Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 76

Main Teri Heer – 76

Main Teri Heer
Main Teri Heer

वंश मुन्ना से मिलने घर से बाइक लेकर निकल पड़ा। पहली बार था की आज वंश शॉर्टकट ना जाकर लम्बे रस्ते से मुन्ना के घर जा रहा था। पहली बार वह बनारस की चीजों को नोटिस कर रहा था , साथ ही टपरी पर बजते गाने ने उसकी भावनाओ को ओर बढ़ा दिया। वंश अपनी बाइक को लहराते हुए वहा से लेकर चला गया। कुछ देर बाद वंश मुन्ना के घर के बाहर पहुंचा उसने मुन्ना को फोन लगाया लेकिन मुन्ना का फोन बंद था इसलिए वंश बाइक लेकर अंदर चला आया। वंश अंदर आया अनु सोफे पर अपनी कुछ सहेलियों के साथ बैठी थी वंश ने आकर कहा,”मौसी मुन्ना कहा है ?”
“ऊपर अपने कमरे में”, अनु ने कहा और वापस बातो में लग गयी। वंश ने डायनिंग पर रखी टोकरी में से एक सेब उठाया और खाते हुए सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। वंश मुन्ना के कमरे में आया देखा मुन्ना स्टडी टेबल के सामने बैठा पढाई कर रहा है। वंश आकर सेब खाते हुए बिस्तर पर लेट गया और मुन्ना की तरफ देखते हुए कहा,”इसलिए तूने अपना फोन बंद कर रखा है”
“तू कब आया ?”,मुन्ना ने अपनी किताब बंद करके वंश की तरफ अपनी चेयर घुमाते हुए कहा
“जस्ट अभी , मैंने तुझे फोन किया था लेकिन तेरा फोन बंद था”,वंश ने बचा हुआ सेब मुन्ना की तरफ फेंकते हुए कहा। मुन्ना ने उसका जूठा सेब खाया और उठते हुए कहा,”अगले महीने एग्जाम्स है और हमे पता है तुमने इस बार भी ठीक से पढाई नहीं की है , इसलिए हमने पहले तुम्हारे नोटस बनाये है”
वंश मुस्कुराया और उठकर बैठते हुए कहा,”मैं यहाँ नोटस के लिए नहीं आया हूँ , मुझे तुम्हे कुछ बताना है”
“क्या ?”,मुन्ना ने कहा
“इसे गौरी के बारे में बताऊ या नहीं ? नहीं नहीं पहले मैं खुद गौरी के दिल की बात जान लू उसके बाद,,,,,,,,,,,वैसे भी इस वक्त मुन्ना के सामने लड़की का नाम लिया तो ये तो मेरा खून ही कर देगा,,,,,,,,रिस्क नहीं लेना वंश तू मुन्ना को दूसरी बात बता”,वंश खुद में ही बड़बड़ाया जो की मुन्ना को सुनाई नहीं दिया
“तू कुछ बताने वाला था”,मुन्ना ने वंश की तरफ देखकर कहा
“हाँ वो मैं ये बताने वाला था की मैंने नाईट क्लब जाना छोड़ दिया है”,वंश ने कहा तो मुन्ना को उसकी बात का विश्वास नहीं हुआ और उसने अपने टेबल पर कपडे उठाकर कबर्ड को तरफ बढ़ते हुए कहा,”;लगता है आज सूरज पश्चिम से निकला है”
वंश बिस्तर से नीचे आया और मुन्ना की तरफ आकर कहा,”नहीं कसम से नाईट क्लब बंद , और तो और मैंने अपने फोन से सारी लड़कियों के नंबर भी हटा दिए है,,,,,,,,,,,,तुम चेक कर सकते हो”
वंश ने अपना फोन मुन्ना के सामने करके कहा लेकिन मुन्ना को उसकी बातो पर इतनी जल्दी भरोसा होने वाला नहीं था इसलिए मुन्ना ने दूसरी तरफ जाते हुए कहा,”अगर तुम ये सब बाते करने आये हो तो हम तुम्हे गेट आउट कर देंगे,,,,क्योकि हमे पढाई करनी है”
“यार मुन्ना सच कह रहा हूँ तुम्हारी कसम , आज से सब बंद”,वंश ने एकदम से मुन्ना के सामने आकर कहा
“और ये इतना बदलाव कैसे ?”,मुन्ना ने अपने दोनों हाथो को आपस में बांधते हुए कहा
“आज किसी ने मुझसे कहा की मैं अच्छा इंसान हो”,वंश ने गौरी के बारे में सोचते हुए मुस्कुरा कर कहा
“इसमें कहना क्या है वंश तुम अच्छे इंसान हो बस थोड़ी शरारते और गुस्सा निकाल दे तुम में से तो तुम बिल्कुल परफेक्ट लड़के हो”,मुन्ना ने कहा
“अच्छा अगर तू लड़की होता तब मैं तुम्हे कैसा लगता ?”,वंश ने फिर मुन्ना के सामने आते हुए कहा
“ये आज क्या हो गया है तुम्हे ? तुम ठीक हो ना ?”,मुन्ना ने सवाल किया
“अरे मैं बिल्कुल ठीक हूँ , तू बता ना मैंने जो पूछा,,,,,,,,,,,मैं अच्छा लगता क्या तुझे ?”,वंश ने मासूमियत से कहा
“हाँ ! कोई लड़की तुम्हे ना नहीं बोल सकती क्योकि तुम्हारी पर्सनालिटी बहुत अच्छी है और आजकल लड़कियों को ना फनी लड़के ज्यादा पसंद आते है”,मुन्ना ने कहा तो वंश खुश हो गया और कहा,”चलो फिर इसी बात पर बाहर चलते है , काफी दिन हो गए हम लोग कही गए नहीं”
“पिछले एक हफ्ते से बाहर ही घूम रहे थे वंश , तुम थोड़ी पढाई क्यों नहीं कर लेते चलो आओ साथ बैठकर पढ़ेंगे”,मुन्ना ने कहा तो वंश ने उसे कमरे से बाहर ले जाते हुए कहा,”ओह्ह मुन्ना प्लीज मैं घर जाकर पढ़ लूंगा चल ना कही चलते है , वैसे भी जबसे काशी गयी है तबसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा”
“अच्छा एक मिनिट हम अपना फोन ले आते है”,कहकर मुन्ना वापस कमरे में गया , उसने अपना फोन जेब में रखा अपना जैकेट पहना और साथ में वंश के लिए भी अपना दुसरा जैकेट उठा लिया क्योकि वो लड़का अपना ख्याल बिल्कुल नहीं रखता था।

