Sanjana Kirodiwal

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Main Teri Heer – 4 ( Love Story )

Main Teri Heer – 4

Main Teri Heer – Season 4 by Sanjana Kirodiwal

मुरारी ख़ामोशी से आदमी की तरफ देख रहा था जिसने मुरारी की गर्दन पर छुरा रखा था। मुरारी एकटक उसे देखते रहा और फिर एकदम से रो पड़ा। मुरारी को रोते देखकर आदमी परेशान हो गया उसने गले के सामने से छुरा हटाया और उठते हुए कहा,”अरे अरे बिधायक जी का हुआ ? रो काहे रहे है ,, हमहू कुछो जियादा डरा दिये का ? अरे यार चुप हो जाओ मतलब तुम तो थमने का नाम ही ना ले रहे”


मुरारी ने रोना जारी रखा और वही पास पेड़ के पास पत्थर पर आकर बैठ गया और सुबकने लगा। आदमी भी उसके पास आया और बगल में उकडू बैठकर कहा,”का हुआ कुछो बताओगे ?”
मुरारी ने रोते हुए आदमी की तरफ देखा और उसके गले में पड़ा गमछा निकालकर उस से अपने आँसू पोछे और साथ में अपनी नाक भी पोछ ली। गमछा आदमी की तरफ  बढ़ाया तो आदमी ने उसे हरकत भरी नजरो से गमछे को देखा और ऊँगली की चुटकी से पकड़कर साइड में डाल दिया।


आदमी ने वही नीचे पड़ा लड़की का एक तिनका उठाया और अपने दाँत कुरेदते हुए कहा,”यार देखो बिधायक जी चाकू के डर से रोने वाले तो तुमहू हो नाही नाही ही हमने अभी तक तुमको कोनो नुकसान पहुंचाया तो फिर जे रोना धोना काहे ?”
मुरारी ने बोलना शुरू किया,”एक जमाना था जब तुम्हरी तरह हम भी बनारस मा खुले सांड बनके घुमत रहे।

जिसको मन हुआ गरिया दिए , जिसको मन हुआ पेल दिहिस ,अस्सी पर चाय तो साला दशाश्वमेध घाट पर नाश्ता करते थे और गोदौलिया के लिट्टी चोखा की तो बात ना पूछो,,,,,,,,,,,बॉलीवुड में सलमान तो साला बनारस की गलियों में हम फेमस रहे है लड़कियों के बीच पर मजाल है किसी के चक्कर मा पड़ जाये पर साला जबसे हमरी सादी हुई है और जे बिधायक बने तब से सब बंद हो गवा,,,,,,,,,,,,,,,,,अरे लोँडिया के चक्कर में साला कब हम रंगबाज से घरबाज बन गए पता ही नहीं चला,,,,,,,,,,,,आज तुमको देखा तो हमको हमरे वही पुराने दिन याद आ गए।”


मुरारी की बात सुनकर आदमी ने कहा,”अरे जे का कह दिए बिधायक जी , सादी की याद काहे दिला दिये ?”
मुरारी अब तक आदमी के मुंह से बार बार बिधायक सुनकर चिढ चुका था क्योकि हमारा मुरारी अब विधायक तो रहा नहीं था इसलिये उसने आदमी को खींचकर एक थप्पड़ मारा। आदमी का पूरा संतुलन बिगड़ गया और उसने लड़खड़ाते हुए कहा,”अब जे का था ?”


