“मैं तेरी हीर” – 43
Main Teri Heer – 43
Main Teri Heer – 43
अनु मुरारी से नाराज थी और ऐसे में मुरारी का अपसेट होना बनता था लेकिन अभी मुरारी को किसी जरुरी काम से शिवम् से मिलना था इसलिए मुरारी शिवम् से मिलने चला गया। मुन्ना और वंश अपने कॉलेज के लिए निकल गए। साल का आखरी महीना था और कॉलेज का आखरी साल भी इसलिए मुन्ना का ध्यान अपनी पढाई के साथ साथ अपने प्रोजेक्ट्स पर भी था। वही वंश अपनी पढाई को लेकर एकदम लापरवाह।
मुरारी शिवम् के घर आया , नहर वाले प्रोजेक्ट पर उन्हें सब मंजूरी मिल चुकी थी बस अब कोई अच्छा मुहूर्त निकलवाकर शुगर फैक्ट्री शुरू करवानी थी इसी सिलसिले में मुरारी और शिवम् बैठकर बात कर रहे थे। उन्होंने बाकि दो लोगो को भी बुलवा लिया जिन्होंने प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन दी थी बस प्रताप को नहीं बुलाया क्योकि बीते दिनों में जो कुछ भी हुआ मुरारी नहीं चाहता था की उसकी भनक भी शिवम को लगे। सभी बैठकर बाते कर ही रहे थे की तभी 2 बड़ी बड़ी गाड़िया आकर शिवम् के घर में रुकी मुरारी और बाकि सब हैरानी से उन गाड़ियों को देखने लगे। गाड़ी से प्रताप और उसके कुछ आदमी उतरे , दूसरी गाड़ी से एक दो महिलाये भी जो की शायद प्रताप के घर से थी। उन्ही के साथ आये चार नौकर जिनके हाथ में बड़े बड़े थाल थे और जिनमे रंगीन चमचमाती पन्नियों में लिपटा सामान था। प्रताप मुस्कुराते हुए शिवम् की तरफ आया। उसके नौकर और बाकि लोग एक तरफ आकर खड़े हो गए। शिवम् उठ खड़ा हुआ वह बस प्रताप की आँखों को देखे जा रहा था और समझने की कोशिश कर रहा था की आखिर प्रताप के दिमाग में क्या चल रहा है ?
“जे सब का है प्रताप ? जे अपनी बारात लेकर काहे आये हो यहाँ ?”,मुरारी ने अपनी आँखों पर लगा चश्मा उतारते हुए कहा
“मुरारी,,,,,,,,,,,जब भी बोलोगे कठोर ही बोलोगे ,, हम यहाँ बारात लेकर नहीं आये है ना ही दुश्मनी निभाने आये है बल्कि किसी नेक इरादे से यहाँ आये है”,प्रताप ने अपने शब्दों में चाशनी घोलते हुए कहा
“तुम्हारे इरादे कबसे नेक हो गए प्रताप”,शिवम् ने कहा
प्रताप मुस्कुराया और कहने लगा,”हमने बहुत सोचा शिवा जे दुश्मनी , नफरत , बदले की भावना जे सब ना बख्त की बर्बादी है। हमारी आपसी दुश्मनी की वजह से बनारस के लोगो को कई बार परेशान होना पड़ा है। पर जब से तुम सीमेंट गोदाम का और हम अपना कपड़ो का व्यापर सम्हाले है तब से बनारस में शांति का माहौल है। हमरे बच्चे अब बड़े हो रहे है और हम नहीं चाहते की हमारी दुश्मनी को हमारे बच्चे आगे लेकर जाये , इसलिए हम सोचे है की पुरानी बातो को भूलकर एक नए रिश्ते की शुरुआत की जाये”
“हम भी सोच रहे है विधायकी छोड़ के पान की दुकान लगा ले”,मुरारी ने कहा
“का हंसी ठिठोली कर रहे हो मुरारी ?”,प्रताप ने कहा
“तुम का हमारी साली हो जो हंसी ठिठोली करेंगे तुमसे”,मुरारी ने कहा
“मुरारी एक मिनिट,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने मुरारी को शांत रहने का इशारा किया
शिवम् ने प्रताप के चेहरे की और देखा जिस पर कपट साफ़ नजर आ रहा था उसने कहा,”जो है साफ साफ कहो प्रताप”
“हम भी सीधा मुद्दे पर आते है शिवा , दरअसल बात ऐसी है की राजन हमारा इकलौता बेटा है और तुम्हारी बिटिया का नाम है उसका,,,,,,,,,,हाँ काशी उह भी सादी लायक हो चुकी है। हमार बिटवा तुम्हारी बिटिया को बहुते पसंद करता है इहलीये हम उसका रिश्ता लेकर आये है तुम्हारी बिटिया के लिए,,,,,,,,,,,,,पुरानी दुश्मनी भूलकर रिश्ता जोड़ना चाहते है तुमसे,,,,,,,,,जे शगुन लाये है इसे स्वीकार करो”,प्रताप ने कहा
प्रताप की बात सुनकर शिवम् ने अपने दाँत भींच लिए , हाथो की मुठ्ठिया कस ली , उसका मन किया इसी वक्त प्रताप का गला पकड़ ले और पूछे की उसकी हिम्मत कैसे हुई काशी का नाम लेने की ? लेकिन शिवम् और प्रताप के अलावा भी वहा और लोग मौजूद थे। शिवम् को चुप देखकर मुरारी ने कहा,”अबे सुबह सुबह चढ़ा के आये हो का ? तुमको खुद समझ आ रहा है तुमहू का कह रहे हो ?”
