मैं तेरी हीर – 15
Main Teri Heer – 15
Main Teri Heer – 15
बनारस , मुरारी का घर
अपने कमरे में बैठा मुन्ना इंटरनेट पर बैंगलोर के बारे में जानकारी हासिल कर रहा था। लेपटॉप के सामने बैठे हुए मुन्ना को ध्यान ही नहीं रहा कि कब रात के 8 बज चुके है। मुन्ना इत्मीनान से अपने काम में लगा हुआ था तभी दरवाजे पर खड़े किशना ने कहा,”मुन्ना भैया , आपको नीचे खाने पर बुला रहे है।”
“हाँ आप चलिए हम आते है।”,मुन्ना ने स्क्रीन पर नजरे जमाये हुए कहा।
किशना वहा से चला गया और कुछ देर बाद मुन्ना भी नीचे चला आया।
मुन्ना आकर खाना खाने बैठा और देखा टेबल पर सिर्फ एक ही प्लेट रखी थी।
“माँ ! पापा कहा है ? क्या आज वो खाना नहीं खाएंगे ?”,मुन्ना ने सामने बैठी अनु से पूछा
“नहीं ! मुरारी शिवम् जीजू के साथ सारनाथ में है अपने नए काम के सिलसिले में ,, तुम खाना शुरू करो मैं किशना से कहकर तुम्हारे लिए गर्म [चपाती भिजवाती हूँ।”,अनु ने उठते हुए कहा और किचन की ओर चली गयी।
मुन्ना ने खाना शुरू किया। आज अकेले बैठकर खाना उसे थोड़ा अजीब लग रहा था साथ ही वह वंश को भी मिस कर रहा था। मुन्ना ने अपने फोन में वंश का नंबर डॉयल किया और फोन स्पीकर पर डाल दिया।
रिंग जाती रही लेकिन वंश ने फोन नहीं उठाया। मुन्ना समझ गया वंश कही ना कही बिजी है उसने फोन बंद करके साइड रख दिया। वंश के बारे में सोचते हुए मुन्ना खाना खा ही रहा था कि तभी उसके कानों में एक जानी पहचानी आवाज पड़ी,”अकेले बैठकर खाना अच्छा नहीं लगता ना ?”
मुन्ना ने अपने बगल में देखा तो हैरानी से आँखे खुली की खुली रह गयी। गौरी उसके बगल में बैठी मुस्कुरा रही थी। मुन्ना तो जैसे कुछ बोल ही नहीं पाया।
मुन्ना को खामोश देखकर गौरी ने कहा,”वैसे कुछ दिनों की बात है फिर तो मैं रहूंगी ना तुम्हे कम्पनी देने के लिए,,,,,,,,,,,,कम्पनी क्या मैं तुम्हे अपने हाथो से ही खाना खिला दिया करुँगी वैसे भी अपनी लवर और अपनी वाइफ के हाथ से खाना खाने का मजा ही अलग है। पेट भर जाता है लेकिन मन नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हे क्या हुआ तुम मुझे ऐसे घर क्यों रहे हो ? ओह्ह्ह्ह लगता है मुझे यहाँ देखकर तुम थोड़ा शॉक्ड हो गए हो , है ना ,, या तुम मेरी खूबसूरती देखकर अपनी पलकें झपकना भूल गए हो,,,,,,,,,,,,,,हाँ बोलो बोलो ऐसा ही है ना,,,,,,,,,,,,,,,!!”
