Main Teri Heer – 6 ( Love Story )
Main Teri Heer – 6
पूर्वी हाथ में निवाला थामे कभी नवीन को देखती तो कभी मेघना को , वह डिसाइड नहीं कर पा रही थी कि नवीन से क्या कहे ? पूर्वी को खामोश देखकर नवीन ने कहा,”खाना खाओ बेटा उसके बाद आराम से बैठकर बात करते है।”
कहकर नवीन उठा और हाथ धोने वाशबेसिन की तरफ चला गया
“आई ऍम सॉरी आंटी एक्चुली निशि,,,,,,,,,,,,,!!”,पूर्वी ने फुसफुसाते हुए कहा
“मैं जानती हूँ वो वंश के घर थी,,,,,,लेकिन तुम दोनों को मुझसे ये बात नहीं छुपानी चाहिए थी”,मेघना ने सहजता से कहा
“आंटी मैंने निशि से कहा था लेकिन वो लड़की,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी,,,,,,हम लोग आपको और अंकल को हर्ट करना नहीं चाहते थे”,पूर्वी ने कहा
“इट्स ओके , तुम्हे पनीर और दू ?”,मेघना ने कहा
“अह्ह्ह नहीं थैंक्यू , जो दिया वो ही नहीं निगला जा रहा है अब तो “,पूर्वी ने बुदबुदाते हुए कहा
मेघना ने पूर्वी का कंधा थपथपाया और वहा से चली गयी। पूर्वी ने जल्दी जल्दी खाना खाया और निशि के कमरे में आयी। निशि अपने कमरे में बिस्तर पर पेट के बल सो रही थी।
“तुमने मुझे बताया क्यों नहीं तुम्हारे डेड को सब पता है ?”,पूर्वी ने कमरे में आकर गुस्से और परेशानी भरे स्वर में कहा
पूर्वी की आवाज सुनकर निशि की तन्द्रा टूटी उसने सर उठाकर देखा और एकदम से उठकर बैठते हुए कहा,”तुम यहाँ क्या कर रही हो ?”
“वो छोडो और ये बताओ तुम वंश के साथ थी ये बात अंकल को किसने बताया ?”,पूर्वी ने बैठते हुए कहा
“अह्ह्ह्ह सब तुम्हारी गलती है , तुमने डेड से क्यों कहा मैं तुम्हारे साथ हूँ ? जिस वक्त उन्होंने तुम्हे फोन किया मैं उनके साथ थी,,,,,,,!”,निशि ने चिढ़ते हुए कहा
“तो मैं उनसे क्या कहती ? उन्हें बता देती तुम वंश के साथ हो,,,,,,,तुम भी हद करती हो निशि , तुमने ही मुझसे कहा था कि अगर तुम्हारे घर से फोन आये तो मैं कहु तुम मेरे साथ हो,,,,,,,,,,,,,,!!”,पूर्वी ने भी चिढ़ते हुए जवाब दिया
निशि बिस्तर से उठी और कमरे में घूमते हुए कहा,”सारे फसाद की जड़ ही वो वंश है”
“अब उस बेचारे ने क्या किया ?”,पूर्वी ने मासूमियत से पूछा
निशि गुस्से से पूर्वी की तरफ पलटी और पूर्वी के सामने आकर कहा,”वो और बेचारा,,,,,,,,,,,,बेचारा नहीं वो एक नंबर का खड़ूस और सेल्फिश इंसान है।
मैंने उसके लिये अपने डेड से झूठ बोला , उसके साथ रहकर उसकी केयर की , उसे डॉक्टर के पास लेकर गयी एंड वो मेरा थैंकफुल होने के बजाय मुझसे घर जाने के लिये कहता है,,,,,,,,,,,,,!”