“जो कह रहे है तुम सबके भले के लिए ही कह रहे है मुरारी , और फिर इह मा बुराई ही का है दुश्मनी खत्म कर रिश्ता जोड़ने में”,प्रताप ने बेशर्मी से कहा
“प्रताप दुश्मनी खत्म करने का तुमने ये तरिका ढूंढा है , तुमने सोच भी कैसे लिया की हम हमारी बेटी की शादी तुम्हारे लड़के से करेंगे ? पहली बार था इसलिए जाने दे रहे है अगली बार से ऐसा कुछो तुम्हारे मुंह से निकला तो जबान खींच लेंगे तुम्हारी ,, काशी हमारी बेटी है कोई भेड़ बकरी नहीं जिसे किसी भी खूंटे से बाँध दिया जाए”,शिवम् ने गुस्से से प्रताप की आँखों में देखते हुए कहा
“जे लो कर लो बात हम साला सब भूलकर तुमको एक्को ऑप्शन दे रहे थे और तुमहू हो के हमारे ही सर पर चढ़े जा रहे हो। हमारे बेटे को काशी ही चाहिए उह भी फुल रिस्पेक्ट के साथ इसलिए जे रिश्ता लेकर आये है तुम्हारे घर वरना तो कब का उठवा लिए होते”,प्रताप अपने असली रूप में आ गया
मुरारी ने जैसे ही सूना उसकी कॉलर पकड़ ली और कहा,”अबे ए परतापवा भैया की वजह से चुप है नहीं तो अभी ज़िंदा गाड़ देते तुम्हे जमींन में , हमारी बेटी को उठ्वाओगे तुम,,,,,,,,,,,,,,,,जानते भी हो कहा खड़े हो ?”
प्रताप मुस्कुराया और कहा,”हमारी कॉलर पकडने का अंजाम शायद तुम नहीं जानते हो मुरारी ,, कुर्सी के दम पर तुम बनारस की पब्लिक को डरा सकते हो हमको नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,लो जरा बात करो”,कहते हुए प्रताप ने किसी का नंबर डॉयल किया और मुरारी की तरफ बढ़ा दिया
मुरारी ने फोन कान से लगाया तो दूसरी तरफ से सी.एम. सर ने कहा,”ये सब क्या है मुरारी ? हमने तुमसे कहा था की थोड़ा शांत रहो ,, प्रताप से हाथ मिला लो”
“जे आप का कह रहे है सर ? कल तक तो आप बनारस के हित की बातें कर रहे थे और आज जे धोखबाज इंसान से हाथ मिलाने को कह रहे है”,मुरारी ने गुस्से से कहा
“मुरारी सारा पैसा हित में लगा देंगे तो इलेक्शन में क्या करेंगे ? आने वाले इलेक्शन में प्रताप से डोनेशन मिला है इसलिए जो हम कह रहे है वो करो,,,,,,,,,,,,,,,हमे किसी तरह का प्रपंच नहीं चाहिए। जय हिन्द”,कहकर उन्होंने फोन काट दिया
मुरारी की भँवे तन गयी उसने फोन प्रताप की ओर बढ़ा दिया और कहा,”तुम्हारे जितना घटिया आदमी हमने हमारी जिंदगी में नहीं देखा प्रताप , भाड़ में गयी कुर्सी तुम्हारी ऐसी की तैसी साले,,,,,,,,!!”,कहते हुए मुरारी ने प्रताप को दो तीन घुसे दे मारे शिवम् ने नहीं रोका होता तो मुरारी उसका कचूमर बना देता। सारिका और बाबा घर में नहीं थे बस आई थी शोर सुनकर वह बाहर चली आयी उसे मामला कुछ समझ नहीं आया शिवम् ने वही खड़े दीना से आई को अंदर लेकर जाने का इशारा किया और प्रताप से कहा,”देखो प्रताप हम नहीं जानते तुम जे सब क्यों कर रहे हो ? पर हम इतना जरूर जानते है की अगर 5 मिनिट के अंदर अंदर तुम इन सबको यहाँ से लेकर नहीं गए तो हम भूल जायेंगे की हम कहा खड़े है और तुम्हारा वो हाल करेंगे की तुम सोच भी नहीं पाओगे। बेहतर होगा तुम यहाँ से चले जाओ और तुम और तुम्हारा बेटा काशी का ख्याल दिमाग से निकाल दो”