निचे आकर मुन्ना ने अनु से बाहर जाने की बात कही और वंश के साथ निकल गया।
“अरे अनु तुम्हारा बेटा तो काफी अच्छा दिखने लगा है , बचपन में तो दुबला पतला सा था पर अब देखो कितना हेंडसम हो गया है। इसकी शादी का कुछ सोचा के नहीं ? अगर सोचो तो मेरी बहन की बेटी है मुन्ना की और उसकी जोड़ी काफी अच्छी जमेगी”,अनु की दोस्त ने कहा
“अभी कहा ? अभी तो उसका कॉलेज खत्म हुआ है , उसे पहले अपने सपने पुरे करने दो उसके बाद उसकी शादी का सोचूंगी , अभी तो मेरे सजने सवरने के दिन है”,कहते हुए अनु हंस पड़ी तो बाकि सब भी उसके साथ हसने लगी
मुन्ना वंश से बाइक की चाबी ली और बाइक स्टार्ट करते हुए कहा,”वैसे तुमने कुछ सोचा है एग्जाम्स के बाद क्या करोगे ?”
“करना क्या है पापा चाहते है उनके सीमेंट गोदाम में अकाउंट्स का काम देख लू और माँ चाहती है उनके ओल्डएज के ऑफिस को सम्हाल लू”,वंश ने बुझे मन से कहा और मुन्ना के पीछे आ बैठा
“और तू क्या चाहता है ?”,मुन्ना ने बाइक के साइड मिरर में वंश को देखते हुए कहा
“छोड़ ना मुन्ना ये सब बातें करके आज की शाम क्यों खराब करनी ? चल”,वंश ने अपने हाथो को मुन्ना के जैकेट की जेब में डाल उस से चिपक कर बैठते हुए कहा। मुन्ना ने इसके बाद कोई सवाल नहीं किया और बाइक आगे बढ़ा दी। कहा जाना है ये तय नहीं हुआ बस दोनों बाइक लिए बनारस की सड़को पर घूमते रहे। सूरज ढल चुका था और अन्धेरा होने लगा था लेकिन बनारस की सबसे बड़ी खूबसूरती यही थी की ये शहर रात में और भी खूबसूरत नजर आता था !

