Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 34

Main Teri Heer – 34

Main Teri Heer

Main Teri Heer – 34

राजन सिटी हॉस्पिटल में एडमिट था। मुरारी वंश से अच्छा खासा नाराज था। प्रताप गुस्से में था और अपने बेटे को मारने वाले को ढूंढ रहा था। किशोर मुरारी और प्रताप के बैकग्राउंड के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहा था तो वही शिवम् नहर वाली फाइल के गायब होने से परेशान था। काशी , अंजलि और वंश घर चले आये। काशी की दिवाली की छुट्टिया पूरी हो चुकी थी और उसे वापस इंदौर जाना था क्योकि उसे एग्जाम्स की तैयारी भी करनी थी।
दोपहर तक सी.एम. सर भी आ चुके थे शिवम् मीटिंग के लिए चला गया साथ ही उसने मुरारी को भी आने को कह दिया।
कुछ देर बाद सभी मीटिंग रूम में थे प्रताप भी वहा मौजूद था उसकी आँखों से गुस्सा साफ झलक रहा था लेकिन एक रहस्य्मयी ख़ुशी भी उसके चेहरे से झलक रही थी जिसकी वजह थी हाथ में पकड़ी वो फाइल। उस फाइल में क्या था ये कोई नहीं जानता था। मुरारी ने एक नजर प्रताप को देखा और फिर शिवम् को देखा , शिवम् के चेहरे पर परेशानी के भाव देखकर मुरारी ने कहा,”का बात है भैया सब ठीक है ना ?”
“मुरारी दरअसल वो फाइल हमे मिल नहीं रही जिसमे नहर वाला प्रोजेक्ट था”,शिवम् ने धीरे से कहा तो मुरारी के चेहरे पर भी परेशानी के भाव उभर आये और उसने कहा,”जे का कह रहे हो भैया , प्रोजेक्ट तो दुसरा बनवा लेंगे पर उह फाइल में उन चार लोगो के दस्तखत भी है”
“हमे माफ़ कर दो मुरारी हमे समझ नहीं आ रहा की हम इतने गैर जिम्मेदार कबसे हो गए ?”,शिवम् ने उदास होकर कहा
“अरे भैया आप चिंतियाओ नहीं हमहू करते है कुछो जुगाड़”,मुरारी ने कहा
कुछ देर बाद ही सी.एम. सर मीटिंग रूम में आये तो सभी उनके सम्मान में खड़े हो गए। उन्होंने सबको बैठने का इशारा किया। कुछ जरुरी बातो के बाद उन्होंने शिवम् से कहा,”हाँ जी गुप्ता नहर वाले प्रोजेक्ट की फाइल दीजिये जरा , वैसे हमे आप पर पूरा भरोसा है पर सरकार तो कागजो पर चलती है ना”
शिवम् के पास कोई फाइल नहीं थी क्या देता उन्हें , प्रताप ने शिवम् को देखा और कहा,”मंत्री जी फाइल होगी तो देंगे ना”
“कहना क्या चाहते हो प्रताप ?”,मंत्री जी ने पूछा
“यही की नहर वाली जमीन चार लोगो के हिस्से में है , उन्ही में से एक हिस्सा गुप्ता जी का भी है पहले तो सबके सामने जमीन देने की हामी भर दी लेकिन लगता है अब इनका मन बदल गया है , क्योकि दो हफ्ते बाद जमीनों के दाम बढ़ने जो वाले है बनारस में”,प्रताप ने शिवम् को नीचा दिखाने के लिए कहा
