“मैं तेरी हीर” – 35
Main Teri Heer – 35
मुन्ना को छोड़कर पूरी फॅमिली बाबा विश्वनाथ मंदिर गयी हुई थी। मंदिर जाने के बाद गौरी का मन भी काफी शांत था वह अपने दोस्तों के साथ शॉपिंग करने लगी आज शाम उसे वापस जो जाना था। दुकान पर खरीदारी करते हुए गौरी की नजर एक रुद्राक्ष से बने बहुत सुन्दर ब्रासलेट पर पड़ी। उसे देखते ही गौरी को मुन्ना की याद आ गयी उसने वो ब्रासलेट मुन्ना के लिए खरीद लिया और बैग में रख लिया। वंश निशि के साथ सबसे पीछे था , घरवाले एक बार फिर उन दोनों से आगे निकल गए चलते चलते बाबा ने पलटकर वंश और निशि को देखा और मुस्कुरा कर आगे बढ़ गए। वंश ने निशि के दोनों हाथो में कंगन पहनाये और कहा,”अब लग रही हो तुम लड़की”
“क्या मतलब है तुम्हारा क्या मैं लड़की नहीं हूँ ?”,निशि ने आँखे तरेरते हुए कहा
“हो लेकिन तुम्हारी हरकते लड़कियों वाली नहीं है”,वंश ने कहा
“देखो अगर तुमने मेरे बारे में बकवास की तो मैं तुम्हारा मुंह तोड़ दूंगी”,निशि ने गुस्सा होकर कहा
“अह्ह्ह्हह जब देखो तब ये तोड़ दूंगी वो तोड़ दूंगी,,,,,,,,,,,,,तुम्हे क्या प्यार से बात करना नहीं आता ?”,वंश ने भी चिढ़ते हुए कहा
“बिल्कुल आता है लेकिन उसके लिए सामने वाला लायक भी होना चाहिए”,निशि ने तनते हुए कहा
दोनों ये भूल गए की इस वक्त दोनों बाजार के बीचो बीच खड़े थे आस पास से गुजरते लोग उन्हें देखने लगे। दोनों एक दूसरे को सुनाये जा रहे थे की तभी पास से गुजरते एक आदमी ने वंश से कहा,”ए भैया अपनी बीवी से झगड़ना है तो घर जाके झगड़ो हिया काहे रास्ता जाम किये हो ?”
बीवी नाम सुनते ही वंश की भँवे तन गयी , उसने हैरानी से निशि को देखा और फिर आदमी की तरफ पलटकर कहा,”जे किस एंगल से तुमको हमारी बीवी लगती है बे ?”
“अरे भैया हम कह रहे है तनिक साइड होके बात करलेओ लोगो को जाने का रास्ता दो भाई”,कहते हुए आदमी ने वंश को साइड किया और आगे बढ़ गया। वंश का पैर उलझा और वो सीधा निशि में आ गिरा। गुस्साई निशि ने अपना पैर वंश के पैर पर मारा और वहा से चली गयी।
“इस छिपकली की तो मैं किसी दिन दुम ही काट दूंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,चुड़ैल कही की”,कहते हुए वंश जाने लगा तो दुकानवाले ने कहा,”अरे बाबू हमरा पैसा तो देते जाओ”
“ये लो पकड़ो,,,,,,,,,,,,,,भलाई का जमाना नहीं रहा एक तो उसकी बकवास सुनो ऊपर से उसके बिल भी पे करो,,,,,,,,,,,,महादेव इसे वापस मुंबई भेजो मैं हाथ जोड़ता हूँ प्लीज”,कहते हुए वंश ने दुकानवाले को कंगन के पैसे दिए और वहा से चला गया। निशि सारिका के पास चली आयी और उस के साथ साथ चलने लगी। वंश भी मुरारी के बगल से गुजरा तो उसका चेहरा देखकर मुरारी ने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे रोकते हुए कहा,”अरे वंश्वा तुम्हरे चेहरे पर जे 12 काहे बजे है ?”