मुन्ना मुस्कुराते हुए बाइक चलाता रहा और वंश उसके पीछे बैठा जगमगाते बनारस को देखता रहा। मुन्ना को अब गौरी याद आ रही थी , गौरी बनारस में एक हफ्ता रही लेकिन मुन्ना उस से ठीक से बात तक नहीं कर पाया ना ही उसके साथ वक्त बिता पाया। दिन में गौरी से हुई बात याद आयी तो मुन्ना मुस्कुरा उठा। पीछे बैठे वंश को आज बनारस बड़ा अच्छा लग रहा था। उसने मुन्ना से कहा,”यार अपना बनारस कितना खूबसूरत है मतलब इसको कितना भी देखो मन नहीं भरता”
“बनारस हमेशा से खूबसूरत था बस तुम्हे आज नजर आया है , वैसे आज तू बड़ा खुश है बात क्या है ?”,मुन्ना ने पूछा
“कोई बात नहीं है मैं हमेशा खुश रहता हूँ , तूने आज तक कभी मुझे रोते हुए देखा है ?”,वंश ने पूछा
“अह्ह्ह्हह नहीं हमने हमेशा तुम्हे या तो मुस्कुराते देखा है या गुस्से में,,,,,,,,वैसे हम कभी नहीं चाहेंगे तुम्हारी आँखों में कभी आँसू आये”,मुन्ना ने कहा
“अच्छा,,,,,,,अगर ऐसा है तो फिर यादव जी वाले रेस्त्रो से कुछ अच्छा खिला दो मुझे बहुत भूख लगी है,,,,,,,,,,,,वरना मैं रो पडूंगा”,वंश ने मोके का फायदा उठाते हुए कहा
“हाँ उठा लो फायदा तुम”,मुन्ना ने कहा
“अब किसी से हद से ज्यादा प्यार करोगे तो वो तो तुम्हारा फायदा उठाएगा ना”,वंश ने मुन्ना को पीछे से हग करते हुए कहा
“हमें तुम पर पूरा यकीन है , तुम जिंदगी में कभी हमारा फायदा नहीं उठाओगे”,मुन्ना ने प्यार से कहा
“ओह्ह्ह्ह अब तुम मुझे इमोशनल कर रहे हो”,वंश ने अपना सर धीरे से मुन्ना की पीठ पर मारते हुए कहा , मुन्ना फिर से मुस्कुराने लगा। जबसे मुन्ना गौरी से मिला
था उसके साथ सबसे प्यारी बात यही हुई थी की हमेशा सीरियस रहने वाला मुन्ना अब मुस्कुराने लगा था। दोनों यादव जी के यहाँ पहुँचे। वंश खाने का शौकीन था इसलिए बनारस में अच्छी डिश कहा मिलेगी ये उस से बेहतर कोई नहीं जान सकता। दोनों अंदर आये , इस बार यादव जी ने रेस्त्रो को बढ़ा लिया था। सर्दियों मौसम था इसलिए आने वालो के लिए गार्डन एरिया में जगह जगह अलाव भी जला रखा था। मुन्ना और वंश वहा चले आये और अलाव के पास चले आये । मुन्ना का फोन अभी भी बंद था वंश को घर फोन करना था लेकिन उसके फोन में नेटवर्क नहीं था। उसने मुन्ना के पास आकर कहा,”मुन्ना एक मिनिट तेरा फोन देना माँ को फोन कर देता हूँ वरना परेशान होंगी वे”
“हम्म ये लो”,मुन्ना ने फोन वंश की तरफ बढ़ा दिया
“बंद है मैं ऑन कर लेता हूँ”,वंश ने कहा और साइड में चला गया। मुन्ना अलाव के सामने अपने हाथ तपने लगा। वहा खड़े खड़े मुन्ना एक बार फिर गौरी के बारे में सोचने लगा और उसकी सोचने की क्षमता इतनी होती थी की गौरी का अक्स उसे अपने सामने दिखाई देने लगता। मुन्ना गौरी के बारे में सोचते हुए अपने हाथ ताप ही रहा था की उसने अपने बगल में देखा गौरी भी उसके बगल में खड़ी मुस्कुराते हुए अपने हाथ ताप रही थी। बालों की लटे उसके गालो पर झूल रही थी और उसकी आँखे ख़ुशी से चमक रही थी। मुन्ना खोया हुआ सा एकटक उसे देखता रहा , गौरी ने अपने हाथो को तपाया और मुस्कुराते हुए मुन्ना की तरफ पलटी और अपने गर्म हाथो को मुन्ना के ठन्डे पड़े गालो से लगा दिया। मुन्ना समझ नहीं पा रहा था ये सपना था या हकीकत,,,,,,,,,,,,,,,!

