Main Teri Heer – 88
Main Teri Heer – 88

DIG सर शक्ति से हाथ मिला चुके थे और खुद को बचाने के लिए विक्रम के खिलाफ जाने को तैयार थे। DIG सर अंदर आये तो विक्रम गुस्से से उसके पास आया और कहा,”तो अब तुम मेरे खिलाफ जाओगे DIG ? अब तक तुम मेरे टुकड़ो पर पल रहे थे और अब मुझे ही काटना चाह रहे हो लेकिन मैं ये होने नहीं दूंगा,,,,,,,,,,!!”
“DCP शक्ति सब जान चुका है विक्रम , भलाई इसी में है कि तुम खुद को कानून के हवाले कर दो,,,,,,,,,,,,!!”,DIG सर ने शांत लहजे में कहा
“तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है DIG,,,,,,,,,,!”,कहते हुए विक्रम DIG के सामने से हटा और शक्ति के पास आकर कहा,”ये DIG मुझे फंसा रहा है मैंने उर्वशी को नहीं मारा मैं उसे क्यों मारूंगा ?”
“क्योकि उर्वशी तुम तीनो का सच जानती थी और ये काला सच सामने ना आये इसलिए तुमने उसे रास्ते से हटा दिया,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने गुस्से से कहा
“तुम्हे क्या लगता है तुम कुछ भी कहोगे और मैं मान लूंगा , क्या सबूत है तुम्हारे पास,,,,,,,,,,,!!”,विक्रम ने कहा
शक्ति ने अपनी जेब से एक सर्किलवार ब्रासलेट निकाला और विक्रम के सामने करके कहा,”ये हमे मोहसिन के घर से मिला है,,,,,,,,,,,,तुम मोहसिन के घर क्यों गए थे ?”
शक्ति के हाथ में सिल्वर ब्रासलेट देखकर विक्रम घबरा गया उसने अपना हाथ देखा तो पाया उसकी कलाई में ब्रासलेट नहीं है। उसके माथे पर पसीने की बुँदे उभर आयी। उसे खामोश देखकर शक्ति ने गुस्से से तेज आवाज में कहा,”क्यों गए थे तुम उसके घर ?”
शक्ति के सवाल दोहराने पर भी विक्रम ने कोई जवाब नहीं दिया तो शक्ति ने कहा,”तुम उसके घर गए क्योकि उर्वशी के बाद तुम उसकी बेटी नीलिमा को अपना शिकार बनाना चाहते थे और जब उर्वशी ने तुम्हे रोकने की कोशिश की तो तुमने उसे जान से मार दिया,,,,,,,,,,!!”
“ये सच नहीं है,,,,,,,,,,,!!”,विक्रम चिल्लाया
“तो सच क्या है बोलो ? तुम्हारा खेल खत्म हो चुका है मिस्टर विक्रम आहूजा,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने विक्रम को घूरते हुए कहा
शालू ने जब ये सब सुना तो उसका दिल धड़कने लगा। आज वह विक्रम का एक नया ही चेहरा देख रही थी। वह धीमे कदमो से चलकर सीढ़ियों से नीचे आयी और कुछ दूर खड़ी हो गयी। विक्रम कुछ कहता इस से पहले वहा मौजूद सबके कानों में एक आवाज पड़ी जिसे शालू और विक्रम बहुत अच्छे से पहचानते थे।
“सच क्या है ये मैं आपको बताता हूँ,,,,,,,,,,,,!!”,कबीर ने दरवाजे से अंदर आते हुए कहा हालाँकि मुन्ना हॉस्पिटल से उसके साथ बाहर निकला था लेकिन यहाँ नहीं आया।
कबीर को वहा देखकर विक्रम के चेहरे का रंग उड़ गया। बीती रात ही उसने अपने आदमियों से कबीर को मारने को कहा था लेकिन कबीर ज़िंदा उसके सामने खड़ा था।
“तुम , तुम , तुम यहाँ कैसे आये ?”,विक्रम ने हड़बड़ाते हुए कहा
कबीर विक्रम के सामने आया और गुस्से से कहा,”आपने तो मुझे मारने की पूरी कोशिश की लेकिन मैं दोनों बार बच गया,,,,,,,,,,,,!!”
