Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 54

Main Teri Heer – 54

Main Teri Heer
Main Teri Heer

किशोर ने मुन्ना के हाथ पर छपा महादेव देखा तो उसका हाथ पकड़ लिया और कहा,”तुम,,,,,,,,तो क्या उस रात तुमने मुझे वो फाइल दी थी”
मुन्ना ने किशोर की तरफ देखा और कहा,”हम अपने उसूल किसी के लिए नहीं तोड़ते है सर पर बात फॅमिली की आये तो हम हड्डिया तोड़ने से भी पीछे नहीं हटते। अगर हमारे पापा गलत होते तो आज सलाखों के पीछे वो भी होते। सच क्या था आप भी जानते है और हम भी लेकिन पापा से आपको इतनी खुन्नस क्यों है ये हम आज तक नहीं समझ पाए ?”
“ऐसी बात नहीं है मुन्ना विधायक जी से मुझे कोई खुन्नस नहीं है मैंने बस उन्हें समझने में भूल कर दी”,किशोर ने हताश होकर कहा
“सर जो जैसा दिखता है वो वैसा बिल्कुल नहीं होता है। आप भी एक ईमानदार ऑफिसर है हम जानते है बस कुछ लोगो की बातो में आकर आपने,,,,,,,,,,,,,,,खैर हम आपका सस्पेंशन आर्डर तो नहीं रुकवा सकता लेकिन हाँ पापा से रिक्वेस्ट कर सकते है की वो आपसे मिल ले”,मुन्ना ने कहा
“अरे दरोगा जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सामने से मुरारी ने किशोर की तरफ आते हुए कहा हालाँकि किशोर मन ही मन परेशान था जबकि मुरारी के होंठो पर मुस्कान थी। मुरारी मुन्ना और किशोर के पास आया और कहा,”बिल्कुल सही टाइम पर आये है दरोगा जी अभी हमारे कुछ पार्टी कार्यकर्ताओ ने बताया की आपने तो कमाल ही कर दिया। बहुत बहुत बधाई वैसे आपको”
“सर आप हमसे नाराज नहीं है ?”,किशोर ने हैरानी से पूछा
“नाराज तो इतना है की बीच में से फाड़कर सूखा दे तुमको लेकिन हम कल वाली बात को भूल चुके है तुम भी भूल जाओ। तुम पुलिसवाले हो तुमरा काम है लोगो पर शक करना अब चाहे वो आम जनता हो या नेता कानून की नजर में सब बरोबर है,,,,,,,,,,,,,का समझे ?”,मुरारी ने कहा
“हमे माफ़ कर दीजिये विधायक जी हमने आपको समझने में देर कर दी”,किशोर ने कहा
“अरे दरोगा जी हम कोई गणित का सवाल है जो हमे समझना है,,,,,,,,,,,,,,खैर छोड़िये ये सब आईये पतंग उड़ाते है”,मुरारी ने कहा किशोर ने देखा वह बिल्कुल भी नाराज नहीं लग रहा था। किशोर ने मुन्ना की तरफ देखा तो मुन्ना मुस्कुरा कर वहा से चला गया। मुरारी ने किशोर को चलने का इशारा किया तो किशोर मुरारी के पीछे पीछे चलने लगा। सभी पतंगबाजी और खाने पीने का लुफ्त उठाने लगे।

राजन अपने पापा की गिरफ्तारी को लेकर परेशान था उसने शहर में रहने वाले अपने ताऊजी से बात की और जैसे तैसे प्रताप को वहा से निकाला लेकिन केसर , कमिशनर सर और सी.एम. का निकलना मुश्किल था क्योकि सारे सबूत उनके खिलाफ थे। प्रताप भी कुछ दिनों के लिए शांत हो गया सी.एम. से हाथ मिलाना उसे भारी पड़ गया था। प्रताप के बड़े भाई ने उसे इन सब लोगो से दूर रहने को कहा। मुन्ना ने अपने पापा से बात की तो उन्होंने किशोर का सस्पेंशन आर्डर रुकवा दिया। इन कुछ दोनों में विष्णु और शक्ति बनारस से गायब थे कोई नहीं जानता था की दोनों कहा है लेकिन उनका यहाँ ना होना उनके लिए एक प्लस पॉइंट था।

