“मैं तेरी हीर” – 27
Main Teri Heer – 27
Main Teri Heer – 27
मुरारी ने अपने हाथो अपनी लंका लगवा ली थी वो भी वंश पर भरोसा करके। वंश को भी नहीं पता था की ऐसा कुछ होने वाला है जैसे ही मुरारी ने उसे देखा वंश वहा से गायब हो गया। शिवम् ने देखा उस गाने से वहा बैठे लोग असहज हो रहे है तो वह मुरारी के पास आया और धीमे से लेकिन कठोर स्वर में कहा,”मुरारी का है जे सब ? जे इतंजाम किये हो तुमहू ? अभी के अभी जाकर बंद करवाओ इह सब”
“हां हां भैया हम जाते है”,मुरारी ने कहा और उठकर स्टेज की तरफ चला आया। शिवम् जैसे ही वापस जाने लगा उसके कानो में एक जानी पहचानी आवाज पड़ी जो की मुरारी की थी , शिवम् ने पलटकर देखा मुरारी ने गाने वालो से माइक ले लिया है और खुद गाने वाला है
“आज तो जे मुरारी हमारी नाक कटवा के रहेगा”,शिवम् मन ही मन बड़बड़ाया ,, मुरारी ने राग लिया और गाना शुरू किया
“हा के आशिक़ हो चाहे नेता , सबको अपने अंदर रखा है
पीने को तो पीते है जाम लोग , हमने आँखों में समंदर रखा है”
एक शायरी बोलते ही स्टेज पर बैठे गाने बजाने वालो ने वाह वाह की तो मुरारी में थोड़ा कॉन्फिडेंस आ गया लेकिन शिवम् ने अपना सर पीट लिया और वहा से जाने लगा। मुरारी की आवाज अच्छी थी जानकर स्टेज पर बैठे लोगो ने बजाना शुरू किया – ढोलक को
मुरारी ने आगे गाना शुरू किया
सावन का महीना मा आयी हो , बनारस हो राजा
सावन का महीना मा आयी हो , बनारस हो राजा
बनारस हो राजा , बनारस हो राजा
के भौजी को , हाये के भौजी को संग में भी लाये हो ,, बनारस हो राजा
के भौजी को संग में भी लायी हो ,, बनारस हो राजा
सावन का महीना मा आयी हो , बनारस हो राजा
मुरारी तो पूरा कैरेक्टर में घुस गया हो जैसे गाते गाते उसने दो चार ठुमके भी लगा दिए। शिवम् ने देखा वहा जमा लोग मुरारी के गाने का खूब आनंद ले रहे है , थोड़ा हैरान भी था की इस उम्र में मुरारी ऐसी हरकते कर रहा है। शिवम् साइड में खड़ा मुरारी को देखने लगा तो काशी ने आकर उसकी बांह थामकर बगल में खड़े होकर कहा,”मुरारी चचा तो छा गए , कितना अच्छा गाते है”
“पगला गए है आपके मुरारी चाचा”,शिवम् ने कहा लेकिन काशी ने ध्यान नहीं दिया वह तो बस मुरारी को देखकर खुश हो रही थी
उधर मुन्ना अपने दोस्तों के साथ खड़ा था जैसे मुरारी ने गाना शुरू किया रवि ने कहा,”ए मुन्ना तुम्हारे पापा को देखो ज़रा”
मुन्ना ने मुरारी का गाना सूना तो मन ही मन कहा,”पापा ये सब का कर रहे है ?”
“कुछ भी कहो यार तुम्हारे पापा बड़े कूल है , मतलब बनारस के विधायक है लेकिन अपनी लाइफ को एन्जॉय करते है पूरा ,, चल ना पास से देखते है”,रवि ने कहा
“तुम लोग चलो हम आते है”,मुन्ना ने कहा और अनु की तरफ चला आया। अनु भी थोड़ा असहज थी की मुरारी सबके बीच ये क्या कर रहा है ? मुन्ना आकर उसके बगल में खड़े हो गया और कहा,”माँ ये पापा क्या कर रहे है ?”
