिन आज वो खो गया था। वंश परेशान सा उसे ढूंढ रहा था और निशि को ये देखकर बड़ा मजा आ रहा था। वंश को वो बेंड कमरे में कही नहीं मिला तो उसने अपने बैग्स खोले और उन्हें फर्श पर उड़ेल दिया। वह अपने सारे सामान को फैला चुका था लेकिन वंश को वो बेंड नहीं मिला। निशि ने देखा तो कमरे के दरवाजे पर चली आयी और सेब खाते हुए कहा,”तुम्हारा कुछ खो गया है क्या ?”
“मेरा हैंड बेंड नहीं मिल रहा है , सुबह यही रखा था”,वंश ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“हो सकता है मम्मा ने कचरा समझ के डस्टबिन में डाल दिया हो”,निशि ने कहा वंश उसे घूरने लगा। अगले ही पल वंश उठा और कमरे से बाहर निकल गया। निशि की मम्मी किचन में थी वंश ने आकर उनसे पूछा,”आंटी घर का डस्टबिन कहा है ?”
“डस्टबिन को तो मैंने आज ही खाली किया है , और सारा कचरा बाहर ही रखा था ताकि कचरे वाली गाड़ी उसे ले जाए”,निशि की मम्मी ने खाना बनाते हुए कहा। वंश ने सूना तो उसका दिल टूट गया। वह जल्दी से घर से बाहर आया इस उम्मीद में की शायद उसे वो बेंड मिल जाये। निशि खिड़की के पास खड़ी होकर वंश को ही देख रही थी। उसे बहुत अजीब लग रहा था ये देखकर की वंश एक मामूली से हैंड बेंड के लिए इतना परेशान हो रहा है। वंश के लिए उस बेंड का मिलना बहुत जरुरी था क्योकि उस बेंड से उसकी और गौरी की एक खूबसूरत याद जुडी थी। हमेशा टिप-टॉप रहने वाले वंश ने बिना परवाह किये कचरे की उस थैली को चेक करना शुरू कर दिया। उसे अपने कपड़ो के गंदे होने की परवाह नहीं थी , ना ही कचरे से आती दुर्गन्ध की।
वंश को बस वो बेंड चाहिए था और वह कचरे में उसे ढूंढता जा रहा था लेकिन उसे वो बेंड नहीं मिला। थककर वंश वही जमीन पर बैठ गया उसकी आँखों के सामने वो पल आने लगा जब गौरी ने अपने हाथो से उसे वो बेंड दिया था। निशि वंश को परेशान करना चाहती थी लेकिन उसे इस हाल में देखकर उसे अब अच्छा नहीं लग रहा था। उसने ड्रावर से वो बेंड निकाला और लेकर वंश के सामने चली आयी। वंश ने एक नजर निशि को देखा और फिर नजरे झुका ली
“एक मामूली से बेंड के लिए तुम इतना परेशान क्यों हो रहे हो ?”,निशि ने कहा
“वो कोई मामूली चीज नहीं है , जिसने दिया है वो मेरे लिए बहुत खास है”,वंश ने उदासीभरे स्वर में कहा
“क्या वो ये है ?”,निशि ने वंश के बेंड को उसके सामने करके कहा। वंश ने जैसे ही देखा उसका चेहरा खिल उठा और होंठो पर मुस्कान फिर से लौट आयी वह जल्दी से उठा और निशि के हाथ से बेंड लेकर कहा,”ये तुम्हे कहा मिला ? थैंक्यू , थैंक्यू सो मच मैं तुम्हे बता नहीं सकता तुमने मुझे क्या वापस किया है ? इसके लिए मैं तुम्हारा जिंदगीभर अहसानमंद रहूंगा”
निशि ने सूना तो हैरानी से उसे देखने लगी क्योकि उसे उस बेंड में ऐसा कुछ खास नहीं दिखा था। वंश ने उसे तुरंत लिया और अपने बांये में पहन लिया। निशि ने वंश को खुश देखा तो कहा,”वैसे ऐसी क्या ख़ास बात है इसमें ?”
वंश ने सूना तो निशि के थोड़ा करीब आया और उसकी आँखो में देखते हुए कहा,”क्या मैं तुम्हारा रिश्तेदार हूँ ?”