“मुन्ना ये तेरा फोन इसमें शायद काशी का फोन आ रहा है , तू बात कर तब तक मैं कुछ आर्डर करके आया”,कहकर वंश वहा से चला गया
मुन्ना को अहसास हुआ की गौरी वहा नहीं थी वह बस उसका ख्याल था। अभी मुन्ना ख्यालो से बाहर आया ही था की फोन फिर बजा। स्क्रीन पर काशी का नंबर देखकर मुन्ना ने फोन उठा लिया और कहा,हाबन “हाँ काशी”
“मैं बोल रही हूँ”,गौरी ने कहा
गौरी की आवाज सुनते ही मुन्ना का दिल धड़क उठा। वह खामोश हो गया और अपनी धड़कनो के सामान्य होने का इंतजार करने लगा।
“ओह्ह हेलो मिस्टर क्या हुआ ? हाँ शायद मेरी आवाज सुनकर तुम ख्यालो में खो गए होंगे हैं ना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा वो भूल गयी की वो मुन्ना से नाराज थी , लेकिन मुन्ना ने उसे याद दिला दिया और कहा,”वैसे आप शायद हम से नाराज थी”
“हाँ थी,,,,,,,,,,,फिर मुझे याद् आया की तुम बहुत बोरिंग हो मनाओगे भी नहीं इसलिए खुद ही मानकर फोन कर दिया,,,,,,,,,,,,,,,वैसे एक बात बाताओ ये तुम “हम” क्यों कहते हो मैं भी बोल सकते हो”,गौरी ने कहा जो की बहुत बातें करती थी
“हम बचपन से ही ऐसे बात करते है इसमें कुछ नया नहीं है”,मुन्ना ने कहा
“हाँ लेकिन हम का मतलब होता है मैं और तुम,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने मुन्ना को पढ़ाते हुए कहा
“हाँ तो हुए ना मैं और तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब हम”,मुन्ना ने धीमी आवाज में कहा
“ओह्ह्ह्ह ऐसे बातें मत करो मुझे तुमसे फिर से प्यार हो जाएगा”,गौरी ने खुश होकर कहा तो मुन्ना मुस्कुराने लगा
“काशी ठीक है ?”,मुन्ना ने पूछा
“हाँ अभी सब खाना खाने के लिए रुके है”,गौरी ने कहा
“हम्म्म,,,,,,,!!”,अब आगे क्या बात करे ये मुन्ना को समझ नहीं आ रहा था
“वैसे तुम बड़े अजीब हो तुमने मेरा नंबर क्यों नहीं माँगा मुझे बार बार काशी के फोन से तुम्हे फोन करना पड़ रहा है,,,,,,,,,,,,,,,और तो और तुमने मुझे पूछा तक नहीं मैं कैसी हूँ ? चलो फोन काटो और मेरे नंबर पर फोन करो”,कहते हुए गौरी ने फोन काट दिया बिना ये जाने की मुन्ना के पास उसका नंबर है भी या नहीं। मुन्ना गौरी की इस बेवकूफी पर मुस्कुराने लगा। अगले ही पल फोन फिर बजा। मुन्ना ने फोन उठाकर कान से लगा लिया तो दूसरी तरफ से गौरी ने कहा,”सॉरी,,,,,,,,मैं भूल गयी थी तुम्हारे पास तो मेरा नंबर ही नहीं है तुम फोन कैसे करोगे ?”
“क्या हमे आपका नंबर मिल सकता है ? हमे आपको फोन करके ये है पूछना है की आप कैसी है ?”,मुन्ना ने बड़े प्यार से पूछा
“नंबर क्यों तुम मेरा दिल ले लो”,गौरी ने खोये हुए स्वर में कहा
“अगली बार आप बनारस आये तो वंश से थोड़ा दूर रहिएगा”,मुन्ना ने एकदम से अजीब बात कही
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,,,वो क्यों ?”,गौरी ने पूछा
“क्योकि वंश के साथ रहकर आप भी उसकी तरह बात करने लगी है”,मुन्ना ने कहा
“ए मान मैं फ्लर्ट नहीं कर रही हूँ सच्ची,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा मुन्ना उस से कुछ और कहता इस से पहले ही मुन्ना की नजर सामने से आते वंश पर पड़ी तो उसने गौरी से कहा,”हम थोड़ा बाहर है , फोन रखते,,,,,,,,,,,,,,,वैसे आप चाहे तो काशी से हमारा नंबर ले सकती है,,,,,,,,,,,हमारी बहन मना नहीं करेगी”,कहकर मुन्ना ने फोन काट दिया
“उल्लू की पट्ठी , गधी , स्टुपिड,,,,,,,,,,,,,,,,उस से ऐसे बात करने की कहा जरूरत थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आह्हः मैं हर बार उस से हार क्यों जाती हूँ ?”,गौरी ने फोन काटते हुए कहा और फिर खुद से कहने लगी,”गौरी शर्मा किसी लड़के से सामने से नंबर माँगेगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मांगना पडेगा क्योकि उसे सामने से आई लव भी तुमने ही बोला है , और वो है की भाव खाये जा रहा है , तुम इतने सख्त क्यों हो मुन्ना ?”
“ए गौरी पागल हो गयी है क्या ? यहाँ अकेले खड़े होकर क्या बड़बड़ा रही है ? चल खाना ठंडा हो रहा है”,ऋतू ने गौरी को ले जाते हुए कहा और फिर चारो बैठकर खाना खाने लगी।