प्रताप ने गुस्से से शिवम् को देखा और कहा,”इसकी बहुते बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी तुमको शिवम् गुप्ता , तुम्हारी बिटिया की शादी हमारे ही घर में होगी जे जान लो तुम”
उधर मुरारी गुस्से से लाल-पीला हो रहा था लेकिन शिवम के आदमियों ने उसे पकड़ा हुआ था। प्रताप ने अपने साथ आये लोगो से चलने को कहा उसने शगुन का सामान वही शिवम् के घर में फेंका और चिल्लाकर कहा,”हम यहाँ पुरानी दुश्मनी खत्म करने आये थे शिवा लेकिन तुमने उस दबी हुई चिंगारी को फिर से भड़का दिया है और इसका खामियाजा तुमको भुगतना पडेगा”
प्रताप अपने आदमियों के साथ वहा से चला गया। जैसे ही गाड़िया घर से निकली मुन्ना और वंश अपनी बाइक लिए अंदर आये। घर का माहौल देखकर दोनों समझ गए की यहाँ जरूर कुछ बड़ा हुआ है। वंश ने बाइक साइड में लगाईं और मुन्ना के साथ शिवम् की तरफ चला आया। मुरारी ने अपने आपको छुड़ाया और शिवम् की तरफ आकर कहा,”जे ठीक ना कर रहे हो भैया आप ? इतना अच्छा भी नहीं बनना है की प्रताप जैसे दो कोड़ी के आदमी हमे धमका कर चले जाये। सी.एम. का हाथ सर पर है तो का कुछ भी करेगा उह ? हम बता रहे है भैया अगर इह प्रतापवा को सबक नहीं सिखाये ना तो ससुरा एक दिन हमारे ही सर पर तांडव करेगा इह”
मुरारी की बातें सुनकर वंश को समझते देर नहीं लगी की प्रताप ने कुछ गड़बड़ की है उसने आगे आकर कहा,”मुरारी चचा ठीक कह रहे है पापा , प्रताप की आपसे दुश्मनी है और उसका बेटा हमसे और मुन्ना से उलझता रहा है।”
“वंश तुम अंदर जाओ”,शिवम् ने सहजता से कहा
“लेकिन पापा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने शिवम् की बात ना सुनकर बहस की
“वंश हमने कहा अंदर जाओ”,शिवम् ने इस बार गुस्से से वंश को देखकर कहा तो वंश सहम गया और पैर पटकते हुए अंदर चला गया। मुन्ना भी उसके पीछे जाने लगा तो शिवम् ने कहा,”तुम रुको मुन्ना”
“जी”,कहकर मुन्ना वही रुक गया। शिवम् ने मुरारी को देखा जो की काफी गुस्से में था। फैक्ट्री के लिए वहा आये लोगो से शिवम् ने माफ़ी मांगी और उन्हें जाने को कहा। उनके जाने के बाद मुरारी ने कहा,”मामला अब समझने समझाने का नहीं है भैया जे प्रताप की हिम्मत कुछो ज्यादा ही बढ़ गयी है , हम अभी कमिशनर से बात करके इह ससुरे को अंदर करवाते है”
“मुरारी शांत हो जाओ , झगडे का हल झगड़ा नहीं होता है तुमको का लगता है कमिशनर प्रताप को समझायेगा और प्रताप समझ जाएगा।”,शिवम् ने कहा
“तो फिर हम ही उसका मेटर क्लोज कर देते है”,मुरारी ने गुस्से से कहा
“नहीं मुरारी तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे , यहाँ के लोगो का तुम पर विश्वास है अब तुम ही ऐसा करोगे तो का फर्क रह जाएगा तुम में और उसमे , और तुम्हारी जे कुर्सी भी चली जाएगी”,शिवम् ने कहा