“तो क्या तुम उसके साथ जिंदगीभर रहने का सोच रही हो ?”,पूर्वी ने हैरानी से पूछा
“मैं तुम्हारा मुँह तोड़ दूंगी,,,,,,,,!!”,निशि ने अपने हाथो की मुट्ठी बांधकर दाँत पीसते हुए कहा
“ओहके ओहके रिलेक्स,,,,,,,मुझे ये बताओ तुम इतना परेशान क्यों हो क्या वंश ने तुमसे कुछ कहा ?”,पूर्वी ने निशि को शांत करते हुए कहा
निशि एक बार फिर बिस्तर पर आकर बैठी और कहा,”हाह ! वो चिरकुट मुझसे क्या कहेगा ? उसके पास बकवास करने के अलावा कोई काम नहीं है , उसने अभी तक सीरीज की भी नही और वो खुद को हीरो समझने लगा है उसकी हीरोगिरी तो मैं निकालूंगी”
“अब तुम क्या करने वाली हो ? देखो तुम उसे बहुत पसंद करती हो इसलिए तुम्हे उसकी छोटी छोटी बातो से इतना फर्क पड़ रहा है। वैसे वो इतना बुरा भी नहीं है।”,पूर्वी ने कहा
“ओह्ह्ह रियली ? तो फिर तुम ही जाकर उसे अप्रोच क्यों नहीं करती ?”,निशि ने चिढ़कर कहा
“ठीक है मैं तैयार हूँ अगर तुम उसके सामने मेरी थोड़ी सी तारीफ कर दो,,,,,,,,,,,!!”,पूर्वी ने कहा लेकिन बेचारी अपनी बात पूरी कर पाती इस से पहले ही निशि ने उसे अपने कमरे से बाहर निकालते हुए दरवाजा उसके मुंह पर बंद कर दिया।
निशि झुंझलाते हुए वापस कमरे में आयी और शीशे के सामने आकर पैर पटकते हुए कहा,”अह्ह्ह्ह , मैं उस चिरकुट के बारे में इतना पजेसिव क्यों हो रही हूँ ? वैसे भी मुन्ना भैया के सामने मुझे इंसल्ट करने में उसने कोई कसर नहीं छोड़ी है।”
अगले ही पल निशि का फ़ोन बजा और उसने देखा कोचिंग से मैसेज था और निशि का वहा जाना जरुरी था। निशि ने कबर्ड कपडे लिए और चेंज करने चली गयी।
बनारस , प्रताप सिंह का घर
राजन अपने घर के बरामदे की सीढ़ियों पर बैठा किसी सोच में डूबा हुआ था। ना उसने दोपहर का खाना खाया ना ही पिछले दो दिन से उसका कही मन लग रहा था। घर का नौकर राजन के पास आया और कहा,”राजन भैया खाना लगा दे आपके लिये ? सुबह से आपने कुछो नहीं खाया है,,,,,,,,,,,थोड़ा खा लीजिये”
“नहीं हमको नहीं खाना है,,,,,,,,,,तुम जाओ हिया से”,राजन ने कहा और उदासी से दूसरी तरफ देखने लगा
“ठीक है भैया”,कहकर नौकर वहा से जाने लगा। राजन ने नौकर की तरफ देखा और कहा,”ए सुनो !”
“जी भैया”,नौकर ने राजन के पास आकर कहा
“का तुमको पता है मुन्ना कहा है ?”,राजन ने पूछा
“तुमको मुन्ना के बारे में काहे जानना है बेटा ?”,सामने से आते प्रताप ने कहा
प्रताप राजन के पास आया और नौकर को वहा से जाने का इशारा किया। नौकर के जाने के बाद प्रताप राजन के बगल में आ बैठा और कहा,”मुन्ना के बारे में काहे पूछ रहे तुम ?”
“मुन्ना हमरा दोस्त है पिताजी और पिछले 2 दिन से हम उसको देखे नहीं है तो ऐसे ही पूछ लिया”,राजन ने प्रताप की तरफ देखकर मासूमियत से कहा
“तुम तो ऐसे बात कर रहे रजनवा जैसे मुन्ना तुम्हरा दोस्त न होकर तुम्हरी मेहरारू हो,,,,,,,,,,,,,,,देखो बेटा मुन्ना और उसके परिवार से तुमहू जितना दूर रहो उतना तुम्हरे लिए अच्छा है। मुन्ना से ना दोस्ती अच्छी है ना ही दुश्मनी,,,,,,,,,!!”,प्रताप ने थोड़ा गंभीरता से कहा
राजन ने सुना तो उसे अच्छा नहीं लगा
“जे आप का कह रहे है पिताजी ? मुन्ना बहुत अच्छा लड़का है। अरे ! उह तो अब हमरा दोस्त भी बन गवा है और हमहू अपने दोस्त के बारे में जे सब ना सुने है।
“,राजन ने बच्चो की तरह नाराज होते हुए कहा
“रजनवा ,,,,,,,,,,!!”,प्रताप ने कहा लेकिन राजन उठा और कहा,”बस पिताजी हमको कुछो नहीं सुनना , हमको नहीं पता मुन्ना और उसके घरवालों से आपकी का दुश्मनी है पर हम एक ठो बात बताय रहे है। हम मुन्ना को अपना दोस्त मानते है और हमेशा मानेंगे,,,,,,,,,,,!!”
