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“मैं तेरी हीर” – 55

Main Teri Heer – 55

Main Teri Heer
Main Teri Heer

शिवम् ने काशी को फिर से बनारस आने को कहा ताकि वह लड़के से मिल सके। वही काशी भी खुश थी की बनारस जाकर वह शक्ति से मिल पायेगी। काशी अपनी दोस्तों के साथ बनारस जाना चाहती थी लेकिन गौरी की मॉम की तबियत खराब होने की वजह से वे लोग नहीं जा पाई। काशी अपने नानू नानी के साथ बनारस के लिए निकल गयी। रास्तेभर वह बस शक्ति और उसके लिखे खत के बारे में सोचते रही। एक प्यारा सा अहसास उसके दिल को छूकर गुजर रहा था। देर रात काशी बनारस पहुंची सारिका और शिवम् जाग रहे थे। शिवम् ने काशी के साथ साथ सारिका के माँ पापा को भी बुला लिया सारिका ने जब उन्हें देखा तो ख़ुश हो गयी। अधिराज जी और अम्बिका को लेकर सारिका अंदर चली आयी। काशी शिवम् के पास आयी और शिवम् के गले लगते हुए कहा,”लगता है इस बार आपको हमारी कुछ ज्यादा ही याद आ रही थी इसलिए आपने हमे इतनी जल्दी बुला लिया”
“हाँ,,,,,,,,,,,,वैसे आपने कहा था आपकी दोस्त भी साथ आएँगी ? कही दिखाई नहीं दे रही ?”,शिवम् ने कहा
“गौरी की मम्मी हॉस्पिटल में है पापा , उन्हें एडमिट करना पड़ा इसलिए वो लोग नहीं आ पाए”,काशी ने थोड़ा उदास होकर कहा
“अब कैसी है वो ?”,शिवम् ने पूछा
“अभी ठीक है वो और गौरी ने कहा है वो कुछ दिनों में आ जाएगी”,काशी ने कहा
“ठीक है हम सुबह उनसे बात करेंगे , अभी अंदर चलो बाहर बहुत ठंड है”,शिवम् ने काशी से कहा और दोनों अंदर चले आये। रात बहुत हो चुकी थी और सब थके हुए थे इसलिए कुछ देर बाद सोने चले गए। काशी को तो नींद ही नहीं आयी उसे सुबह उठते ही सबसे पहले शक्ति से जो मिलना था। वह रात भर ख़ुशी के मारे करवटें बदलती रही।
सुबह काशी जल्दी उठ गयी और तैयार हो गयी जब वह अपने कमरे से बाहर आयी तो सारिका ने कहा,”काशी आज इतनी सुबह सुबह उठ गयी तुम ?”
“वो माँ एग्जाम्स आने वाले है ना तो पढाई के लिए सुबह जल्दी ही उठते थे हम इसलिए आदत हो गयी”,काशी ने कहा
“अच्छा तुम बैठो हम तुम्हारे लिए चाय बनवा देते है”,सारिका ने कहा
“ठीक है हम तब तक जाकर वंश भैया से मिल लेते है”,कहते हुए काशी सीढ़ियों की तरफ बढ़ गयी। वंश को पता भी नहीं था की काशी आ रही है क्योकि सब अचानक से जो हुआ था। काशी वंश के कमरे में आयी देखा वंश सो रहा था काशी आयी और उसकी कम्बल खींचते हुए कहा,”गुड़ मॉर्निंग”
काशी की आवाज सुनकर वंश एकदम से उठ गया। सुबह सुबह काशी को अपने सामने देखकर वह हैरान था उसने अपनी आँखे मसलते हुए कहा,”तुम कब आयी ?”
“कल रात ही आ गए थे लेकिन आप सो रहे थे इसलिए जगाया नहीं ,, अब उठ जाईये”,काशी ने बिस्तर पर बैठते हुए कहा
वंश दरवाजे की तरफ देखने लगा और फिर कहा,”तुम अकेले आयी हो ?
“क्यों कोई और भी आने वाला था ?”,काशी ने शरारत से पूछा
“नहीं मैं तो बस ऐसे ही,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने झेंपते हुए कहा क्योकि पिछली बार जब वह गौरी से मिला था तब गौरी ने कहा था की वह बनारस जरूर आएगी
“वैसे हमारी तीनो दोस्त आने वाली थी साथ में लेकिन कुछ इमरजेंसी आ गयी तो उन्हें वही रुकना पड़ा , लेकिन उन्होंने कहा है वो जल्दी आएगी”,काशी ने जैसे ही कहा वंश का चेहरा खिल उठा और उसने कहा,”सच में ?”
“हम्म्म्म , वैसे आप कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड दिख रहे है , बात क्या है ?”,काशी ने अपनी भँवे उचकाते हुए पूछा
“कोई बात नहीं है मैं जस्ट नार्मल पूछ रहा हूँ”,वंश ने कहा
“तो फिर आप इतना मुस्कुरा क्यों रहे है ?”,काशी ने कहा
“वो वो तो मेरी स्माइल ही इतनी प्यारी है”,वंश ने क़म्बल ओढ़ते हुए कहा हालाँकि बड़ी मुश्किल से वह अपने मन में उड़ती तितलियों को सम्हाल पा रहा था।
काशी उस से वही बैठकर बात करती रही दीना उसके लिए ऊपर ही चाय ले आया और रखकर चला गया। काशी नीचे चली आयी। उसे शक्ति से मिलना था लेकिन बाहर कैसे जाये ? कुछ देर बाद अधिराज जी और अम्बिका जी भी उठ गए और बाबा से मिलने उनके कमरे में चले आये। सभी बैठकर बातें कर रहे थे शिवम् ने देखा ये अच्छा मौका है इसलिए वह भी सारिका के साथ चला आया और उन्हें नोयडा वाले लड़के के बारे में बताया जो की दो दिन बाद काशी को देखने आने वाला था। अधिराज और अम्बिका तो खुश हो गए , वही आई को भी कोई ऐतराज नहीं था। सबकी रजामंदी पाकर शिवम् ने मुरारी के चाचा जी से बात की और उन्हें हाँ कह दिया।