“अरे जाती है तो जाये कुर्सी लेकिन उसको हम छोड़ेंगे नहीं”,मुरारी जैसे कुछ सुनने को तैयार ही नहीं था। शिवम् उसके पास आया उसके चेहरे को अपने हाथो में थामा और उसकी आँखों में देखते हुए कहने लगा,”मुरारी कुर्सी रहेगी तो तुम्हारे हाथ में पावर रहेगा और अगर पावर रहेगा तो तुम कभी भी प्रताप को सबक सीखा सकते हो। उसने जे सब जान बुझकर किया है ताकि हम उसकी बातो में फंसकर कुछ उलटा सीधा कदम उठाये और शुगर फैक्ट्री का काम रुक जाये। उह फैक्ट्री बनना बहुते जरुरी है मुरारी हजारो लोगो की उम्मीदे जुडी है उस से , सेंकडो लोगो का रोजगार जुड़ा है , हमारा सपना जुड़ा है ,, हमारी बात को समझो और शांत रहो जे सब हम सही करेंगे हम वादा करते करते है”
शिवम् की बात कुछ कुछ मुरारी को समझ आ रही थी उसने हामी भर दी। शिवम् मुन्ना की तरफ पलटा और कहा,”मुन्ना”
“जी बड़े पापा”,मुन्ना ने कहा
“प्रताप के पास जो पैसा है वो दो नंबर का है , उस पैसे को छुपाने के लिए ही उसने ये कपड़ो का व्यापार शुरू किया है। तुम्हे कम्प्यूटर और इंटरनेट का काफी ज्ञान है तुम हमारे लिए उसकी सारी डिटेल्स निकालोगे।”,शिवम् ने कहा
“पर ये तो गलत है ना बड़े पापा”,मुन्ना ने कहा
“तो का तुमने हमसे छुपकर आज तक कुछो काम नहीं किया है”,शिवम् ने कठोरता से कहा
“ए मुन्ना शिवम् भैया जो कह रहे है उह काहे नहीं करते ?”,मुरारी ने कहा तो शिवम् ने उसे रोक दिया और मुन्ना से कहने लगा,”देखो मुन्ना गलत क्या है सही क्या ये हम भी जानते है। हम तुम्हे किसी सही आदमी को परेशान करने के लिए नहीं कह रहे है बल्कि एक गलत आदमी के गलत काम का पता लगाने को कह रहे है। कोई जोर जबरदस्ती नहीं है तुम्हे सही लगे और तुम्हारा दिल इस बात की गवाही दे तब ही तुम ये काम करना ,, जो पैसा प्रताप ने छुपाया है वो बनारस के लोगो की मेहनत से कमाया हुआ पैसा है,,,,,,,,,,,,आगे तुम्हारी मर्जी”
कहकर शिवम् मुरारी को लेकर वहा से चला गया। मुन्ना सोच में पड़ गया एक तरह से शिवम् का कहना भी सही था तो दूसरी तरफ किसी की इजाजत के बिना उसका डाटा निकालना भी गलत था। इसी उलझन से झूंझता मुन्ना अंदर चला आया उसे वंश का ख्याल आया और वह उसके कमरे में चला आया। वंश उदास सा खिड़की के पास खड़ा था। मुन्ना उसके पास आया और खिड़की के दूसरी तरफ खड़ा हो गया। कुछ देर बाद वंश ने कहा,”पापा मुझे कभी नहीं समझते मुन्ना , उन्हें लगता है मैं बच्चा हूँ ये सब चीजे नहीं समझ पाऊंगा”
“ऐसा नहीं है वंश उन्होंने तुम्हे इसलिए भेजा क्योकि उन्हें पता था उनकी बातें सुनकर तुम्हे गुस्सा आ जाएगा”,मुन्ना ने वंश के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तो वंश ने अपना कन्धा झटक दिया और आकर बिस्तर पर बैठते हुए कहा,”तू भी उनकी साइड ले रहा है , मुझे एक बात बता ये दुश्मनी ये झगडे कब तक चलेगा ये सब। हम सब यहाँ से कही और क्यों नहीं चले जाते ? बचपन से मैं यही सब देखता आ रहा हूँ और इन्ही सब की वजह है मेरा ये गुस्सा ,, गुस्सा आता है मुझे जब कोई ऐसे हमारे घर आकर पापा को धमकी देकर चला जाता है और वो शांत रहने के लिए कहते है , इस घर में माँ है , आई-बाबा है , काशी है किसी पर भी मुसीबत आ सकती है पापा इस बात को समझते क्यों नहीं ?