“क्या बताओ बेटा मैं तो खुद ऑक्वर्ड फील कर रही हूँ , तुम्हारे पापा में भी ना कभी कभी भूत घुस जाता है। खैर करना क्या है मेरी तरह खड़े होकर तुम भी तमाशा देखो”,अनु ने मुरारी को देखते हुए अफ़सोस के साथ कहा
मुन्ना ने इधर उधर नजर दौड़ाई वंश कही दिखाई नहीं दे रहा था। कुछ देर बाद ही स्टेज पर लहंगा पहने , बड़ी सी चुनर का घुंघट निकाले एक लड़का आया , अब आप समझ ही गए होंगे की वो लड़का कौन था वो लड़का था “वंश” मुरारी के साथ मिलकर वह भी नौटंकी कर रहा था।
मुरारी तो पहले से ही कैरेक्टर में घुसा हुआ था , ऊपर से मुन्ना और वंश के दोस्त आगे ही आगे बैठकर उन्हें और ज्यादा चियर्स कर रहे थे। मुरारी ने आगे राप अलापा और फिर एक शायरी चिपका दी
“हां के मोहब्बत जो मिल जाये तो सुकून देती है ,, और ना मिले तो दर्द बन जाती है
कुछ बन जाती है मेहरारू ,, कुछ पासवर्ड बन जाती है”
ये शायरी बोलते ही अनु मुरारी को घूरने लगी लेकिन मुरारी ने ध्यान नहीं दिया। सारिका अनु के पास आयी और कहा,”अनु ये मुरारी भैया को क्या हुआ है आज ? कुछ उलटा सीधा खा लिया था क्या ?”
“जे आदमी से शादी करके हमारी जिंदगी झंड हो गयी है दी ,, देखो कैसी कैसी बातें कर रहे है सबके सामने”,अनु ने बेचारगी से कहा
“कैसी बाते कर रही हो अनु ? हमे तो सुनकर बहुत मजा आ रहा है और हमारे साथ साथ बाकि सबको भी,,,,,,,,,,,,,,,देखो”,सारिका ने कहा तो अनु ने सामने बैठे लोगो को देखा जो की मुरारी की इस नौटंकी को सब एन्जॉय कर रहे है।
मुरारी ने वंश की और पलटकर आगे गाना शुरू किया
“के पान के पत्ता पे चुना लगाय के
के पान के पत्ता पे चुना लगाय के (वंश ने लाइन दोहराई)
केशो में तेल चमेली जमाय के
केशो में तेल चमेली जमाय के (वंश ने फिर लाइन दोहराई)
ले के गमछा को गर्दन में डारी हो , बनारस हो राजा
सावन का महीना मा आयी हो , बनारस हो राजा
माहौल उस वक्त इतना अच्छा हो गया की नीचे खड़े वंश और मुन्ना के दोस्त भी नाचने लगे। वक्त काफी हो चला था इसलिए शिवम् ने सबसे खाना खाने को कहा। खाने का बहुत अच्छा अरेजमेंट किया गया था सभी मेहमान और बनारस के लोग खाना खाने लगे। मॉर्डन जमाने में जीते हुए भी शिवम् ने सबके खाने की व्यवस्था नीचे जमीन पर की। बनारस के लोग तो शिवम् और उसके जीने के तरिके को अच्छे से जानते थे लेकिन दो चार लोग बाहर से आये हुए थे जो की मुरारी के मेहमान थे उन्हें जब ये व्यवस्था पसंद नहीं आयी तो उन्होंने मुरारी से कहा,”ये क्या विधायक जी , हम लोग ऐसे जमीन पर बैठकर खाना खाएंगे ?”
