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मैं तेरी हीर – 27

Main Teri Heer – 27

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 27

 इंदौर , शिव-गौरी मंदिर
गौरी काशी के पीछे चली आयी। अधिराज जी , अम्बिका , गौरी और काशी ने शिव गौरी के दर्शन किये और सभी मंदिर की परिक्रमा करने लगे। अधिराज जी और अम्बिका साथ साथ आगे निकल गए। गौरी जल्दी जल्दी चल के काशी के बगल में आयी और कहा,”क्या हुआ शक्ति आने वाला था ना ? वो आया क्यों नहीं ?’
“इंस्पेक्टर साहब के पास मंदिर आने का टाइम नहीं है वो अपनी ड्यूटी में बिजी है।”,काशी ने मुंह बनाकर कहा


“ये लड़के ऐसा ही करते है। जब तक लड़की हाँ ना बोल दे तब तक उनसे कहते है कि तुम्हारे लिए वक्त ही वक्त है और जैसे ही लड़की ने हाँ कहा ये ऐसे बिजी हो जाते है जैसे पता नहीं दुनियाभर का काम इनके हिस्से में ही आया हो।”,गौरी ने कहा
“अब तुम्हे क्या हुआ है ? तुम क्यों इतना उखड़ी हुई हो ?”,काशी ने मंदिर के सामने आकर हाथ जोडते हुए कहा और अपनी आँखे मूंदकर प्रार्थना करने लगी। पास खड़ी गौरी काशी की प्रार्थना खत्म होने का इंतजार करने लगी।

काशी ने अपनी आँखे खोली पंडित जी को नमस्ते किया और उनसे गंगाजल लेकर उसे पीने के बाद बाकी सर से लगा लिया। गौरी ने भी गंगाजल पीया और फिर दोनों प्रशाद लेकर एक तरफ चली आयी।
“हाँ अब बताओ तुम्हे क्या हुआ ? तुम कब से लड़को की बुराई करने लगी। हमारे मुन्ना भैया तो तुम्हारे लिये परफेक्ट है ना,,,,,,,,,,फिर तुम्हे क्यों शिकायत है ?”,काशी ने प्रशाद खाते हुए कहा


“परफेक्ट और तुम्हारे मुन्ना भैया,,,,,,,,,,,हाहाहा मुझे भी ऐसा ही लगता था काशी लेकिन सच्चाई तो तुम मुझसे पूछो। वो कितना अजीब है मैंने उस से मिलने को कहा तो वो कहता है कि वो सगाई में आकर मुझसे मिलेगा,,,,,,,,,,,,,हमारी लव मैरिज होने वाली है और वो जरा भी एक्साइटेड नहीं है।”,गौरी ने मुन्ना की शिकायत करते हुए कहा
“हमारे मुन्ना भैया ऐसे ही है वो अपनी भावनाओ को ज्यादा शो नहीं करते,,,,,,,,,,,लेकिन शक्ति , उस से तो हम आज बहुत गुस्सा है पहले उसने हम से कहा वो आएगा और नहीं आया”,काशी ने उदास होकर कहा


“काशी शक्ति एक पुलिसवाला है इसलिए उसके पास जिम्मेदारियां भी तो ज्यादा है ना तुम्हे उस से नाराज होने के बजाय उसे समझना चाहिए। शक्ति इतना बुरा भी नहीं है अगर मैं पहले शक्ति से मिली होती तो शायद मैं भी उसे डेट करने का सोचती,,,,,,,,,!!”,गौरी ने काशी को छेड़ते हुए कहा
काशी ने जैसे ही सूना उसने घूरकर गौरी को देखा लेकिन वह कुछ करती इस से पहले ही गौरी काशी को चिढ़ाते हुए वहा से भाग गयी।


“गौरी तुम्हे तो हम,,,,,,,,,,,,,रुको तुम्हे तो हम बताते है , क्या कहा तुमने , तुम शक्ति को डेट करोगी वो भी हमारे होते,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए काशी गौरी के पीछे दौड़ पड़ी।
दोनों सहेलिया उस बड़े से मंदिर में यहाँ से वहा भागे जा रही थी। गौरी कहा काशी के हाथ आने वाली थी वह उसे चिढ़ाते हुए आगे आगे भाग रही थी और काशी उसके पीछे। भागते भागते काशी एकदम से सामने से आते लड़के से टकरा गयी और जैसे ही सॉरी कहने के लिये लड़के की तरफ देखा काशी के चेहरे पर हैरानी और ख़ुशी के मिश्रित भाव तैरने लगे।