“जे था कंटाप , साले ए ठो बात बताय दे रहे है तुमको हर सफ़ेद कुर्ते वाला आदमी बिधायक नहीं होता है। हाँ पाहिले थे हम पर अब ना है का है साला बीवी बच्चे के चक्कर में जे सब छोड़ना पड़ा,,,,,,,,,,,,का है कि फॅमिली इम्पोर्टेन्ट है।”,मुरारी ने कहा तो आदमी ने डरते डरते हां में गर्दन हिला दी।
कुछ देर पहले जो आदमी छुरी दिखाकर मुरारी को डरा रहा था अब उसी के बगल में उकडू बैठा उस से डर रहा था।


मुरारी ने आदमी को देखा और कहा,”तुम शादी के नाम पर काहे बिलबिलाये ? साले तुमको देखकर तो हम भी सोक में है कि तुमरे जैसे आदमी की भी सादी हो सकती है ,, इतना गुटखा खाये हो की सब दाँत रंग लिए हो। बिमल पान मसाला वालो को तबियत से अपने दाँत दिखा दो न तो अजय देवगन को हटाकर तुमको स्पॉन्सरशिप दे देंगे”
“का बताये बिधा,,,,,,,,,,,,,,हमरा मतलब का बताये बाबू , सादी के बाद हमरी जिंदगी कितनी झंड हो गयी है।”,आदमी ने रोते हुए कहा


“पहिले तो हमको इह बताओ हम तुम्हरी गर्लफ्रेंड है जो बाबू कहिके बुलाय रहे हो हमे ? ह,,,,,,,,,,, भादो के मेला मा साथ मा फोफिया खाये रहय हमरे साथ,,,,,,,,,,,साले टाइम पास ना करो हमरे साथ यही पटक के पेल देंगे,,,,,,,,मुरारी कुमार मिश्रा नाम है हमरा तो तुम हमको का बुलाओगे,,,,,,,,मिश्रा जी , का बोलोगे ?”,मुरारी ने आदमी को झिड़कते हुए कहा
“मि मि मिश्रा जी,,,,,,,,!”,आदमी ने हड़बड़ाते हुए कहा
“बहुत सही अब जल्दी से अपनी राम कथा सुनाओ हमको निकलना भी है यार,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने अपना एक पैर दूसरे पैर पर रखा और हाथो को गर्दन के पीछे लगाकर कहा


“वही तो हम कह रहे मिश्रा जी सारे फसाद की जड़ ना जे सादी है , सादी से पहिले कितना खुश रहल हम पर जबसे सादी हुई है हमरा जीना हराम हुई गवा है। बनारस में इतना काम धंधा नहीं इहलीये दिहाड़ी करके जो मिलता जितना मिलता उसमे गुजारा कर लेते। पहिले अकेले थे तो काम चल जाता था पर जब से सादी हुई है बीवी का लाली पोडर लाते लाते कंगाल हो चुके है बीवी ने धमकी दी कि उनको चाहिए लेक्मे का फाउंडेशन अब भले उसके लिये चोरी करे चाहे किसी का गला काटे,,,,,,,,,,,,,,

तुमहू पहिले कस्टमर थे तुम्ही धर लिये बोहनी भी ना होने दी हमरी , बस इहलीये अब रोना आ रहा है।”,आदमी ने अपनी कहानी कह सुनाई
मुरारी ने सुना तो उसे आदमी से हमदर्दी भी हुई और साथ ही गुस्सा भी आया उसने कहा,”तो इह तुमको सही रास्ता लगा पैसे कमाने का , अरे श्रृंगार तो औरत का हक़ है और हम मर्दो का फर्ज है उनकी खाहिस पूरी करना,,,,,,,,,,,तुमरे वाली तो फाउंडेशन मांग रही हमरे वाली तो हार में मानी है,,,,,,,,,,,,,,,रे भैया जे औरत जात को कोई न समझ सकी है पर तुमहू जो कर रहे उह काम भी ठीक नहीं है।”


मुरारी ने जेब से एक कार्ड निकाला और आदमी की तरफ बढाकर कहा,”ए ठो काम करो जे कार्ड पकड़ो और इनसे जाकर मिलो , जे है हमरे शिवम् भैया इनकी सीमेंट फैक्ट्री में तुमको कोई ना कोई काम मिल जायेगा। और जे ल्यो तुम्हरी घरवाली के लिये फाउंडेशन खरीद लेना”
कहते हुए मुरारी ने एक 500 का नोट निकालकर आदमी की तरफ बढ़ा दिया