“ए परतापवा जवान खींच लेंगे तुम्हारी अगर शिवम् भैया के बारे में कुछो बकवास की तो”,मुरारी के पीछे खड़े उसके आदमियों में से एक ने कहा
“हां तो हमने भी कोई चुडिया नहीं पहन रखी है”,उधर से प्रताप के आदमी ने कहा
बस फिर क्या था दोनों तरफ से शोर शराबा होने लगा , ये कर देंगे वो कर देंगे जैसी बातें होने लगी। मंत्री जी ने देखा तो कहा,”सब शांत हो जाओ , हम यहाँ आप लोगो का झगड़ा देखने नहीं आये है। अपने आपसी झगड़ो को मीटिंग रूम से बाहर सुलझाए तो बेहतर होगा”
मंत्री जी के कहते ही सब चुप हो गए और अपनी अपनी जगह बैठ गए। मुरारी चूँकि वहा विधायक था इसलिए उठा और कहा,”मांग कीजियेगा मंत्री जी , यहाँ मौजूद कुछ लोगो को अभी तमीज सिखने की जरूरत है। आप जिस फाइल की बात कर रहे है उह हमारे पास है , ये लीजिये”
कहते हुए मुरारी ने अपने पी.ए. को फाइल देकर मंत्री जी तक पहुँचाने का इशारा किया। मंत्री जी फाइल देखने लगे। शिवम और प्रताप दोनों ही हैरान थे शिवम् ने मुरारी की तरफ देखा तो मुरारी ने उसे आँखों ही आँखों में सब ठीक है का इशारा किया। वही प्रताप अपने हाथ में थामी फाइल को घूरे जा रहा था और सोच रहा था “अगर नहर वाली फाइल मुरारी के पास है तो उसके हाथ में कौनसी फाइल है ?”
मंत्री जी फाइल देखी , सभी पेपर्स देखे सब क्लियर था उन्होंने फाइल के आखिर में साइन किये और शिवम् को उस नहर वाली जमीन को इस्तेमाल करने की परमिशन दे दी। मंत्री जी वहा से जाने लगे उन्होंने मुरारी से बाहर आकर मिलने का इशारा किया। मुरारी उनके पास आया तो मंत्री जी कहने लगे,”बहुत सही काम कर रहे हो मुरारी , एक नेता का पहला फर्ज होता है खुद से पहले जनता के बारे में सोचना और तूम अपना फर्ज बखूबी निभा रहे हो”
“अरे सर ये कहकर शर्मिन्दा कर रहे है आप , आज जिस पद पर है उह बनारस की जनता ने बहुते भरोसे के साथ हमे सौंपा है , अब जब जनता हमरे लिए इतना कर सकती है तो हमारा भी फर्ज बनता है ना जनता के लिए कुछो करने का”,मुरारी ने कहा
“तुमसे मिलकर अच्छा लगा , ऐसे ही ईमानदारी से काम करते रहे तो एक दिन पुरे उत्तर-प्रदेश पर तुम्हारा राज होगा”,मंत्री जी ने कहा
मुरारी ने सूना तो मुस्कुराने लगा , मंत्री जी ने मुरारी की तरफ देखा और कहा,”बस थोड़ा सा हाथो को कंट्रोल में रखो , सुनने में आया की कोई आपकी बात ना सुने तो सीधा थप्पड़ रख देते हो”
