Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 7

Main Teri Heer – 7

Main Teri Heer
Main Teri Heer

वंश की वजह से निशि की पूरी पार्टी खराब हो चुकी थी साथ ही उसका अच्छा खासा मूड भी। वह वंश को कोसते हुए बाहर ही खड़ी थी की पूर्वी आयी और कहा,”हे निशि तू यहाँ क्या कर रही है ? और वो लड़का कौन था ?”
“और कौन हो सकता है वही ट्रेफिक वाला”,निशि ने कुढ़ते हुए कहा
“क्या तू उसे जानती है ?”,पूर्वी ने हैरानी से पूछा
“जानना क्या है मेरे पापा उसे हमारे घर में ही ले आये है ?”,निशि ने कहा
“पर क्यों ?”,पूर्वी ने पूछा
“क्योकि मेरी किस्मत खराब है,,,,,,,,,,,,,,बाय”,कहकर निशि भी वहा से चली गयी
“ए निशि सुनो,,,,,,,,,,,,,,सुनो ना,,,,,,,,,,चली गयी पता नहीं इसे क्या हुआ है ? जरूर उस लड़के ने ही कुछ किया होगा , बेचारी निशि”,कहकर पूर्वी वापस क्लब की ओर चली गयी।
वंश सड़क किनारे आया और ऑटो का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद निशि भी चली आयी और वंश से कुछ दूर खड़े होकर ऑटो का वेट करने लगी। वंश ने देखा निशि ने सिर्फ घुटनो से ऊपर तक वन पीस ड्रेस पहना है। वंश वापस सामने देखने लगा कुछ देर बाद टेक्सी आकर रुकी। वंश ने दरवाजा खोला और जैसे ही अंदर बैठने को हुआ उसे निशि का ख्याल आया। वंश ने निशि की तरफ देखा और कहा,”ओह्ह हेलो घर नहीं जाना तुम्हे ? वैसे तुम चाहो तो किराया शेयर कर सकती हो”
निशि ने देखा रात काफी हो चुकी थी और उसे यहाँ रुकना भी नहीं था इसलिए वह वंश की तरफ आयी और उसे घूरते हुए गाड़ी में आ बैठी। वंश ने भी मुंह बनाया और उसकी बगल में आ बैठा और ड्राइवर से चलने को कहा। निशि मन ही मन अपने विडिओ को लेकर परेशान थी लेकिन वह वंश से रिक्वेस्ट करना भी नहीं चाहती थी इसलिए ख़ामोश बैठी खिड़की के बाहर देखने लगी। वंश भी अपनी खिड़की के बाहर देख रहा था और गौरी के बारे में सोच रहा था। बनारस जाकर वह गौरी से मिलने जाएगा सोचकर ही वंश के मन में गुदगुदी सी होने लगी थी। वह अपने हाथ की कलाई में पड़े बेंड को देखने लगा। उसे वो शाम याद आ गयी जब गौरी ने उसे बड़े प्यार से वो बेंड पहनाया था। आज से पहले वंश ने कितनी ही लड़कियों से मिला था लेकिन गौरी जितना उसे कोई भाया नहीं। गौरी की पर्सनालिटी , उसका पॉजिटिव ऐटिटूड वंश के दिल को भा गया और वह गौरी को इतना पसंद करने लगा।
गाड़ी चलाते हुए ड्राइवर ने अंदर लगे मिरर में देखा वंश और निशि दोनों अलग अलग साइड में देख रहे है वह दोनों को कपल समझ रहा था और साथ ही ये भी समझने की कोशिश कर रहा था की दोनों के बीच हुआ क्या है ? ड्राइवर का ध्यान सामने ना होने की वजह से उसे स्पीड ब्रेकर दिखाई नहीं दिया और जब दिखा तो उसने एकदम से ब्रेक लगाया , इस अचानक लगे ब्रेक से वंश की पीठ अपनी खिड़की के शीशे से जा लगी और निशि उसकी गोद में आ गिरी , वंश का दिल धड़कने लगा वह और निशि एकटक एक दूसरे की आँखों में देखने लगे ,,,,,,,,,,,,,,,,इतना शायद कम था ड्राइवर ने FM चला दिया और उस पर एक बहुत ही रोमांटिक गाना बजने लगा “भीगे होंठ तेरे , प्यासा दिल मेरा,,,,,,,,,,,,लगे अब्र सा मुझे तन तेरा”
वंश ने जैसे ही सूना उसने ड्राइवर से कहा,”अबे ए ! बंद करो इसे”
“सॉरी हमको लगा वो भाभी आपसे नाराज है इसलिए मोमेंट देखते हुए हमने”,ड्राइवर ने झेंपते हुए कहा
निशि ने जैसे ही सूना वंश से दूर हट गयी वंश ने भी सीधा बैठते हुए कहा,”सुनो चच्चा ऐसा है की ना तो हम है तुम्हाये भैया और ना है जे तुम्हायी भाभी,,,,,,तो बेहतर होगा अपना ध्यान ना गाड़ी चलाने में लगाओ”
“हाँ समझ गए”,ड्राइवर ने कहा और गाड़ी आगे बढ़ा दी। निशि ने पहली बार वंश के मुंह से अलग टोन सूना वह वंश को देखने लगी। वंश ने निशि को अपनी तरफ देखते हुए पाया तो कहा,”क्या घूर क्या रही हो ? मेरी सारी परेशानियों की वजह ना तुम ही हो , घूरना बंद करो अब”
निशि ने सूना तो मुंह बनाया और दूसरी तरफ देखने लगी
कुछ देर बाद गाड़ी नवीन के घर के सामने आकर रुकी। निशि ने आसभरी नजरो से वंश को देखा। वह वंश से कुछ कहती इस से पहले ही वंश उतरा और किराया देकर अंदर चला गया। निशि भी नीचे उतरी और डरते डरते अंदर चली आयी। जैसे ही निशि अंदर आयी नवीन ने कहा,”निशि ये क्या सुन रहा हूँ मैं ?”