“ये क्या बकवास है ? तुम सब मिलकर मुझे क्रिमिनल साबित करना चाहते हो,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं ऐसा होने नहीं दूंगा”,विक्रम पागलों की तरह चिल्लाया
मुरारी अब तक ख़ामोशी से सब देख सुन रहा था लेकिन अब वह इन सब चीजों से परेशान हो गया था इसलिए उसने शक्ति को साइड किया और खींचकर एक थप्पड़ विक्रम के गाल पर रसीद कर दिया। एक थप्पड़ से ही विक्रम हड़बड़ा गया। शक्ति ने देखा तो कहा,”मुरारी चाचा,,,,,,,!!”
मुरारी ने शक्ति की तरफ हाथ करके उसे बोलने से रोका और विक्रम से कहा,”साले तुमहू इंसान हो या नहीं ,, कल रात अगर हमहू बख्त पर ना पहुँचते तो जे लड़का अपनी जान गवा देता,,,,,,,,,,,,,,,अगर जे तुमने किया है तो फिर तुम्हे शर्म से मर जाना चाहिए , अरे कौन बाप अपने बेटे की जान लेता है ?”
“ये मेरा बेटा नहीं है,,,,,,,,,ये मेरी सौतेली औलाद है , सौतेला है इसलिए तो ये मेरा सच सबके सामने लाना चाहता था,,,,,,,,,,,,तो क्या गलत किया मैंने इसकी जान लेकर लेकिन ये हर बार बच गया”,गुस्से में आकर विक्रम से कहा
शक्ति विक्रम के पास आया और उसके हाथो में हथकडिया पहनाते हुए कहा,”तुम्हारा खेल खत्म हुआ विक्रम , पहले आसिफ , फिर उर्वशी और उसके बाद अपने ही बेटे को जान से मारने की कोशिश के जुर्म में हम तुम्हे गिरफ्तार करते है और बचा ड्रग्स का मामला तो उसके लिए DIG सर पहले ही अपना बयान दे चुके है। “
विक्रम ने महसूस किया उसका सच सामने आ चुका है ,
जिस बेटे को उसने मारने की कोशिश की वो सबूत बनकर उसके सामने खड़ा था , जिस DIG के साथ मिलकर वह अब तक काम कर रहा था वह उसके खिलाफ खड़ा था। विक्रम ने पलटकर शालू को देखा तो वह उसके पास आयी। शालू को देखकर विक्रम ने कहा,”शालू वो मैं,,,,,,,,,,,,,!!”
शालू ने खींचकर एक थप्पड़ विक्रम के गाल पर मारा और शक्ति से कहा,”ले जाईये इसे मेरी नजरो के सामने से,,,,,,,,,,,!!
शालू रोने लगी तो कबीर ने उसे सम्हाला और शालू कबीर के सीने से लगकर फूट फूट कर रोने लगी। शक्ति ने अपने साथ आये स्टाफ से विक्रम को लेकर चलने को कहा। कॉन्स्टेबल विक्रम को लेकर वहा से चले गए।
शक्ति कबीर के पास आया और कहा,”थैंक्यू कबीर ! तुमने सही वक्त पर बहुत सही फैसला लिया,,,,,,,,,,,,,जो कुछ हुआ उसे भूलकर आगे बढ़ो”
कबीर ने हामी में सर हिलाया तो शक्ति मुरारी को साथ लेकर वहा से निकल गया।
मुरारी को सोच में डूबे देखकर शक्ति ने कहा,”मुरारी चाचा ! आपको भी हमारे साथ पुलिस स्टेशन चलना पडेगा ,, इस केस में आपका नाम भी सामने आया है। हम समझ सकते है आपको कैसा महसूस हो रहा है लेकिन इस वक्त हम बस अपना फर्ज निभा रहे है। सिर्फ पूछताछ के लिए आपको हमारे साथ आना होगा,,,,,,,हम कोशिश करेंगे आपको इन सब से निकालने की,,,,,,,,,,,,!!”
मुरारी ने शक्ति की बात पूरी ही नहीं होने दी और कहा,”तुम्हे ये सब कहने की जरूरत नहीं है शक्ति , हमहू समझ सकते है तुम बस अपना फर्ज निभाओ ,, अब कोयले की खान में बैठेंगे तो कालिख तो लगेगी ना,,,,,,,,,,आओ चलो”
शक्ति ने मुरारी को इतना पॉजिटिव देखा तो उसका दिल भर आया उसने जीप की तरफ बढ़ते हुए मुरारी को देखा और मन ही मन कहा,”आप शायद नहीं जानते लेकिन आप उस कोयले की खान में इकलौते हीरे थे,,,,,,,,,,,!!”