“अरे काशी ! तुम यहाँ ?”,सामने खड़े लड़के ने कहा
“विश्वास ? तुम यहाँ कैसे ? हमारा मतलब हमे तो लगा था तुम कॉलेज के साथ साथ ये शहर भी छोड़कर चले गए हो।”,काशी ने हैरानी से कहा
“कॉलेज खत्म हो चूका है इसलिये सोचा यही कोई छोटी मोटी नौकरी कर लूंगा। तुम बताओ तुम कैसी हो ?”,विश्वास ने कहा


“हम ठीक है,,,,,,,,,,,,,,अच्छा विश्वास उस दिन कॉलेज में जो हमारी वजह से हुआ उसके लिये हम माफ़ी,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“काशी तुम्हे माफ़ी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। मैं उन बातो को भूल चुका हूँ तुम भी भूल जाओ,,,,,,,,!!”,विश्वास ने कहा
“थैंक्स , तो कोई नौकरी मिली तुम्हे ?”,काशी ने सवाल किया


“नहीं अभी बस कोशिश कर रहा हूँ , जल्दी मिल जाएगी।”,विश्वास ने गौरी के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा
“हाँ जरूर मिलेगी ! वैसे आज तुम मंदिर आये हो तो तुम्हे महादेव से अपने मन की बात कह देनी चाहिए देखना वो तुम्हारी बात जरूर सुनेंगे,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“हे काशी , नानू नानी तुम्हे बुला रहे है चलो”,कुछ दूर खड़ी गौरी ने कहा
“हाँ आते है,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा और विश्वास की ओर देखकर कहा,”अच्छा विश्वास अब हम चलते है।”


“ठीक है , बाय”,विश्वास ने कहा
“बाय”,काशी ने मुस्कुरा कर कहा और वहा से चली गयी।
विश्वास जाती हुई काशी को देखते रहा और मन ही मन कहा,”मैं तो चाहूंगा काशी महादेव मेरे मन की बात सुन ले और तुम्हे मेरा कर दे।”

“वो विश्वास यहाँ क्या कर रहा था ?”,काशी के साथ चलते चलते गौरी ने पूछा
“हमारी तरह वो भी मंदिर आया था।”,काशी ने सहजता से कहा
“वैसे कुछ भी बोल काशी कॉलेज में विश्वास तुम्हे बहुत पसंद करता था तभी तो उस दिन कैसे हमारे सीनियर को,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा लेकिन वह अपनी बात पूरी करती इस से पहले ही काशी ने कहा,”गौरी प्लीज आज के बाद दोबारा कभी ये मत कहना ,

हमे पूरी दुनिया के लड़के चाहते हो हमे फर्क नहीं पड़ता , हम शक्ति को चाहते है और हमारे लिये शक्ति से बढ़कर कुछ नहीं है। विश्वास हमारा सिर्फ क्लासमेट है इस से ज्यादा हमे उस से कोई रिश्ता नहीं रखना।”
काशी को परेशान होते देखकर गौरी ने कहा,”सॉरी काशी मैं तुम्हारा दिल दुखाना नहीं चाहती थी। आओ चलते है।”
दोनों मंदिर से बाहर चली आयी। अधिराज जी और अम्बिका गाड़ी के पास ही खड़े थे सभी गाड़ी में आ बैठे और घर के लिये निकल गए।

  चौहान साहब के कहने पर शाम में मुरारी अपनी जीप लेकर घर से निकल गया। आधे घंटे के सफर के बाद मुरारी नहर के पास वाले बंगले पर पहुंचा। मुरारी ने गार्ड से दरवाजा खोलने का इशारा किया तो गार्ड ने आकर कहा,”माखन भैया ने किसी को अंदर आने से मना किया है।”
“बाबू तुम का हमको जानते नहीं हो , सिर्फ विधायकी छोड़ी है करना नहीं भूले,,,,,,,,,,चलो फटाफट दरवाजा खोलो हमरे पास जियादा समय नहीं है।”,मुरारी ने चश्मा आँखों पर लगाते हुए कहा


“अरे वही तो हम आपसे कह रहे है यहाँ से चले जाईये मुरारी भैया का है कि माखन भैया ज़रा टेढ़े आदमी है।”,गार्ड ने धीमी आवाज में कहा
अब मुरारी तो ठहरा मुरारी उसने हामी भरी और जीप को पीछे ले लिया। गार्ड को लगा मुरारी उसकी बात समझ गया है इसलिए वह वापस दरवाजे की तरफ चला गया। मुरारी ने जीप पीछे ली और फिर फूल स्पीड में आगे बढ़ा दी। जीप दरवाजे को उखड़ते हुए सीधा अंदर चली गयी। ये देखकर गार्ड तो वह से भाग गया।
एक बड़े से खाली मैदान के बीचो बीच ये बंगला बना था