निशि को काटो तो खून नहीं , उसने अपने कमरे में जाते वंश की तरफ देखा और मन ही मन उसे कोसने लगी। ये सोचकर की शायद वंश ने उसके पापा को सब बता दिया है उसने डरते हुए कहा,”पापा वो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
नवीन ने निशि की बात पूरी ही नहीं होने दी और कहा,”अरे बेटा तुमने मुझसे क्यों नहीं कहा ?”
“क्या पापा ?”,निशि ने डरते डरते कहा
“अरे यही की तुम बनारस जाना चाहती हो और तुम्हे बचपन से बनारस बहुत पसंद है,,,,,,,!!”,नवीन ने खुश होकर कहा
“हाँ,,,,,,,,,ये आपसे किसने कहा ?”,निशि ने चौंकते हुए कहा
“अभी अभी वंश ने बताया , वैसे कब जा रही हो तुम ?”,नवीन ने पूछा
“पापा मैं सोने जा रही हूँ”,निशि ने कहा और चली गयी।
“अरे सुनो,,,,,,,,,निशि सुनो , अगर जा रही हो तो बताना हम सब साथ चलेंगे , मुझे सारिका मैडम से मिलना भी है,,,,,,,,,!!”, नवीन ने कहा लेकिन निशि तब तक जा चुकी थी।
वंश अपने कमरे में चला आया , उसने नवीन को निशि का सच नहीं बताया क्योकि बनारस में उसने भी बहुत पार्टीज की थी और अपने पापा से झूठ भी कहा था। उसने कपडे बदले और सोने चला गया


इंदौर , मध्य प्रदेश
शाम के 5 बज रहे थे मुन्ना काशी को साथ लेकर एयरपोर्ट जाने की तैयारी कर रहा था। काशी अपने बैग के साथ तैयार खड़ी थी। घर जाने से ज्यादा ख़ुशी उसे इस बात की थी की वह शक्ति से मिलेगी। मुन्ना अधिराज से कुछ बात कर रहा था। अधिराज जी मुन्ना और काशी को छोड़ने एयरपोर्ट आना चाहते थे लेकिन मुन्ना ने मना कर दिया वह नहीं चाहता था की अधिराज जी परेशान हो।
“मुन्ना तुम अकेले जाना चाहते हो , बेटा हम चलते ना साथ”,अधिराज जी ने कहा
“नानाजी हम अकेले कहा है ? काशी है ना हमारे साथ और आप और नानी माँ यही रुकिए परेशान मत होईये”,मुन्ना ने उन्हें समझाते हुए कहा।
अगले ही पल घर बाहर खड़ी गाड़ी का हॉर्न बजा , सभी बाहर चले आये देखा गौरी गाड़ी लेकर खड़ी थी उसने शीशा नीचे किया और अधिराज जी से कहा,”डोंट वरी नानू मैं इन्हे एयरपोर्ट छोड़ दूंगी”
“अरे गौरी बेटा तुमने तो हमारा काम आसान कर दिया , वैसे हम सोच रहे है क्यों ना हमेशा हमेशा के लिए तुम्हे बनारस भेज दे ,, छोटे दामाद जी के घर”,अधिराज जी ने मुन्ना की तरफ देखकर शरारत से कहा तो गौरी मुस्कुराने लगी लेकिन मुन्ना ने सूना तो हैरानी से अधिराज जी की तरफ देखा और अधिराज जी ने अगले ही पल बात सम्हालते हुए कहा,”चलो चलो देर हो रही है , काशी अपना सामान रखो गाड़ी में”
“हम रख देते है , तुम चलकर बैठो”,मुन्ना ने काशी के हाथ से बैग लेते हुए कहा
काशी आकर गाड़ी की पिछली सीट पर बैठ गयी और अपने बगल में अपना दूसरा छोटा बैग रख लिया जिस से मुन्ना आगे बैठ जाये। मुन्ना ने सूटकेस और सामान डिग्गी में रखा। उसके दिमाग में अधिराज जी की कही बात घूमने लगी , मुन्ना अधिराज जी पास आया उनके पैर छुए और कहा,”अच्छा हम चलते है नानाजी आप अपना और नानी माँ का ख्याल रखना”