“नहीं”,निशि ने हैरानी से कहा
“दोस्त हूँ ?”,वंश ने फिर पूछा
“बिल्कुल नहीं”,निशि ने अपने दाँत पीसते हुए कहा
“तो फिर मैं अपने खुश होने की वजह तुम्हे क्यों बताऊ ?”,वंश ने मुंह बनाते हुए कहा तो निशि ने अपना पैर वंश के पैर पर पटका और कहा,”मुझे जानने का शौक भी नहीं है , गो टू हेल”
कहकर निशि चली गयी और वंश अपना पैर पकड़कर सहलाने लगा और कहा,”तुम्हारे साथ इस घर में रहने से अच्छा है मैं हेल ही चला जाऊ”
कुछ देर बाद वंश अंदर आया और अपने बिखरे हुए सामान को देखकर उसे रोना आ गया
जैसे तैसे उसने अपना बैग जमाया और एयरपोर्ट के लिए निकल गया। वंश के जाने के बाद निशि ने राहत की साँस ली।
बनारस , उप्र
कनेक्टिंग फ्लाइट होने की वजह से सुबह के 5 बजे मुन्ना और काशी बनारस पहुंचे। मुन्ना ने फोन कर दिया था इसलिए किशना गाड़ी ले आया था। मुन्ना ने सामान गाडी में रखा और किशना के बगल में आ बैठा। काशी पीछे बैठ गयी उसे नींद आ रही थी इसलिए उसने अपना सर सीट से लगा लिया और आँखे मूंद ली। कुछ देर बाद गाड़ी शिवम् के घर पहुंची। हमेशा की तरह आज भी शिवम् अपने बेटी का इन्तजार कर रहा था। काशी मुन्ना और किशना गाड़ी से नीचे उतरे किशना डिग्गी से सामान निकालकर अंदर रखने लगा। काशी मुस्कुराते हुए शिवम् की तरफ आयी और उसके गले लगते हुए कहा,”आप सुबह से हमारे आने की राह देख रहे थे ना ?”
“हम्म , कैसा रहा सफर ?”,शिवम् ने काशी के सर को चूमते हुए पूछा
“अच्छा था , आप कैसे है ? इस बार थोड़े कमजोर हो गए है,,,,,,,,,,,,,,,काम ज्यादा कर रहे है या फिर टेंशन ज्यादा ले रहे है बताईये ?”,काशी ने शिकायती लहजे में कहा तो शिवम ने प्यार से काशी के चेहरे को अपने हाथो में लिया और कहा,”आप आ गयी है ना अब ना ज्यादा काम ना ही ज्यादा टेंशन”
“माँ , आई , बाबा कहा है ?”,काशी ने शिवम् से पूछा
“सब अंदर है आओ चलो ,,,,,,, मुन्ना तुम भी आओ”,शिवम् ने कहा
“बड़े पापा , हम किशना के साथ घर चले जाते है,,,,,,,,,,,,,काफी थक भी गए है”,मुन्ना ने बेचारगी से कहा
“अच्छा ठीक है तुम आराम करो,,,,,,,शाम में आकर हमसे मिलना तुमसे कुछ बात करनी है”,शिवम् ने कहा
“आअह किस बारे मे ?”,मुन्ना ने पूछा
“इंदौर से तुम्हारे नानाजी का फोन आया था , उन्होंने हमे कुछ बताया उसी के बारे में ? शाम में मिलते है”,कहकर शिवम् अंदर चला गया।
“कही नानाजी ने बड़े पापा को गौरी के बारे में तो नहीं बता दिया,,,,,,,,,,,,,,,अगर ऐसा हुआ तो हम बड़े पापा को क्या जवाब देंगे ? ये नानाजी भी ना गौरी की तरह इनके पेट में भी कोई बात नहीं टिकती,,,,,,,,,,,,,सम्हाल लेना महादेव”,मुन्ना ने मन ही मन कहा
“मुन्ना भैया काशी दीदी का सब सामान रख दिया है , आप घर जायेंगे ?”,किशना ने आकर कहा तो मुन्ना की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”हाँ चलो”
मुन्ना एक बार फिर किशना के बगल में आ बैठा। किशना ने गाड़ी स्टार्ट की और वहा से निकल गया। मुन्ना के दिमाग में शिवम् गौरी और अधिराज जी घूमने लगे जैसा की मुन्ना को ज्यादा सोचने की आदत थी वह मन ही मन परेशान होने लगा। उसने अपनी कोहनी खिड़की पर टिकाई और ऊँगली अपने होंठो से लगाकर सोच में पड़ गया। किशना चुपचाप गाड़ी चलाता रहा। कुछ देर बाद गाड़ी मुन्ना के घर पहुंची। मुन्ना गाड़ी से नीचे उतरा और किशना से सामान अंदर ले जाने को कहा। सुबह हो चुकी थी और उजाला भी हो चुका था। मुरारी उठ चुका था और वही घर के लॉन में घूम रहा था , मुन्ना को देखते ही मुरारी उसकी तरफ आया और मजाकिया लहजे में कहा,”का बेटा मुन्ना इंदौर में बसने का इरादा कर लिए थे का ?”