उसी शाम बाबा घर के बाहर आँगन में उदास से बैठे किसी किसी सोच में डूबे हुए थे शिवम् ने देखा तो उनके पास चला आया। शिवम् उनके पास आ बैठा और बड़े ही प्यार से कहा,”बाबा क्या बात है आप कुछ उदास नजर आ रहे है ?”
बाबा ने शिवम् की ओर देखा और कहने लगे,”शिवा आज तक तुमने हमरी हर बात मानी है कभी किसी बात के लिए ना नहीं कहा है। कल तक तू हमारे सामने बच्चा था और आज देख हम दादा बन गए है। वक्त कितनी जल्दी गुजर जाता है बेटा , बीते दिनों में जो कुछ हुआ है उसके बाद से ही मन कुछ शांत नहीं है और अब उम्र भी हो चली है। हम तुमसे कुछ माँगे तो तुम मना तो नहीं करोगे ना बेटा ?”,बाबा ने कहा
“कैसी बातें कर रहे है बाबा ये सब आपका ही है आप बेझिझक हमसे अपने मन की बात कह सकते है”,शिवम् ने उनके हाथो को थामकर कहा
“हम चाहते है मरने से पहले हम काशी शादी के जोड़े में देखे ,,, जे ही हमरी आखरी इच्छा है। कल शाम मिश्रा जी का फोन आया था हमारे पास नोयडा वाले लड़के के बारे में बात कर रहे थे , 4 दिन बाद वो उसके घरवाले बनारस आएंगे तुम चाहो तो हम लड़के से मिल सकते है”,बाबा ने कहा
बाबा की बात सुनकर शिवम् थोड़ा सोच में पड़ गया वह नहीं चाहता था की इतनी जल्दी काशी की शादी हो। इस साल काशी का ग्रेजुएशन होने वाला था और उसके बाद उसे M.BA करना था।
शिवम् को चुप देखकर बाबा ने कहा,”शिवा हम तुम पर कोई दबाव नहीं बना रहे है बेटा , वैसे भी लड़का देखने में कोई बुराई नहीं है बेटा ,, काशी बिटिया को पसंद ना आये तो रिश्ता नहीं करेंगे”
“बाबा वो बात नहीं है दरअसल काशी की पढाई अभी पूरी नहीं हुई है ऐसे में ये शादी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,शिवम् आगे कहता इस से पहले ही सारिका उनके लिए चाय ले आयी और चाय का कप बाबा की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”चाचा जी बता रहे थे की काशी शादी के बाद भी अपनी पढाई जारी रख सकती है लड़के वालो को कोई ऐतराज नहीं है”
“सरु तुम्हे ये सब,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् को हैरानी हुई
“हमने ही सारिका बिटिया को सब बताया अब तुम तो काम और बाकी चीजों में इतना व्यस्त रहते हो तुम्हे कहा बच्चे बड़े होते दिखेंगे,,,,,,,,,,,,,,सारिका बैठो बिटिया”,बाबा ने कहा तो सारिका सामने पड़े मूढ़े पर बैठ गयी
“देखो काशी तुम दोनों की बेटी है उसकी आगे की जिंदगी के लिए तुम दोनों को फैसला लेना होगा। हमारे बच्चो ने अपनी पसंद से शादी की और परिस्तिथिया ऐसी थी की हम तुम सबकी शादी धूम धाम से नहीं कर पाए लेकिन काशी बिटिया की शादी हम धूम-धाम से करना चाहते है। हमने अपनी जिंदगी जी ली है बेटा हमारे पास अब बस थोड़ी उम्र और बची है ,, काशी की शादी हमारी आँखों के सामने हो तो हम सुकून से मर सकेंगे”,बाबा कहते कहते भावुक हो गए
“बाबा ऐसा मत कहिये , हम काशी से बात करके उसे घर आने को कहते है। जैसा आप चाहेंगे वैसा ही होगा”,शिवम् ने बाबा के हाथो को अपने हाथो में लेकर विश्वास के साथ कहा।
“हाँ बाबा आप हमसे बड़े है काशी के लिए आप गलत फैसला नहीं लेंगे , पर हम चाहते है की इन सब में काशी की भी इच्छा पूछी जाये”,सारिका ने कहा
“बिल्कुल बिटिया अगर काशी को लड़का पसंद नहीं आया तो बात आगे नहीं बढ़ाएंगे”,बाबा ने कहा
“ठीक है बाबा , हम काशी को फोन करके आते है”,कहते हुए शिवम् उठा और चला गया। सारिका भी वही बैठी थी उसने बाबा की तरफ देखा और कहा,”बाबा हम जानते है इस परिवार की सुरक्षा को लेकर आप बहुत चिंतित है लेकिन चिंता मत कीजिये महादेव है ना वो सब ठीक कर देंगे”
“बिटिया काशी इह घर की लाड़ली है हम नहीं चाहते की बनारस के बुरे लोगो का साया भी उस पर पड़े इहलिये चाहते है की हमरे जीते जी कोई हो जो उसका हमेशा ख्याल रखे , उसे उतना ही प्रेम करे जितना हम सब ने किया , उसे हर ख़ुशी दे और उसकी रक्षा करे”,बाबा ने कहा
“बाबा चिंता मत कीजिये काशी बहुत समझदार है , वो जहा भी जाएगी उस घर में खुशिया बिखेर देगी ,, चलिए अंदर चलते है”,सारिका ने कहा और बाबा को लेकर अंदर चली आयी।