“तुम भी अपना और काशी का ख्याल रखना और हां पहुँचते ही फोन कर देना”,अधिराज जी ने कहा।
मुन्ना आकर गौरी के बगल में बैठ गया और तीनो वहा से निकल गए। गौरी जो की ड्राइविंग जानती थी बहुत ही अच्छे से गाडी चला रही थी। आज पूरा दिन वह मुन्ना के साथ ही थी और खुश भी थी। गौरी की मम्मी को मुन्ना पहले ही पसंद आ चुका था और अधिराज जी को भी गौरी बहुत पसंद थी। मुन्ना की प्रेम कहानी इंदौर आकर सफल हो चुकी थी अब बस बनारस वालो को मनाना था। मुन्ना खामोश बैठा था , काशी पीछे बैठी अपने फोन में बिजी थी और गौरी चुपचाप ड्राइविंग कर रही थी,,,,,,,,,,,,अब काशी के सामने वह मुन्ना से क्या बात करती।
“अच्छा काशी छुट्टियों के बाद तुम इंदौर वापस आ रही हो ना ?”,गौरी ने पूछा
“हाँ बिल्कुल अभी तो हमे मैनेजमेंट कोर्स के लिए कॉलेज में एडमिशन लेना है और तुम ?”,काशी ने पूछा
“मैं ? मैं बैंक के लिए तैयारी करुँगी,,,,,,,,,,,,!”,गौरी ने कहा और फिर एकदम से मुन्ना की तरफ देखकर कहा,”और मान तुम ? तुम्हारा कॉलेज भी तो खत्म हो चुका है ना ,, तुम क्या करोगे ?”
गौरी के सवाल पर मुन्ना ने उसकी तरफ देखा तो गौरी खुद ही समझ गयी की मुन्ना क्या कहना चाहता है
उसने खिंसियाते हुए सामने देखा और धीरे से कहा,”पता नहीं मान के सामने मैं ऐसे स्टुपिड सवाल क्यों करती हूँ ?”
“अच्छा मुन्ना भैया , वंश भैया मुंबई से कब आ रहे है ?”,पीछे बैठी काशी ने पूछा
“कल शाम उसकी फ्लाइट है , आज ही उस से बात हुयी थी वो कल रात घर आ जायेगा”,मुन्ना ने कहा
“मुझे भी वंश से मिलना है तो क्या मैं भी तुम लोगो के साथ बनारस चलू ?”,गौरी ने एकदम से पूछ लिया
“बिल्कुल नहीं”,मुन्ना ने सख्त होकर कहा
“हम्म्म्म , अब तुम कहोगे की तुमने घर पर किसी को बताया नहीं है जब तक बता नहीं दोगे तब तक मुझे वहा नहीं आना चाहिए , क्योकि मेरे पेट में कोई बात नहीं टिकती और मैं सबको बता दूंगी,,,,,,,,,,,,,फिर सब तुमसे सवाल जवाब करेंगे और ये तुम्हे अच्छा नहीं लगेगा,,,,,,,,,यही ना ?”,गौरी ने बोलना शुरू किया तो बस बोलते ही चली गयी।
“दो दिन हमारे साथ रहकर कितनी समझदार हो गयी हो तुम,,,,,,,!!”,मुन्ना ने गौरी की तरफ देखकर कहा तो गौरी समझ गयी फिर उसने कुछ गड़बड़ की है।
उसने अपनी ऊँगली को होंठो पर रखा और अब चुप रहने का इशारा किया ये देखकर काशी ने कहा,”मुन्ना भैया वैसे आपको हमारी दोस्त को इतना परेशान करना नहीं चाहिए , ये आपको कितना पसंद करती है और आप जब देखो तब भाव खाते रहते हो।”
“है ना काशी मैं भी इस से यही कहती हूँ की भाव,,,,,,,,,,,,,,,,,,गौरी ने तपाक से कहा उसने कुछ सेकंड पहले कही अपनी ही बात तोड़ दी और बोल पड़ी पर बोलते हुए उसने जैसे ही मुन्ना की ओर देखा उसे याद आ गया और उसने कहा,”सॉरी”
“इसे जानने से पहले हमे नहीं पता था ये इतनी बातें करती है वरना तो हम,,,,,,,,,,,”,मुन्ना ने गौरी को छेड़ते हुए कहा और बात अधूरी छोड़ दी