वंश रुक गया तो मुरारी के साथ चल रहे बाबा आगे बढ़ गए। बाबा के जाने के बाद वंश मुरारी के साथ चलते हुए कहने लगा,”मुरारी चचा एक बात बताओ जे बड़े शहर की लड़कियों में इतना घमंड क्यों होता है ? मतलब जे लड़किया सीधे मुंह बात क्यों नहीं करती ?”
“का हुआ किसी ने तुमको लतेड़ दिया का ? अरे जवानी में जे सब आम बात है हम अपनी बताये तो पुरी 100 लड़कियों ने हमको रिजेक्ट किया था फिर भी देखो हमने तुम्हायी मौसी से शादी करके उन 100 से बदला ले लिया”,मुरारी ने अपने जवानी के दिनों को याद करते हुए कहा
“मैं क्या पूछ रहा हूँ और आप क्या बता रहे है ? वैसे आपकी इन कलाकारियों के बारे में मौसी को बताये ?”,वंश ने मुरारी से कहा तो मुरारी ने मुंह बनाया और कहा,”इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी का है की तुम्हायी मौसी ने हमाये सारे खाते पहिले ही बंद कर दिए है”
“खैर छोडो आप नहीं समझोगे”,कहकर वंश आगे चला गया। सभी मेन रोड पर चले आये। सभी एक जगह जमा हुए तो बाबा ने कहा,”समधी जी को भी यहाँ आना चाहिए था , बाबा के दर्शन हो जाते”
“बाबा वो आना चाहते थे लेकिन उन्हें किसी जरुरी काम से बाहर जाना पड़ा और माँ मंदिर आने की हालत में नहीं थी , वैसे भी बाबा विश्वनाथ के दर्शन दुर्लभ है ये तब ही मिलते है जब महादेव चाहते है”,सारिका ने कहा
“हाँ जे बात तुमने बिल्कुल ठीक कही बिटिया , चलो अब घर चलते है”,आई ने कहा
शाम में काशी और उसकी दोस्त वापस इंदौर जाने वाली थी काशी ने अपनी दोस्तों के साथ बनारस घूमने की इच्छा जाहिर की तो शिवम् ने शक्ति और वंश को भी उनके साथ रुकने को कहा और खुद आई-बाबा , मुरारी , अनु और सारिका के साथ घर के लिए निकल गया। काशी-शक्ति , ऋतू , प्रिया , निशि , गौरी और वंश वही खड़े होकर घूमने की प्लानिंग करने लगे। शक्ति चूँकि पूरा बनारस जानता थी इसलिए सबसे पहले उसने सबके साथ नौका से सभी घाट घूमने की इच्छा जाहिर की। वंश जिसे घाट जाना पसंद नहीं था उसने मना कर दिया और बाकि सबको जाने को कहा। निशि को छोड़कर सभी जानते थे की वंश घाट नहीं जाता इसलिए वंश वही सीढ़ियों पर बैठ गया और बाकि सबसे जाने को कहा। निशि को अजीब लगा और फिर उसने सोचा शायद कुछ देर पहले हुए झगडे की वजह से वंश ना जा रहा हो। शक्ति सबके साथ घाट की और चला गया। उसने एक बड़ी नाव बुक की और सभी उसमे चले आये। अब तक निशि भी ऋतू प्रिया के घुल मिल चुकी थी और उनके साथ एन्जॉय करने लगी। गौरी को हँसता मुस्कुराता देखकर काशी को थोड़ी राहत मिली वह भी शक्ति के साथ बैठकर घाट के उन नजारों को देखने लगी जो उसने बचपन से अब तक ना जाने कितनी बार देखे होंगे लेकिन आज उसे ये सब आकर्षक नजर आ रहा था।