इंदौर , मध्य प्रदेश
गौरी के घर में बिस्तर पर लेटी काशी उस खत को देखे जा रही थी। गौरी कॉफी लेकर आयी और कहा,”तुम्हारे मिस्टर शक्ति इस लेटर से निकलकर बाहर नहीं आने वाले है , ये लो अपनी कॉफी”
काशी उठकर बैठ गयी और कॉफी लेते हुए कहा,”पता है टेक्नोलोजी ने ना ये प्यार मोहब्बत का मजा ही किरकिरा कर दिया है। आजकल सब चैट और विडिओ कॉल पर ही रोमांस करते है और फिर उतनी ही जल्दी बोर भी हो जाते है लेकिन ऐसे किसी को लेटर लिखना कितना रोमांटिक होता है ना”
“काशी कभी कभी लगता है तुम बहुत बोरिंग हो , सच में,,,,,,,,,,,,,,आज के ज़माने में ये लेटर लिखने वाले , पोएट्री लिखने वाले लोग कहा होते है और अगर होते भी है तो मैं यकीन के साथ कह सकती हूँ वो भी तुम्हारी तरह बोरिंग होते होंगे”,गौरी ने कॉफी पीते हुए कहा
“अच्छा छोडो ये सब एग्जाम्स की डेट कब है ? इस बार हमने बिल्कुल पढाई नहीं है तुम हमारी हेल्प कर देना ना”,काशी ने भी कॉफी पीते हुए कहा
“कल से कॉलेज की एक वीक की छुट्टी है में बी उसके बाद डेट्स पता चले , और तुम ये प्यार व्यार का चक्कर छोडो और पढाई में ध्यान दो”,गौरी ने कहा
“हम्म्म्म”,काशी ने कहा। कुछ देर बाद उसका फोन बजा देखा शिवम का है तो उसने कप रखा और फोन उठाकर खिड़की के पास आकर कहा,”हेलो”
“कैसी हो बेटा ? हमने डिस्टर्ब तो नहीं किया ?”,शिवम् ने पूछा
“हम ठीक है पापा , आप कैसे है ?”,काशी ने पूछा
“हम ठीक है , अच्छा आपकी पढाई कैसी चल रही है ?”,शिवम् ने पूछा
“कहा पापा ? कॉलेज में कुछ प्रॉब्लम चल रहा है तो उस वजह से एक हफ्ते के लिए कॉलेज बंद है”,काशी ने कहा। शिवम् ने सूना तो उसे ये वक्त सही लगा काशी से बात करने का और उसने कहा,”अच्छा बेटा हमे आपसे कुछ जरुरी बात करनी है। एक हफ्ते कॉलेज बंद है तो क्यों ना आप बनारस आ जाये ?”
“बनारस ? ऐसे अचानक सब ठीक तो है ना पापा ?”,काशी ने चिंता जताते हुए कहा
“हाँ बेटा सब ठीक है कुछ दिन पहले बाबा की तबियत काफी खराब थी हमने आपको बताया नहीं ताकि तुम परेशान ना हो। कल मकर सक्रांति थी सब जमा थे आप नहीं थी। सरु भी आपको बहुत याद कर रही थी तो हमने सोचा क्यों ना आप बनारस आ जाये ?”,शिवम् ने काशी से असल वजह छुपाते हुए कहा
“हाँ पापा हम आ जायेंगे”,काशी ने खुश होकर कहा गौरी बस बैठे बैठे उसे देख रही थी।
“हमने आपके नाना जी से बात की थी वो भी आ रहे है। हमने वही से आपके लिए गाड़ी बुक करवा दी आप सम्हलकर अपने नाना नानी के साथ आईयेगा”,शिवम् ने कहा
“पापा क्या हम अपने दोस्तों को भी साथ ला सकते है ?”,काशी ने पूछा
“हाँ बिल्कुल , आप उन्हें बनारस लेकर आईये उन्हें अच्छा लगेगा”,शिवम् ने कहा
“थैंक्यू पापा ,, अपना ख्याल रखियेगा बाय”,कहकर काशी ने फोन काट दिया
शिवम् से बात करके काशी वापस गौरी की तरफ आयी तो गौरी ने कहा,”तू पागल हो गयी है क्या फिर से बनारस क्यों जा रही है ? ये एक हफ्ते हम सब ग्रुप स्टडी करने वाले थे”
“शक्ति से मिलने , वैसे भी जब तक हम उस से मिल नहीं लेते हम ना ठीक से पढ़ पाएंगे ना सो पाएंगे,,,,,,,,,,,,,,,,गौरी चलते है ना क्या जब देखो तब पढाई। हमने पापा से बात कर ली है उन्होंने कहा है तुम सबको भी साथ लाने को,,,,,,,,,,,,,,चलो पैकिंग करते है”,काशी ने ख़ुशी से खिलखिलाते हुए कहा
“लगता है उसके प्यार में पूरी तरह पागल हो चुकी हो तुम , खैर ऋतू और प्रिया से भी पूछ लेना वो दोनों भी चलेगी या नहीं ?”,गौरी ने अपनी कॉफी खत्म कर कप रखते हुए कहा
“हम दोनों तैयार है”,ऋतू और प्रिया ने कमरे में आते हुए कहा
“तुम दोनों बाहर छुपकर हमारी बातें सुन रही थी ?”,गौरी ने घूरते हुए कहा
“नहीं हम दोनों इसलिए आये है क्योकि आज हमे निकिता की बर्थडे पार्टी में जाना था लेकिन अब पार्टी केंसल अब तो बनारस जाने की तैयारी करेंगे”,ऋतू ने बैठते हुए कहा
“हाँ वहा वंश भी होगा,,,,,,,,,,,,,,,,!”,प्रिया ने शरारत से कहा
“मुझे तो मुन्ना से मिलना है,,,,,,,,,!!”,ऋतू ने कहा
“तुम दोनों फिर शुरू हो गयी,,,,,,,,,काशी तुम घर जाकर अपनी पेकिंग शुरू करो और हां मुझे फोन कर देना सुबह कब निकलना है ?”,गौरी ने कहा
काशी चली गयी और ऋतू प्रिया भी उसके साथ ही निकल गयी।