जिसके आस पास बहुत ही प्यारा गार्डन बना हुआ था और उसी गार्डन में पड़ी मचिया पर उलटा लेटा था माखन , जो कि बनारस का ही लोकल गुंडा था। माखन ने जब शोर सुना तो अपनी आँख खोलकर देखा उसे एक जीप दिखाई दी साथ ही उसमे बैठा

मुरारी भी लेकिन चेहरा ठीक से ना देख पाने की वजह से वह मुरार को पहचान नहीं पाया और अपनी आँखे वापस बंद करके कहा,”जाओ रे जाकर देखो कौन अपनी मौत लेकर यहाँ आया है ? जैसे वो आया है वैसे ही उसे बाहर भेजो,,,,,,,,,,!!”
“जी भैया जी,,,,,,,,,!!”,माखन के आदमियों में से एक ने कहा और बाकि सब उसके साथ वहा से चले गए।

आदमी जीप की तरफ चले आये तो मुरारी जीप से नीचे उतरा और कहा,”हमरे स्वागत में इतने साले आये है , तुमरा जीजा कहा है बे ?”
“देख क्या रहे हो मारो इसे,,,,,,,,,,,!!”,आदमियों में से एक ने कहा तो बाकि सब मुरारी की तरफ लपके। अब देखो ये सब कहने की बाते है कि मुरारी की उम्र हो चुकी है , या वो बूढ़ा हो चुका है बल्कि आज भी मुरारी 20 आदमियों से अकेला लड़ने की हिम्मत रखता है। मुरारी एक एक करके सबको पीटने लगा।

एक दो बार मुरारी को भी पड़ी और इस वजह से उसका गुस्सा इतना बढ़ गया कि उसने उन आदमियों को बहुत बुरा मारा। कोई नीचे गिरकर तड़प रहा था तो कोई जीप के बोनट पर गिरा था। कोई उलटा गमले में पड़ा था और कोई डरकर वहा से भाग गया।
एक दुबला पतला सा आदमी मुरारी के सामने आया और जैसे ही मुरारी को घुसा मारने की कोशिश की मुरारी झुक गया और उसका हाथ हवा में घूमकर वापस अपनी जगह आ गया।


“कोई बात नहीं होता है , फिर से ट्राय कर ल्यो।”,मुरारी ने आदमी को दुसरा चांस देते हुए कहा
आदमी ने फिर मारने की कोशिश की लेकिन इस बार भी सफल नहीं हुआ और मुरारी ने कहा,”देखो हम दिखाते है।”
कहकर मुरारी ने आदमी को एक के बाद एक कई थप्पड़ जड़ दिए
आदमी 3-4 थप्पड़ से ही बोखला उठा और कहा,”बस,,,,,,,,,,,,,,,,इह तो चीटिंग है।”


“इह चिंटिंग नहीं इह है कंटाप,,,,,,,,,,,,,,कंटाप मारना नहीं सीखे ? छह का गुंडा बनोगे साला तुम,,,,,,,,,,,,जे तो बनारस के बच्चे बच्चे को पता है कंटाप का होता है।”,मुरारी ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा
“अरे तो हम बनारस के नहीं है ना हम बाहिर से आये है।”,आदमी ने रोते हुए कहा


“तभी हम से उलझ रहे हो वरना बनारस में किसी की इतनी औकात नहीं मुरारी कुमार मिश्रा को हाथ लगाये,,,,,,,,,,,,का समझे ? अब जे बताओ तुम्हरा जीजा कहा है जिसने जे ससुराल पर कब्जा कर रखा है ?”,मुरारी ने अपने चश्मे को साफ़ करते हुए कहा

“वहा है,,,,,,,,,!!”,आदमी ने डरते हुए कहा
“शाबास,,,,,,,,,,,इतना डर काहे रहो ? हम का कोई भूत पिचाश है,,,,,,,,,,,,,मुस्कुराओ यार बनारस में हो तुम”,कहते हुए मुरारी ने आदमी का गाल सहलाया और आगे बढ़ गया। आदमी ने हैरानी से मुरारी को देखा और कहा,”अजीब आदमी है पहिले इतना मारा और फिर कहता है मुस्कुराओ,,,,,,,,,ये शहर हमको गड़बड़ लग रहा है यहाँ से जाने में ही भलाई है।”