घाट की सबसे ऊपरी सीढ़ी पर बैठा वंश मुन्ना के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था। वह पहले दिन से ही गौरी को पसंद करता था और अपनी इसी पंसद को उसने प्यार का नाम दे दिया लेकिन गौरी की तरफ से उसे अभी तक ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। वह निशि से उसका बार बार टकराना इत्तेफाक तो नहीं था। वह निशि से जितना झगड़ता उसके उतना ही करीब आता जा रहा था। अगले ही पल निशि के साथ बिताये पल वंश की आँखों के सामने आने लगे। ऐसा क्यों हो रहा था वह नहीं समझ पाया ? निशि का उसे छूना , उसका निशि के करीब जाने पर उसके दिल का धड़कना , उसका निशि के बालों से झुमके को निकालना और कुछ देर पहले निशि ने जो उसके लिए किया,,,,,,,,,,,,,निशि का अपने स्कार्फ से वंश के सर को पोछना,,,,,,,,,,,,,,ये सब याद करते हुए वंश के होंठो पर सहसा एक मुस्कान तैर गयी और फिर अचानक उसे याद आया की निशि का स्कार्फ तो वो लोग कॉरिडोर में ही भूल गए है।
वंश एकदम से उठा और वहा से मंदिर की तरफ भागा। वो खुद नहीं समझ पा रहा था की महज एक मामूली से स्कार्फ़ के लिए वो इतना परेशान क्यों है ? वंश वापस मंदिर आया अब तक वहा भीड़ कम हो चुकी थी , वंश ने देखा स्कार्फ अपनी जगह नहीं है उसने इधर उधर ढूंढा , मंदिर के एक दो लोगो से पूछा लेकिन किसी को पता नहीं था। परेशान सा वंश यहाँ वहा देखने लगा अचानक दरवाजे से बाहर जाते एक लड़के पर उसकी नजर पड़ी जिसने निशि के स्कार्फ़ को अपने गले में डाल रखा था। वंश उसके पीछे भागा तब तक लड़का मंदिर से निकल गया। बाहर आकर वंश ने फिर लड़के को ढूंढा तो सामने दुकान पर उसे वो लड़का मिल गया। वंश ने राहत की साँस ली और उसके पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखा। लड़का पीछे पलटा और मुंह में भरी गुटखा साइड में थूकते हुए कहा,”का है बे ?”
“ये कहा से मिला तुमको ?”,वंश ने स्कार्फ की तरफ इशारा करके पूछा
“मिला से का मतलब है हम खरीद के लाये है”,लड़के ने कहा
वंश को पता था लड़का झूठ बोल रहा है उसने अफसोस भरे भावों से साइड में देखा और फिर खींचकर एक थप्पड़ लड़के को लगाते हुए कहा,”यही सवाल फिर से पूछेगे सच नहीं बोला तो दूसरे गाल पर फिर से पड़ेगा , अब बताओ ये कहा से मिला ?”
एक थप्पड़ से ही लड़का समझ गया की वंश से झूठ बोलना उसे भारी पड़ सकता है उसने मिमियाते हुए कहा,”उह मंदिर के कॉरिडोर में मिला था , हमने देखा वहा पड़ा है तो हम रख लिए , आपका है तो आप ले लीजिये इतना गुस्सा काहे हो रहे है ?”