वंश खाना आर्डर करके आ चुका था लेकिन ठण्ड ज्यादा थी और उसने गर्म कपडे भी नहीं पहने थे बस मुन्ना के कोट से जैसे तैसे सर्दी को सहन करने की कोशिश कर रहा था। वह मुन्ना के पास आया और आग के सामने हाथ तपते हुए कहा,”आह्ह बहुत ठण्ड है यहाँ”
“हाँ,,,,,,,,,,!”,मुन्ना ने कहा और अपने हाथो को अलाव मे गर्म कर वंश के गालो से लगा दिया। मुन्ना का यू परवाह करना वंश को बहुत अच्छा लगता था। उसने मुन्ना की तरफ देखा और कहा,”मुन्ना एक सवाल है मेरे पास पुछु क्या ?”
“हाँ पूछ ना”,मुन्ना ने एक बार फिर अपने हाथ गर्म करते हुए कहा
“अगर हम दोनों की जिंदगी में कभी कोई लड़किया आयी और उन्हें हमारा साथ रहना पसंद नहीं आया तो क्या तब भी तू ऐसे ही मेरी परवाह करेगा ?”,वंश ने थोड़ा इमोशनल होकर पूछा तो मुन्ना उसके चेहरे की तरफ देखने लगा और फिर अपने गर्म किये हाथो में वंश के ठन्डे हाथो को लेकर उन्हें गर्माहट देते हुए कहा,”हम तुम्हारे बड़े भाई है वंश , बड़े भाई का मतलब समझते हो ना तुम,,,,,,,,,,,,, तुम्हारे लिए हमारी परवाह और हमारा प्यार कभी कम नहीं होगा”
“हाँ पता है पर सिर्फ 25 मिनिट बड़ा है तू मुझसे , चल आजा खाना खाते है,,,,,,,और वैसे मैं ये पुरे यकींन के साथ कह सकता हूँ की मेरी होने वाली भाभी मुझे तुझसे भी ज्यादा प्यार करेगी”,कहते हुए वंश टेबल की तरफ बढ़ गया और मुन्ना भी उसके पीछे चला आया। जाते जाते मुन्ना ने पलटकर देखा उसने देखा गौरी अभी भी मुस्कुराते हुए अलाव के पास खड़ी अपने हाथ तप रही थी,,,,,,,,,,,,,!!

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गौरी और मुन्ना की ये नोकझोक क्या रंग लाएगी ? क्या मुन्ना बताएगा वंश को गौरी के बारे में ? क्या वंश सच में बदलने लगा है गौरी के लिए ? जानने के लिए सुनते रहे “मैं तेरी हीर”

क्रमश – Main Teri Heer – 77

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