राजन वहा से चला गया तो प्रताप खुद में ही बड़बड़ाया,”लगता है चोट ससुरे के दिमाग पर असर कर गयी है , तभी ना दोस्त और दुश्मन में फर्क ना पहिचान रहे,,,,,,,,,,!”
“का बात है मालिक ? आप परेसान दिख रहे है।”,प्रताप के आदमी ने पूछा
“तुम का मेट दी हो हमरी परेसानी ?”,प्रताप ने आदमी को घूरकर देखते हुए पूछा
“नहीं हमहू तो बस,,,,,,,,,!!”,,आदमी बेचारा इतना ही कह पाया कि प्रताप उठा और कहा,”हमरे सर पर नाच करने के लिये राजनवा काफी है , तुमहू चौधरी ना बनो और जाकर देखो ट्रको में माल लदा के नाही ?”
“जी जी मालिक”,कहते हुए आदमी वहा से चला गया और प्रताप भी अंदर चला गया
सारिका और आई बाजार के शोरूम में अपने लिये साड़िया देख रही थी।
“आई ये देखिये ना , ये साड़ी आप पर बहुत सुंदर लगेगी,,,,,,,,,,,,,मुन्ना की सगाई में आप यही पहनियेगा”,सारिका ने नीले और आसमानी रंग की बनारसी साड़ी आई की तरफ बढ़ाते हुए कहा
“अरे वाह सारिका बिटिया जे तो बहुते सुंदर है , हम अभी टॉवेल रूम में जाकर पहनकर आते है।”,आई ने ख़ुशी से भरकर उठते हुए कहा
“टॉवल नहीं आई , ट्रायल रूम”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा
“हाँ हाँ वही , तुम अपने लिए देखो हम आते है,,,,,,,,!”,आई ने कहा और साड़ी लेकर वहा से चली गयी
“कुछ और दिखाइए”,सारिका ने सेल्समैन से कहा
“आप यही बैठिये मैं ऊपर से कुछ फ्रेश साड़िया ले आता हूँ।”,आदमी ने कहा और वहा से चला गया
सारिका वही बैठकर सामने पड़ी साड़ियों को देखने लगी। साड़िया देखते हुए सारिका की नजर पास ही रखी मैगजीन पर पड़ी। सारिका ने मैगजीन को उठाया और कवर पेज को देखकर उसकी आँखे उस पर जम सी गयी जिस मुंबई की बिजनेस टाइकून महिला का फोटो छपा था।
महिला का चेहरा आत्मविश्वास से भरा था और उसके बारे में काफी कुछ लिखा हुआ था। उसे देखते हुए सारिका को एकदम से अपना अतीत याद आ गया जब शादी से पहले वह मुंबई में बिजनेस वूमन हुआ करती थी। शिवम् से शादी करने के बाद सारिका हमेशा के लिये बनारस चली आयी और इसके बाद वह बस अपनों के लिये जीने लगी ,, बाबा के ओल्ड ऐज होम के सपने को ही सारिका ने अपना सब कुछ मान लिया और कभी पलटकर अपने बिजनेस को नहीं देखा। आज जब सारिका ने मैगजीन देखी तो बिता हुआ कल उसकी आँखों के सामने किसी तस्वीर की तरह आ गया।
“सारिका , सारिका बिटिया , अरे हम तुम से कह रहे है कहा खोयी हो ?”,आई की आवाज सारिका के कानों में पड़ी तो उसकी तंद्रा टूटी
सारिका ने मैगजीन को साइड में रखा और आई की तरफ पलटकर कहा,”आप इस साड़ी में बहुत सुन्दर लग रही है आई”