“सॉरी,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने धीरे से कहा तो लड़के ने स्कार्फ निकालकर वंश की तरफ बढ़ा दिया और वह से चला गया। वंश स्कार्फ को अपने हाथ पर लपेट लिया। वह वही सड़क पर घुमने लगा , वंश अपनी भावनाओ को समझ नहीं पा रहा था। वो पसंद गौरी को करता था लेकिन ख्याल उसे निशि के आते थे। गौरी से कभी उसका झगड़ा नहीं हुआ , बहस नहीं हुई जबकि निशि से जब से मिला था तब से बस दोनों के बीच झगडे हो रहे थे। घूमते घूमते वंश थक गया , उसे भूख लगने लगी तो उसने बाहर से ही कुछ खाया और वापस घाट की तरफ चला आया। नीचे ना जाकर वह एक बार फिर उसी पहली सीधी पर आकर बैठ गया। शाम के 4 बज रहे थे और इस वक्त घाट पर लोग भी कम ही थे। वंश अपने हाथ पर लिपटे स्कार्फ को देखते हुए बड़बड़ाने लगा,”आखिर तुम्हारे लिए मैं ये सब क्यों कर रहा हूँ ? ये फीलिंग्स गौरी के लिए ना होकर तुम्हारे लिए क्यों है ? ये सच है मैं तुम्हे बिल्कुल पसंद नहीं करता क्योकि तुम बहुत बद्तमीज हो और जब देखो तब मुझसे झगड़ा करती हो,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन तुम्हारे झगड़ा करने के बाद भी मैं बार बार तुम्हारी और खींचा चला आता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,ये सब क्यों है ? आज से पहले मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ,,,,,,,,,,,,एक मामूली से स्कार्फ़ के लिए मैं क्यों परेशान हो गया वो भी उस निशि के स्कार्फ के लिए,,,,,,,,,,,,क्या सब इत्तेफाक है ?”
“का बात है बाबू बड़े परेशान दिखाई पड़ रहे हो ?”,पास से गुजरते एक साधु बाबा ने वंश से कहा
“छोड़िये बाबा मेरी परेशानी का कोई हल नहीं है”,वंश ने हताश होकर कहा
“जे बनारस है बाबू ऐसी कोनो समस्या नहीं जिसका हल हिया ना मिले , हमका बतावा का समस्या है ?”,साधु बाबा ने वंश के बगल में बैठते हुए कहा
“बाबा मुझे ना कुछ समझ नहीं आ रहा है , मैं एक लड़की को पसंद करता हूँ जब वो साथ नहीं थी तो दिनभर उसी के बारे में सोचता था पर अब जब वो साथ है तो एक घर में होते हुए भी हमारे बीच बात नहीं होती ,, वही दूसरी लड़की जिस से पहली बार में ही मेरा झगड़ा हो गया वो बार बार मुझसे टकराती है और जबसे वो मिली है तबसे मैं उसे अपनी दिमाग से नहीं निकाल पा रहा,,,,,,,,,,,,,,,,मैं इसी वजह से परेशान हूँ और समझ नहीं आ रहा मेरे साथ हो क्या रहा है ?”,वंश ने अपनी राम कहानी बाबा को कह सुनाई
बाबा ने बड़े ध्यान से वंश की बात सुनी और कहा,”देखो बेटा हम तो साधु लोग है हम जे सब के बारे में का जाने हम तो बस हमरे महादेव से प्रेम करते है। तुमरे साथ जो कुछ हो रहा है उह सब समय का फेर है बेटा , जरूर महादेव तुम्हरे लिए कुछो अच्छा सोचे होंगे इहलिये तुमको जे सब से होकर गुजरना पड़ रहा। चिंता ना करो महादेव सब ठीक करेंगे”
“ह्म्म्मम्म !”,वंश ने गहरी साँस लेते हुए कहा तो बाबा वहा से उठकर चले गए। कुछ देर बाद नौका वापस आयी और सभी उस से बाहर निकलकर वंश की तरफ चले आये। सभी बहुत खुश थे। शक्ति वंश के पास आया और कहा,”तुम्हे भी साथ चलना चाहिए था कोई तुम्हे ज्यादा ही मिस कर रहा था”
कहते हुए शक्ति ने अपने पीछे आती निशि को देखा और मुस्कुरा कर आगे बढ़ गया। वंश उठा जैसे जैसे निशि सीढिया चढ़कर आ रही थी उसका दिल फिर धड़कने लगा। उसने अपने हाथ पर लिपटा निशि का स्कार्फ निकाला और उसे देकर कहा,”ये तुम वहा मंदिर में ही भूल गयी थी”
“थेंक्स”,कहकर निशि ऋतू से बातें करते हुए आगे बढ़ गयी। वंश भी जाने के लिए मुड़ गया। सब आगे निकल गए वंश और गौरी सबसे पीछे थे। गौरी ने वंश की कलाई पकड़कर उसे रोका और कहा,”वंश आज रात हम लोग इंदौर वापस चले जायेंगे , जाने से पहले मुझे एक बार मुन्ना से मिलना है क्या तुम मुझे ले चलोगे ?”