शक्ति मुरारी को अपने साथ लेकर पुलिस स्टेशन के लिए निकल गया।
“ए लड़के ! लगता है तू पागल हो गया है ये क्या करने जा रहा है ?”,गाडी के दरवाजे से बंधे चौहान ने सामने खड़े मुन्ना से कहा जो करोडो के ड्रग्स पर पेट्रोल डाल रहा था। मुन्ना ने चौहान की बात पर ध्यान नहीं दिया और अपना काम करता रहा। पेट्रोल छिड़कर उसने जेब से लाइटर निकाला और जलाकर चौहान की तरफ देखा तो चौहान ने गिड़गिड़ाते हुए कहा,”ए रुक जा , ये बहुत कीमती है ऐसा मत कर,,,,,,,,,,,,,तू बोल तुझे क्या चाहिए ? , तू जो मांगेगा मैं तुझे सब दूंगा , पैसा , गाड़ी , बंगला तू बस बोल लेकिन ये मत कर,,,,,,,,,,,,ये मेरी सालों की मेहनत है”
“उर्वशी,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने नफरत और गुस्से से चौहान को देखते हुए कहा
मुन्ना के मुंह से उर्वशी का नाम सुनकर चौहान हैरानी से उसे देखने लगा,,,,,,,,,,,,मुन्ना ने गुस्से से कहा,”तुम्हारे इस गंदे खेल ने एक मासूम की जान ले ली क्या तुम्हे इस बात का अहसास है ? उसने हमारे हाथो में दम तोड़ दिया , क्या तुम उसकी जिंदगी वापस लौटा सकते हो ? जिसे तुम सालों मेहनत कह रहे हो वो सिर्फ जहर है जो तुम इस शहर की हवा में घोलना चाहते हो लेकिन हम तुम्हे ऐसा करने नहीं देंगे,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए मुन्ना ने जलता हुआ लाइटर ड्रग्स पर डाल दिया और सारा सामान धु धु करके जलने लगा। चौहान इस वक्त बेबस था गाड़ी के दरवाजे से बंधा वह बस झटपटाता रहा लेकिन मुन्ना को नहीं रोक पाया।
मुन्ना वही जलते माल के बगल में बैठा और जेब से सिगरेट निकालकर होंठो के बीच रखी और उसी आग से जलाकर पीने लगा। चौहान ने देखा तो मुन्ना में उसे एक मजबूत और बेखौफ शख्स नजर आया जो किसी शेर जैसा लग रहा था बाहर से शांत लेकिन अंदर से ज्वालामुखी,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना के अंदर ये गुस्सा क्यों था चौहान समझ नहीं पा रहा था वह तो मुन्ना को ठीक से जानता तक नहीं था उसने कहा,”कौन हो तुम ? और मुझे बर्बाद करके तुम्हे क्या मिला ? तुम जानते भी हो मैं कौन हूँ ? राजनीती में सिर्फ विराज चौहान का सिक्का चलता है तुम नहीं जानते तुमने क्या किया है ?”
मुन्ना ने सुना तो तीखी नजरो से विराज चौहान को देखा , मुन्ना की तेज नजरो से चौहान सपकपा गया और खामोश हो गया
“नफरत है हमे इस राजनीती से,,,,,,,,,,,एक ऐसा दलदल जो ऊपर से साफ नजर आता है लेकिन इसके अंदर कितना गंद कितने धोखे और बुराईया शामिल है ये कोई नहीं देख पाता,,,,,,,,,नफरत है हमे इस राजनीती से जिसकी आड़ में तुम जैसे लोग बुरे कामो को बढ़ावा देते है और उनका शिकार अच्छे और सीधे लोग बनते है। तुम्हारे साथ साथ राजनीती की इस बुराई को हम जड़ से उखाड़ फेंकेंगे”,मुन्ना ने गुस्से से कहा
विराज चौहान ने सुना तो हसने लगा और कहा,”हाहाहाहाहा तुम्हे ये इतना आसान लगता है क्या ? ये राजनीती एक समंदर है तुम्हे लगता है तुम इस समंदर से एक लौटा पानी निकालकर इसे साफ कर दोगे,,,,,,,,,,,,,इसे साफ़ करने के लिए तुम्हे खुद इसमें उतरना होगा उतर पाओगे,,,,,,,,,,तुम आज मुझे पुलिस के हवाले करोगे और मैं , मैं कल बाहर आ जाऊंगा,,,,,,,तुम्हारी जितनी उम्र है तुम्हे अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिए ना कि इन सब चीजों में पड़ना चाहिए।
एक नौकरी देखो , शादी करो , बच्चे पैदा करो और अपने परिवार के साथ खुश रहो,,,,,,,,,,,,,,,राजनीती की इस आग में हाथ डालोगे तो जल जाओगे”
आखिरी शब्द चौहान ने कठोरता से कहे तो मुन्ना उसके पास आया और कहा,”तुमसे किसने कहा हम तुम्हे पुलिस के हवाले करेंगे,,,,,,,,,,,खाओ इसे”
मुन्ना के हाथ में एक सफ़ेद पाउडर का पैकेट देखकर चौहान ने घबराहट भरे स्वर में कहा,”क्या है ये ?”