“नहीं पापा वो हमे थोड़ा काम था इसलिए रुकना पड़ा , काशी भी हमारे साथ ही आयी है”,मुन्ना ने कहा
“जे सही किया तुमने काशी बिटिया को साथ ले आये , तो अब,,,,,,,,,,,,,,,?”,मुरारी ने पूछा
“अब क्या ?”,मुन्ना ने हैरानी से पूछा
“हमारा मतलब पढाई तो तुम्हरी हो चुकी तो बेंड वेंड बजवाये तुम्हरा ?”,मुरारी ने कहा
मुरारी की बात सुनकर मुन्ना हैरान रह गया , उसे समझ नहीं आ रहा था आखिर उसके पापा उसकी शादी के पीछे क्यों पड़े थे ? उसने मुरारी के सवालो से बचने के लिए कहा,”वो हम माँ से मिलकर आते है , आप सैर कीजिये”
“अरे मुन्ना,,,,,,ए मुन्ना,,,,,,,,,,,,सरमा गया,,,,,,,,,,,,अरे हमरे ज़माने में हम तो कैसे मरे जाते थे शादी के नाम पर और आजकल के लौड़े पता नहीं सादी के नाम से ही दूर भागने लगते है,,,,,,,,,,,,,,ए किशना भाभी से कहो एक ठो चाय भिजवाए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अरे गोरिया बूझो ना प्रेम हमाओ,,,,,,,,,,,,,,,खिलायबे बनारसी पान”,गुनगुनाते हुए मुरारी एक बार फिर वही लॉन में घूमने लगा
मुन्ना अंदर चला आया , अनु किचन में थी और अपने हाथो से मुन्ना के लिए चाय नाश्ता तैयार कर रही थी। जैसे ही अनु ने मुन्ना को देखा प्लेट में गर्मागर्म पराठा लिए बाहर आयी और एक निवाला तोड़कर मुन्ना को खिलाते हुए कहा,”चार दिन में कैसे दुबला गए हो मुन्ना , वहा खाना नहीं खाया होगा तुमने ठीक से,,,,,,,,,,,अच्छा मम्मी पापा कैसे है ? पापा की तबियत तो ठीक है ना अब ? और काशी,,,,,,,,,,,,,,काशी भी साथ आयी होगी सारिका दी बता रही थी कल,,,,,,,तुम खड़े क्यों हो बेटा ? आओ बैठो ना और ये पराठा खाओ पूरा मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ”
अनु नॉनस्टॉप बोलते ही गयी तो मुन्ना मुस्कुराने लगा उसे अपनी माँ में गौरी की झलक दिखाई दी गौरी भी तो जब बोलती है ऐसे ही बोलते जाती है। मुन्ना को मुस्कुराते देखकर अनु ने कहा,”क्या हुआ तुम मुस्कुरा क्यों रहे हो ?”
“माँ बैठिये ना , हम इंदौर से वापस आये है विदेश से नहीं , आप कुछ ज्यादा ही परेशान हो रही है”,मुन्ना ने अनु को सोफे पर बैठाते हुए कहा और खुद उसका हाथ थामकर उसके बगल में बैठ गया। अनु प्यार से अपने बेटे को देखने लगी और कहा,”पुरे 4 दिन बाद तुझे देख रही हूँ पता है तुम इस घर में नहीं होते तो ये घर काटने को दौड़ता है,,,,,,,,,,,,,पर अब तुम आ गए हो तो मैं तुम्हे कही नहीं जाने दूंगी”
“हम वैसे भी बनारस को छोड़कर कही नहीं जाने वाले , अच्छा माँ हम नहा लेते है काफी लंबा सफर था और हम थक भी गए है”,मुन्ना ने कहा
“अरे लेकिन ये पराठे तो खा लो”,अनु ने कहा
“माँ हम बाद में खा लेंगे , हम अपने कमरे में जा रहे है”,कहते हुए मुन्ना सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया।
“उह नहीं खा रहा तो हमे खिला दो मैग्गी”,मुरारी ने आकर कहा।
“मैं आपकी चाय भिजवाने ही वाली थी”,अनु ने पलटते हुए कहा
“जैसे जैसे हमारी शादी को वक्त हो रहा है तुम्हरा ध्यान हमसे हटता जा रहा है मैग्गी”,मुरारी ने शिकायत करते हुए कहा
“मेरा बेटा इतने दिन बाद घर आया है अब क्या उस से बात भी ना करू मैं,,,,,,,,,,,,,और आपके लिए सादी चपाती बनेगी कोई पराठे वराठे नहीं”,अनु ने मुरारी को डांटते हुए कहा और किचन की तरफ जाने लगी