“हम्म्म ठीक है , मैं जीजाजी से बोल देता हूँ वो सबको घर छोड़ देंगे”,वंश ने गौरी से कहा और फिर शक्ति के पास आकर उसे सबके साथ घर जाने को कहा और खुद वही से अपनी बाइक पर गौरी के साथ मुन्ना के घर के लिए निकल गया। वंश का गौरी के साथ यू चले जाना निशि को चुभा लेकिन उसने अपनी जलन की भावना अपने चेहरे पर नहीं आने दी।
वंश गौरी के साथ घर पहुंचा। उसने गौरी को गेस्ट रूम में बैठने को कहा और खुद मुन्ना को देखने ऊपर कमरे में चला आया। वंश कमरे में आया तो देखा मुन्ना उदास सा खिड़की के पास खड़ा है। वंश ने कमरे का दरवाजा नॉक किया और अंदर आते हुए कहा,”अब कैसा है तू ?”
“हम ठीक है , कल रात के लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने जैसे ही कहना चाहा वंश ने हाथ सामने करके उसे रोक दिया और कहा,”कल रात का हिसाब किताब हम लोग बाद में करेंगे पहले नीचे जाकर गौरी से मिल , आज रात वो वापस इंदौर जा रही है और उसने कहा की जाने से पहले वो तुमसे मिलना चाहती है , हो सकता है कल नशे में तुमने उस से कुछ कहा हो,,,,,,,,,,,,,अगर ऐसा है तो प्लीज उसे सॉरी बोल देना। मैं नहीं चाहता वो ऐसे अपसेट होकर यहाँ से जाये”
मुन्ना ने सूना तो उसका दिल धड़कने लगा , गौरी यहाँ उस से मिलने क्यों आयी है सोचकर ही मुन्ना के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये। वंश ने उसे जाने का इशारा किया तो मुन्ना धीमे कदमों से वहा से चला गया। वंश बाथरूम में आया और वाशबेसिन में मुंह धोते हुए मन ही मन कहने लगा,”कुछ घंटो बाद गौरी वापस चली जाएगी,,,,,,,,,,,,,,,जब वो यहाँ आ रही थी तब उसे अपने दिल की बात बताने के लिए मैं कितना एक्साइटेड था लेकिन अब मैं खुद अपनी फीलिंग्स नहीं समझ पा रहा,,,,,,,,,,,,मुझे थोड़ा और वक्त लेना चाहिए शायद उसके बाद मैं गौरी और अपनी फीलिंग्स को और बेहतर समझ पाऊ। इन तीन दिनों में मैंने उस से ठीक से बात भी नहीं की , उन सबको एयरपोर्ट छोड़ने मैं चला जाऊंगा ऐसे में उस से थोड़ी बात भी हो जाएगी,,,,,,,,,,,,,हम्म्म ये ठीक रहेगा। गौरी बहुत अच्छी लड़की है मैं कभी नहीं चाहूंगा मैं कभी उसे हर्ट करू,,,,,,,,,,,!!”