गौरी की बातें सुनकर मुन्ना और ज्यादा हैरान हो गया
उसके लिए ये यकींन कर पाना मुश्किल हो रहा था कि गौरी उसके सामने है , बनारस में है। मुन्ना ने जैसे ही गौरी को छूने के लिये अपना हाथ बढ़ाया गौरी हवा में जैसे गायब हो गयी। मुन्ना को कुछ समझ नहीं आया ये अचानक से उसके साथ क्या हुआ ? उसने अपना सर झटका और खुद से कहा,”लगता है हम गौरी को कुछ ज्यादा ही याद कर रहे है तभी हमे उसकी मौजूदगी का अहसास हो रहा है ,, क्या उसे भी ऐसा कुछ महसूस होता होगा ? वैसे आज वो है कहा ? दोपहर बाद से उसने ना हमे कोई मैसेज किया ना ही कोई कॉल,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे इतना भी बिजी नहीं होना चाहिए गौरी शर्मा कि हमे एक फोन भी ना कर पाओ।”
“मुन्ना क्या हुआ ? ये अकेले में किस से बातें कर रहे हो ?”,अनु ने मुन्ना की प्लेट में रोटी रखते हुए कहा तो मुन्ना की तंद्रा टूटी
“अह्ह्ह कुछ नही माँ वो कुछ दिन बाद बैंगलोर जाना है ना तो बस उसी के बारे में सोच रहे थे।”,मुन्ना ने कहा
अनु ने मुन्ना के बैंगलोर जाने के बारे में सूना तो उदास हो गयी और उसके बगल में आ बैठी। अनु एकटक मुन्ना को देखते रही मुन्ना ने अनु को अपनी ओर देखते पाया तो कहा,”क्या हुआ माँ ?”
“मुन्ना ! क्या बैंगलोर जाना जरुरी है ? आई मीन तुम यहाँ बनारस मेंरहकर भी एक अच्छी जॉब कर सकते हो ना बेटा।”,अनु ने कहा वह नहीं चाहती थी उसका बेटा उसकी आँखों से दूर जाए
“हम तो खुद कभी बनारस छोड़कर जाना नहीं चाहते माँ लेकिन पापा ने कहा है तो,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते मुन्ना चुप हो गया
“पापा ने कहा है तो क्या कुए में कूद जाओगे ?”,अनु ने चिढ़कर कहा
“अगर पापा ने कहा तो हाँ,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने बिना किसी भाव के कहा तो अनु प्यार से उसका चेहरा देखने लगी उसका गाल छूकर कहा,”ओह्ह्ह मुन्ना तुम अपने पापा से कितना प्यार करते हो।”
“माँ हर बेटा अपने पिता से शायद इतना ही प्यार करता है बस कभी कह नहीं पाता और जब से पापा ने अपनी कुर्सी छोड़ी है तब से हमने उनके साथ बहुत वक्त बिताया है और तब हमे समझ आया कि पापा के तौर तरीके भले ही गलत हो लेकिन वो सही है और पता है माँ अब हम पापा को पहले से बेहतर समझने लगे है।”,मुन्ना ने कहा
“हम्म्म मैं समझ गयी ,,,,,,,,,,,,,!!”,अनु ने कहा
“क्या ?”,मुन्ना ने पूछा
“यही की तुम बैंगलोर जरूर जाओगे क्योकि तुम्हारे पापा ने कहा है। सही है,,,,,,,,,,,!!”,अनु ने कहा
मुन्ना ने सूना तो मुस्कुराया और खाना खाने लगा और अनु वही उसके पास बैठकर बैंगलोर जाने से पहले उसे नसीहते देने लगी।
इंदौर , नंदिता का घर
स्कूटी तेजी से चली आ रही थी और रुकने के बजाय आकर सीधा नंदिता के घर के बाहर रखे गमले से जा टकराई और साथ ही आस पास पड़े छोटे गमलो को भी उसने कुचल डाला। नंदिता अपने किचन में काम कर रही थी शोर सुनकर वह जल्दी से बाहर आयी जब उसने अपने पसंदीदा गमलो का ये हाल देखा तो उसका गुस्सा सांतवे आसमान पर था। नंदिता को वहा देखकर गौरी घबरा गयी लेकिन इतनी जल्दी गौरी अपनी गलती मान ले ये भला कैसे हो सकता है ?