“का करे सर आदत से मजबूर है , प्रेम की भाषा कोनो समझता ही नहीं है इहलिये कंटाप रखना पड़ता है”,मुरारी ने कहा
“कंटाप ?”,मंत्री जी ने पूछा
“अरे वही थप्पड़ , थप्पड़ को बनारस में कंटाप कहा जाता है”,मुरारी ने कहा
“तुम और तुम्हारी भाषा , हम चलते है। जय हिन्द”,कहकर मंत्री जी वहा से चले गए। मुरारी उन्हें जाते हुए देखता रहा। शिवम् मुरारी के पास आया और कहा,”मुरारी उह तुम्हारे पास कैसे आयी ? जब सुबह हमने पूछा था तब तो तुमने कहा था की फाइल के बारे में तुम्हे नहीं पता”
मुरारी मुस्कुराया और कहा,”माफ़ करना शिवम् भैया आपको परेशान करने का कोनो इरादा नहीं था। दिवाली वाली शाम तक फाइल आपके कमरे में ही थी लेकिन उसके बाद इसे किसी ने उठवा लिया था ताकि जे नहर वाले प्रोजेक्ट को बर्बाद कर सके”
“किसने ?”,शिवम् ने हैरानी से कहा
इतने में प्रताप आया तो मुरारी ने उसकी ओर इशारा करके कहा,”एक ही तो शुभचिंतक है बनारस में आपके”
“उह फाइल तुम्हारे पास कहा से आयी मुरारी ?”,प्रताप ने मुरारी को घूरते हुए पूछा
“प्रतापवा शिवम् भैया सीधे है हम नहीं , जिसको पैसे देकर फाइल उठवायी थी तुमने उसी से लेकर हमने फाइल बदल दी”,मुरारी ने कहा
“ये ठीक ना किया तुमने”,प्रताप ने कहा
“चोर के घर से कुछो चुराना चोरी थोड़े न है प्रताप ,, और साले तुमहू भी ना बैल हो कसम से मतलब एक्को बार फाइल खोलकर तो देख लेते अंदर का लिखा है
बस मुंह उठा के चले आये”,मुरारी ने कहा तो प्रताप ने फाइल को खोलकर देखा खाली पन्नो के सिवा उसमे कुछ नहीं था। ये देखकर प्रताप का गुस्सा और बढ़ गया और उसने मुरारी को घूरते हुए कहा,”तुमको छोड़ेंगे नहीं मुरारी”
“हमको बाद में पकड़ लेना पहले जाकर उनको पकड़ो जिन्होंने तुम्हारे बेटे को पीटा है”,मुरारी ने कहा
प्रताप पैर पटकते हुए वहा से चला गया। उसके जाने के बाद शिवम् ने मुरारी से पूछा,”इसके बेटे को क्या हुआ ?”
“कल रात किसी ने इसके बेटे को बहुते पीटा है , अस्पताल में भर्ती है अभी”,मुरारी ने दाँत खुजाते हुए कहा
“किसने मारा ? कही तुमने,,,,,,,,,,,,,,,,,,?”,कहते कहते शिवम् रुक गया
“अरे कैसी बातें कर रहे है भैया हम काहे मारेंगे ?”,मुरारी ने कहा
“मुरारी तुम हमसे कुछो छुपा तो नहीं रहे हो ना ?”,शिवम् ने मुरारी की ओर देखकर कहा
“भैया आजकल ना बहुते शक करने लगे हो आप हम पे , हम काहे छुपायेंगे ऐसी कोई बात आपसे ,, चलिए घर चलते है”,मुरारी ने कहा और गाड़ी की तरफ बढ़ गया।