वंश शीशे में देखकर मुस्कुराने लगा और फिर गुनगुनाते हुए जैसे ही बाहर आया दरवाजे से निकले हुक से उसके हाथ पर खरोच लग गयी। उसके हाथ से हल्का सा खून दिखने लगा। वंश बाथरूम से बाहर आया और दवाई वाला डिब्बा ढूंढने लगा। उसने यहाँ वहा देखा और फिर मुन्ना के कबर्ड की तरफ आकर उसे खोलते हुए कहा,”शायद इसमें कुछ मिल जाये।”
वंश ने कबर्ड का ड्रावर खोला उसमे कुछ बेंडेज रखे थे साथ में कुछ और भी सामान पड़ा था जिस पर वंश ने ध्यान नहीं दिया। उसने एक बेंडेज उठायी और वही खड़े होकर हाथ पर लगाने लगा। अगले ही पल उसकी नजर ड्रावर में रखे मुन्ना के पुराने फोन पर पड़ी। वंश ने उसे उठाया और देखते हुए कहा,”मुन्ना ने तो कहा तो उसका फोन पानी में गिर गया है पर ये तो अच्छी हालत में है,,,,,,,,,,,,,उसने मुझसे झूठ क्यों कहा ?”
वंश बिस्तर की तरफ चला आया और फोन ऑन किया। जैसे ही फोन ऑन हुआ उस पर नोटिफिकेशन की बाढ़ सी आ गयी। वंश ने नोटिफिकेशन देखा तो उसकी आँखे हैरत से फ़ैल गयी , उसका दिल धड़कने लगा और हाथ कुछ पल के लिए जम से गए। वो सारे नोटिफिकेशन गौरी के थे। वंश ने मेसेज खोले और एक एक करके उन्हें पढ़ने लगा।
मुन्ना नीचे आया। घर में इस वक्त सिर्फ मुन्ना , गौरी और वंश थे। किशना बाहर बगीचे में था , अनु मुरारी शिवम् के घर पर थे। मुन्ना धीमे कदमो से गेस्ट रूम में आया गौरी को वहा देखकर मुन्ना का दिल जोरो से धड़कने लगा। उसने अपनी धड़कनो को संयत किया और गौरी के सामने चला आया। मुन्ना के आने की आहट सुनकर गौरी उसकी तरफ पलटी। दोनों एक दूसरे के आमने सामने खड़े थे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,खामोश !
“अब तुम्हारी तबियत कैसी है ?”,गौरी ने सहजता से पूछा
“हम ठीक है”,मुन्ना ने बुझे स्वर में कहा जबकि उसे देखकर लग नहीं रहा था की वो ठीक है।
गौरी फीका सा मुस्कुराई और कहने लगी,”मैं वापस जा रही हूँ मान , और मैंने फैसला किया है की मैं आज के बाद तुमसे कभी नहीं मिलूंगी। मैंने तुम्हे बहुत हर्ट किया , बहुत परेशान किया , मैं हमेशा तुम्हारे सामने स्टुपिड हरकतें करती थी , क्योकि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ लेकिन तुमने ऐसा कैसे सोच लिया की तुम्हे छोड़कर मैं वंश को अपना लुंगी ?”
गौरी की बात सुनकर मुन्ना ने हैरानी से उसे देखा तो गौरी आगे कहने लगी,”वंश मुझे पसंद करता है सिर्फ इसलिए तुमने अपने प्यार की क़ुरबानी दे दी और मुझसे दूर हो गए। तुमने ऐसा क्यों सोचा मुन्ना की तुम्हारे ऐसा करने के बाद मैं वंश के पास चली जाउंगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुमने खुद को इतना हर्ट क्यों किया ? वंश के लिए तुम्हारा प्यार सबसे ज्यादा है लेकिन उसकी ख़ुशी के लिए तुम अपना प्यार नहीं बाँट सकते मान,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कल रात पहली बार मैंने तुम्हे दर्द में देखा , तुम बच्चो की तरह मेरे सामने रो रहे थे मान,,,,,,,,,,,,,,उस पल मुझे महसूस हुआ की ये सब करते हुए तुम्हे कितनी तकलीफ हो रही है। मैं तुम्हे दर्द में नहीं देख सकती मान,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारी ख़ुशी के लिए मैं तुम्हे छोड़ सकती हूँ लेकिन मैं वंश को नहीं अपना सकती,,,,,,,,,,,,,,वंश मेरा बहुत अच्छा दोस्त है मैं उस से कभी प्यार नहीं कर सकती , उस से क्या