सभी बाते कर ही रहे थे की काशी वहा चली आयी और कहा,”पापा हम थोड़ी देर के लिए बाहर जा रहे है , वो दरअसल हम अपनी कुछ बुक्स लाना भूल गए थे तो सोचा क्यों ना यहाँ से ले ले”
“ठीक है वंश को साथ ले जाओ”,शिवम् ने कहा
“रहने दीजिये ना पापा , हम बनारस से अनजान थोड़े ही है हम चले जायँगे। वैसे भी वंश भैया से कहा तो वो तैयार होने में ही दो घंटे लगा देंगे”,काशी ने जल्दी जल्दी में कहा
“दामाद जी काशी भी यही है इस से भी पूछ लेते तो सही रहता”,अधिराज जी ने कहा तो शिवम् एक बार फिर काशी की तरफ पलटा और कहा,”काशी वो दो दिन बाद कुछ लोग आ रहे है तुमसे मिलना चाहते है,,,,,,,,!!!
“हाँ हाँ पापा बुला लीजिये हम मिल लेंगे,,,,,,,,,,अभी हम चलते है हमे देर हो रही है,,,,,,बाय”,कहते हुए काशी अपना दुपट्टा सम्हाले वहा से चली गयी
“बचपना गया नहीं अभी तक इसका,,शिवा का कहे मिश्रा जी ?”,बाबा ने मुस्कुराते हुए कहा
“हमारी उनसे बात हो गयी है बाबा उन्होंने कहा है वो उन्हें खबर कर देंगे,,,,,,,,,,,,,बाबा अगर काशी को ये रिश्ता पसंद ना आये तो हम उस पर अपना फैसला,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,शिवम् ने इतना ही कहा की बाबा बीच में बोल पड़े,”शिवा बेटा तुम इतना परेशान काहे हो रहे हो ? लड़का सिर्फ देखने आ रहा है कौनसा आज ही काशी बिटिया की शादी करके उसे विदा कर देंगे”
“दामाद जी की परेशानी हम अच्छे से समझ सकते है समधी जी , बिटिया शादी कर जब अपने ससुराल जाती है तो उसकी सबसे ज्यादा याद पिता को ही आती है”,अधिराज जी ने जैसे ही कहा शिवम् की आँखों में नमी उतर आयी
“हम आते है”,कहकर शिवम् वहा से चला गया सारिका भी उसके पीछे पीछे चली आयी। जब उसने शिवम् को अपनी आँखे पोछते हुए देखा तो उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”शिवम् जी ये क्या आप अभी से कमजोर पड़ गये”
“सरु तुम यहाँ,,,,,,,,,,,कुछ नहीं वो आँख में जरा कुछ चला गया था”,शिवम् ने सारिका से कहा
“हम्म्म , इतना प्यार झूठ इस उम्र में नहीं चलेगा गुप्ता जी ,, काशी हमारी बेटी है और एक ना एक दिन तो शादी करके उसे ससुराल जाना ही होगा न”
“हम्म्म्म लेकिन उसके जाने के नाम से ही मन भारी होने लगता है , हम चाहते थे यही बनारस में उसके लिए लड़का देखे,,,,,,,,,,,,,,नोयडा कितनी दूर है “,शिवम् ने कहा
“क्या शिवम् जी इंदौर भी तो कितना दूर है फिर भी हम आये ना आपके लिए और वैसे भी अभी काशी का रिश्ता फिक्स नहीं हुआ है”,सारिका ने कहा
“हम्म्म , हमारे बच्चे कितनी जल्दी बड़े हो गए सरु ?”,शिवम् ने कहा
“शिवम् जी हर माँ बाप का सपना होता है उनके बच्चो की जिंदगी में कोई ऐसा इंसान आये जो उन्हें समझे , उन्हें बहुत प्यार करे और हमेशा उनका साथ दे। काशी के लिए भी हम ऐसा ही लड़का चाहते है वो बहुत मासूम है हर किसी में अच्छाई ढूंढ़ती है। हम चाहते है उसकी शादी ऐसे लड़के से हो जो उसकी भावनाओ को समझे,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा
“तो आप तैयार है उसकी शादी के लिए ?”,शिवम् ने कहा
“हाँ , बल्कि हम तो बहुत सारी मस्ती करने वाले है उसकी शादी में”,सारिका ने खुश होकर कहा
“अच्छा देखियेगा उसकी विदाई पर सबसे ज्यादा रोयेंगी भी आप ही,,,,!!”,शिवम् मुस्कुरा उठा
“देखते है हम ज्यादा रोते है या आप ?”,सारिका ने कहा और फिर मुस्कुराते हुए वहा से चली गयी। सारिका के जाने के बाद शिवम् ने अपना फोन जेब से निकाला और मुरारी का नंबर डायल करते हुए खुद से कहा,”मुरारी को फोन करके इस बारे में बता देते है”