मुरारी ने कुछ नहीं कहा बस दूसरी तरफ देखने का इशारा किया। आदमी ने देखा तो उसकी आँखे हैरानी से फ़ैल गयी और होंठो पर एक मुस्कान तैर गयी। उसने देखा सामने खाना खाते लोगो की लाइन में शिवम् भी जमीन पर बैठकर खाना खा रहा है। उसके चेहरे पर एक सुकून था। आदमी को शिवम् की तरफ देखता पाकर मुरारी ने कहा,”जब इतना बड़ा आदमी इन सबके साथ जमीन पर बैठकर खा रहा है तो फिर हम और आप कौन होते है ? जे महादेव की नगरी है जब उन्होंने हम में और आप में फर्क नहीं किया तो हम कौन होते है ? शिवम् भैया जमीन से जुड़े आदमी है उह अपने उसूल किसी के लिए नहीं बदलते ,, हम एक्को काम करते है आपके लिए फाइव स्टार में टेबल बुक करवा देते है”
“कैसी बात कर रहे है विधायक जी ? चलिए हम भी इन सबके साथ बैठकर खाते है”,आदमी ने ख़ुशी ख़ुशी कहा
”जे हुई ना बात , चलिए आईये”,कहते हुए मुरारी आदमी को लेकर लाइन में आ बैठा। खाना होने के बाद सभी घर चले गए।
शिवम् के घर में बस घरवाले और कुछ मेहमान बचे थे। मुरारी ने देखा दिवाली की रात है और कोई पटाखे नहीं जला रहा उसने किशना से कहकर पटाखे मंगवाए और काशी , मुन्ना , अंजलि वंश को बुला लिया। साथ ही अनु और बाबा भी शामिल हो गए।
“ये देखो अपने बाबा को बच्चो के साथ बच्चे बने हुए है”,आई ने शिवम् से कहा
बाबा ने सूना तो दो जलती हुई फुलझड़िया लेकर आये और आई के हाथ में थमाते हुए कहा,”अरे कावेरी तुम भी जलाओ देखो कितना अच्छा लगता है”
बाबा ने आई को फुलझड़ी पकड़ा दी और उनके साथ खड़े होकर फुलझड़ी जलाने लगे।
काशी अंजलि मुन्ना पटाखे , फनवारे चकरी जला रहे थे , शिवम् सारिका के पास आया और कहा,”सरु आप नहीं जला रही”
“नहीं हम आप सबको देखेंगे , कितने सालो बाद सब ऐसे साथ है ,, सब खुश है हंस रहे है मुस्कुरा रहे है ,, पता नहीं फिर ये सब देखने को कब मिले”,सारिका ने प्यार से कहा तो शिवम् ने उसके हाथ को अपने हाथो में लिया और कहने लगा,”जानती हो सरु हमारी जिंदगी में असली रौशनी आपके होने से है जे त्यौहार तो बस मन की ख़ुशी के लिए। बाकि असली ख़ुशी तो ये है हमारा परिवार”
“इन खुशियों को किसी की नजर ना लगे”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा , कुछ देर बाद शिवम् भी बच्चो की तरफ चला आया।
मुरारी ने देखा अनु टेबल के पास अकेले खड़ी है तो वह गुनगुनाते हुए उसकी ओर चला आया “सावन का महीना मा आयी हो ,, बनारस हो राजा”
अनु इस से बेखबर थी मुरारी आया और सबसे नजरे बचाकर अनु के गाल पर किस कर दिया।
“ये क्या कर रहे है ? सबके सामने ऐसे शर्म नहीं आती”,अनु ने मुरारी को घूरते हुए कहा
“अच्छा मतलब अपनी ही बीवी से प्यार जताने में शर्माए हम , जे तो बहुते नयी बात कही तुमने ,, है अनु”,मुरारी ने कहा
“मुरारी जैसे जैसे तुम्हारी उम्र हो रही है ना ,, तुम बेशर्म होते जा रहे हो”,अनु ने कहा
“अरे ! का बेशर्मी किये बताओ ?”,मुरारी ने बाजु ऊपर करते हुए कहा
“अच्छा मेरे ही मुंह से सुनना है , थोड़ी देर पहले जो किये थे वो क्या था ? अगर शादी से पहले पापा ने तुम्हे ये सब करते देख लिया होता ना तो मेरी शादी तुमसे कभी नहीं करते ,,!!”,अनु ने कहा
“हां तुम्हारे बाप,,,,,,,,,,,,,हमारा मतलब तुम्हारे पापा भी जानते थे ना की तुम जैसे ज्वालामुखी को हमारे अलावा कोई नहीं झेल सकता”,मुरारी ने टेबल पर रखे सूखे मेवों में से कुछ उठाकर खाते हुए कहा