“आपका जे अहसान हम कबो ना भूले है,,,,,,,,,,,बिधायक जी”,आदमी ने रोते हुए कहा
“अबे फिर गलत बोल रहे हो , बिधायक नहीं है हम,,,,,,,,,,साले भाग जाओ हिया से हमरे जले पर नमक ना छिड़को”,मुरारी ने झल्लाते हुए कहा  

आदमी वहा से चला गया तो मुरारी ने घडी में समय देखा विधायक ऑफिस पहुँचने में मुरारी काफी लेट हो चूका था इसलिए जल्दी से उठा और जीप में आ बैठा। उसने जीप स्टार्ट की और वहा से निकल गया। जीप चलाते हुए मुरारी ने जीप के साइड मिरर में खुद को देखा तो उसका हाथ अपने आप मुछो पर चला गया और वह खुद में ही बड़बड़ाया,”साला लगते तो आज भी हमहू विधायक ही है , फिर से इलेक्शन मा खड़े हो जाए का ?”
मुरारी ने मन ही मन फैसला किया और जीप की स्पीड बढ़ा दी।

दोपहर के खाने के बाद गौरी हॉल में बैठी नंदिता के आने की राह देख रही थी। आखिर उसे सगाई में आने वाले मेहमानो के लिये तोहफे जो सेलेक्ट करने थे ,गौरी अपनी सगाई की तैयारी बड़े जोरो शोरो से कर रही थी। नंदिता पिछले कुछ वक्त से घर की बालकनी में खड़ी फोन पर किसी से बात कर रही थी। गौरी ने एक बार फिर झांककर देखा और नंदिता को आवाज दी,”मम्मा ! आ जाओ ना मुझे और भी बहुत काम है,,,,,,,,!!”


“बस आयी , अच्छा किट्टो इस वेडनसडे गौरी की सगाई है और तुम्हे जरूर आना है। भूलना मत ,, ठीक है , चल बाय ,, अपना ख्याल रखना”,कहते हुए नंदिता हॉल में आयी और गौरी के साथ नीचे आ बैठी
“मम्मा ! किस से बात कर रही थी आप ? आपको पता है ना घर में कितने सारे काम है,,,,,,,,,,,,अब इन गिफ्ट्स को पैक करने में मेरी मदद कीजिये”,गौरी ने कहा
“किट्टो मौसी का फोन था,,,,,,,,,,,,,,उन्हें तेरी सगाई में इंदौर आने के लिये कहा है।”,नंदिता ने बॉक्स जमाते हुए कहा


“वाओ , किट्टो मौसी,,,,,,,,,,,मेरी बात क्यों नहीं करवाई उनसे,,,,,,,,,,वैसे अच्छा है वो मेरी सगाई में आएगी तो उनके लिये भी कोई हैंडसम सा लड़का ढूंढ दूंगी मैं,,,,,,!!”,गौरी ने खुश होकर कहा
“इसका बस चले तो ये सबकी शादी करवा दे,,,,,,,,!!”,जय ने सोफे पर पसरते हुए कहा
“ओह्ह्ह हेलो तुम्हारी शादी करवाकर मुझे किसी लड़की की जिंदगी खराब नहीं करवानी है,,,,,,,,,,,,,वैसे भी तुमसे शादी करने के लिये कौन हाँ करेगी ?”,गौरी ने अपने भाई जय का मजाक उड़ाते हुए कहा

“गौरी , वो तुम्हारा छोटा भाई अभी उसकी उम्र है क्या शादी की ?”,नंदिता ने गौरी को आँखे दिखाते हुए कहा
“अह्ह्ह वो सब छोड़िये ये बताईये किट्टो मौसी ने और क्या कहा ? वो कितने दिन पहले आ रही है मैं उनसे आखरी बार तब मिली थी जब मैं 10th में थी,,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सो एक्साइटेड टू मीट हर,,,,,,,!!”,गौरी ने खुश होकर कहा
“उसने कहा है वो सगाई वाले दिन पहुँच जायेगी,,,,,,,,मैं भी चाहती हूँ किट्टो अब किसी को पसंद कर शादी कर ले , आखिर कितने साल वो ऐसे ही जिंदगी जीने वाली है।”,नंदिता ने सोच में डूबकर कहा