“तो फिर का करे खरीद ले का ?”,आई ने पल्लू को हवा में लहराते हुए कहा
“हाँ आई बिल्कुल खरीद लो और मैं तो कहती हूँ एक मेरे लिये भी,,,,,,,,!!”,सामने से आती अनु की आवाज सारिका और आई दोनों के कानो में पड़ी।
“अरे अनु तुम यहाँ ? हमे पता होता तुम भी आ रही हो तो हम सब साथ आ जाते,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने खुश होकर कहा
“वो क्या है न मुरारी किसी काम से अपने विधायक ऑफिस गया है इसलिए मैंने सोचा क्यों मुन्ना की सगाई के लिये थोड़ी सी शॉपिंग कर ली जाये। वैसे भी उसकी सगाई में अब दिन ही कितने बचे है , क्यों आई ?”,अनु ने सोफे पर बैठते हुए कहा
“बात तो तुमहू सही कही हो अनु बिटिया,,,,,,,,,पर का सब सॉपिंग अपने लिये ही करोगी या हमरे मुन्ना के बारे में भी कुछो सोचा है ?”,आई ने कहा
“अरे आई उसी के लिए आयी हूँ,,,,,,,,,,,,दी मुन्ना के लिये सगाई में पहनने वाले कपडे लेने में आप मेरी हेल्प करो ना,,,,,,,,,,,मैं सोच रही हूँ गौरी के लहंगे से मैच होता कुछ खरीदा जाये कैसा आइडिआ है ?”,अनु ने चहकते हुए कहा
आई वापस चेंजिंग रूम की तरफ चली गयी
“आइडिआ तो अच्छा है लेकिन हमे नहीं लगता मुन्ना को ये पसंद आयेगा , तुम उसी से क्यों नहीं कहती खरीदने को ,, वैसे भी वो मुंबई है वहा उसे ब्रांडेड कपडे मिल जायेंगे”,सारिका ने कहा
“दी मेरा बेटा अगर इतना स्मार्ट होता तो क्या मुझे उसके लिये कपडे लेने आना पड़ता ? अब चलिए मुन्ना के लिये कपडे लेने में मेरी मदद कीजिये,,,,,,!!”,अनु ने सारिका का हाथ पकड़ा और उसी शोरूम के मेल सेक्शन की तरफ लेकर चली गयी।
अंदर आकर सारिका ने सेल्समेन से कहा,”एक्सक्यूज मी ! मेरे बेटे की सगाई है उसके पहनने के लिये कुछ यूनिक सा दिखाईये,,,,,,,,,!!”
“स्योर मेम , मैं लेटेस्ट डिजाइन में आपको शेरवानी दिखाता हूँ”,सेल्समेन ने कहा
“तुम्हरे कानपूर में हड़ताल है का ? मैंने कहा मेरे बेटे की सगाई है सादी नहीं,,,,,,,,,,,कुछो और दिखाओ जो सबसे हटके हो,,,,,,,,,!!”,अनु ने एकदम देशी अंदाज में कहा
“अनु ये कैसे बात कर रही हो ? भैया आप शेरवानी के अलावा कुछ दिखाईये,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने अनु का हाथ पकड़कर उसे चुप कराते हुए कहा
“जी मेम आप बैठिये मैं अभी कुछ कलेक्शन लेकर आता हूँ।”,सेल्समेन ने कहा और वहा से चला गया
सेल्समेन के जाने के बाद सारिका ने कहा,”अनु ! मुरारी भैया के साथ रहकर तुम भी उनकी तरह बात करने लगी हो,,,,,,,,,,!!”