गौरी ने अपनी स्कूटी को साइड लगाया और नंदिता के पास आकर गुस्से से चिड़चिड़ाते हुए कहा,”ओह्ह्ह मॉम इस तरह बीच रास्ते में गमले कौन रखता है ? वो तो अच्छा हुआ मैंने टाइम पर ब्रेक लगा दिया वरना इन गमलो ने तो मुझे मार ही देना था,,,,,,,,,,,,,,,!!”
गौरी की बात सुनकर नंदिता हक्की बक्की सी उसे देखने लगी। अपनी मम्मी को शॉक्ड देखकर गौरी ने कहा,”क्या हुआ है आपको ? और आप इस तरह घर से बाहर क्या कर रही है ? अंदर चलिए और मुझे कुछ खाने को दीजिये मुझे बहुत भूख लगी है।”
गौरी अंदर चली आयी , नंदिता भी होश में आयी और गुस्से से गौरी के पीछे आते हुए कहा,”गौरी , गौरी !”
“क्या हुआ मॉम ?”,गौरी ने हॉल में आकर पलटते हुए कहा
“ये सब क्या है ?”,नंदिता ने गौरी को घूरते हुए सवाल किया
“क्या मॉम ? ओह्ह्ह अच्छा आप अपने गमलो को लेकर बोल रही है , वो मैंने जान बुझकर नहीं किया ,, मैं मैं कल आपके लिए दूसरे पौधे और नए गमले ले आउंगी ,, आई प्रॉमिस,,,,,,,,,,,,,,,प्लीज अब मुझे खाना दे दीजिये मेरे पेट में चूहे कूद रहे है।”,गौरी ने कहा
“मैं गमलो की नहीं तुम्हारी बात कर रही हूँ।”,नंदिता ने इस बार भी गुस्से से कहा
“मेरी ? मुझे क्या हुआ है ? मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ।”,गौरी ने खुद को देखते हुए कहा
“अगर ठीक हो तो ये बिना बताये घर से बाहर रहना , देर से घर आना ये सब क्या है ? क्या मानवेन्द्र जी को इन सब के बारे में पता है ?”,नंदिता ने कहा
“मान को इस बारे में क्यों बताना ? और उसे मेरे बाहर घूमने से क्या प्रॉब्लम होगी ?”,गौरी ने कहा
“ताकि उन्हें पता चले कि उन्होंने किसे पसंद किया है,,,,,,,,,,,,!!”,नंदिता कहते हुए किचन की ओर चली गयी
“मॉम ,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये आप बोल रहे हो ? मेरी मॉम होकर आप मेरे बारे में ऐसा कैसे बोल सकती है ? हाउ रुड ?”,गौरी ने किचन की तरफ आते हुए कहा
“इसमें इतना शॉक्ड होने की बात नहीं है मिस गौरी , कुछ दिनों बाद तुम्हारी शादी हो जाएगी और वहा जाकर तुम मेरा नाम खराब करने वाली हो बस,,,,,,,,,,,,,!!”,नंदिता ने कहा
“ओह्ह्ह मॉम देखना एक दिन आप अपनी बेटी पर प्राउड करोगी”,गौरी ने कहा
“आई हॉप वो दिन जल्दी आये,,,,,,,,,,,,!!”,नंदिता ने कहा और वापस अपने काम में लग गयी।
गौरी भी हाथ मुंह धोने वाशबेसिन की तरफ चली गयी।
मुंबई , नवीन का घर
गेस्ट रूम के बिस्तर पर वंश गहरी नींद में सो रहा था। डोरबेल की लगातार आती आवाज से वंश की नींद टूटी उसने तकिया उठाया और अपने कानों पर रख लिया लेकिन डोरबेल की आवाज अभी भी आ रही थी। वंश चिढ गया उसने तकिया फेंका और बिस्तर से उठकर कमरे से बाहर आया। वंश ने देखा शाम के 7 बज रहे थे।
वंश ने हॉल की लाइट जलाई। वंश ने हॉल , किचन में देखा लेकिन नवीन और मेघना दोनों ही वहा नहीं थे। उन्हें वहा ना पाकर वंश खुद में ही बड़बड़ाया,”लगता है अंकल आंटी आ गए,,,,,,,,,!!”