“ओह्ह्ह कम ऑन मम्मा , इस बार मैं किट्टो मौसी को मान से मिलवाउंगी , मान किट्टो मौसी के सामने एक बढ़िया स्पीच देगा और किट्टो मौसी फ्लेट,,,,,देखना वो भी मान से इम्प्रेस हो जाएगी और उसकी बात नहीं टालेगी,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“गौरी मानवेन्द्र जी तुम्हारा होने वाले पति है कम से कम उनके नाम के आगे जी तो लगा सकती हो ना तुम,,,,,!!”,नंदिता ने गौरी को डांटते हुए कहा


“इस जी का तो पता नहीं बेचारी जीजाजी का जी जरूर निकलने वाला है , उनको अभी पता है किस तूफान को अपने घर लेकर जा रहे है वो,,,,,,!!”,कहते कहते जय उठा और गौरी के बाल खींचकर वहा से चला गया।
“अह्ह्ह्ह जय के बच्चे,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी कहते हुए उठी और जय के पीछे गयी लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया जिस तरफ से वह गुजर रही है उस तरफ सामान रखा था जैसे ही गौरी आगे बढ़ी सामान भी गौरी के साथ आगे बढ़ गया और गौरी लड़खड़ाकर गिर पड़ी।

उसके बाल बिखर गए। वह खुद को सम्हाल पाती इस से पहले ही उसका फोन बजा और गौरी ने गिरे गिरे ही अपना फोन उठाया और कहा,”हेलो !”
“हे गौरी ! क्या कर रही हो ?”,दूसरी तरफ से मुन्ना की आवाज उभरी
मुन्ना की आवाज सुनते ही गौरी सब भूल जाया करती थी इसलिए कहा,”मैं गिर गयी हूँ”
“गिर गयी हो ? लेकिन कहा ?,”मुन्ना ने हैरानी से पूछा


“अह्ह्ह्ह तुम्हारे प्यार में,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने वही जमीन पर पलटते हुए कहा और इसी के साथ टेबल पर रखे गिफ्ट्स भी उसके ऊपर आ गिरे। नंदिता ने देखा तो अपना सर पीटते हुए कहा,”हाह ! इस लड़की का कुछ नहीं हो सकता,,,,,,,,,!!”
दूसरी तरफ मुन्ना ने गौरी की बात सुनी तो मुस्कुराये बिना ना रह सका आखिर अपनी प्रेमिका से ये सुनना भला किस लड़के को अच्छा नहीं लगेगा।

शक्ति से नाराज होकर काशी घर चली आयी। दोपहर के खाने के सामने अधिराज जी ने देखा काशी नहीं आयी है तो उन्होंने अम्बिका से कहा,”अम्बिका जी ! काशी कहा है क्या वो आज खाना नहीं खायेगी ?”
“गौरी के घर से तो काशी सुबह ही वापस आ गयी थी उसके बाद मैंने उसे नहीं देखा शायद अपने कमरे में होगी,,,,,,,,,,!!”,अम्बिका ने अधिराज जी की प्लेट में खाना परोसते हुए कहा
“आज सुबह बनारस से फोन आया था , अनु बता रही थी मंगलवार दोपहर तक वे लोग इंदौर पहुँच जायेंगे।

बुधवार को सगाई है , सगाई के बाद बच्चे कुछ दिन यही रुकेंगे बाकि सब मेहमान अगले दिन निकल जायेंगे। गौरी मुन्ना की सगाई के बहाने ही सही कितने दिनों बाद एक साथ होंगे।”,अधिराज जी ने कहा
“हाँ मैंने भोला से कहकर ऊपर के सभी कमरों की अच्छे से सफाई करवा दी है और कुछ एक्सट्रा मेटर्स भी मंगवा लिए है।