“वरना ? वरना क्या हाँ ? अगर तुम्हे पहले पता होता तो क्या तुम मुझसे प्यार करने से पहले सोचते,,,,,,,,,,,,,,हाँह कैसा अजीब लड़का है , काशी तुम्हारे भाई को अभी भी शायद हमारे रिश्ते के बारे में सोचने की जरूरत है”,गौरी ने चिढ़ते हुए कहा
“हाँ शायद,,,,,,,,,,,,,,!!”,हालाँकि मुन्ना ने ये बात मजाक में कही लेकिन गौरी को कही ना कही हर्ट हो गयी और इसके बाद उसने मुन्ना से कोई बात नहीं की। घर से फोन आने की वजह से मुन्ना फोन पर बिजी हो गया।
गाड़ी एयरपोर्ट के बाहर पहुंची। मुन्ना काशी और गौरी गाड़ी से उतरे। मुन्ना ने सामान निकाला। काशी गौरी से गले मिली और कहा,”अपना ख्याल रखना और जल्दी से हमारी भाभी बनकर बनारस आ जाओ”
“तुम भी अपना ख्याल रखना”,काशी ने कहा , मुन्ना अभी भी फोन पर किसी से बात करने में बिजी था जब वह काशी के साथ अंदर जाने लगा तो काशी ने रोकते हुए कहा,”हमे लगता है आपको गौरी को अच्छे से बाय बोलकर आना चाहिए”
“हम्म्म ठीक है तुम चलो हम आते है”,मुन्ना ने कहा तो काशी सामान लिए अंदर चली गयी। गौरी अपनी गाड़ी के दरवाजे से पीठ लगाए हाथ बांधे खड़ी थी। मुन्ना उसके सामने आया और कहा,”तो हम जाये ?”
“मुझसे क्यों पूछ रहे हो ? वैसे भी मैं तो बहुत ज्यादा बोलती हूँ ना और मेरी बातो में लॉजिक भी नहीं होता। तुम सोच रहे हो मैं तुम्हारे जाने के बाद तुम्हे मिस करुँगी,,,,,,,,,,बिल्कुल नहीं। मेरे पास करने के लिए और भी बहुत सारे काम है।”,गौरी ने चिढ़ते हुए कहा
“हाँ हम जानते है”,मुन्ना ने सहजता से कहा
“हाँ तुम सब जानते हो बस मेरी फीलिंग्स को नहीं,,,,,,,,,तुम मुझे इतना तंग क्यों करते हो ?”,गौरी ने झुंझलाते हुए कहा
“ताकि तुम हमसे बात करती रहो , हमे ये बताती रहो की तुम हमसे कितना प्यार करती हो , इन दिनों हमने तुम्हे जान बूझकर परेशान किया ताकि तुम्हारा गुस्सा , तुम्हारी परवाह देख सके,,,,,,,,,,,,,लेकिन तुम इतनी अच्छी हो ना गौरी की कभी गुस्सा ही नहीं करती”,मुन्ना ने प्यार से कहा
“अब ये सब बोलकर तुम मुझे और परेशान कर रहे हो”,गौरी ने मासूमियत से कहा
“जाने से पहले क्या हम तुम्हे हग कर सकते है ?”,मुन्ना ने पूछा
“बिल्कुल नहीं”,गौरी ने कठोरता से कहा
मुन्ना आगे बढ़ा और उसे अपनी ओर खींचकर गले लगाते हुए कहा,”हम्म थैंक्यू ! हमेशा ऐसी ही रहना कभी बदलना मत हमारे लिए भी नहीं , तुम जैसी भी हो बहुत अच्छी हो और हम तुम्हे बहुत पसंद करते है। बनारस जाने के बाद हम तुम्हे बहुत मिस करेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपना ख्याल रखना”
मुन्ना के शब्द सुनकर गौरी के सीने में एक चुभन सी महसूस होने लगी लगा जैसे वह उस बहुत दूर जा रहा है और ये सोचकर उसकी आँखों में नमी उतर आयी”

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क्रमश – Main Teri Heer – 8

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