“अच्छा तो मैं ज्वालमुखी हूँ और तुम क्या हो ?”,अनु ने मुरारी घूरते हुए कहा
“अरे तुम हमारी पत्नी हो यार , हमारी मैग्गी , हमारी मिश्राइन , हमारी फूलनदेवी का का बताये तुम का हो ? अरे हमसे पूरा बनारस डरता है और तुमहू उह हो जिनसे हम डरते है ,,,,,!!”,मुरारी ने अनु को मनाते हुए कहा
“डरना जरुरी भी है मुरारी क्योकि पतियों को और खुले बैल को बांध के रखना ना बहुत जरुरी होता है”,अनु ने जाते हुए कहा
“तुम का हमको बैल बोल रही हो ? ए मैगी सुनो हमारी बात,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते मुरारी भी उसके पीछे चला आया
मुन्ना ने देखा सब पटाखे जला रहे है लेकिन वंश बगीचे में पड़ी स्टूल पर अकेला बैठा है। उसने अपने हाथ में पकड़ी फुलझड़ी अंजलि को पकड़ाई और वंश की और चला आया। मुन्ना ने देखा वंश किसी गहरी सोच में डूबा है मुन्ना ने दूसरी कुर्सी को उसके सामने रखा और बैठते हुए कहा,”क्या बात है वंश बाबू आज तो मतलब पापा के साथ मिलकर गर्दा उड़ा दिए तुम”
वंश ने मुन्ना की बात का कोई जवाब नहीं दिया वह अभी भी सोच में डूबा था। मुन्ना ने देखा तो उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे धीरे से हिलाते हुए कहा,”क्या हुआ हम तुमसे बात कर रहे है ? कहा खोये हो ? और वहा सब पटाखे जला रहे है तुम यहाँ अकेले क्या कर रहे हो ?”
“तू कब आया ?”,वंश ने जैसे नींद से जागते हुए कहा
“पिछले 2 मिनिट से तेरे सामने बैठा हूँ , कहा खोया है तू ?”,मुन्ना ने कहा
“कुछ नहीं ऐसे ही ,, अच्छा आज तो मुरारी चाचा ने क्या मस्त गाना गाया ना ?”,वंश ने खुश होकर कहा
“हां लेकिन हमे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी “,मुन्ना ने मुस्कुराते हुए कहा
“अरे मेरी वजह से ही पहले वाला अरेजमेंट बिगड़ा था इसलिए सोचा उस सब के बहाने वो मुझे माफ़ कर देंगे”,वंश ने कहा
“चल आ पटाखे जलाते है”,कहते हुए मुन्ना ने वंश के कंधे पर हाथ रखा और उसे लेकर बाकि सबकी तरफ जाने लगा। वंश ने अपना जख्मी हाथ एक बार फिर पीछे छुपा लिया क्योकि वह घरवालों को परेशान नहीं करना चाहता था।
क्या मुरारी की हरकतों में सुधार होगा ? क्या काशी मुन्ना को शक्ति के बारे में बताएगी ? क्या मुन्ना जान पायेगा वंश की परेशानी की वजह ? जानने के लिए सुनते / पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”
Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27 Main Teri Heer – 27
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संजना किरोड़ीवाल
माहौल उस वक्त इतना अच्छा हो गया की नीचे खड़े वंश और मुन्ना के दोस्त भी नाचने लगे। वक्त काफी हो चला था इसलिए शिवम् ने सबसे खाना खाने को कहा। खाने का बहुत अच्छा अरेजमेंट किया गया था सभी मेहमान और बनारस के लोग खाना खाने लगे। मॉर्डन जमाने में जीते हुए भी शिवम् ने सबके खाने की व्यवस्था नीचे जमीन पर की। बनारस के लोग तो शिवम् और उसके जीने के तरिके को अच्छे से जानते थे लेकिन दो चार लोग बाहर से आये हुए थे जो की मुरारी के मेहमान थे उन्हें जब ये व्यवस्था पसंद नहीं आयी तो उन्होंने मुरारी से कहा,”ये क्या विधायक जी , हम लोग ऐसे जमीन पर बैठकर खाना खाएंगे ?”