अनु को तो आप जानते ही है उसने सब पहले ही बता दिया,,,,,,,,,,,,ये लड़की भी ना बेटे की सगाई करने जा रही है लेकिन बचपना अभी तक नहीं गया है उसका।”,अम्बिका जी ने बैठते हुए कहा
“उसे हमसफ़र भी तो ऐसा ही मिला है जिसने अब तक उसके बचपने को बचाकर रखा।”,अधिराज जी ने खाना खाते हुए कहा
दोनों बाते करते हुए खा ही रहे थे कि तभी हाथ में डिब्बा लिये शक्ति वहा आया

“अरे शक्ति बेटा , आओ बैठो खाना खाओ,,,,,,,,!!”,अधिराज जी ने कहा
“सबसे पहले आप लोग ये मिठाई खाइये,,,,,,,,,,,हमारा प्रमोशन हुआ है ,, आपका आशीर्वाद चाहिए”,कहते हुए शक्ति ने अधिराज जी को मिठाई का टुकड़ा खिलाया और उनके पैर छू लिये।
“खूब आशीर्वाद बेटा , खूब तरक्की करो”,कहते हुए अधिराज जी ने शक्ति को मिठाई खिला दी। शक्ति ने अम्बिका जी को भी मिठाई खिलाकर उनके पैर छुए और फिर उनके बगल में आ बैठा


“काशी दिखाई नहीं दे रही,,,,,,!!”,शक्ति ने अपने लिये प्लेट में खाना लेते हुए कहा
“उसे पता नहीं क्या हुआ है ? सुबह मुझसे कहा कि गौरी के घर जाना है उसके बाद वहा से वापस आयी और अपने कमरे में चली गयी तब से अपने कमरे में ही है।”,अम्बिका जी ने कहा
“अरे उसका मन नहीं होगा खाने का वो बाद में खा लेगी”,अधिराज जी ने कहा
“हमे पता है उसका मन क्यों नहीं है ?”,शक्ति ने कहा


“क्यों ?”,अधिराज जी ने पूछा
“बस ये समझ लीजिये नानाजी कि आपकी ये काशी हमे बहुत तंग करने वाली है,,,,,,,,,,,,हम उसे लेकर आते है।”,कहते हुए शक्ति उठा और काशी के कमरे की तरफ बढ़ गया।
काशी के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था शक्ति धीरे से धकेलकर अंदर आया। कमरे का नजारा देखकर शक्ति मुस्कुरा उठा। काशी बिस्तर पर उलटे लेटे गुलाब के फूल कीपंखुड़ियों को एक एक करके तोड़ रही थी। उसने एक पंखुड़ी तोड़ते हुए कहा,”शक्ति हम से प्यार करता है।”


अगले ही पल उसने दूसरी पंखुड़ी तोड़ी और कहा,”शक्ति हम से प्यार नहीं करता।”
काशी के पीछे खड़ा शक्ति ख़ामोशी से सब देख रहा था और काशी के इस बचपने पर मन ही मन मुस्कुरा भी रहा था। काशी ये दोनों बातें बोलते हुए एक के बाद एक सभी पंखुड़ियों को तोड़ते जा रही थी। सबसे आखरी पंखुड़ी जैसे ही तोड़ने लगी शक्ति ने कहा,”शक्ति तुम से प्यार करता है काशी और यही सच है।”


काशी ने जैसे ही शक्ति की आवाज सुनी अपनी गर्दन घुमाई और हैरानी से शक्ति को देखा। शक्ति को लेकर उसका जो गुस्सा था वो अगले ही पल गायब हो गया और काशी मुस्कुरा दी
उसकी ये मुस्कराहट ही तो थी शक्ति का असली सुकून,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!!

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