वंश दरवाजे के पास चला आया। उसने शॉर्ट्स और टीशर्ट पहन रखा था। सोने की वजह से उसके बाल बिखरे हुए थे। होंठ सुर्ख लाल और आँखों में नींद अब भी बाकि थी। वंश दरवाजे पर ही खड़ा था तभी डोरबेल फिर बजी। वंश ने दरवाजा खोला सामने नवीन और मेघना नहीं बल्कि निशि खड़ी थी। निशि को सामने देखकर वंश को नींद एकदम से उड़ गयी लेकिन निशि ने अभी तक वंश को देखा नहीं था बल्कि वह अपने बैग में कुछ ढूंढ रही थी और उसने कहा,”मॉम आपको दरवाजा खोलने में इतना,,,,,,,,,,,,,,,तुम ? तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?”
कहते हुए निशि ने एकदम से सामने देखा और वंश को देखकर चिल्ला उठी
“व्हाट ? तुम यहाँ क्या कर रही हो ?”,वंश ने भी उलझन भरे स्वर में कहा जबकि वह भूल गया कि ये घर निशि के पापा का ही था
निशि ने सूना तो उसका गुस्सा और बढ़ गया और उसने लगभग वंश को घूरकर उस पर चढ़ते हुए कहा,”एक्सक्यूज मी , ये घर मेरे डेड का है और तुम कौन होते हो मुझसे ये पूछने वाले ?”
बेचारा वंश निशि के एकदम करीब आ जाने से कुछ बोल ही नहीं पाया उसका दिल जोरो से धड़क रहा था और वह एकटक निशि के गुस्से से भरे चेहरे को देखे जा रहा था। वंश को खामोश देखकर निशि ने उसे साइड किया और अंदर चली आयी।
“मम्मा , पापा , कहा है आप लोग ?”,निशि ने आवाज लगाई लेकिन घर में उसके और वंश के अलावा कोई नहीं था।
वंश ने मेन डोर बंद किया और हॉल में चला आया।
वंश के मुंबई आने से निशि खुश थी लेकिन वह अपनी ख़ुशी को अपने चेहरे पर आने देना नहीं चाहती थी इसलिए गुस्से से वंश की तरफ पलटी और कहा,”मॉम डेड कहा है ?”
“अह्ह्ह वो किसी से मिलने बाहर गए है शायद,,,,,,,,,,,,इस से ज्यादा मैं कुछ नहीं जानता”,वंश ने सहजता से कहा
निशि ने सूना तो उसने अपना फोन निकाला लेकिन उसका फोन बंद हो चुका था इसलिए उसने वंश से कहा,”अपना फोन दो।”
“व्हाई ?”,वंश ने पूछा
“मैंने कहा ना अपना फोन दो,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने चिढ़कर कहा
“मैं अजनबियों को अपना फोन नहीं देता,,,,,,,,,!!”,वंश ने थोड़ा ऐटिटूड दिखाते हुए कहा
“अजनबी ? क्या मैं अजनबी हूँ ?”,निशि ने वंश के सामने आकर पूछा
“अभी थोड़ी देर पहले तुमने जो बिहेव किया है उस हिसाब से दोस्त भी कहा है हम,,,,,,,,,,,,,और मुझे बताओ तुम मुझसे इतना सड़ क्यों रही हो ? मुझे लगा मुझे यहाँ देखकर तुम खुश हो जाओगी और ख़ुशी से मुझे,,,,,,,,,,,आई मीन खुश हो जाओगी।”,कहते कहते वंश रुक गया और आखरी शब्द बड़ी मासूमियत से कहे
निशि ने सूना तो उसकी त्योरिया चढ़ गयी और उसे वो सुबह याद आ गयी जब वो बनारस से वापस आ रही थी और वंश उसे छोड़ने एयरपोर्ट तक नहीं आया था। वो याद आते ही निशि का गुस्सा फुट पड़ा और उसने कहा,”अच्छा मुझे खुश होना चाहिए तुम क्या किसी रियासत के राजकुमार हो या प्रिंस चार्मिंग हो जिसके आने से मैं फूली ना समाउ”
“प्रिन्स चार्मिंग तो नहीं पर हाँ तुम कहो तो बन सकता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने निशि के करीब आकर बड़े ही प्यार से कहा
जिस से निशि का दिल धड़क उठा और उसने वंश को पीछे धकेलकर कहा,”ओह्ह्ह प्लीज , ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत करो,,,,,,,,,,,!!”