मैं तुम्हे छोड़कर किसी और से प्यार कर ही नहीं सकती,,,,,,,,,,,,,,,तुम एक बहुत अच्छे भाई हो मान , लेकिन मुझे अब लगता है जैसे मैं एक खिलौना हूँ जिसे तुम वंश को देना चाहते हो। हाँ मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ लेकिन ये मुझसे नहीं होगा ,,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी , मैं जिंदगी भर तुमसे ऐसे ही प्यार करती रहूंगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हे कभी भूल नहीं पाऊँगी मान , तुम्हारी ख़ुशी के लिए मैं तुमसे हमेशा हमेशा के लिए दूर चली जाउंगी और ये बिल्कुल मत सोचना की मैं तुमसे नफरत करुँगी ,,,,,,,,,,,,,,,, मैं ऐसा कभी नहीं कर पाऊँगी मान”
मुन्ना को जब पता चला की गौरी को सब सच पता चल चुका है तो उसे बहुत दुःख हुआ। इस वक्त वह गौरी से क्या कहे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। गौरी की बातें सुनकर उसकी आँखों में नमी उतर आयी। गौरी ने देखा तो उसकी भी आँखे भर आयी वह मुन्ना के थोड़ा करीब आयी और अपने होंटो को उसके होंठो से छू लिया। गौरी के ऐसा करने से मुन्ना का दर्द और बढ़ गया उसने अपनी आँखे मूँद ली , आँसू की एक बूँद बाँयी आँख से निकलकर गाल पर बहते हुए नीचे जा गिरी। मुन्ना की आँखों के सामने गौरी के साथ बिताये खूबसूरत पल आने लगे। कुछ देर बाद गौरी उस से दूर हटी और आँखों में आँसू भरकर कहा,”गुड बाय मान , अपना ख्याल रखना”
गौरी तेज कदमो से वहा से निकल गयी मुन्ना उसे रोक भी नहीं पाया और वही खड़ा जड़ हो गया। उसकी आँखों से बरबस ही आँसू बहने लगे। उसका चेहरा बुखार की वजह से तपने लगा था। गौरी घर से बाहर निकली और ऑटो लेकर काशी के घर की तरफ निकल गयी।
Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35
क्रमश – Main Teri Heer – 36
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संजना किरोड़ीवाल
Finally vansh ko sab pata chal hi gaya, aab wo kya karta h bas ye dekhna hai
Very beautiful
Bhut hi emotional part tha maam munna sur gauri dono hi dard m h aur hme yh sb acha nhi lg rha h
ये पार्ट भी खूबसूरत था….जिसमे सिर्फ दर्द था….
Soooooooooo beautiful story 👌👌👌👌👌👌👌👌 as always superb superb superb superb superb superb superb superb superb superb part 👌👌👌👌👌 eagrly waiting for the next 👌👌👌👌👌👌👌
Akhir vansh ko sab Sach pta chal gya 👍👍👍👍aaj ka part bhut emotional tha
Akhir vansh ko sb pta to chla,ab kujh thik hone ke asaar lg rhe hain🤣🤣🤣
Mam bs jldi next part upload kar dijiye.im so excited to read vansh reaction on it.
Behtrarin part…vansh apni feelings ko samjh nahi pa rha h ..wo nishi k liye jo feel krta h wo Gauri k liye nhi kr rha h … munna ne nashe jo kaha Gauri usko samjh gai ki munna us se kyu dur h…. wo maan k bina reh sakti h lekin kisi or k sath nhi… finally vansh ko munna k phone se sab pata chal jayega or Munna k change behaviour ka reason bhi… vansh bhi munna se bahut pyar krta h…wo ab piche hat jayega… waiting eagerly for next part
Nice story
Ohh teri ki… Vansh ko sch pta chl gya hh or ab gauri bhi munna ko apna faisla suna k jaa chuki hh… vansh ka reaction kya hoga 😰😰😰