“काहे ? हम पराठे काहे नहीं खा सकते सकते ?”,मुरारी कहते हुए अनु के पीछे आया
“पेट देखा है अपना ? कभी जिमखाने की शक्ल देखी है , कभी योगा किये हो , बस जो सामने आया पेल दिया,,,,,,,,,,,,वजन कितना बढ़ गया है कुछो अंदाजा है। आज से आपका सब खाना बंद सिर्फ सादा खाना खाएंगे आप”,अनु ने भी मुरारी को डपटते हुए कहा
“हाँ तो फिर हम फूलवती के घर जाकर खा लेंगे,,,,,,,,वैसे भी उह कई दिनों से चाय पर आने को कह रही है”,मुरारी ने अकड़ते हुए कहा
“तुम्हारी और उस फूलवती की टाँगे ना तोड़ दू मैं , और ये उलटी सीधी बाते ना मेरे सामने ना किया करो मिश्रा जी बता रहे है”,अनु चम्मच हाथ में पकडे मुरारी की ओर पलटते हुए कहा
“अरे अरे मैग्गी तुमहू तो खामखा गुस्सा कर रही हो यार , फूलवती हमारे पड़ोस में रहती है उह सोहन की बिटिया , अरे हम मजाक कर रहे है यार”,मुरारी ने कहा तो अनु फिर उसकी तरफ पलटी और कहा,”सुबह सुबह बकैती ना मिश्रा जी मुझे और भी बहुत काम है , पानी गरम हो चुका जाकर नहा लीजिये”
मुरारी ने अनु की बात को अनसुना कर जैसे ही पराठा उठाना चाहा अनु ने प्लेट साइड खिसकाते हुए मुरारी को घुरा।
“अच्छा ठीक है एक कप चाय तो पिला दो यार”,मुरारी ने कहा
“सुबह से तीन चाय पी चुके है आप , चलिए जाईये और नहा लीजिये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ”,कहते हुए अनु वापस अपने काम में लग गयी। मुरारी किचन से बाहर चला आया और बड़बड़ाने लगा,”हम साला पुरे बनारस को चलाते है और जे हमारी घरवाली इन्होने हमे ही चलता कर दिया,,,,,,,,,,,,,,सही कहते थे हमरे दादा की ना देखी होली तो देखो दिवाली और ना देखा बवाल तो देखो घरवाली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बचा लो महादेव”
मुन्ना अपने कमरे में आया और नहाने चला गया। नहाने के बाद उसे थोड़ा अच्छा लग रहा था। वह शीशे के सामने चला आया और अपने गीले बालों को पोछने लगा। शीशे में देखते हुए मुन्ना की आँखों के सामने गौरी के साथ बिताये पल आने लगे। गौरी के बारे में सोचते हुए मुन्ना का हाथ रुक गया। इंदौर में बिताये वो खूबसूरत पल किसी फिल्म की तरह मुन्ना की आँखों के सामने चलने लगे। कुछ देर बाद फोन की रिंग से मुन्ना की तंद्रा टूटी वह बिस्तर की तरफ आया और वहा पड़ा फोन उठाकर देखा गौरी का ही था। मुन्ना के होंठो पर मुस्कान तैर गयी उसने फोन उठाया और कान से लगाते हुए कहा,”हेलो”
“मिस्टर मानवेन्द्र मिश्रा थोड़ा सा भी तरस नहीं आता आपको”,गौरी ने सधी हुई आवाज में कहा
“मतलब ?”,मुन्ना ने हैरानी से कहा और बिस्तर पर आ बैठा
“मतलब ये की कल शाम के बाद तुमने एक बार भी कॉल नहीं किया,,,,,,,,,,,,,,,,क्या तुम्हे ये लगता है तुम्हारे बनारस जाने के बाद मैं तुम्हारा पीछा छोड़ दूंगी ?,,,अगर तुम ऐसा सोच रहे हो तो तुम्हारा सोचना बेकार है क्योकि इस जन्म में तो मैं तुम्हारा पीछा छोड़ने वाली नहीं हूँ”,गौरी ने एक साँस में कहा जैसा की वह हमेशा करती थी
मुन्ना फोन कान से लगाए बिस्तर पर लेट गया और कहा,”हम अभी तुम्हारे बारे में ही सोच रहे थे , तुम्हारे साथ जो वक्त बिताया वो हमारी जिंदगी का सबसे खूसबूरत वक्त था जिसके लिए तुम्हारा शुक्रिया”