“फॉर योर काइंड इन्फॉर्मेशन मिस छिप,,,,,,,,,,,,,,आई मीन मिस निशि मैं पहले से स्मार्ट हूँ मुझे स्मार्ट बनने की जरूरत नहीं है।”,वंश ने कहा और मुंह धोने वाशबेसिन की और चला गया
निशि का दिल तो किया अभी के अभी टेबल पर रखे फ्लॉवर पॉट को उठाये और वंश का सर फोड़ दे , उसने लगभग वो पॉट उठा भी लिया था लेकिन वंश का सर फोड़ सके इतनी हिम्मत उस में नहीं थी।
वंश ने मुंह धोया और जैसे ही पलटा निशि के हाथ में पॉट देखकर कहा,”कही तुम मुझे इस से मारने का तो नहीं सोच रही , देखो अगर तुम ऐसा सोच रही हो तो ये एक बहुत ही बेकार आईडिया है क्योकि अगर मैं मर गया तो तुम्हे जेल हो जाएगी और,,,,,,,,,,,,,,!!”
निशि ने वंश की पूरी बात सुने बिना ही पॉट को टेबल पर रखा और वहा से अपने कमरे में चली गयी। वंश ने उसे जाते देखा और बड़बड़ाया,”तुम्हे जेल हो जाएगी और फिर तुम चार दीवारी में रहना पडेगा,,,,,,,,,,,,,
वैसे छिपकलियों को और चाहिए भी क्या उनके लिये तो चार दीवारे काफी होती है। हाहाहाहाहा सही में मेरा सेन्स ऑफ़ ह्यूमर तो कमाल का है,,,,,,,,,,,,,हहहहह बेचारी निशि , नहीं नहीं बेचारी नहीं , छिपकली निशि,,,,,,,,,,,,,,,,हहहहह !”
खुद में ही बड़बड़ाते हुए वंश जोर जोर से हसने लगा और हँसते हँसते सोफे पर जा गिरा।
निशि कमरे से निकलकर बाहर आयी उसने नीचे हॉल में वंश को जोर जोर से हँसते देखा और वापस अंदर चली गयी।
अंदर आकर निशि ख़ुशी से उछली। वंश मुंबई वापस आ गया है इसकी ख़ुशी वंश के सामने जाहिर ना करके निशि अकेले में अपने कमरे में जाहिर कर रही थी। वह कभी बिस्तर , कभी सोफे तो कभी कारपेंट पर उछल रही थी। कुछ देर बाद उसने खुद को नार्मल किया और हाथ मुंह धोकर कपडे बदल लिए। उसने ट्राउजर और टीशर्ट पहना और नीचे चली आयी। वंश सोफे पर पड़े पड़े अपना फोन चला रहा था। निशि किचन में चली आयी उसे बड़े जोरो की भूख लगी थी।
वंश ने किचन में खटपट सुनी तो वह किचन की तरफ चला आया और दरवाजे पर ही रुक गया। निशि ने देखा किचन में खाने के लिये कुछ भी नहीं था। परेशान होकर निशि ने जैसे ही दरवाजे की तरफ देखा वंश को वहा खड़े देखकर कहा,”क्या ?”