अगली सुबह शिवम् ने जो गाडी बुक करवाई थी वो अधिराज जी के घर के सामने आकर खड़ी हो गयी। अधिराज जी अम्बिका जी और काशी तीनो अपने अपने सामान के साथ तैयार खड़े थे। काशी अपनी दोस्तों का इंतजार कर रही थी लेकिन तीनो ही नहीं आयी तो काशी ने गौरी को फोन लगाया। कुछ देर बाद गौरी ने फोन उठाया तो काशी ने कहा,”कहा रह गए तुम लोग ? हम कबसे तुम्हारा वेट कर रहे है”
“मॉम हॉस्पिटल में है यार , ऋतू और प्रिया भी मेरे साथ ही है”,गौरी ने उदासी भरे स्वर में कहा
“क्या हुआ आंटी को ? वे ठीक तो है ना हम अभी आते है”,काशी ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“मॉम ठीक है काशी , अच्छा सुनो मैं अभी तुम्हारे साथ नहीं जा पाऊँगी एक काम करो तुम नानू नानी के साथ चली जाओ मैं बाद में आ जाउंगी”,गौरी ने कहा
“लेकिन तुम अकेले कैसे आओगी ?”,काशी ने उदास होकर कहा
“डोंट वरी ऋतू और प्रिया भी मेरे साथ आ जाएँगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,सॉरी काशी”,गौरी ने कहा
“ए पागल हो क्या ? तुम आंटी का अच्छे से ख्याल रखो जब वो ठीक हो जाये तब आना,,,,,,,,,,,,हमे अभी निकलना होगा हम तुमसे थोड़ी देर में बात करते है”,काशी ने कहा और फोन काट दिया
ड्राइवर ने सामान रखा। अधिराज जी आगे बैठ गए और अम्बिका जी काशी के साथ पीछे। गाड़ी बनारस के लिए निकल गयी।

Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54 Main Teri Heer – 54

आखिर बाबा ने अचानक क्यों की काशी के रिश्ते की बात ? क्या होगा जब बनारस पहुंचते ही काशी को पता चलेगा उस लेटर का सच ? क्या गौरी आ पायेगी बनारस ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहिये “मैं तेरी हीर”

अगली सुबह शिवम् ने जो गाडी बुक करवाई थी वो अधिराज जी के घर के सामने आकर खड़ी हो गयी। अधिराज जी अम्बिका जी और काशी तीनो अपने अपने सामान के साथ तैयार खड़े थे। काशी अपनी दोस्तों का इंतजार कर रही थी लेकिन तीनो ही नहीं आयी तो काशी ने गौरी को फोन लगाया। कुछ देर बाद गौरी ने फोन उठाया तो काशी ने कहा,”कहा रह गए तुम लोग ? हम कबसे तुम्हारा वेट कर रहे है”
“मॉम हॉस्पिटल में है यार , ऋतू और प्रिया भी मेरे साथ ही है”,गौरी ने उदासी भरे स्वर में कहा
“क्या हुआ आंटी को ? वे ठीक तो है ना हम अभी आते है”,काशी ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“मॉम ठीक है काशी , अच्छा सुनो मैं अभी तुम्हारे साथ नहीं जा पाऊँगी एक काम करो तुम नानू नानी के साथ चली जाओ मैं बाद में आ जाउंगी”,गौरी ने कहा
“लेकिन तुम अकेले कैसे आओगी ?”,काशी ने उदास होकर कहा
“डोंट वरी ऋतू और प्रिया भी मेरे साथ आ जाएँगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,सॉरी काशी”,गौरी ने कहा
“ए पागल हो क्या ? तुम आंटी का अच्छे से ख्याल रखो जब वो ठीक हो जाये तब आना,,,,,,,,,,,,हमे अभी निकलना होगा हम तुमसे थोड़ी देर में बात करते है”,काशी ने कहा और

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 55

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