“हम्म्म्म वैसे मैं भी तुम्हे बहुत मिस कर रही हूँ , ऐसा क्यों होता है जब हम अपने पसंदीदा इंसान के साथ होते है तो वक्त बहुत तेजी से गुजरता है”,गौरी ने कहा
“वो इसलिए क्योकि जब हम अपने पसंदीदा इंसान के साथ होते है तो हम खुश होते है , हम उस मोमेंट को दिल से जीते है और वो पल हमारी जिंदगी के सबसे खुबसुरत पलों में शामिल हो जाते है”,मुन्ना ने कहा
“हाँ मैं जब तुम्हारे साथ थी तब बहुत खुश थी , अच्छा मान,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“तुम कहना चाहती हो ?”,मुन्ना ने सर के नीचे तकिया लगाते हुए पूछा
“मैं भी बनारस आना चाहती हूँ”,गौरी ने कहा
“आ जाओ किसने मना किया है ?”,मुन्ना ने कहा उसे अब हल्की हल्की नींद आने लगी थी।
“मैं मजाक नहीं कर रही सच में आना चाहती हूँ,,,,,,,,,,,,,,!”,कहकर गौरी मुन्ना के सामने एक लम्बी चौड़ी रिक्वेस्ट करने लगी मुन्ना सफर में थका हुआ था इसलिए उसकी कब आँख लगी उसे पता ही नहीं चला और वह सो गया। उधर गौरी ने अपनी बात खत्म करके कहा,”तो क्या मैं बनारस आ जाऊ ?”
मुन्ना ने कोई जवाब नहीं दिया तो गौरी ने हैरानी से अपना फोन देखा फोन चालू था। उसी वक्त मुरारी किसी काम से ऊपर आया और मुन्ना के कमरे में चला आया मुन्ना सो रहा था देखकर मुरारी ने पास पड़ा कम्बल उसे ओढ़ा दिया और जैसे ही जाने लगा नजर फोन पर पड़ी जो की चालू था।
“गौरीशंकर,,,,,,,,,,!”,मुरारी ने फोन उठाकर बड़बड़ाते हुए कहा और फोन कान से लगा लिया
“तुम मुझे आई लव यू कहोगे या नहीं ?”,गौरी ने कहा उसे ये नहीं पता था फोन के उस तरफ मुरारी है।
मुरारी ने सूना तो उसे हल्का सा झटका लगा लेकिन अगले ही पल उसने कहा,”आई लव यू,,,,,,,,,,,,,,,,,,तो हम तुमको नहीं बोल सकते का है की हम मुन्ना नहीं उसके बाप बोल रहे है”
गौरी ने जैसे ही सूना उसके हाथ से फोन छूटकर गिर गया !
Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8 Main Teri Heer – 8
क्रमश – Main Teri Heer – 9
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संजना किरोड़ीवाल
Bhut hi pyara part tha story ka…..😊
Syapa ho gya
Maja aa gya
Awesome part…nishi ne vansh se deal krne ka socha lekin vansh ko pareshan dekh kr khud hi band wapas kr diya… munna kuch jayada hi sochta h .. Shivam ki baat sun kar tension m h…or ab to syapa ho gya munna k phone murari ne I love you sun liya.. bechara munna kya hoga uska… waiting eagerly for next part
लो जी हो गया कांड अब मुरारी बजाऐगा मुन्ना की बाँसुरी 😅😅😅😅
leee hoo gya syapa…wooowww ky mast part h…
Ab to kaand ho gya murari to band bazaa baraat nikalega munna ki
🤣😂🤣😂ये सही था कि मुरारी ने आई लव यू नहीं बोला, वरना अनू नहीं छोड़ती उसे….फंस गया मुन्ना…
Nice part ma’am
Manmarziyan ka season 3 kab aayega apne kaha tha is saal ke end me hume besabari se intezar hai is kahani ka please kam se kam date to bata dijiye ki aap kab upload kar payengi🙏🙏
Very beautiful
Part kitne bje aata h
Part 9 kaha hai
Nice story
Aaj to murari aur anu ki takrar pad kr bhut hi mzaa aaya
Hahaha ho gya kand🤦🤦🤦🤦