घर में काशी के लिए लड़का देखने की बातें चल रही थी और इस से बेखबर काशी शक्ति से मिलने अस्सी घाट चली आयी। सुबह का वक्त था और ठंड भी बहुत थी काशी ने सफ़ेद रंग की गर्म स्वेटर पहन रखी थी। अपने दोनों हाथो को आपस में रगड़ते हुए वह वही घूमने लगी। ठण्ड से उसके गाल भी लाल हुए जा रहे थे। काशी शक्ति को ढूंढ रही थी , उसे ढूंढ़ते हुए वह ऊपर मंदिर में चली आयी उसने महादेव की मूर्ति की सामने हाथ जोड़े और आँखे मूंदकर कहा,”हम जिस से मिलने यहाँ आये है उनसे मिलवा दीजिये ना महादेव”
“बिटिया जे लो महादेव की आरती लो”,मंदिर के पंडित जी ने कहा तो काशी ने अपनी आँखे खोली और मुस्कुराते हुए आरती ली। काशी ने देखा ये वही पंडित जी थे जिन्हे उसने एक बार शक्ति से बात करते देखा था। पंडित जी जैसे ही जाने लगे काशी ने कहा,”पंडित जी”
“हाँ बिटिया”,पंडित जी ने कहा
“आप बता सकते है शक्ति कहा मिलेगा ?”,काशी ने एकदम से ही पूछ लिया
“तुम उसे जानती हो ?”,पंडित जी ने भी हैरानी से सवाल किया
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,हम साथ में ही पढ़ते है”,काशी ने फिर झूठ कह दिया
पंडित जी ने सूना तो मुस्कुराये और सामने घाट की तरफ इशारा करते हुए कहा,”वो वहा मिलेगा”
“थैंक्यू पंडित जी”,काशी ने चहकते हुए कहा और वहा से चली गयी। उसके जाने के बाद पंडित जी मुस्कुराये और धीमे से बुदबुदाए,”लगता है शक्ति के जीवन में तूफान आने वाला है,,,,,,,,,,,,हर हर महादेव”
काशी ख़ुशी ख़ुशी सीढिया उतरते हुए घाट के उस तरफ चली आयी जिस तरफ पंडित जी ने इशारा किया था। नीचे काशी ने देखा वहा कोई नहीं था , उसने इधर उधर देखा कुछ दो चार लोग थे और नाव वाले थे लेकिन उनमे शक्ति नहीं था।
“लगता है पंडित जी ने हमे बेवकूफ बनाया है”,काशी ने कहा और वापस जाने के लिए जैसे ही मुड़ी उसे पानी की आवाज सुनाई दी , उसने मुड़कर देखा तो बस देखते ही रह गयी। घाट के पानी से हाथ जोड़े , आँखे मूँदे , शक्ति निकला। वह इस वक्त ध्यान की मुद्रा में था , उसका सांवला रंग धुप में और भी चमक रहा था ,, पानी की बुँदे उसके शरीर से होकर गिर रही थी। उसके सुर्ख होंठ धीरे धीरे कुछ बुदबुदा रहे थे। काशी बस एकटक उसे देखे जा रही थी। उसे शक्ति के अलावा जैसे वहा कुछ भी दिखाई ना दे रहा हो। ना उसे ठण्ड का अहसास हो रहा था ना ही कुछ सुनाई दे रहा था बस कानो में शंख/घंटियों की मधुर आवाजे और सामने खड़ा शक्ति।