“ये वही जहर है जो तुम अब तक सबको खिलाते आये हो , कितने ही यंग्सटर तुम्हारी वजह से आज बदतर हालातों में है,,,,,,,,,तुमने जो कर्म किये वो आज घूमकर तुम पर ही गए,,,,,,,,,!!”,मुन्ना पैकेट फाड़ते हुए कहा
“नहीं नहीं मैं ये नहीं कर सकता , मुझे माफ़ कर दो , मैं मैं सबसे माफ़ी मांग लूंगा मैं ये काम भी छोड़ दूंगा,,,,,,,,,,,!!”,चौहान ने गिड़गिड़ाते हुए कहा
मुन्ना ने वक्त बर्बाद ना करते हुए बंदूक चौहान की कनपटी से लगायी और कहा,”हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है खाओ इसे,,,,,,,,,,!!”
डरकर चौहान ने ड्रग्स खा लिया मुन्ना ने बन्दुक को फेककर कहा,”नकली थी,,,,,,,,,,चलते है पुलिस आती ही होगी”
“ए ए रुक जाओ मुझे अकेला छोड़कर मत जाओ,,,,,,,,,,,!!”,चौहान चिल्लाता रहा लेकिन जिस सुनसान जगह पर वह था वहा उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था।
मुन्ना आकर अपनी बाइक पर बैठा और वहा से निकल गया। मुन्ना हॉस्पिटल से कबीर के साथ ही निकला था लेकिन जब उसे यादव का ख्याल आया तो उसने कबीर को अकेले घर भेजा और खुद यादव से आकर मिला। यादव जी चौहान के खिलाफ हो गए है ये बात चौहान को नहीं पता थी और इसी बात का फायदा मुन्ना ने उठाया। शिवम् सब पहले से जानता था इसलिए वह भी मुन्ना के इस प्लान में शामिल हो गया।
यादव ने शिवम् को क्लाइंट बनाकर चौहान साहब से बात करवाई और उसे सामान के साथ झील किनारे बुला लिया।
चौहान आज सुबह ही दिल्ली जा रहा था लेकिन जाते जाते इतनी बड़ी डील वह छोड़ना नहीं चाहता था और लालच में आकर शिवम् से मिलने को तैयार हो गया। चौहान यादव की बताई हुई जगह पर पहुंचा और मुन्ना पहले से वहा मौजूद था। मुन्ना चाहता तो चौहान को सीधा पुलिस के हवाले कर सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया , उसने पहले चौहान की आँखों के सामने उसकी हिम्मत को तोडा और उसके बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया।
मुन्ना वापस हॉस्पिटल आया तब तक शिवम् और यादव मोर्चरी से उर्वशी की डेड बॉडी ले चुके थे। मुन्ना को देखकर शिवम् ने कहा,”मुन्ना , अब आगे ?”
मुन्ना ने सफ़ेद चद्दर से ढकी उर्वशी के पार्थिव शरीर को देखा और कहा,”इनका अंतिम संस्कार पुरे रीती रिवाज से होना चाहिए बड़े पापा,,,,,,,,,,जाते जाते इन्होने कितने ही लोगो को जिंदगी दे दी”
नीलिमा ने सुना तो उसकी आँखों से झर झर आँसू बहने लगे और यादव की आँखे भी बन हो गयी। शिवम् ने मुन्ना के कंधे पर हाथ रखा और हामी में सर हिला दिया।
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संजना किरोड़ीवाल


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Bhut hi behtarin part