चलो मान लिया झगड़े का हल झगड़ा नहीं होता लेकिन कोई तुम्हारे एक गाल पर मारे तो तुम उसके दोनों गालो पर मारने की हिम्मत रखो पर पापा उनके रूल्स कहते है की कोई एक गाल पर मारे तो दुसरा गाल भी आगे कर दो , एक दिन तो सामने वाला पिघलेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,पिघलेगा माय फुट , प्रताप और राजन जैसे लोग इस जन्म में तो कभी नहीं सुधरेंगे मुन्ना,,,,,,,,,,,,,,,दे ब्लडी मोरोन”
वंश ने गुस्से में जो मुंह में आया बक दिया मुन्ना शांति से सब सुनता रहा और फिर आकर उसके सामने बैठ गया और कहने लगा,”वंश वो हमारे पापा है हमारा अच्छा बुरा वो हमसे बेहतर जानते है। जब एक बुरा आदमी अच्छा बनता है तो वो सिर्फ इस बात से डरता है की कही वो फिर से बुरा ना बन जाये , बड़े पापा तुमसे हमसे और काशी से बहुत प्यार करते है वंश सिर्फ इसलिए वो ऐसी हर बात को शांति से सुलझाने की कोशिश करते है ताकि हम पर कोई आंच ना आये। हमारे पापा तुम्हारी तरह गुस्से वाले है पुरे बनारस में किसी की नहीं सुनते लेकिन वो भी बड़े पापा की बात मानते है क्योकि वो जानते है की बड़े पापा सही है , वो गलत फैसले नहीं लेंगे। अपने पापा को समझने की कोशिश करो वंश,,,,,,,,,,,,,,,,,वो किसी बात से नहीं डरते सिवाय इस बात के की कही उनकी दुश्मनी की वजह से उनके परिवार को कुछ ना हो जाये और सिर्फ इसलिए वो हमेशा वहा भी झुक जाते है जहा उन्हें झुकने की जरूरत नहीं होती है। ये सब हम इसलिए नहीं कह रहे है की हम उनसे डरते है बल्कि इसलिए कह रहे है क्योकि हम उनकी बहुत रिस्पेक्ट करते है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अभी तुम्हे हमारी बात समझ नहीं आयेगी पर एक दिन आएगी जरूर”
कहकर मुन्ना उठा और वहा से चला गया। मुन्ना की बाते वंश के दिमाग में घूमने लगी। वंश जितना गुस्से वाला था उसका मन उतना ही साफ था और इस घर में सिर्फ मुन्ना था जो उसे हर मुश्किल से मुश्किल बात समझा सकता था। मुन्ना के जाने के बाद वंश कई देर तक अपने पापा के बारे में सोचता रहा और फिर उठकर नीचे चला आया। वंश ने देखा शिवम् घर में कही नहीं है वह शिवम् के कमरे के सामने चला आया लेकिन दरवाजे पर ठिठक गया। अंदर अपनी आराम कुर्सी पर बैठा शिवम् परेशान सा सोच में डूबा अपना सर सहला रहा था। वंश को अच्छा नहीं लग रहा था वह अंदर आया और कहा,”पापा”
“हाँ , क्या हुआ कुछ चाहिए तुम्हे ?”,शिवम् जैसे नींद से जागा हो
“आई ऍम सॉरी पापा , मुझे आपसे बहस नहीं करनी चाहिए थी। आज के बाद मैं कभी गुस्सा नहीं करूंगा”,कहते हुए वंश की आँखे ना जाने क्यों नम हो गयी शायद पहली बार शिवम् से इस तरह बात कर रहा था।
“हम्म कोई बात नहीं”,शिवम् ने सहजता से कहा
वंश का दिल किया जाकर एक बार अपने पापा को गले लगा ले लेकिन इतनी हिम्मत नहीं हुई और वह कमरे से बाहर चला आया।
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क्या प्रताप शिवम् के सामने खड़ी करेगा कोई नयी मुसीबत ? क्या वंश अपनी बात पर कायम रहेगा ? क्या मुन्ना करेगा शिवम् के लिए काम ? जानने के लिए सुनते रहे “मैं तेरी हीर”
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क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 44
Read More – “मैं तेरी हीर” – 42
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संजना किरोड़ीवाल
Very beautiful
Amazing story
Very nice part 👌
As always superb superb superb superb superb superb superb superb superb superb superb superb superb part 👌👌👌👌👌👌 eagrly waiting for the next 👌👌👌👌👌
interesting
Very nice
Bhut kuch hone wala h agey k part m
Sweet😊
Nice story
Nice👍
Vansh ko samjha tho aay ki uska Papa Sahi hai.
Ye to ab sajisho or ladai jhde ka ghr hone wala hh 🙄🙄🙄
Emotional v tha or gussa v aaya partap pe