मुरारी ने कुछ नहीं कहा बस दूसरी तरफ देखने का इशारा किया। आदमी ने देखा तो उसकी आँखे हैरानी से फ़ैल गयी और होंठो पर एक मुस्कान तैर गयी। उसने देखा सामने खाना खाते लोगो की लाइन में शिवम् भी जमीन पर बैठकर खाना खा रहा है। उसके चेहरे पर एक सुकून था। आदमी को शिवम् की तरफ देखता पाकर मुरारी ने कहा,”जब इतना बड़ा आदमी इन सबके साथ जमीन पर बैठकर खा रहा है तो फिर हम और आप कौन होते है ? जे महादेव की नगरी है जब उन्होंने हम में और आप में फर्क नहीं किया तो हम कौन होते है ? शिवम् भैया जमीन से जुड़े आदमी है उह अपने उसूल किसी के लिए नहीं बदलते ,, हम एक्को काम करते है आपके लिए फाइव स्टार में टेबल बुक करवा देते है”
“कैसी बात कर रहे है विधायक जी ? चलिए हम भी इन सबके साथ बैठकर खाते है”,आदमी ने ख़ुशी ख़ुशी कहा
”जे हुई ना बात , चलिए आईये”,कहते हुए मुरारी आदमी को लेकर लाइन में आ बैठा। खाना होने के बाद सभी घर चले गए। शिवम् के घर में बस घरवाले और कुछ मेहमान बचे थे। मुरारी ने देखा दिवाली की रात है और कोई पटाखे नहीं जला रहा उसने किशना से कहकर पटाखे मंगवाए और काशी , मुन्ना , अंजलि वंश को बुला लिया। साथ ही अनु और बाबा भी शामिल हो गए।
“ये देखो अपने बाबा को बच्चो के साथ बच्चे बने हुए है”,आई ने शिवम् से कहा
बाबा ने सूना तो दो जलती हुई फुलझड़िया लेकर आये और आई के हाथ में थमाते हुए कहा,”अरे कावेरी तुम भी जलाओ देखो कितना अच्छा लगता है”
बाबा ने आई को फुलझड़ी पकड़ा दी और उनके साथ खड़े होकर फुलझड़ी जलाने लगे।
काशी अंजलि मुन्ना पटाखे , फनवारे चकरी जला रहे थे , शिवम् सारिका के पास आया और कहा,”सरु आप नहीं जला रही”
“नहीं हम आप सबको देखेंगे , कितने सालो बाद सब ऐसे साथ है ,, सब खुश है हंस रहे है मुस्कुरा रहे है ,, पता नहीं फिर ये सब देखने को कब मिले”,सारिका ने प्यार से कहा तो शिवम् ने उसके हाथ को अपने हाथो में लिया और कहने लगा,”जानती हो सरु हमारी जिंदगी में असली रौशनी आपके होने से है जे त्यौहार तो बस मन की ख़ुशी के लिए। बाकि असली ख़ुशी तो ये है हमारा परिवार”
“इन खुशियों को किसी की नजर ना लगे”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा , कुछ देर बाद शिवम् भी बच्चो की तरफ चला आया। मुरारी ने देखा अनु टेबल के पास अकेले खड़ी है तो वह गुनगुनाते हुए उसकी ओर चला आया “सावन का महीना मा आयी हो ,, बनारस हो राजा”
अनु इस से बेखबर थी मुरारी आया और सबसे नजरे बचाकर अनु के गाल पर किस कर दिया।
“ये क्या कर रहे है ? सबके सामने ऐसे शर्म नहीं आती”,अनु ने मुरारी को घूरते हुए कहा
“अच्छा मतलब अपनी ही बीवी से प्यार जताने में शर्माए हम , जे तो बहुते नयी बात कही तुमने ,, है अनु”,मुरारी ने कहा
“मुरारी जैसे जैसे तुम्हारी उम्र हो रही है ना ,, तुम बेशर्म होते जा रहे हो”,अनु ने कहा
“अरे ! का बेशर्मी किये बताओ ?”,मुरारी ने बाजु ऊपर करते हुए कहा
“अच्छा मेरे ही मुंह से सुनना है , थोड़ी देर पहले जो किये थे वो क्या था ? अगर शादी से पहले पापा ने तुम्हे ये सब करते देख लिया होता ना तो मेरी शादी तुमसे कभी नहीं करते ,,!!”,अनु ने कहा