कुछ देर पहले शोर हो रहा था और अब एकदम से शांति। माखन भैया आँखे मूंदे मचिया पर पड़े थे पास ही रेडिओ में कोई पुराना गाना बज रहा था। “तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो , क्या गम है जिसको छुपा रहे हो।”
चलते चलते गाना बंद हो गया तो माखन भैया ने कहा,”गाना किसने बंद किया बे ?”
“तुम्हारे जीजा ने,,,,,,,,,,,,!!”,एक दमदार आवाज माखन के कानो में पड़ी।

उसने अपनी आँखे खोली तो देखा उसके ठीक सामने मुरारी कुर्सी डालकर बैठा है और सिगरेट जला रहा है।
“हिया बैठकर खुद को हीरो समझ रहे हो खुद को ? जानते हो हम कौन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह !”,माखन ने मुरारी को घूरते हुए कहा लेकिन अगले ही पल जोर से चिल्लाया। पास खड़े माखन के आदमी को समझ नहीं आया माखन चिल्लाया क्यों लेकिन वह घूमकर दूसरी तरफ आया तब देखा मुरारी ने जो सिगरेट जलाई थी वो अब माखन के हाथ पर थी। मुरारी के हाथ की पकड़ इतनी मजबूत थी कि माखन अपना हाथ भी नहीं हटा पाया।


मुरारी ने एक नजर माखन को देखा और कुर्सी से उठकर दूसरे हाथ से मचिया ही पलट दी। माखन भैया नीचे जमीन पर जा गिरे। आदमी ने उन्हें सम्हाला तो माखन ने उसे झटक दिया और खुद उठकर मुरारी के पास आया। मुरारी ने दूसरी सिगरेट जलाकर होंठो के बीच रख ली और कश लगाने लगा।
“हमसे पंगा लेकर भूल कर रहे हो मिश्रा,,,,,,,,,,!!”,माखन भैया ने गुस्से कहा


“हाँ तुमहू रिश्ते में हमायी जोरू लगते हो जो तुम से डरे,,,,,,,,,,,,,,,,साले मार खाने वाले काम तुम करो और डरे तुमसे हम,,,,,,,,,,,,,,वाह का जमाना आ गवा है।”,मुरारी ने कहा
“देखो मिश्रा जे तुम्हारा मेटर नहीं है इह से ना दूर रहो तुम,,,,,,,,,,,,,,,!”,माखन भैया ने कहा
“बिल्कुल जे हमरा मेटर नहीं है पर बनारस में हमरी एक्को मेहमान है जे उनका मेटर है और का है कि बनारस में मेहमान ना भगवान् समान होता है और भगवान् को कभी नाराज नहीं करते,,,,,,,,,,,,,,

तो एक्को काम करो अपना ताम झाम उठाओ और जे बंगले को खाली करो।”,मुरारी ने सिगरेट बुझाते हुए कहा
“और अगर हम जे ना करे तो,,,,,,,!!”,माखन ने कहा
“तो बेटा अपने घरवालो को ना खबर भिजवाय दयो तुम्हरे तेहरवी के पिरोगराम में बनारस पधारे,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
माखन भैया ने सूना तो थोड़ा परेशान हो गया क्योकि मुरारी का बैकग्राउंड वह अच्छे से जानता था। माखन को खामोश देखकर मुरारी ने कहा,”जल्दी फैसला करो का करना है ? हमरे पास इतना टाइम नहीं है,,,,,,,,,,,,!!”


माखन भैया ने अपने आदमी को इशारा किया तो आदमी अंदर जाकर बंगले के पेपर ले आया। माखन ने पेपर मुरारी की तरफ बढ़ा दिए। मुरारी मुस्कुराया और कहा,”जे की ना तुमने मर्दो वाली बात,,,,,,,,,,,,,,,,अब थोड़ा मुस्कुराओ और अपने आदमियों को लेकर निकलो हिया से।”,मुरारी ने कहा


माखन मुरारी के पास आया और कहा,”जोन मेहमान के लिए तुमहू जे कर रहे हो मुरारी याद रखना इक दिन यही तुम्हरे गले की फांस बन जाएगी”
मुरारी ने माखन की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और बंद पड़े रेडिओ का बटन ऑन कर दिया जिस पर गाना बजने लगा
“आज फिर जीने की तमन्ना है , आज फिर मरने का इरादा है,,,,,,,,,,,,,,!!!”

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