दोपहर का समय , शिवम का घर
अपने कमरे में बैठी काशी अपना बैग पैक कर रही थी। वही अंजलि गुमसुम सी बैठी उसे देख रही थी। सारिका आज ओल्डएज होम नहीं गयी बल्कि वह भी अपने कमरे में बैठी अपने और शिवम् के कपडे और जरुरी सामान बैग में रख रही थी। आखिर काशी को इंदौर छोड़ने इसे बार शिवम् और सारिका जो जा रहे थे साथ में मुरारी और अनु भी।
काशी की नजर जब अंजलि के उदास चेहरे पर पड़ी तो उसने कहा,”क्या हुआ ऐसे मुंह क्यों लटका है तुम्हारा ?”
अंजलि ने एक गहरी साँस ली और कहने लगी,”काशी ये वक्त कितनी जल्दी बीत गया ना , इतने दिन से तुम हमारे साथ थी और कल सुबह वापस इंदौर चली जाओगी , हमे तुम्हारी बहुत याद आएगी काशी”
काशी ने सूना तो वह भी उदास हो गयी और अंजलि का हाथ थामकर कहने लगी,”मिस तो हम भी बहुत करने वाले है सबको , इस बार कुछ ज्यादा ही मन लग गया हमारा यहाँ। वंश भैया , मुन्ना भैया और तुम्हारे साथ कितना वक्त बिताया इस बार हमने वो सब अच्छी यादें हम इंदौर लेकर जाने वाले है।”
“फिर कब आओगी काशी ?”,अंजलि ने आँखों में आंसू भरते हुए कहा
“तीन महीने बाद मार्च में एग्जाम्स है हमारे उसके बाद ऍम.बी.ए. करने के लिए भी वही इंदौर में एडमिशन लेना होगा लगता है इस बार वापस आने में वक्त लगेगा। वैसे मिस अंजलि अगले साल तुम्हारे एग्जाम्स होने के बाद क्यों ना तुम भी इंदौर में ही एडमिशन ले लो ,, भुआ की टेंशन मत लो उनसे हम बात करेंगे न”,काशी ने खुश होकर कहा
“सच्ची ? वैसे भी मम्मी पापा तुम्हारी बात बिल्कुल नहीं टालेंगे , फिर तो हम दोनों साथ साथ पढ़ेंगे”,अंजलि ने भी इंदौर जाने के नाम से खुश होकर कहा
“श्श्श्शश धीरे , लेकिन इंदौर आने से पहले तुम्हे अच्छे नंबर से पास होना पडेगा”,काशी ने कहा
“हम्म्म वो तो हम कर लेंगे”,अंजलि ने कहा। काशी ने देखा उसकी मुस्कराहट वापस लौट आयी है वह एक बार फिर अपनी पैकिंग करने में बिजी हो गयी। अंजलि भी उसकी हेल्प करने लगी की अंजलि को अचानक कुछ याद आया और उसने कहा,”काशी वो लड़का कौन था ?”
लड़के का नाम सुनकर काशी के दिल की धड़कने बढ़ गयी उसके हाथ रुक गए और शक्ति का चेहरा उसकी आँखों के सामने घूमने लगा। अंजलि को शक ना हो जाये सोचकर काशी ने उसकी तरफ बिना देखे अपने कपडे रखते हुए कहा,”कौन लड़का ?”
“अरे वही जिसके साथ गलियारे में खड़ी थी तुम ? उस लड़के को ना हमने पहले भी कही देखा था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ याद आया याद है उस दिन जब मार्किट में अफरा तफरी मची थी उस दिन उसी लड़के ने तुम्हे उस बैल से बचाया था। तुम उसे जानती हो क्या ?”,अंजलि ने पूछा
काशी को जब पता चला की अंजलि शक्ति को देख चुकी है तो वह आकर अंजलि के सामने बैठी और कहने लगी,”अंजलि हम तुम्हे कुछ बताये तो तुम भरोसा करोगी ना ?”
काशी को इतना सीरियस अंजलि ने कभी नहीं देखा था इसलिए कहा,”हाँ बताओ क्या हुआ ?”
काशी ने अंजलि के हाथो को थाम लिया और कहने लगी,”उस शाम जब हम दोनों घाट पर गए थे तब हम फूल लेकर वापस आ रहे थे तब उस लड़के से पहली बार टकराये थे। इंदौर में हमारे साथ कई लड़के पढ़े है , साथ में बैठकर बाते भी की है लेकिन कभी किसी के साथ वो फीलिंग नहीं आयी जो उस लड़के को देखकर आयी थी। पता है एक पल के लिए तो हम उसकी आँखों में खो से गए थे। कितनी गहरी आँखे थी उसकी,,,,,,,,,,,उसके बाद दूसरी बार हम उनसे दिवाली वाली शाम मिले थे अपने ही घर में वो खिड़की से हमारे कमरे में आया था। उसे देखते ही हमारा दिल धड़कने लगा ना जाने क्यों ? हमारी नज़रे बार बार उसे देखना चाह रही थी”
“इसलिए उस रात तुम हमे कमरे में नहीं आने दे रही थी ?”,अंजलि ने बीच में ही बात काटते हुए कहा
“अंजलि पहले हमारी पूरी बात तो सुनो”,काशी ने कहा