“हां तुम्हारे बाप,,,,,,,,,,,,,हमारा मतलब तुम्हारे पापा भी जानते थे ना की तुम जैसे ज्वालामुखी को हमारे अलावा कोई नहीं झेल सकता”,मुरारी ने टेबल पर रखे सूखे मेवों में से कुछ उठाकर खाते हुए कहा
“अच्छा तो मैं ज्वालमुखी हूँ और तुम क्या हो ?”,अनु ने मुरारी घूरते हुए कहा
“अरे तुम हमारी पत्नी हो यार , हमारी मैग्गी , हमारी मिश्राइन , हमारी फूलनदेवी का का बताये तुम का हो ? अरे हमसे पूरा बनारस डरता है और तुमहू उह हो जिनसे हम डरते है ,,,,,!!”,मुरारी ने अनु को मनाते हुए कहा
“डरना जरुरी भी है मुरारी क्योकि पतियों को और खुले बैल को बांध के रखना ना बहुत जरुरी होता है”,अनु ने जाते हुए कहा
“तुम का हमको बैल बोल रही हो ? ए मैगी सुनो हमारी बात,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते मुरारी भी उसके पीछे चला आया
मुन्ना ने देखा सब पटाखे जला रहे है लेकिन वंश बगीचे में पड़ी स्टूल पर अकेला बैठा है। उसने अपने हाथ में पकड़ी फुलझड़ी अंजलि को पकड़ाई और वंश की और चला आया। मुन्ना ने देखा वंश किसी गहरी सोच में डूबा है मुन्ना ने दूसरी कुर्सी को उसके सामने रखा और बैठते हुए कहा,”क्या बात है वंश बाबू आज तो मतलब पापा के साथ मिलकर गर्दा उड़ा दिए तुम”
वंश ने मुन्ना की बात का कोई जवाब नहीं दिया वह अभी भी सोच में डूबा था। मुन्ना ने देखा तो उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे धीरे से हिलाते हुए कहा,”क्या हुआ हम तुमसे बात कर रहे है ? कहा खोये हो ? और वहा सब पटाखे जला रहे है तुम यहाँ अकेले क्या कर रहे हो ?”
“तू कब आया ?”,वंश ने जैसे नींद से जागते हुए कहा
“पिछले 2 मिनिट से तेरे सामने बैठा हूँ , कहा खोया है तू ?”,मुन्ना ने कहा
“कुछ नहीं ऐसे ही ,, अच्छा आज तो मुरारी चाचा ने क्या मस्त गाना गाया ना ?”,वंश ने खुश होकर कहा
“हां लेकिन हमे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी “,मुन्ना ने मुस्कुराते हुए कहा
“अरे मेरी वजह से ही पहले वाला अरेजमेंट बिगड़ा था इसलिए सोचा उस सब के बहाने वो मुझे माफ़ कर देंगे”,वंश ने कहा
“चल आ पटाखे जलाते है”,कहते हुए मुन्ना ने वंश के कंधे पर हाथ रखा और उसे लेकर बाकि सबकी तरफ जाने लगा। वंश ने अपना जख्मी हाथ एक बार फिर पीछे छुपा लिया क्योकि वह घरवालों को परेशान नहीं करना चाहता था।
वाह…आज तो पुराने वाला मुरारी फोम में आ गया…और उसपर भी वंश ने उसका साथ दिया😂😂😂गजब है यार.
Very beautiful
Wah murari is as usual awesome
Sach mey murari ne gzab kar diya puri mehfil loot li aur uper se sath diya vansh ne ab dekhte hai kashi kya shakti se dubara mil pai gi part acha tha
Ekdm zabardast part tha
Bahut hi majedar part
Aaj to murari cha gaye dil khush ho gaya
Murari or vansh ne moj krdii aj tohh🥰.
Vansh ne abhi bhi munna ko kuch ni btaya 😐😐😐😐 lg gyii vansh ko 😕😕
Nice story
superb part
matlb kamaal kr diye ho murari ji
vansh sbki parwah to krta h but jatata ni h acha lga corrector uska mam
story bht achi chal ri h
Murari sahi h aaj bhi koi change nhi😂😂
Very nice