“एक कप कॉफी मिल सकती है ?”,वंश ने कहा
निशि मुस्कुराई और फिर मुंह बनाते हुए कहा,”भगवान ने हाथ दिए है न खुद बना लो।”
निशि ने किचन में रखे फलों में से एक सेब उठाया और लेकर बाहर चली आयी। बेचारा वंश जिसने अपने घर में कभी पानी तक नहीं उबाला वो भला कॉफी क्या बनाता ? वंश वही दरवाजे पर खड़ा खड़ा सोचते रहा तभी हॉल में बैठी निशि ने कहा,”अच्छी शक्ल से सिर्फ फिल्मो में काम मिल सकता है कॉफी नहीं , वो तो बनाकर ही पीनी पड़ती है,,,,,,,,,,,,,,,वैसे क्या मैं हेल्प कर दू ?”
“नो थैंक्यू ! और किसने कहा मुझे कॉफी बनानी नहीं आती ?”,कहते हुए वंश किचन की ओर चला गया।
उसने जैसे तैसे करके कॉफी बनाई और वह थोड़ी ज्यादा ही बन गयी। वंश ने बहुत मेहनत की थी उसने कॉफी को दो कप में छाना और लेकर बाहर आ गया। उसने एक कप अपने हाथ में रखा और दुसरा निशि की तरफ बढा दी।
निशि ने देखा तो उसे हैरानी हुई और उसने कहा,”कही तुमने इसमें कुछ मिलाया तो नहीं है ?”
“तुम्हे क्या मैं ऐसा लड़का लगता हूँ ?”,वंश ने चिढ़कर कहा
निशि ने जैसे ही कप लेना चाहा वंश ने कप पीछे करते हुए कहा,”मैं अजनबियों को कॉफी नहीं पिलाता,,,,,,,,,,,!!”
“हाँ,,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने हैरानी से कहा
वंश और निशि के बीच आगे कुछ बात होती इस से पहले ही डोरबेल बजी। वंश ने जाकर दरवाजा खोला सामने नवीन और मेघना खड़े थे। दोनों अंदर आये और सीधा हॉल में चले आये। वंश जो कॉफी निशि के लिये लाया था वह उसने नवीन की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”अंकल आपके लिए कॉफी पीकर बताईये कैसी है ? मैंने अपने हाथो से बनायीं है।”
“क्या बात है ? जरा मैं चख कर देखू।”,कहते हुए नवीन ने एक घूंठ भरा
वंश , निशि और मेघना तीनो नवीन के रिएक्शन का इंतजार कर रहे थे। नवीन ने जैसे तैसे करके उस घूंठ को निगला और वंश की तरफ देखकर कहा,”वंश !”
“जी अंकल”,वंश ने कहा
“मुझसे एक प्रॉमिस करोगे ?”,नवीन ने कहा
“हाँ हाँ अंकल कहिये ना”,वंश ने खुश होकर कहा
नवीन ने वंश की तरफ देखा और कहा,”वादा करो आज के बाद तुम कभी कॉफी नहीं बनाओगे”
नवीन ने जैसे ही कहा निशि और मेघना दबी हंसी हंसने लगी और बेचारा वंश कुछ समझ ही नहीं पाया वो तो जब उसने खुद एक घूंठ भरा और उसका मुँह बना तब उसे अहसास हुआ कि उसे कॉफी क्यों नहीं बनानी चाहिए ?”
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संजना किरोड़ीवाल
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Munna bi Gauri ko miss kar raha hai ki usne afternoon se usse phone kyu nahi kiya.. aur Anu udaas ho rahi hai hi Munna usse chodkar Bangalore ja raha hai job karne ke liye…Gauri hamesh kuch na kuch gadbad kar hi deti hai aur apni galti nahi manti jaldi se…Nishi bahut kush hai Vansh ko dekh kar per voh Vansh ke samne aise dikha rahi hai jaise uske hone se usse fark nahi padta…Vansh ki banai Coffee pikar Naveen ne usse kabhi coffee na banane ki salha di☺☺..Beautiful Part Maam♥♥♥.
Ye Gori hmesha gadbad hi kyu krti h vansh or Nishi to bs fight hi karte rhte h
Nice part
Bhut hi badiya part
Bhut hi khoobsurat part tha ma’am