“अरे दी 29 साल हो गए उस आदमी को झेलते हुए अब थोड़ा असर तो आयेगा ना,,,,,,,,,,,,अब आप खुद को देख लो जैसे मेरे शिवम् जीजू है शांत , गंभीर और समझदार आप भी धीरे धीरे उनके जैसी हो गयी है वैसे ही जिस तरह से मुरारी है बेबाक , बकलोल और फूहड़ उसका थोड़ा असर तो मुझमे आयेगा ना”,अनु ने बेफिक्र होकर कहा
“अनु वो तुम्हारा पति है तुम्हे उनके लिये ऐसे नहीं बोलना चाहिए,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने अनु को आँखे दिखाते हुए कहा
“अरे दिल आप जानती नहीं है उसे वो कितना बड़ा,,,,,,,,,खैर छोडो आप सगाई में क्या पहनने वाली हो ?”,अनु ने अपनी बात अधूरी छोड़ते हुए कहा
“हमने अभी तय नहीं किया है,,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा
“क्या दी ? आपके बेटे की सगाई है और आपने अभी तक डिसाइड भी नहीं किया आप क्या पहनेगी ?”,अनु ने शिकायती लहजे में कहा
“पहले जिसकी सगाई है उसके लिये कपडे देख ले उसके बाद तुम हमारे लिये भी पसंद कर लेना ठीक है।”,सारिका ने मुस्कुरा कर कहा
सेल्समेन कलेक्शन ले आया और एक एक करके अनु और सारिका को दिखाने लगा
विधायक ऑफिस में हुई मीटिंग के बाद सभी मुरारी से फिर से राजनीती में आने के लिये कहने लगे। मुरारी चौहान साहब से बात करते हुए ऑफिस से बाहर आया और कहा,”आप हमसे मिलने यहाँ आये जानकर अच्छा लगा”
“अरे भई मिश्रा तुमसे तो मिलना ही था आखिर मुंबई में बैठकर इतनी चर्चा जो सुनी है हमने तुम्हारी , वैसे कुछ भी कहो इंसान तुम कमाल हो”,चौहान साहब ने
चलते चलते मुरारी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
अब देखो मुरारी भले विधायक ना रहा हो लेकिन बनारस में उसका भौकाल आज भी कायम था उसने तिरछी नजरो से अपने कंधो पर रखे चौहान साहब के हाथ को देखा और एकदम से उनके सामने आ गया जिस से एकदम से चौहान साहब का हाथ नीचे झटक गया। चौहान साहब को मुरारी की ये हरकत नागवार गुजरी लेकिन वहा मौजूद लोगो की वजह से वो फीका सा मुस्कुराये।
“कमाल तो हमहू है नेता जी तबही तो बनारस का मुंबई तक हमारे चर्चे और पर्चे दोनों चलते है। का समझे ? आप मेहमान है , बनारस मा पहली बार आये है इहलिये अभी आप मुरारी मिश्रा का चीज है इह से अवगत नाही है ,, कुछ दिन गुजारिये बनारस मा दिखाते है आपको हमरा जलवा,,,,नई”,मुरारी ने कुर्ते की जेब में टँगा काला चश्मा निकाला और आँखों पर लगा लिया
मुरारी की बातें सुनकर चौहान साहब खामोश हो गए मुरारी के शब्दों में उन्हें सम्मान कम और धौंस ज्यादा नजर आ रही थी। उन्हें खामोश देखकर मुरारी ने अपने दोनों हाथ जोड़कर उन्हें नमस्ते किया और कहा,”चलते है , हर हर महादेव”
मुरारी वहा से चला गया तो चौहान साहब से अपनी आँखों पर लगा चश्मा हटाया और अपने पी.ए. से कहा,”कुर्सी चली गयी लेकिन अकड़ नहीं गयी , पता लगाओ आखिर ये मुरारी मिश्रा है क्या चीज ?'”
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संजना किरोड़ीवाल
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Nishi samajh nahi pa rahi hai ki voh Vansh ko lekar itna possessive kyu ho rahi hai …Sarika Aae ke saath shopping ayi hai waha ke magazine me mumbai ki bussiness tycoon women ko lakar usse apni pichli zindagi yaad ane lagi…Aae ko uski select kari hue saari pasand ayi Anu bi munna ke liye shopping karne ayi toh Sarika uski help karne lagi..Chouhan Murari ki aise baate sunkar apne PA se uske baare me pata lagvane ko kah…interesting part Maam♥♥♥♥♥
Very nice part
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Very👍👍👍👍👍good👍👍