“हाँ हाँ बोलो”,अंजलि ने कहा
काशी आगे कहने लगी,”हमे लगा वो चोर है लेकिन उसने कुछ नहीं चुराया , हम उस से कुछ पूछ पाते इस से पहले तुम आ गयी और वो चला गया। उस से हुई इन दो मुलाकातों ने हमे उलझन में डाल दिया था , पता नहीं क्यों पर हम उस से मिलना चाहते थे , जानना चाहते थे की आखिर वो कौन है और उसे देखते ही हमे फीलिंग क्यों आने लगती है ? कल दुप्पटे खरीदते वक्त जब वो हमारे पास से निकला तो हमने उसका पीछा किया और उसे साइड में लाकर पूछा की वो कौन है और हमारे घर क्यों आया था ? इतने में ही बारिश शुरू हो गयी और वो चला गया”,कहते हुए काशी थोड़ी उदास हो गयी
“हम्म्म तो ये बात है , तो उसने बताया या नहीं की कौन है वो ?”,अंजलि ने शरारत से पूछा लेकिन काशी उसका इशारा समझ नहीं पाई और कहा,”उसने सिर्फ अपना नाम बताया और कहा की ये बनारस ही उसका घर है जब भी उस से मिलना हो घाट पर आ जाये”
“तो क्या नाम है उसका ?”,अंजलि ने थोड़ा एक्साइटेड होकर पूछा
“शक्ति”,काशी ने बड़े ही प्यार से शक्ति का नाम लिया
“क्या बात है बड़े प्यार से नाम लिया जा रहा है , कही तुम्हे उस से प्यार तो नहीं हो गया ?”,अंजलि ने काशी को छेड़ते हुए कहा
काशी उठी और कमरे की खिड़की के पास चली आयी बाहर देखते हुए उसने कहा,”हमे नहीं पता अंजलि , हम कही भी रहे किसी के भी साथ रहे इन दिनों उसी के बारे में सोचते रहते है , जब भी उस से मिले है ऐसा लगा है जैसे हम उसे पहले से जानते हो ,, किसी अजनबी से मिलकर ऐसा पहली बार लगा है हमे। कुछ तो है जो हमारे मन में उतरते चला जा रहा है और वो क्या है हम नहीं जानते ? एक अजीब सी फीलिंग से घिरे हुए है , समझ नहीं आ रहा क्या करे ?”
अंजलि उठी और काशी की तरफ आते हुए कहा,”फिर तो तुम्हे घाट जाकर एक बार शक्ति से जरूर मिलना चाहिए। वही है जो तुम्हे तुम्हारे सवालो का जवाब दे सकता है , काशी अगर ये प्यार है तो बिलीव मी इस दुनिया की खूबसूरत फीलिंग्स से गुजरने वाली हो तुम और अगर नहीं तो कम से कम तुम्हारी टेंशन तो दूर होगी”
“हम उस से मिलने कैसे जा सकते है ? देखा ना तुमने कल क्या हुआ उसके बाद मुन्ना भैया ने साफ मना किया है हमे वहा जाने से और अगर वंश भैया को पता चला तो कही राजन की तरह वो शक्ति को भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं हम नहीं जायेंगे”,काशी ने डरते हुए कहा
“तुम ना बहुत डरपोक हो काशी मुन्ना भैया और वंश भैया को कौन बताएगा इस बारे में ? और वैसे भी ये आखरी मौका है उसके बाद पता नहीं तुम कब वापस आओगी ? आज शाम की गंगा आरती में चलते है अगर शक्ति तुम्हे वहा मिला तो तुम उस से ये सब पूछ लेना”,अंजलि ने कहा
“और अगर वो नहीं आया तो ?”,काशी ने मासूमियत से कहा तो अंजलि मुस्कुरा दी और कहा,”काशी दिल से पुकारो ना तो भगवान भी आ जाते है , और मेरा दिमाग कह रहा है की वो भी तुमसे मिलने के लिए इस वक्त ऐसे ही परेशान हो रहा होगा”
अंजलि की बातें सुनकर काशी सोच में पड़ गयी। पहले प्यार में अक्सर ऐसा ही होता है कुछ समझ नहीं आता , काशी के साथ भी यही हो रहा था। अंजलि काशी से छोटी थी लेकिन उसने काशी को अपनी बातो से और उलझा दिया था , अंजलि देखना चाहती थी आखिर कौन है वो शख्स जिसे देखकर काशी का ये हाल है ?

Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34 Main Teri Heer – 34

क्या काशी शक्ति से मिलने जाएगी ? क्या प्रताप पता लगा पायेगा राजन को किसने पीटा ? कॉलेज के इलेक्शन फॉर्म वाले दिन क्या होने वाला है नया ? जानने के लिए सुनते रहे “मैं तेरी हीर”

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 35

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