शक्ति ने जैसे ही अपनी आँखे खोली कुछ ही दूर सीढ़ियों पर खड़ी काशी उसे नजर आयी। उसका दिल धड़क उठा उसने देखा की उसने ऊपर कुछ नहीं पहना है और काशी एकटक उसे देखे जा रही है तो उसे थोड़ी शर्म महसूस होने लगी वह कंधो तक वापस पानी में चला गया। काशी ने देखा तो उसे समझ आया की उसे शक्ति को ऐसे घूरकर नहीं देखना चाहिए था। वह जल्दी से पलट गयी और कहा,”सॉरी सॉरी सॉरी वो हम तुम्हे ऐसे देख रहे थे , हमारा कोई गलत इरादा नहीं था। एक्चुअली हम तुमसे ही मिलने आये थे वो हमे ना तुमसे बहुत जरुरी बात करनी थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बात तो हमे तुमसे उस दिन भी करनी थी लेकिन तुम्हारा गुस्सा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बाप रे बाप हम तो डर ही गए थे हमे लगा कही हम पर ही न चिल्ला दो , लेकिन तुम चले गए उसके बाद तुम दोबारा हमे मिले ही नहीं , पर जब तुमने हमे लेटर भेजा हम तो खुश हो गए और तुमसे मिलने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए काशी खुश होकर जैसे ही पलटी शक्ति वहा नहीं था। उसने फिर इधर उधर देखा शक्ति फिर गायब।
“शक्ति,,,,,,,,,शक्ति,,,,,,,,,,,,!!!”,काशी ने आवाज दी
“दीदी शक्ति भैया तो कब का चले गए”,वही पास खड़े एक नाव वाले ने कहा
”हाँ,,,,,,,,कहा गया वो ?”,काशी ने हताश होकर पूछा
“वो जा रहे है , वहा देखिये उपर”,नाव वाले ने कहा तो काशी ने पलटकर देखा। शक्ति उसे घाट से बाहर जाते दिखा काशी भी उसकी तरफ दौड़ पड़ी। सीढिया चढ़ते हुए वह आकर शक्ति के सामने खड़ी हो गयी। शक्ति ने काशी को अपने सामने देखा तो साइड से निकलने को हुआ लेकिन यहाँ भी काशी उसके सामने आ गयी , शक्ति ने फिर से साइड से निकलने की कोशिश की तो काशी फिर उसके सामने आ गयी और इस बार शक्ति को थोड़ा सा गुस्सा आ गया तो उसने कहा,”क्या है ?”
काशी पहले तो मुस्कुराई और फिर कहा,”हमारे पास तुम्हारी एक चीज है जानना चाहोगे वो क्या है ?”
“हम्म्म !”,शक्ति ने कहा
“लेकिन उस से पहले तुम्हे हमारे साथ एक कप चाय पीनी होगी वो भी कुल्हड़ वाली”,काशी ने कहा
“हमे नहीं पीनी”,शक्ति ने कहा
“पी लो ना क्या हम इतने बुरे है , वैसे भी उस दिन जब तुम चोरो की तरह हमारे घर आये थे तब हमने पापा को बताया नहीं था वरना तो तुम गए होते,,,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा तो शक्ति उसे देखने लगा काशी ने आगे कहा,”हमने तुम्हे बचाया इसलिए तुम अब चाहो तो हम पर फेवर कर सकते हो,,,,,,,,,,,,,,एक चाय ही तो है , पैसे हम दे देंगे”
काशी ने इतनी मासूमियत से कहा की शक्ति उसे ना नहीं कह पाया और साथ चल पड़ा। दोनों घाट से निकलकर सड़क किनारे आ गए। चलते हुए एक बाइक तेजी से काशी की बगल से निकली शक्ति ने देखा तो काशी को बचाने के लिए उसे अपनी तरफ खींच लिया और बाइक वाले पर चिल्लाया लेकिन बाइक तो जा चुकी थी। खुद को शक्ति की बांहो काशी उसके चेहरे की तरफ देखने लगी। शक्ति ने जैसे ही काशी को देखा दोनों के दिल धड़क उठे।

Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55 Main Teri Heer – 55

गौरी के आने की खबर से वंश इतना खुश क्यों है ? क्या काशी और शक्ति इस मुलाकात के बाद आएंगे एक दूसरे के करीब ? क्या शक्ति रख पायेगा खुद को काशी से दूर या पड़ जाएगा उसके प्यार में ? जानने के लिए पढ़ते/सुनते रहे “मैं तेरी हीर”

“वो जा रहे है , वहा देखिये उपर”,नाव वाले ने कहा तो काशी ने पलटकर देखा। शक्ति उसे घाट से बाहर जाते दिखा काशी भी उसकी तरफ दौड़ पड़ी। सीढिया चढ़ते हुए वह आकर शक्ति के सामने खड़ी हो गयी। शक्ति ने काशी को अपने सामने देखा तो साइड से निकलने को हुआ लेकिन यहाँ भी काशी उसके सामने आ गयी , शक्ति ने फिर से साइड से निकलने की कोशिश की तो काशी फिर उसके सामने आ गयी और इस बार शक्ति को थोड़ा सा गुस्सा आ गया तो उसने कहा,”क्या है ?”
काशी पहले तो मुस्कुराई और फिर कहा,”हमारे पास तुम्हारी एक चीज है जानना चाहोगे वो क्या है ?”
“हम्म्म !”,शक्ति ने कहा
“लेकिन उस से पहले तुम्हे हमारे साथ एक कप चाय पीनी होगी वो भी कुल्हड़ वाली”,काशी ने कहा
“हमे नहीं पीनी”,शक्ति ने कहा
“पी लो ना क्या हम इतने बुरे है , वैसे भी उस दिन जब तुम चोरो की तरह हमारे घर आये थे तब हमने पापा को बताया नहीं था वरना तो तुम गए होते,,,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा तो शक्ति उसे देखने लगा काशी ने आगे कहा,”हमने तुम्हे बचाया इसलिए तुम अब चाहो तो हम पर फेवर कर सकते हो,,,,,,,,,,,,,,एक चाय ही तो है , पैसे हम दे देंगे”
काशी ने इतनी मासूमियत से कहा की शक्ति उसे ना नहीं कह पाया और साथ चल पड़ा। दोनों घाट से निकलकर सड़क किनारे आ गए। चलते हुए एक बाइक तेजी से काशी की बगल से निकली शक्ति ने देखा तो काशी को बचाने के लिए उसे अपनी तरफ खींच लिया और बाइक वाले पर चिल्लाया लेकिन बाइक तो जा चुकी थी। खुद को शक्ति की बांहो काशी उसके चेहरे की तरफ देखने लगी। शक्ति ने जैसे ही काशी को देखा दोनों के दिल धड़क उठे।

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 56

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